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WOW NICE UPDATEरानी;झट से अपनी शलवार नीचे उतार देती है और दोनों पैर खोल देती है आहह देखो ।
देवा;झुक के जांघ के आस पास देखने लगता है यहाँ तो कुछ भी नहीं है मालकिन।
रानी;के पतली ट्रांसपेरेंट पेंटी उसकी चूत से एकदम चिपकी हुई थी जिससे चूत के दोनों लिप्स देवा को साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे।
देवा;एक नज़र उस पे डाल के बिच्छु देखने लगता है
बिच्छु था नहीं तो दिखता कैसे।
जब कुछ नहीं दिखता तो देवा रानी के चेहरे को देखने लगता है।
देवा;कुछ भी नहीं है।
रानी;सब कुछ तो है तुम देखो तो सब दिखेंगा
और ये कहते हुए परी अपना हाथ पेंटी के अंदर डाल के अपनी चूत को सहलाने लगती है आहह लगता है वो अंदर चला गया देवा आहः
देवा;समझ जाता है की रानी झूठ बोल रही थी वो बिना कुछ कहे कार हवेली की तरफ बढा देता है।
हवेली पहुँच के देवा जल्दी से कार से उतरता है और बिना रानी को कुछ कहे अपने घर की तरफ चला जाता है।
रानी;उसे आवाज़ देती रह जाते है पर देवा कुछ नहीं सुनता।
देवा रानी को ले के परेशान तो बहुत था पर उसके लंड का बुरा हाल था।
ज़रा ज़रा सी बात पे खड़ा हो जाने वाला देवा का लंड आज कितना ज़ुल्म सहके भी चुप था उसने उफ़ तक नहीं किया था। पर जब वो देवा के पेंट में चिल्ला रहा था वो ज़ोर ज़ोर से देवा से कह रहा था मुझे नरम बिस्तर चाहिए जल्द से जल्द।
देवा;जानता था अगर ये जग गया तो उसे सुलाना बहुत मुश्किल हो जायेगा।वो अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करता हुआ घर की तरफ जाने लगता है की तभी उसे पदमा का ख्याल आता है और वो पदमा के घर के सामने रुक जाता है।
MASTपदमा घर के आँगन में भैंस को चारा खिला रही थी वो सामने देवा को खड़ा देख एक पल के लिए ठिठक जाती है पर अगले हे पल ग़ुस्सा दिखाते हुए घर के अंदर चली जाती है।
देवा;पदमाँ के घर के अंदर चला जाता है।
उसी वक़्त शालु की बेटी रश्मि अपने सहेली के घर से आ रही थी वो देवा को पदमा के घर में जाता देख हैरत में पड़ जाती है।
रश्मी;सोचने लगती है की ये देवा पदमा काकी के घर करने क्या गया है चलो चल के देखती हूँ और वो दबे पांव पदमा के घर के पीछे बनी खिडकी के पास चुप जाती है।यहाँ से उसे पदमा और देवा दोनों साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे।
देवा;घर के अंदर जाके दरवाज़ा बंद कर देता है।
पदमा;दरवाज़ा खोल और चला जा यहाँ से । मैं कही थी न तुझसे यहाँ मात आना। क्यों आया है।
देवा;काकी गलती हो गई थी मुझसे । माफ़ी दे दो काकी आइंदा ऐसी गलती नहीं होंगी।
पदमा: मैं कुछ सुनना नहीं चाहती। निकल मेरे घर से वरना मै गांव वालो को बुलाऊँगी।
देवा;को एक तो पेंट में लंड परेशान कर रहा था। ऊपर से पदमा अलग भाव दिखा रही थी। उसके सबर का प्याला टूट जाता है और वो एक ज़ोरदार थप्पड पदमा के मुंह पे जड़ देता है।
पदमा;दूर जाके गिरती है उसे दिन में तारे नज़र आ जाते है।
देवा;कब से देख रहा हूँ तुझे मै। साली बड़ा भाव खा रही है चल उठ वो उसके बाल पकड़ के उसे खड़ा कर देता है।
पदमा के आँखों में आंसू आ जाते है। निकल जा यहाँ से अभी के अभी।
देवा;चला जाऊँगा पहले कुछ खा पी तो लेने दे।
देवा पदमा के दोनों ब्रैस्ट को अपने हाथो में ले के कस कस के मसलने लगता है और पीछे से उसकी गाँड में अपना लंड चुभाने लगता है।
पदमा;आहह छोड दे हरामी आहह नहीं करने दूंगी तुझे मै कुछ भी आहः
देवा;तू सिर्फ बोल रही है पदमा। मै जानता हूँ तेरी चूत क्या चाहती है ।
पदमा;कुछ नहीं चाहती हूँ मै नहीं करने दूंगी मतलब नहीं करने दूंगी आहह्ह्ह।
WOW PADMA CHUDWANE KO MAAN HI GAI AAKHIRदेवा;पदमा को दिवार से खड़ा कर देता है और उसे पीछे से दबा के खड़ा हो जाता है।फिर वो अपनी पेंट को खोल के नीचे गिरा देता है और साथ में अंडरवियर भी।
पदमा अभी भी नहीं नहीं कर रही थी।
देवा;दोनों हाथों से पदमा के ब्रैस्ट मसलते हुए उसका ब्लाउज एक झटके में फाड़ देता है वो अंदर ब्रा नहीं पहनती थी। दोनों ब्रैस्ट अब सीधे देवा के मज़बूत हाथो में आ जाते है ।
पदमा;के नहीं अब बंद हो चुकी थी वो बस उन्हह आहह करने लगती है।
देवा;उसकी साडी भी खोल देता है और दोनों बिलकुल नंगे हो जाते है।
पदमा;के कमर पीछे की तरफ थी देवा उसमें अपना लंड रगडने लगता है।
पदमा;आहह क्या कर रहा है छोड़ आहः
देवा;बोल अच्छे से देगी या ज़बर्दस्ती करुं।
पदमा;नहीं दूंगी आहह कुछ भी नहीं दूंगी मैं।
देवा;पदमा के बाल पकड़ के अपने लंड पे झुका देता है
खोल मुंह और चूस इसे साली।
पदमा;झट से अपना मुंह खोल के लंड को मुंह में गटक जाती है गलप्प गलप्प।
हलक के अंदर चले जाने की वजह से उसकी साँस घुटने लगती है। देवा अपने लंड को जैसे ही बाहर निकालता है । पदमा झट से उसे फिर से अपने मुँह के अंदर खिंच लेती है। उसे इस सब में बहुत मजा आ रहा था।
पदमा;गलप्प आहह ज़ालिम आग लगा के चला गया था न तो अब नहीं जाने दूंगी । आहह चल चोद ले जितना चोदना चाहता है आहह ।
देवा;पदमा को लिटा के उसके दोनों पैर एक हाथ में पकड़ लेता है और चूत पे लंड रगडता हुआ सट से अंदर पेल देता है।
पदमा;आहह मर गई रे आह.......
WOW MAST CHUDAI UPDATEअपडेट 58
इधर देवा किरण की चूत में अपने लंड को आराम दे रहा था और सामने खड़ी बिंदिया की चूत के साथ साथ गाण्ड भी गरम होती जा रही थी।![]()
किरण तो अपनी चूत को ज़्यादा देर देवा के लंड के आगे सँभाल नहीं पाती और दोनों टाँगें खोल के देवा के लंड पर ही झरने लगती है।
देवा;उसे देखता रह जाता है वो जानता था अब किरण की चूत में वो मजा नहीं आयेंगा।
कसी हुए तनी हुई चूत और पानी छोडी चूत में उसे फ़र्क़ मालूम था।
फचाक की आवाज़ के साथ देवा किरण की चूत से जैसे ही अपना लंड बाहर निकालता है। पीछे से बिंदिया तालियां बजाते हुए कमरे में दाखिल होती है।
बिंदिया;वाह क्या बात है।
एक किसान और एक वैध की बहु क्या गुल खिला रहे हैं वाह।
ये बात तो पूरे गांव को पता चलनी चाहिए।
किरण और देवा दोनों तो पहले बिंदिया की आवाज़ से चौंक जाते है मगर उसके शब्द सुनके उन दोनों के पैरों तले की ज़मीन भी खिसक से जाती है।
किरण;अपने कपडे उठके पहनने लगती है।
बिंदिया ;अरे रहने दो वैध की बहु । अभी गांव वालों को भी देखने दो न की तुम दोनों क्या कर रहे थे।
देवा;क्या मतलब।
बिंदिया: मतलब वतलब छोड लौंडे ये बता की क्या करूँ मै तुम दोनों का बोलो जल्दी।
बिंदिया ;ऐसे देवा और किरण को धमका रही थी जैसे वो किरण की माँ हो।
असल मक़सद उसका इसके पीछे कुछ और था वो देवा को डरा धमका के अपने काबू में करना चाहती थी।
देवा;का लंड अभी भी हवा में झूल रहा था जिस पर से बिंदिया की नज़र नहीं हट पा रही थी।
देवा;जब तूने गांव वालों को सब बताने का सोच ही लिया है तो मै भी कुछ बताना चाहूँगा गांव वालों को और पंचायत में भी।
बिंदिया;क्या बोलेगे तुम।
देवा: मैं तेरे गांव गया था वहां मुझे पता चला की तू धंधा करती है।
रंडी है तू वो भी हिम्मत राव की।
मै भी पंचों से पूछ ही लुँगा की भला एक जागिरदार और रखेल के बीच क्या संबंध है जो तुझे हिम्मत राव ने यहाँ रखा हुआ है और गांव की बहु बेटियों पर तेरे जैसी रखेल के रहने से क्या असर पडेगा।
किरण के चेहरे पर ये सुनके मुस्कान फैल जाती है और बिंदिया के माथे पर पसीने आ जाता है।
बिंदिया कुछ बोल ही नहीं पाती।
देवा;उसके क़रीब आता है और उसकी कलाई मरोड़ते हुए उसे अपने से चिपका लेता है।
बिंदिया ;आहह छोड़ हरामी मुझे आहह दर्द हो रहा है।
देवा;एक बात बता। किरण मुझे बता रही थी की किसी ने रात भर तेरी गाण्ड मार के तुझे पीछे से सुजा दिया है बता ना किस ने । हिम्मत राव ने ना।
बिंदिया ;आहह मै अभी जा के गांव वालों को इकट्टा करते हुए मुझ पर जो इलज़ाम तूने लगाए है ना उनका भी हिसाब किताब मै लुंगी तुझसे।
देवा;बिदिया की गरदन पकड़ लेता है और पूरी ताकत से उसे दबाने लगता है बिंदिया की साँस घुटने लगती है।
किरण;देवा छोड़ दे उसे मर जाएँगी वो छोड दे ना।
देवा;मर जाने से छीनाल को वैसे भी इसके रहने न रहने से हमे क्या।
बिंदिया की ऑंखें बाहर को निकलने लगती है। आज बिंदिया का सामना एक असली मरद से हो रहा था। अब तक अपने चूत के दम पर मरदों से काम करवा के उन पर हुक्म चलाने वाली बिंदिया को एहसास हुआ था की असली मरद होता कैसा है।
देवा;बिंदिया की गरदन छोड देता है और बिंदिया खाँसते हुए पीछे की तरफ गिर जाती है।
बिंदिया: मैं तुझे छोड़ूँगी नहीं उहू उहु ओह्हू।
देवा;अपने लंड को हाथ में लेके उसे सहलाता है।जब गांव निकाला होना ही है तो सोचता हूँ कुछ ऐसा करुं की तुझे मरते दम तक मै याद रहुं।और देवा बिंदिया की गरदन को फिर से पकड़ लेता है। जिसकी वजह से उसका मुँह खुल जाता है और उसी का फायदा उठाके देवा अपना लंड बिंदिया के मुँह में डाल देता है।![]()
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बिंदिया को ना चाहते हुए भी देवा के लंड को चुसना पडता है।
देवा;अब्ब कैसा लगरहा है बिंदिया जी।
बिंदिया ;गलप्प मै तुझे छोड़ूँगी नहीं गलप्प मार डालूँगी मै तुझे आह्ह्ह्ह्ह्।
देवा; अच्छा मार डालेगी न अभी बताता हूँ फिर मै तुझे।देवा किरण की मदद से बिंदिया के कपडे उतारने लगता है बिंदिया लाख कोशिश करती है खुद को देवा और किरण से छुड़ाने की मगर देवा के मज़बूत हाथ बिंदिया को ऐसे दबोच लेते है की बिंदिया कुछ ही पलों में नंगी हो जाती है।![]()
देवा;अपना हाथ बिंदिया की गाण्ड पर रख देता है।
बिंदिया;आहह।
हरामी मत छू मुझे तो उन्ह मै चिल्लाऊंगी आह्ह्ह।
देवा;अगर तुझे चिल्लाना है तो चिल्ला सकती है मगर यहाँ सुनने वाला कोई नहीं है।
देवा;सटा सट सटा सट बिंदिया के नंगे चूतड़ों पर थप्पड़ों की बरसात शुरू कर देता है और बिंदिया बुरी तरह चिल्लाने लगती है गांव के बाहर घर होने से वहां लोग आते जाते नहीं थे।
बिंदिया;हाँफने लगती है।
कमिनी कुतीया साली रंडी मुझसे जबान लड़ाती है।बिंदिया:आहह मार डाला रे माँ मेरी कमर आह्ह्ह।
देवा;बिंदिया को अपने ऊपर झुका लेता है।
बिंदिया ;अपना हाथ अपने चूत पर रख के चूत छूपाने की कोशिश करती है।
मगर देवा इतनी ज़ोर ज़ोर से निप्पल्स को मरोड़ता है की बिंदिया अपना हाथ हटा लेती है और तभी देवा अपना खूँटा बिंदिया की नरम ज़मीन में गाढ देता है।
बिंदिया;उईईई माँ मर गयी रे हरामी।![]()
किरण ऑखें फाड़े ये तमाशा देख रहे थी।
बिंदिया की चूत में शायद इतना बड़ा लंड आज तक नहीं गया था इसलिए वो पगलों की तरह चीख़ रही थी। मगर देवा उसकी चीख़ और बढाता जा रहा था उसके धक्के सीधा बिंदिया की बच्चेदानी से टकरा रहे थे।
बिंदिया जैसे होश खो देती है उसका जिस्म काँपने लगता है वह बोलती है।
माँ वो धीरे कररररर ना रे मार डालेगा क्या।आह नहीं बताऊँगी ना किसी से भी![]()
उईई ऊऊऊई आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;को बिंदिया की चूत में वो मजा नहीं आता। खुली खुली रखेल की चूत में पता नहीं कितने ही लंड आये और गए होंगे।देवा;बिंदिया को खड़ा कर देता है।![]()
बिंदिया;माफ़ कर दे देवा आह्ह्ह्ह।
नही बोलूँगी ना मैं किसी से....
देवा;मुझे परवाह नहीं तू बोल चाहे मत बोल।
मुझे आज तेरी गाण्ड मारनी है।बिंदिया;नहीं नहीं वहां नहीं पहले से मुझे आहह कितना दरद है।मुझे माफ़ कर दे.....![]()
गरम फौलादी लंड अपने गाण्ड की सुराख़ पर महसूस करके बिंदिया की आवाज़ बंद हो जाती है।
बिंदिया ;आहह तेरा बहुत बड़ा है मेरी गाण्ड छोटी है। मर जाऊँगी मै पहले से फटी पड़ी हूँ नही
नही माँ......
देवा;किसकी सुनता था जो वो आज बिंदिया की सुनता।
अपने लंड पर थूक लगा के बिंदिया की सूजी हुई गाण्ड को वो एक ही झटके में फाड़ देता है।
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बिंदिया; मैं मर गई आह गई मर गई।
किरण ले ना इसे तू जानती है ना हां मेरी गाण्ड फट गई है आह्ह्ह्ह।
किरण;देवा निकाल ले बाहर वो नहीं ले पायेगी।
देवा;चुप कर साली वरना इसकी जगह तेरी गाण्ड फटेगी अभी आह्ह्ह्ह।बिंदिया चीखती रही मगर देवा नहीं रुका और सटा सट अपने लंड की तेज़ धार से उसने आखिर कर बिंदिया की गाँड को जगह जगह से फाड़ देता है। खून बाहर गिरने लगता है मगर पागल हो चुके देवा पर उसका भी कोई असर नहीं पडता । उसे हिम्मत राव की हर उस चीज़ से नफरत सी हो गई थी जो उससे जुडी हुई थी।![]()
काफी देर उसी तरह खड़े खड़े गाण्ड मारने के बाद देवा जब बिंदिया की गाण्ड में पानी निकाल के अपना लंड बाहर निकालता है। तब बिंदिया थकान की वजह से और गाण्ड के दर्द की वजह से निचे बैठ जाती है।बिंदिया;माँ कसम आज तक कोई तेरे जैसा नहीं मिला मुझे। मानती हूँ तेरे मर्दांनगी मैं।![]()
मुझे माफ़ कर दे बस मुझे हवेली पहुंचा दे देवा। मै किसी से कुछ नहीं कहुँगी।
देवा;किरण की तरफ देख के मुस्क़ुरा देता है और किरण को अपनी बाहों में लेके चुमने लगता है।
किरण;ठंडा सा लेप फिर से बिंदिया की गाण्ड पर लगा देती है और थोडी देर बाद देवा और बिंदिया हवेली की तरफ चल पडते है।
रास्ते में देवा बिंदिया से पूछता है।
देवा;क्या हुआ चुप चुप क्यों हो।
बिंदिया ;हरामी गाण्ड सुजा के बात करने को बोल रहा है यहाँ ठीक से बैठा भी नहीं जा रहा और तुम हो की....
देवा;क्या करुं पहले बोल देती की किसी से नहीं कहूँगी तो नहीं करता मै ऐसा।
बिंदिया ;मुझे करवाना था न तुझसे ऐसा।
देवा; मुँह खोले बिंदिया को देखने लगता है।
बिंदिया ;देवा को इस तरह देखते हुए ज़ोर ज़ोर से हंसने लगती है।
तूझे क्या लगा मै सच में गांव वालो को बताने वाली थी।
अरे बुध्धू तेरे जैसे कितने लौंडे मुझे पेलने के लिए मरते हैं गांव में।
मगर मै उसी से करवाती हूँ। जो मुझे अच्छा लगता है।
देवा; ट्रेक्टर रोक देता है।
और बिंदिया का हाथ पकड़ के उसे नीचे उतार देता है।
बिंदिया;क्या हुआ क्यों रुक गया।
देवा;मुझे तुझे चोदना है।
बिंदिया; क्या।
पागल हो गया है क्या तु।
चल बाबा हवेली चल।
मुझे नहीं करवाना तुझसे।
देवा;बिंदिया को अपनी बाहों में जकड लेता है और अपने दोनों हाथों से बिंदिया की कमर को सहलाने लगता है।
वो दोनों जंगल के ऐसी जगह थे जहाँ कोई नहीं था। दूर दूर तक किसी की भी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी।
बिंदिया ; मार डालेगा ज़ालिम तू मुझे आहह।
चल ले चल मुझे कहाँ लेगा मेरी।
देवा;बिंदिया का हाथ पकड़ के उसे जंगल के अंदर ले जाता है। वो इस इलाके के चप्पे चप्पे से वाकिफ़ था
दोनो जंगल के अंदर तक पहुँच जाते है और एक सुनसान जगह पर पहुंच के देवा बिंदिया को अपने से चिपका लेता है।
दोनो के होंठ एक दूसरे में जकड जाते है।
बिंदिया का हुस्न देवा के सर पर सवार नहीं हुआ था वो बस बिंदिया के ज़रिये हिम्मत के दिल तक पहुंचना चाहता था।
ताकि उसके दिल में छुपा वो राज़ जान सके।
बिंदिया ;देवा के और देवा बिंदिया के कपडे उतारने लगते है और देखते ही देखते दोनों बिलकुल नंगे हो जाते है।
देवा;एक पत्थर के सहारे से बिंदिया को खड़ा कर देता है
और अपना लंड बिंदिया की चूत पर रगडने लगता हैमगर बिंदिया उसके लंड को हाथ में पकड़ लेती है।![]()
बिंदिया ;आहह वहां नहीं यहाँ।
देवा;दोनों हाथों में बिंदिया के ब्रैस्ट को पकड़ के उन्हें मरोड़ते हुए सट से करके बिंदिया की गाण्ड में अपना मोटा लंड उतार देता है आह्ह्ह।बिंदिया; आह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह अहह उन्हह![]()
बिंदिया ;माँ क्या औज़ार है रे छोरे तेरा आह्ह्ह्ह्ह।
ऐसा लगता है उहँ चीर के रख देंगा तू उई माँ मुझे।देवा; ले न तुझे पीछे से चाहिए न आहह ले साली रंडीईईईईई।![]()
बिदिया; हाँ पीछे से आहह हिम्मत के लंड में वो बात कहाँ जो देवा के लंड में है।
दिवाना बना दिया है तूने मुझे अपने इस औज़ार से आह्ह्ह्ह्ह।
देवा दोनों हाथों में कमर को पकडते हुए दना दन लंड बिंदिया की गाण्ड में पेलने लगता है।![]()
WOW MAST UPDATEअपडेट 59
देवा;दोनों हाथों में बिंदिया की कमर को पकड़ के दना दन लंड उसकी गाण्ड में पेलने लगता है।
बिंदिया;आह मेरी गाण्ड माँ उईइइइइइइ आहह्ह्ह्ह।देवा;चिल्लाती क्यों है तुझे तो लेने का शौक था ना आह्ह्ह्ह साली रंडी।![]()
बिंदिया;आहह मार डाला रे आहह दर्द से नहीं चिल्ला रही हूँ मै आहह ये चीखें उन्हह तू नहीं समझेगा देवा आहह बस तू रुक मत अहह आह्ह्ह्ह्ह।देवा;बहुत छोटी है तेरे गांड। साली हिम्मत राव पेलता नहीं है क्या तुझे ठीक से।![]()
बिंदिया ;आहह वो बूढा क्या मुझे खुश रख पाएंगा उईईईईईई माँ जो बात तुझ में है वो उस में क्या किसी में भी नहीं आ सकती। आहह पूरा जड़ तक घूस्स रहा है मेरी गाण्ड के आह्ह्ह्ह।
मेरी चूचियां मरोड़ते हुए मर मेरी गांड आह्ह्ह्हह आज तक तेरे जैसा मरद नहीं देखा मैंने। आह क्या ताक़तवर जानवर है तू आहह चीर देता है। वो तो मै हूँ अगर किसी कच्ची कली की लेगा तो मर जाएँगी वो तेरे नीचे आके आह्ह्ह्हह्ह।
देवा;तेरी भी गाण्ड कच्ची कली से कम नहीं है बिंदिया।बिंदिया; उईई माँ आहह रुकना मत बस करते जा करते जा आहह आह्हह्हह्हह्हह।![]()
देवा अपने लंड को बिंदिया के गाण्ड के अंदर तक उतार के वही रुक जाता है और बिंदिया के साथ झरने लगता है । थोडी देर बाद जब बिंदिया और देवा की साँसें थमती है तो बिंदिया देवा के होठो को चुमने लगती है।![]()
बिंदिया ;मान गयी देवा तुझे।
दिवानी कर दिया है तूने मुझे।
आज से बिंदिया हिम्मत राव की नहीं तेरी रखेल बनके रहेगी।
देवा;और हिम्मत राव क्या करेंगे फिर।
बिंदिया ;उस हरामी को मुझसे नहीं मेरे जिस्म से प्यार है वो किसी का नहीं हो सकता ।अरे जो अपनी पत्नी को मारना चाहे उस इंसान से भला कैसी हमदर्दी।
देवा;क्या मतलब।
बिंदिया ;देख देवा किसी को बताना मत।
देवा;पक्का नहीं बताउँगा।
बिंदिया ;नहीं नहीं तू बता देगा किसी को।
देवा;अपना हाथ बिंदिया के सर पर रख देता है तेरी कसम नहीं बताऊंगा बोल भी।
बिंदिया ;वो अपनी पत्नी को मारना चाहता है।
और साथ में तुझे भी रास्ते से ख़तम करना चाहता है।
देवा;क्या।
नही नहीं तुम झूठ बोल रहे हो भला वो अपनी पत्नी को क्यों मारने लगे नहीं मुझे विश्वास नहीं होता।
बिंदिया ;अरे मै सच कह रही हूँ।
मुझे भी इसी शर्त पर वो यहाँ ले के आया है।
देवा;मगर तुम मुझे ये सब क्यों बता रही हो।
बिंदिया;सच कहूं देवा।
मुझे तुझसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। हाँ जानती हूँ तू क्या सोचेगा की मै एक रखेल हूँ बातें बनाना जानती हूँ।
देवा;नहीं ऐसे बात नही।
बिंदिया ;हाँ हाँ मुझे सब पता है।
मगर मै हमेशा से ऐसी नहीं थी। एक सीधे साधे किसान की बेटी थी जिस पर हिम्मत राव की बुरी नज़र पड़ गई। शादी तो मेरी होने से रही हिम्मत ने इसी का फायदा उठाके पूरे गांव भर में मुझे मशहूर करवा दिया की मै उसकी रखेल हूँ और कोई उससे शादी न करे।
मै उस दिन बहुत रोई थी मगर उस कमिने ने मुझे झूठे वादे करके फँसा लिया। ये कहके की वो मुझसे एक दिन शादी करेंगा और अपने साथ हवेली में रखेगा मगर मुझे कुछ ही दिन पहले पता चला है की पास के एक गांव में भी चंपा नाम की औरत के साथ वो यही कर चुका है ।
उस दिन मैंने सोच लिया की मै अपनी बर्बादी का बदला हिम्मत राव से ज़रूर लुंगी मगर किस्मत भी देख।
मुझे तू मिल गया।
तेरी भोलेपन को देख के मुझे एक बात तो समझ आ गई की हिम्मत की बूरी नज़र तुझ पर ज़रूर किसी वजह से है भला तूने उसका क्या बिगाड़ा होगा। ये बात मुझे समझ नहीं आई।
देवा;यही बात तो मुझे भी पता करनी है बिंदिया।
बिंदिया ;वो तेरी बडी मालकिन को मारके उसकी जायदाद हड़पना चाहता है और मै जानती हूँ की वो जायदाद मिलने के बाद मुझे भी नहीं पहचानेगा।
देवा;अपने कपडे पहनने लगता है।
चलो देर बहुत हो गई है।
बिंदिया;देख देवा तूने मेरी सर की कसम खाई है ये बात किसी को पता न चलने पाये वरना हिम्मत राव मुझे भी जान से मार देगा उसकी पहुँच बड़े बड़े लोगों में है।
तूझे मेरी कसम है देवा।
देवा;मैंने तेरे सर की कसम खाया हूँ न। बस तुम फिकर मत करो मै ये बात किसी को भी नहीं बताऊँगा। बस किसी तरह मुझे अपने बापू के बारे में पता चल जाए अगर उनके ग़ायब होने के पीछे भी हिम्मत राव हुआ तो बहुत पछतायेगा वो हरामी।
बिंदिया ;तेरे बापू। क्या हुआ तेरे बापू को।
देवा;वो अचानक ग़ायब हो गये थे। हिम्मत राव की हवेली से उसके बाद कभी नहीं आए।
बिंदिया ;ज़रूर इस में भी उस कमिने का हाथ रहा होगा। भोले भाले लोगों को फँसना उसे अच्छी तरह आता है । देख देवा वो बहुत खतरनाक आदमी है उसे ज़रा बच के रहना तुम।
देवा;बचना तो अब उसे मुझसे पड़ेगा । देख लेना तुम अगर तुम्हे कोई बात पता चले तो मुझे ज़रूर बताना।
बिंदिया : मैं आज ही से पता लगाने की कोशिश करती हुए हूँ। क्योंकि शराब पीने के बाद उसे कुछ होश नहीं रहता की वो क्या बोल रहा है। एक दिन शराब पीते पीते ही उसने मुझे चंपा कहके पुकारा था। उसी दिन मेरा माथा ठनका था और मैंने चंपा के बारे में सब कुछ पता लगा ली थी । तेरे बापू के बारे में भी मै ज़रूर पता लगा लुंगी देवा । तू फिकर मत कर बस मेरा ख्याल रखने आ जाया कर हवेली पर।
देवा; हँस पडता है और बातो बातों में वो दोनों हवेली पहुँच जाते है।
जब रुक्मणी देवा और बिंदिया को एक साथ आते देखती है तो जल भून जाती है और चिल्लाते हुए देवा को अपने रूम में आने के लिए कहती है।
देवा;रुक्मणि के रूम में चला जाता है।
हाँ मालकिन आपने बुलाया मुझे।
रुक्मणी;मालकिन के बच्चे कहाँ था तू और क्या कर रहा है उस कमिनी के साथ। मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है ये सब देवा बोल देती हूँ।
देवा;मुस्कराता हुआ रुक्मणी के एकदम क़रीब पहुँच जाता है इतने क़रीब की दोनों की साँसे एक दूसरे से टकराने लगती है तब रुक्मणी को एहसास होता है की उसने क्या गलती की है।
देवा;ईई इधर देखो।
रुक्मणी;सर उठाके देवा की तरफ देखने लगती है।
देवा;क्या बात है एक आवाज़ में सुनने लगी हो तुम तो....
रुक्मणी;क्या है देवा।
देवा;एक बात बताओ मुझे। तुम मुझे एक पत्नी की तरह क्यों डांट रही हो।
बात क्या है।
रुक्मणी;शरमा के धड़कते हुए दिल के साथ अपने गरदन मोड़ देती है। अब वो क्या बताती की देवा मैं तन मन धन से तेरी हो चुकी हूँ।
मुझे तुमसे बात नहीं करनी जाओ यहाँ से।
देवा;सच्ची चला जाऊं । सोच लो एक बार गया तो लौट के नहीं आऊँगा।
रुक्मणी; घरबरा के देवा की तरफ घूम जाती है मैंने ऐसा तो नहीं कहा।
देवा;तो फिर।
रुक्मणी;शरमा जाती है।
उससे कुछ भी कहा नहीं जाता।
देवा;सच बताओ तुम मुझे ऐसे क्यों डांट रही थी मालकिन।
रुक्मणी;सबसे पहली बात की मुझे अकेले में मालकिन मत बोला करो।
दूसरी बात मै नहीं चाहती की तुम उस बुरी औरत के संगत में आके बिगड जाओ। गांव के शरीफ बच्चे हो तुम इसलिये।
देवा;बच्चा...... लगता है इसे दिखाना पड़ेगा तीसरा पांव मेंरा।
उसने ये बात धीमी आवाज़ में कहा था मगर सरगोशी रुक्मणी की कानो तक पहुँच गई थी जिसे सुनके वो बुरी तरह शरमा भी गई थी।
रुक्मणी;क्या कुछ कहा तुमने।
देवा;नहीं नहीं। तो अच्छा मै चलता हूँ रात बहुत हो गई है
रुक्मणी;कल आओगे ना।
देवा;तुम चाहती हो।
रुक्मणी;अपनी नज़रें झुका के..
नही मै तो इसलिए कह रही थी की तुम अपना काम कर सको।
देवा;सच कौन सा काम।
वो खुश होता हुआ रुक्मणी के क़रीब आ जाता है।
रुक्मणी;बड़े बड़े ऑंखें से देवा को देखते हुए।
वही काम जो मैंने तुम्हे करने के लिए कही थी। बिंदिया के बारे में पता लगने का काम।
देवा;ओह्ह वो काम ठीक है। मै कर लूँगा मुझे लगा....
रुक्मणी;क्या क्या लगा तुम्हें।
देवा;कुछ नही।
सर झटकता हुआ देवा रूम से बाहर निकल जाता है और रुक्मणी अपने मुँह में ऊँगली दबाये मुस्कुरा देती है।
रुक्मणी;पगला कही का।
देवा सुबह का घर से निकला था और शाम हो गई थी। उसका बदन दर्द कर रहा था। वो सीधा घर पहुंच के हाथ मुँह धो के खाना खा लेता है और वही कौशल्या और ममता से बातें करता हुआ सो जाता है।
कुछ ही देर में वो गहरी नींद में सो जाता है।
ममता; भाभी भइया तो थक के सो गये।
कौशल्या;अपनी चूत को सहलाते हुए हाँ रे मगर इसका क्या।
ममता;अपनी ज़ुबान बाहर निकाल के होठो पर फेरते हुए कौशल्या से कुछ कहती है और कौशल्या मुस्कुराते हुए ममता का हाथ पकड़ के उसके रूम में चलि जाती है।
सुबह जब देवा की आँख खुलती है तो वो खुद को बहुत तरो ताज़ा महसुस करता है उसे अपने आस पास कोई नज़र नहीं आता तो वो उठके ममता के रूम में देखने चला जाता है और जब वो ममता के रूम में पहुँचता है तो ममता और कौशल्या को बिलकुल नंगी एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए पाता है तो उसे बहुत गुस्सा आता है की रात को इनदोनों ने मुझे जगाया भी नहीं और खुद नंगी मस्ती कर रही थी वैसे भी देवा को तेज पेशाब लगी हुई थी।
देवा कुछ सोच के अपने सारे कपडे उतार देता है।
और अपने लंड को हाथ में पकड़ के सीधा ममता और कौशल्या के मुँह पर पेशाब करने लगता है।पेशाब मुँह पर पडते ही दोनों जग जाती है और उठके बैठने के बजाये मुँह खोल के पेशाब सीधा मुँह में लेने लगती है।
देवा का पेशाब सीधा ममता और कौशल्या के मुँह में छाती पर गिरने लगता है।
पेशाब करने के बाद देवा वही बैठ जाता है और ममता अपने मुँह में का पेशाब कौशल्या के मुँह में उंडेल के उसके होठो को चुमने लगती है। गलप्प गलप्प्प गलप्प्प।![]()
ये देख देवा उन दोनों को अपने पास खीच लेता है
और ममता को दोनों ब्रैस्ट एक साथ पकड़ने के लिए कहता है।
ममता जैसे ही दोनों ब्रैस्ट आपस में पकड़ती है देवा उन दोनों के बीच में अपना लंड घुस्सा देता है।ममता;आहह भइया।![]()
हमारी चूत को प्यासा रख के खुद सो गए थे ना तुम।
देवा;अब जग गया हूँ न बहना। अपनी प्यारी से बहन के चूत की प्यास बुझाने।![]()
देवा;अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है और उसे हाथ में पकड़ के ममता के चेहरे पर रगड़ने लगता है।जैसे ही ममता अपना मुँह खोलती है कौशल्या लपक के देवा के लंड को हाथ में ले लेती है।![]()
कौशल्या;भाभी की चूत का क्या हाँ गलप्प गलप्प।
बिना देरी किये वो देवा के लंड को अपने मुँह में उतार देती है गलप्प गलप्प।ममता;भइया।![]()
देवा;रुक जा भाभी मेहमान है ना।
कौशल्या; लंड को हिलाते हुए देवा आज माँ आने वाली है तेरी। ज़रा कस के गाण्ड में डाल दे मेरी उसके बाद चूत में भी पेल देना रे।देवा; ये सुनके कौशल्या को उल्टा लिटा देता है और पीछे से दोनों टांगों के बीच कौशल्या को लेके अपने लंड पर थूक लगा के सन्न देने से लंड कौशल्या की गाण्ड में उतार देता है।
कौशल्या;मर गई रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।![]()
कौशल्या;आहह देवा मेरे बच्चे के बाप आहह खोल दे मेरी गाण्ड को आह्ह्ह्ह।
बहुत तडपती रहती है तेरे बिना ये उन्हह इसमें बहुत खुजली होती है रे.....देवा;ममता की तरफ देखते हुए कौशल्या की गाण्ड मारने लगता है। उसकी बहन उसके सामने अपनी चूत सहला सहला के उसे बुला रही थी मगर वो भी एक बड़े दिल वाला था। उसे भी अपने भाभी की इच्छा पूरी करनी थी। बिना रुके वो कौशल्या की गाण्ड मारता जाता है।![]()
कौशल्या;की चूत और गाण्ड दोनो रात में ममता ने खूब चाटी थी इसलिए बहुत जल्द उस में चिकनाहट आने लगती है।
देवा;का लंड बडी आसानी से अंदर बाहर होने लगता है।
ममता;उठके कौशल्या के मुँह के पास जाके बैठ जाती है और अपनी दोनों टाँगे खोल देती है।कौशल्या;के मुँह के एकदम सामने ममता की चूत थी वो अपनी ज़ुबान बाहर निकाल के ममता की चूत पर रख देती है।![]()
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कौशल्या;आहह पीछे से भाई का गरम लंड और सामने से बहन की चिकनी चूत चाटने से कौशल्या की चूत पनिया जाती है।
और वो चीखते हुए ममता की चूत के अंदर ज़ुबान घुस्सा देती है।कौशल्या;आहह देवा ज़ोर से हाँ हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह्ह्ह।![]()
एक और जबरदस्त धक्का कौशल्या की चूत से पानी के फुवार निकाल देता है जैसे ही कौशल्या की चूत से पानी निकलता है।
देवा ;उसके गाण्ड से लंड बाहर निकाल लेता है और ममता बिजली की तेजी से देवा के लंड को अपने भाई के लंड को अपने मुँह में ले लेती है।![]()
ममता;गलप्प गलप्प भैया मत दूर रखा करो अपनी बहन को इससे गलप्प गलप्प।
देवा;आहह तेरा ही तो है बहना आहह धीरे कर मुझे दर्द हो रहा है।
ममता;क्यों कल किसी की गाण्ड में डाल के आये थे क्या इसे।
देवा की ऑखें बडी सी हो जाती है मगर वो जल्द ही खुद को सँभाल लेता है।
बहन की चूत से अच्छा भला मुझे कही मिल सकती है आहह क्या।
ममता; जल्दी से चढ़ जाओ मेरे सांड भइया अपनी बहन के ऊपर । आज माँ आने वाली है अगर
उसने देख लिया तो.....
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के पूछता है।
अगर देख ली तो....ममता ;मुझे नहीं पता बस इतना पता है की मुझे ये लंड किसी भी किमत पर चाहिये आखिर बहन का अधिकार है ये आहह माँ।![]()
उह्ह्ह्ह।
देवा;का लंड सीधा ममता की बच्चेदानी से जा टकराता है।
कौशल्या;देवा पानी बाहर निकालना वरना ममता पेट से ना रह जाए मेरी तरह।
ममता;पेट से तो मै भैया के पानी से ही होऊंगी शादी के बाद। करोगे न भाई मुझे पेट से। अपने बच्चे की माँ बनाएंगे ना मुझे।
देवा;हाँ ममता बनाऊँगा न आह्ह्ह्ह।
देवा;अपनी बहन की दोनों टाँगे खोल के लंड को चूत के गहराइयों में उतारता चला जाता है।![]()
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देवा अपनी बहन की चूत में लंड उतार देता है।
ममता;अपने भाई के चेहरे को देखने लगती है उसका मुँह खुला ही रहता है। देवा के ज़ोरदार धक्के उसे साँस लेने भर की भी फुर्सत नहीं दे रहे थे।
ममता;भैया मै बहुत खुशनसीब वाली हूँ जो आप जैसा भाई मुझे मिला है। मै सारी ज़िन्दगी आपके साथ गुज़ार दूंगी भैया उईईईईई माँ।
कौशल्या ;पास में लेटे हुए देवा और ममता को ही देख रही थी।
देवा ने उसकी गाण्ड बुरी तरह सुजा दिया था।
देवा;अपनी रफ़्तार बढा देता है। वो जानता था रत्ना किसी भी वक़्त घर पहुँच सकती है।
नीचे लेटी ममता की चूत पर तो जैसे कहर टूट पड़ा था। देवा दोनों हाथों में कमर को दबोचे सटा सट ममता की चूत में लंड पेलते जाता है और ममता चीखते हुए आखिर कर देवा के लंड पर ही झरने लगती है।
देवा;एक लम्बी चीख़ मारता है उसी वक़्त कौशल्या देवा का लंड हाथ में पकड़ के बाहर खीच लेती है और देवा का गाढा गाढा पानी ममता की जांघ पर चूत के ऊपर गिरने लगता है।तभी बाहर से आवाज़ आती है...
रत्ना;ममता अरे ओ ममता कहाँ है सब के सब।
बाहर से रत्ना की आवाज़ सुनके सभी चौंक जाते है।
ममता;और कौशल्या रूम में भागते है और देवा बाथरूम में।
रत्ना;आँगन में बैठी हुई थी उसके साथ रामु भी आया हुआ था।
थोड़ी देर बाद जब कोई बाहर नहीं आता तो रत्ना घर के अंदर आने लगती है तभी वो कौशल्या से टकरा जाती है।
रत्ना;क्या बहु कहाँ थी तुम, और ममता कहाँ है।
कौशल्या;वो माँ जी ओ......
रत्ना;क्या माँ जी लगा रखी है देवा खेत में गया के नही।
ममता भी अपने कपडे पहन के रत्ना के पास आ जाती है
कौशल्या और ममता की हालत बिगडी हुई थी बाल खुले हुए जिस्म से अजीब सी गंध आती हुई। रत्ना गौर से कौशल्या और ममता को देखने लगती है
रत्ना;कहाँ से आ रही है भागी भागी। क्या कर रही थी अंदर
कौशल्या;रत्ना के पास आती है और धीमी आवाज़ में उससे कहती है।
माँ जी ममता की माहवारी पीरियडस शुरू है।
रत्ना;ओह्ह अच्छा अच्छा जा बाहर रामु बैठा है कितना सामान दे दिया है भाई ने। उठाया भी नहीं जाता। जा ज़रा ले के आजा। देवा कहाँ है?
ममता;माँ भैया नहा रहे है।
रत्ना;अभी उठा है क्या । ज़रा घर से क्या गई सारा घर सर पर उठा रखा है तुम दोनों ने।
रत्ना;बात बढ़ाते हुए देवा के रूम की तरफ चली जाती है और ममता कौशल्या को देख के अपने दिल पर हाथ रख देती है जैसे बोल रही हो की आज तो बाल बाल बच गये।
देवा;नहा के बाहर आता है और अपने रूम में रत्ना को देख मुस्कुरा देता है।
देवा;अरे माँ तुम कब आई।
रत्ना: बस अभी अभी पहुंची हूँ बेटा।
देवा;किसके साथ आई हो।
रत्ना;वो रामु आया है कौशल्या को साथ भी ले जायेगा अपने। अच्छा सुन यहाँ बैठ।
देवा;रत्ना के पास जा के बैठ जाता है।
हाँ माँ क्या हुआ।
रत्ना;अरे एक बहुत अच्छी बात है।
एक लड़का है तेरे मामा के गांव का ही है हरी नाम है उसका । खेती बाड़ी है चार पांच भैंसें भी हैं एकलौता बेटा है अपने माँ बाप का । मै उनके यहाँ चलि गई थी देवकी के साथ। बातों बातों में पता चला वो लोग एक बहु ढूंढ रहे हैं।
देवकी;को तू जानता ही है । उसका मुँह बंद रहता है क्या।
उसने वहां अपने ममता के बातचीत कर दी। वो लोग आने वाले है कल ममता को देखने।
देवा;सच माँ ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाया है तुने।
रत्ना;बस भगवान करे ये रिश्ता जुड़ जाए मै गंगा नहा लुंगी।
देवा;माँ तूने अच्छे से जाँच पड़ताल तो की है ना।
रत्ना;हाँ हाँ सब अच्छे से कर चुकी हूँ तू भी देख लेना और मिलके पता भी लगा लेना लड़के के बारे में और सुन घर पर ही रहना कल वरना चला जायेगा खेत में।
देवा;अपने कपडे पहनने लगता है।
ठीक है तुम चिंता मत करो देख बिचार के दूंगा मै अपनी ममता का हाथ किसी के हाथ में।
देवा; ये कहके बाहर रामु से मिलने चला जाता है।
रामु;खेत का काम मज़दूरों के भरोसे छोड के आया था। उसे घर जाने की बहुत जल्दी थी या फिर शायद कौशल्या को चोदने की। वो कौशल्या को अपने साथ ले जाता है।
और कौशल्या जाते जाते अपने होने वाले बच्चे के बाप को घर आने का बोल जाती है । जाते वक़्त भी उसके ऑखों में ऑसू थे जैसे अपने पति से दूर जा रही हो। ममता बहुत खुश थी ये सोच के की अब रात भर देवा सिर्फ उसे मसलेगा।
देवा;अपने खेत में चला जाता है और रत्ना शादी वाली बात ममता से करती है।
शादी की बात सुनके हर लड़की शरमा जाती है मगर ममता बेचैन सी हो गई थी। वो रत्ना के पास से उठके अंदर चली जाती है और रत्ना ये समझ बैठी है की ममता शरमा गई है।
उधर हवेली में जैसे भूंचाल आने ही वाला था । एक तरफ जहाँ रुक्मणी बिंदिया से परेशान थी वही सबसे ज़्यादा रानी बिंदिया के आने से नाखुश थी।
न हिम्मत राव रानी की तरफ ध्यान दे रहा था और न उसकी प्यासी चूत की उसे कोई परवाह थी जबसे बिंदिया हवेली में आई थी रानी की चूत पर पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी थी।
रानी;हिम्मत राव के पास जाके बैठ जाती है।
रानी;बापू मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
हिम्मत राव;उस वक़्त ऑंखें बंद किये चिलम फूँक रहा था।
वो ऑखें खोल के रानी की तरफ देखता है और वापस अपने चिलम में ध्यान लगा देता है।
रानी;ओफ हो मैंने कुछ कहा है सुनाई दिया की नही।
हिम्मत राव;आवाज़ निचे करके बात कर बोल क्या बात है।
रानी;वो जो आपके साथ आई है आपके दोस्त की बीवी वो और कितने दिन यहाँ रुकने वाली है।
हिम्मत राव;क्यूं।
रानी;नहीं बस मै इसलिए पूछ रही थी की उसके आने से आप बहुत ज़्यादा बदल गए हो मेरे कमरे में दिखाई भी नहीं देते। माँ के साथ ज़्यादा मजा आ रहा है क्या।
हिम्मत राव;रानी की तरफ देखता है और अपने हाथ से रानी की चूत को रगड देता है।
रानी;बापू आहह मत छूओ उसे।
हिम्मत राव;क्यूं तू मेरी जायदाद है मै कुछ भी करुं।
रानी;बस बस देख भाल तो कर नहीं सकते बड़े आये हुकूमत करने वाले हूँहह।
हिम्मत राव;अरे बिटिया मै थोड़ा परेशान हूँ आज कल। इसलिए तेरे पास नहीं आ रहा हूँ बस थोड़े दिन और रहेंगी बिंदिया यहाँ पर उसके बाद सब ठीक हो जायेगा।
रानी;दिल में सोचने लगती है जब तक क्या मै अपने चूत में बैगन डालु क्या। वो हरामी देवा भी माँ के पीछे पीछे घुमता रहता है मूआ। आज कल तो दिखाई भी नहीं देता।
हिम्मत राव;क्या हुआ क्या सोच रही है।
रानी;बुरा सा मुँह बनाके अपने रूम में चली जाती है।
रात घिर जाती है और देवा थका माँन्दा अपने घर लौट आता है । आज उसे पप्पू कही नज़र नहीं आया था।
वो एक पल के लिए उसके घर की तरफ जाने का सोचता है मगर फिर कुछ सोचके अपने घर के अंदर चला जाता है।
रत्ना ममता के साथ रोटियां पका रही थी।
ममता की ऑखें सूजी हुई दिखाई दे रही थी।रत्ना ने ममता से पूछा भी की आँख क्यों सूज गई है मगर उसने कचरा चला गया कहके बात ख़तम कर दी। जब देवा ममता के चेहरे की तरफ देखता है तो बात समझते उसे देर नहीं लगती की बात क्या है।
रत्ना;चल हाथ मुँह धो ले मै खाना लगा देती हूँ।
देवा;माँ तेरे हाथ के खाने की बात ही कुछ और है बहुत याद आती है मुझे तेरी जब तू घर में नहीं होती है ना ममता।
ममता: हाँ....
रत्ना;तू खाना नहीं खाएँगी क्या बडी चुप चुप सी है।
ममता;मुझे भूख नहीं है माँ। ये कहके ममता रूम में चली जाती है।
देवा;खाना ख़तम करके रत्ना के पास बैठ जाता है और इधर उधर की बातें करने लगता है मगर उसका पूरा ध्यान ममता की तरफ ही था।
रत्ना;ममता को आवाज़ देती है जब ममता वहां आती है तो रत्ना उसे बिस्तर लगाने को कहती है और उसका बिस्तर भी साथ लगाने को कहती है।
ममता;अपने भाई देवा की तरफ देखती है बडी आशा भरी नज़रों से। वो देवा से कुछ बात करना चाहती थी मगर रत्ना की मौजूदगी में उसे वो मौका नहीं मिल पा रहा था। ममता अपना और रत्ना का बिस्तर साथ लगा देती है और देवा अपने रूम में चला जाता है। थकान के कारन उसे तो बहुत जल्दी नींद आ जाती है मगर ममता रात भर ऑखों आँखों में निकाल देती है ।
उधर
हवेली में हिम्मत रुक्मणी के सोने के बाद दबे पांव बिंदिया के रूम में चला जाता है। रुक्मणी उस वक़्त तक सोई नहीं थी वो बस देखना चाहती थी की हिम्मत किस हद तक गिरता है।
बिंदिया;अपने रूम में हिम्मत का ही इंतज़ार कर रही थी मगर आज उसकी ऑखों में वो प्यार नहीं था जो हर रात हिम्मत के साथ हुआ करता था।
अब बिंदिया की चूत और गाण्ड पर देवा का क़ब्ज़ा था।
हिम्मत ;बिंदिया को अपनी बाहों में जकड लेता है।
बिंदिया;आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या करते हैं जी आज नहीं। मुझे बहुत दर्द हो रहा है कमर में।
हिम्मत;क्या दर्द हो रहा है तो मै क्या करुं। चल आजा।
बिंदिया ;नहीं ना जी सुनो ना आहह नहीं सुनो आज नही।
हिम्मत राव;चपाट करके एक ज़ोरदार चपत बिंदिया के मुँह पर जड़ देता है तो तुझे मेरा नहीं चाहिए।
बिंदिया;कैसी बात कर रहे हैं आप ये।
हिम्मत;छी साली एक और चपत बिंदिया के मुँह पर पडता है और बिंदिया रोने लगती है।
हिम्मत राव;अपनी लुंगी उतार के लंड बाहर निकाल लेता है और बिंदिया के बाल पकड़ के उसे अपनी तरफ खीचता है ।चल मुँह खोल। साली छिनाल है तू मेरी । तेरा काम है मेरी सेवा करना बदले में तुझे लंड मिलेगा मेरा । चल आ जा।![]()
बिंदिया;हाथ में लंड पकड़ के मुँह में ले लेती है उसे। हिम्मत राव से नफरत सी होने लगी थी घिन आने लगी थी हिम्मत की बातों से मगर वो मजबूर थी![]()
हिम्मत ;अपने लंड को बिंदिया के मुँह में अंदर बाहर करने लगता है।
आह छिनाल साली चल कुतिया बन जा यहाँ मेरे सामने।
बिंदिया;उठके अपनी सलवार उतार के कुतिया की तरह झुक जाती है और हिम्मत पीछे से जाके उसकी कमर पर दो चार और थप्पड जड़ देता है।
बिंदिया;आहह दर्द होता है न जी।
हिम्मत;अपने लंड पर थूक लगाता है और पीछे से बिंदिया की चूत और गाण्ड पर रगडने लगता है।
बिंदिया; ये माँ आहह।
हिम्मत राव; हाय मेरी छिनाल साली आहह।
हिम्मत;का लंड सीधा अंदर घुस जाता है और वो दोनों हाथों में बिंदिया की मोटी मोटी कमर पकड़ के लंड को अंदर बाहर करने लगता है औरत का दिल कहे या ना कहे मगर जब लंड उसके चूत में उतर जाता है तो उसे भी मस्ती चढ़ ही जाती है । बिंदिया का भी वही हाल हुआ था हिम्मत की लंड से उसकी चूत भी रोने लगती है और चिपचिपा सा पानी बिंदिया की चूत से बहने लगता है।
रुक्मणी; बाहर खड़ी अपने पति को देखने लगती है ये नज़ारा उसके लिए नया नहीं था मगर उसे एक बात तो पता चल गई थी की उसके पति को औरत की कोई परवाह नहीं वो बस अपने काम से मतलब रखता है। बिंदिया की चीख़ें
रुक्मणी की चूत को और उकसा देती है और लंड लेने की इच्छा उसकी चूत में और ज़्यादा बढ़ती चली जाती है।![]()
सुबह 7 बजे।
रत्ना;सुबह जल्दी जग गई थी और उसने शालु को भी घर बुला ली थी ममता को तैयार करवाने के लिये।
देवा;भी नहा धोके मेहमानो के इंतज़ार में बैठा हुआ था।
ममता को शालु तैयार तो कर रही थी मगर ममता का पूरा ध्यान देवा की तरफ था।
ममता;काकी देवा भैया को यहाँ भेज दोगी मुझे कुछ काम है।
शालु;अभी भेजती हूँ।
शालु;देवा अरे वो देवा इधर आ ममता को कुछ काम है तुझसे।
देवा;उठके ममता के पास आ जाता है।
हाँ बोल ममता क्या बात है।
रत्ना;अरे देवा तू यहाँ क्या कर रहा है मैंने तुझे मिठाई लाने के लिए कही थी न। लाया तु....
देवा;हाँ माँ मै अभी लाता हूँ।
ममता ;भैयाआआ।
कहते कहते रुक जाती है।
देवा: मैं अभी आता हूँ न ममता।
ये कहके देवा दुकान की तरफ चला जाता है।
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