Incest हाय रे ज़ालिम................

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पदमा;देवा को एक कमरे में बैठा के अंदर चली जाती है।

देवा;इधर उधर देखने लगता है।
तभी वहां सेठ हिम्मत राव की पत्नी रुक्मणी आती है
और आके एक कुरसी पे बैठ जाती है।



देवा के मुंह में पानी आने लगता है।
नमस्ते मालकिन।

रुक्मणी बला की खूबसूरत तो थी नहीं पर रंग रूप ऐसा था की बूढ़े भी जवानी के दुआ मांगे।
नमस्ते देवा कैसे हो आज कल इधर आते ही नही।

देवा;वो बस मालकिन काम में उलझा रहता हूँ।

वो कुछ बोलने ही वाली थी की सेठ हिम्मत राव वहां आ जाते है।

देवा;उन्हें देख खड़ा हो जाता है।

हिम्मत राव;अरे बैठो बैठो देवा।
अच्छा हुआ तुम आ गये।

देवा;कुछ काम था मालिक।

हिम्मत राव;अरे हाँ तुम तो जानते हो हमारी बिटिया रानी शहर से पढाई करके अभी अभी गांव आई है हम उससे उसके जनम दिन पे एक कार भेंट करना चाहते है पर उससे कार चलाना नहीं आता । तुम ट्रेक्टर चला लेते हो तो हमने सोचा की क्यों न तुम रानी को कार चलाना सीखा दो।
हम तुम्हें इसके पैसे भी देंगे।

देवा;मालिक आपका हुकुम सर आँखों पर हम ज़रूर मालकिन को कार चलाना सीखा देंगे।

हिम्मत राव खुश हो जाते है और देवा को एक चाभी थमा देते है। ये लो देवा ये हमारे कार की चाभी है इसे तुम अपने पास ही रखो। कल से आ जाना मै रानी से कह दूंगा।
ये कहके हिम्मत राव बाहर निकल जाते है।

देवा जाने लगता है तभी वहां पदमा आती है और देवा से कहती है की रानी मालकिन तुम्हें बुला रही है ।

देवा अंदर की तरफ चला जाता है पदमा उसे रानी का कमरा दिखाती है और खुद रुक्मणी के पास चली जाती है।

जब देवा कमरे में पहुंचता है तो हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।

रानी;अपने बिस्तर पे लेटी हुई थी।
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रानी;अरे वहां क्यों खड़े हो अंदर आओ।
तुम्हारा नाम देवा है।

देवा: जी मालकिन।

रानी;हम्म बस मै तुम्हें देखना चाहती थी। अब तुम जाओ और कल वक़्त पे आ जाना।

देवा;जी मालकिन।

इसके जात का बैदा मारू। साली क्या देखना चाहती थी । पर कुछ भी कहो माल एकदम शीशे के बर्तन की तरह लगता है मजा आयेंगा ।
वो दिल ही दिल में सोचता हुआ बाहर आ जाता है।

पदमा; अच्छा मालकिन मै भी चलती हूँ। खाना मैंने बना दिया है ज़रा भैंस को चारा डाल आती हूँ।

रुक्मणी;देवा के जिस्म पे नज़र घुमाते हुए ठीक है जल्दी आना।

पदमा: जी मालकिन
फिर पदमा और देवा दोनों हवेली से बाहर निकल जाते है।अंधेरा हो चुका था। रास्ते में पदमा का घर भी पडता था।

पदमा;देवा की तरफ देखते है हुए कहती है।
अरे देवा ज़रा मेरे घर चलके भैंस को खुटे से ठीक से बांध दे मुझसे तो बांधी भी नहीं जाती मुई।

देवा;ठीक है और दोनों पदमा के घर की तरफ चल देते है।

पदमा का घर गांव के एक तरफ था वो अपने पति सुखी राम के साथ रहती थी।
सुखि;एक शराबी किस्म का आदमी था । हर रात शराब पीना उसका शौक था। वो घर में कम और नाली के कचरे में ज़्यादा पड़ा मिलता था।

देवा;भैंस का खुट्टा ठीक से ज़मीन में गाड के भैंस को बाँध देता है।
लो अब ये खुट्टा कभी नहीं उखडेगा।

पदमा;कितना अच्छा खुट्टा ठोंकता है देवा तु।

देवा;मुझे ठोकना ज़्यादा अच्छा लगता है

पदमा;आगे बढ़ती है और देवा के पेंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ के कहती है ये खुट्टा ठोकेगा।

देवा;की तो जैसे लौटरी निकल आई थी
वो पदमा का चेहरा देखने लगता है।

पदमा देवा का हाथ पकड़ के घर के अंदर ले जाती है।

लालटेन के रोशनी में पदमा की लाल साडी चमक रही थी वो पीछे मुड के अपनी साडी को ठीक करती है।
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देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में जकड लेता है।

पदमा;आहः के सिसकी के साथ सहम जाती है।

देवा;अपना हाथ धीरे धीरे पदमा के पेट पे फेरने लगता है।

पदमा अपने बदन को ढिला छोड देती है वो चाहती थी की हर काम देवा करे वो आज खुल के देवा से पिसना चाहती थी।

देवा की पकड़ पेट पे बढ़ने लगती है और वो अपने मुंह को पदमा के कानो में डालके उसकी कान चुमने लगता है।
धीरे धीरे पदमा की पीठ पे अपनी जुबान फेरने लगता है। उसे पसीने की खुशबु बहुत पसंद थी।


पदमा;सिर्फ सिसक रही थी और देवा अपना काम करने में लगा हुआ था।

देवा;पदमा को घुमा के अपने तरफ कर देता है और उसके गोल गोल मोटे मोटे नरम ब्रैस्ट को ब्लाउज के ऊपर से चुमने दबाने लगता है।

पदमा;आह उई माँ।



आहह जल्दी कर न देवा... मुझे वापस हवेली भी जाना है।

देवा;को आज वो चीज़ मिली थी जिसे वो बचपन से पाना चाहता था एक चूत। वो बिलकुल भी जल्द बाज़ी में नहीं था वो दोनों हाथों से पदमा के चुचे मसलने लगता है।

कड़क हाथों में आते ही पदमा के नाज़ुक चुचे किसी मखन की तरह पिघलने लगते है।

देवा;पदमा के ऑखों में देखने लगता है।
दोनो की धड़कने तेज चल रही थी।
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देवा;नीचे बैठ के पदमा के गोरे गोरे पेट पे ज़ुबाँन रख देता है और उसे चूसने चाटने लगता है। गलप्प गलप्प।

पदमा तड़प के रह जाती है आज देवा ने उस जगह छुआ था जहाँ आज से पहले किसी ने नहीं छुआ। पदमा का शरीर ठण्डा पड़ चूका था और चूत आग की भट्टी के तरह तप रही थी।



पदमा;आह देवा जल्दी से ठोक दे खुट्टा आह रहा नहीं जाता रे।
उसकी आवाज़ में कंपकपाहट थी और चेहरे पे हवस।

देवा;पदमा की साडी पकड़ के खोलता चला जाता है।



जीस्म से साडी अलग होने के बाद देवा उसे बिस्तर पे बैठा देता है और दोनों चूचियों कोअपने पंजे में भर के ऐसे मसलने लगता है जैसे कोई आता गूंथ रहा हो।

पदमा;आह बस कर आहः।



पदमा;देवा को पीछे ढ़केलती है और देवा पीछे गिर जाता है।
पदमा;हँसते हुए उसकी तरफ देखने लगती है।
बस निचोड़ेंगा ही या खाएँगा भी।



देवा;पदमा पे टूट पड़ता है और उसके ऊपर चढ़ के उसके जिस्म के हर हिस्से को मसलते हुए उसके मुंह में मुंह डालके होठो को चुमने लगता है गलप्प गलप्प।

दोनो रास लीला के उस मुकाम तक आ चुके थे। जहाँ से लौटना नामुमकिन था।

देवा;पदमा के ऊपर चढ़ के उसके ब्लाउज को खोलने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ ड़ालता है।



की तभी बाहर से सुखीराम की गालियों की आवाज़ आती है आज वो शराब पिके घर आ गया था और नशे में बडबडाये जा रहा था।

पदमा;घबराके अपनी साडी ठीक करती है और देवा को पीछे के दरवाज़े से बाहर कर देती है।
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देवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।

शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।

शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।

देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।

देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।

शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।

शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।

देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।

शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।

देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।



शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।

देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।



गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।

शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
WOW SHALLU AUNTY PE DEVA KA HAMLA
 
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अपडेट 27

देवा के झटकों से जहाँ कौशल्या थरथरा रही थी वही दरवाज़े पे खडी देवकी की चूत भी गीली हो चुकी थी।

कौशल्या ; आहह मर गई मै तो आज देवा.....

देवा;भाभी अभी तो आपका आखरी सुराख़ बाकी है।

कौशल्या ;नहीं कभी नहीं मर जाऊँगी मै । बस बस आहह देवा आह्ह्ह्ह्ह।

कुछ देर बाद देवा अपने अखिरी झटके कौशल्या की चूत में मारने लगता है और अचानक कौशल्या की चूत से ढेर सारा पानी बाहर बहने लगता है ये दोनों के पहले मिलाप का पहला पानी था।।

कौशल्या ;देवा के पेट सहलाते हुए अपने साँसें धीमे करने लगती है की उसे आभास होता है के कोई उन्हें देख रहा है जैसे ही वो दरवाज़े की तरफ देखती है उसके मुंह से एक चीख़ निकलती है माँ जी।

देवा;देवकी को देख कौशल्या के ऊपर से हट जाता है और दोनों जल्दी जल्दी अपने अपने कपडे तलाश करने लगते है।

कौशल्या के हाथ पैर थर थर काँप रहे थे। वो जानती थी अब उसकी सास पूरा घर सर पे उठा लेंगी ।

देवकी आगे बढ़ती है और धीरे धीरे कौशल्या के क़रीब पहुँच जाती है।

कौशल्या ;अभी भी नंगी ही खड़ी थी। माँ जी ये सब पता नहीं कैसे हो गया मुझे माफ़ कर दिजिये।
देवकी के कुछ कहने से पहले ही कौशल्या खुद बा खुद अपनी सफाई देने लगती है।वो देवकी से ऑखें भी नहीं मिला रही थी। देवा पास में खड़ा अपने कपडे पहन रहा था उसे तो पता था की देवकी क्या करेंगी पर एक बात से वो निश्चिंत था की अगर देवकी ने ज़्यादा हल्ला गुल्ला की तो वो उसके मुंह में अपना लंड डालके उसे चुप ज़रूर करवा देगा।

देवकी;मैंने तुमसे सफाई नहीं मांगी। कौशल्या इधर देखो मेरी तरफ।

कौशल्या डरते ड़रते देवकी की तरफ देखती है और उसी पल अचानक देवकी अपने होंठ कौशल्या के होठो पे रख के लगभग अपने मुंह को उसके मुंह में डाल देती है।
देवकी के इस तरह व्यवहार से जहाँ कौशल्या की ऑंखें फटी की फटी रह जाती है वही देवा भी हक्का बक्का सा उन दोनों को देखता रह जाता है।

जब देवकी कौशल्या के मुंह से रस पान करके अपने होंठ हटाती है तो कौशल्या के चेहरे पे जादू और चिंता के मिले जुले भाव नज़र आते है।

देवकी;अरे घबराते क्यों है कुछ नहीं कहूँगी तुझे मैं।
तेरे मुंह से अब भी इसके लंड के महक आ रही है
तेरी सास अब बदल गई है । कौशल्या तू किसी से भी मत डर जो दिल में आये खुले आम कर कोई तुझे कुछ नहीं कहने वाला।

देवा;देवकी को पीछे से पकड़ लेता है अरे वाह मामी एक ही रात में तुम इतनी बदल गई।

देवकी;सब तेरे और तेरे पानी के करिश्मा है बेटा।
सच कहूं तो जब मै रामु के साथ ये सब कर सकती हूँ तो अपनी बहु को तेरे साथ करने से क्यों रोकूं।

देवा; मामी मै कल जाने वाला हूँ मेरी एक इच्छा पूरी करोगी।।

देवकी;हाँ बोल न।

देवा; मैं तुम दोनों को एक साथ रामु के सामने चोदना चाहता हूँ।

कौशल्या ;हाय दैया ये क्या कह रहे हो देवा । दिमाग तो जगह पर है तुम्हारा।

देवकी;इस में गलत क्या है।तुने तो मेरी मन की बात के कह दिया देवा ।
मै तो हमेशा से अपने आगे और पीछे से लेना चाहती थी।

देवकी के मुंह से ऐसे बाते सुनके कौशल्या को शर्म भी आ रही थी और मजा भी ।
देवकी; मैं रामु को मना लुंगी तुम बस रात में उसे थोडी सी शराब पीला देना ।
नशे में वो कुछ भी कर सकता है और थकता भी नही।

देवा;दोनों औरतों को अपने से चिपका लेता है देवा ने बहुत कम वक़्त में इस घर का नक्शा ही बदल दिया था। एक दूसरे को गालियों के सिवा बात न करने वाले इस घर के सदस्य अब खुले आम चुदाई की बातें करने लगे थे।

देवा को बस इंतज़ार था रात का और रामु के मान जाने का।
आज दोनों सास बहु पहली बार एक साथ बाथरूम में नहाने चली जाती है दोनों की चूत की एक जैसी दशा बनी हुई थी पर उनकी चूत से रात के बारे में सोच सोच के रह रह के पानी रिस रहा था। वो दोनों नहा कम रही थी और एक दूसरे की चूत को ज़्यादा सहला रही थी।

देवकी;देख न बेटी क्या हाल किया है देवा ने इसका ।

कौशल्या ;अपनी सास की चुत को अपने उँगलियों से मलती हुई- माँ जी मेरा भी तो यही हाल है जब वो अंदर होता है तो दिल करता है बाहर निकाल दूँ और जब देवा पास नहीं होता तो मन करता है उसे चुदती रहूँ। कल वो चल जायेंगा तो कैसे रह पाएंगे हम माँ जी।

देवकी;अपनी बहु के मोटे मोटे निप्पल्स को अपने मुंह में भर के चुसने लगती है। आहह तू चिंता मत कर बहु मै कुछ दिन बाद तुझे वहां भेज दूंगी फिर तू अच्छे से चुदवा लेना देवा से और मै उसे बोल दूंगी की दो तीन हफ्ते में वो यहाँ आके हमारी प्यास बुझा दिया करे। आअह्हह्हह्हह।

कौशल्या ;अपनी दोनों उँगलियाँ अपने सास की चूत के अंदर तक डाल देती है और दोनों एक दूसरे को चुमते हुए झडने लगते है।एक दूसरे की चूत से बाल साफ़ करके जब वो दोनों नहा के बाहर निकलते है तो रामु को घर के अंदर अपने कमरे में बिस्तर पे लेटा हुआ पाते है।

देवकी जल्दी से उसके पास चले जाती है और कौशल्या देवा को बताने चली जाती है की रामु घर आ चुका है।

देवकी;पता नहीं रामु को कैसे मना लेती है पर कुछ देर बाद जब वो अपने कमरे के बाहर निकलता है तो उसका चेहरा चौदहवी के चाँद के तरह दमक रहा था वो हँस हँस के देवकी से बातें करने लगता है और कुछ देर बाद वहां देवा भी आ जाता है।

दोनो भाई एक दूसरे को देख पहले मुस्कुराते है उसके बाद गले मिलके बाहर चले जाते है।

कौशल्या ;उनके जाने के बाद देवकी से पूछ लेती है
माँ जी वो मान गये।

देवकी;अरे मानता कैसे नहीं ।

कौशल्या ;आपने उनसे क्या कहा।

देवकी;यही की अगर तुम चाहते हो की देवा अपनी माँ और तुम्हारे बापु से कुछ न कहे तो हमे उसे आज रात खुश करना होंगा वो समझदार है मेरी बात समझ गया।

कौशल्या ; ख़ुशी के मारे अपनी सास के गले लग जाती है।
उधर बाहर देवा और रामु गांव की गलियों में घुम रहे थे।

देवा;क्यूँ भाई आज पीने का मन नहीं है क्या।

रामु;नहीं देवा ।

असल में मुझे तुमसे बात करनी थी। मन बहुत भारी भारी हो रहा था। तुमसे बात करुँगा तो शायद कुछ सुकून मिले।

देवा;आओ यहाँ बैठ के बात करते है अब बोलो क्या बात है।

रामु;देवा तुम मेरे छोटे भाई जैसे हो।
तुमसे कुछ छुपा नहीं है तुम हमारे बारे में सब कुछ जान गए हो पर यार तुझसे नज़र मिलाने की मुझे हिम्मत नहीं हो रही है।

देवा;अरे भाई मेरे जो हुआ उसे भूल जा।
तूने मामी के साथ जो किया उस में तुम दोनों की ख़ुशी थी मैंने तुम्हें उस दिन इसलिए बुरा भला नहीं कहा की तुम अपने माँ के साथ ये सब कर रहे थे। बल्कि इसलिए तुम्हे चाँटा मारा था की तुम अपनी पत्नी पे बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे थे।

जहाँ माँ के साथ सब कर सकते हो वही अपनी पत्नी को भी तो थोड़ा वक़्त दो। माँ के साथ करना तुम्हें अच्छा लगता है इस में तुम्हारा क्या दोष ये सब बातें हमारे बस में नहीं होती भाई ।
बस जो होने वाली बात होती है हो जाती है।

रामु;तो क्या कभी तेरा मन अपनी माँ के लिए बहका तो तू भी।

देवा;कुछ नहीं कहता।
पर रामु उसकी ख़ामोशी समझ जाता है और दोनों उठके शराब की दुकान में चले जाते है।

शराब के दो पैक पीने के बाद देवा रामु को ज़बर्दस्ती बाहर ले आता है कुछ नशा तो रामु पे चढ़ चुका था पर कुछ चढना बाकी था।

रामु;शराब के नशे में आज तूने मेरा मान हल्का कर दिया देवा।
आज मै बहुत खुश हूँ बोल तुझे क्या चाहिए मुझसे।

देवा;जो माँगूँगा देगा।

रामु; दूंगा बस तू बोल।

देवा;आज रात मेरे साथ अपनी माँ और पत्नी को चोदोगे।
रामु;देवा की तरफ देखता है और फिर खिलखिला के हंसने लगता है।
मै जानता था तू यही मांगेंगा चल तू भी क्या याद रखेंगा आ जा घर चलते है।

जब वो दोनों घर पहुँचते है तो कौशल्या और देवकी को कमरे में बिस्तर पे उन दोनों का इंतज़ार करता पाते है।

देवकी और कौशल्या ऑखों ऑखों में देवा से पूछते है और देवा आँख मार के उन्हें बता देता है।

रामु; सीधा अपनी माँ देवकी के पास आता है और उसे अपने से चिपका के उसके मोटे मोटे कमर को दबाने लगता है ।

देवकी;आहह बेटा सब देख रहे है।

रामु; इसलिए तो कर रहा हूँ आज की रात तुम दोनों देवा को खुश कर दो। मेरा भाई कल जाने वाला है उसे किसी चीज़ की कमी मत होने देना आज रात।
वो नशे में क्या क्या बोल रहा था उसे भी पता नहीं था पर इन सब बातों से देवकी के साथ साथ कौशल्या बहुत खुश दिखाई दे रही थी।

रामु;खड़ा था और देवकी बिस्तर पे बैठी हुई थी देवा देवकी के बगल में जाके बैठ जाता है।

रामु ; कौशल्या इधर आ।

कौशल्या ;रामु के पास जाती है और रामु उसे कपडे उतारने के लिए कहता है।
साथ ही खुद के भी कपडे उतार देता है।

रामु;चल अपने पति परमेश्वर का मुंह में ले के चुस।

उधर देवा भी देवकी को नंगा कर चुका था।

कौशल्या ;रामु का लंड मुंह में ले के चुसने लगती है और देवा देवकी को घोडी बनाके उसकी पीछे से चूत चाटने लगता है।



देवा;देवकी के चूत चाट चाट के लाल कर देता है और कौशल्या अपने पति के लंड को खड़ा कर देती है।

देवकी खडी हो जाती है और कौशल्या के मुंह से रामु का लंड निकाल लेती है ।
पहले वो कौशल्या के होठो को चुमती है उसके बाद रामु के लंड को मुंह में लेके हलक तक घुसा लेती है।

रामु;आहह माँ आराम आराम से।

कौशल्या देवा की तरफ देखती है जो देवकी और रामु को देख अपना लंड हाथ में ले के हिला रहा था । उसे देवा की बेबसी देखी नहीं जाती और वो उसके लंड को अपने नाज़ुक हथेली में ले के मसलते हुए मुंह में ले लेती है।
एक तरफ कौशल्या अपने देवर के लंड को चूस रही थी दूसरी तरफ देवकी अपने बेटे के लंड को।

दोनो लंड इतनी बुरी तरह तड़प रहे थे चूत के लिए मगर दोनों औरतों को उन पे बिलकुल तरस नहीं आ रहा था। आखिर कर देवा कौशल्या को उठाके बिस्तर पर ले जाता है और अपने लंड को उसकी चूत पे लगा के अंदर घूस्सा देता है।

देवकी;रामु का हाथ पकड़ के कौशल्या के बगल में लेट जाती है और रामु अपने लंड पे थूक लगा के अपनी माँ की चूत को अपने लंड से भर देता है



कौशल्या ;आहह देवा आहह आराम से । मेरी चूत की सुजन अभी तक उतरी नहीं आहह वो अपने सास का हाथ पकड़ लेती है तो पहले से थर थर कांप रही थी रामु अपने पूरी ताकत से उसे चोद रहा था।

देवकी;आहह देवा मेरा दुसरा सुराख़ भर दे बेटा आअह्हह्हह्हह।

देवा ; कौशल्या की तरफ देखता है और कौशल्या उसे अपने चूत से लंड निकालने की इजाज़त दे देती है।

रामु;का लंड देवकी की चूत में था ।
देवा;थोड़ा सा तेल उठाके देवकी की गाण्ड के भूरे छेद पे डाल देता है और बिना देवकी को कुछ कहे झट से अपना लंड का सुपाडा देवकी की गाण्ड में घूस्सा देता है।

देवकी;मर गई हरामी आहह क्या ठूँस दिया रे तूने पीछे से....

देवा;अभी तो कह रही थी मामी की दुसरे सुराख़ में डालो ले ऐसे न आह्ह्ह्ह्ह्।

वो कौशल्या की चूत से बीच चुदाई में लंड निकालने से थोड़ा ग़ुस्से में था इसलिए वो बेरहमों की तरह देवकी की गाण्ड मारने लगता है।



देवकी;'आहह आहह माँ ओ आहह नहीं न ऐसे नहीं आहह रामु बेटा तू तो थोड़ा धीरे कर ये देवा तो सुनता ही नहीं आह्ह्ह्ह्ह्।

रामु;आहह माँ आहह.....
वो नशे में था और उसी हालत में वो अपने लंड को देवकी की चूत की गहराई में पेलता चला जा रहा था।
सामने बैठी कौशल्या देवा के लंड को गाण्ड में जाता देख रही थी और उसका दिल भी ये सब करवाने के लिए उसे कह रहा था।

देवा;देवकी को खड़ा कर देता है पच की आवाज़ के साथ दोनों लंड देवकी की चूत और गाण्ड से निकल जाते है।
देवकी के कुछ बोलने से पहले ही देवा देवकी को अपने गोद में उठा लेता है और नीचे हाथ डालके अपना लंड उसकी चूत में घुसा देता है।
पीछे खड़ा रामु भी अपने लंड को देवकी की गाण्ड में पेलने लगता है देवकी दोनों के बीच पीसती चली जाती है।



देवकी;के दिल की मुराद पूरी हो जाती है और 15 मिनट के इस दमदार चुदाई से उसके साथ साथ रामु का भी पानी निकलने लगता है देवा उसे नीचे उतार देता है। दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चुमते हुए बिस्तर पे लेट जाते है।

पर तब तक वो कौशल्या के बदन में ज्वालामुखी भड़क चुकी थीं। वो पागलो की तरह देवा के लंड पे टूट पड़ती है।

देवा;आहह भाभी ।

कौशल्या ;नहीं देवा भाई अब नहीं रोको मुझे । मै तुम्हें मना करती थी न पीछे से ड़ालने को ।अब मै खुद तुमसे कह रही हूँ जहाँ डालना है डालो बस मुझे ये दे दो आहह गलप्प गलप्प गलप्प।



कौशल्या ;भाई मुझे दे दो अंदर तक आहह गलप्प चोदो अपनी बहन को उसके पति और सास के सामने कस के गलप्प मै चुदना चाहती हूँ रात भर गलप्प गलप्प्प।

कौशल्या ;के मुंह से ऐसे बातें सुनके देवा का ढिला पड़ चुका लंड फिर से खड़ा होजाता है और वो कौशल्या को लिटा के रामु और देवकी के ऑखों में ऑखें डालके कौशल्या को चोदने लगता है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

कौशल्या भी अपने पति को देखते हुए चिल्लाने लगती है भाई भाई चोदो न ज़ोर ज़ोर से अपने बहन को। हां हाँ भर दो अपनी बहन की चूत को अपने अमृत से आह्ह्ह।

देवा; कौशल्या की चूत से पानी निकलने तक उसे उसी तरह चोदता रहता है और जैसे ही कौशल्या की चूत से पानी बाहर बहने लगता है वो अपने लंड को बाहर खीच के कौशल्या की गाण्ड में दो उँगलियाँ डाल देता है।
कौशल्या ;माँ जी मेरी गाँड।

देवकी उसे देख मुस्कुराने लगती है और सामने पड़े हुए तेल की बोतल देवा को थमा देती है ।

देवा;तेल कौशल्या की गाण्ड में डाल देता है जिससे वो और चिपचिपी हो जाती है।
भाभी थोड़ा दर्द होंगा ।

कौशल्या ;मर भी जाऊँ तो रुकना मत डाल देना भाई।

देवा;अपने लंड को हाथ में पकड़ के धीरे धीरे कौशल्या की कुँवारी गाण्ड में ड़ालने लगता है पहले पहले लंड फिसलता चला जाता है फिर देवा कौशल्या के पैर दोनों तरफ खोल देता है और दूबारा कोशिश में सुपाडा गाण्ड की सुराख़ को खोल के अंदर चला जाता है।

कौशल्या ;के मुंह से चीख निकल जाती है।
पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब देवा को रोकना नामुमकिन था। वो पहले धीरे धीरे उसके बाद सटा सट अपने लंड को कौशल्या की गाण्ड में उतारते चला जाता है।


और कौशल्या चीखती चिल्लाती अपने पति सास को आवाज़ देती गाण्ड मरवाती जाती है।

उस रात रामु तो सो जाता है पर देवा देवकी और कौशल्या को सोने नहीं देता। सुबह के 5 बजे तक वो दोनों को थोडी थोडी देर के बाद चोदता जाता है।

कौशल्या और देवकी की चूत और गाण्ड डबल रोटी की तरह फूल जाती है न उनसे चला जा रहा था और न बैठा।

सुबह के नाश्ते के बाद देवा अपनी मामी और भाभी को घर आने का निमंत्रण देते हुए अपने घर चला जाता है।

और पीछे छोड़ जाता है कौशल्या के पेट में अपने होने वाले बच्चे का बीज।
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देवा;देवकी को खड़ा कर देता है पच की आवाज़ के साथ दोनों लंड देवकी की चूत और गाण्ड से निकल जाते है।
देवकी के कुछ बोलने से पहले ही देवा देवकी को अपने गोद में उठा लेता है और नीचे हाथ डालके अपना लंड उसकी चूत में घुसा देता है।
पीछे खड़ा रामु भी अपने लंड को देवकी की गाण्ड में पेलने लगता है देवकी दोनों के बीच पीसती चली जाती है।



देवकी;के दिल की मुराद पूरी हो जाती है और 15 मिनट के इस दमदार चुदाई से उसके साथ साथ रामु का भी पानी निकलने लगता है देवा उसे नीचे उतार देता है। दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चुमते हुए बिस्तर पे लेट जाते है।

पर तब तक वो कौशल्या के बदन में ज्वालामुखी भड़क चुकी थीं। वो पागलो की तरह देवा के लंड पे टूट पड़ती है।

देवा;आहह भाभी ।

कौशल्या ;नहीं देवा भाई अब नहीं रोको मुझे । मै तुम्हें मना करती थी न पीछे से ड़ालने को ।अब मै खुद तुमसे कह रही हूँ जहाँ डालना है डालो बस मुझे ये दे दो आहह गलप्प गलप्प गलप्प।
 
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ममता को देवा से बात करनी थी मगर कोई न कोई उनके बीच में आ रहा था।
वो बेचैन सी हो गई थी मगर कर भी क्या सकती थी ममता चुपचाप बैठ जाती है।
थोड़ी देर बाद देवा मिठाई ले के घर पहुँचता है।
उनके साथ साथ घर में कुछ और लोग भी आ जाते है।
रत्ना;दौड के उन लोगों के पास पहुँचती है।
अरे आप लोग आ गये।
देवा;हाँ माँ मै दुकान पर था तभी इन पर नज़र पडी।
चार लोग ममता को देखने आये थे।
एक तो हरी था २५ साल का हट्टा कटा जवान।
दूसरी थी उसकी माँ कोमल एक ४५ साल की गदराई हुए औरत उसे देख के लगता था की उसकी चूत हमेशा पानी छोड़ती होंगी। देवा उसे देख कर ही समझ गया था के ये एक चूद्दकड औरत है। बड़े बड़े ब्रैस्ट और बाहर को निकलते हुए कमर लिए कोमल खड़ी थी।


कोमल के पति आनन्द राव एक 55 साल के आदमी थे
और एक 18 साल की साँवली मगर बेहद आकर्षक लड़की थी प्रिया। कोमल के एकलौती बेटी।
रत्ना;सभी को बैठाती है और देवा उन्हें पानी वग़ैरा पिलाता है।
कोमल;आपका घर तो बहुत सुन्दर है और कौन कौन रहता है यहाँ।
रत्ना;बस हम तीन लोग रहते है मै ये मेरा बेटा देवा और मेरी बेटी ममता।
देवा के बापु को कई साल पहले ही देहांत हो गया है।
कोमल;ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह।
देवा क्या करते हो तुम।
देवा;खेती बाडी
आनन्द राव;हाँ भाई आज के दौड़ में ज़िन्दगी गुज़ारना बहुत मुश्किल हो गया है।
देवा;ऐसी बात नहीं है काका। इंसान को अपने आप पर विशवास होना चाहिए।
कोई भी चीज़ मुश्किल नहीं रहती फिर।
रत्ना; ये कौन है आपके साथ।
कोमल;ये मेरी बेटी है प्रिया।
रत्ना;बहुत सुन्दर है।
प्रिया;रत्न और देवा को देख मुस्कुरा देती है।
कोमल;देवा से हरी को मिलाती है।
सभी आपस में बैठ के बातें करने लगते है।
रत्ना;देवा बेटा जा ज़रा देख तो ममता तैयार हुई की नही।
देवा;अंदर चला जाता है।
ममता;देवा को देखने लगती है।
देवा मुस्कुरा कर उसके पास आता है।
शालु;देवा तू यही रुक मै ज़रा मेहमानो की खातिरदारी करके आती हूँ थोडी देर बाद ममता को बाहर ले आना है।
शालु; मिठाई ले के बाहर चली जाती है।

शालू के बाहर जाते ही-
ममता; देवा से चिपक जाती है।
मुझे नहीं करनी शादी भैया। आपसे अलग नहीं रहना मुझे।
देवा;चुप हो जा पगली शादी तो हर लड़की को करनी पडती है।
बस बस देख रो रो के चेहरा बिगाड लेगी तु।
रत्ना; बाहर से देवा को आवाज़ देती है।
देवा ममता को ले आ।
देवा;ममता का हाथ पकड़ के उसे बहार ली आता है।
सभी बडी बडी ऑखों से ममता को देखने लगते है।
ममता के लिए ये पहला अनुभव था जब वो सज धज के किसी पराए लोगों के सामने पेश हो रही थी।
कोमल;ममता को अपने पास बैठा लेती है।
क्या नाम है बेटी तुम्हारा।
ममता;जी वो ममता।
कोमल;बड़ा प्यारा नाम है
क्या क्या आता है।
रत्ना; अजी ये पुछिये की क्या नहीं आता।
सिलाई बुनाई कटाई सब कर लेती है हमारी ममता। खाना तो ऐसे बनाती है की पुछो मत।



कोमल;अरे वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है।
ये देखो ये है हमारा बेटा हरी।
ममता शर्माने लगती है और ऊपर सर उठाके नहीं देखती।
कोमल;अरे बाबा डरो मत ऊपर देखो कल को ये हमे कहेंगा की अंधी लड़की गले बांध दी हमारे।
सभी हंसने लगते है और ममता सर उठाके हरी की तरफ देखती है वो देखना भर काम कर जाता है और हरी वही चारो खाने चित हो जाता है।
लडके वालों को ममता बहुत पसंद आई थी वो रिश्ते की बात आगे बढाने के लिए कहते है।
रत्ना;आप लोगों ने तो हमे देख लिया है।
मगर हमे भी आप के बारे में जानना है इस लिए मेरा बेटा देवा आपके यहाँ जायेंगा उसके बाद ही बात आगे बढ़ायेंगे ठीक है न।
कोमल;बिलकुल ठीक बात कही आपने।
बेटी का मामला है सब कुछ सोच समझ के ही करना चाहिए।
मै भी मेरी बेटी के शादी जल्दबाज़ी में नहीं करुँगी।
शालु; ये लिजीये इसी बात पर मुँह मीठा कीजिये।
सभी लोग एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है।
इन सब से दूर ममता का दिल सुलग रहा था वो अंदर ही अंदर रो रही थी । वो अपने घर को देवा को छोड के किसी पराए घर नहीं जाना चाहती थी।
सभी लोग खाना खाने बैठ जाते है।

कोमल बाहर रत्ना और देवा के साथ बातें कर रही थी। रत्ना बातों बातों में कोमल के बारे में सब कुछ जान लेना चाहती थी आखिर कोमल ममता की होने वाली सास थी और सास सबसे अहम होती है किसी भी घर में।
कोमल;एक खुश मिज़ाज़ औरत थी जैसे वो बाहर से थी वैसे ही अंदर से भी खुशमिजाज़ हँसमुख।
देवा;और रत्ना को बहुत शांति मिलती है। उससे बातें करके एक सुकून सा महसूस होता है।
शालु;अंदर से रत्ना को आवाज़ देती है और रत्ना उठके अंदर चलि जाती है।
कोमल;देवा तुम बहुत सुन्दर हो । कोई लड़की देखी है की नहीं तुम्हारी माँ ने शादी के लिये।
देवा;जी वो....
अभी ममता की शादी हो जाये उसके बाद सोचेंगे मुझे भी कोई जल्दी नहीं है।
कोमल; हाँ तुम्हारे जैसे गबरू जवान को तो रोज़ बाहर दिवाली होती होगी।
देवा;ऑंखें फाड़े कोमल की तरफ देखने लगता है और कोमल कमर मटकाते हुए खाना खाने अंदर चलि जाती है।
खाना खाके मेहमान अपने गांव चले जाते है और जाते जाते देवा को घर आने का बोल जाते है।
शालु रत्ना और देवा घर के ऑगन में बैठे मेहमानो के गुन गा रहे थे और अंदर ममता ऑसू बहा रही थी।
रत्ना; बड़े नसीबो वाली है हमारी ममता जो इतना अच्छा रिश्ता चल के आया है।
शालु;हाँ बात तो सही है अब देखो न रश्मि की शादी भी ऐसे ही जल्द बाज़ी में हुई थी। मगर बहुत खुश है मेरी रश्मि भी अपने ससुराल में।
देवा;काकी रश्मि कब आ रही है मायके।
शालु;देवा को घुरते हुए कहती है । आ जायेगी लगता है भाई को अपनी बहन की याद सता रही है।
रत्ना;हाँ मेरा देवा है ही ऐसा अपनी सभी बहनो का बड़ा ख्याल रखता है।
देवा;माँ मै तो काकी से भी कहता हूँ कुछ भी मत सोचा करो निसंकोच बोल दिया करो मै ख़ुशी ख़ुशी कर दूंगा तुम्हारा काम।
शालु को खांसी आ जाती है और रत्ना उसके लिए पानी लेने अंदर चली जाती है।
उसके जाते ही शालु देवा के कान खिचती है।
क्यूं रे क्या बोल रहा था।
देवा;शालू के जांघ पर हाथ रख के चूत के पास के नरम हिस्से को सहला देता है।
इस काम के बारे में काकी।
शालु;खवाब देखता रह जा बेटा। तुझे बस कुछ नहीं मिलने वाला।

रत्ना; ये लो पानी शालू।
शालु;रत्ना के हाथ से पानी ले के पीने लगती है और नज़रों से देवा को घुरने लगती है।
शालु; अच्छा रत्ना मै चलती हूँ घर में बहुत काम है रात भी होने को आई है।
रत्ना;हाँ मुझे भी बहुत नींद आ रही है। आज बहुत काम करना पडा हमे।
शालु;घर जाने के लिए खड़ी होती है।
देवा: काकी मै छोड दूँ घर तक।
शालु;नहीं मै चलि जाऊँगी।
छोटी छोटी बातों के लिए तुझे परेशान नहीं करुँगी मै बेटा।
देवा;क्या काकी तुम भी न। चलो मै आता हूँ रास्ते में बहुत अँधेरा है।
देवा भी शालु के साथ घर से बाहर निकल जाता है और रत्ना बिस्तर लगा देती है।
ममता;भी ऑखें छुपाते हुए रत्ना के पास जाके लेट जाती है।
रास्ते में अँधेरा बहुत था गांव के सभी लोग सो चुके थे।
शालु;आगे आगे चल रही थी और देवा पीछे पीछे।
देवा;रुक ज़रा।
शालु;रुक जाती है गली में अँधेरा के वजह से कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था ।
देवा ;शालू के करीब जाता है और उसे पीछे से जकड लेता है।
शालु;आहह क्या करता है इसके लिए आया था ना तू उन्हह।
देवा;शालू के ब्रैस्ट मसलने लगता है और उसके मुँह से मुँह लगा देता है।
आज तो बहुत सुन्दर लग रही थी शालु। बहुत देर से तेरे होठो को चुमने को दिल कर रहा है मेरा गलप्प गलप्प।
शालु;बदन ढीला छोड देती है और देवा के बालों में उँगलियाँ फँसा देती है।
मत कर गलप्प गलप्प।
देवा;उसे बोलने नहीं देता और उसके नरम नरम ब्रैस्ट को मसलते हुए होठो को चुमने लगता है।
शालु की चूत में पानी के क़तरे आने लगते है मगर कुत्ते के भोकने से देवा शालु को छोड देता है और शालु अपनी गरम चूत पर हाथ रख कर घर चलि आती है।
देवा;घर आता है तब तक ममता और रत्ना रूम में बैठे बातें कर रही थी । देवा उनके पास नहीं बैठा बल्कि अपने रूम में चला जाता है।
रात के 2 बजे देवा के पेट पर ममता अपने हाथ फेरते उसे जगा देती है।
देवा आँख खोल देता है।
अरे ममता तू। माँ ने देख ली तो मुसीबत आ जाएगी।
ममता ;माँ की फिकर है और मेरी नहीं। मुझे नहीं करने शादी भैया आप माँ से बोलो न मुझे नहीं करनी शादी।
रात के अँधेरे में ममता बहुत प्यारी लग रही थी वो देवा से एकदम चिपक के बैठी थी।
देवा;अपनी बहन को अपने बाहों में जकड लेता है।
ममता;उन्हह भैया कुछ करो न । शादी नहीं करुँगी मै किसी से भी।
देवा;चुप कर साली जब से देख रहा हूँ वही रट लगा रखी है।
अरे पगली तू शादी कर ले उसके बाद कौन तुझे कह रहा है हमेशा वहां रहने को। जब दिल करे आ जाना यहाँ मेरे लंड के निचे सोने के लिये।

ममता;भैया मुझे बहुत याद आएंगी ना आपकी।
देवा;याद आयेंगी तू मुझे भी। मगर किया भी क्या जा सकता है।
गांव वालो को क्या कहुंगा मै की बहन की शादी नहीं कर रहा हूँ क्यूंकि वो नहीं चाहती।
ममता को देवा की बात समझ आ गई थी वो अपनी बाहें खोल देती है और देवा उसकी सलवार का नाडा खोल देता है और दोनों भाई बहें एक दूसरे से चिपक जाते है।

ममता ;भैया आह्ह्ह्ह।
देवा;ममता की सलवार निकाल देता है और उसे लिटा देता है।
तेरी चूत बहुत मीठी है मेरी बहन गलप्प गलप्प गलप्प।
ममता ;आहह चाट लो भैया । शादी के बाद नहीं मिलेगी ना रोज़ रोज़ आह्ह्ह्ह।
देवा;अपनी ज़ुबान से ममता की चिकनी चूत को चाटने लगता है गलप्प गलप्प्प।



ममता ;भैया माँ जग जाएगी जल्दी से अंदर पेल दो ना आह्ह्ह्ह।
देवा;रुक जा ममता गलप्प गलप्प।
ममता ;हाथ निचे ले जाके देवा का लंड पकड़ लेती है और उसे मुठी में भर के सहलाने लगती है।
देवा;आहह तेरा हाथ लगते ही देख कैसे उछल रहा है तेरे भाई का लंड ममता।
ममता ;मेरी चूत का कुछ करो भइया।
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को ममता की चूत पर लगा देता है और अंदर पेल देता है।
ममता;भैया उईईईईई माँ।
जब भी लेती हूँ ऐसा लगता है पहली बार ले रही हूँ आहह।

देवा;बहुत छोटी सी चूत है बहना तेरी और छोटी सी चूत मेरे मोटे लंड को बहुत ज़ोर से जकड लेती है आअह्हह्हह्हह।
ममता ;आपके लंड ने तो इसे खोला है भइया
और चोदो न आह ज़ोर से आहहह्ह्ह।
वा निचे से कमर उठाने लगती है और देवा ऊपर से ममता की चूत में लंड उतारने लगता है।
देवा;ममता को घुमा के उल्टा लिटा देता है और पीछे से कमर पर लेट जाता है।
ममता;भैया भाभी की गाण्ड बहुत ज़ोर से मारे थे न उन्हह तुमने।
देवा;हाँ ममता तेरी भी लुँगा मगर अभी नहीं वरना तू माँ को जगा देगी।
देवा;पीछे से ममता की कमर के दरार में लंड घूस्सा के लंड को चूत की जड तक पहुंचा देता है और घच से लंड को फिर से ममता की चूत की गहराइयों में उतार देता है।
ममता; चीख़ पडती है।
माँआआआआआआआआ...........

ममता की चीख़ रत्ना के कान तक पहुँच जाती है और वो जग जाती है ममता को अपने पास ना पा के वो उठके देवा के रूम में चली जाती है और सामने का नज़ारा देख उसके पांव तले की ज़मीन खिसक जाती है।

रत्ना; चीखते हुए।
हमारखोरों।
क्या कर रहे हो तुम दोनो।
देवा;और ममता चौंकते हुए उठ के बैठ जाते है।
देवा का लंड ममता की चूत से आवाज़ के साथ बाहर निकल जाता है।
रत्ना;पास में पड़ी हुई लकड़ी ले के दोनों की पिटाई शुरू कर देती है।
कुते कमिने हरामज़ादे अपनी बहन के साथ ये सब करते तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आती।
देवा;और ममता की पीठ पर हर जगह रत्ना लकड़ी से मारना शुरू कर देती है।
देवा रत्ना का हाथ नहीं पकडता मगर ममता देवा को बचाने के चक्कर में खुद भी पिटती चली जाती है।
रत्ना;देवा के पास आती है और उसके बाल खीच के सटा सट सटा सट थप्पड की बौछार उसके मुँह पर कर देती है। पास में बैठी ममता भी ज़्यादा देर बच नहीं पाती और रत्ना ममता का मुँह भी लाल कर देती है।
रत्ना;कपडे पहनो तुम दोनों हरामखोरों।
देवा;अपने कपडे पहनता है और रत्ना उसे मारते मारते घर के बाहर ले आते है।
निकल जा मेरे घर से कुत्ते और आज के बाद तेरे शक्ल भी मुझे मत दिखाना समझा।
ममता; ऐसे मत करो न माँ।
वो रोने लगती है।
रत्ना;तुझे भी जाना है तो तू भी निकल जा कुतिया।
रत्ना एक ज़ोर से लकड़ी ममता के पैर पर मारती है और ममता वही रोते रोते बैठ जाती है।
देवा;अपने घर रत्ना और ममता को देखता हुआ घर से बाहर निकल जाता है।
रत्ना;ज़ोर से चीखते हुए उससे कहती है वापस मत आना कुत्ते।
रत्ना पलट के ममता के बाल खीचते हुए उसके मुँह पर चपत मारते हुए उसे घसिटते हुए घर के अंदर ले जाती है।
 

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