Incest हाय रे ज़ालिम................

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रानी;जो मै कहूं जैसे मै कहूं तुझे करना होंगा अगर तूने इन्कार किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होंगा।

ये तुरुप का पता था जिसे सही वक़्त पे रानी ने इस्तेमाल की थी देवा उस के जाल में फँस जाता है।

देवा;ठीक है मालकिन । आपका हर हुकुम मै मानुंगा।

रानी:देखते है।
चल इसे दबा।

देवा;नही।

रानी;अभी तूने क्या कहा जो मै तुझसे कहूँगी तू वो करेंगा। चल दबा मेरे चूचि को।

देवा; धीरे धीरे रानी के ब्रैस्ट मसलने लगता है।

रानी;माँ का दूध नहीं पिया लगता तूने बचपन में । आजा मै तुझे पिलाती हूँ।
ये कहते हुए परी अपने ब्रा को ऊपर खींच के देवा का मुंह अपने ब्रैस्ट पे लगा देती है।
चूस मेरे राजा आहह चूस ले आहः

देवा;बिना कुछ कहे बिना कुछ पूछे परी के ब्रैस्ट को चुसने लगता है गलप्प गल्प।



अचानक देवा के अंदर कुछ होता है और वो रानी से अलग हो जाता है और जल्दी से दरवाज़ा खोल के बाहर निकल जाता है।

रानी;के चेहरे पे एक कातिलाना मुसकान आ जाती है।
वो दिल में सोचते है आज नहीं तो कल देवा मेरे मुठी में ज़रूर होगा।

देवा;जैसे ही रूम से बाहर निकलता है वो पदमा से टकरा जाता है।

पदमा;अरे आराम से कहाँ से भागा चला आ रहा है। चल बडी मालकिन तेरा कब से कार में इंतज़ार कर रही है और ये तू काँप क्यों रहा है।

देवा;अपने गमछे से पसीना पोछते हुए कुछ नही बोलता
और वो कार की तरफ बढ़ जाता है जहाँ रुक्मणी उसका इंतज़ार कर रही थी।

कार में बैठने के बाद वो थोड़ा अच्छा महसूस करता है वरना वहां रूम में तो उसकी साँस घुटने लगी थी।

रुक्मणी;उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखती है।
तूम ठीक तो हो ना देवा।

देवा; जी मालकिन मै ठीक हूँ।
चले।

रुक्मणी;चलो।

और देवा कार शहर के रास्ते पे दौड़ा देता है।
 
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देवा;के जाते ही रानी मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ जाने लगती है की तभी उसकी नज़र आँगन में बैठी पदमा पर पडती है।
वो पदमा को आवाज़ देती है।

पदमा;हाँ बिटिया क्या बात है।

रानी;काकी मेरी पीठ और कमर में बहुत दर्द है ज़रा तेल से मालिश कर दो ना।

पदमा;मै तेल गरम करके तुम्हारे कमरे में लाती हूँ ।

रानी;अपने रूम में चली जाती है। रात की चुदाई से उसका पूरा बदन अकड गया था। जब औरत कस के लेती है तो उसे न अकडन होती है और न दर्द होता है ।
पर हिम्मत राव में अब वो बात नहीं रही थी की औरत की चूत सुजा दे वो तो बस रण्डियों को चोद चोद के ढिला हो चुका था।

कुछ देर बाद पदमा तेल ले के रानी के कमरे में आ जाती है।
बिटिया तुम बिस्तर पर पेट के बाल लेट जाओ मै मालिश कर देती हूं।

रानी;नहीं काकी बिस्तर ख़राब हो जाएगा। मुझे पूरे बदन की मालिश करवानी है ऐसा करते है यहाँ टॉवल बिछा देते है ।

और रानी;एक टॉवल नीचे बिछा देती है और अपने सारे कपडे निकाल देती है।

पदमा;पहली मर्तबा रानी को इस तरह देख रही थी। उसकी आँखें रानी के जिस्म से हट नहीं रही थी । रानी थी ही इतनी खूबसूरत । गोल गोल भरे भरे ब्रैस्ट साफ़ चिकनी चूत।

रानी;काकी तुम तो ऐसे मुझे देख रही हो जैसे ये सारा सामान तुम्हारे पास नहीं है।हेहेहेहेहेहेह

पदमा;शरमा जाती है।
नही बिटिया कैसे बात कर रही हो चलो तुम लेट जा ना।

रानी;लेट जाती है और पदमा उसके सारे शरीर पे तेल डाल देती है पहले गर्दन के और उसके बाद नीचे ब्रैस्ट के पास जैसे ही पदमा के हाथ पहुँचते है रानी की ब्रैस्ट और निप्पल्स दोनों फुलने लगते है।
 
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रानी;काकी तुम्हारे हाथ में तो जादू है ज़रा अच्छे से मालिश करो न दबा के । आह।

पदमा;समझ जाती है की रानी क्या चाहती है
वो दिल ही दिल में मुस्कुराते हुए धीरे धीरे पेट के फिर जांघों की तरफ बढ़ती है।



रानी;अपनी आँखें बंद कर लेती है ।
क्योंकी पदमा के हाथ अब रानी के जांघ के अंदरुनी भाग तक पहुँच चुके थे।

जैसे जैसे पदमा के हाथ आगे बढ़ते है वैसे वैसे रानी अपने पैर खोलती चली जाती है।



रानी;आहह काकी क्या कर रही हो आहह ।

पदमा; बिटिया यहाँ दर्द हो रहा है न।

रानी; काकी नहीं ना आह्ह्ह्ह्ह्।

पदमा;के हाथ रानी की चूत और गाण्ड को बुरी तरह मसल रहे थे।
असल बात तो ये थी की जहाँ रानी का जिस्म कम चुदाई से अकड़ गया था वहीँ पदमा की चूत सुज गई थी देवा के ज़ालिम लंड से।
और जब चूत वाली किसी चूत की मालिश करती है तो बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है।


पदमा;एक बात कहूं बिटिया।

रानी;आहह हाँ बोलो न काकी।

पदमा;तेरी चूत बहुत सूजी हुई लग रही है।

रानी;पता नहीं काकी वो तो हमेशा ऐसे ही रहती है आह।

पदमा;को अचानक पता नहीं क्या हो जाता है और वो अपनी दो उँगलियाँ रानी की चूत में घुसा देती है।

चूत की आग से परेशान रानी जब अपनी चूत में पदमा की उँगलियाँ महसूस करती है तो उसके ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह जाती है वो पदमा को रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पाती और पदमा धीरे धीरे अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करती रहती है।
 
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रानी;आहह काकी और ज़ोर से आहह ज़ोर से अंदर आहः

पदमा;रानी को सीधी लेटने को कहती है और रानी जैसे ही करवट बदलती है ।
पदमा;उसके दोनों पैर हवा में उठा देती है।

पैरों का उठना था की पदमा की नाज़ुक नाज़ुक उँगलियाँ फिर से रानी की चूत के अंदर तक चली जाती है।



रानी;चिल्लाने लगती है।आहह घूसा दे काकी आहह निकलने दे सारा पानी आहह क्या कर दिया है तूने काकी आह।

पदमा;की ऑंखें भी बंद हो जाती है।उसके ऑंखों के सामने रात का मंज़र आ जाता है। जब देवा उसे उल्टा करके सटा सट उसकी गाण्ड मार रहा था।

दोनो अपने अपने खयालो में खो जाती है।

रानी;की चूत से पानी की एक तेज़ धार बाहर निकल पडती है।

क़ितने दिनों के बाद आज रानी की चूत से असली जवाला मुखी फटा था ।

कितनी ही देर वो ऐसे ही पड़ी रहती है।

पदमा;वहां से जा चुकी थी क्युंकी उसकी चूत भी जवाब दे चुकी थी।

वो कपडे बदलने के लिए अपने घर चली जाती है।

इधर देवा कार डॉ साहब के क्लिनिक के पास रोक देता है ।
पुरे रास्ते दोनों चुपचाप न रुक्मणी ने कुछ कहा और न देवा ने कोई बात किया।

वो दोनों क्लिनिक के अंदर पहुँचते है।क्लिनिक में एक चेयर के ऊपर एक लड़का बैठा हुआ था वो रुक्मणी को पहचानता था वो फ़ौरन बोल पड़ता है।
की डॉक्टरनी अपनी पति के साथ दूसरे गांव गई हुई हैं।वो 2 दिन बाद आयेंगे।

ये डॉ हिम्मत राव की पालतू कुतिया थी जिसे हर महिने हिम्मत राव हड्डी डाल दिया करता था जिसका काम सिर्फ इतना था की रुक्मणी को ये यक़ीन दिलाना की वो अभी माँ नहीं बन सकती और अगर वो अभी माँ बनती है तो उसके और बच्चे की जान को खतरा रहेगा।

पिछले 3 साल से यही हो रहा था।
 
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रुक्मणी;देवा के तरफ देखती है।
चलो देवा हम बाद में आ जाएंगे।

देवा;मालकिन बुरा न मानो तो एक बात कहूँ।

रुक्मणी;हाँ बोलो।

देवा;यहाँ एक और अच्छी औरतों की डॉ है अगर आप चाहें तो हम उनके यहाँ चलते है।

रुक्मणी;कुछ सोचती है।
नही मेरा इलाज पिछले 3 साल से यहाँ शुरू है दूसरे डॉ के पास जाना ठीक नहीं होंगा।
चलो वापस गांव चलते है।

देवा; मालकिन मुझे मेरी बहन के लिए कुछ कपडे खरीदने थे अगर आप कहें तो मैं........

रुक्मणी;अरे क्यों नहीं तुमने पहले क्यों नहीं कहा। चलो हम मार्किट चलते है तुम्हारे साथ साथ मै भी अपने लिए कुछ खरीद लुंगा।

और दोनों कपडा बाजार चले जाते है।

देवा;ममता और रत्ना के लिए कपडे ख़रीदने में लग जाता है और रुक्मणी दूसरे दूकान में अपने लिए कपडे देखने लगती है।

रुक्मणी;ने सोने चांदी के गहने पहने हुई थी। उसके गहनो पर एक चोर की नज़र पड़ चुकी थी वो काफी देर से रुक्मणी के पीछे पीछे था।

उसके साथ 2 और बदमाश भी थे जो देवा पे नज़र रखे हुए थे।

अचानक उन में से एक बदमाश जेब में से चाक़ू निकाल के रुक्मणी के गले पे रख देता है।

अचानक हुए इस हमले से रुक्मणी बुरी तरह चौंक जाती है।

वो बदमाश रुक्मणी से कहता है।

चूपचाप अपने सारे गहने निकाल के मुझे दे दे । वरना ये तेरे गर्दन पे घुमा दूँगा।

रुक्मणी;की ऑखों में आंसू आ जाते है उसके गरदन पे चाक़ू के धार और गहरी हो रही थी उसे फैसला जल्द से जल्द लेना था। देवा उसे कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

वो चिल्ला भी नहीं सकती थी उसे ये डर था की कही ये उसकी गर्दन न काट दे।


तभी उस चोर के दोनों साथी भागते हुए उसके पास आते है।
उनकी हालत साफ़ बता रही थी के वो बुरी तरह पीट के आये है।

वो दोनों अपने साथी को कुछ बताने ही वाले थे की
धड़ाम से एक ज़ोर की आवाज़ आती है और वो चाक़ू पकड़ा हुआ छोड के ज़मीन पे गिर जाता है।

रुक्मणी;पलट के पीछे देखती है तो सामने देवा खड़ा था। उसके हाथ में लोहे की रॉड थी जिसे उसने उन दोनों के खूब पीटाई की थी।

वो दोनों अपने साथी को खून में लथपथ देख फ़ौरन वहां से भाग जाते है।
 

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