Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा अपने घर चला जाता है।

देवा जब घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑगन में ममता और नूतन बातें करती दिखाई देती है वो भी उनके पास बैठ जाता है।

ममता; भाई आप कहाँ थे। माँ कबसे आपके बारे में पूछ रही थी।

देवा;क्यूँ कुछ काम था क्या।

ममता; मुझे क्या पता शायद दुकान से कुछ सामान लाना था।

नुतन ; चुपके चुपके देवा को ही देख रही थी।

देवा की नज़र जब उसपे जाती है तो नूतन घबरा के अपनी नज़रें चुरा लेती है।

नुतन ; देवा भैया तो अपनी धुन में लगे रहते है । न हमे कही घुमाने ले जाते है और न हमसे बातें करते है।

देवा; अच्छा तो ये बात है।

ममता; हाँ देखो न नूतन को यहाँ आये कितने दिन हो गये है ।
बेचारी घर में बैठे बैठे सुख के कांटा हो गई है।

नुतन; ममता को चुमटी काट लेती है।

देवा;सुख के काँटा। मुझे तो हट्टी कट्टी दिखाई दे रही है।

ममता; बड़े गौर से देखा है भाई ने तुझे। लगता है।

दोनो लड़कियाँ खिलखिलाके हंसने लगती है।

देवा;नूतन तू इसके सोहबत में रहेगी ना तो तू भी बहकी बहकी बाते करने लग जाएगी।।ये तो पूरी पागल है।

ममता; क्या मै आपको पागल दिखाई देती हूँ भइया।

देवा; ममता के चोटी (हेयर) खीचता है।

ममता; तिलमिला के रह जाती है और नूतन हंसने लगती है।

आज नूतन के हाव भाव कुछ बदले बदले से दिखाई दे रहे थे।
जबसे देवा ने उसे उस हालत में देखा था तब से नूतन जब भी देवा के सामने आती या उसे देखती उसके जिस्म पे चीटियाँ रेंगने लगती।

पत्थर पे पत्थर घीसने से उस में चिंगारी पैदा हो जाती है
यहाँ तो ममता और नूतन रोज़ चूत पे चूत घिस रहीं थी।

देवा; ममता को पानी लाने के लिए कहता है और ममता घर के अंदर पानी लेने चली जाती है।

नुतन देवा को ही देख रही थी।

देवा;नूतन को अपने तरफ देखते हुए उसे अचानक बोल बैठता है।
वैसे नूतन अब तू भी जवान हो गई है।
मामी से बोल के तेरे लिए लड़का ढूँढ़ना पडेंगा।

नुतन ; आपको कैसे पता मै जवान हो गई हूँ।।

देवा; मैंने देखा है न तुझे।
वो बोल तो बैठा मगर फिर चुप सा हो गया।

नुतन से वहां बैठना मूहाल हो जाता है और वो भाग के घर के अंदर चली जाती है।

ममता पानी का गिलास लेके देवा को देती है।
ये नूतन क्यों भाग गई।

देवा; (धीरे से)उसे शायद सुसु आई थी।

ममत; क्या आई थी।

देवा;कुछ नहीं माँ कहाँ है।

ममता'; वो नहा रही है।
ये बोल के ममता नूतन के पास चली जाती है।

और देवा घर के अंदर चला जाता है वो जैसे ही अपनी माँ रत्ना के कमरे में जाता है उसी वक़्त रत्ना के कमरे में बने बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और रत्ना बाहर आ जाती है।



देवा की नज़र और रत्ना की नज़र एक हो जाती है और देवा अपनी खूबसूरत माँ को देखता ही रह जाता है।

आज से पहले उसने कभी रत्ना को ऐसी हालत में नहीं देखा था।
इतना गदराया हुआ जिस्म उसकी ऑखों में जैसे नूर भर देता है।

रत्ना अपने आप को उस गीली साडी से छूपाने की कोशिश करती है और देवा अपने सर को खुजाता हुआ जल्दी से रत्ना के कमरे से बाहर निकल जाता है।

रत्ना;देवा के कमरे से जाने के बाद आइने के सामने खड़ी होके अपने जिस्म को पोंछने लगती है।



रत्ना को महसूस होता है की कोई उसे खिडकी से देख रहा है वो जैसे ही मुड के खिडकी की तरफ देखती है कोई वहां से भागता हुआ उसे दिखाई देता है।

वो सोच में पड़ जाती है की कौन हो सकता है।
अचानक ही उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

थोड़ी देर बाद जब रत्ना साडी पहन के देवा के पास जाके बैठती है तो उसे आज पहली बार अपने बेटे के पास बैठते हुए शर्म सी आ रही थी।

देवा; माँ ममता बता रही थी तुम मुझे ढूंढ रही थी कुछ सामान लाना था क्या।

रत्ना; कहाँ ग़ायब रहने लगे हो तुम बस अभी आता हूँ बोल के गए तो अब आ रहे हो इतनी देर से । खेत में भी पास के मुन्ना को भीजवाई थी मैंने । उसने कहा देवा भैया तो खेत में है ही नही।

देवा;अरे माँ तुम्हे पता है रश्मि की एक हफ्ते बाद शादी होने वाली है।

रत्ना; हाय दैया इतनी जल्दी तुझे कैसे पता।

देवा;वो रास्ते में शालु काकी मिली थी मुझे। उन्होने ही बताया की रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है इसलिए वो रश्मि को मरने से पहले बहु के रूप में देखना चाहते है।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा ऐसा नहीं कहते।
भगवान ना करे रश्मि के ससुर को कुछ हो।
पर तू कहाँ था सुबह से।

देवा;वही तो बता रहा हूँ मै चला गया था काकी के घर पप्पू से मिलने । अरे माँ शादी का घर है काकी का। कितने काम करने है इतने कम वक़्त में।।
तूम इतनी खोज बीन क्यों कर रही हो मेरी।

रत्ना;तेरे पांव ज़मीन पे नहीं टिकते है ना इसलिये।

देवा; खुद के पांव को देखने लगता है।
ज़मीन पे ही तो है।
माँ तुम भी ना।

देवा;अपनी माँ रत्ना के गले में बाहें डालके उसे अपने से चिपका लेता है।

रत्ना के बिना ब्रा वाली चूचियाँ देवा की छाती में धँस सी जाती है।

रत्ना;आहह क्या करता है बच्चा नहीं है तु।
रात में क्या खायेगा बता दे अभी।

देवा;अरे हाँ माँ। रात से याद आया वो कल से मुझे रात में हवेली जाना पड़ेगा।
मै वही सो जाऊँगा।

रत्ना;क्यूँ ऐसी क्या मुसीबत आ गई की तुझे वहां सोना पडेगा।

देवा;वो मालिक शहर जाने वाले है कल एक हफ्ते के लिए। तो मुझे बोले की हवेली में कोई आदमी चाहिए। आस पड़ोस के गांव में चोरियॉँ हो रही है।

रत्ना;बेटा तू क्यों जाता है उस मुये सुनसान हवेली में मुझे तो वो जागिरदार और उसकी हवेली से बड़ा डर लगता है।
तूने देखा नहीं कितनी वीरान है वो जगह।

देवा;माँ जागिरदार गांव के सरपंच है।
और क्या बुराई है वहां सोने में ।

रत्ना;और यहाँ कौन रहेगा घर में।

देवा; मैं मुन्ना से बोल दूंगा वो आ जाएगा यहाँ सोने।

रत्ना;देख देवा आखिरी बार बोल रही हूँ तो दूर रह उन हवेली वालो से अरे गांव का कोई भी वहां नहीं जाता।

देवा;ठीक है माँ नहीं कह दिया करुँगा आगे से कोई भी काम देंगे तो वो मुझे।
अब जल्दी से खाना खिला दो बहुत भूख लगी है।

रत्ना;तू बैठ मै अभी खाना लगाती हूँ।

देवा;खाना खाके थोडी देर सो जाता है शाम ढले उसकी आँख खुलती है।

पप्पू उसे बुलाने आया था ।
पप्पू को देख देवा की गाण्ड फट जाती है।
उसे लगने लगता है की शालु को रश्मि के बारे में पता चल गया है।

और उसे बुझाने वाला बाहर बैठा हुआ था।
एक बार लड़की खुल जाये तो उसे जल्द से जल्द लंड चाहिए। अगर ना मिले तो वो पागल सी हो जाती है।

देवा तो अपने घर जा के चैन की नींद सो जाता है मगर रश्मि रात भर जागती रहती है । उसे रह रह के बस देवा और उसका वो ज़ालिम लंड याद आ रहा था।


दूसरे दिन सुबह देवा अपने खेत में चला जाता है थोड़ा बहुत काम निपटाने के बाद जब वो अपने घर की तरफ जाने लगता है तो उसे पप्पू मिलता है।

देवा;अरे कहाँ जा रहा है ।

पप्पू;देवा भाई तू घर चला जा मेरे।

देवा;क्यूँ सब ठीक तो है न।

पप्पू;नहीं रश्मि को बहुत तेज़ बुखार चढा है।
माँ और बापु भी घर पे नहीं है।

देवा;नीलम कहाँ है।

पप्पू;वो भी माँ के साथ गई है उसे चूडियां और पता नहीं क्या क्या लेना था शादी के लिये।

देवा;तू भी चल न ।

पप्पू;नहीं मुझे खेत में काम है समझ ना भाई ।

देवा;हंस देता है और बड़े बड़े कदम भरता हुआ रश्मि के घर पहुँच जाता है।

रश्मी को उसकी चूत की आग इतना सता रही थी की वो सुबह से दो बार अपने बदन पे ठण्डा ठण्डा पानी डाल चुकी थी मगर आग थी की बढ़ती ही जा रही थी।

देवा;घर में चला जाता है और कुन्डी लगा देता है।

वो जैसे ही रश्मि के कमरे में पहुँचता है उसे रश्मि गीले कपडो में लिपटी हुए बिस्तर पे बैठी हुई दिखाई देती है।



देवा;मैंने सुना है तुझे बहुत तेज़ बुखार आया हुआ है।

रश्मी;आया है तुझे क्या । मै जिऊँ या मरु।

देवा;मेरे पास तेरा इलाज है।

रश्मी;मुझे नहीं करवाना तुझसे इलाज जा यहाँ से।

देवा;रश्मि के कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और रश्मि के सुलगते हुई ऑखों में देखते हुए पहले अपना शर्ट फिर पेंट उतार देता है।

रश्मी की ऑंखों के सामने वो था जिसे सोच सोच के वो रात भर सो नहीं पाई थी ।
वो दौड के आती है और देवा की छाती से चिपक जाती है।

देवा;उसे अपने बदन से चिपका लेता है।

रश्मी;ओह्ह देवा मेरे देवा ये तूने क्या सितम ढाया है मुझपे।
देख न ये मेरी सुनती ही नहीं जितना इसे समझाती हूँ उतना मुझे परेशान करती है । रात भर मुझे सोने नहीं नहीं देती इसने। देवा कुछ कर मेरे देवा मुझे मार दे या इसका इलाज कर दे ।

देवा;रश्मि के गरदन को चुमने लगता है।
किसका इलाज कर दूँ रश्मि।

रश्मी;देवा के लंड को अपने नाज़ुक हाथ में पकड़ के उसे अपनी गरम चूत पे घीसने लगती है आहह इसका देवा।

देवा;किसका ।

रश्मी;उन्ह मेरी चूत का ।जिसे तूने कल फाड़ के रख दिया । चोद मुझे आज मै तुझे कह रही हूँ भर दे मेरी चूत के अंदर तक इसे आहहह्ह्ह्हह्ह।
मै मर भी जाऊँ तो रुकना मत तू चोदता जा मुझे। माँ ये लंड मुझे अभी चाहिए मेरे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;रश्मि के गीले कपडे उसके जिस्म से निकाल देता है और उसे निचे बैठा देता है।
मुँह खोल।

रश्मी;अपना मुँह खोल देती है।
और देवा अपने लंड को उसके मुँह में पेल देता है।

रश्मी;बच्चे के तरह अपने उस खिलौने को जिसे वो इस वक़्त सबसे ज़्यादा प्यार करने लगी थी चुस्ने लगती है गलप्प गलप्प।

देवा बिस्तर पे लेट जाता है और रश्मि उसके लंड को निचे से ऊपर तक चाटने लगती है चुसने लगती है। गलप्प गलप्प।



कुछ पलों में ही रश्मि देवा के लंड को चूस चूस के खड़ा कर देती है वो एक हाथ से अपने चूत को भी मसले जा रही थी।

रश्मी;उन्हह चोद ना मुझे आह्ह्हहह जल्दी से देवा आआआआआआआआ।

देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी टाँगें खोल देता है।मगर वो अपना लंड उसके चूत पे लगने के बजाये अपने ज़ुबान से उसकी चूत चाटने लगता है।

रश्मी को ऐसे लगता है जैसे किसी ने ताज़ी जखम पे नमक छिडक दिया हो । वो तिलमिला जाती है अपने दोनों हाथों से अपनी चूचि मसलने लगती है देवा का सर पकड़ के उसे अपनी चूत पे दबाने लगती है।
आह माँ ओह्ह नहीं ।पहले मुझे चोद ले एक बार बस एक बार अंदर डाल दे देवा। उसके बाद जो करना है कर ले देवा।
आह क्यों तड़पा रहा है हाय रे ज़ालिम।

देवा;हटने का नाम नहीं ले रहा था रश्मि की चूत की गर्मी अब उसके दिमाग तक पहुँच चुकी थी वो पागल पन के आखरी मुकाम पर पहुँच चुकी थी।

रश्मी;आहह हरामी कुत्ते साले दम नहीं है क्या तेरे लंड में जो बस चूस रहा है भडवे आहह
मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू कुत्ते की तरह चाटते जा रहा है ।

देवा जान चुका था की लोहा पूरी तरह गरम हो चुका है। अब हथोड़ा नहीं मारा तो गलत हो जायेगा।
वो रश्मि की दोनों टाँगें हवा में उठाके अपने लंड को जैसे ही चूत पे टीकाता है रश्मि ऑंखें बंद कर लेती है।

पर अगले ही पल उसके ऑखें फटी की फटी रह जाती है देवा अपनी पूरी ताकत से से रश्मि की चूत में अपना लंड घुसा देता है अआआहः



रश्मी को जो चाहिये था वो उसके अंदर था । आज रश्मि देवा को पसीने छुड़ाने की ठान चुकी थी वो अपने कमर को जीतना ऊपर उठा सकती थी उतना ऊपर उठाके देवा के लंड का साथ देने लगती है।

देवा;जितनी ताकत से उसकी चूत को अपने लंड से दबाता रश्मि भी उतने ही ताकत से अपनी गाण्ड को ऊपर उठाती।

दोनो में जैसे जंग छिड़ी हुई थी की कौन कितनी ज़ोर से चोद सकता है और कौन कितनी ज़ोर से चुदा सकती है।



देवा;आहह ऐसे चाहिये ना तुझे साली आहह मुझे भड़वा बोलती है देख अब तेरी चूत का क्या हाल करता हूँ आह्ह्ह्ह्ह्।

रश्मी;आह्ह्ह्ह्ह् माँ नहीं रे इतने ज़ोर से आहह धीरे धीरे कर ना आह्ह्ह्ह।

देवा;चुप कर साली रंडी तुझे पता नहीं । मै बिस्तर पर कभी नहीं शरमाता और ना किसी पे रहम करता हूँ आह्ह्ह्ह।

रश्मी;मेरी चूत चीर जायेगी।

देवा;चिरने दे साली बहुत नाटक करती है तू आह्ह्ह्हहः


देवा का उसूल था न धीरे करो और न रहम करो चूत को अंदर तक चोद दो । उस वक़्त वो वही कर रहा था रश्मि की चूत देवा के लंड को अंदर तक लेने लगती है।

चूत के जलन में उसने जो देवा को भड़का दी थी उसी की सजा वो अब भुगत रही थी।

देवा उसकी चूचि को मरोड़ता हुआ अपने लंड को उसकी चूत में किसी पिस्टन की तरह आगे पीछे करने लगता है।

रश्मी;किसी कुतिया की तरह मुँह खोल के चिल्लाने लगती है मगर उस वक़्त उसकी गुहार सुनने वाला वहां न कोई था और न कोई उसे देवा से बचा सकता था।

रश्मी;को उस वक़्त और ज़्यादा दर्द होने लगता है जब देवा चूत मारते मारते अपने लंड का सुपाडा रश्मि की गाण्ड में पेल देता है।



रश्मी की गाण्ड अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वो अपने हाथ से देवा के लंड को पकड़ के झट से गाण्ड से बाहर खीच लेती है और उसे वापस चूत में डाल देती है।


देवा सटासट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।

और देखते ही देखते रश्मि की चूत ढेर सारा पानी छोड़ देती है।
साथ में देवा भी झडने लगता है।

पहली बारिश जिस तरह बंजर ज़मीन पे पडती है। एक भीनी भीनी खुशबु हर तरफ फैला देती है। उसी तरह रश्मि की चूत से बहता देवा का पानी पूरे कमरे में अपनी महक फैला देता है।।

रश्मी देवा के ऊपर चढ़ जाती है और उसके सीने पे दो तीन मुक्के मारते हुए उसके होठो को चुमने लगती है।
 

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