Incest हाय रे ज़ालिम................

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रत्ना;धत बदमाश अब इस उम्र में मै क्या अच्छी लगूँगी बेटा।

देवा;मैंने कहा न मेरी बात पर विश्वास नहीं है तुम्हें।

रत्ना;अरे नहीं वो बात नहीं अच्छा ये बता तूने साडी तो ले आया पर अंदर पहनने के लिए कुछ नहीं लाया।

देवा;तुम ऐसे ही अच्छी लगती हो।ये शब्द उसके मुंह से निकल तो गए थे पर ये दोनों माँ बेटे के चेहरे को शर्म से लाल भी कर गए थे।

रत्ना;अपने रूम में चली जाती है और देवा खटिया पे बैठ जाता है ।
वो सोचने लगता है कही माँ को बुरा तो नहीं लग गया होगा।



कुछ देर बाद जब रत्ना बाहर आती है तो वो बिलकुल नार्मल लग रही थी । ये देख देवा की जान में जान आती है और वो चैन की नींद सो जाता है।

सुबह के 7 बजे।
देवा;तैयार हो चुका था और वो नाश्ता करके खेत की तरफ चला जाता है।

आज खेत में उसे मज़दूरों से काम लेना था वो जो सुबह से काम में लगता है तो 11 बज जाते है।

गर्मी के कारण मज़दूर अपने अपने घर को चले जाते है देवा वही कुंवे पर हाथ मुंह धोने लगता है तभी उसे शालु अपनी कमर मटकाते हुए आती दिखाई देती है।

शालु;सीधा देवा के खेत में आती है । आज उसके साथ बकरियाँ नहीं थी वो अकेली ही आई थी।

देवा;क्या बात है काकी आज तुम अकेली आई हो मेरा मतलब है बकरियाँ चराने नहीं लाई।

शालु;अरे पप्पू ले गया है नदी पर उन्हें। मै तो यहाँ आम तोड़ने आई थी अच्छा हुआ तू मिल गया ज़रा कुछ कच्ची कैरिया तोड़ दे मुझे।

देवा;शालु को नीचे से ऊपर तक देखने लगता है और सोचता है साली खुद तो पका पकाया आम है जितना निचोड़ो उतना कम ।

शालु;देवा के ऑंखों की गर्मी अपने शरीर पे महसूस कर चुकी थी।
क्या हुआ नहीं तोड़ना हो तो बोल दे।
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देवा;अरे नहीं काकी आपको नहीं दूंगा तो फिर किसे दूँगा।

शालु;बडा आया देने वाला चल जल्दी कर कच्ची वाली तोड़ना।

देवा;काकी जो मजा पके चीज़ में है वो कच्ची में कहाँ।

शालु;अच्छा तुझे कैसे पता।

देवा;लो कर लो बात। पके आम को दबा दबा के खाने में कितना मजा आता है।

शालु; बेटा कच्ची चीज़ बहुत मजा देती है चटखारे मारता रह जाता है इंसान।

देवा;मुझे तो पके हुए पसंद है।

शालु;तुझे क्या क्या पसंद है मै अच्छे से जानती हूँ। ज़्यादा बाते न बना चल जल्दी कर।

देवा;काकी जल्दी का नाम शैतान का धीरे धीरे में जो मजा है वो जल्दी में नही।

शालु; देवा को घुरने लगती है देवा की डबल मीनिंग बातें शालु खूब समझती थी।
चल मेरा काम करता है या नही।

देवा; मैं तो कब से तैयार हूँ काम करने के लिए आप ही मुझे बातों में उलझा रही हो चलो इधर आओ ।

शालु;क्या मतलब।

देवा;अरे बाबा मै आपको ऊपर उठाता हूँ आप अपनी मर्जी के कच्ची वाली आम तोड़ लो।

शालु;आगे बढ़ती है और देवा उसे कमर के पास से पकड़ के ऊपर उठा लेता है।

देवा;बहुत भारी हो गई हो तुम काकी।

शालु;बस निकल गया दम बड़ा मरद बनता फिरता है । दो पल तो सँभाल नहीं सकता अपनी जोरु को क्या सँभालेंगा।

देवा;ग़ुस्से में आके शालु को और ऊपर उठा लेता है जिससे शालु की कमर देवा के मुंह के सामने आ जाती है।

शालु;कच्ची कैरिया तोड़ने लगती है और देवा शालु के दोनों मोटे मोटे कमर नहीं बल्कि कमरों को इतने पास से देखने लगता है।

देवा;के मुंह में पानी आने लगता है कल से लंड रह रह के उछाले मार रहा था अचानक उसका मुंह शालु के चूतड़ के बीच के दरार में घुस जाता है।
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शालु;का पूरा जिस्म कांप जाता है हाथ में आये हुए आम नीचे गिर जाते है और वो खुद को किसी तरह सँभाल पाती है।

देवा;फिर से वही करता है वो अपनी नाक को शालु के गाण्ड के ठीक ऊपर लगा के हलके से शालु की मोटी गांड को अपने चेहरे से दबा देता है।

शालु;आहह क्या कर रहा है मै नीचे गिर जाऊँगी।

देवा;जैसे ही अपनी नाक निकलता है शालु उसके हाथ में से फिसल जाती है और शालु धडाम से नीचे गिर जाती है।



शालु;हाय रे सत्यानाश हो जाये तेरा। क्या कर रहा था माँ कितना दर्द हो रहा है मुझे आहः

देवा;घाबराके उसके पैर के पास बैठ जाता है।
दीखाओ मुझे कहाँ लगा है।

शालु;आहह दूर हट मुए।

देवा;काकी देखने तो दो पता तो चले ज़्यादा गहरा मार तो नहीं लगा तुम्हें।

शालु;पैर पकड़ के सिसकने लगती है उसे सच में बहुत दर्द हो रहा था।

देवा;शालू के पंजे को पहले देखता है वहां सब ठीक था फिर धीरे धीरे वो शालु की साडी ऊपर करने लगता है।

शालु;क्या कर रहा है देवा।

देवा;काकी चुप चाप बैठो। देखने तो दो मुझे लगता है तुम्हारे पिडलियों पर चोट लगी है।

शालु;हाय रे मै मर गई माँ आहः

देवा;शालू की साडी घुटने तक चढ़ा लेता है।
गोरी गोरी उसके टाँगे भी साफ़ दिखाई दे रही थी पर ज़्यादा अंदर का देखना नहीं दे रहा था क्योंकी शालु ने अपने हाथ से साडी पकड़ रखी थी।

देवा;हलके हलके शालु की मालिश करने लगता है कुछ देर बाद शालु की हलकी हलकी चीखें सिसकारियों में बदल जाती है।

शालु;हाँ वही आहह वही दर्द हो रहा है।आहः
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देवा;का हाथ शालु के नरम मख़मली जाँघो को टच होने लगता है जिससे बार बार शालु को करेन्ट सा लगने लगता है।

शालु;मुझे घर जाना है ये कह के वो जैसे ही उठती है वापस बैठ जाती है।उसका दरद नाक़ाबिल बर्दाश्त था।

देवा;काकी ऐसा करते है मै आपको गोद में उठाके घर ले चलता हूँ।

शालु;नहीं नहीं मै चली जाऊँगी।
वो एक बार फिर उठने की कोशिश करती है और फिर चीख़ के नीचे बैठ जाती है।

देवा;इस बार शालु से नहीं पूछता वो एक हाथ गरदन के नीचे और दुसरा हाथ कमर के नीचे डाल के फूल से भी हलकी शालु को अपने मज़बूत बाँहों में उठा लेता है।

शालु;गिरने के डर से दोनों हाथ देवा के गर्दन में डाल देती है।

देवा;शालू को इसी तरह उठाके शालु के घर की तरफ चल पड़ता है।
धूप बहुत तेज़ होने के कारण गांव के सभी लोग घरो में या खेतों में थे।

रास्ता एकदम सुनसान था इसलिए शालु को भी किसी के देखने का डर नहीं था।

देवा;के हाथ की उँगलियाँ शालु की कमर को छू रही थी जिससे शालु को नशा सा छाने लगा था । उसे यक़ीन नहीं हो रहा था की देवा उसे इतनी आसानी से उठाके घर ले जा रहा है ।

देवा;काकी तुम बहुत हल्की हो मुझे लगा भारी होंगी।

शालु;अभी तो कह रहा था बहुत भारी हूँ मैं।

देवा;जब मैंने तुम्हें सही तरह से नहीं लिया था न अब सही बता रहा हूँ।

शालु;एक मुक्का देवा के छाती पे जड़ देती है और दोनों शालु के घर पहुँच जाते है।

शालु;अंदर चलके चाय पी'।

देवा;नहीं मुझे हवेली में कुछ काम है ये कह के देवा शालु को कातिल नज़रों से घूरता हुआ हवेली चला जाता है जहाँ रानी और दिल ही दिल में रुक्मणी भी उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
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अपडेट 12




देवा;जब देवा हवेली पहुँचता है तो उसे बाहर कोई नज़र नहीं आता।
वो ड़रते ड़रते हवेली के अंदर जाने के लिए कदम बढाता है की अंदर से आती पदमा से टकरा जाता है।

पदमा;अंधे हो गये हो क्या देख के नहीं चल सकते।

देवा;काकी वो मैं.....

पदमा;बस बस रहने दो। तुम किसी काम के नहीं हो ।

देवा;कुछ बोलता उससे पहले रुक्मणी वहां आ जाती है रुक्मणी के आते ही पदमा अपना काम करने किचन में चली जाती है।

रुक्मणी;अरे देवा बैठो रानी आती ही होगी।

देवा;नहीं मालकिन मै ठीक हूँ।
आपकी तबियत अब कैसी है।

रुक्मणी: बिलकुल ठीक हूँ।
पसंद आये कपडे तुम्हारे माँ और बहन को।

देवा;हाँ मालकिन बहुत पसंद आई।

कुछ देर बाद रानी भी वहां आ जाती है।
आज उसने इतनी पतली शलवार क़मीज़ पहनी थी की रुक्मणी उसे बोले बिना नहीं रह पाई।

रुक्मणी;बेटी ऐसे कपडे पहन के बाहर जाना ठीक नहीं है।

रानी;मुझे क्या पहनना चाहिए क्या नहीं ये मुझे आपसे सीखने की ज़रूरत नहीं है।बेहतर होंगा आप अपने काम से काम रखे।

रुक्मणी;चेहरे पे हंसी पर दिल में दर्द लिए उन दोनों के पास से उठके चली जाती है।

रानी;चलो देवा चलते है।

देवा;चुप चाप कार स्टार्ट करके उसे रास्ते पे चला देता है।

रानी;क्या हुआ बड़े गुमशूम लग रहे हो।

देवा;नहीं ऐसे कोई बात नहीं मालकिन।

रानी;हम्म वैसे आज बहुत हैण्डसम लग रहे हो तुम।

देवा; हैण्डसम ..वो क्या होता है ।

रानी; हैंडसम मतलब दिलक़श हसीन खुबसुरत।
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देवा;बस बस मालकिन आप तो कुछ भी कहती है।देवा रानी के मुंह से अपनी तारीफ सुनके चने के झाड पे चढने लगा था।

रानी; अच्छा कार रोक दो और मुझे चलाने दो।

देवा;थोडी देर बाद उसे सुनसान रास्ते पर कार रोक देता है और अपने जगह से उठके साइड में जाने लगता है पर रानी उसे वही बैठने को कहती है।

रानी;अरे बाबा तुम वही बैठो । मै तुम्हारे गोद में बैठ के चलाती हूँ। कही मै कार किसी को ठोक दी तो।।

देवा;न चाहते हुए भी रानी को अपनी गोद में बैठाने पे मजबूर था।

रानी;उछल के देवा के गोद में जाके बैठ जाती है।

देवा;के लंड पे झटका लगता है क्यों की रानी बैठने के बाद अपनी गाण्ड देवा के लंड पे आगे पीछे घिस रही थी।

रानी;चलो मै स्टार्ट करती हूँ तुम ऐसा करो एक हाथ से मुझे पकड़ लो और एक हाथ स्टेरिंग पे रख दो ठीक है।

देवा;चुप रहता है उसे ये सब ठीक नहीं लग रहा था पर वो कर भी कुछ नहीं सकता था।
रानी कार स्लो स्पीड में चलाने लगती है और बार बार सामने देखने के बहाने थोड़ा उठ के बैठ जाती है जिससे देवा का लंड कुचलता जाता है।

देवा;आहह मलकिन

रानी;क्या हुआ देव।

देवा;आप एक जगह बैठ के कार चलाओ।

रानी;मुस्कुराते हुए ठीक है। देखो ऐसे ठीक है न।
वो अपनी कमर को देवा के लंड के ठीक ऊपर रख के बैठ जाती है पतली शलवार होने के कारण देवा का लंड सीधा रानी के कमर के बीच में सट के चिपक जाता है।

कार स्लो स्पीड में चलते रहती है और रानी अपनी पीठ को पीछे करते हुए देवा की छाती से चिपका देती है।

देवा;मालकिन आप ऐसा क्यों कर रही है।

रानी;कार रोक देती है और देवा जिस हाथ से रानी का पेट पकडे हुए था उसे अपने हाथ में पकड़ के ब्रैस्ट पे रख देती है।

देवा; झट से हाथ हटा देता है।
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रानी;फिर से देवा का हाथ अपने ब्रैस्ट पे रख के उसे दबाती है जिससे देवा के हाथ में फँसे हुए परी के ब्रैस्ट भी दबने लगते है।

देवा;के लंड में हलचल से होने लगती है मरद खुद को कितना भी कण्ट्रोल रखने के कोशिश कर ले। पर जब सामने वाली खुले आम चूत परोस रही हो तो कौन नहीं बहकना चाहेगा।

रानी;अपना गाल देवा के गाल पे रगडते हुए धीरे धीरे अपनी ब्रैस्ट मसलवाने लगती है।

देवा;मालकिन मालिक मुझे जान से मार देंगे अगर उन्हें पता चला की......

रानी;आहह कुछ नहीं होंगा तुम्हें। जब तक मै हूँ बस तुम आहः

देवा;नहीं नहीं मालकिन ये गलत है और देवा रानी को अपने गोद में से उठाके साइड में बैठा देता है।

रानी को यक़ीन नहीं होता की मछली चारा मुंह में लेने के बाद उगल गई
वो चुप चाप बैठ जाते है और देवा कार हवेली की तरफ दौड़ा देता है।

रास्ते में रानी ज़ोर से चीखती है ।

देवा;घबरा के कार रोक देता है।क्या हुआ मालकिन

रानी; आहह मुझे कोई चीज़ काट रही है आहह माँ लगता है बिच्छु है।

देवा;कहाँ मॉल्किन

रानी;इशारे से अपनी जांघ के पास इशारा करती है।

देवा; हम हवेली चलते है आप को वहां देख लेंगे।

रानी;कैसे इंसान हो तुम मै यहाँ दर्द से मर रही हूँ और तुम मुझे देख भी नहीं रहे मुझे बहुत दर्द हो रहा है आहः

देवा;अपना हाथ रानी के जांघ पे रख के देखने लगता है यहाँ दर्द हो रहा है क्या।

रानी;आहह नहीं ऊपर आहह जल्दी कुछ करो न। माँ.....

देवा;क्या करू क्या करुं

रानी;अरे मेरी शलवार उतार के देखो कही ज़हर न चढ़ जाये मुझे आहः

देवा;नहीं कुछ नहीं होंगा मालकिन आप को। देवा काँपते हाथों से रानी की शलवार का नाड़ा खोल देता है।
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रानी;झट से अपनी शलवार नीचे उतार देती है और दोनों पैर खोल देती है आहह देखो ।

देवा;झुक के जांघ के आस पास देखने लगता है यहाँ तो कुछ भी नहीं है मालकिन।

रानी;के पतली ट्रांसपेरेंट पेंटी उसकी चूत से एकदम चिपकी हुई थी जिससे चूत के दोनों लिप्स देवा को साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे।

देवा;एक नज़र उस पे डाल के बिच्छु देखने लगता है
बिच्छु था नहीं तो दिखता कैसे।

जब कुछ नहीं दिखता तो देवा रानी के चेहरे को देखने लगता है।

देवा;कुछ भी नहीं है।

रानी;सब कुछ तो है तुम देखो तो सब दिखेंगा
और ये कहते हुए परी अपना हाथ पेंटी के अंदर डाल के अपनी चूत को सहलाने लगती है आहह लगता है वो अंदर चला गया देवा आहः



देवा;समझ जाता है की रानी झूठ बोल रही थी वो बिना कुछ कहे कार हवेली की तरफ बढा देता है।

हवेली पहुँच के देवा जल्दी से कार से उतरता है और बिना रानी को कुछ कहे अपने घर की तरफ चला जाता है।

रानी;उसे आवाज़ देती रह जाते है पर देवा कुछ नहीं सुनता।

देवा रानी को ले के परेशान तो बहुत था पर उसके लंड का बुरा हाल था।
ज़रा ज़रा सी बात पे खड़ा हो जाने वाला देवा का लंड आज कितना ज़ुल्म सहके भी चुप था उसने उफ़ तक नहीं किया था। पर जब वो देवा के पेंट में चिल्ला रहा था वो ज़ोर ज़ोर से देवा से कह रहा था मुझे नरम बिस्तर चाहिए जल्द से जल्द।

देवा;जानता था अगर ये जग गया तो उसे सुलाना बहुत मुश्किल हो जायेगा।वो अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करता हुआ घर की तरफ जाने लगता है की तभी उसे पदमा का ख्याल आता है और वो पदमा के घर के सामने रुक जाता है।
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पदमा घर के आँगन में भैंस को चारा खिला रही थी वो सामने देवा को खड़ा देख एक पल के लिए ठिठक जाती है पर अगले हे पल ग़ुस्सा दिखाते हुए घर के अंदर चली जाती है।

देवा;पदमाँ के घर के अंदर चला जाता है।

उसी वक़्त शालु की बेटी रश्मि अपने सहेली के घर से आ रही थी वो देवा को पदमा के घर में जाता देख हैरत में पड़ जाती है।

रश्मी;सोचने लगती है की ये देवा पदमा काकी के घर करने क्या गया है चलो चल के देखती हूँ और वो दबे पांव पदमा के घर के पीछे बनी खिडकी के पास चुप जाती है।यहाँ से उसे पदमा और देवा दोनों साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे।

देवा;घर के अंदर जाके दरवाज़ा बंद कर देता है।

पदमा;दरवाज़ा खोल और चला जा यहाँ से । मैं कही थी न तुझसे यहाँ मात आना। क्यों आया है।

देवा;काकी गलती हो गई थी मुझसे । माफ़ी दे दो काकी आइंदा ऐसी गलती नहीं होंगी।

पदमा: मैं कुछ सुनना नहीं चाहती। निकल मेरे घर से वरना मै गांव वालो को बुलाऊँगी।

देवा;को एक तो पेंट में लंड परेशान कर रहा था। ऊपर से पदमा अलग भाव दिखा रही थी। उसके सबर का प्याला टूट जाता है और वो एक ज़ोरदार थप्पड पदमा के मुंह पे जड़ देता है।

पदमा;दूर जाके गिरती है उसे दिन में तारे नज़र आ जाते है।

देवा;कब से देख रहा हूँ तुझे मै। साली बड़ा भाव खा रही है चल उठ वो उसके बाल पकड़ के उसे खड़ा कर देता है।

पदमा के आँखों में आंसू आ जाते है। निकल जा यहाँ से अभी के अभी।

देवा;चला जाऊँगा पहले कुछ खा पी तो लेने दे।
देवा पदमा के दोनों ब्रैस्ट को अपने हाथो में ले के कस कस के मसलने लगता है और पीछे से उसकी गाँड में अपना लंड चुभाने लगता है।

पदमा;आहह छोड दे हरामी आहह नहीं करने दूंगी तुझे मै कुछ भी आहः

देवा;तू सिर्फ बोल रही है पदमा। मै जानता हूँ तेरी चूत क्या चाहती है ।

पदमा;कुछ नहीं चाहती हूँ मै नहीं करने दूंगी मतलब नहीं करने दूंगी आहह्ह्ह।
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देवा;पदमा को दिवार से खड़ा कर देता है और उसे पीछे से दबा के खड़ा हो जाता है।फिर वो अपनी पेंट को खोल के नीचे गिरा देता है और साथ में अंडरवियर भी।

पदमा अभी भी नहीं नहीं कर रही थी।

देवा;दोनों हाथों से पदमा के ब्रैस्ट मसलते हुए उसका ब्लाउज एक झटके में फाड़ देता है वो अंदर ब्रा नहीं पहनती थी। दोनों ब्रैस्ट अब सीधे देवा के मज़बूत हाथो में आ जाते है ।

पदमा;के नहीं अब बंद हो चुकी थी वो बस उन्हह आहह करने लगती है।

देवा;उसकी साडी भी खोल देता है और दोनों बिलकुल नंगे हो जाते है।

पदमा;के कमर पीछे की तरफ थी देवा उसमें अपना लंड रगडने लगता है।

पदमा;आहह क्या कर रहा है छोड़ आहः

देवा;बोल अच्छे से देगी या ज़बर्दस्ती करुं।

पदमा;नहीं दूंगी आहह कुछ भी नहीं दूंगी मैं।

देवा;पदमा के बाल पकड़ के अपने लंड पे झुका देता है
खोल मुंह और चूस इसे साली।

पदमा;झट से अपना मुंह खोल के लंड को मुंह में गटक जाती है गलप्प गलप्प।



हलक के अंदर चले जाने की वजह से उसकी साँस घुटने लगती है। देवा अपने लंड को जैसे ही बाहर निकालता है । पदमा झट से उसे फिर से अपने मुँह के अंदर खिंच लेती है। उसे इस सब में बहुत मजा आ रहा था।



पदमा;गलप्प आहह ज़ालिम आग लगा के चला गया था न तो अब नहीं जाने दूंगी । आहह चल चोद ले जितना चोदना चाहता है आहह ।

देवा;पदमा को लिटा के उसके दोनों पैर एक हाथ में पकड़ लेता है और चूत पे लंड रगडता हुआ सट से अंदर पेल देता है।

पदमा;आहह मर गई रे आह.......
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