Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;नूतन की चूत में झटके मार रहा था और नूतन अपने पिया के लंड की ताप सह रही थी मगर वो इतनी ज्यादा उतेजित थी के ज़्यादा देर टीक नहीं पाती और अपने देवा को अपनी बाहों में कस लेती है।
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नुतन ;आहह मर गयी भइया।
मेरी चूत आहह बस भी करो उन्हहह।
रुक जाओ ना कोई आ जायेगा ना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
उन्हें बाहर से कुछ शोर सुनाई देता है।
नुतन;झट से अपने हाथ से देवा का लंड पकड़ के अपनी चूत से बाहर निकाल देती है और खड़ी होकर कपडे पहनने लगती है।
देवा;का दिमाग घूम जाता है जब वो अपने पूरे जोश में था और अपने सुहागरात का मजा ले रहा था ठीक उसी वक़्त नूतन ने उसके लंड को बाहर खीच ली थी।
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देवा; साली छिनाल क्या कर रही है
नुतन;जाओ यहाँ से मेरे ससुराल वालों ने देख लिया तो क्या होगा पता भी है।
देवा;तेरी माँ की।
देवा का लंड फौलाद की तरह खड़ा था।
किसी किंग कोबरा की तरह अपने फन को उठाये वो डसने को तैयार था।
बाहर से आती आवाज़ देवा को कपडे पहनने पर मजबूर कर देती है और वो अपने कपडे पहनकर पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल जाता है।
वो अपने लंड को बार बार पायजामे के अंदर दबा रहा था मगर वो था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
उसे नूतन पर ग़ुस्सा भी बहुत आ रहा था। ऐसा बहुत कम हुआ था उसके साथ की किसी ने चूत से उसके लंड को बाहर खीचा हो।


मगर वो जनता था की नूतन अभी इस काम में नई है और जब वो शालु के घर को अच्छी तरह से जान जाएगी तब वो भी खुल कर अपनी चूत कुटावायेगी।
वो अपने घर की तरफ मुडा ही था की उसे पीछे से शालु आवाज़ देती है।
देवा;पलट कर देखता है तो वो शालु को देखता ही रह जाता है।
शालु सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में दरवाज़े के पास खड़ी थी।
उसके बाल खुले हुए थे और ऑंखों में शराब सा नशा दूर से चमक रहा था।
पप्पू;अपने हरामीपन से बाज़ नहीं आया था।
उसने शालु के मुँह में अपना लंड डाल कर उसे खड़ा करके नूतन के पास चला गया था और शालु अपनी चूत मलते रह गई थी।
वो पप्पू को गलियां देना चाहती थी मगर उसके सुहागरात होने के कारण वो चुप रह गई थी।

देवा शालू के करीब आता है।
क्या हुआ काकी तबियत तो ठीक है।
शालु;तू पहले अंदर आजा।
देवा;घर के अंदर आता है और शालु दरवाज़ा बंद करके उसका हाथ पकड़ के अपने रूम में ले जाती है।
देवा का लंड तो पहले से तैयार खड़ा था ऊपर से शालु अपनी कमर मटका रही थी।
शालु बिस्तर पर उल्टा लेट जाती है और अपनी पेटीकोट को कमर तक चढ़ा लेती है।
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अरे देख क्या रहा है वो तेल की शीशी ले और मेरी कमर की मालिश कर दे ज़रा बेटा।
सुबह से शादी के काम काज से कमर दर्द कर रही है
लगता है कोई नस चढ़ गई है।
देवा;मुस्कराता हुआ तेल की शीशी लेकर शालु की कमर के पास बैठ जाता है।
अपने दोनों हाथों में तेल मल कर वो शालु की पिण्डलियों की मालिश करने लगता है।
शालु मर्द का हाथ अपने जिस्म पर महसूस करके सिहर उठती है।
उसकी चुत का दाना फिर से फरमाईश करने लगता है।
शालू:उन्ह क्या हाथ है तेरा बेटा। दर्द ग़ायब होने लगा है ऊपर भी थोड़ा सा आह्ह्ह।
शालु ने अंदर कुछ नहीं पहनी थी। देवा का हाथ ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है और जैसे जैसे तेल से भिगे हुए हाथ ऊपर चढ़ने लगते है शालु की सिसकारियाँ गहरी होने लगती है।ऊह आह्ह्ह्ह।
देवा;शालू मुझे लगता है पप्पू ने आज भी तुझे अधूरा रख दिया काकी।
शालु;चौंक कर गर्दन घुमा कर देवा की तरफ देखती है।
और फिर धीमी आवाज़ में कहती है हाँ।
देवा;शालू की कमर के ऊपर चढ़ जाता है और अपने पायजामे को उतार देता है।
अपने लंड को हाथ में पकड़ कर वो उसपर भी तेल लगा देता है और उसे सीधा शालु की कमर की दरार के बीचो बीच घीसने लगता है।
शालु;आहह क्या कर रहा है ।उहँन ये गरम गरम क्या है रे आह्ह्ह।
देवा;तेरे मरद का लंड है मेरी जान जिसे तू भी लेना चाहती है बोल लेना चाहती है ना।
औ ये कहते हुए दो थप्पड शालु की चूतड़ पर जड़ देता है।
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शालु; उई माँ पूछता क्यों है जब तुझे सब पता है तो। आहह। ठोक दे न अंदर अपने हथोड़े जैसे लंड को आह्ह्ह्ह।
देवा भी यही चाहता था वो अपने लंड को शालु की चूत के ऊपर टिकाता है और एक झटके में उसे शालु की चूत के अंदर पहुंचा देता है।
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शालु का पूरा जिस्म कंप जाता है वो दोनों हाथों से तकिये को जकड लेती है।
आह्ह्ह मार देता है तू हरामी जब भी अंदर घुसाता है आहह।
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देवा;मेरे लंड की रानी तेरी चूत का मजा ही कुछ और है आहह।
शालु;उन्हह बड़ा हरामी है रे देवा तू। मेरी बेटी को भी यही कहकर लेता है माँ आह्ह्ह।
देवा पुरी तरह शालु के ऊपर चढ़ जाता है और सटा सट सटा सट अपने लंड के वार से शालु की चूत के छक्के छुड़ाने लगता है।
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इस पोजीशन में शालु की चूत की जड़ तक देवा का लंड नहीं पहुँच पा रहा था और शालु उस वक़्त उसे अपने अंदर तक लेना चाहती थी। वो देवा को नीचे लेटने के लिए कहती है और अपनी दोनों टाँगें उसके कमर के आजु बाजु डालकर अपनी चूत के मुहाने पर देवा का लंड टीका देती है।
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देवा;नीचे झुक थोड़ा सा।
शालु;अपनी चूचियों को देवा के मुँह के पास ले आती है और देवा उन्हें अपने मुँह में लेकर लंड को नीचे से झटका देता है।
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शालु;कमर को थोड़ा उठाती है और फिर उस पर बैठती चली जाती है और देवा का विशाल लंड शालू की चूत में घुसता चला जाता है।
आहहहह्ह्ह्ह।

शालू: आह्ह्ह मेरे राजा हां पी जा मेरा दूध तेरे लिए है।
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सच कहूं तू ही असली मरद है मेरा आहह्ह्ह्ह
मेरी रोज़ लिया कर ना रे।
देवा;अब तो तेरी बहु आ गई है अब तुझे नहीं करुँगा मैं शालु।
शालू ;क्या कहा नहीं करेगा। ऐसे कैसे नहीं करेगा उह
मेरी बहु को भी नीचे लिटा दूंगी तेरे। तू फिकर मत कर तेरी बहन है तो क्या हुआ।
मगर मुझे नहीं करेगा न तो तेरा जीना मुश्किल कर दूंगी। आह्ह्ह्ह कमीने ।
देवा;दिल ही दिल में मुस्कुराने लगता है।
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वो जो चाहता था वही बात शालु ने उससे आज कह दी थी।
अपने लंड की तपीश से वो शालु की चूत को जलाने लगता है और शालु भी अपने देवा में खो जाती है।
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इधर देवा के घर में रत्ना और नीलम देवा का इंतज़ार कर रही थी।
देवा एक घंटे बाद शालु की जम कर चुदाई करने के बाद घर आता है और अपने हाथ मुँह धो कर अपने रूम में चला जाता है।
रत्ना;नीलम बिटिया जा ज़रा देवा से पूछ ले। खाना खाया है की नही।
रत्ना;सुबह की बात से देवा से थोडी सी नाराज़ थी।
देवा ने उसका हाथ पकड़ के जो हरकत देवकी के सामने किया था । उसी बात से रत्ना थोडी परेशान थी।
नीलम;देवा के रूम में जाकर उसके पास बैठ जाती है।
माँ ने कहा है की तुम्हें पूछ लूँ की खाना खाओगे क्या।
देवा;नीलम की तरफ देखते हुए हँस देता है।
नीलम;हँस क्यों रहे हो जी।
देवा;वो इसलिए जी क्यों की तू बिलकुल ऐसे अंदाज़ में पूछ रही है जैसे हम अभी से पति पत्नी हो गए है।
नीलम;शरमा जाती है। कुछ भी कहते हो माँ सुन लेगी तो...।
देवा;नीलम का हाथ अपने हाथों में ले लेता है।
सच कहूं नीलम आज मंडप में मेरा भी दिल किया की तेरी माँ से हमारे बारे में बात करुं।
नीलम का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है।
उसके होंठ काँपने लगते है उसे कुछ भी नहीं सूझता की क्या कहे।
नीलम;माँ बुला रही है।
देवा;कोई नहीं बुला रहा जब देखो बहाने बना कर भाग जाती है।
बैठ न थोडी देर।
नीलम;ममता दीदी चली गई है तो घर कितना खाली खाली लगता है ना।
देवा; हाँ ममता थी तो घर में एक रौनक सी थी।
वो नहीं है तो घर काटने को दौडता है।
नीलम चुप हो जाती है।
जब रश्मि दीदी गई थी तब मुझे भी ऐसे ही लगता था।
देवा;मुझे ये घर जल्द से जल्द रौशन करना है नीलम।
नीलम;कैसे।
देवा;तुझे अपनी पत्नी बना कर जब मै हमेशा के लिए यहाँ लाऊँगा तब मेरे घर में और मेरे जीवन में रौशनी ही रौशनी हो जाएंगी।
मै तुझसे बहुत प्यार करता हूँ नीलम और तेरे बिना मुझे कोई भी नहीं भाता।
मै तुझे अपनी पत्नी बनी देखना चाहता हूँ जल्द से जल्द।
नीलम;सर झुका कर बस इतना कह पाती है।
मै भी आपके जीवन में सारे रंग भरना चाहती हूँ।
देवा;नीलम का सर ऊपर उठाता है ।
वैसे आज कोई बहुत सुन्दर लग रही थी।
नीलम;कौंन।
देवा;मेरी नीलम रानी।
नीलम;बुरी तरह शर्मा जाती है वो उठ कर जाने लगती है मगर नीलम के प्रेम में पागल देवा उसे जाने नहीं देता और बिस्तर पर गिरा देता है।

नीलम;क्या कर रहे हो माँ आ जायेगी ना।
देवा;सुबह से तुझे देख रहा हूँ और जानती है सबसे प्यारी चीज़ मुझे तुझ में क्या लगी।
नीलम;क्या जी।
देवा; ये।
वो अपने होठो को नीलम के होठो से मिला देता है।
नीलम;अपनी उँगलियों को देवा के बालों में डाल देती है और अपने होठो को खोल देती है। ये सोचते हुए की जो मेरे पति को पसंद है वो मै उसे जी भर कर दूंगी।

रत्ना;नीलम कहा है बिटिया।
नीलम;देवा को धक्का देकर रत्ना के पास चलि जाती है और देवा अपने होठो को पोछते हुए दिल ही दिल में खुश हो जाता है।
वो अपने बिस्तर पर पिछले दो घंटे से पड़ा था मगर उससे नींद नहीं आ रही थी।
वो उठकर पानी पीने के लिए किचन की तरफ जाता है और उसे रतना के रूम में रौशनी दिखाई देती है।
वो अंदर झाँक कर देखता है तो उसे नीलम सोये हुए दिखाई देती है और रत्ना छत को देखते हुए नज़र आती है।
रत्ना;को भी नींद नहीं आ रही थी । वो भी जग रही थी।
देवा; धीरे से दरवाज़ा खोलता है और अंदर आ जाता है
उसे अंदर आता देख रत्ना अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।
देवा;रौशनी को कम करके रत्ना के पीछे आकर लेट जाता है।
रत्ना;करवट बदल लेती है और नीलम की तरफ मुँह और देवा की तरफ पीठ कर देती है।
देवा;पास में पड़ी हुई रज़ाई अपने और रत्ना के ऊपर डाल देता है और अपना एक हाथ रत्ना की कमर पर रख देता है।
रत्ना;अपने कमर पर हाथ पडते ही उसे झटका देती है।
देवा;फिर से रखता है।
रत्ना;फिर से हाथ झटक देती है।
इस बार देवा हाथ कमर पर नहीं बल्कि सीधा रत्ना की चुचियों पर रख देता है।
रत्ना; कांप जाती है।
देवा;चुप चाप वैसे ही पड़ा रहता है।
मगर धीरे धीरे पीछे से वो रत्ना की चूतड से चिपक जाता है।
रत्ना;उस वक़्त साडी पहनी हुई थी।
देवा;अपनी माँ से इतना करीब पहले कभी नहीं हुआ था और उसे इस बात पर भी यक़ीन नहीं हो रहा था की वो रत्ना के इतने क़रीब है और रत्ना उसे कुछ भी नहीं कह रही।
देवा;अपने पायजामे का नाडा खोलता है और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे पीछे से रत्ना की गांड की दरार पर लगा देता है।
रत्ना;अपनी ऑंखें बंद कर लेती है वो जानती थी की उसे क्या चूभ रहा है।
मगर वो खामोश थी।
रात के अँधेरे में देवा का जोश भी धीरे धीरे बढ़ने लगता है और वो अपने हाथ से धीरे धीरे रत्ना की चुचियों को सहलाने लगता है।

रत्ना;जो काफी देर से अपनी साँस रोके पड़ी थी सिसकने लगती है मगर पास में नीलम के लेटी होने की वजह से वो ज़्यादा शोर भी नहीं मचा सकती थी।

देवा;इसी बात का फायदा उठा कर अपने हाथ की पकड़ मज़बूत करने लगता है और रत्ना के चुचियों को पूरी ताकत से मसलने लगता है।
रत्ना; उह्ह्ह आह्ह्ह।
बस कसमासने लगती है।
देवा;रत्न को घुमा कर सीधा लिटा देता है
और अपने होठो को रत्ना की कान के पास लाकर धीरे से उसके कान में कहता है।
माँ मुझे माफ़ कर दे मगर मुझसे नाराज़ मत रह वरना मै मर जाऊँगा।।
रत्ना;एक पल के लिए अपनी ऑंखें खोलती है और फिर बंद कर देती है।
देवा;समझ जाता है की रत्ना ने उसे माफ़ कर दिया है।
वो रत्ना का नरम हाथ अपने हाथ में ले लेता है और उसे सरकाते हुए अपने लंड पर रख देता है।
अपने हाथ में रत्ना ने इससे खूसबूरत और गरम चीज़ पहले कभी नहीं पकडी थी।
वो अपना हाथ देवा के लंड से हटाना चाहती है मगर देवा उसे हाथ हटाने नहीं देता।
और रत्ना के ब्लाउज को थोड़ा सा नीचे सरका कर रत्ना के निप्पल को अपने मुँह में भर लेता है।
देवा;की ये मरदाना हरकत रत्ना को पागल कर देती है और रत्ना अपनी ऑखें बंद करके देवा के लंड को मज़बूती से अपने हाथ में जकड लेती है।
देवा;किसी बच्चे की तरह रत्ना के निप्पल्स को चुसने लगता है और रत्ना अपने हाथों से देवा के लंड को सहलाने लगती है।।

दोनो एक अजीब दुनिया में पहुँच जाते है इशारों नज़रों में कही जाने वाली बात आज सच होते नज़र आने लगती है मगर अचानक पता नहीं रत्ना को क्या हो जाता है और वो देवा के लंड को छोड देती है और उसके मुँह से अपने निप्पल्स को बाहर निकाल कर अपना ब्लाउज ऊपर चढा लेती है।
देवा;हक्का बक्का से रत्ना को देखने लगता है उसे समझ नहीं आता की ये रत्ना को हुआ क्या है।
रत्ना;ऊँगली के इशारे से देवा को बाहर जाने के लिए कहती है और देवा बिना कुछ बोले वहां से अपने रूम में चला जाता है।
 
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रत्ना ने देवा के खड़े लंड पर जो धोखा की थी उस बात से देवा थोड़ा परेशान था मगर वो हिम्मत नहीं हारा था। वो ये समझ रहा था की नीलम की वजह से शायद रत्ना ने उसे और कुछ करने नहीं दिया।
सुबह सुबह देवा तैयार होकर अपने खेत देखने चला जाता है वो अपने खेतों में काम कर रहा था की उसे पदमा आती दिखाई देती है।
जब पदमा देवा के पास पहुँचती है तो देवा को उसे देख हंसी आ जाती है।
पदमा;हंस क्यों रहे हो।कुछ लगा हुआ है क्या मुझे।
देवा;नहीं नहीं बस तुम्हारा पेट देख कर हंसी आ गई। ऐसा लग रहा है जैस तूम एक नहीं दो तीन बच्चे पैदा करोगी।
पदमा;हरामी सब तेरी वजह से हुआ है मेरा हाल ये।
इतना बड़ा पेट लेकर घुमना पड़ता है मुझे पहले ही अच्छी थी ।
देवा;वैसे कौन सा महीना चल रहा है काकी।
पदमा;अरे बाप तू है तो तुझे पता होना चाहिए ना।
आखरी महिना चल रहा है।
हाँ तुझे क्या पता रहेगा कितने दिन से तो शक्ल नहीं दिखाया कम्बखत तूने मुझे।
देवा;पदमा का हाथ पकड़ के अपने पास बैठा लेता है और उसके पेट पर हाथ फेरते हुए बड़े प्यार से कहता है।
मेरी जान तू तो वो औरत है जिसने मुझे सारे सुख दिया सबसे पहले।
मै बहुत भाग्यशाली हूँ जो तेरी जैसी औरत मेरी ज़िन्दगी में आई।
पदमा की ऑंखें भर आती है।
नही नहीं ऐसा मत कहो भाग्यशाली तो मै हूँ देवा। सच कहूं माँ बनने की ख़ुशी क्या होती है जैसे मुझे पता नहीं थी।
तुमने मुझे माँ बना कर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है।
देवा;पदमा के होठो को चूम लेता है
वैसे तू आई क्यों थी इतनी सुबह सुबह।
पदमा;देख मै तेरी बातों में बताना भुल गई।
बडी मालकिन ने तुझे याद की थी कल। मै रात में आ नहीं सकी इसलिए सुबह आ गई।
तू शाम ढले हवेली चले जाना पता नहीं क्या काम है मालकिन को।
ये कहते हुए पदमा वहां से चली जाती है और देवा सोच में पड़ जाता है की आखिर रुक्मणी को अब क्या काम आ गया है उससे।
वो अपने काम में फिर से लग जाता है।
और जब दोपहर होती है तो खाना खाने के लिए घर चला आता है।

जब वो घर में दाखिल होता है तो उसे कोई भी नज़र नहीं आता न नीलम और न रत्ना। वो रत्न को ढूँढ़ते ढूँढ़ते उसके रूम में चला जाता है।
रत्ना;उस वक़्त नहा कर अभी अभी बाथरूम से बाहर निकली थी।
देवा की ऑंखें उसे ऐसे रूप में देख चकम जाती है।
वो दबे पांव चलता हुआ रत्ना के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसे अपनी बाहों में कस लेता है।
रत्ना;कौंन।
ओह देवा क्या कर रहा है छोड मुझे। पागल तो नहीं हो गया है ना तु।
देवा;हाँ माँ मै पागल हो गया हूँ तेरे प्यार में। कब तक इस प्यासे को तड़पाएगी मेरी माँ।दे दे न मुझे एक बार।
रत्ना;आह मै कहती हूँ छोड मुझे। रात में भी तूने जो हरकत की वो ठीक नहीं आहह क्या कर रहा है देवा।

देवा;अपने मज़बूत पंजो से रत्ना के बड़े बड़े ब्रैस्ट को मसलने लगता है और रत्ना जल बिन मछली की तरह तडपने लगती है।
देवा;मुझे एक बार दे दे माँ सच कहता हूँ।
मेरी दिवानी न बना दिया तो देवा नाम नहीं मेंरा।
वह अपने जोश में क्या क्या बड़बड़ाये जा रहा था उसे भी पता नहीं था।
रत्ना;देवा मै तेरी माँ हूँ बेटा। तू जो चाहता है वो मै तुझे नहीं दे सकती न उन्हह।
देवा;रत्ना की एक नहीं सुनता और उसे बिस्तर पर गिरा देता है।
देखो माँ जल्दी से मेरी बन जाओ और जो मै मंगलसुत्र तुम्हारे लिए लाया हूँ उसे पहन लो।


रत्ना;नहीं पहनूंगी कभी नहीं छोड दे मुझे अखरी बार कह देती हूँ।
देवा;रत्ना के तेवर देख अपना अखरी हथियार इस्तेमाल करता है।
वो रत्न को पूरी तरह अपने नीचे दबा देता है जिसे उसका खड़ा लंड सीधा रत्ना की जांघो में चुभता हुआ चूत पर जा रुकता है।
वो रत्ना के दोनों ब्रैस्ट को सहलता हुआ एक निप्पल को अपने मुँह में खीच लेता है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्पप्प।

चुत पर लंड का धक्का और ब्रैस्ट की चुसाई से रत्ना थोडी ढीली पड़ जाती है और बस धीरे धीरे देवा को धकेलने लगती है।
रत्ना;देख छोड दे ना रे हां क्या करता है बेटा । आहह गांव वाले क्या सोचेंगे हमारे बारे में उहंन आह्ह।
देवा;मुझे किसी की परवाह नहीं गलप्प्प गलप्प गलप्प गलप्प्प।
देवा का लंड अपनी माँ की चूत की खुशबु से इतना खड़ा हो चूका था की वो उसके पायजामे में चीखने लगता है।
जैसे ही देवा अपने पयजामे का नाडा खोल कर अपना हथियार बाहर निकालता है । रत्ना उसका इरादा समझ जाती है और उसे धक्का देकर पीछे ढकेल देती है और झट से खडी हो जाती है।

देवा;माँ ये क्या है।
रत्ना: एक तरफ तुम मुझसे इतना प्यार करने की बात करता है और दूसरी तरफ ऐसे जबरदस्ती......।
रत्ना;देवा की तरफ पीठ करके खडी हो जाती है।
देख देवा तू जो करना चाहता है वो नहीं हो सकता।
देवा;मगर क्यों बोलो मुझे। क्या मै अपनी माँ को ख़ुशी नहीं दे सकता। क्या तुम मेरे नाम का मंगल सूत्र नहीं पहन सकती।
रत्ना;नहीं पहन सकती।
देवा;तुम्हें पहनना होगा और मै तुम्हें पहनाकर रहूँगा चाहे कुछ भी करना पड़े मुझे।
रत्ना;एक औरत एक पति के होते हुए दूसरे के नाम का मंगलसूत्र नहीं पहन सकती।
देवा;क्या मतलब माँ।
रत्ना;देवा के तरफ घूमते ही...
तेरे बापू मरे नहीं है वो लापता हुए है।
जब तक मुझे ये पता नहीं चल जाता की वो ज़िंदा है या नहीं मै उनकी जगह किसी को नहीं दे सकती।
और आइन्दा अगर तुमने मेरे साथ ज़बर्दस्ती करने की कोशिश भी की न तो याद रखना। मै तुमसे कभी बात नहीं करुँगी।
रत्ना की बात सुनकर देवा खड़ा हो जाता है
और उसका खड़ा लंड बैठ जाता है।
वो रत्ना के एकदम पास आकर खड़ा हो जाता है।
मै यही सुनना चाहता था की मेरी माँ मुझे कैसे मिलेगी।
माँ तूने अपने दिल की बात बता कर बहुत अच्छा की।
मै भी बापू के बारे में जानना चाहता हूँ आखिर उन्हें हुआ क्या है कहाँ है वो और मै जानता हूँ मुझे उनके बारे में कौन बता सकता है।
तू चिंता मत कर माँ मै बापू के बारे में तुझे सब कुछ बता दूँगा।
बस तुझे एक वादा करना होगा तुझे बापू के बारे में सब पता चलने के बाद तुम्हें मेरी हर बात माननी होगी।
रत्ना;अपनी गर्दन मोड़ कर दिल में सोचने लगती है।
हाँ ज़ालिम जानती हूँ तेरी इच्छा।
अगर मै नहीं मानी तो....।
देवा; पीछे से रत्ना को जकड लेता है
और उसकी गर्दन पर चूम लेता है।
मुझे पता है ये खूबसूरत जिस्म एक दिन मेरे नीचे होगा और उस दिन मै दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होऊंगा।
रत्ना;चल हट बेशर्म कहीं का।
रत्ना और कुछ नहीं कहती बस मुस्कुराते हुए वहां से बाहर निकल जाती है।

देवा भी मुस्कुरा देता है ये सोचते हुए की वो अपनी रत्ना को पूरी पाकर रहेगा बस उसे पता चल जाए की उसके बापू का क्या हुआ है।
शाम होते होते देवा खाना खाकर हवेली चला जाता है वो सीधा रुक्मणी के रूम में चला जाता है।
उसे हैरत भी होती है की इतनी बडी हवेली में कोई भी नज़र नहीं आ रहा।
रुक्मणी और रानी बिस्तर पर बैठी बातें ही कर रही थी जब देवा वहां पहुँचता है।
देवा;को देख दोनों बिस्तर से खड़ी हो जाती है और रानी दरवाज़ा बंद करके देवा का हाथ पकड़ के पीछे वाले रूम में ले आती है। उसके पीछे पीछे रुक्मणी भी चली आती है।
रुक्मणी;बडी देर लगा दिया देवा।
देवा;वो खेत में ज़्यादा काम था न। पदमा काकी कह रही थी आपने मुझे याद किया था।
रुक्मणी;तू बैठ तो सही तुझे किसी ने देखा तो नहीं न यहाँ आते हुए।
देवा;नहीं किसी ने नहीं। कोई भी नहीं है बाहर तो....
रानी;देखा माँ दोनों वहीँ गए होंगे।
रुक्मणी;हाँ वो छिनाल का आखरी दिन है यहाँ अब।
देवा को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो दोनों क्या बातें कर रही है।
बात क्या है मालकिन।
रुक्मणी;देवा मेरा एक काम करेगा।
देवा;एक क्या मालकिन आप जो कहो वो मै करुन्गा।
रुक्मणी;देवा का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ हवेली के पीछे बने रूम की तरफ ले जाती है।
आवाज़ मत करना चुपचाप चलते रह।
रानी भी दबे पांव उन दोनों के पीछे चलने लगती है।


उधर शालु के घर में पप्पू को तो जैसे सब कुछ मिल गया था।
नुतन और नीलम रत्ना के घर आई हुई थी।
और पप्पू अपनी बहन रश्मि के साथ बैठा घर में बातें कर रहा था।
रश्मी;क्यों भाई कैसे रही सुहागरात।
पप्पू; क्या तू भी कुछ भी पूछती है अच्छी ही रही।
रश्मी;एक बात बता। तुम ज़्यादा चले या नूतन भाभी।
पप्पू;तुझे क्या लगता है।
शालु;मेरा बेटा किसी से काम थोड़े न है।
शालु भी कमर मटकाती हुए उन दोनों के पास चली आती है।
पप्पू;देखो ना माँ रश्मि कैसी बातें कर रही है
रश्मी;उई हुई शर्मा तो ऐसे रहा है जैसे नई नवेली दुल्हन हो ज़रा मै भी तो देखूं रात भर इसकी घिसाये हुई भी है या नही
वो पप्पू को गिरा देती है और उसके पेंट को खोल कर नीचे सरका देती है।

पल भर में पप्पू का लंड रश्मि के हाथ में आ जाता है।

पप्पू;आहह रश्मी नूतन और नीलम आ जाएँगी ना।
रश्मी;देख रही हूँ बस गलप्प गलपप गलल्प।
पप्पू;माँ आहह रोको न इसे आह्ह्ह।
रश्मी;देखो माँ कैसे खड़ा हो रहा है तुझे देख कर
शालु;भी पप्पू का चप्पो देखने के लिए झुकती है और दोनों माँ बेटी किसी रण्डियों के तरह पप्पू के लंड पर झपट पडती है।
एक एक करके दोनों माँ बेटी अपने मुँह में पप्पू का लंड लेकर चुसने लगती है।
रश्मी;गलप्प गलप्प इससे अब भी नूतन की चूत की महक आ रही है।

शालु;मुझे भी चाटने दे मेरे बेटे का गलप्प गलपप
पप्पू;की हालत ख़राब होने लगती है। रात में नूतन के साथ क्या हुआ ये सिर्फ पप्पू और नूतन जानती थी मगर इस वक़्त जो पप्पू के छोटे से लंड के साथ ये दोनों कर रही थी वो पप्पू के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल था।
उसे ज़्यादा देर भी नहीं लगती और पप्पु चीखता हुआ रश्मि के मुँह में अपना चिपचिपा पानी छोड कर निढाल हो जाता है।
रश्मी;बेचैन से पप्पू को देखने लगती है।
माँ मुझे नहीं लगता भाई रात भर टीका भी होगा।
शालु;उसे चुप रहने के लिए कहती है उसने बाहर से आती आवाज़ सुन ली थी।
वो पप्पू को कपडे पहनने के लिए कहती है और खुद बाहर निकल आती है।
वो जैसे ही बाहर आती है सामने नूतन और नीलम को देख पहले घबरा जाती है मगर दोनों के चेहरे से लग रहा था की वो अभी अभी आये है।
शालु खुद को सँभाल कर किचन में चली जाती है।
 

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