अपडेट 30
नुतन और ममता का ये ज़िन्दगी का पहला किस था।
नुतन; घबराके अपने होंठ ममता से अलग कर लेती है।
ये आप क्या कर रही हैं दीदी।
ममता; कुछ भी तो नही।
वो फिर से नूतन के गरदन पे हाथ फेरने लगती है।
नुतन; ऐसा मत करो न मुझे गुदगुदी होती है दीदी।
ममता; क्यूँ तू नहीं चाहती की मै तुझे यहाँ और यहाँ और यहाँ भी चूमुं।
ममता नूतन के होठो पे चूचि पे और पेट पे हाथ रख के उससे पूछती है।
नुतन खामोश हो जाती है।उसकी चुप्पी में ही उसकी हाँ छुपी हुई थी।
दोनो जवान थी कुंवारी थी और अपने जिस्म में कभी कभी होने वाली हलचल से परेशान भी थी।
ममता अपनी ज़ुबान नूतन के गरदन पे फेरती है
और नूतन अपनी ऑंखें बंद कर लेती है आह्ह्ह्ह।
ममता; धीरे धीरे नूतन के शरीर से एक एक कपडा निकालने लगती है।
जैसे जैसे नूतन के जिस्म से कपडे निकलते जाते है वैसे वैसे ममता के जिस्म के रौंगटे खड़े होते जाते है।
थोड़ी देर बाद जब नूतन अपने ऑखें खोल के देखती है तो सामने ममता सिर्फ पेंटी में उसके पास बैठी हुई थी।
नुतन फिर से अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।
उसकी साँसे तेज़ चल रही थी जिससे उसके छोटे छोटे मगर नरम ब्रैस्ट ऊपर निचे होने लगते है।
ममता नूतन के कान की लॉ अपने मुंह में ले के चुसती है गलप्प गलप्प।
नुतन के होंठ अब भी बंद थे ।
ममता अपनी एक ऊँगली नूतन के मुंह में डाल देती है जिसे नूतन धीरे धीरे चुसने लगती है।
थोड़ी देर बाद ममता अपनी दो और उँगलियाँ नूतन के मुंह में डाल देती है ।
इस बार ममता की उँगलियाँ नूतन के हलक तक पहुँच चुकी थी जिससे नूतन की राल(सलीवा)मुंह के बाहर आने लगता है।
जीसे ममता अपनी ज़ुबान से चाटने लगती है।
ममता के दोनों हाथ नूतन के नरम मुलायम ब्रैस्ट को अपने क़ैद में ले लेते है और देखते ही देखते ममता नूतन के आधे से ज़्यादा ब्रैस्ट को अपने मुंह में ले के चुस्ने लगती है गलप्प गलप्प।
नुतन की ऑखें खुल जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगती है आहह दीदी आहह दबाओ इसे आहह ज़ोर से आहह दीदी मेरी अच्छी दीदी खीचो अपने मुंह में आह्ह्हहह माँ।
ममता; थोडी थोडी देर के बाद नूतन के निप्पल्स को काटने लगती है जिससे नूतन की कुंवारी चूत के होंठ भी लपलपा जाते है।
वो अपने दोनों हाथों से ममता का सर पकड़ के अपने सीने पे दबाती है ये अनुभव उसे इससे पहले कभी नहीं मिला था ।
नूतन और ममता आज सेक्स की परिभाषा सीख रही थी।
ममता; घीरे धीरे निचे बढ़ती जाती है और नूतन की चूत पे जा के ममता के होंठ रुक जाते है।
ममता; अपनी दो उँगलियों से नूतन की चूत को खोलके देखती है अंदर का पर्दा अभी तक सही सलामत था। ममता उसे तोडना नहीं चाहती थी । वो अपने ज़ुबान को नूतन के दाने (क्लाइटोरिस) के पास घुमाने लगती है जिससे नूतन चीख़ पडती है।
ममता झट से अपनी ज़ुबान हटा लेती है।
अगर तू चिल्लायेगी तो माँ और भाई उठ जायेंगे।
नुतन;अपने दोनों हाथ को अपने मुंह पे रख देती है और ममता मुस्कुराते हुए दूबारा अपनी ज़ुबान को नूतन की चूत पे घुमाने लगती है।
नुतन के मुंह से दबी दबी गुं गुं की आवाज़ निकल रही थी । वो चिखना चाहती थी चिल्लाना चाहती थी वो उस वक़्त अपनी चूत में ममता की ज़ुबान नहीं बल्कि जवान मोटा लंड लेना चाहती थी।।
थोड़ी ही देर बाद नूतन का जिस्म झटके खाने लगता है और ममता का पूरा चेहरा नूतन की चूत के पानी से भीग जाता है।
नुतां;आहह दीदी मुझे भी चखना है मेरा पानी ।
ममता; नूतन को मुंह खोलने के लिए कहती है और अपने मुंह में जमा नूतन का खारा खारा पानी नूतन के मुंह में छोडने लगती है।
नुतन अपना ही पानी पीने के बाद बहुत गरम हो चुकी थी वो ममता को बिस्तर पे लिटा देती है और उसके दोनों पैर खोले अपनी जीभ को उसकी चूत पे रख देती है।
ममता; नूतन की चुत चाट चाट के पहले से गीली हुई पड़ी थी । उसकी चूत से पानी रिस रिस के बाहर बह रहा था जिसे नूतन बड़े प्यार से चुमते हुए चाटने लगती है।
ममता; आहह नूतन मुझे पीछे से चाट मेरी कमर को चाट मुझे बहुत पसंद है आहह की कोई मुझे पीछे से चाटे।
वो मुड जाती है और नूतन अपनी बडी दीदी के हुकूम का पालन करते हुए अपने जीभ को ममता की चूत से होते हुए गाण्ड के सुराख़ में घूसाने लगती है।
नुतन की ज़ुबान ममता की गाण्ड के सुराख़ को कुरेदने लगती है।
ममता तड़प उठती है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
मुझे कोई चोदता क्यों नहीं आहह मुझे अपनी चूत और गाण्ड में लंड चाहिए नूतन । आहह मुझे अभी चाहिए आहह ऐसे ही चाट मुझे आहह डाल दे अंदर आह्ह्ह्ह।
नुतन अपनी चूत को घिसती है और गीली उँगलियाँ बिना ममता को बताये उसके गाण्ड में डाल देती है। दो उँगलियाँ बिना किसी चेतावनी के जब ममता के गाण्ड में घुसती है तो एक पल के लिए उसकी सांस बंद हो जाती है और जिस्म कड़क हो जाता है।
ममता; आहह ये क्या किया तूने आहह अब निकाल मत अंदर बाहर करती जा आहह आहह माँ भाई।
दोनो की ऑंखें बंद हो जाती है और दोनों की ऑखों के सामने देवा का चेहरा आ जाता है। दोनों की चूत किसी भी वक़्त पानी छोड सकती थी। वो इतने जोश में थी की उन्हें कुछ भी होश नहीं था की वो क्या बड़बड़ा रही है। कुछ ही देर बाद दोनों की चूत से लावा फूट पडता है और दोनों एक दूसरे के पानी से नहा लेती है।।
दोनो एक दूसरे को देख शरमाने भी लगती है और मुस्कुराने भी।।
नुतन अपना सर ममता की छाती पे रख देती है और ममता उसे अपने ऊपर ले के उसके होठो को चुमने लगती है।
रात कैसे गुज़री उन्हें कुछ पता नहीं सुबह वो दोनों काफी देर तक सोती रहीं।।
जब रत्ना ममता के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगती है तब उन दोनों की आँख खुलती है।
इधर देवा नाश्ता करके खेत में चला जाता है।
जब वो दोपहर में घर वापस आता है तो ममता उसे बताती है की माँ शालु काकी के यहाँ गई है।
सुबह से ममता और नूतन का जिस्म खिला खिला दिख रहा था। वो दोनों बात बात पे चिडीयों के तरह चहक रही थी।।ममता की कम मगर नूतन के नज़र अब बहुत बदल चुकी थी उसकी नज़रें देवा के जिस्म से हटने को तैयार नहीं थी।।
ये बात देवा भी महसूस करता है।
वो दोनों को घूरता हुआ शालु के घर चला जाता है।
जब वो शालु के घर के दरवाज़े के पास पहुँचता है तो उसके पैर वही के वहीं रुक जाते है अंदर उसकी माँ और शालु उसके बारे में बातें कर रही थी।।
शालु;तुम बिना मतलब के परेशान हो रही हो रत्ना।
रत्ना; क्या करुं शालु जब जवान बेटा दिन दिन भर घर से बाहर रहे और रात को थका मान्दा घर आये तो कौंन सी माँ परेशान नहीं होंगी।
शालु;अरे रत्ना वो जवान हो गया है अगर तुम्हें इतनी ही चिंता है उसकी तो शादी क्यों नहीं करवा देती उसकी।
रत्ना;पहले ममता का घर बस जाये उसके बाद देवा की भी शादी करवा दुँगी।
शालु;हम्म वैसे देवा रोज़ घर कब आता है।
रत्ना;कोई वक़्त नहीं उसका कभी भी आता है और आने के बाद खाना खाके सो जाता है पता नहीं बाहर क्या करता फिरता है।।
शालु;वही जो हम नहीं कर पाते।
रत्ना;चल हट बेशरम कही की । इस उम्र में भी तुझे मस्ती सुझती है।
शालु;वैसे तेरा बेटा है बड़ा मस्त ।
रातना;ख़बरदार जो मेरे बेटे पे डोरे डाली तो।
शालु;हंसने लगती है ।
चल ये बता कैसे कट रही हैं रत्ना।
रत्ना;इधर उधर देखने लगती है।
शालु;कोई नहीं है घर में बोल ना।
रत्ना;क्या बताऊँ शालु दिन तो किसी तरह कट भी जाता है मगर रात काटे नहीं कटती। जबसे देवा के बापु गुज़रे है तबसे ज़िन्दगी जहन्नुम बन गई है बस मसलती रहती हूँ।।
तेरा क्या हाल है।
शालु;वही जो तेरा है रश्मि के बापु तो अब किसी काम के रहे नहीं पता नहीं हमारी किस्मत में क्या लिखा है।।
देवा के कानों तक ये बात पहुँच जाती है और वो जान जाता है के ये दोनों औरतें इस वक़्त बहुत परेशान है वो दिल ही दिल में शालु के साथ साथ रत्ना की भी परेशानी दूर करने की ठान लेता है।
कुछ देर बाद देवा खाँसते हुए शालु के घर के अंदर दाखिल होता है उसे देख दोनों चुप हो जाती है।
शालु;अरे अच्छा हुआ देवा तू आ गया वैध जी से तेरे काका के लिए दवायें लानी है मुझे भी हल्का सा बुखार लग रहा है मै भी वैध जी को दिखा देती हूँ।
देवा;रत्ना की तरफ देखता है।
रातना;हाँ हाँ मगर देवा बेटा वैध जी के यहाँ से आने के बाद सीधा घर आ जाना। मैं अब चलती हूँ शालु । घर में बहुत काम है।
शालु;हाँ ठीक है ।
शालु;रत्ना के जाने के बाद में दरवाज़ा बंद कर देती है।
देवा तुम यहाँ बैठो मै अभी साडी बदलके आती हूँ।
देवा;ये भी तो अच्छी है काकी।
शालु;अरे बाबा बस अभी आई।
शालु पास के कमरे में चली जाती है उस कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं था जिससे देवा को साफ़ साफ़ वो दिखाई देती है।
शालु;अपनी साडी खोलने लगती है और इधर देवा के लंड में तनाव आने लगता है।
जैसे ही शालु अपनी साडी निकाल के बिस्तर पे रखती है देवा का लंड पूरी तरह खड़ा हो जाता है।
बडे बड़े सुडौल ब्रैस्ट देख देवा को वो दिन याद आ जाता है । जब उसने जाने अनजाने में शालु के होठो को चुम लिया था आज भी शालु कयामत ढाने को तैयार थी।
शालु;आइने में देख अपना ब्लाउज खोल देती है।
गुलाबी कलर की ब्रा में शालु के मोटे मोटे ब्रैस्ट समां भी नहीं रहे थे।
देवा का मन करता है अभी के अभी अंदर जाके उन दोनों को निचोड निचोड के पीता जाये । मगर वो खुद को किसी तरह क़ाबू में करता है।
शालु वो ब्रा भी निकाल देती है बस उसी वक़्त देवा की ऑंखें फटी की फटी रह जाती है उसने इतने गोरे गोरे और बड़े बड़े ब्रैस्ट और गुलाबी निप्पल्स कभी नहीं देखा था।
शालु;एक ब्लैक कलर की ब्रा उठाके पहन लेती है और उसपे ग्रीन कलर का ब्लाउज।
वो फिर से आइने में खुद को देखते हुए ग्रीन कलर की साडी पहनने लगती है।
हरी साडी में देवा को ऐसे महसूस होता है जैसे शालु उसे हरी झण्डी दिखा रही हो ।
देवा का लंड उसके पेंट में जम के फौलाद हो चुका था।
शालु;अपना एक हाथ ब्लाउज के अंदर डालती है और अपने एक ब्रैस्ट को बाहर निकाल के उसे दूबारा अंदर डालके एडजस्ट करती है।
शालु;देवा को आवाज़ लगाती है।
देवा;अपने लंड को किसी तरह इधर उधर एडजस्ट करता हुआ शालु के कमरे में चला जाता है।
हाँ काकी बोलो।
शालु; बेटा वो ज़रा पायल मेरे पैर में डाल देगा मुझसे नहीं पहनी जाती। उसका मुंह बहुत छोटा है।
देवा;पास पड़ी हुई पायल उठाके निचे बैठ जाता है।
और शालू अपनी साडी ऊपर कर देती है।
देवा;काँपते हाथों से शालु के पैर में पायल पहनाने लगता है।
शालु;अरे यहाँ डरोगे तो वहां क्या करोगे।
देवा;क्या।
शालु;कुछ नहीं हो गया चल अब देर हो रही है।
और देवा शालु के पीछे पीछे उसके मोटे मोटे कमर को हिलता देख बाहर निकल जाता है।