Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;अपने मामा के घर से अपने घर की तरफ चल देता है।
वो जब घर पहुँचता है तो ममता भागते हुए आके उसके गले से लिपट जाती है।ऐसा वो हमेशा करती थी जब भी देवा एक दो दिन के लिए शहर जाता था।
पर आज देवा को उसका इस तरह चिपकना बहुत अच्छा लग रहा था।

ममता ; बडी जल्दी आ गये भाई लगता है वहां की हवा रास आ गई थी आपको।

देवा;अपने बहन को अपने छाती से लगा के ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठा लेता है।ममता के छोटे छोटे कड़क ब्रैस्ट देवा की छाती में धँस जाते है।
मैं तो वही रुकने वाला था पर तेरी इतनी याद आ रही थी इसलिए चला आया।

ममता;अपने भाई के गाल पे काट लेती है।
झूठे कहीं के ।
उसका दिल भी अपने भाई की छाती से अलग होने को नहीं कर रहा था।
इसलिए वो अपने दोनों बाहें देवा के गले में डाल देती है।

देवा;माँ कहाँ है।

मैंट;वो नूतन के साथ शालु काकी के यहाँ गई है।

देवा;हम्म।

ममता; हम्म क्या चलो मुझे घर में ले चलो आज आपके गोद में बैठने को दिल कर रहा है मेरा।

देवा; अच्छा पहले ठीक से तो उठाने दे।

ममता ; ठीक से उठा लो वरना मुझे चोट लग जाएगी।

देवा;चल आ जा।
देवा ममता की दोनों कमर के थोड़े निचे दोनों हाथों से उसे पकड़ के वैसे ही गोद में उठाये घर के अंदर ले चलता है।
बाहुत मोटी हो गई है तू ममता।

ममता ; फिर से देवा के गाल को काट लेती है।

देवा; तू बहुत शैतान हो गई है ठहर जा।
देवा ममता को बिस्तर पे पटक के उसे पेट में गुदगदी करने लगता है। जिससे ममता हँसते हुए इधर उधर हाथ पैर मारने लगती है । बचपन से जवानी तक यही होता आ रहा था । जब भी ममता देवा को सताती देवा उसे इतनी देर तक गुदगुदी करता जब तक ममता अपने कान पकड़ के माफ़ी नहीं माँग लेती।आज भी वही खेल खेला जा रहा था मगर आज देवा का नजरिया बदल चुका था। देवकी की गाण्ड की गर्मी और कौशल्या की चूत के ठण्डक से देवा का नजरिया आज अपनी बहन के लिए भी काफी हद तक बदल चुका था।

देवा;ममता को गुदगुदी करते करते उसके गाल को काट लेता है और काटते हुए अपने ज़ुबान भी उसके गाल पे फेर देता है।एक हलकी सी सिसक ममता के मुंह से निकलती है और उसके हाथ पैर हिलना बंद हो जाता है।वो कुछ पलों के लिए अपने भाई की ऑखों में देखने लगती है

देवा;सकपका जाता है और उठके अपने कमरे में चला जाता है।

थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आता है तब तक रत्ना और नूतन भी घर आ जाते है।

देवा को देख रत्ना अपने ममता के आंचल में देवा को ले लेती है।

रत्ना;मुझे तो लगा था तुम अगले दिन ही आ जाओंगे पर तुम तो वही के हो गये।

देवा;की नज़रें रत्ना के मोटे मोटे सन्तरों पे अटक सी जाती है।

रत्ना;मैंने तुझसे कुछ कहा क्या हो गया है तुझे।

देवा;नहीं माँ हाँ क्या कहा तुमने।

रत्ना; हे भगवान कुछ नहीं तबियत तो ठीक है ना तेरी।

ममता; मुझे लगता है माँ भाई पे किसी भूत प्रेत का साया आ गया है जब से आये है अजीब सी हरकतें कर रहे है।

रत्ना;चल हट बदमाश कुछ नहीं हुआ मेरे देवा को।क्या हरकत किया इसने ।

ममता; देवा की तरफ देखती है।

और देवा ममता को घुरते हुए अपना मुंह बंद रखने के लिए कहता है।

देवा;क्या माँ तुम भी किस की बातों में आ रही हो।
नुतन तुम कैसी हो यहाँ मन तो लग रहा है ना तुम्हारा।

नुतन; हाँ भाई अच्छा लग रहा है।

ममता; कौन

नुतन का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है और वो ममता को चुमटी काट लेती है।बचपन से जवानी तक यही होता आ रहा था । जब भी ममता देवा को सताती देवा उसे इतनी देर तक गुदगुदी करता जब तक ममता अपने कान पकड़ के माफ़ी नहीं माँग लेती।आज भी वही खेल खेला जा रहा था मगर आज देवा का नजरिया बदल चुका था। देवकी की गाण्ड की गर्मी और कौशल्या की चूत के ठण्डक से देवा का नजरिया आज अपनी बहन के लिए भी काफी हद तक बदल चुका था।


रत्ना;देवा बेटा जा तू हाथ मुंह धोले ये दोनों पगली है दिन भर ही ही हू हू हां हां करती रहती है । अब तू आ गया है ना । थोडा लगाम लगी रहेंगी इनके मुंह पर।

ममता ; माँ हम क्या घोड़ियाँ है जो लगाम लगी रहेगी।

देवा;ममता को सर पे चांटा मारता हुआ घर से बाहर निकल जाता है।

रत्ना;अरे कहाँ जा रहा है।

देवा;पप्पू के घर।

देवा;जब पप्पू के घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑंगन में शालु और रश्मि बैठी मिलती है।जहां शालु के चेहरे पे देवा को देख चमक आ जाती है वही रश्मि बनावटी ग़ुस्सा दिखाने लगती है।

देवा;वही उन दोनों के पास बैठ के बातें करने लगता है
पर बात करते करते देवा की नज़र बार बार शालु के बड़े बड़े ख़रबूज़ों पे चली जाती है जिसे शालु के साथ साथ रश्मि भी भाँप लेती है।।

शालु;तो मुस्कुरा देती है मगर रश्मि दाँत पीसने लगती है।

देवा;काकी काका की तबियत अब कैसी है।

शालु;खुद जा के देख ले अंदर ही है नीलम भी वही होगी।

देवा;शालू को देख मुस्कुरा देता है और शालु से नज़रें बचा के रश्मि को आँख मारता हुआ घर के अंदर चला जाता है।

नीलम;अपने कमरे में उदास बैठे हुए थी देवा को देखते ही उसके चेहरे की रंगत ही बदल जाती है।

देवा;कैसी हो नीलम।

नीलम;ठीक हूँ आप कैसे हो।

देवा;नीलम को निचे से ऊपर तक देखने लगता है ।

नीलम;शरमा जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा देती है।

देवा;उसे अपनी तरफ घुमा देता है।
इस चाँद को देखने के लिए आया हूँ और चाँद ऐसे बादल में चुप जायेगा तो कैसे चलेंगा।

नीलम;बस बस रहने दो। सब जानती हूँ मै एक बार भी मेरी याद नहीं आई होगी आपको।

देवा;जज़्बात से भरे लहजे में नीलम के चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम लेता है इधर देख मेरी ऑखों में। क्या तुझे लगता है मुझे तेरी याद नहीं आई होंगी।

नीलम; कांप के रह जाती है होंठ लरज के रह जाते है और दिल बस एक बात कहता है मुझे यक़ीन है तुम्हें मेरी याद ज़रूर आई होगी।

देवा;नीलम को अपने चौड़े मज़बूत छाती में समेट लेता है।

नीलम;आहह ।

देवा के दिल की धड़कन नीलम को अपने दिल में साफ़ सुनाई देने लगती है। दोनों की मोहब्बत को समझना बहुत मुश्किल था बिना कहे वो एक दूसरे के दिल की हालत समझ जाते थे।

उन्हें किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती है देवा नीलम से अलग हो जाता है।

कमरे में रश्मि को आता देख नीलम अपने सर पे दुपट्टा डाल के शालु की तरफ चल देती है।

रश्मी;देवा के पास खडी हो जाती है।
बापु इस कमरे में नहीं उस कमरे में है।

देवा; मुझे पता है।

रश्मी; पता है तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो।
और एक बात बताओ तुम माँ को और मुझे घूर क्यों रहे थे।

देवा; तुझे याद है ना मैंने क्या कसम खाई है तेरी शादी से पहले।।

रश्मी;बस बस बड़े आये कसम खाने वाले। सुरत देखी है अपनी ये मुंह और मसुर की दाल।हूह्ह्ह

देवा; रश्मि को पकड़ के ..साली बडी बडी बातें करने लगी है अभी सिर्फ तेरी बिसार हुई है ख़रीदी नही।

रश्मी;आहह छोड मुझे वरना मै चिल्लाऊँगी।

देवा;रश्मि को घुमा के पीछे से पकड़ लेता है और पकड़ के उसके दोनों ब्रैस्ट को बुरी तरह मसलने लगता है।



देवा;चिल्ला न चिल्लाती क्यों नहीं ।

रश्मी;छोड नही तो मै सच में माँ को बुलाऊँगी देवा फिर मत कहना।

देवा; मुझे पता है तू नहीं चिल्लाएँगी ।

रश्मी; आहह आहह मै शोर मचा दूंगी देवा आखिरी बार बोल देती हूँ।

देवा;मुझे पता है तू नहीं चिल्लायेगी। तुझे पता है क्यूँ
क्यूंकि साली तू बहुत चालु चीज़ है और ये बात सिर्फ मुझे पता है अगर तुझे चिल्लाना होता न तो कबका चिल्ला चुकी होती पर तू भी चाहती है। मै तुझे ऐसे ही मसलूँ तेरा रस निकालूँ। है ना बोल यही बात है न।

रश्मी;के निप्पल्स कड़क हो जाते है और साँस रुक रुक के चलने लगती है गला सुख जाने से उसकी आवाज़ भी ठीक तरह से नहीं बल्कि लडखडा के बाहर निकलने लगती है।
आह कमीना है तू। तुझे सब पता है ना देख अब मै क्या करती हूँ।

और रश्मि जैसे ही चिल्लाने के लिए मुंह खोलती है देवा अपने होंठ उसके मुंह पे लगा देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।

पहले पहल रश्मि थोड़े हाथ पैर देवा को मारती है मगर धीरे धीरे उसे भी देवा का नशा चढ़ने लगता है और उसके हाथ देवा को कस के जकड लेते है और रश्मि भी अपना मुंह खोल के देवा को रस पिलाती जाती है।

देवा;अपने दोनों हाथों से रश्मि के नाज़ुक सी कमर पकड़ लेता है और धीरे धीरे उसे दबाते हुए रश्मि को चुसता चला जाता है।।

जब रश्मि का दिल भर जाता है तो वो देवा को धक्का देके अपने से अलग कर देती है।

रश्मी;कमीने कही के दूबारा ऐसे हरकत मेरे साथ करने की सोचना भी मत।

देवा;रश्मि को देखता रह जाता है और रश्मि पैर पटकते हुए वहां से चली जाती है।

देवा;कुछ देर वहाँ खड़ा रहने के बाद अपने सर को झटक के काका से मिलने उनके कमरे की तरफ बढ़ जाता है ।

इधर ममता और नूतन एक कमरे में दरवाज़ा बंद करके खुसुर पुसुर बातें कर रही थी।

ममता; सच बता न तुझे कैसा लड़का चाहिए।

नुतन ; मुझे नहीं पता।

ममता; नूतन के निप्पल को कमीज के ऊपर से मरोड़ देती है।
बोलती है या नही।

नुतन;आहह बोलती हूँ बोलती हूँ पहले छोड़ो ना।

ममता ; हाँ बोल तुझे कैसा जीवन साथी चाहिए।

नुतन; ऐसा जो मुझे प्यार करे मेरी हर छोटी बडी ज़रुरत बिना कहे पूरी कर दे । जो मेरे माँ बापु को अपना माँ बापु समझे बस।

ममता; हमम।

नुतन; अब तुम मुझे बताओ तुम्हें कैसा चाहिए।

ममता; अपनी ऑखें बंद कर लेती है और अपने जीवन साथी की तस्वीर अपने दिमाग में बनाना लगती है और उसके ऑखों के सामने देवा का चेहरा आ जाता है।

वो घबरा के अपनी ऑखें खोल देती है।

नुतन;बोलो न कैसा।


ममता; मुझे नहीं पता कुछ और बात कर।

नुतन; इस बार खुद ममता के ब्रैस्ट को अपने हाथों से दबा देती है बोलती हो या नही।

ममता; आहह बोलती हूँ बाबा।
मुझे ना भाई जैसा लड़का चाहिए।

नुतन; हाय दैया देवा भाई जैसा।

ममता; हाँ भाई जैसा हट्टा कटा मज़बूत ताक़तवर मरद जो हमेशा मेरी रक्षा करे।

नुतन; ये सुनके ममता की ब्रैस्ट और ज़ोर से दबा देती है
ओर ममता नूतन को मारने बढ़ती है और इसी चक्कर में वो दोनों एक दूसरे में गुथमगुथा हो जाते है।

ममता की तेज़ धड़कने नूतन की जवान साँसों से मिल जाती है और दोनों एक दूसरे की ऑखों में देखने लगते है उनके होंठ एक दूसरे के बिलकुल क़रीब आ जाते है।के तभी बाहर से रत्ना की आवाज़ आती है।

रत्ना;अरे ममता कहाँ है ज़रा यहाँ आना रसोई में।

ममता; नूतन को देखते हुए आई माँ और वो उठके बाहर चली जाती है।

देवा;शालू के घर से निकल के गांव की गलियों में टहलता हुआ पदमा के घर की तरफ चला जाता है पदमा उसे घर के दरवाज़े पर चावल साफ़ करते देखाई देती है।

वो खुश होके उसके घर में चला जाता है पदमा भी चावल एक तरफ रख के देवा को घर के अंदर खीच लेती है और दरवाज़ा बंद कर देती है।

पदमा;इतने दिन कैसे लग गए मेरे राजा।

देवा;तेरी याद नहीं आ रही थी न पदमा वरना जल्दी चला आता।

पदमा;जानती हूँ तू मुझे क्यों याद करेगा। मगर मै बहुत खुश हूँ।

देवा;क्या बात है।

पदमा;ऐसे नहीं पहले मेरा मुंह मीठा करना पड़ेगा उसके बाद बताऊँगी।

देवा;पदमा को बिस्तर पे गिरा देता है और खुद क़मीज़ उतार के उसके ऊपर चढ़ जाता है दोनों ब्रैस्ट को दोनों हाथों में लेके मसलते हुए पूछता है।
अब बता न बात क्या है।



पदमा;ऐसे नहीं पहले मुझे किस करो कस के करो आह्ह।

देवा;तेरी माँ की।
 

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