Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;का लंड तो ज़रा से हलचल से खड़ा हो जाता था
वो तैयार था।

और किरण उसे अपने मुंह में घुसाके सही रास्ता दिखा देटी है गलप्प गलप्प।

किरण; आहह इतना बड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखा देवा आहह इसे एक दिन ज़रूर लुंगी गलप्प गलप्प आह्हह्हह्हह्हह।



देवा;आहह जल्दी कर आह्ह्ह्ह।

किरण;खीच खीच के देवा के लंड को चुसने लगती है आज कई दिनों बाद वो किसी मरद का लंड चूस रही थी।

देवा;किरण के बाल पकड़ के अपने लंड के झटके सटा सट उसके मुंह में देने लगता है और कुछ मिनट बाद ढेर सारा रस मलाई किरण के मुंह में उंडेल देता है।

किरण;बड़े चाव से वो मलाई खाने लगती है और देवा बाद में उसे मिलने का वादा करके वहां से निकल जाता है।

जब वैध को अपनी सभी समग्री मिल जाती है तो वो शालु के पति का इलाज शुरू कर देता है और सभी दवाइयाँ खिलाने के बाद वो उन्हे आराम करने की सलाह देके अपने घर चला जाता है।

रात हो चुकी थी। देवा सुबह से घर से बाहर था । शालु उसके इस मेंहनत की कायल हो चुकी थी। रश्मि अपने बापू के तबियत को ले के परेशान थी पर चोर नज़रो से वो भी देवा को देख ही लेती थी।

रात का खाना शालु के कहने पे देवा ने उनके साथ ही खाया।

जब सभी लोग घर के अंदर बैठे हुए थे तो शालु बाहर देवा के पास जाती है।

देवा;काकी अब मै चलता हूँ माँ राह देख रही होगी।

शालु;देवा के गले लग जाती है।
मै तेरा ये एहसान कैसे चुकाऊँगी देवा तूने आज जो कुछ किया है वो मै कभी नहीं भूल सकती।
 
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देवा;काकी मैंने जो किया वो मेरा फ़र्ज़ था आप अपना मन हल्का मत करो।

शालु;तू कतना अच्छा है देवा और मै तुझे क्या समझती थी।



देवा;के हाथ अचानक शालु के कमर पे चले जाते है और वो ना चाहते हुए भी शालु के कमर को हल्का सा दबा देता है । शायद किरण ने जो लंड चुसी थी उसी का ये असर था की अब औरत के पास आते ही उसके हाथ अपने आप हरकत करने लगते थे।

पर इस बार शालु कुछ नहीं कहती।
ये बोलके वो देवा के सीने पे ज़ोर से चुमटी काट लेती है बदमाश कहीं का।

रश्मी;माँ यहाँ आओ बापु को होश आ गया है।

शालु;अंदर चली जाती है और देवा अपने घर के तरफ।

आज का पूरा दिन पप्पू के बाप के तीमारदारी में निकल गया था वैसे भी देवा कल रात सोच चूका था की वो अब हवेली नहीं जायेगा।

पर उसके नसीब में कुछ और ही लिखा हुआ था।

वो जब घर जा रहा था तो उसे रास्ते में पदमा मिलती है और वो देवा को बताती है की जागिरदार साहब ने उसे कल सुबह हवेली पे बुलाया है।

वो बड़े जल्दी में लग रही थी।

देवा भी थक चूका था इसलिए वो भी कुछ ख़ास ध्यान पदमा पे ना देते हुए घर चला जाता है।
 
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गोली की आवाज़ सुनके पेड़ पे बैठे सारे परिन्दे उड़ जाते है और देवा की गाण्ड फट जाती है।वो हिम्मत राव की बात अच्छी तरह समझ गया था।

देवा;मालिक आगे से आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूँगा।

हिम्मत राव;;देवा को ज़हरीली नज़रो से घुरते हुए हवेली के अंदर चला जाता है।

उसके जाने के बाद देवा चैन की साँस लेता है।

कुछ देर बाद रानी बाहर आती है वो आज भी क़यामत ढा रही थी ।

देवा;उसे देखता ही रह जाता है पर अगले ही पल वो बन्दूक देवा के ऑखों के सामने घुम जाते है।

रानी;कुछ पीयोगे देवा।

देवा;नहीं मालकिन चलिये

रानी;नाचते कुदते कार में जाके बैठ जाती है।

कार उस सुनसान रास्ते पे चलने लगती है कुछ देर बाद रानी देवा को कार रोकने के लिए कहती है कार के रुकते ही रानी अपनी जगह से उठके देवा की गोद में जाके बैठ जाती है।

देवा;मालकिन ये आप क्या कर रही है यहाँ नहीं वहां बैठिए ना।

रानी;ओह्ह देवा मेरे देवा तुम कल कहाँ रह गए थे। तुम्हें पता है एक दिन तुम्हें नहीं देखती तो मेरे दिल को चैन नहीं आता ।

देवा;मालकिन ये आप कैसे बहकी बहकी बातें कर रही है। आप मालकिन है हमारे मै आपका नौकर हूँ।

रानी;नौकर हो न मेरे तुम । जो मै कहूँगी करोगे ना।

देवा: जी मलकीन।

रानी;मुझे गाल पे चुमो।

देवा;नहीं मालकिन ये मुझसे नहीं होगा।

रानी;ठीक है तो मै तुम्हारे मालिक से कह दूंगी की तुम....

देवा;झट से परी के गाल पे छोटी सी किस कर देता है और पीछे हट जाता है।
 
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देवा बहुत थक चूका था इसलिए वो सीधा बिस्तर पकडता है और कुछ देर में उसकी आँख भी लग जाती है।

सुबह देवा जल्दी उठके सबसे पहले खेत में चला जाता है कल पूरा दिन वो खेत में नहीं गया था मज़दूरों को काम समझाके वो कुंवे पे बैठा कुछ सोच रहा था।

उसे रह रह के बस एक बात परेशान कर रही थी की वो हवेली जाये या न जाए।अगर नहीं जायेंगा तो जागिरदार नाराज़ हो जाएंगे और अगर गया तो रानी उसे फिर से परेशान करेगी।।वो रानी से किसी भी तरह पीछा छुड़ाना चाहता था।
बैठे बैठाये कौन मुसीबत मोल लेना पसंद करता है।

आखीर कर वो कुछ फैसला करते हुए हवेली की तरफ चल देता है जब वो वहां पहुँचता है तो हिम्मत राव को गार्डन में बैठा पाता है।

हिम्मत राव एक कुरसी पे बैठा हुआ था और सामने के टेबल पे दो बन्दूकें रखे हुई थी जिसे हिम्मत राव साफ़ कर रहा था।

देवा की तो हालत ख़राब होने लगती है इतने खतरनाक बन्दूकें देख के वो ड़रते ड़रते हिम्मत राव के पास आता है।

नमस्ते मालिक आपने मुझे याद किये थे।

हिम्मत राव;देवा बैठो बैठो।

देवा;नहीं मालिक मै यही ठीक हूँ।

हिम्मत राव;तुम कल क्यों नहीं आये थे और रानी मुझे बता रही थी की तुम उसे ठीक से कार चलाना नहीं सिखा रहे हो।

देव ;हकलाने लगता है नहीं नहीं मालिक मै तो छोटी मालकिन को बिलकुल अच्छे से कार चलना सिखा रहा हुं और वो कल शालु काकी के पति की तबियत ख़राब हो गई थी इस लिए मै नहीं आ पाया।

हिम्मत राव;वो बड़े वाली बन्दूक उठाके देवा के सर की तरफ निशाना लगा के देखने लगता है।
बहुत खूबसूरत चीज़ है ये देवा एक बार चल जाये तो जान निकाल के छोड़ती है।
तूम्हे कैसे लगे ये।

देवा;बहुत अच्छे है मालिक।

हिम्मत राव;देखो देवा रानी मेरी एकलौती बेटी है उसकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी है और उसकी नाराज़गी मतलब मेरी नाराज़गी।

हिम्मत राव ये कहते हुए ऊपर हवा में फायर करता है।
 

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