Incest हाय रे ज़ालिम................

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रश्मी के मुँह पे इतनी ज़ोर से थप्पड पड़ा था की उसके मुँह में से खून निकलने लगता है।

शालु उसके बाल पकड़ के एक और थप्पड उसके मुँह पे मारती है।
कुलटा कहाँ से मुँह काला करवा के आई है तू बोल
वर्ना जान से मार दुंगी।

कुछ दिन भी तुझसे रहा नहीं गया। किसके साथ तूने अपनी इज़्ज़त निलाम की है बोल बोलती क्यों नही।

रश्मी; बस रोये जा रही थी।

शालु;इधर देख मेरी तरफ सच सच बता मुझे रश्मि।
वर्ना तेरे बापू को बता दूंगी फिर वो तेरी चमड़ी उधेड़ के रख देंगे।

रश्मी;माँ वो मै माँ......

शालु;क्या माँ माँ लगा रखी है। बोल कौन है वो जिसके वजह से तेरा ये हाल हुआ है।

रश्मी;देवा।

शालु;क्या देवा
देवा ने तेरे साथ ये सब किया।

रश्मी; हाँ माँ देवा ने मगर इस सब में मै भी उतनी ही बडी गुनहगार हूँ जितना की देवा है।

शालू ; रश्मि का हाथ पकड़ के उसे कमरे में ले आती है और दरवाज़ा बंद करके उसके पास बैठ जाती है
मुझे सच सच बता ।

रश्मी; माँ मुझे नहीं पता सब कैसे हो गया वो जब मुझे छुता था मुझे कुछ होश नहीं रहता था।
उस दिन जब तू हमारे रिश्तेदारों के वहां गई थी उस दिन।

शालु;तेरी इसे देख के तो नहीं लगता के ये एक आदमी का काम है और कौन था देवा के साथ।

रश्मी;और कोई नहीं था माँ देवा ने हे ये सब किया है।

शालु;रश्मि को उल्टा होने के लिए कहती है उसकी चूत के साथ साथ गाण्ड भी सुजी हुई थी जगह जगह से चीर जाने से कही कही से थोड़ा थोड़ा खून भी निकला था।

शालु;हाय राम कैसे जानवर की तरह तुझे करता रहा और तू आखिर क्या पडी थी तुझे उसके साथ सब करने की एक हफ्ते बाद तेरी शादी है।

रश्मी;अपने ऑंसू पोछके शालू की तरफ देखती है ।
माँ मै अपने जिस्म के आगे मजबूर हो गई थी देवा है ही ऐसा की उसके बिना रहा भी नहीं जाता।
एक और बात थी जिसकी वजह से मैंने ये सब किया।

शालु; क्या।

रश्मी;देवा ने मेरे सर की कसम खाया था की अगर वो मुझे करने में सफल नहीं हुआ तो वो कभी शादी नहीं करेंगा।

मै नहीं चाहती थी की मेरी बहन नीलम ज़िन्दगी भर कुंवारी रह जाए।

हाँ माँ मैंने एक बार नीलम और देवा की बाते सुन ली थी वो दोनों एक दूसरे से बहूत प्यार करते है।

शालु;तूने ये सब अपनी बहन की खुशियों के लिए की।

रश्मी;नहीं मै भी देवा के साथ वो सब करना चाहती थी अगर वो नहीं करता तो मै ज़बर्दस्ती उससे करवाती।

शालु;एक और थप्पड उसके मुँह पे मारती है और इस बार रश्मि सीधा चक्कर खा के बिस्तर पे गिर जाती है।

कूतिया बोल तो ऐसे रही है जैसे बहूत पुण्य का काम कर आई है।

शालु;की नज़रें अब भी रश्मि की चुत के तरफ थी और दिल बस इस बात से और ज़ोर से धड़क रहा था की कोई इतनी बुरी तरह भी चोद सकता है की चूत फाड़ दे।

वो लंड कैसा होंगा जो हर सुराख़ में जाने के लिए उतावला होता होगा।
शालु;के मन में उठते सवालो का जवाब सिर्फ देवा के पास था।

देवा;अपने खेत में का काम निपटा के पप्पू के साथ घर वापस आ रहा था।

पप्पू;देवा रश्मि तो दिन ब दिन और मस्त होते जा रही है।

देवा; साले बहन है वो तेरी और जब उसे पहला धक्का जमके मिला है तो चूत तो अँगड़ाई लेगी ही उसकी हर वक़्त।

पप्पू;हाँ देवा रात में भी सोने नहीं देती।
बस भाई जैसे रश्मि को खोल दिया है ना तूने वैसे माँ को खोल दे उसके बाद सबके मज़े है।

देवा;को हंसी आ जाती है साला गांडु का गांडु ही रहेगा तू चल बाद में मिलते है।
देवा अपने घर में चला जाता है और पप्पू अपने घर की तरफ बढ़ जाता है।

देवा;घर में पहुँचता है तो उसे रत्ना के कमरे से रत्ना के कराहने की आवाज़ आती है।

देवा;अपनी माँ के कमरे में चला जाता है।

रत्ना;बिसतर पे लेटी हुई थी और अपने पेट को पकडे हुए दर्द से सिसक रही थी।

देवा;माँ क्या हुआ माँ।

रत्ना; बेटा पेट में बहूत दर्द हो रहा है।

देवा;माँ तुम सीधा लेट जाओ। कहाँ दर्द हो रहा है।

रत्ना;ऊँगली के इशारे से देवा को बताती है।

देवा;अपना हाथ रत्ना के पेट पे रखता है और उसे सहलाने लगता है।
यहाँ हो रही है क्या माँ दर्द।


रत्ना;हैं वही बेटा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;ममता और नूतन कहाँ है।

रत्ना;अपने कमरे में होंगी।

देवा: मैं अभी आया माँ।
वो उठके पुदिने की कुछ पत्ती तोड़ लाता है ।
और उसे पीस के पानी में मिलाके रत्ना को देता है।

रत्ना;पानी पीने के बाद फिर से लेट जाती है।

मगर देवा उसके पेट को सहलाना बंद नहीं करता।

कुछ देर बाद रत्ना को चैन मिलता है।।।

रत्ना;अब बस भी कर मुझे गुद गूदी होती है।

देवा;माँ मै अभी आया।
देवा उठके ममता के रूम की तरफ चला जाता है और ज़ोर से दरवाज़े पे हाथ मारता है।

अंदर ममता और नूतन दुनियादारी से बेखबर अपनी जवानी की आग को और हवा देने में लगी हुई थी।

वो घबरा जाती है और ममता अपना दुपट्टा ठीक करके दरवाज़ा खोलती है।

ममता; भाई क्या हुआ।

देवा;ममता को घुर के देखता है
क्या कर रहे हो तुम दोनो।

ममता; कुछ भी नहीं बस बैठी थी बातें करते हुए।

देवा; जा माँ का पेट दर्द कर रहा है उनके पास जाके बैठ।

ममता; रत्ना की तरफ चली जाती है।
नुतान अब भी कमरे के अंदर बैठी हुई थी दिल तेज़ी से धड़क रहा था और होंठ काँप रहे थे।

देवा;उसके पास जाके बैठ जाता है।
नुतन इतनी डरी हुई क्यों है।

नुतन ; कुछ नहीं भाई मै काकी के पास से आती हूँ।

देवा;उसका हाथ पकड़ के वापस उसे अपने पास बैठा देता है।
अरे कहाँ चली दिन भर तो ममता के साथ चिपकी रहती है थोडी मेरी बात तो सुन ले।

नुतन; चिपके रहने से आपका क्या मतलब है।
वो देवा को ग़ुस्से से पुछने लगती है।

देवा; अच्छा बडी ऑखें दिखा रही है ।
मैने भी सुबह अपने ऑखों से कुछ देखा है।

नुतन ; क्या देखा है आपने।

देवा;तुझे और ममता को इस कमरे में बिना कपडो के एक दूसरे के साथ।
और सुनाऊँ।

जितनी तेज़ी से नूतन को देवा की बात पे ग़ुस्सा चढा था उतने ही तेज़ी से उतर भी जाता है और अब ग़ुस्से में दिखते ऑखों में शर्म उतर आती है जो होंठ कुछ देर पहले ममता के साथ चिपके हुए थे। अब उन होठो में कंपकपाहट बढ़ने लगती है।

बस इस ख्याल से देवा ने उसे बिलकुल नंगी देखा है
कही न कही चूत की कोमल से पंखुड़िया भी थिरकने लगी थी।

नुतन ; मुझे जाने दो ।

देवा; मुझे देखना है।

नुतन ;क्या।

देवा;वो जो मुझे ठीक से दिखाई नहीं दिया।

नुतन ; कभी नहीं खवाब देखते रह जाओंगे आप भाई मैं नहीं दिखाने वाली।

देवा; अच्छा ये बात है।
वो नूतन को बिस्तर पे लिटा देता है और उसके पेट को चुमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है।

नुतन ; देवा को धक्का दे देती है।
और उठके खड़ी हो जाती है।
देवा को अपने अंघूठे से ठेंगा दिखाते हुए अपने ज़ुबान को बाहर निकाल के देवा को चिढ़ाने लगती है।

देवा;नूतन देख सांप(स्नेक)

नुतन ; कहाँ है भागते हुए देवा से आके चिपक जाती है।

देवा;नूतन को अपने सीने से चिपका लेता है।
साँप मेरे पेंट में है।

नुतन ; देवा के झाँसे में फँस चुकी थी।

देवा;मुझे ज़ुबान दिखा के चिढाती है चल अब निकाल बाहर तेरी ज़ुबान।

नुतन;मुझे जाने दो ना भाई।

देवा;मैंने कहा ज़ुबान बाहर निकाल वरना तेरी माँ को बता दूंगा जो मैंने देखा था सुबह।

नुतन डर के मारे अपनी ऑखें बंद कर लेती है और सर ऊपर उठाके के ज़ुबान बाहर निकालती है।



देवा उसी वक़्त उसके गुलाबी ज़ुबान को अपने मुँह में ले लेता है और उसे चूस चूस के पीने लगता है।
गलप्प गलप्पम।

नुतन का बदन ढिला पडने लगता है अब तक चूत से चूत को घिसके अपने शरीर को शांत करने वाली नूतन को पहली बार कोई मरद चूम रहा था।

बाहर किचन में से कुछ गिरने की आवाज़ आती है और नूतन देवा के छाती पे मुक्का मारते हुए वहां से भाग जाती है।

देवा;अपना सर खुजाता रह जाता है।

शाम ढलते ही देवा के लंड को चूत के तलब लगने लगती है जैसे कोई शराबी को अपने शराब रोज़ चाहिए ही होता है उसी तरह देवा को दिन भर में कम से कम एक बार औरत अब चाहिए ही चाहिए।

वो पदमा के घर चला जाता है।
अपने बिस्तर पे पडी पदमा देवा को देखते ही खडी हो जाती है और देवा के छाती से लग जाती है।

पदमा;आ गया तू ज़ालिम बडी देर लगा दिया।

देवा;बस कुछ देर के लिए आया हूँ माँ की तबियत ठीक नहीं है मुझे जाना पडेगा।

पदमा;जल्दी वल्दी कुछ नहीं अब आया तो। तुझे तब ही जाने दूंगी जब मेरा दिल भरेगा और चूत भी।

देवा;पदमा के नरम मुलायम ब्रैस्ट को मसलने लगता है।

पदमा;आहह बहूत कठोर हो गये है ये ज़रा ज़ोर से दबा ना आह्हह्हह्हह्हह।

देवा के हाथों में तो जादू था।
वो अपनी ताकत से पदमा की दोनों चूचि को मरोड़ के रख देता है।

पदमा की ढीली ढाली साडी उसका बदन छोड़ने लगती है और बाकी के कपडे देवा निकाल देता है।

दोनो के होंठ एक दूसरे में खो जाते है ज़ुबान से निकलता थूक देख ये बताना मुश्किल था की किसका है दोनों के मुँह एक दूसरे में इस प्रकार चिपके हुए थे की साँस लीने में भी दुश्वारी हो रही थी।

देवा;अपना एक हाथ पदमा की चूत पे रखते हुए उसके जांघ को दबाने लगता है।

पदमा;देवा की पेंट खोल देती है और लंड को बाहर निकाल के उसे मुठियाने लगती है।

खड़े खड़े अब बाकि का काम करना बहूत मुस्किल था
इसलिए पदमा नीचे बैठ के देवा के लंड पे अपना थूक गिराती है।

और फिर उसी थूक को चाटते हुए देवा के लंड को भी चाटने लगती है गलप्प गलप्प।

देवा;आहह साली धीरे किया कर आह्ह्ह्ह्ह्ह।

पदमा के गलप्प मुँह से निकलता थूक ज़मीन पे गिरने लगता है और कुछ पानी नंगी चूचि पर।

कई दिनों की प्यासी पदमा की चूत जल के राख सी हो गई थी मगर उस राख में भी कुछ चिंगारियाँ बाकि थी जो बदन को झुलसाने के लिए काफी थी।

पदमा;चुप कर साले चोदता तो है नहीं बस घूमते रहता है कुछ नहीं होता अब तुझसे । न तुझ में दम रहा है ना तेरे लंड में गलप्प आहह गलप्प।

देवा;जिसका दिमाग उस वक़्त घुटनो में चला जाता था जब कोई औरत उसे खुला चैलेंज करती थी ।

देवा पदमा को खड़ी करता है और उसका एक पैर चारपाये पे और दुसरा अपने हाथ में पकड़ के अपने लंड को उसकी चूत पे लगा के धक्का दे देता है।

पदमा;पहली बार खड़े खड़े चुदवा रही थी।
हाय रे दैया मार डाला रे।

देवा;अब मत चिल्ला बब बस चुदती रह साली आह।

देवा का लंड सीधा बच्चेदानी से ठोकर मारने लगता है।

पदमा;नही ना ऐसे नहीं चोद मुझे आहह। मै तो मज़ाक़ कर रही थी मेरे देवा। आहह देख मुझे इतने बुरी तरह मत चोद आहह। हमारे बच्चे को कुछ हो जायेगा आह्ह्ह्ह।

देवा बच्चे की बात सुनके उसे चारपाई पे लिटा देता है मगर अपने लंड की आवा जाही में कोई कमी नहीं आने देता लंड अब भी उतने ही तेज़ी से चूत में जा रहा था।

पदमा अपने दोनों पैर खोल के उसे देवा के कमर से लपेट देती है।

और दोनों पसीने में भीगते हुए चुदाई का आनंद लेने लगते है।

इधर शालु के घर में शालु रश्मि के पास बैठी हुई थी।

शालु;रश्मि चल मै तुझे मलहम लगा दूँ ।

रश्मी;नहीं मुझे नहीं लगाना।
शालु के हाथ से तीन तीन थप्पड खाने के बाद रश्मि ग़ुस्से में थी।

शालु;रश्मि को अपने छाती से लगा लेती है।
मेरी बच्ची माँ जो कहती है अपने बच्चों के भले के लिए कहती है।


मैने तुझपे हाथ उठाये इसलिए तू मुझसे नाराज़ है ऐसे नाराज़ मत रह मुझसे । कुछ दिन के बाद तो हमेशा हमेशा के लिए अपने माँ को छोड के चली जाएगी।

रश्मी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है और वो अपनी माँ शालु की छाती से चिपक के रोने लगती है।

थोड़ी देर के बाद जब दोनों माँ बेटी के ऑंसू रुक जाते है तो शालु रश्मि को लिटा देती है और वैध जी के हाथ का मलहम लेके रश्मि के कटी फटी चूत पे लगाने लगती है।

थोडा मलहम लगते ही रश्मि की चूत में कुछ होता है और उसके मुँह से एक सिसक निलकती है जिसे सुनके शालु के होठो पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

चूत से लेके गाण्ड तक मलहम लगाने के बाद भी शालु उसकी चूत पे उँगलियाँ फेरती रहती है।

अपने खयालो में डूबी शालु सोच रही थी की इसकी चूत को कैसे लगा होगा जब वो मोटा देवा का लंड इसे चिरता हुआ अंदर गया होगा।

लगातार रश्मि की चूत को देखते देखते शालु को तब होश आता है जब बाहर दरवाज़े पे नीलम खटखटाती है।

रश्मी अपनी सलवार ठीक कर लेती है और शालु अपने हाथ धोने चली जाती है।

रात का खाना खाने के बाद और पदमा को जम के चोदने के बाद देवा हवेली सोने चला जाता है।

हवेली पहुँचने पे उसे पहला झटका लगता है आज उसका बिस्तर बाहर नहीं बल्कि रुक्मणी के कमरे में लगा हुआ था।

दूसरा झटका रुक्मणी ने आज साडी या शलवार नहीं बल्कि शहर से लाये हुए नाईट पेंट पहनी हुई थी बदन से एकदम चिपका हुआ ऊपर लम्बा सा कुर्ता था।

देवा;रानी और रुक्मणी से कुछ देर बाते करने के बाद अपने बिस्तर पे लेट जाता है।
मालकिन मेरा बिस्तर बाहर क्यों नहीं लगवाई।

रुक्मणी;वो बाहर बहूत ठण्ड है तुझे कुछ हो गया तो तेरी माँ क्या सोचेंगी।

देवा;हमम।
(दिल में) तेरी चूत क्या सोच रही है मै अच्छे से जानता हूँ।

रात धीरे धीरे घिरने लगती है और पूरा गांव नींद के आग़ोश में चला जाता है।

देवा उठके रुक्मणी की तरफ देखता है वो गहरी नींद में सोई हुई थी।

वो चुप चाप उठके उसके पास जाके बैठ जाता है।

रुक्मणी के चेहरे पे आते उसके बाल उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे। एक पल के लिए तो देवा भी उसे देखता रह जाता है।

वो धीरे से रुक्मणी के नाईट पेंट को पकड़ के उसे नीचे खीचने लगता है।

रुक्मणी कोई हरकत नहीं करती मगर उसके तेज़ साँसे देवा को बता देती है की चिडीया जग चुकी है।


देवा;कमर के थोड़े निचे पेंट को कर देता है। अंदर रुक्मणी ने पेंटी पहनी हुई थी।

देवा;अपना हाथ उसके पेट पे रख के धीरे धीरे उसे अंदर सरकाने लगता है।

जैसे जैसे देवा का हाथ रुक्मणी के पेट पे घुमता हुआ पेंटी की तरफ बढ़ने लगता है वैसे वैसे रुक्मणी की साँसे ऊपर नीचे होने लगती है।

रुक्मणी अपने नीचले होंठ को अपने मुँह के अंदर लेके किसी तरह अपनी सिसकारियां रोकने की कोशिश कर रही थी

एक पतिवरता पत्नी अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी मगर वो इस वक़्त देवा को भी कुछ कहने कुछ करने से रोकने के स्तिथि में नहीं थी।

देवा का हाथ रुक्मणी की पेंटी में चला जाता है और वो उसे नीचे सरका देता है।

रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये हुई थी। शायद डर भी था और वो देखना भी चाहती थी की देवा क्या करता है।

रुक्मणी का शरीर उस वक़्त हिलने डूलना बंद कर देता है जब उसे अपनी चूत पे देवा का लंड महसूस होता है।

वो झट से अपने ऑंखें खोल के बंद कर देती है।

देवा;अपने लंड को पेंट से बाहर निकाल के उसे रुक्मणी के चूत पे घीसने लगता है।

रुक्मणी का सारा बदन उसे टाँगें खोल के देवा का स्वागत करने पे मजबूर कर रहा था । मगर अब भी थोड़ा हिम्मत राव का मान रुक्मणी के दिल में बाकी था।

रुक्मणी अपने जिस्म की बात सुनते हुए अपने पैर खोलने ही वाली थी की देवा अपने लंड को रुक्मणी की चूत से हटा के वापस उसकी पेंटी और नाईट पेंट ऊपर चढा के अपनी जगह सोने चला जाता है।

उस वक़्त रुक्मणी को जीतनी गलियां आ सकती थी वो सारी की सारी गालियां देवा को मन ही मन में देने लगती है और अपने जिस्म पे चादर डालके अपने हाथ की दो उँगलियाँ चूत में डालके उसे ज़ोर से रगडने लगती है।

चूत इतनी ज़्यादा मस्त हो चुकी थी की कुछ ही पलों में वो ढेर सारा पानी रुक्मणी के हाथों पे छोड़ देती है।

और रुक्मणी देवा को गलियां देते हुए और कल उसे बाहर सुलाने का सोच के सोने की कोशिश करती है। उसे समझ नहीं आ रहा था की देवा उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। दो दिन से चूत के पास माचिस ला के उसे बुझा देता था।

आखीर देवा चाहता क्या है इस सवाल का जवाब देवा के पास था जो अपनी जीत पे मुस्कुरा रहा था उसे यक़ीन हो चला था की वो दिन बहूत क़रीब है जब रुक्मणी ख़ुद नंगी होके देवा के पास आयेंगी।
 

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