Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;अपने घर जाने के बजाये शालु के घर चला जाता है ।
सुबह शालु ने उसे जो नीलम के रिश्ते के बारे में बात बताई थी वो उसके दिमाग से निकली नहीं थी।
उसे रानी पे बहुत ग़ुस्सा आ रहा था । पता नहीं वो मुझसे क्या चाहती है। क्यों वो ऐसा कर रही है। क्या मै मालिक या बड़े मालकिन को सब बता दुं।।यही सब बातें उसके दिमाग में घूम रही थी।

जब वो शालु के घर में दाखिल हुआ तो शालु और पप्पू मेहमानो के खातिरदारी कर रहे थे।

लडके वालो की तरफ से 2 औरतें 2 मरद और खुद लड़का भी आया हुआ था।देखने में अच्छे घर के लग रहे थे। लड़का भी ठीक था।

शालु;उन लोगों से देवा का परिचय कराती है।

देवा;कुछ बहाना बनाके घर के दूसरे कमरे में चला जाता है जहाँ नीलम तैयार हो रही थी जैसे ही उसकी नज़र देवा पर पडती है।
वो खुश हो जाती है पर अगले ही पल उसका चेहरा मायूस हो जाता है।

नीलम देखने देखने में रश्मि से बहुत अच्छी थी।

नीलम;क्यों आये हो यहाँ जाओ बाहर जा कर बैठो।

देवा;नीलम के सामने रखे टूल पे बैठ जाता है।

नीलम की ऑखों में आये ऑंसू देवा से छुपे नहीं थे। वो जानता था अगर आज उसने नीलम से अपने दिल के बात नहीं कहा तो बहूत देर हो जाएगी।
पर औरतों को जानवर की तरह चोदने वाले देवा का दिल बहुत नाज़ुक था। किसी गुलाब की पंखुडे पे रखे उस पानी के क़तरे के तरह।

देवा;नीलम तू बाहर उन लोगों के सामने मत जा।

नीलम; क्यों?वो लोग मुझे देखने आये है मुझे तो जाना होंगा।
तूम क्यों मुझे रोक रहे हो।
WOW MAST ROMANTIC UPDATE औरतों को जानवर की तरह चोदने वाले देवा का दिल बहुत नाज़ुक था। किसी गुलाब की पंखुडे पे रखे उस पानी के क़तरे के तरह।
 
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नुतन और ममता का ये ज़िन्दगी का पहला किस था।

नुतन; घबराके अपने होंठ ममता से अलग कर लेती है।
ये आप क्या कर रही हैं दीदी।

ममता; कुछ भी तो नही।
वो फिर से नूतन के गरदन पे हाथ फेरने लगती है।

नुतन; ऐसा मत करो न मुझे गुदगुदी होती है दीदी।

ममता; क्यूँ तू नहीं चाहती की मै तुझे यहाँ और यहाँ और यहाँ भी चूमुं।
ममता नूतन के होठो पे चूचि पे और पेट पे हाथ रख के उससे पूछती है।

नुतन खामोश हो जाती है।उसकी चुप्पी में ही उसकी हाँ छुपी हुई थी।
दोनो जवान थी कुंवारी थी और अपने जिस्म में कभी कभी होने वाली हलचल से परेशान भी थी।

ममता अपनी ज़ुबान नूतन के गरदन पे फेरती है
और नूतन अपनी ऑंखें बंद कर लेती है आह्ह्ह्ह।

ममता; धीरे धीरे नूतन के शरीर से एक एक कपडा निकालने लगती है।
जैसे जैसे नूतन के जिस्म से कपडे निकलते जाते है वैसे वैसे ममता के जिस्म के रौंगटे खड़े होते जाते है।

थोड़ी देर बाद जब नूतन अपने ऑखें खोल के देखती है तो सामने ममता सिर्फ पेंटी में उसके पास बैठी हुई थी।

नुतन फिर से अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।
उसकी साँसे तेज़ चल रही थी जिससे उसके छोटे छोटे मगर नरम ब्रैस्ट ऊपर निचे होने लगते है।

ममता नूतन के कान की लॉ अपने मुंह में ले के चुसती है गलप्प गलप्प।

नुतन के होंठ अब भी बंद थे ।
ममता अपनी एक ऊँगली नूतन के मुंह में डाल देती है जिसे नूतन धीरे धीरे चुसने लगती है।

थोड़ी देर बाद ममता अपनी दो और उँगलियाँ नूतन के मुंह में डाल देती है ।
इस बार ममता की उँगलियाँ नूतन के हलक तक पहुँच चुकी थी जिससे नूतन की राल(सलीवा)मुंह के बाहर आने लगता है।

जीसे ममता अपनी ज़ुबान से चाटने लगती है।

ममता के दोनों हाथ नूतन के नरम मुलायम ब्रैस्ट को अपने क़ैद में ले लेते है और देखते ही देखते ममता नूतन के आधे से ज़्यादा ब्रैस्ट को अपने मुंह में ले के चुस्ने लगती है गलप्प गलप्प।



नुतन की ऑखें खुल जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगती है आहह दीदी आहह दबाओ इसे आहह ज़ोर से आहह दीदी मेरी अच्छी दीदी खीचो अपने मुंह में आह्ह्हहह माँ।

ममता; थोडी थोडी देर के बाद नूतन के निप्पल्स को काटने लगती है जिससे नूतन की कुंवारी चूत के होंठ भी लपलपा जाते है।

वो अपने दोनों हाथों से ममता का सर पकड़ के अपने सीने पे दबाती है ये अनुभव उसे इससे पहले कभी नहीं मिला था ।
नूतन और ममता आज सेक्स की परिभाषा सीख रही थी।

ममता; घीरे धीरे निचे बढ़ती जाती है और नूतन की चूत पे जा के ममता के होंठ रुक जाते है।

ममता; अपनी दो उँगलियों से नूतन की चूत को खोलके देखती है अंदर का पर्दा अभी तक सही सलामत था। ममता उसे तोडना नहीं चाहती थी । वो अपने ज़ुबान को नूतन के दाने (क्लाइटोरिस) के पास घुमाने लगती है जिससे नूतन चीख़ पडती है।

ममता झट से अपनी ज़ुबान हटा लेती है।
अगर तू चिल्लायेगी तो माँ और भाई उठ जायेंगे।

नुतन;अपने दोनों हाथ को अपने मुंह पे रख देती है और ममता मुस्कुराते हुए दूबारा अपनी ज़ुबान को नूतन की चूत पे घुमाने लगती है।

नुतन के मुंह से दबी दबी गुं गुं की आवाज़ निकल रही थी । वो चिखना चाहती थी चिल्लाना चाहती थी वो उस वक़्त अपनी चूत में ममता की ज़ुबान नहीं बल्कि जवान मोटा लंड लेना चाहती थी।।
थोड़ी ही देर बाद नूतन का जिस्म झटके खाने लगता है और ममता का पूरा चेहरा नूतन की चूत के पानी से भीग जाता है।

नुतां;आहह दीदी मुझे भी चखना है मेरा पानी ।

ममता; नूतन को मुंह खोलने के लिए कहती है और अपने मुंह में जमा नूतन का खारा खारा पानी नूतन के मुंह में छोडने लगती है।



नुतन अपना ही पानी पीने के बाद बहुत गरम हो चुकी थी वो ममता को बिस्तर पे लिटा देती है और उसके दोनों पैर खोले अपनी जीभ को उसकी चूत पे रख देती है।

ममता; नूतन की चुत चाट चाट के पहले से गीली हुई पड़ी थी । उसकी चूत से पानी रिस रिस के बाहर बह रहा था जिसे नूतन बड़े प्यार से चुमते हुए चाटने लगती है।



ममता; आहह नूतन मुझे पीछे से चाट मेरी कमर को चाट मुझे बहुत पसंद है आहह की कोई मुझे पीछे से चाटे।
वो मुड जाती है और नूतन अपनी बडी दीदी के हुकूम का पालन करते हुए अपने जीभ को ममता की चूत से होते हुए गाण्ड के सुराख़ में घूसाने लगती है।



नुतन की ज़ुबान ममता की गाण्ड के सुराख़ को कुरेदने लगती है।

ममता तड़प उठती है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
मुझे कोई चोदता क्यों नहीं आहह मुझे अपनी चूत और गाण्ड में लंड चाहिए नूतन । आहह मुझे अभी चाहिए आहह ऐसे ही चाट मुझे आहह डाल दे अंदर आह्ह्ह्ह।

नुतन अपनी चूत को घिसती है और गीली उँगलियाँ बिना ममता को बताये उसके गाण्ड में डाल देती है। दो उँगलियाँ बिना किसी चेतावनी के जब ममता के गाण्ड में घुसती है तो एक पल के लिए उसकी सांस बंद हो जाती है और जिस्म कड़क हो जाता है।

ममता; आहह ये क्या किया तूने आहह अब निकाल मत अंदर बाहर करती जा आहह आहह माँ भाई।

दोनो की ऑंखें बंद हो जाती है और दोनों की ऑखों के सामने देवा का चेहरा आ जाता है। दोनों की चूत किसी भी वक़्त पानी छोड सकती थी। वो इतने जोश में थी की उन्हें कुछ भी होश नहीं था की वो क्या बड़बड़ा रही है। कुछ ही देर बाद दोनों की चूत से लावा फूट पडता है और दोनों एक दूसरे के पानी से नहा लेती है।।

दोनो एक दूसरे को देख शरमाने भी लगती है और मुस्कुराने भी।।

नुतन अपना सर ममता की छाती पे रख देती है और ममता उसे अपने ऊपर ले के उसके होठो को चुमने लगती है।
रात कैसे गुज़री उन्हें कुछ पता नहीं सुबह वो दोनों काफी देर तक सोती रहीं।।

जब रत्ना ममता के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगती है तब उन दोनों की आँख खुलती है।



इधर देवा नाश्ता करके खेत में चला जाता है।

जब वो दोपहर में घर वापस आता है तो ममता उसे बताती है की माँ शालु काकी के यहाँ गई है।

सुबह से ममता और नूतन का जिस्म खिला खिला दिख रहा था। वो दोनों बात बात पे चिडीयों के तरह चहक रही थी।।ममता की कम मगर नूतन के नज़र अब बहुत बदल चुकी थी उसकी नज़रें देवा के जिस्म से हटने को तैयार नहीं थी।।

ये बात देवा भी महसूस करता है।
वो दोनों को घूरता हुआ शालु के घर चला जाता है।

जब वो शालु के घर के दरवाज़े के पास पहुँचता है तो उसके पैर वही के वहीं रुक जाते है अंदर उसकी माँ और शालु उसके बारे में बातें कर रही थी।।

शालु;तुम बिना मतलब के परेशान हो रही हो रत्ना।

रत्ना; क्या करुं शालु जब जवान बेटा दिन दिन भर घर से बाहर रहे और रात को थका मान्दा घर आये तो कौंन सी माँ परेशान नहीं होंगी।

शालु;अरे रत्ना वो जवान हो गया है अगर तुम्हें इतनी ही चिंता है उसकी तो शादी क्यों नहीं करवा देती उसकी।

रत्ना;पहले ममता का घर बस जाये उसके बाद देवा की भी शादी करवा दुँगी।

शालु;हम्म वैसे देवा रोज़ घर कब आता है।

रत्ना;कोई वक़्त नहीं उसका कभी भी आता है और आने के बाद खाना खाके सो जाता है पता नहीं बाहर क्या करता फिरता है।।

शालु;वही जो हम नहीं कर पाते।

रत्ना;चल हट बेशरम कही की । इस उम्र में भी तुझे मस्ती सुझती है।

शालु;वैसे तेरा बेटा है बड़ा मस्त ।

रातना;ख़बरदार जो मेरे बेटे पे डोरे डाली तो।

शालु;हंसने लगती है ।
चल ये बता कैसे कट रही हैं रत्ना।

रत्ना;इधर उधर देखने लगती है।

शालु;कोई नहीं है घर में बोल ना।

रत्ना;क्या बताऊँ शालु दिन तो किसी तरह कट भी जाता है मगर रात काटे नहीं कटती। जबसे देवा के बापु गुज़रे है तबसे ज़िन्दगी जहन्नुम बन गई है बस मसलती रहती हूँ।।
तेरा क्या हाल है।

शालु;वही जो तेरा है रश्मि के बापु तो अब किसी काम के रहे नहीं पता नहीं हमारी किस्मत में क्या लिखा है।।

देवा के कानों तक ये बात पहुँच जाती है और वो जान जाता है के ये दोनों औरतें इस वक़्त बहुत परेशान है वो दिल ही दिल में शालु के साथ साथ रत्ना की भी परेशानी दूर करने की ठान लेता है।

कुछ देर बाद देवा खाँसते हुए शालु के घर के अंदर दाखिल होता है उसे देख दोनों चुप हो जाती है।

शालु;अरे अच्छा हुआ देवा तू आ गया वैध जी से तेरे काका के लिए दवायें लानी है मुझे भी हल्का सा बुखार लग रहा है मै भी वैध जी को दिखा देती हूँ।

देवा;रत्ना की तरफ देखता है।

रातना;हाँ हाँ मगर देवा बेटा वैध जी के यहाँ से आने के बाद सीधा घर आ जाना। मैं अब चलती हूँ शालु । घर में बहुत काम है।

शालु;हाँ ठीक है ।

शालु;रत्ना के जाने के बाद में दरवाज़ा बंद कर देती है।
देवा तुम यहाँ बैठो मै अभी साडी बदलके आती हूँ।

देवा;ये भी तो अच्छी है काकी।

शालु;अरे बाबा बस अभी आई।
शालु पास के कमरे में चली जाती है उस कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं था जिससे देवा को साफ़ साफ़ वो दिखाई देती है।

शालु;अपनी साडी खोलने लगती है और इधर देवा के लंड में तनाव आने लगता है।

जैसे ही शालु अपनी साडी निकाल के बिस्तर पे रखती है देवा का लंड पूरी तरह खड़ा हो जाता है।
बडे बड़े सुडौल ब्रैस्ट देख देवा को वो दिन याद आ जाता है । जब उसने जाने अनजाने में शालु के होठो को चुम लिया था आज भी शालु कयामत ढाने को तैयार थी।

शालु;आइने में देख अपना ब्लाउज खोल देती है।
गुलाबी कलर की ब्रा में शालु के मोटे मोटे ब्रैस्ट समां भी नहीं रहे थे।

देवा का मन करता है अभी के अभी अंदर जाके उन दोनों को निचोड निचोड के पीता जाये । मगर वो खुद को किसी तरह क़ाबू में करता है।


शालु वो ब्रा भी निकाल देती है बस उसी वक़्त देवा की ऑंखें फटी की फटी रह जाती है उसने इतने गोरे गोरे और बड़े बड़े ब्रैस्ट और गुलाबी निप्पल्स कभी नहीं देखा था।

शालु;एक ब्लैक कलर की ब्रा उठाके पहन लेती है और उसपे ग्रीन कलर का ब्लाउज।
वो फिर से आइने में खुद को देखते हुए ग्रीन कलर की साडी पहनने लगती है।

हरी साडी में देवा को ऐसे महसूस होता है जैसे शालु उसे हरी झण्डी दिखा रही हो ।

देवा का लंड उसके पेंट में जम के फौलाद हो चुका था।

शालु;अपना एक हाथ ब्लाउज के अंदर डालती है और अपने एक ब्रैस्ट को बाहर निकाल के उसे दूबारा अंदर डालके एडजस्ट करती है।



शालु;देवा को आवाज़ लगाती है।

देवा;अपने लंड को किसी तरह इधर उधर एडजस्ट करता हुआ शालु के कमरे में चला जाता है।
हाँ काकी बोलो।

शालु; बेटा वो ज़रा पायल मेरे पैर में डाल देगा मुझसे नहीं पहनी जाती। उसका मुंह बहुत छोटा है।

देवा;पास पड़ी हुई पायल उठाके निचे बैठ जाता है।

और शालू अपनी साडी ऊपर कर देती है।



देवा;काँपते हाथों से शालु के पैर में पायल पहनाने लगता है।

शालु;अरे यहाँ डरोगे तो वहां क्या करोगे।

देवा;क्या।

शालु;कुछ नहीं हो गया चल अब देर हो रही है।

और देवा शालु के पीछे पीछे उसके मोटे मोटे कमर को हिलता देख बाहर निकल जाता है।
 
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अपडेट 31

देवा ट्रेक्टर शुरू करता है और शालु देवा का हाथ पकड़ के उछल के उसके पास आके बैठ जाती है।

शालु;अब चलेगा भी या ऐसे ही बैठा रहेगा।
देवा को अपनी तरफ घूरता देख शालु उससे कह बैठती है।

देवा मुस्कराता हुआ वैध जी के घर की तरफ चल देता है
वैसे काकी तुम्हें आने की ज़रूरत क्या थी मै तुम्हारे और काका के लिए वैध जी से दवायें ले आता।

शालु;क्यूँ मेरे चलने से तुझे कोई तकलीफ हो जाएगी वहाँ।

देवा;अरे नहीं नहीं मै तो वैसे ही.....
आज बहुत सुन्दर लग रही हो काकी कही वैध जी को दिल का दौरा न पड़ जाये तुम्हें देख के।

शालु;देवा के पीठ पे मुक्का मार देती है ।
बदमाश कही का तुझे इन सब बातों के सिवा दुसरा कुछ सूझता भी है या नही।

देवा; ये लो मैंने ऐसा क्या कह दिया ।

शालु; चल चुपचाप ट्रेक्टर चला।
शालु दिल में सोचने लगती है सब जानती हूँ बेटा तेरी नियत को मैं।
पर क्या करुं रे तूने मुझे मजबूर कर दिया ना नीलम से प्यार करके।
मूई नीलम को भी यही मुस्टंडा मिला था प्यार करने के लिये।।

शालु की चूत तो कब से पनिया गई थी देवा के नाम से ।
मगर वो जानती थी की देवा और नीलम एक दूसरे को प्यार करते है।
और अगर उनकी शादी या मंगनी (इंगेजमेंट)से पहले उसने देवा के साथ कुछ किया और ये बात रत्ना या गांव वाले किसी को भी पता चली तो कही उसकी बेटी का बसता बसाता घर न बिखर जाए।
चुत की आग को वो अपने बेटी की मोहब्बत पे कुछ वक़्त के लिए क़ुर्बान कर देती है।।

देवा;अरे कहाँ खोई हो काकी कही सो तो नहीं गई।
ये लो वैध जी का घर भी आ गया।

शालु और देवा ;वैध जी के घर के अंदर चले जाते है।

बैध जी;कुछ जड़ी बूटियां कूट रहे थे और उनके पास उनकी बहु किरण हाथ बटां रही थी।।

देवा;को देख जहाँ वैध की गाण्ड फट जाती है वही किरण की चूत के दोनों होंठ जो काफी दिनों से चिपके हुए थे खुल जाते है।।

शालु और देवा उन्हें नमस्ते करते हुए एक चारपाये पे बैठ जाते है और उनके आने का कारण वैध जी को बताते है।।

बैध;शालू की नॉब्स(वैन)देखता है और एक तरह से उसका चेकअप करने लगता है।

देवा और किरण की नज़रें एक दूसरे से हट नहीं रही थी।।

किरण;बार बार अपने होठो पे ज़ुबाँ फेर फेर के देवा को उकसा रही थी।

बैध जी;घबड़ाने की कोई बात नहीं है मामूली सा बुखार है।
आप बैठिये मै कुछ दवायें बना देता हूँ आपके और आपके पति के लिए भी।।

शालु और देवा बैठ जाते है।

किरण;रसोई में से दो गिलास पानी भर के लाती है और एक गिलास देवा को देती है और दुसरा शालु को।

शालु; ये आपकी बहु है ना वैध जी।

बैध जी;हाँ मेरी बहु है।

देवा;वैध जी मुझे शौचालय(टॉयलेट) जाना है।

क़िरण;आप मेरे साथ आइये । मै आपको ले चलती हूँ।

और किरण देवा को अपने साथ घर के पीछे बने टॉयलेट में ले जाती है।

टॉयलेट में घुसते ही किरण भूखी शेरनी की तरह देवा पे टूट पडती है।

किरण;कहाँ था इतने दिनों से..... गलप्प गलप्प.... मेरी याद नहीं आती तुझे.... गलप्प।

वो देवा के चेहरे को होठो को चुमते जा रही थी और कुछ देर बाद वो निचे बैठ जाती है और देवा के पेंट खोल के उसका लंड बाहर खीच लेती है।

देवा;आहह आराम से ।

किरण;चल तुझे मुतना है ना जल्दी से मूत।

देवा;मैंने तो बहाना बनाया था मुझे पेशाब नहीं करना।

किरण;गलप्प इसे देखने के लिए तो तड़प गई थी मै गलप्प गलप्प।



किरण;के हाथ में देवा का लंड फनफनाने लगता है और वो बिना देरी किये उसे मुंह में लेके खड़ा करने लगती है गलप्प गलप्प आह्ह्ह्ह गलप्प।

जलदी से मुझे चोद दे देवा कही कोई यहाँ आ ना जाये जल्दी करना गलप्प गलप्प।
वो इतने ज़ोर ज़ोर से देवा के लंड को चुसने लगती है की कुछ ही पलो में देवा उसे चोदने के लिए तैयार हो जाता है।

किरण;अपनी सलवार उतार देती है और झुक के देवा को पुकारती है।



किरण;चल जल्दी करना आ जा पीछे से कस के चोद दे रे मुझे आह्हह्हह्हह्हह।
आह माँ चुस मत न मेरी चूत वैसे भी बहुत गीली हो चुकी है । तुझे देख के आहह अब मत तड़पा देख कोई आ न जाए।।



पर देवा तो किरण की रसीली चूत को चाटने लग जाता है।

देवा;गलप्प गलप्प देख भी लिया तो क्या होंगा किरण गलप्प।

किरण;तुझे जितना कह रही हूँ उतना क्यों नहीं सुनता है देवा आअह्हह्हह्हह।

देवा;खड़ा होजाता है और अपने लंड को पीछे से किरण के चूत पे लगा के दोनों कमर पकड़ के धक्का देकर लंड अंदर घुसा के सटा सट सटा सट किरण को चोदने लगता है ।

किरण;आहह ऐसे ही आहह रोज़ आया करना मेरे पास। आहह देख न कैसे मेरी चूत सुखी सुखी सी हो गई थी आह्ह्ह्ह्ह्।
तेरे लंड के मार से ही सुनती है ये। मेरा तो एक बात नहीं मानती आहह माँ कुट के रख दे रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;अहह साली थोड़ा कम मुंह खोल आहह मेरी होने वाली सास न आ जाये आहह्ह्ह्हह्ह।

किरण;तू तो बड़ा आहह कमीना है उसे क्यों नहीं चोद देता आह्ह्ह्ह्ह्ह।
ज़िन्दगी भर तेरी गुलाम बनके रहेगी वो भी। आहह उसे भी इस मोटे लंड से एक बार पेल दे देवा आहह्ह्ह्ह
रह नहीं पायेगी वो एक पल भी माँ वू आहह तेरी बिना आहः।

देवा के चोदने की स्पीड से ही किरण के मुंह से ये लफ़्ज़ बाहर निकल रहे थे। दोनों के पास वक़्त बहुत कम था।

वो दोनों कुछ देर इस तरह एक दूसरे को नोचते खरोंचते चुदाई करते जाते है और उनके पानी छोड़ने से पहले बाहर खड़ी शालु की चूत पानी छोड देती है।

शालु;देवा को ढूँढ़ते ढूँढ़ते यहाँ तक आ गई थी उसके कदम टॉयलेट के बाहर इन दोनों की आवाज़ सुनके थम जाती है ऊपर से किरण की बातें बार बार शालु के कानों में गूँजने लगती है।

की एक बार उसे भी अपने लंड से चोद दे गुलाम बनके रहेगी वो तेरी।

उन दोनों के बाहर निकलने से पहले शालु अपनी जगह जाके बैठ जाती है।।

कुछ देर बाद देवा शालु के पास जाके बैठ जाता है उसकी साँस अभी भी फूली हुई थी। वैध उसे देख समझ जाता है की ये क्या करके आया है।
पर वो बेचारा कुछ बोल भी नहीं सकता था।

शालु और देवा थोड़े देर बाद वैध जी से दवायें लेके वापस घर की तरफ चल देते है।

वापसी में शालु चुप चाप बैठी हुई थी

देवा;शालू के पेट पे चुमटी काट लेता है।

शालु; उईई माँ
क्या करता है ।

देवा;मुझे लगा तुम सो गई कही गिर ना जाओ इसलिए जगा दिया।

शालु;इस तरह बेशरम।

देवा;इस में बेशर्म वाली कौन सी बात है।

शालु;क्या करने गया था तू वैध की बहु के साथ सब पता है मुझे।

देख देवा तेरी माँ सही सोचती है तेरे चालचलन ठीक नहीं लगती मुझे भी । ऐसे ही हरकतें करता रहा न तो कोई भी लड़की वाला तुझे अपने लड़की नहीं देगा।
ज़िन्दगी भर कुँवारा ही रहना पडेगा।

देवा;तुम हो ना।

शालु;क्या मतलब वो सकपका जाती है।

देवा;मेरा मतलब है तुम देख लेना मेरे लिए लड़की।।

शालु;बहुत गन्दा है रे तू देवा।
पता नहीं मेरा बेटा तेरे साथ रह रह के कही वो भी तो नही।

देवा;तुम्हें तो सब पता है ना की पप्पू कैसा है।

शालु की ऑखों के सामने वो मंज़र घुम जाता है जब पहली मर्तबा उसने पप्पू को और देवा को बिना कपडो के देखी थी और देवा जानवर के तरह पप्पू की नाज़ुक गाण्ड मार रहा था।।

उस दिन कुछ पल के लिए शालु और देवा के नज़रें भी मिली थी।

शालु;मुस्कुरा देती है।
चल कब सुधरेगा।

देवा;जब तुम मुझे दोगी।

शालु;क्या।

देवा;जब तुम मुझे ढूढ़ के दोगी लड़की शादी के लिये।

शालु;देवा की ऐसी बाते खूब समझती थी वो दूसरी तरफ मुंह करके मुस्कुरा देती है।।

घर पहुँच कर शालु बिस्तर पे ढेर हो जाती है और देवा उसके पैरों के पास बैठ जाता है।

देवा;कहो तो दबा दूँ ।

शालु;उससे अपने टाँग मारते हुए पीछे ढकेल देती है। कोई ज़रूरत नही।

देवा;क्या काकी दर्द कर रहे होंगे न।

शालु;मैंने कहा न नहीं मतलब नही।

रश्मी;क्या बात है माँ क्या दर्द कर रहे है।
रश्मी भी वहां आ जाती है।

शालु;अरे बेटी मेरे पैर दर्द कर रहे थे। वही देवा दबाने का बोल रहा था।।तु जा जाके खाना बना।

रश्मी;देवा मेरे पैर भी बहुत दर्द कर रहे है।

देवा;तेरी गरदन दर्द नहीं कर रही क्या।

शालु और रश्मि दोनों हंसने लगते है।

देवा;ललचाई नज़रों से फिर से शालु को देखने लगता है और शालु थोड़ा बिस्तर पे लेट के देवा को अपने गदराई हुई जवानी दिखाते हुए घर जाने के लिए कहती है।




देवा;उससे घूरता हुआ अपने होठो पे ज़ुबान फेरता हुआ घर चला जाता है।

जब वो घर का दरवाज़ा खट खटाता है तो हैरान रह जाता है सामने जो औरत खड़ी थी वो उसकी माँ बिलकुल नज़र नहीं आ रही थी।



रत्ना ने नूतन के नाइटी पहन रखी थी।

देवा; ये क्या पहन रखा है माँ।

रत्ना;देख ना बेटा ये नूतन ने मुझे रात में पहनने के लिए दी है कैसी लग रही है।

देवा;रत्ना के आधे लटकते हुए ख़रबूज़ों को देख मचल जाता है।
ठीक है माँ पर तुम इसे सिर्फ रात में सोते वक़्त पहना करो।

रत्ना;अपने सीने के पास नाइटी को एडजस्ट करते हुए ठीक है बेटा।
चल तू हाथ मुंह धो ले मै खाना लगा देती हूँ।।

देवा;ममता और नूतन कहाँ है।

रत्ना;अपने कमरे में होंगी।

देवा ;अपने कमरे में जाने लगता है तभी उसे ममता के कमरे में नूतन बिस्तर पे बैठी दिखाई देती है।

वो साडी पहन के देख रही थी रत्ना की।।

देवा;दरवाज़े की आड़ में खड़ा हो जाता है।

नुतन;अपने आप को देखती है और फिर अचानक पहना हुआ ब्लाउज निकाल देती है।

जैसे ही वो ब्लाउज निकालती है।

देवा की पीठ पे ममता हाथ रख देती है जिससे देवा हड़बड़ा के कमरे के अंदर चला जाता है और उसकी और ममता की ऑखों के सामने ऊपर से पूरी नंगी नूतन आ जाती है।

नुतन ; झट से पास में पड़ी हुई साडी अपने आप पे लपेट लेती है मगर वो पारदर्शी साडी उसकी चूचि को ठीक तरह से छूपाने में नाक़ाम थी।

देवा;जल्दी से वहां से निकल के अपने कमरे में चला जाता है।
और दोनों लड़कियां एक दूसरे को देख हँस पडती है।

ममता ; आगे बढ़ती है और नूतन की चूचि के एक निप्पल्स को अपने मुंह में लेके काट देती है।

नुतन ;आहह माँ आ जाएगी तेरी दीदी।

ममता अपना मुंह हटा देती है ।
बेशरम कही की मेरे भाई को देखती है।
और फिर से दोनों हंसने लगती है।
 

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