Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा अपने लंड को साफ़ करके बिस्तर पर सोने चला जाता है और कोमल अपनी जलती हुए गाण्ड की दर्द से कराहने लगती है।।
कोमल; हाय ज़ालिम ने ऐसा दर्द दिया है की लेटा भी नहीं जा रहा।
पास में चुप चाप बैठी प्रिया के ऑखों में जैसे खून उतर आया था इतना सब कुछ हुआ था उसकी ऑंखों के सामने मगर देवा ने उसे अपने नीचे लेने की कोशिश भी नहीं किया था।



उधर हवेली में शराब का दौर शुरु था।
विक्रान्त हिम्मत राव की कमज़ोरी जानता था।
एक बार हिम्मत को जी भर के शराब पीला दी जाये उसके बाद वो अपने गाण्ड भी सामने वाले को देने को तैयार हो जाता है।
रानी और रुक्मणी अब तक विक्रांत के सामने नहीं आई थी।
बस खिडकी की आड़ से दोनों ने विक्रांत को देखा था और उसे देख कर दोनों बुरी तरह डर भी गई थी।
विक्रान्त; एक डरावना किस्म की शख्सियत का आदमी था । 6 फिट लम्बा।
जिस्म किसी पहलवान की तरह।
चेहरे पर चाक़ू के घाव का एक निशान था जो झडप में किसी के हाथों चाक़ू लगने से बना था।
विक्रान्त;पैक पर पैक हिम्मत राव को पिलाता जा रहा था और हर बढ़ते पैक के साथ हिम्मत राव और मदहोशी
के आलम में जा रहा था। जैसे जैसे उस पर शराब का नशा चढ़ रहा था वैसे वैसे वो बडबडाने लगा था।
विक्रान्त;सेठ एक बात पूंछू।
हिम्मत;हाँ पूछ ना।
बिक्रान्त;देवा को किस चीज़ से मारना है।
चाकू से गला काटना है या गोली मारना है।
हिम्मत; गोली से नहीं गांव में सबको पता है की सिर्फ मेरे पास बन्दूक है।।आने तो दो उसे....
हरामी को आने तो दो । उसका तो मै वो हाल करुँगा की कोई पहचान भी नहीं पाएंगा उसकी लाश को।
विक्रान्त;इतनी नफरत क्यों है देवा से सेठ।
हिम्मत;उस साले की खानदान से नफरत है मुझे।
उसका बाप एक नंबर का हरामी था । अच्छा हुआ मर गया और सबसे ज़्यादा कमिनी है उसकी माँ रत्ना है। साली मक्खन की तरह है हाथ भी नहीं रखने देती। चिकनी एकदम।
बस देवा इधर मरा। उधर रत्ना मेरी हुई। साली को रस्सी से बाँध कर चोदूँगा देखना तुम विक्रांत।
विक्रान्त;और वो शालु की बेटी का क्या।
हिम्मत;क्या तू भी उस साली पर नज़र डाल बैठा है अरे एक से एक लौंडिया हैं गांव में वही क्यूं।

विक्रान्त;अपुन को एक बार जो चीज़ पसंद आ जाती है वो मुझे चाहिए मतलब चाहिए और अगर वो मुझे नही
मिली ना(वो अपनी बन्दूक निकाल के हिम्मत को दिखाता है)समझो वो गया क्या गया समझो वो।
हिम्मत;अरे साले इसे नीचे रख कहीं चल गई तो।
विक्रान्त;एक ज़हरीली हँसी हँसते हुए।
अभी नहीं चलेगी सेठ अभी वक़्त है।
हिम्मत;क्या मतलब।
विक्रान्त;मतलब ये की तुमने तो कहा था की रात में बिंदिया के साथ मुलाकात करवाएगा और अब खुद पी कर सोने की तैयारी कर रहे हो।


हिम्मत;अरे हाँ देख साला मै भी न नशे में कुछ याद ही नहीं रहता चल तू मेरे साथ।
वो विक्रांत के सहारे से लडख़ड़ाता हुआ बिंदिया के पास आ जाता है।
बिंदिया;पलंग पर साडी पहने लेटी हुई थी।
हिम्मत और विक्रांत को एक साथ देख वो समझ जाती है की क़यामत आने वाली है।
वो अपना पल्लू ठीक करते हुए पलंग पर बैठ जाती है।
हिम्मत;ए बिंदिया वहां क्या बैठी है यहाँ आ मेरे पास।
बिंदिया ;विक्रांत को देखते हुए हिम्मत के पास चली आती है।

चलिये आपने बहुत पी ली है।
और तुम बाहर जाओ इन्हें मै सुला दूँगी।
विक्रान्त; बिंदिया की कमर पर हाथ फेरते हुए
बहुत सती सावित्री बन रही है साली रंडी कहीं की।
मुझे भी सुला दे कभी अपने साथ।
बिंदिया ;ज़बान सँभाल के बात कर।
हिम्मत;चुप साली .....सही कह रहा है वो। जा खुश कर दे मेरे दोस्त को।
हिम्मत धक्का देकर बिंदिया को विक्रांत के पास धकेल देता है।
उस वक़्त बिंदिया को अंदाज़ा होता है की हिम्मत उसे क्या समझता है।
वो बेवकूफ हवेली की मालकिन बनने के सपने देख रही थी मगर हक़ीकत में हिम्मत उसे सिर्फ रात गुजारने के लिए यहाँ लाया था।
बिंदिया ;क्या कहा तुमने। तुमने मुझे समझ क्या रखा है।
इस के साथ सो जा उसके साथ वो कर ले। मै भी एक औरत हूँ।

हिम्मत के दिमाग की नस गरम हो जाती है और वो एक ज़ोरदार थप्पड बिंदिया के मुँह पर जड़ देता है।
और बिंदिया चक्कर खाकर बिस्तर पर जा गिरती है।
हिम्मत;साली रंडी है। रंडी बनकर रह मेरे सर पर मत नाच। देख मत विक्रांत चोद डाल साली को बहुत बातें करने लग गई है ये छिनाल आज कल। इसे इसकी असलियत बतानी ही पडेगी।।

विक्रान्त;आगे बढ़ता है और बिंदिया के बाल पकड़ के उसे खीचता है मगर बिंदिया हिम्मत की बातें सुनकर तिलमिला गई थी। वो विक्रांत को धक्का देकर पीछे की तरफ ढ़केलती है।
बिंदिया ;अपने हाथ दूर रख मुझसे कमीने।
विक्रान्त से रहा नहीं जाता।
साली मुझे गाली देती है। मुझे....
वो अपनी पिस्तोल निकाल के बिंदिया के मुँह में डाल देता है।
अपने मुँह में पिस्तोल के घुसते ही बिंदिया के जैसे होश उड़ जाते है।
आंखेँ फटी की फटी रह जाती है उसे विक्रांत के बारे में पता था की वो बहुत ग़ुस्से वाला इंसान है।
बिंदिया थोडी सँभल जाती है।
विक्रान्त;साली 6 की 6 अभी उतार दूंगा अभी के अभी अब चिल्ला। चिल्ला अब.....
विक्रान्त की आवाज़ सुनकर रानी और रुक्मणी भागते हुए बिंदिया के रूम के पास चली आती है।
हीम्मत;अपने कपडे निकाल देता है और बिंदिया के पास चला आता है।
हिम्मत को देख विक्रांत भी अपनी पेंट खोल के नीचे गिरा देता है।
विक्रान्त;बिंदिया के मुँह से पिस्तोल निकाल लेता है।
साली अगर आईन्दा मेरे सामने ऊँची आवाज़ में बात की न तो याद रख काम ख़तम करने में देरी नहीं करुँगा मैं।
हिम्मत;अब देख क्या रही है रंडी। मुँह खोल और चाट हमारा लंड।


दोनो एक दूसरे को देख हंसने लगते है और बिंदिया अपने हाथों में हिम्मत और विक्रांत का लंड पकड़ लेती है।
खिड़की की आड़ में खड़ी रानी और उसके पीछे खड़ी रुक्मणी विक्रांत और हिम्मत को देख सहम गई थी मगर बिंदिया को देख उन्हें तरस नहीं आ रहा था।
रानी;चलो माँ।
रुक्मणी;उसका हाथ पकड़ के अपने से चिपका लेती है और धीमी आवाज़ में कहती है।
रुक थोडी देर।।
बिंदिया एक एक करके हिम्मत और विक्रांत के लंड को चुसने लगती है।

विक्रान्त;काफी दिनों से बिंदिया पर नज़र गडा कर बैठा हुआ था और आज उसकी दिल की मुराद पूरी हो रही थी।
मगर उसकी नज़रों के सामने उस वक़्त बिंदिया नहीं बल्कि उसे तो नीलम नज़र आ रही थी।
नीलम का वही भोला चेहरा जिसे देख विक्रांत अपना दिल हार बैठा था।
विक्रान्त;बिंदिया को नंगी कर देता है और उसे अपने लंड पर झुका देता है । पीछे से हिम्मत अपनी दो उंगलिया बिंदिया की चूत में घूस्सा कर अंदर बाहर करने लगता है।
अब तक ग़ुस्से में बैठी बिंदिया इस हमले से सिहर उठती है और उसके अंदर की औरत जाग जाती है।

बिंदिया ;आहह हरामी आहह मै तुझे छोड़ूँगी नहीं आहह।
विक्रान्त;साली छोड़ूँगा तो मै तुझे नहीं बहुत नाटक करती है ना तू । आज देख कैसे तेरी चूत सुजा न दूँ तो मेरा नाम भी विक्रांत नही।
हिम्मत का लंड भी तन चूका था वो नीचे लेट जाता है और बिंदिया को अपने ऊपर खीच कर अपने लंड पर बैठा देता है।
बिंदिया; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

हिम्मत;अपने लंड को बिंदिया की चूत पर लगा कर अंदर पेल देता है एक चीख़ के साथ बिंदिया हिम्मत से
चिपक जाती है और हिम्मत नीचे से अपने लंड को बिंदिया की चूत में आगे पीछे करने लगता है।।
थोड़ी ही देर गुज़री थी की बिंदिया पर पीछे से दुसरा ज़ोरदार हमला होता है और वो विक्रांत करता है सटा सट सटा सट वो बिंदिया के चूतडो पर थप्पड़ों की बरसात करने लगता है नीचे से हिम्मत के धक्के और ऊपर से विक्रांत का मरदाना हाथ चूतड़ पर पडने से बिंदिया रोने लगती है मगर उस वक़्त दोनों को उस
बेचारी पर कोई तरस नहीं आता वो बेरहम इंसान उसकी चूतड़ को लाल कर देता है।।
और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे बिंदिया के गाण्ड की सुराख़ पर रगडते हुए अंदर की तरफ ड़ालने लगता है।
बिंदिया;नही आहह मेरी आहह मै मर जाऊँगी आहह।

विक्रान्त;मर जा साली रंडी।तेरे रेहने न रहने से मुझे कोई फर्क नहीं पडता आहह।
विक्रान्त;का विराट लंड बिंदिया की गाण्ड के सुराख़ को चीरता हुआ अंदर और अंदर चला जाता है।
अपने दोनों सुराखों में लंड महसूस करके बिंदिया के ऑंसू भी रुक जाते हैं और वो सिसक सिसक के
रोने लगती है । हर धक्का जानलेवा था बिंदिया को साँस लेने भर की मोहलत नहीं मिलती। जहाँ हिम्मत
नशे में बिंदिया को किसी कुतिया की तरह चोद रहा था वहीँ विक्रांत अपने थप्पड का जवाब
दे रहा था जो कई साल पहले बिंदिया ने विक्रांत को मारी थी।विक्रांत और हिम्मत बिंदिया को किसी गली की कुतिया समझकर चोद रहे थे।

उसकी गांड और चूत एक ही समय में दर्द कर रही थी।विक्रांत गांड मारने के साथ साथ बिंदिया की चूचियों पर भी थप्पड़ मार रहा था।थप्पड़ से बिंदिया की गांड तो पहले ही लाल कर दिया था।बिंदिया को आज अपनी औकात पता चल गई थी।

दोनो अपना अपना ग़ुस्सा बिंदिया पर निकालने रहते है और बाहर खड़ी रानी और रुक्मणी की जवान
चुत में आग भड़क उठती है । ये देख कर की एक औरत दो मरदों के बीच में कैसे दबी हुए चुद रही है।

रुक्मणी;रानी का हाथ पकड़ के उसे अपने रूम में ले जाती है और देखते ही देखते दोनों माँ बेटी पल भर में नंगी हो जाती है।
रानी;माँ बापु उस बेचारी के साथ ऐसा कैसे कर सकते है

रुक्मणी;रानी के होठो को चुमते हुए उसके निप्पल्स को मरोडते हुए।
बिटिया मरद होते ही ऐसे हैं बेरहम । काश कोई मुझ पर भी ऐसे तरस न खाये आह्ह्ह्ह
रानी;अपने दो उंगलिया रुक्मणी की चूत में डाल देती है और दोनों एक दूसरे को चुमते हुए बिस्तर पर गिर जाती है।
रात के 2 बजे तक हिम्मत और विक्रांत बिंदिया को अलग अलग तरह से चोदते हुए हलकान कर देते है।।
तब जाकर उन तीनो की आँख लगती है ।

उधर गांव में प्रिया के चूत जग जाती है।
जब से देवा ने उसकी ऑंखों के सामने उसकी माँ को चोदा था तबसे उसकी ऑंखों से जैसे नींद गायब
हो गई थी । वो काफी देर से करवट बदल रही थी मगर नींद उसकी ऑंखों से नदारद थी।।
आखीरकार वो कुछ सोचते हुए देवा के पास चली जाती है।
देवा;गहरी नींद में सोया था।
प्रिया ;उसके पास जाकर बैठ जाती है और उसके लंड पर से कंबल हटा देती है।।
देवा;नंगा ही सोया हुआ था।
प्रिया;कुछ देर तक देवा के लंड को देखती रहती है और फिर मुस्कुराते हुए उसे अपने हाथ में
पकड़ लेती है। पहली बार किसी मरद के डण्डे को उसने अपने हाथों में लेकर हिलाई थी । उसका तन बदन
काँपने लगता है। एक जवान मरद उसके सामने नंगा सोया हुआ था। वही आदमी जो थोडी देर पहले उसकी माँ को उसकी ऑंखों के सामने चोद चूका था।।
प्रिया;जवान थी कुँवारी थी वो अपने आप को रोक नहीं पाती और झुक कर देवा के लंड को अपने मुँह में ले लेती है गलप्प गलप्प।
अपने लंड पर दबाव महसूस करके देवा जग जाता है
देवा;प्रिया तुम यहाँ।

प्रिया;हाँ देवा मै पागल हो जाऊँगी। मुझे नींद भी नहीं आ रही मुझे कुछ कर देवा मुझे कुछ कर।

देवा की नज़र दरवाज़े की तरफ जाती है और उसे महसूस होता है की कोमल दरवाज़े की आड़ में छुपी हुई सब सुन रही है।।
देवा;नहीं नहीं मै तुझे कुछ नहीं करुँगा तुझे कुछ हो गया तो।
प्रिया;कुछ नहीं होंगा। मुझे कुछ करो ना ....
देवा;मैंने कहा न मै कुछ भी नहीं करने वाला तुझे।
मेरी बहन इस घर में आने वाली है । तू जा यहाँ से वरना मुझे तेरी माँ को आवाज़ देना पडेगा।

प्रिया;हरामी कहीं के अगर तूने मुझे अभी के अभी कुछ नहीं किया न तो मै गांव वालों को बता दूँगी और तेरी बहन कभी इस घर में नहीं आ पाएगी।।
देवा के दिमाग की बती जल जाती है अगर ममता की शादी इस घर में करनी है तो प्रिया का मुँह बंद होना
बाहुत जरुरी था और उसका मुँह एक ही शर्त पर बंद किया जा सकता था उसके मुँह में लंड डाल कर।

उस वक़्त देवा के लंड से अच्छी चीज़ वहां कोई नहीं थी।
देवा;प्रिया की गर्दन पकड़ के उसे अपने लंड पर झुका देता है और उसकी कमर अपने मुँह की तरफ कर देता है । इस तरह दोनों एक दूसरे के लंड और चूत की तरफ घूम जाते है।
प्रिया;अपने मुँह में देवा का लंड लेकर चुसने लगती है और देवा प्रिया की चिकनी चूत को चाटने लगता है गलप्प गलप्प।
देवा;जानता था की अगर उसने प्रिया को चोद दिया तो गलत हो जाएगा। वो अभी कुँवारी थी और अगर वो पेट से हो गई तो उससे उसे शादी भी करनी पड़ सकती है।

देवा;के दिमाग में एक बात बसी हुई थी की चोदो उसी को जो चुदने के बाद अपने गले में टाँगे न डाल दे।
मतलब जिससे शादी न करनी पड़े। पदमा शालु और रश्मि को देवा ने इसलिए चोदा था की वो किसी और की अमानत थी और उन्हें चोदने से उसे उनसे शादी नहीं करने पडती।
देवा;सिर्फ नीलम को अपनी दुल्हन बनाना चाहता था और किसी को नही।
देवा;अपने दाँतो से प्रिया की चूत को कुरेदने लगता है।जवानी की आग में जलती प्रिया चीखने लगती है और कुछ ही पालों में देवा के मुँह पर उसकी चूत से गाढा गाढा पानी निकलने लगता है।

देवा;उसे अपने मुँह पर से हटा देता है और प्रिया अपनी चूत के दाने को सहलाती हुई झड़ने लगती है माँ

मा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

कमला अपने बिस्तर पर से प्रिया को आवाज़ देती है।
प्रिया अरे ओ प्रिया कहाँ गई।
प्रिया;देवा की तरफ देखती है।
देवा;जा तेरी माँ तुझे बुला रही है और प्रिया अपनी माँ कोमल के पास चलि जाती है।
सुबह देवा नहा कर कोमल से मिलने आता है।
उसके साथ देवकी भी थी।
कोमल;दोनों को ऑंगन में बैठा कर चाय देती है।
देवा;काकी मै आज गांव जा रहा हूँ।
हमारे तरफ से ये रिश्ता पक्का समझो और मै चाहता हूँ की नूतन के साथ ही ममता की भी शादी हो जाए
क्यूं मामी।
देवकी;हाँ कोमल। एक बेटी गांव से जाएगी तो दूसरी गांव में आ जाएगी। तुम क्या कहती हो।।
कोमल;अरे भाई मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है भला।
देवा;तो ठीक है आप मामी के साथ अगले हफ्ते गांव आ जाइये वहीँ शादी की तारिख भी पक्की कर लेंगे।
बहन की शादी है बहुत सी तैयारियॉ करनी है।

कोमल;दिल तो तुझे भेजने को नहीं कर रहा मगर जानती हूँ तुझ पर सारी ज़िम्मेदारियाँ है।
देवकी;हाँ देख न जबसे आया था मेरे पास रुका ही नहीं कोई बात नहीं बेटा बहन तेरी यहीं आने वाली है फिर तो रोज़ आना पडेगा तुझे।
देवा;मुस्कुरा देता है।
कुछ देर उनसे बातें करने के बाद देवा कौशल्या से भी मिलकर उसे घर आने का कहकर अपने गांव के तरफ चल देता है।
 
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देवा;अरे नहीं काकी आपको नहीं दूंगा तो फिर किसे दूँगा।

शालु;बडा आया देने वाला चल जल्दी कर कच्ची वाली तोड़ना।

देवा;काकी जो मजा पके चीज़ में है वो कच्ची में कहाँ।

शालु;अच्छा तुझे कैसे पता।

देवा;लो कर लो बात। पके आम को दबा दबा के खाने में कितना मजा आता है।

शालु; बेटा कच्ची चीज़ बहुत मजा देती है चटखारे मारता रह जाता है इंसान।

देवा;मुझे तो पके हुए पसंद है।

शालु;तुझे क्या क्या पसंद है मै अच्छे से जानती हूँ। ज़्यादा बाते न बना चल जल्दी कर।

देवा;काकी जल्दी का नाम शैतान का धीरे धीरे में जो मजा है वो जल्दी में नही।

शालु; देवा को घुरने लगती है देवा की डबल मीनिंग बातें शालु खूब समझती थी।
चल मेरा काम करता है या नही।

देवा; मैं तो कब से तैयार हूँ काम करने के लिए आप ही मुझे बातों में उलझा रही हो चलो इधर आओ ।

शालु;क्या मतलब।

देवा;अरे बाबा मै आपको ऊपर उठाता हूँ आप अपनी मर्जी के कच्ची वाली आम तोड़ लो।

शालु;आगे बढ़ती है और देवा उसे कमर के पास से पकड़ के ऊपर उठा लेता है।

देवा;बहुत भारी हो गई हो तुम काकी।

शालु;बस निकल गया दम बड़ा मरद बनता फिरता है । दो पल तो सँभाल नहीं सकता अपनी जोरु को क्या सँभालेंगा।

देवा;ग़ुस्से में आके शालु को और ऊपर उठा लेता है जिससे शालु की कमर देवा के मुंह के सामने आ जाती है।

शालु;कच्ची कैरिया तोड़ने लगती है और देवा शालु के दोनों मोटे मोटे कमर नहीं बल्कि कमरों को इतने पास से देखने लगता है।

देवा;के मुंह में पानी आने लगता है कल से लंड रह रह के उछाले मार रहा था अचानक उसका मुंह शालु के चूतड़ के बीच के दरार में घुस जाता है।
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शालु;का पूरा जिस्म कांप जाता है हाथ में आये हुए आम नीचे गिर जाते है और वो खुद को किसी तरह सँभाल पाती है।

देवा;फिर से वही करता है वो अपनी नाक को शालु के गाण्ड के ठीक ऊपर लगा के हलके से शालु की मोटी गांड को अपने चेहरे से दबा देता है।

शालु;आहह क्या कर रहा है मै नीचे गिर जाऊँगी।

देवा;जैसे ही अपनी नाक निकलता है शालु उसके हाथ में से फिसल जाती है और शालु धडाम से नीचे गिर जाती है।



शालु;हाय रे सत्यानाश हो जाये तेरा। क्या कर रहा था माँ कितना दर्द हो रहा है मुझे आहः

देवा;घाबराके उसके पैर के पास बैठ जाता है।
दीखाओ मुझे कहाँ लगा है।

शालु;आहह दूर हट मुए।

देवा;काकी देखने तो दो पता तो चले ज़्यादा गहरा मार तो नहीं लगा तुम्हें।

शालु;पैर पकड़ के सिसकने लगती है उसे सच में बहुत दर्द हो रहा था।

देवा;शालू के पंजे को पहले देखता है वहां सब ठीक था फिर धीरे धीरे वो शालु की साडी ऊपर करने लगता है।

शालु;क्या कर रहा है देवा।

देवा;काकी चुप चाप बैठो। देखने तो दो मुझे लगता है तुम्हारे पिडलियों पर चोट लगी है।

शालु;हाय रे मै मर गई माँ आहः

देवा;शालू की साडी घुटने तक चढ़ा लेता है।
गोरी गोरी उसके टाँगे भी साफ़ दिखाई दे रही थी पर ज़्यादा अंदर का देखना नहीं दे रहा था क्योंकी शालु ने अपने हाथ से साडी पकड़ रखी थी।

देवा;हलके हलके शालु की मालिश करने लगता है कुछ देर बाद शालु की हलकी हलकी चीखें सिसकारियों में बदल जाती है।

शालु;हाँ वही आहह वही दर्द हो रहा है।आहः
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देवा;का हाथ शालु के नरम मख़मली जाँघो को टच होने लगता है जिससे बार बार शालु को करेन्ट सा लगने लगता है।

शालु;मुझे घर जाना है ये कह के वो जैसे ही उठती है वापस बैठ जाती है।उसका दरद नाक़ाबिल बर्दाश्त था।

देवा;काकी ऐसा करते है मै आपको गोद में उठाके घर ले चलता हूँ।

शालु;नहीं नहीं मै चली जाऊँगी।
वो एक बार फिर उठने की कोशिश करती है और फिर चीख़ के नीचे बैठ जाती है।

देवा;इस बार शालु से नहीं पूछता वो एक हाथ गरदन के नीचे और दुसरा हाथ कमर के नीचे डाल के फूल से भी हलकी शालु को अपने मज़बूत बाँहों में उठा लेता है।

शालु;गिरने के डर से दोनों हाथ देवा के गर्दन में डाल देती है।

देवा;शालू को इसी तरह उठाके शालु के घर की तरफ चल पड़ता है।
धूप बहुत तेज़ होने के कारण गांव के सभी लोग घरो में या खेतों में थे।

रास्ता एकदम सुनसान था इसलिए शालु को भी किसी के देखने का डर नहीं था।

देवा;के हाथ की उँगलियाँ शालु की कमर को छू रही थी जिससे शालु को नशा सा छाने लगा था । उसे यक़ीन नहीं हो रहा था की देवा उसे इतनी आसानी से उठाके घर ले जा रहा है ।

देवा;काकी तुम बहुत हल्की हो मुझे लगा भारी होंगी।

शालु;अभी तो कह रहा था बहुत भारी हूँ मैं।

देवा;जब मैंने तुम्हें सही तरह से नहीं लिया था न अब सही बता रहा हूँ।

शालु;एक मुक्का देवा के छाती पे जड़ देती है और दोनों शालु के घर पहुँच जाते है।

शालु;अंदर चलके चाय पी'।

देवा;नहीं मुझे हवेली में कुछ काम है ये कह के देवा शालु को कातिल नज़रों से घूरता हुआ हवेली चला जाता है जहाँ रानी और दिल ही दिल में रुक्मणी भी उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
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देवा;जब देवा हवेली पहुँचता है तो उसे बाहर कोई नज़र नहीं आता।
वो ड़रते ड़रते हवेली के अंदर जाने के लिए कदम बढाता है की अंदर से आती पदमा से टकरा जाता है।

पदमा;अंधे हो गये हो क्या देख के नहीं चल सकते।

देवा;काकी वो मैं.....

पदमा;बस बस रहने दो। तुम किसी काम के नहीं हो ।

देवा;कुछ बोलता उससे पहले रुक्मणी वहां आ जाती है रुक्मणी के आते ही पदमा अपना काम करने किचन में चली जाती है।

रुक्मणी;अरे देवा बैठो रानी आती ही होगी।

देवा;नहीं मालकिन मै ठीक हूँ।
आपकी तबियत अब कैसी है।

रुक्मणी: बिलकुल ठीक हूँ।
पसंद आये कपडे तुम्हारे माँ और बहन को।

देवा;हाँ मालकिन बहुत पसंद आई।

कुछ देर बाद रानी भी वहां आ जाती है।
आज उसने इतनी पतली शलवार क़मीज़ पहनी थी की रुक्मणी उसे बोले बिना नहीं रह पाई।

रुक्मणी;बेटी ऐसे कपडे पहन के बाहर जाना ठीक नहीं है।

रानी;मुझे क्या पहनना चाहिए क्या नहीं ये मुझे आपसे सीखने की ज़रूरत नहीं है।बेहतर होंगा आप अपने काम से काम रखे।

रुक्मणी;चेहरे पे हंसी पर दिल में दर्द लिए उन दोनों के पास से उठके चली जाती है।

रानी;चलो देवा चलते है।

देवा;चुप चाप कार स्टार्ट करके उसे रास्ते पे चला देता है।

रानी;क्या हुआ बड़े गुमशूम लग रहे हो।

देवा;नहीं ऐसे कोई बात नहीं मालकिन।

रानी;हम्म वैसे आज बहुत हैण्डसम लग रहे हो तुम।

देवा; हैण्डसम ..वो क्या होता है ।

रानी; हैंडसम मतलब दिलक़श हसीन खुबसुरत।
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देवा;बस बस मालकिन आप तो कुछ भी कहती है।देवा रानी के मुंह से अपनी तारीफ सुनके चने के झाड पे चढने लगा था।

रानी; अच्छा कार रोक दो और मुझे चलाने दो।

देवा;थोडी देर बाद उसे सुनसान रास्ते पर कार रोक देता है और अपने जगह से उठके साइड में जाने लगता है पर रानी उसे वही बैठने को कहती है।

रानी;अरे बाबा तुम वही बैठो । मै तुम्हारे गोद में बैठ के चलाती हूँ। कही मै कार किसी को ठोक दी तो।।

देवा;न चाहते हुए भी रानी को अपनी गोद में बैठाने पे मजबूर था।

रानी;उछल के देवा के गोद में जाके बैठ जाती है।

देवा;के लंड पे झटका लगता है क्यों की रानी बैठने के बाद अपनी गाण्ड देवा के लंड पे आगे पीछे घिस रही थी।

रानी;चलो मै स्टार्ट करती हूँ तुम ऐसा करो एक हाथ से मुझे पकड़ लो और एक हाथ स्टेरिंग पे रख दो ठीक है।

देवा;चुप रहता है उसे ये सब ठीक नहीं लग रहा था पर वो कर भी कुछ नहीं सकता था।
रानी कार स्लो स्पीड में चलाने लगती है और बार बार सामने देखने के बहाने थोड़ा उठ के बैठ जाती है जिससे देवा का लंड कुचलता जाता है।

देवा;आहह मलकिन

रानी;क्या हुआ देव।

देवा;आप एक जगह बैठ के कार चलाओ।

रानी;मुस्कुराते हुए ठीक है। देखो ऐसे ठीक है न।
वो अपनी कमर को देवा के लंड के ठीक ऊपर रख के बैठ जाती है पतली शलवार होने के कारण देवा का लंड सीधा रानी के कमर के बीच में सट के चिपक जाता है।

कार स्लो स्पीड में चलते रहती है और रानी अपनी पीठ को पीछे करते हुए देवा की छाती से चिपका देती है।

देवा;मालकिन आप ऐसा क्यों कर रही है।

रानी;कार रोक देती है और देवा जिस हाथ से रानी का पेट पकडे हुए था उसे अपने हाथ में पकड़ के ब्रैस्ट पे रख देती है।

देवा; झट से हाथ हटा देता है।
:shag: MAST POST
 
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रानी;फिर से देवा का हाथ अपने ब्रैस्ट पे रख के उसे दबाती है जिससे देवा के हाथ में फँसे हुए परी के ब्रैस्ट भी दबने लगते है।

देवा;के लंड में हलचल से होने लगती है मरद खुद को कितना भी कण्ट्रोल रखने के कोशिश कर ले। पर जब सामने वाली खुले आम चूत परोस रही हो तो कौन नहीं बहकना चाहेगा।

रानी;अपना गाल देवा के गाल पे रगडते हुए धीरे धीरे अपनी ब्रैस्ट मसलवाने लगती है।

देवा;मालकिन मालिक मुझे जान से मार देंगे अगर उन्हें पता चला की......

रानी;आहह कुछ नहीं होंगा तुम्हें। जब तक मै हूँ बस तुम आहः

देवा;नहीं नहीं मालकिन ये गलत है और देवा रानी को अपने गोद में से उठाके साइड में बैठा देता है।

रानी को यक़ीन नहीं होता की मछली चारा मुंह में लेने के बाद उगल गई
वो चुप चाप बैठ जाते है और देवा कार हवेली की तरफ दौड़ा देता है।

रास्ते में रानी ज़ोर से चीखती है ।

देवा;घबरा के कार रोक देता है।क्या हुआ मालकिन

रानी; आहह मुझे कोई चीज़ काट रही है आहह माँ लगता है बिच्छु है।

देवा;कहाँ मॉल्किन

रानी;इशारे से अपनी जांघ के पास इशारा करती है।

देवा; हम हवेली चलते है आप को वहां देख लेंगे।

रानी;कैसे इंसान हो तुम मै यहाँ दर्द से मर रही हूँ और तुम मुझे देख भी नहीं रहे मुझे बहुत दर्द हो रहा है आहः

देवा;अपना हाथ रानी के जांघ पे रख के देखने लगता है यहाँ दर्द हो रहा है क्या।

रानी;आहह नहीं ऊपर आहह जल्दी कुछ करो न। माँ.....

देवा;क्या करू क्या करुं

रानी;अरे मेरी शलवार उतार के देखो कही ज़हर न चढ़ जाये मुझे आहः

देवा;नहीं कुछ नहीं होंगा मालकिन आप को। देवा काँपते हाथों से रानी की शलवार का नाड़ा खोल देता है।
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