Incest हाय रे ज़ालिम................

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इससे पहले देवा पदमा की साडी खोलता बाहर से पदमा के शराबी पति की गलियों की आवाज़ सुनाई देती है।

देवा;झट से पदमा के ऊपर से हट जाता है ।
ये हरामी कब आया।

पदमा;कल ही आया है तू पीछे के दरवाज़े से चला जा। अरे हाँ छोटी मालकिन तुझे याद कर रही थी ।
जा के मिल लेना और शाम ढले यहाँ आ जाना मै इसे पैसे देके शराब पीने भीजवा दूँगी।।

देवा;तूने बात तो बताया ही नही।

पदमा :रात में अब जा भी जल्दी।

देवा;पीछे के दरवाज़े से निकल जाता है और हवेली की तरफ चल देता है।

हवेली में हमेशा की तरह सन्नाटा पसरा हुआ था ।
देवा;सीधा हवेली के अंदर चला जाता है वो रुक्मणी के कमरे के सामने से होता हुआ रानी के कमरे की तरफ जा रहा था की तभी उसे रुक्मणी के कमरे से अजीब सी आवाज़ सुनाई देती है ।
ओ झाँक के अंदर देखता है तो
सामने बिस्तर पे रुक्मणी लेटी हुई सिसक रही थी।

देवा को देख वो अपनी साडी ठीक करके बैठ जाती है।
अरे देवा तू कब आया और तुम्हारी मामा के यहाँ सब कैसे है।

देवा;वहां तो सब ठीक है बडी मालकिन।
मगर आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही।
क्या हुआ।

रुक्मणी;बस थोड़ा कमर में दर्द है लगता है कोई नस खीच गई है।

देवा;अरे तो इस में कौंन सी बडी बात है मै तेल से नस उतार देता हूँ।

रुक्मणी;तुझे नस उतरनी आती है।

देवा;बहुत अच्छी तरह आप लेट जाओ । मै अभी उतार देता हूँ।

रुक्मणी;पहले तू दरवाज़ा बंद कर दे।

देवा;क्यूँ मालकिन।

रुक्मणी;जैसा कहती हूँ वैसे कर।

देवा;जैसे ही दरवाज़ा बंद करके मुडता है रुक्मणी पेट के बल लेट चुकी थी वो हाथ के इशारे से देवा को दर्द वाली जागह बताती है।

देवा;हाथ में तेल लगा के उसी जगह मालिश करने लगता है।
नरम मुलायम त्वचा(स्किन)को छूते ही उसके दिल में हलचल सी होने लगती है।
जब से वो देवकी और काशी को चोद के आया था। उसका दिल हर औरत को देख ऐसे ही कर रहा था फिर वो उसके माँ रत्ना या बहन ममता ही क्यों न हो।

कुछ देर मालिश के बाद देव हलके से और फिर ज़ोर से एक जगह दबा देता है।

रुक्मणी;के मुंह से चीख़ निकल जाती है और चीख के साथ ही उसकी कमर का दर्द भी ग़ायब हो जाता है।

देवा;अब बताओ दर्द हो रहा है क्या।

रुक्मणी;अरे वाह देवा तू तो सच में कमाल का है पता नहीं और क्या क्या कारनामे तू कर सकता है मेरा दर्द तो एकदम ग़ायब हो गया रे।

देवा;सच मालकिन अब कभी भी किसी भी चीज़ की ज़रुरत पड़े कोई भी दर्द हो मुझे बुला देना मै झट से दूर कर दूंगा।

रुक्मणी;तू दिल का दर्द भी दूर कर सकता है।

देवा;क्या।

रुक्मणी;कुछ नहीं चल मुझे उठाके बिस्तर पे डाल दे।

देवा एक हाथ रुक्मणी के गरदन के निचे और दुसरा हाथ कमर के निचे ड़ालने के बजाये सीधा कमर को ही पकड़ लेता है नरम गदराये हुए कमर जैसे ही देवा के कड़क मज़बूत हाथों में आते है रुक्मणी के मुंह से एक आहह सी सिसकारी निकल जाती है और वो देवा को मदमस्त निगाहों से देखने लगती है।

देवा;उसे जैसे ही बिस्तर पे ड़ालने के लिए झुकता है। उसका पैर फिसल जाता है और वो सीधा रुक्मणी को लेके बिस्तर पे गिर जाता है देवा का शरीर पूरा का पूरा रुक्मणी के ऊपर आ जाता है ।

रुक्मणी;की चूचि देवा की छाती के निचे दब जाती है। और जांघ से जांघ घिस जाते है।

बस कुछ ही देर के लिए ये होता है मगर रुक्मणी की चूत पे छोटी छोटी शबनम की बुँदे जमा हो जाती है।

देवा;माफ़ी मांग के उसके कमरे से बाहर तो चला जाता है पर लंड तो उसका भी थोड़ा टाइट हो चुका था।

पीछे से कोई उसके काँधे पे हाथ रखता है और वो रुक्मणी के ख्यालों से बाहर निकल के पीछे पलट के देखता है तो उसे सामने रानी खडी मिलती है।

वो उसका हाथ पकड़ के उसे अपने कमरे में ले जाती है।

रानी;क्या कर रहा था माँ के कमरे में कबसे खडी सुन रही हूँ तुम दोनों की बातें पहले मुझसे मिलने नहीं आ सकते थे।

देवा;मैं तो तुमसे ही मिलने आया था पर बडी मालकिन के कमर में मोच आ गई थी इसलिए पहले वहां चला गया।

रानी;बड़ा आया मोच सुधारने वाला ।
क्या ज़रुरत थी । देख देवा जितना मै कहूं उतना ही कर समझा न । ज़्यादा होशियारी दीखाना मत वरना तू जानता है मै क्या करुँगी।

देवा;पर मैंने किया क्या।
वो बेचारा नहीं जानता था की उसने गलती से शेरनी के दूम पे पैर रख दिया है और शेरनी भी घायल।

रानी;अब खड़ा खड़ा मेरा मुंह क्या देख रहा है
गले से नहीं लगेगा।

देवा;के चेहरे पे हलकी सी मुसकान आ जाती है और वो रानी को अपने सीने से लगा देता है।

रानी;तू नहीं जानता देवा मैंने तुझे कितना याद किया। एक एक पल तेरे बिना गुज़ारना मुश्किल हो रहा था मेरे लिए । मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ देवा। नहीं देख सकती किसी को भी तेरे साथ।

देवा;रानी मुझे भी तो बहुत याद आई तेरी।
वो रानी की कमर पकड़ के दबाने लगता है।

रानी;आहह आज नहीं मुझे महीना शुरू हुआ है।
ये कहते हुए वो देवा के होठो को चुमने लगती है और निचे बैठ के देवा का पेंट निचे उतार देती है।

हथ में आते ही देवा का लंड जैसे एकदम से खड़ा होने लगता है ।
रानी;बिना देर किये उसे चुमते हुए अपने मुंह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलपप।

देवा;आहह ऐसा मत करा वरना आहह मुझसे बर्दाश्त नहीं होंगा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रानी;मुझसे भी नहीं होता गलप्प पर क्या करुं देवा बस आज के दिन की बात है गलप्प गलपप।

पदमा;आहह देवा हमारे बच्चे को ताकत की ज़रुरत है मुझे जम के चोद। सारा पानी मेरी चूत में निकाल दे आह्ह्ह्ह।

देवा;पदमा को लिटा के उसकी चूत को चाटने लगता है गलप्प गलप्प।
इसमें से निकलेगा न हमारा बच्चा पदमा गलप्प गलप्प।

पदमा;हाँ इसमें से आहह काट मत ना रे।



देवा;के चूत चाटने से पदमा निहाल हो जाती है । पसीने से उसका पूरा जिस्म भीग जाता है उसे भी लंड चाहिए था । देवा का लंड था ही ऐसा एक बार किसी को मिल जाए वो उसकी दिवानी हो जाती थी।।

देवा;पदमा की चूत को चाटता हुआ ऊपर पेट पे आता है और पदमा की नाभि में ज़ुबान डालके उसे चाटने लगता है ।

पदमा को एक नया अनुभव होने लगता है वो अपनी ऑंखें बंद करके देवा को उसकी मनमानी करने देता है।

देवा; धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ता चला जाता है और निप्पल्स को मुंह में भर के चुसते हुए दूसरे चूचि को मसलने लगता है गलप्प गलप्प।
आज मै तेरे बदन को हर जगह चूमूँगा मेरी पदमा गलप्प।

पदमा;आहह जो करना है करो न तुमने मुझे वो ख़ुशी दी है जो कोई नहीं दे पाया अहह उई माँ।

देवा;को पदमा की पसीने की खुशबु बहुत आकर्षित करती थी वो पदमा के दोनों हाथ ऊपर उठाके उसके बगल(आर्मपिटस)में मुंह डालके उसे चाटने लगता है।
गलप्प गलप्प्प।



पदमा;पागल सी हो जाती है और देवा को अपने से अलग करके उसके लंड पे टूट पडती है।

देवा का लंड पदमा के हाथ में आ जाता है आज इस लंड पे बहुत ज़ुलम हुए थे।

पदमा; आहह इसने मुझे माँ बनाया है मै इसे बहुत प्यार करती हूँ और करती रहूँगी गलप्प गलप्प।

देवा;अपने लंड को रानी के मुंह में आगे पीछे करने लगती है पर आज शायद देवा के लंड की किस्मत ख़राब थी । हिम्मत राव की कार की आवाज़ सुनाई देने से देवा की गाण्ड फट जाती है। रानी के रोकने के बाद भी वो अपनी पेंट पहन के पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल जाता है।

रानी;अपने मुंह को पोंछने लगती है की तभी हिम्मत राव अंदर आता है।

रानी;क्या बापू थोडी देर से नहीं आ सकते थे।

हिम्मत राव;क्यूँ बिटिया क्या हुआ।

रानी; अरे देवा आया था बस मुंह मीठा करने ही वाली थी की तुम आ गए। डर के मारे भाग गया मुआ।

हिम्मत राव;कोई बात नहीं ।
पर एक बात बता वो तेरे मुठी में तो आ गया है न।

रानी;इतराते हुए हाँ बापु लगभग आ गया है बस कुछ दिन और रुक जाओ उसके बाद ।

दोनो बाप बेटी एक दूसरे को चिपक के चुमने लगते है।

देवा;अपने खेत में चला जाता है।कुछ देर खेत में काम करने के बाद वो झोंपडे में सो जाता है।

और शाम ढले वापस पदमा के घर पे चला जाता है।

पदमा उसी का इंतज़ार कर रही थी। देवा को आता देख वो झट से दरवाज़ा खोल के उसे अंदर खीच लेती है और दरवाज़ा बंद कर देती है।
कब से आ रहा था ।

देवा; मैं वो खेत में सो गया था अब बोलो क्या बात थी।

पदमा; शरमा के देवा के सीने से लग जाती है और धीरे से उसके कान में कहती है।
तू हमारे बच्चे का बाप बनने वाला है।

देवा;सच। वो पदमा को अपने गोद में उठा लेता है उसे ये तो पता था की उसके लंड में बहुत ताकत है वो काफी देर तक औरत को चोद भी सकता है पर आज उसे ये भी पता चल गया था की वो बच्चा भी पैदा कर सकता है।

वो ख़ुशी के मारे पदमा की साडी खोल देता है और एक झटके में अपने कपडे भी निकल फेंकता है।

दोनो के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।

देवा;आहह इसे बाद में चूस लेना पहले मुझे चोदने दे वरना कोई हरामी फिर से आ जाएंगा आह्ह्ह्ह।

पदमा;कोई नहीं आने वाला गलप्प गलप्प।

देवा को डर था के कोई आ ना जाये वो पदमा के मुंह से लंड निकाल के उसे लिटा देता है और अपना लंड उसकी चुत पे घिसता हुआ अंदर डालके उसे चोदने लगता है।



पदमा;आहह देवा चोद मुझे बहुत याद आ रही थी इस चूत को तेरे लंड की आहह चोद मेरे बालम आह्ह्ह्ह।

देवा;एक बार किसी के चूत में लंड डाल दे तो उसे बोलने की ज़रुरत नहीं पडती वो अपने काम में लग जाता है । वो दोनों हाथों से पदमा की चूचि पकड़ के अपने लंड को जीतना अंदर हो सके उतना अंदर डालके पदमा को चोदने लगता है।

पदमा;कमर उछाल उछाल के देवा का साथ देने लगती है।

देवा का लंड सीधा पदमा की बच्चेदानी से टक्कर मार रहा था जिससे पदमा की रोंगटे खड़े हो रहे थे। उसे अपने बच्चेदानी में उसके और देवा के बच्चे के होने का एहसास होने लगता है और वो देवा को अपने ऊपर खीच के अपनी ताकत से निचे से कमर उछालने लगती है और कुछ देर बाद चीखते हुए झड जाती है उसकी चूत तो पानी छोड देती है पर देवा अभी तक नहीं झडा था वो अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।

पदमा;क्या हुआ निकाल क्यों लिया।

देवा;गांड में।

पदमा;मुस्कुरा देती है।
पहले एक वादा कर की तू मुझे आख़िरी महीने तक चोदेगा। मै चाहती हूँ मेरी गाण्ड में तेरा लंड हो और बच्चा मेरी चूत से निकले आहह मर गई रे।

देवा;ये सुनके अपने लंड को पदमा की गाण्ड में उतार देता है।
जैसा तू कहेगी वैसे ही होगा आह्ह्ह्ह्ह।

देवा का लंड पदमा की गाण्ड को भी नहीं छोडता वो उसकी गाण्ड के सुराख़ को अंदर तक खोल देता है। पदमा चीखती रहती है और देवा अपने लंड को घुसाता रहता है।

तकरीबन १५ से २० मिनट बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल के वापस पदमा की चूत में डाल देता है और दोनों एक साथ झरने लगते है।

पानी निकालने के बाद देवा अपना लंड बाहर निकाल लेता है उसका लंड अभी भी खड़ा था।

पदमा;ये खड़ा कैसे है।

देवा;मुझे पेशाब आई है।

पदमा मुंह खोल देती है और देवा हँसता हुआ अपना पेशाब पदमाँ के मुंह में करने लगता है।



देवा कपडे पहनके पदमा से कल मिलने का वादा करके अपने घर चला जाता है और घर पहुँच के जल्दी से खाना खाके बिस्तर पे ढेर हो जाता है।

रत्ना को अब थोड़ा थोड़ा शक होने लगा था। देवा ज़्यादतर घर से बाहर रहने लगा था और बहुत थका थका सा दिखाई देने लगा था।
वो दिल में कुछ सोच लेती है और देवा के पास वाली बिस्तर पे लेट जाती है।

उधर नूतन और ममता एक कमरे में एक दूसरे के आस पास लेटी ही थी दोनों की ऑखों से नींद ग़ायब थी।

ममता; एक बात बता नूतन तुझे किसी ने चुमा है।

नुतन ;नहीं कभी नही।
तुम्हे दीदी।

ममता; नहीं पता नहीं कैसा लगता होगा।

नुतन;हाँ पता नही।

ममता; नूतन की कमीज को उठाके देखने लगती है।



नुतन; आहह क्या करती हो दीदी ऐसा मत करो ना।

ममता; एक पल के लिए नूतन की ऑखों में देखती है
क्या मै तुझे चूमुं।

नुतन की साँस फूल जाती है सुबह से ये दोनों एक दूसरे से तब से ऑखें चुरा रही थी जब से ममता नूतन की चूचि मसल के उसके ऊपर आई थी।
दोनों की चुत की आग भी जवान थी और जोश भी

नुतन ; आँखें बंद कर लेती है और ममता के नाज़ुक होंठ नूतन के कोमल होठो से चिपक जाते है।
 
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देवा बहुत थक चूका था इसलिए वो सीधा बिस्तर पकडता है और कुछ देर में उसकी आँख भी लग जाती है।

सुबह देवा जल्दी उठके सबसे पहले खेत में चला जाता है कल पूरा दिन वो खेत में नहीं गया था मज़दूरों को काम समझाके वो कुंवे पे बैठा कुछ सोच रहा था।

उसे रह रह के बस एक बात परेशान कर रही थी की वो हवेली जाये या न जाए।अगर नहीं जायेंगा तो जागिरदार नाराज़ हो जाएंगे और अगर गया तो रानी उसे फिर से परेशान करेगी।।वो रानी से किसी भी तरह पीछा छुड़ाना चाहता था।
बैठे बैठाये कौन मुसीबत मोल लेना पसंद करता है।

आखीर कर वो कुछ फैसला करते हुए हवेली की तरफ चल देता है जब वो वहां पहुँचता है तो हिम्मत राव को गार्डन में बैठा पाता है।

हिम्मत राव एक कुरसी पे बैठा हुआ था और सामने के टेबल पे दो बन्दूकें रखे हुई थी जिसे हिम्मत राव साफ़ कर रहा था।

देवा की तो हालत ख़राब होने लगती है इतने खतरनाक बन्दूकें देख के वो ड़रते ड़रते हिम्मत राव के पास आता है।

नमस्ते मालिक आपने मुझे याद किये थे।

हिम्मत राव;देवा बैठो बैठो।

देवा;नहीं मालिक मै यही ठीक हूँ।

हिम्मत राव;तुम कल क्यों नहीं आये थे और रानी मुझे बता रही थी की तुम उसे ठीक से कार चलाना नहीं सिखा रहे हो।

देव ;हकलाने लगता है नहीं नहीं मालिक मै तो छोटी मालकिन को बिलकुल अच्छे से कार चलना सिखा रहा हुं और वो कल शालु काकी के पति की तबियत ख़राब हो गई थी इस लिए मै नहीं आ पाया।

हिम्मत राव;वो बड़े वाली बन्दूक उठाके देवा के सर की तरफ निशाना लगा के देखने लगता है।
बहुत खूबसूरत चीज़ है ये देवा एक बार चल जाये तो जान निकाल के छोड़ती है।
तूम्हे कैसे लगे ये।

देवा;बहुत अच्छे है मालिक।

हिम्मत राव;देखो देवा रानी मेरी एकलौती बेटी है उसकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी है और उसकी नाराज़गी मतलब मेरी नाराज़गी।

हिम्मत राव ये कहते हुए ऊपर हवा में फायर करता है।
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रानी;ऐसे नहीं हम्म एक काम करो मुझे होठो पे चुमो।

देवा;नहीं न छोटी मालकिन।

रानी;जल्दी और अभी वरना......

देवा;न चाहते हुए भी उस आग के कुंवे में गिरता चला जा रहा था । जिससे आज तक कोई ज़िंदा वापस नहीं आया था।

वो रानी के होठो को अपने मुंह में लेके चुसने लगता है
रानी सिसकारियां भरने लगती है और देवा का हाथ पकड़ के अपनी दोनों ब्रैस्ट पे रख देती है।

देवा;हलके हलके ब्रैस्ट दबाते हुए रानी को किस करने लगता है तकरीबन 10 मिनट तक रानी देवा को अपने से अलग नहीं होने देती।।

देवा;अपने होंठ जब रानी के होठो से अलग करता है तो उसके जिस्म में एक बदलाव महसूस करता है वो रानी को चुमने से तो मना कर रहा था पर इस सबसे उसका लंड पेंट के अंदर पूरी तरह खड़ा हो गया था।

और वो रानी को चुभ भी रहा था । रानी अपने सीट पे बैठ जाती है और मुस्कुराते हुए देवा की तरफ देखने लगती है।

देवा;घर चले मालकिन।

रानी;मालकिन के बच्चे नखरे तो बड़े दिखा रहा था और ये तेरे पेंट में क्या है जो मुझे चूभ रहा था । बता मुझे देखने दे कही चाकू तो नहीं छुपा रखा है मुझे मारने के लिये।

देवा;शर्म के मारे पानी पानी हुआ पड़ा था वो क्या बोलता की मालकिन ये मेरा लंड है जो आपके चूत पे रगड खा रहा था।

रानी;आगे बढ़ती है और देवा का पेंट खोल देती है देवा मना करता रह जाता है पर ज़िद्दी रानी किसकी सुनती थी जो वो देवा की बात मानती।

रानी;बाप रे ये क्या है रे।



रानी के हाथ में देवा का चमकता हुआ तेज़ धार वाला लंड आ जाता है उसके लंड के सुपाडे पे दूधिया पानी के कुछ क़तरे चमक रहे थे जिसे रानी अपनी ऊँगली से वापस देवा के लंड पे मल देती है।
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रानी;तू तो बड़ा कमीना निकला मालकिन पे डोरे ड़ालता है अभी तेरी खबर लेती हूँ।
वो दोनों हाथो में देवा के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगती है।

देवा की नज़रें रानी के आधे नंगे ब्रैस्ट पे टीक जाती है
और जिस्म ऐठने लगता है रानी के नाज़ुक हाथ देवा के लंड पे कहर बरपा रहे थे। वो इतनी अदा से लंड को मुठिया रही थी की देवा कुछ देर बाद ही पानी छोड़ने लगता है

आह मालकिन आहह नहीं ये पाप है मालकिन ऐसा मत करो आहह आह।

रानी के दोनों हाथ देवा के लंड से निकले पानी से भर चुके थे।
वो देवा की ऑखों में देखते हुए अपनी उँगलियों को एक एक करके चाटने लगती है।

देवा :ये आप क्या कर रही है मालकिन ये गन्दा है।

रानी;प्यार करती हूँ तुझसे और प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता।

देवा ख़ामोशी से रानी को देखने लगता है। रानी के इस हरकत से उसके दिल में भी प्यार का एक छोटा सा दिया जगमगाने लगा था।

रानी;देवा को घर चलने के लिए कहता है और देवा मुस्कराता हुआ हवेली की तरफ कार दौड़ा देता है।

हवेली पहुंच के रानी देवा का हाथ पकड़ के अपने रूम में ले जाती है।

देवा;मना करता जाता है पर रानी उसकी एक नहीं सुनती।

रूम में पहुँच के रानी दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;छोटी मालकिन मुझे बहुत डर लग रहा है आप दरवाज़ा तो खोल दो वरना किसी ने हमें ऐसे देख लिया तो क्या समझेगा।

रानी;देवा के गले में बाहें डाल देती है।
मेरी आँखों में देखो इस में सिर्फ प्यार है देवा। ढेर सारा प्यार और जानते हो ये किसके लिए है।तुम्हारे लिए तो जब तक तुम मेरे साथ हो कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड सकता।


देवा;पर मालकिन।

रानी;देवा के शब्द पूरे नहीं होने देती और एक बार फिर से उसके होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगती है।गल्पप गलप्प।

रानी;देवा ज़रा मेरे काँधे तो दबा दो बहुत दर्द कर रहा है।

देवा;क्या करता नौकर जो था जो मालिक कहेंगे वो नौकर करेगा।

वो रानी के बिस्तर पे बैठ के उसके काँधे दबाने लगता है।

रानी; अच्छा एक बात बता । मै तुझे अच्छी लगती हूँ न सच सच बोलना तुझे मेरी कसम है देवा।

देवा;मालकिन आप बहुत खूबसूरत हो । आपके जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखा। पर मालकिन मै आपसे प्यार नहीं करता। आप आसमानो में उड़ने वाली परी हो और मै ठहरा ज़मीन का एक कीडा।आपका और मेरा कोई मेंल नहीं है मालकिन।

रानी के दिल में आज पहली बार कुछ हुआ था वो देवा को कुछ कुछ जानने लगी थी।

अच्छा वो सब छोड़ ये बता तुझे कैसी लड़की पसंद है।

देवा;मालकिन आप भी न मुझे शर्म आती है।

रानी;हाय मेरे शरमीले तू क़ितना बड़ा बेशरम है मै अच्छी तरह जान चुकी हूँ।

देवा; मालकिन।

हिम्मत राव;रानी कहाँ हो तुम यहाँ आओ।
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दोनो हिम्मत राव की आवाज़ सुनके अपने बात बीच में बंद कर देते है । देवा की गण्ड फिर से फ़टने लगती है और वो रानी को कल आने का कह के पीछे के दरवाज़े से घर की तरफ निकल जाता है।


वो जब घर पहुँचता है तो पप्पू उसे उसका इंतज़ार करता हुआ मिलता है वो देवा को बताता है की वैध जी के यहां से दवा लाना है।

देवा;पप्पू से कहता है की वो दवा ला देगा।
पप्पू घर चला जाता है।देवा खाना खाके कुछ देर आराम करके अपने खेत में चला जाता है।

उसका दिमाग चारो तरफ घुम रहा था कभी उसे पदमा याद आती तो कभी रानी।
और वैध जी के घर जाने का सोच के किरण।

वो बेहद खुश था एक वक़्त ऐसा था की वो पप्पू के गाण्ड से काम चला रहा था और अब वो वक़्त आ गया था की हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही थी।

वो अपना ट्रेक्टर लेके वैध जी के घर की तरफ निकल जाता है रस्ते में उसे पदमा मिलती है।

पदमा;कहाँ जा रहा है देवा।


पदमा के नशीली ऑखें देवा को साफ़ साफ़ बता रही थी की पदमा क्या चाहती है कहाँ कहाँ और कितना चाहती है।
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