Incest हाय रे ज़ालिम................

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तीनो का पानी एक साथ निकलने लगता है।

पदमा की चूत देवा के पानी से पूरी तरह भर चुकी थी। चूत के किनारे तक आ चुका पानी पदमा के करवट लेने से बाहर बहने लगता है और गाण्ड को गीला करते हुए ज़मीन पे गिरने लगता है।

देवा की छाती ऊपर नीचे हो रही थी जिस पे पदमा अपना सर रख देती है।

पदमा;देवा बहुत ज़ालिम है तू । मै तुझे बोलती रही धीरे कर पर तू अपनी कर के ही रहता है।

देवा;पदमा एक बार तेरी चूत में जाने के बाद दिल धीरे धीरे करने को नहीं कहता रानी।

पदमा;अच्छा ये बात है ।
वो अपने होंठ देवा के होठो से मिला देती है।

देवा के हाथ पदमा की पीठ और कमर पे नाचने लगते है और पदमा अपनी चूत के घुंघराले बालो में देवा के लंड को फँसा लेती है।

कुछ ही पलों में देवा का लंड पहले सलामी देता है और इस ईशारे को समझते हुए पदमा देवा की छाती को चुमती हुई नीचे उतरती चली जाती है। उसके होंठ देवा के लंड के पास थे और ज़ुबान देवा के सुपाडे को चाटने को बेताब थे।

देवा;आहह मुंह में ले।

पदमा अपना मुंह खोल लेती है और देवा का लंड पदमा के हलक में जाके अटक जाता है । वो आज बडी चुदासी महसूस कर रही थी । इसीलिए चूत को सहलाते हुए लंड को बड़े प्यार से चुसने लगती है।गलप्प गल्प।



देवा;के लंड का सुपाडा जैसे जैसे पदमा के जुबान को छूता है वैसे वैसे उसमें जान आने लगती है और पूरी तरह टाइट हो जाता है।

पदमा;जितनी ज़ोर से चूत को रगड रही थी उतनी ही ज़ोर से वो लंड भी चूसने लगती है गलप्प गल्प।



पदमा;गलप्प आहह बहुत बड़ा है रे देवा तेरा । ना चूत में पूरा जाता है और न गलप्प मुंह में गलप्प।

देवा;देख तेरी गाण्ड में पूरा कैसे उतार देता हूँ साली अब।

पदमा;गलप्प पहले थोड़ा तेल लगा ले रे गलप्प.....

देवा;पदमा को अपने पास खीच लेता है और अपने लंड पे थूक लगा के पदमा की गाण्ड पे घीसने लगता है।
नही काकी आज बिना तेल के पेलूँगा ।

पदमा;आहह नहीं न दर्द होता है रे।

देवा;होने दे साली।
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देवा जैसे ही सुपाडा पदमा की गाण्ड पे लगाता है पदमा को पिछली चुदाई याद आ जाती है ।

पदमा;आहह आराम से घुसाना देवा।

देवा;हाँ काकी बिलकुल धीरे से पेलूँगा।

वो पदमा के दोनों पैरों को ऊपर उठाके अपने लंड को पदमा की गांड के सुराख़ पे रख देता है और धीरे से लंड का सामने का हिस्सा अंदर डाल देता है।
उसका सुपाडा ही इतना मोटा था की पच की आवाज़ के साथ गाण्ड का सुराख़ खुल जाता है और पदमा का बदन थरथरा जाता है।

देवा का दुसरा धक्का इतनी ज़ोर से अंदर पड़ता है की पदमा पूरी तरह हिल जाती है।

पदमा;आहह तू कभी तो मेरी सुना कर आहह धीरे कर आह्ह्ह्ह्ह्हहः

देवा;तीसरे झटके में पूरा का पूरा लंड पदमा काकी की गाण्ड में उतार देता है कुछ पल रुकने के बाद वो अपनी अवकात पे आ जाता है और सटा सट कमर पकड़ के पदमा की गाण्ड को अंदर तक खोलते चला जाता है।

पदमा;चिल्लाने लगती है गीड गिडाने लगती है आहह ज़ालिम आहह मत कर इतने ज़ोर आहह सी माँ।

देवा;आहह देख पदमा तेरी गाण्ड कैसी खुल गई है आहह उसे भी पूरा लंड चाहिए आह साली कितनी गरम और टाइट गांड है तेरी....

पदमा;माँ को पुकारने लगती है पर उस वक़्त सिवाये रश्मि के कोई वहां नहीं था।

रश्मी;की चूत का पानी लगतार बहने लगता है वो अपनी चूत को सहलाना छोड देती हैम बिना सहलाये ही उसकी कुँवारी चूत के दोनों लिप्स फड़ फड़ा रहे थे।
उसकी चूत का पानी जांघ से बहता हुआ अब पैर के पंजे तक पहुँच चूका था। रश्मि की चूत पहली मर्तबा इतनी बुरी तरह किसी की चूत और गाण्ड की चुदाई होते देख रही थी।

पदमा;आहह पानी छोड दे गाण्ड में देवा अहह और उसे मत फाड़ माँ वाह क्या लंड है आहः

देवा;थोडी देर पदमा आहह बस थोडी देर और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

वो थोडी देर और 20 मिनट तक चलते रही पदमा का पूरा जिस्म निढाल हो चुका था। गाण्ड एकदम सुन्न पड़ चुकी थी। पर देवा था की पदमा की गण्ड से लंड निकालने को तैयार नहीं था।
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पदमा;आहह मार देगा आज तो मुझे आहः

देवा;ज़ोर दार झटके मारने लगता है और कुछ पलो बाद पदमा के गाण्ड को भी अपने पानी से भर देता है।

पदमा बेसुध ऑखें बंद किये अपनी गाण्ड की जलन को कम होने का इंतज़ार करने लगती है और देवा उठके कपडे पहनने लगता है
ताभी उसके नज़र खिडके के तरफ जाते है और उससे वहां रश्मि खड़ी नज़र आती है।

रश्मी भी देवा को देख लेती है और वो अपनी शलवार ऊपर चढा के वहां से भागना चाहती है पर देवा बिजली की रफ़्तार से उसका हाथ पकड़ लेता है।

रश्मी;छोड मेरा हाथ वो नज़रें नीचे करके अपना हाथ छुड़ाने लगती है।

देवा;अभी भी नंगा था उसका लंड लटक रहा था जिसपे रश्मि की नज़र टिकी हुई थी।

देवा;रश्मि को अपने छाती से चिपका लेता है।
ईधर देख मेरी तरफ।

रश्मी;आहह छोड दे मुझे वरना मै चिल्लाऊँगी।

देवा;उसे और अपनी बाहों में कस लेता है।
इसका मतलब तूने सब देख लिया है ना । बोल...

रश्मी;हाँ देख लिया है मैंने और मै जाके तेरी माँ को भी बता दूंगी की तू .....

देवा;माँ को बतायेगी क्या बतायेगी।
वो अपने मज़बूत हाथों से रश्मि के नरम ब्रैस्ट मसलने लगता है।

रश्मी; चुदाई देख के इतनी गरम हो चुकी थी की वो देवा को ऐसा करने से मना भी नहीं कर पाई। बस देवा की बाँहों में मचलने लगती है।

देवा;मुझे पता है तू माँ को कुछ नहीं बतायेगी। पता है क्यूं।

रश्मी;सवालियां नज़रों से देवा के चेहरे को देखने लगती है।

देवा;क्यूँकि तू खुद मेरा हिला चुकी है और आज जो कुछ तूने देखा वो सब करने का तेरा भी दिल कर रहा है।

रश्मी;नहीं मेरा कुछ दिल नहीं कर रहा । छोड दे मुझे कमीने मै कभी नहीं करुँगी तेरे साथ।
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देवा;रश्मि की चूत के पास हाथ लगा के देखता है उसकी शलवार गीली थी। चूत का चिप चिपा पानी जब देवा के हाथ को लगता है तो देवा समझ जाता है की रश्मि झूठ बोल रही है।

शर्म के मारे रश्मि की ऑखें बंद हो जाती है।

देवा;उसके कान में धीरे से कहता है झूठी तेरी चूत तो कुछ और ही कह रही है।

रश्मी;आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;उसके इतने क़रीब था और इस हालत में था की उससे रहा नहीं जाता और वो रश्मि के नीचले होंठ को मुंह में लेके चुसने लगता है गलप्प गल्प।

रश्मी;देवा के छाती पे मुक्के बरसाती जाती है।
पर देवा पूरा रस पी जाने के बाद ही रश्मी को छोडता है।

देवा;जा अब जाके माँ को ये भी बता देना की मैंने तेरे साथ क्या किया।

रश्मी;देवा के टेस्टीस पे ज़ोर से हाथ मार के हँसते हुए वहां से भाग जाती है।
मै माँ को बता दूंगी देवा की तू बड़ा कमीना है।

देवा; लंड को हाथ में पकड़ के बैठ जाता है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

उधर हवेली में सन्नाटा पसरा हुआ था।

हिम्मत राव अपनी कार लेके पास के गांव गया हुआ था जहाँ रहती थी बिंदिया।



बिंदिया; एक बहुत ही खूबसूरत औरत थी माँ बाप उसके इस दुनिया में थे नहीं जिसकी वजह से उसकी शादी नहीं हुई थी।गरीब होने की वजह से कोई रिश्तेदार उसे सहारा देने को तैयार नहीं था।

हिम्मत राव; का दिल बिंदिया पे कई साल पहले आ गया था ।
उसने बिंदिया को न सिर्फ सहारा दिया बल्कि उसे दुनिया के हर ऐशो आराम की चीज़ ला के दिया था बदले में बिंदिया ने हिम्मत राव को अपना जिस्म दिया था।

पिछले कई सालो से वो हिम्मत राव के रखेल के रूप में ज़िन्दगी गुज़ार रही थी पर उसका असल मक़सद हवेली की मालकिन बनने का था। हिम्मत राव बिंदिया की मोहब्बत में इस कदर गिरफ्तार हो चुका था की वो बिंदिया के हर जायज़ नजायज़ माँग पूरी करता था।
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हफ्ते में चार पांच दिन हिम्मत राव बिंदिया के साथ गुजारता था।

आज भी वो इसी के लिए यहाँ आया हुआ था।

बिंदिया ; हिम्मत राव को देख दरवाज़ा खोल के उसे अंदर ले लेती है।

रोज पहले शराब का दौर चलता और उसके बाद शबाब का।

बिंदिया नखरे करने में माहिर थी।

वो हिम्मत राव को अपने छाती से लगा लेती है और उसके होठो को अपने मुंह में लेके चुसने लगती है।

हिम्मत राव;बिस्तर पे बैठ जाता है।
आज पीलाओगी नहीं जानेमन।

बिंदिया;पिलाऊंगी भी और लुंगी भी सरकार।

हिम्मत राव; बिंदिया के हाथों से शराब के जाम पे जाम खाली करता चला जाता है और कुछ ही देर में पूरी बोतल खाली कर देता है।

बिंदिया; हिम्मत राव की क़मीज़ उतार के उसके छाती पे अपना सर रख देती है।

हिम्मत राव;नशे में बात बढाये जा रहा था।

बिंदिया;मालिक आप मुझे दुल्हन बनाके हवेली कब ले जा रहे है।

हिम्मत राव;बस कुछ दिन की बात है बिंदिया। हमारे बीच का कांटा हटने ही वाला है।

बिंदिया; और आपकी बेटी......

हिम्मत राव :रानी अगर उसकी माँ अपनी सारी जायदाद उसके नाम करके ना गई होती तो कब का उसे भी उसके माँ के पास पहुंचा देता।
पर तू फिकर मत कर एक बार रुक्मणी का काम होने दे उसके बाद रानी भी मरेगी।

बिंदिया; मुस्कुराते हुए हिम्मत का पजामा उतार देती है और दोनों की रास लीला शुरू हो जाती है।
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हिम्मत राव;रुक्मणी के पेशानी पे चुमता हुआ रानी के कमरे की तरफ चला जाता है।

रानी के रूम में किसी को आने की परमीशन नहीं थी रुक्मणी को भी नही।
सिर्फ हिम्मत राव कही भी आ जा सकता था।

एक बार रुक्मणी ऐसे ही किसी काम से उसके रूम में चली गई थी तो उस बात पे रानी ने इतना हंगामा किया थी की उस दिन से रुक्मणी ने कान पकड़ी थी की आज के बाद कभी भी रानी के रूम में नहीं जाएंगी।

यही वजह थी की रानी अपने रूम में किसी भी हालत में सोई रहती थी। बस पदमा साफ़ सफाई करने उसके रूम में जाया करती थी।

रानी;बिस्तर पे नंगी सोई हुई थी उसे अभी अभी नींद लगी थी।

हिम्मत राव;रानी को ऐसी हालत में देख राल टपकाने लगता है और आगे बढ़ के रानी की चूत के पास बैठ जाता है।

वो बड़े गौर से रानी की चिकने चूत को देखने लगता है।

कुछ देर देखने के बाद वो रानी के चूत के दोनों लिप्स को अपने उँगलियों से मसलने लगता है और उसे दबोच लेता है।



रानी नींद से जाग जाती है।
आह बापू क्या करते हो उन्हह।

हिम्मत राव;कुछ भी तो नहीं बिटिया बस देख रहा हूँ।

रानी;अपनी चूत के दाने को सहलाने लगती है उसकी चूत में तो काफी देर से जलन हो रही थी।
हिम्मत राव;क्या हुआ रानी दर्द हो रहा है कही पे।

रानी;हाँ बाबू यहाँ।



हिम्मत राव;अरे बिटिया पहले क्यों नहीं बोली तू कहे तो मलहम लगा दुं।

रानी;कोई ज़रूरत नहीं कुछ लगाने की मरहम दर्द कम करने के लिए लगता है।
तूम तो दर्द और बढा देते हो बापु।
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हिम्मत राव;रानी की चूत को अपनी उँगलियों से सहलाने लगता है।
बिटिया अपनी ज़ुबान से मलहम लगा देता हूँ जल्दी आराम मिलेगा तुझे।

रानी;आहह कैसे बापु।

हिम्मत राव;रानी की चूत पे झुक जाता है और अपनी ज़ुबान रानी की चूत पे रख के उसे अंदर तक चाटने लगता है गलप्प गलप्प ......



रानी;आहह बापू और अंदर तक लगाओ न आहह हाँ बापु आहः

हिम्मत राव;रानी की चूत को चाटता चला जाता है।
और रानी कमर को और ऊपर उछाल उछाल के हिम्मत राव से अपनी चूत चटवाती जाती है।

कुछ देर बाद रानी हाँफने लगती है और एक चीख़ के साथ झड़ जाती है।

कि तभी बाहर से रुक्मणी की आवाज़ आती है।

रुक्मणी;अजी सुनते हो ज़रा यहाँ आओ न।

हिम्मत राव;बुरा सा मुंह बनाके बाहर निकल जाता है।
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देवा;घर पहुँच चूका था । घर में रत्ना और ममता उसी का इंतज़ार कर रही थी उनके चेरे पे परेशानी साफ़ देखी जा सकती थी।
जब वो देवा को दरवाज़ा खोल के अंदर आता देखतीं हैं तो खुश हो जाते है।

रत्ना;बडी देर लग गई बेटा।

देवा;हाथ मुंह धोते हुए हाँ माँ वो कपडे लेने में देर हो गई।

ममता; भाई शहर से मेरे लिए क्या लाये।

रत्ना;बस कर लड़की। भाई अभी घर आया नहीं खाने का पूछा नहीं की मेरे लिए क्या लाये।
जा जाके खाना ला दे।

ममता ; फुले हुए मुंह के साथ किचन में चली जाती है।उसने देवा के हाथ में बैग तो देख ही ली थी बस दिल जल्द से जल्द उन्हें खोल के देखने को कर रहा था।

देवा;खाना खाने लगता है।
रत्ना उसके पास बैठ के हाथ के पंखे से हवा करने लगती है।

रत्ना;बहुत थका थका सा लग रहा है देवा । तू क्यों इतना काम करता है।

देवा;उफ़ माँ कहाँ थका हुआ हूँ बिलकुल ठीक तो हूँ।तुम भी ना।
वो खाना खाने के बाद बैग खोलता है और उस में से पहले एक साडी निकालता है जो वो रत्ना के लिए लाया था।
साड़ी बहुत अच्छी थी रतना उसे खोल के देखती है उसके चेहरे के हाव भाव देवा को बता देतें है की साडी रत्ना को बेहद पसंद आई है।

ममता; भाई ये दूसरे बैग में क्या है।

देवा; हाँ हाँ मै समझ गया । ये ले तेरे लिए एक शलवार कुर्ता और ये रात में पहनने के लिए कुछ कपडे लाया हूँ।।

ममता; झट से कपडे हाथ में ले के बाथरूम में घुस जाती है।
वो इतनी उतावली हो रही थी कपडे पहन के देखने के लिए की बस जल्दी जल्दी वो अपना कुर्ता निकाल के फ़ेंक देती है।
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देवा;माँ तुम भी साडी पहन के देख लो अगर अच्छी नहीं लगी तो वापस कर देंगे।

रत्ना;कल पहन लुंगी बेटा।

देवा;नहीं माँ मुझे अभी देखना है।

रत्ना;रोज़ तो देखता है तु।

देवा;आज अच्छे से देखना है पहन लो न माँ।

रत्ना; अच्छा बाबा तू देखे बिना मानने वाला तो है नही।
रत्ना उठके अपने रूम चली जाती है

ममता ; नाईट ड्रेस पहनके जब देवा के सामने इतराते हुए आती है तो देवा देखता रह जाता है।
कैसी लग रही हूँ भैया।वो इधर उधर घुम घुम के देवा को अपने अलग अलग भाग के एक तरह से दर्शन करवाने लगती है।

देवा;उठके उसके पास जाता है।
ज़रा बता मुझे हम्म एकदम मस्त बिलकुल फिट आएँ है ना कपडे तुझ पे।
एक मिनट यहाँ से थोड़ा ढिला है क्या ।

वो ममता को पीछे घुमा के उसके कमर की फिटिंग देखने लगता है।
और अनजाने में उसका हाथ ममता के कमर पे चला जाता है।



ममता के मुंह से आहह निकल जाता है।

देवा समझ के भी अन्जान बन जाता है।
क्या हुआ ममता।

ममता ; कुछ नहीं भाई ।

तभी वहां रत्ना साडी पहनके आती है वो साडी रत्ना पे बहुत जंच रही थी देवा तो उसे देखता ही रह जाता है।



मोते मोटे रस से भरे हुए सुडौल ब्रैस्ट आज देवा को साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसकी नज़र आज रत्ना की ब्रैस्ट से हटने का नाम नहीं ले रही थी।

ममता ; खंखारती है और दुसरा ड्रेस पहनने वापस बाथरूम में घुस जाती है।

रत्ना;अभी भी चुप चाप देवा के मुंह से तारीफ सुनने के लिए खड़ी थी।

देवा;आगे बढ़के रत्ना के पास आता है।
बहुत सुन्दर लग रही हो माँ तुम।
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