Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा और पप्पू दोनों देवा के घर की तरफ चल पडते है।
देवा;क्या बात है बेटा बहुत कलियाँ खिल रही है तेरी। बात क्या है।
पप्पू; बात ही कुछ ऐसी है भाई।
देवा;अब बोल भी दे तेरे पेट में तो कोई बात ज़्यादा देर तक रुकती नहीं चल बता । क्या बात है।
पप्पू;भाई आज न कमाल हो गया।
देवा;क्या।
पप्पू;पहले यहाँ बैठो।
पप्पू देवा का हाथ पकड़ के एक नीम के पेड़ के निचे बैठा देता है।
वो न आज मै माँ के गोद में सोया हुआ था।
पप्पू धीरे धीरे करके देवा को सारी बात बता देता है
देवा;बड़े गौर से पप्पू की बात सुन रहा था और पप्पू के हर शब्द पर देवा के लंड की नसे मोटी होते जा रही थी।
आखीर शालु को तो देवा भी कितने दिनों से पेलना चाहता था मगर जब से शालु ने उसे धमकाई थी उस दिन से देवा की गाण्ड फटी पड़ी थी मगर आज जब पप्पू उसे बड़े चाव से अपने और शालु की बात सुना रहा था तो देवा को भी महसूस होने लगता है की शायद कुछ बात बन जाए।

पप्पू;भाई डर भी बहुत लग रहा है और दिल भी और कुछ करने को उछल रहा है।
बालो न भाई मै क्या करूँ।
देवा;अब्बे डर मत बस धीरे धीरे तेरी माँ के और क़रीब होता जा । तू देख कुछ ही दिनों में वो खुद अपना लंहगा उतार के तेरे पास चलि आएगी।
पप्पू;सच भाई मगर मुझे माँ से डर बहुत लगता है कही उसने मेरी पिटाई कर दी तो.....
देवा;नहीं करेगी बस तू थोड़ा धीरज रख के काम लेना।
जल्दबाज़ी में काम बिगड सकता है उसके बाद तो हर रात अपनी माँ को पेल सकता है अपने इस छोटे से लूल्ली से।
ये कहते हुए देवा अपने हाथ में पप्पू की लूल्ली पकड़ लेता है।
पप्पू;आहह आहह क्या करते हो कही भी शुरू हो जाते हो भाई तुम तो...
देवा;एक बार और पप्पू के लूल्ली मरोड़ के देवा खड़ा हो जाता है।
चल अब चलते है माँ रास्ता देख रही होगी।
पप्पू;तुम जाओ मै घर जा रहा हूँ।
देवा;ठीक है।
और दोनों अपने अपने घर चले जाते है।

देवा;दिल ही दिल में सोच रहा था की साली शालु कितनी छिनाल है मैंने हाथ लगाया तो मुझे धमकी दे रही थी और खुद के बेटे को लाइन दे रही है।
कोई बात नहीं आखिर पप्पू की असलियत तो सिर्फ मै जानता हूँ और जिस दिन शालु को पता चलेगी उस दिन क्या होगा।
वह मुस्कुरा देता है और घर में दाखिल हो जाता है।
रत्ना;आँगन में बैठी भैंस का दूध दुह रही थी।
उसकी साडी जांघो तक चढ़ चुकी थी और भैंस से ज़्यादा बडी बडी उसकी चूचियां सामने की तरफ लटकी हुई थी।
अपनी माँ को इस रूप में देवा ने कई बार देखा था मगर आज पप्पू की बाते सुनने के बाद उसका दिल अपनी माँ को गौर से देखने को कर रहा था।
रत्ना निचे से ऊपर तक कसी हुए औरत थी।
बडे बड़े मोटी मोटी कमर पेट एकदम चिकना मोटे भरे हुए ब्रैस्ट और उस पर सबसे ज़्यादा दिल छू लेने वाले उसके होंठ जो हर दम रस से भरे हुए रहते थे। देवा के बापु की मौत के बाद से किसी ने भी उन्हें पिया नहीं था।
रत्ना को महसूस होता है की कोई उसके पीछे खड़ा है।

वो गरदन घुमा के पीछे की तरफ देखती है।
अरे बेटा आ गया तु।
देवा;हाँ माँ अभी आया हूँ क्या हुआ भैंस दूध नहीं दे रही क्या।
बडी देर से तुम इसकी थन सहला रही हो।
रत्ना;हाँ रे देख न आज कल तो बस सहलाना ही ज़्यादा पडता है।
देवा;रुक जाओ मै सहला देता हूँ।
भैंस का दूध निकालने से पहले उसके थन को तेल से मालिश करना पडता है।
देवा;अपनी माँ के पीछे बैठ जाता है और रत्ना थोड़े आगे की तरफ खिसक जाती है।
रत्ना के हाथ भैंस के थन पर थे। दोनों हाथ तेल से भिगे हुए थे। देवा अपने हाथ पर भी तेल लगा के थनो की मालिश करने लगता है।
पीछे से देवा का लंड शायद रत्ना की गाण्ड के दरार में चूभ रहा था इसलिए वो बार बार आगे की तरफ सरकने लगती है।
देवा;अपने हाथों को रत्ना के हाथों पर रख देता है और उसे थन पे दबाने लगता है।
देखो माँ ऐसे कस के मालिश करने से जल्दी दूध निकलता है।
रत्ना को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे देवा तेल लगा के उसकी चूचियों की मालिश कर रहा है।
हाँ रे तू तो बड़ा अच्छा मालिश करता है मुझे तो आती भी नही।
देवा: मैं हूँ न माँ मेरे होते हुए तुम्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नही।
रत्ना;तेरा ही तो सहारा है बेटा। बस तेरे लिए तो जिए जा रही हूँ मैं।
देवा का लंड पूरे तरह खड़ा हो चुका था और धोती में से उसका नोक सीधा रत्ना के गाण्ड की दरार में चुभने लगता है।
रत्ना;आहह ।
देवा;क्या हुआ माँ
रत्ना;कुछ नहीं शह्ह्ह्ह्ह।
उसकी सिसकारियां बता रही थी की उसे कुछ हो रहा है इससे पहले की देवा और कोई हरकत करता देवकी मामी वहां आ जाती है।

देवकी;अरे देवा किसका दूध निकाल रहा है।
दोनो माँ बेटे चौंक के देवकी की तरफ देखते है।
रत्ना;खड़ी हो जाती है और अंदर चली जाती है।
देवकी और रत्ना का मज़ाक का रिश्ता था। दोनों एक दूसरे से मज़ाक भी बहुत करती थी मगर अकेले में। आज देवकी ने ऐसी बात कह दी थी की दोनों माँ बेटे शर्मा गए थे।
देवा;खड़ा हो जाता है और देवकी के पास आ जाता है
अभी तो भैंस का दूध निकाल रहा था रात में आपका निकालूँगा मामी।
देवकी;हलकी सी चपत देवा के गाल पे मारती है।
जितना दूध निकालना है आज रात निकाल ले क्यूंकि कल हम जा रहे हैं अपने गाँव।
देवा;इतनी जल्दी अभी अभी तो तुम सब आये हो।
देवकी;अरे तेरी मामा का न दिल घर में लगता है और वहां भी तो देखना पड़ेंगा न रामु खेत खलियान सब नौकरों के भरोसे छोड़ के आया है।
देवा का चेहरा उतर जाता है।
देवकी;अरे मेरा राजा बेटा तू चिंता क्यों करता है।
तेरा दिल बेहलाने के लिए कौशल्या को कुछ दिन यहां छोड के जा रही हूँ।
देवा के चेहरे पर कौशल्या का नाम सुन के चमक आ जाती है और वो देवकी के गले लग के दोनों हाथों से ज़ोर से देवकी की कमर को दबाके अलग हो जाता है।
देवकी;बेशर्म कही का चल हाथ मु धो ले।
रात का खाना खाने के बाद सभी ऑगन में बैठे बातें कर रहे थे। सिर्फ नूतन अपने कमरे में लेटी हुई थी देवा उठके अंदर चला जाता है।


नुतन बिस्तर पर बेसुध सोई हुई थी। उसका चेहरा चाँदनी की तरह चमक रहा था। देवा उसके पास जाके बैठ जाता है और झुक के उसके होठो पर अपने होंठ रख देता है।
नुतन उन्हह करके कसमसाके उठ जाती है।
क्या है सोने दो ना भइया।
देवा;इधर उधर देखता है अभी भी बाहर से सभी के हंसने बोलने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। देवा जल्दी से अपनी धोती को निचे गिरा के अपना लंड हाथ में पकड़ लेता है । नूतन की चिकनी चूत की खुशबु सूँघते हुए तो वो यहाँ आया था।
नुतन अब भी ऑखें बंद किये सोई हुए थी । अचानक उसे अपने होठो पर कुछ गरम गरम महसूस होता है वो थोड़े से ऑखें खोल के देखती है और फिर दूबारा बंद कर देती है।
देवा;अपना लंड पकड़ के नूतन के होठो पर फेरने लगता है।
नुतन की चूत चीर ज़रूर गई थी । उसे देवा के लंड की मार से बुखार भी आ गया था मगर चुदाई के ललक उसके दिल में शोर मचा रही थी।
कुछ देर बाद नूतन अपना थोड़ा सा मुँह खोल देती है।

देवा लंड को एक झटका देता है और नूतन का पूरा मुँह खुल जाता है और देखते ही देखते लंड आधे से भी ज़्यादा अंदर चला जाता है।

नुतन अपनी ज़ुबान उस पर फेरती है और ऑखें बंद किये ही उसे चुसने लगती है गलप्प गलप्प।
देवा नूतन का सर पकड़ लेता है आहह चूस ले नूतन सब बाहर हैं कोई नहीं आने वाला आहह । आज रात तेरी गाण्ड भी मारनी है। आह्ह्ह।
नुतन का जिस्म थरथराने लगता है चूत की ठुकाई से तो उसे बुखार आ गया था और अब देवा गाण्ड मारने की बात कर रहा था । मगर डर से नहीं बल्कि जोश में नूतन और गहराई तक देवा के लंड को अपने मुँह में खीच खीच के चूसने लगती है गलप्प गलप्प।
देवा;अपनी गरदन को घुमाके दरवाज़े की तरफ देखता है और ममता को वहां खड़े देख चौंक जाता है।
ममता वहां से निकल के अपने रूम में चली जाती है।
देवा;अपना लंड नूतन के मुँह से निकाल के लुंगी पहन लेता है और ममता के पीछे उसके रूम में चला जाता है।
अंदर जाते ही वो दरवाज़ा बंद कर देता है।
ममता आईने के सामने देवा की तरफ पीठ करके खड़ी थी।
देवा; ममता।
ओ बड़े प्यार से उसका नाम पुकारता हे
ममता;जाओ यहाँ से भैया मुझे आपसे बात नहीं करनी।
देवा;अपने बहन के पास चला जाता है और पीछे से उसे अपनी बाहों में समेट लेता है।
ममता; छोड़ो मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
देवा;क्या हुआ नाराज़ है मुझसे। इधर देख मेरी तरफ वो ममता का हाथ पकड़ के उसे अपनी तरफ घुमा देता है और जो वो देखता है वो देख के उसका दिल धडकना बंद कर देता है।
ममता रो रही थी।
देवा; ये क्या तू रो क्यों रही है।
ममता;कुछ नहीं हुआ मुझे। आप जाओ यहाँ से मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी।
देवा के लिए ये एक बहुत बड़ा धक्का था ममता दिल ही दिल में उसे प्यार कर बैठी थी। इस बात से देवा अन्जान था।
वो सब देख सकता था मगर अपनी बहन की ऑखों में ऑसू नही।
देवा;ममता को अपने चौड़े छाती से लगा लेता है।
मुझे नहीं पता था मेरी बहन मुझसे इतना प्यार करती है।।

ममता सिसक पडती है।
बहुत बहुत बहुत प्यार करती हूँ भइया मै आपसे और जब भी किसी और औरत के साथ आपको देखती हूँ तो मेरे तन बदन में आग लग जाती है आप ऐसा कैसे कर सकते हो।
देवा;अपनी बहन की पेशानी चूम लेता है।
मै भी तुझसे बहुत प्यार करता हूँ क्या करुं वो हमारे मेहमान है और मेहमानो का तो ख्याल रखना पडता है ना।
ममता को देवा की बात सुनके हंसी आ जाती है और वो दो तीन मूक्के देवा की छाती में जड़ देती है जाओ तुम तुम न बड़े वो हो।

देवा के क़रीब ममता इससे पहले कभी नहीं आई थी
उसकी चूचियां देवा की छाती से चिपकी हुई थी और बातों बातों में देवा का एक हाथ ममता की कमर तक पहुँच गया था।
देवा;मुझे भूख लगी है ममता।
ममता; आपने खाना तो खाया ना।
देवा;हाँ मुझे दूध पीना है।
ममता;रुको अभी लाती हूँ।
वो वहां से जाने लगती है मगर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है और अपनी एक ऊँगली उसके ब्रैस्ट(चूची) पर रख के उसकी ऑखों में देखते हुए कहता है मुझे इससे दूध पीना है।

ममता देवा की बात समझ के शरमा के अपना मुँह दूसरी की तरफ मोड लेती है।
देवा आगे बढ़ता है और दोनों हाथों से उसे पकड़ के अपनी तरफ करता है जैसे ही ममता उसकी तरफ अपना चेहरा घुमाती है। देवा अपने होंठ उसके गाल पर रख के चूम लेता है।
ममता; ऑखें बंद कर लेती है भैया उन्हह
काई आ जाएंगा ना।
उन्हह।
देवा इस बार अपने होठो से उसके गाल को चुमता हुआ ममता के होठो तक पहुँच जाता है और जैसे ही दोनों के होंठ आपस में टकराते है एक चिंगारी सी दोनों के बदन में पैदा हो जाती है।
दोनो की ऑखें बंद हो जाती है और होठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
देवा और ममता खुद को हवा में उड़ता महसूस करते है। पहली बार भाई बहन का प्रेम परवान चढा था। ममता जो अपने भाई से बेहद प्रेम करती थी और देवा जो अपनी बहन की खूबसूरती का दिवाना था । आज एक दूसरे के इतना क़रीब होने पर उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था की ये सब सच में हो रहा है।
देवा;अपने हाथों से ममता की कमीज ऊपर सरका देता है और दोनों अनछुई खूबसूरत गुलाबी निप्पल वाली ममता की चुचियाँ देवा के मुँह के सामने आ जाती है।

ममता शरमा के अपने दोनों ब्रैस्ट पर हाथ रख देती है।
देवा दोनों हाथों को वहां से हटा देता है और ममता के कान में धीरे से कहता है।
तूझ पर सबसे ज़्यादा अधिकार मेरा है अगर मुझसे छुपाएँगी तो किसी बतायेगी।
ममता दोनों हाथों को हटा देती है और देवा के सर को कस के पकड़ लेती है सर के बालों को दोनों हाथों में जकडने से देवा के होंठ सीधा ममता के मख़मली ब्रैस्ट से चिपक जाते है और देवा मुँह खोल देता है गलप्प गलप्प।

ममता उन्हह भइया आहह भइया आहह सस्सस्सस्स माँ।
देवा;पागल हो गया था अपनी बहन के निप्पल को देख के । इससे पहले किसी मरद ने इन्हें छुआ तक भी नहीं था । आज ममता कुछ भी मना करने के मूड में नहीं थी। चूत से कतरा कतरा पानी निकल रहा था । चूत के दोनों परदे इतनी ज़ोर से रगड खा रहे थे। जैसे कोई आंधी में कच्चे घर की छत हिलने लगती है।

रात गहरी हो चुकी थी हवेली में सभी सो चुके थे। हिम्मत राव रुक्मणी के पास लेटा हुआ था।

उसे नींद नहीं आ रही थी।
जब रानी और रुक्मणी ने सुबह उसे बिंदिया के बारे में पूछी थी तब तो उसने बता दिया था की ये उसके एक दोस्त की बीवी है और कुछ दिन यह हमारे साथ रहेगी। मगर अब उसे इस बात की चिंता सताए जा रही थी की रुक्मणी और रानी के होते हुए वो बिंदिया को चोदेंगे कैसे और अगर दोनों में से किसी ने उसे बिंदिया के साथ देख लिया तो तब क्या होगा उधर रानी भी अपनी चूत की आग में जल रही थी।
हिम्मत राव एक नज़र अपने बीवी की तरफ ड़ालता है। रुक्मणी सोई हुए थी हिम्मत राव का दिल तो कर रहा था की अभी रुक्मणी का गला घोंट के उसकी जान ले ले । मगर वो मजबूर था अगर रुक्मणी की मौत अचानक हो जाती तो उसकी सारी जायदाद उसके हाथ से निकल जाता। वो तो रुक्मणी को ग़ायब करना चाहता था हमेशा हमेशा के लिए और वो भी बदनाम करके देवा के साथ।
हिम्मत राव उठ के बिंदिया के रूम की तरफ चल पडता है।
बिंदिया को मेहमानखाने में ठहराया गया था।
हिम्मत के जाने के कुछ देर बाद रुक्मणी की आँख खुल जाती है। अपने पति को अपने पास न पा के रुक्मणी परेशान हो जाती है। उनके रूम का दरवाज़ा खुला हुआ था । वो उठके बाहर निकल जाते है बिंदिया के रूम के बती जली हुई थी । रुक्मणी को थोड़ा शक होता है और वो दबे पांव उस रूम के खिडकी के पास जाके रुक जाती है।
खिड़की बंद थी और दरवाज़ा भी मगर खिडकी में एक चीड था उस चीड में आँख लगा के रुक्मणी अंदर झाँकती है और जो उसे दिखाई देता है वो देख उसकी पांव के नीचे की ज़मीन ही खिसक जाती है।

बिंदिया ; आहह मालिक धीरे से चोदो न आह्ह्ह्ह।
 

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