अपडेट 43
रुक्मणी के रूम के बाहर खड़ी रानी अपने रूम में चली जाती है।
रुक्मणी का दिल तो देवा ने तोड़ दिया था मगर उसकी ऑखों में अब भी कुछ सवाल बाकी थे। जिसके जवाब वो देवा से सुनना चाहती थी।
देवा; मैं चलता हूँ मालकिन।
रुक्मणी;रुको मुझे कुछ पूछ्ना है तुमसे।
देवा;पलट के रुक्मणी की तरफ देखता है।
रुक्मणी;देवा के ऑंखों में ऑखें डाल के पूछती है।
तूमने मेरी जान क्यों बचाई।क्या वो भी तुम्हारा कोई नाटक था मेरे क़रीब आने का?
देवा;मुस्कुरा देता है।
मालकिन आपकी जगह कोई भी होता तो मै उसकी भी जान बचाता।
मै आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ।मुझे आपसे कोई बैर नहीं है।
रुक्मणी;नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी हमदर्दी को।
वो अपने अलमारी में से पैसो की एक गड्डी निकाल के देवा के हाथ में रख देती है।
देवा; ये क्या है।
रुक्मणी;तुमने मेरी जान बचाई थी। ये उसकी किमत है।
देवा;तुम मेरी एहसान की कीमत लगा रही हो।
रुक्मणी;मैंने कहा न नहीं चाहिये मुझे तुम्हारा एहसान पैसे लो और निकल जाओ यहाँ से।
देवा;कुछ दिन पहले रुक्मणी के हाथों थप्पड खा चुका था।
वो बात उस ने इसलिए बर्दाश्त कर लिया था क्योंकी उस में उसकी गलती थी मगर आज रुक्मणी ने पैसे दे के देवा का अपमान की थी और देवा एक जवान खून वाला था जो गलती पर अपना सर कटवाना पसंद करता मगर अपना अपमान कभी सहन नहीं कर सकता था।
रुक्मणी;अभी भी देवा के सामने खड़ी थी।
देवा; ये लो आपके पैसे मुझे नहीं चाहिए।
रुक्मणी;देवा के ठुकराये जाने से बुरी तरह अंदर ही अंदर जल रही थी।
उसे देवा का इस तरह उसे ठुकरा देना अपमान लग रहा था।
पैसे लो और दफ़ा हो जाओ तुम गंदे नाली के कीड़े हो जो हर काम के पैसे लेते है । मेरी जान बचाने में भी तुम्हारा कोई मक़सद होगा । अगर कम है तो बोलो और दे दूंगी।
देवा;के हाथ कड़क हो जाते है और वो रुक्मणी को घुर के देखने लगता है।
रुक्मणी;देख क्या रहा है।
देवा का हाथ कड़क हो जाता है और पत्थर के तरह सख्त हाथ से वो रुक्मणी के कनपट्टी पे एक थप्पड जड़ देता है।
रुक्मणी;घूमते हुए बिस्तर पर जाके गिर पडती है।
उसे ऐसे महसूस होता है जैसे किसी ने हथोड़ा उसके मुँह पे मार दिया हो।
देवा;उसके बाल खीच के उसकी गरदन दबा देता है।
मेरी कीमत लगाएगी तू। मैंने तेरी जो जान बचाया उसकी कीमत मुझे देगी।
मुझे तो दुःख हो रहा है की मैंने तेरी जान बचाया।
वो रुक्मणी के बाल छोड देता है।
रुक्मणी;ग़ुस्से में खड़ी हो जाते है और
देवा के बदन से चिपक के उसके होठो को चूमने लगती है।
देवा को झटका सा लगता है उसे रुक्मणी से इस तरह के ब्यवहार की उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
कुछ देर बाद रुक्मणी देवा से अलग हो जाती है।
रुक्मणी; मैं यही सुनना चाहती थी और तेरे हाथ से थप्पड भी मुझे चाहिए था।
उस दिन से मै खुद को कोस रही थी की मैंने तुझे थप्पड क्यों मारा।
आज तूने मुझे मार के मेरे दिल का बोझ हल्का कर दिया।
चल फिकर मत कर तेरे मालिक के आने के बाद मै तेरा काम करने की पूरी पूरी कोशिश करुँगी।
देवा;रुक्मणि के गाल की तरफ देखता है उसके गाल पे देवा की उँगलियों के निशान साफ़ देखे जा सकते थे।
मलकिन आपका गाल तो....
रुक्मणी;अपने गाल पे हाथ फेरते हुए देवा को कहती है।
तूझे मारने के बाद मै इसी की हक़दार थी।
अब तू जा।
देवा;हवेली से चला जाता है और रुक्मणी देवा की दी हुए निशानी पे हाथ मलते हुए मुस्कुरा देती है।
घर लौटते हुए उसे पप्पू दिखाई देता है।
देवा;क्यों बे मुझे बोल रहा था घर में बहुत काम है कहाँ जा रहा है।
पप्पू;माँ ने कुछ सामान लेने को कहा है दुकान से वही लेन जा रहा था।
देवा;भी पप्पू के साथ दुकान की तरफ चलने लगता है
पप्पू गाण्ड मटकाता हुआ देवा के साथ चल रहा था।
देवा;पप्पू बहुत दिन हुए तेरी लिए हुए।
पप्पू;देवा की तरफ देख मुस्कुरा देता है।
देवा;अपना एक हाथ पप्पू के कमर पे लगाके उसके नरम गाण्ड को दबा देता है।
पप्पू; आह्ह्ह्ह उन्हह।
अब तुम्हने रोज़ रोज़ चूत मिलेगी तो इस गरीब की कहाँ याद आयेंगी।
देवा; चूत तो तुझे भी मिल रही है रश्मि की।
पप्पू;अरे चूत से याद आया रश्मि तुझसे मिलना चाहती थी। अकेले में....
देवा;पप्पू की तरफ देख के मुस्कुरा देता है।
कहाँ पर........
पप्पू;हमारे घर के पीछे जो हमने नया रूम बनाया है ना मेरे शादी के लिए वहाँ।
देवा;तेरी माँ...
पप्पू;आधे घंटे के लिए मै माँ को सँभाल लुंगा।
देवा;बेटा अगर तेरी माँ को पता चल गया न तो मुझे जान से मार देगी।
पप्पू;यही बात मैंने रश्मि से भी कहा मगर वो तुझसे मिलने की ज़िद पकड़ बैठी है।
देवा;तेरे बहन है ना जैसे तुझे गाण्ड में चाहिये वैसे उसे भी चूत में चाहिए।
पप्पू;मेरे तो दिन ही ख़राब चल रही है।
देवा;एक थपड पप्पू के गाण्ड पर मार देता है।
कल सुबह खेत में आ जाना।
सूरज फूल की फसल के बीच में तेरी ऐसे लुँगा की तू भी खुश हो जायेंगा।
पप्पू;बुरी तरह शरमा जाता है।
और दोनों दुकान पे पहुँच जाते है।
समान लेने के बाद पप्पू देवा को 7 बजे घर के पीछे मिलने के लिए कहता है।
क्यूंकि उस वक़्त शालु घर के काम में बिजी रहती है और नीलम भी आज कल घरकी रसोई के काम सीख रही थी इसलिए कोई रश्मि की तरफ ध्यान नहीं देने वाला था।
देवा;उससे हाँ बोलके अपने घर चला जाता है।।
शालु के घर काम करने से देवा बहुत थक गया था वो अपने कमरे में जाके लेट जाता है।
रत्ना और ममता भी सोई हुई थी।
देवकी नूतन के साथ शालु की कही गई बात पे चर्चा कर रही थी।
देवा को अपने कमरे में जाता देख देवकी भी उसके पास चली जाती है।
देवा;देवकी को अपने कमरे में आता देख बिस्तर पर से उठने लगता है मगर देवकी उसे लिटा के उसके ऊपर झुक जाती है।
देवा;मामी आज दिन में मस्ती चढ़ रही है क्या।
देवकी;मस्तो तो दिन भर चढी रहती है मुझे।
देवा;अपने मुँह के सामने लटकते हुए आधे से ज़्यादा बाहर को आते देवकी के चूचि पे हाथ रख के उसे दबाने लगता है।
बहुत नरम होते जा रही है मामी।
देवकी;सब तूने तो किया है।
देवा;दिल तो कर रहा है अभी तुझे नंगी करके पेल दुं।
देवकी;अपने होठो से देवा के होंठ गीले करने लगती है। गलप्प गलप्प।
रात होने दे सब कुछ दूँगी।
देवा;देवकी की कमर को पकड़ के अपने ऊपर खीच लेता है।
उसने रत्ना और ममता को सोये हुए देख लिया था। इसलिए वो बेफिक्र था।
अपने हाथों में देवकी की कमर को दबाते हुए वो उसके होठो को चुसे जा रहा था।
तभी वहां नूतन आ जाती है।
नुतन दरवाज़े के पास से देवकी को आवाज़ देती है
माँ।
देवकी;पलट के नूतन की तरफ देखती है मगर बिना जवाब दिए फिर से देवा के मुँह में मुँह डाल देती है। गलप्प गलप्प......
देवा;को सामने खड़ी नूतन साफ़ दिखाई दे रही थी।
वो अपने हाथ से देवकी की साडी को कमर के ऊपर चढ़ा देता है।
देवकी पुरी तरह मस्ती में आ चुकी थी।
उसे कोई परवाह नहीं थी की नूतन पीछे खड़ी सब देख रही है।
देवकी ने लंहगे के नीचे कुछ नहीं पहनी थी जैसे ही देवा उसकी साडी और लंहगा कमर के ऊपर तक उठा लेता है।
नुतन को देवकी की चूत और गाण्ड दिखाई देने लगते है। उसके पेशानी पे पसीने के क़तरे आ जाते है उसके पैर तो जैसे ज़मीन में गड गए थे।
देवा;अपनी एक ऊँगली नूतन को दिखाते हुए देवकी की चूत में डाल देता है।
नुतन को ऐसे लगता है जैसे देवा की ऊँगली उसकी माँ की नहीं बल्कि उसकी चूत में घुस गई हो।
देवकी अपने कमर को हिलाके के चूत के अंदर ऊँगली एडजस्ट कर लेती है और देवा देवकी के होठो को चूसते हुए अपनी ऊँगली सटा सट अंदर बाहर करने लगता है।
देवकी;उन्ह आंह देवा आहह सिसकारियां भरने लगती है।
देवा;कभी कमर पे मारता तो कभी उँगलियों की रफ़्तार तेज़ कर देता । देखते ही देखते देवकी झड़ने लगती है और साथ में नूतन भी अपनी सलवार गीली कर देती है।
नुतन वहां से भाग जाती है।
देवकी;तेरे उँगलियाँ भी कमाल की है मुझे तो लगता था की सिर्फ लंड तेरा कमाल का है।
देवा;नूतन ने सब देख लिया।
देवकी;देखने दे।
अच्छा वो शालु के बेटे के बारे में तुझे जो सुबह पूछी थी।
देवा;पप्पू अरे बहुत अच्छा लड़का है बहुत खुश रखेगा वो अपनी नूतन को।
देवकी; मैं उसे इस घर की बहु बनाना चाहती थी।
देवा; खामोश हो जाता है।
मामी नूतन को मैंने कभी उस नज़र से नहीं देखा उसे तो मै हमेशा अपनी बहन समझता हूँ।
देवकी;और बहन को चोदने के ख्याल से तेरे लंड में खिंचाव भी बहुत आता है।
देवा;ये सब तुम्हारे वजह से। तुम मुझे अपनी चूत नहीं देती तो मै ऐसा कभी नहीं सोचता।
देवकी;चल ठीक है तू कहता है तो मै इस रिशते के लिए तैयार हूँ बस एक बार रामु हाँ कह दे।
देवा;अरे मामी तुम नूतन की फिकर बिलकुल छोड़ दो। वो शालु के घर रहे या इस घर में रहे एक ही बात है। तुम ऐसा समझो की उसकी शादी इसी घर में हो रही है
देवकी; हंस देती है।
मुझे तो पता है शादी पप्पू से होंगी और सुहागरात तू मानाया करेगा नूतन के साथ।
देवा;खुश होके देवकी के होंठ फिर से चूम लेता है।
बाहर से किसी के कदमों की आवाज़ से दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते है।
रत्ना;देवा के कमरे में आती है।
अरे मामी भांजे क्या खीचडी पका रहे है।
देवकी;वही शालु के बेटे के बारे में देवा से पूछ रही थी।
रत्ना;देवकी तुम फिकर क्यों करती हो पप्पू देखाभाला लड़का है।
क्यूं देवा तू तो अच्छी तरह से जानता है ना पप्पू को।
देवा;अपने दिल में सोचने लगता है।
बहुत अच्छी तरह से लंड छोटा गाण्ड बडा।
मै तो मामी को कब से समझा रहा हूँ।
देवकी;ठीक है तुम दोनों कहते हो तो मेरी तरफ से हाँ है।
रत्ना के साथ साथ बाहर खड़ी नूतन के दिल में भी लड्डू फूटने लगते है अब उसे भी जल्द ही लंड का स्वाद मिलने वाला था पप्पू से।
मगर क्या सच में पप्पू से। ये तो सिर्फ वक़्त बता सकता था।
शाम के 7 बजे-
देवा;पप्पू से मिलने का बोलके घर से निकल जाता है।
वो ठीक शालु के घर के पीछे बने कमरे के पास जाके खड़ा हो जाता है।
रात के अँधेरे में उसे कोई देख नहीं सकता था।
कुछ देर बाद उसे दो साये उसकी तरफ आते दिखाई देते है।
वो जब पास आते है तो देवा के चेहरे पे मुसकान आ जाती है।
रश्मी;देवा को देख उससे लिपट जाती है।
बड़ा कमीना है तू मुझसे मिलके भी नहीं गया।
देवा;उसे लेके रूम के अंदर चला जाता है।
तेरी माँ मुझपे नज़र रखे हुए थी इसलिये।
पप्पू;बाहर से दरवाज़ा बंद कर देता है और चौकीदारी करने लगता है।
शालु खाना बना रही थी अचानक उसे याद आता है की रश्मि को दूध पीला दे।ससुराल जाने के बाद पता नहीं उसका कैसे नसीब होगा।
वो नीलम को रोटी पकाने का बोल के रश्मि के रूम में चली जाती है मगर उसे वहां रश्मि नज़र नहीं आती वो नीलम से पूछती है।
नीलम : मुझे वो भाई के साथ जाते हुए देख मैंने पूछी तो बोले नए कमरे में सफाये करने जा रही है मेहमान आयेंगे तो उन्हें वहां रुकायेंगे।
शालु का माथा ठनकता है क्यूंकि कुछ दिन पहले ही उसने और रश्मि ने कमरा साफ़ की थी वो अपने घर के पीछे बने कमरे की तरफ चल देती है।
उसे दरवाज़े पर पप्पू खड़ा दिखाई देता है।
शालु;तू क्या कर रहा है यहाँ और रश्मि कहाँ है।
पप्पू की तो गाण्ड ही फट जाती है शालु को वहां देख के।
माँ वो मै तो रश्मि को मेरा मतलब है मै ऐसे ही आया था।
मुझे नहीं पता रश्मि कहाँ है।
अचानक अंदर से उसे रश्मि की सिसकारियों की आवाज़ सुनाई देती है।
वो पप्पू की तरफ देखती है और उसे घर जाने के लिए कहती है।
पप्पू फ़ौरन वहां से भाग जाता है।
शालु खिडकी में से अंदर झाक के देखती है उसे यक़ीन था की अंदर देवा ही हो सकता है और उसका यक़ीन बिलकुल सही साबित हुआ।
रश्मी अपनी टाँगें खोल के नंगी पड़ी थी और देवा उसकी चूत चाट रहा था।
रश्मी;उन्हह कितना अच्छा चाटता है रे तू देवा आहह पता नहीं मेरा पति ऐसे करेंगे भी की नहीं माँ.....
देवा;अपना मुँह हटा के। वो नहीं करेंगे तो यहाँ आ जाना मेरे पास गलप्प गलप्प......
रश्मी;जल्दी कर कही माँ को पता न चल जाए।
देवा;अपने लंड को रश्मि के मुँह में डाल के गीला करता है। देवा का लंड खड़ा तो उसी वक़्त हो गया था जब रश्मि नंगी हुई थी।
रश्मी अपनी चूत को सहलाने लगती है।
एक बार जो तेरा लंड ले ले उसे बस रोज़ ये चाहिए ही ।
बाहर खड़ी शालु के कानों में उन दोनों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी और शालु का हाथ अपने आप अपनी चूत पे चला जाता है।
देवा; पीछे से रश्मि की कमर को पकड़ के अपने लंड को उसकी चूत पे लगा देता है।
रश्मी;देवा के लंड का सुपाडा अपनी चूत के मुँह में अटका देती है आहह कस के चोद। मुझे बहुत तड़प रही है मेरी चूत।
देवा;एक टाँग पकड़ के अपना लंड रश्मि की चूत में घूस्सा देता है आह्ह्ह्ह्ह।
रश्मी; उईईईईईई माँ वो तेरा लौडा है या मुसल आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;अपने लंड को अंदर तक घूसा घूसा के रश्मि को चोदने लगता है । जवान चिकनी चूत उसे भी बहुत पसंद थी।
शालु की ऑखें उस जग़ह टीक जाती है जहाँ देवा का लंड अंदर बाहर हो रहा था । देवा का लंड अंदर जाने से रश्मि की चीख़ निकल पडती जिससे देवा के लंड की ताकत का अंदाज़ा शालु लगा सकती थी।
रश्मी चीखती रही और देवा उसे चोदता रहा। दोनों बातें नहीं कर रहे थे। बस चुदाई का आनंद ले रहे थे। मगर बाहर खड़ी शालु की चूत की झड़ने लगती है।कितने दिन बाद शालू की चूत की बारिश हुई थी । उसका पति अब उसे चोदने के क़ाबिल नहीं था और उसे समभोग किये बहुत दिन हो गये थे।
रश्मी और देवा दोनों पसीने पसीने हो चुके थे और साथ में शालु भी नहा चुकी थी अपनी ही चूत के पानी में।
उसे यक़ीन नहीं हो रहा था की उसकी अपनी बेटी रश्मि इतनी बडी चूदक्कड निकलेगी।
देवा रश्मि की चूत में से लंड बाहर निकाल देता है और रश्मि को मुँह खोलने के लिए कहता है जैसे ही रश्मि मुँह खोलती है देवा अपने लंड का पानी उसके मुँह में छोड़ने लगता है।
शालु कुछ सोचते हुए वहां से चली जाती है।