रात अपने पूरे शबाब पे थी रुक्मणी देवा को गलियां देते हुए आखिर कर अपनी ऊँगली से चूत से पानी निकाल के सो जाती है।
देवा को काफी गहरी नींद लगी हुई थी। उसे अपने जिस्म पे किसी के हाथ घूमते हुए महसूस होता है वो घबराके उठ के बैठ जाता है और पास में किसी को बैठा देख बुरी तरह डर जाता है।
एक ख़ौफ़नाक चीख़ उसके मुँह से निकल जाती है। कौन।
रानी;झट से अपना हाथ उसके मुँह पे रख देती है अरे मै हूँ रानी। चिल्ला क्यों रहे हो।
देवा चैन की साँस लेता है और वापस बिस्तर पे लेट जाता है उसे सच में उस वक़्त बहुत नींद आ रही थी।
मगर रानी की चूत में से तो चिंगारियाँ निकल रही थी।
रानी;उठ ना देवा ।
देवा;सोने दो ना मालकिन।
रानी: मालकिन के बच्चे मुझे ये रोग लगा के खुद चैन से सो रहा है चल उठ जा जल्दी से।
मगर देवा नहीं उठता।
रानी;से ये ज़ुल्म देखा नहीं जाता और वो अपनी नाइटी बदन से निकाल देती है। सिर्फ पेंटी में बैठी रानी सीधा देवा के नंगे जिस्म पे लेट जाती है।
देवा उस वक़्त सिर्फ पयजामे में सोया हुआ था।
रानी;अपने बड़े बड़े चूचि उसके छाती पे घीसने लगती है ये सोच के की इससे देवा उठ जायेंगा मगर देवा टस से मस नहीं होता।
आखीर रानी से रहा नहीं जाता और वो देवा का पैजामा खोल के उसे निचे खीच देती है।
देवा के लंड को भी उस वक़्त बहुत निंद आ रही थी वो भी मुर्झाया हुआ पड़ा था।
रानी;देवा के छाती को चुमते हुए देवा के लंड को हाथ में ले के हिलाने लगती है।
देवा;उन्हह क्या है रानी जा न मुझे सोने दे।
रानी;अपनी पेंटी भी निकाल के फ़ेंक देती है और देवा के मुँह की तरफ अपनी चूत करके 69 के पोजीशन में आ जाती है।
देवा की ऑखें अभी भी बंद थी मगर वो तब पूरी तरह खुल जाती है जब रानी देवा के अण्डकोष(टेस्टिस) को बरे तरह मसलते हुए उसके लंड को मुँह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प......
देवा के लंड में जान आने लगती है और अपने होठो के इतने पास चमकते हुए चूत को देख उसके मुँह में भी पानी आने लगता है वो अपने होंठ रानी की चूत पे लगा देता है और दोनों प्रेमियों के तरह एक दूसरे को चाटने लगते है गलप्प गलप्प..........
देवा;साली तू नहीं सुधरेगी गलप्प गलप्प....
रानी;हाँ नहीं सुधरूंगी मै गलप्प गलप्प....
कुछ देर बाद देवा रानी को कुतिया (डॉगी स्टाइल) में झुका देता है और धीरे से अपने लंड पे थूक लगा के उसे रानी की चिकनी चूत में घुसा देता है।
रानी को बड़ा सुकून मिलता है जब लंड का सुपाडा उसकी चूत के अंदर चला जाता है ।
मगर ये सुकून थोडी देर का था उसकी ऑखें उस वक़्त फटी की फटी रह जाती है जब देवा बिना कुछ बोले अपने लंड का बाकि का हिस्सा एक झटके में अंदर पेल देता है।
देवा; ले साली बहुत आग लगी है ना इसमें आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रानी अपने कमर को आगे की तरफ खीचने लगती है मगर देवा दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ के सटा सट अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घूसाने लगता है।
देवा;आहह तूने सोये हुए कामदेव को जगा के बहुत बडी गलती कर दी आहह्हह्हह्हह्हह।
रानी;आहह चोद मुझे देवा । आहह ऐसे चोदने के लिए तो जगाई हूँ तुझे मैं।
रानी अपने चरम सीमा पे पहुँच चुकी थी। किसी भी वक़्त उसकी चूत पानी की एक धार देवा के लंड पे छोड सकती थी मगर उसे उस वक़्त झटका लगता है जब देवा ठीक वक़्त पे अपने लंड को बाहर खीच के चुदाई बंद कर देता है।
रानी;आहह देवा क्या कर रहा है चोद न रुक क्यों गया। बाहर क्यों निकाल लिया रे।चोद न मै मर जाऊँगी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।
देवा;नहीं चोदूँगा ।
रानी: मैं तेरे हाथ जोडती हूँ पांव पडती हूँ ऐसा ज़ुलम मत कर । दो तीन धक्के मार दे बस आहह रहम खा मुझपे आह्ह्ह्ह्ह् प्लीज्जज्जज्जज्जज्ज देवाआआआआ।
देवा;पहले बता तू मेरे बापू के बारे में क्या जानती है।
रानी;मुझे नहीं पता कुछ भी आह्ह्ह्ह्ह्हहह चोद रे चोद ना ।
देवा;बोल मेरे बापू इस हवेली में काम करते थे और एक दिन अचानक वो ग़ायब हो गये बोल क्या पता है तुझे इस बारे में।
रानी;मुझे नहीं पता सच में नहीं पता माँ जानती होगी। तुझे कितने दिनों से कह रही हूँ माँ को पटा ले। एक बार वो तेरे मुठी में आ गई तो सब कुछ बोल देगी जो तू जानना चाहता है और हमारे सम्बन्ध के बारे में भी किसी को कुछ नहीं बोलेगी।
देवा;तेरी माँ को सब पता होगा।
रानी; हाँ सब पता होगा बापू माँ से कुछ नहीं छुपाते सच कह रही हूँ मै । अब तो डाल दे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;रानी की बात पे यक़ीन करके अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाल देता है और सटा सट उसे चोदने लगता है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सालीईईईईईईई।
रानी;अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए थोडी देर बाद ही झड़ने लगती है आहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्। बड़ा ज़ालिम है तू बीच रास्ते में रोक के भला कोई ऐसा करता है क्या।
देवा भी अपना पानी रानी की चूत की गहराइयों में उंडेल के उसके पास लेट जाता है।
रानी;अपना सर देवा की छाती पे रख देती है। मेरी बात मान माँ को जल्द से जल्द अपने हाथ में ले ले तु।
देवा;तू चिंता मत कर रानी बहुत जल्द तेरी माँ मेरे निचे होंगी और उस दिन उसे सारे राज़ उगलने होंगे।
रानी;देवा के होठो को कुछ देर चुसने के बाद अपने कमरे में चली जाती है और दिल ही दिल में हंसने लगती है। जीस काम के लिए वो देवा को कई दिनों से बोल रही थी वही काम देवा अब खुद अपनी मर्ज़ी से करना चाहता था।
मगर रानी ये नहीं जानती थी की वो इस बाज़ी का एक मोहरा भर है असली चालबाज़ तो कोई और है जो वक़्त आने पर उसे भी रास्ते से हटा देगा।
सुबह देवा को रुक्मणी जगाती है। दोनो की नज़रें मिलती है दोनों शर्म के मारे अपनी पलके झुका लेतें है।
रुक्मणी;चल नाश्ता कर ले।
देवा;नहीं मालकिन मै घर जा के कर लुंगा।
रुक्मणी;नहीं हमारे साथ नाश्ता कर चल जल्दी आ जा।
देवा;सुबह के काम निपटा के रुक्मणी और रानी के पास जाके बैठ जाता है।
रानी;देवा को देख आँख मार देती है और देवा मुस्कुरा देता है।
रुक्मणी;चाय के चुस्की लेते हुए। देवा: तुम शहर कब जाने वाले हो।
देवा;मालकिन सूर्य फूल की कटाई के बाद।
रुक्मणी; अच्छा मुझे बता देना मै भी साथ चलूँगी मुझे भी डॉ के पास से दवायें लेनी है।
देवा;ठीक है मालकिन। देवा कुछ देर बाद अपने घर की तरफ चल देता है।
देवा के घर का रास्ता पदमा के घर के सामने से होकर गुज़रता था।
अपनी धुन में देवा को जाता देख पदमा उसे आवाज़ दे देती है।
पदमा; क्यूँ रे मुये। कहाँ रहने लगा है आज कल दिखाई भी नहीं देता । कही उस वैध की बहु के टाँगों के बीच तो पड़ा नहीं रहने लगा है तु।
देवा का मूड पहले से बहुत ख़राब था हर तरफ से उसे नाकामी ही मिल रही थी ऊपर से पदमा के ताने उसे बर्दाश्त नहीं होते और वो पदमा को धक्का दे के दिवाल से सटा देता है।
साली दो तीन दिन तुझे नहीं किया तो मुझे ताने देने लग गई।
पदमा;उन्हहहहहहहह मुझे तेरी कोई ज़रुरत नहीं है। ये जो तेरे बच्चा मेरे पेट में पल रहा है ना इसे अपने बापू की याद आ रही थी । मुझे बोला माँ माँ बापू कहाँ है कब आयेंगे।
अब जब बच्चा दिया है तो इसका पालन पोषण भी तुझे करना पड़ेगा । रोज़ रोज़ मुझे करेगा तभी तो हट्टा कटा गबरू तेरे जैसा बच्चा जनूँगी मै।
देवा को पदमाँ की बात पे हंसी आ जाती है और वो पदमा के होंठ चूम लेता है। बस थोड़ा काम बढ़ गया है इसलिए नहीं आ रहा हूँ तेरे पास।
पदमा; काम काम बस काम करते रह तू तो थकता नही है क्या।
देवा;अरे हाँ काम से याद आया तू भी तो हवेली में काम करती है । तुझे पता होगा न मेरे बापू के बारे में वो कैसे ग़ायब हो गये।
पदमा: मैं तो वहां बस बर्तन और कपडे धोने जाती हूँ अंदर क्या होता है मुझे नहीं पता वैसे भी हिम्मत राव बड़ा कमीना इंसान है। मुझे तो बहुत डर लगता है उससे। तू भी दूर रहा कर देवा उस कमिने से।
देवा;डर तो उसे लगेगा अब मुझसे। मै चलता हूँ रात में आऊँगा।
पदमा;रुक ज़रा।
पदमा अपने होने वाले बच्चे के बाप को एक बार और अपने होठो की सलामी देती है और फिर उसे जाने देती है। मै इंतज़ार करुँगी।
देवा;जब घर पहुँचता है तो रत्ना उसे ऑगन में झाड़ू मारते मिलती है।
रत्ना;अरे देवा आ गया तू रुक थोडी देर अभी तुझे नाश्ता दे देती हूँ।
देवा;नहीं माँ मै नाश्ता करके आया हूँ। ये कह के देवा अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है। वो अपने कमरे के सामने से गुज़र ही रहा था की उसे ममता के कमरे से खुसुर पुसुर की आवाज़ सुनाई देती है।
वो दरवाज़े के झिरी में से झाक के देखता है और उसकी ऑखें अंदर का नज़ारा देख के फटी की फटी रह जाती है।
अंदर ममता और नूतन बिलकुल नंगी एक दूसरे से चिपके मुँह में मुँह डाले एक दूसरे की चूत पे चूत रगड रही थी।
देवा;को यकिन नहीं होता उसकी बहन ऐसा भी कर सकती है और वो अपने कमरे में चला जाता है।
और थोडी देर बाद जब बाहर आता है तो रत्ना अब भी झाड़ू लगा रही थी मगर अब उसकी साडी का पल्लू उसके कमर में ठुंसा हुआ था वो झुक के झाड़ू लगा रही थी जिससे उसके मोटे मोटे ख़रबूज़े आगे की तरफ झुके हुए थे।
देवा;माँ मै खेत में जा रहा हूँ।
रत्ना;उसी हालत में देवा से बातें करने लगती है। आरे दूध पीके जा ना।
देवा;तुमने गाय का दूध निकाल लिया क्या।
रटीना;नहीं तू निचोड के निकाल ले जल्दी देती है वो तेरे हाथ से।
देवा; सोच में पड़ जाता है। इससे पहले रत्ना ने कभी देवा से ऐसी बातें नहीं की थी।
रत्ना;अरे खड़ा क्या है चल जल्दी कर निचोड के निकाल ले जितना चाहिए तुझे।
देवा;मुझे देर हो रही है माँ मै चलता हूँ और देवा अपने सर को खुजाता हुआ खेत में चला जाता है। आज उसके साथ वो हो रहा था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
एक तरफ ममता और नूतन जो कर रही थी वो देवा ने कभी नहीं देखा था।
और उसकी माँ रत्ना के ये रूप।
मगर इस सब बातों से देवा में एक बदलाब आया था उसका लंड पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।
वो अपनी माँ और बहन के बारे में सोचना बंद करके खेत के काम में लग जाता है।
इधर शालु के घर रश्मि की पहली हल्दी लगाई जा रही थी।
तीन दिन तक लड़की की माँ या बहन दुल्हन को हल्दी लगा के नहलाते थी। यही गांव में रीवाज था।
इसलिए शालु भी रश्मि को हल्दी मल रही थी।
रश्मी;ने एक पतली सी साडी अपने जिस्म पे लपेट रखी थी और नीचे कुछ भी नहीं था।
शालु;रगड़ रगड के रश्मि को हल्दी मलने लगती है।
रश्मी;माँ रहने दो ना मै खुद कर लुंगी। क्या ज़रूरत है इस सब की।
शालु;तेरी सास मुझे ताने देगी। बोलेगी कैसे माँ है बिना हल्दी लगाए तेरी शादी कर दी।
रश्मी;कोई कुछ नहीं कहेगा तुम भी ना।
शालु; अच्छा अच्छा चल अब नहा ले।
रश्मी; मैं खुद नहा लुंगी।
शालु;नहीं मुझे नहलाने दे मुझसे कैसी शर्म बचपन में मै ही तुझे नहलाती थी चल आ जा ।
शालु;ज़बरदस्ती रश्मि का हाथ पकड़ के उसे घर के पीछे बने छोटे से बाथरूम में ले जाती है और उसे नीचे बैठा के उसके जिस्म पे पानी डालके उसे नहलाने लगती है।
रश्मी के उभरते हुए चूचि देख के शालु को थोड़ा बहुत शक उस पे हो गया था बस वो अपने शक को यकिन में बदलना चाहती थी।
रश्मी के लाख मना करने पर भी वो रश्मि की साडी निकाल देती है और जैसे ही उसकी नज़र रश्मि की चूत की तरफ जाती है वो सुन्न पड़ जाती है।
रश्मी की चूत जगह जगह से चीरी हुई थी साफ़ पता चल रहा था की वो बुरी तरह चूदी है।
रश्मी की ऑखें बंद हो जाती है और उसका दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगता है।
शालु;जांघ पे साबुन घिसते घिसते अपनी दो उँगलियाँ रश्मि की चूत में डाल देती है और उसका शक यक़ीन में बदल जाता है।
रश्मी की चूत में शालु के उँगलियाँ बडी आसानी से अंदर तक चली जाती है।
रश्मी के मुह से एक हलकी सी चीख़ निकलती है। मा
और तभी उसके मुँह पे शालु एक ज़ोरदार थप्पड जड़ देती है।
चटाककक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क