Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा अपने दोनों हाथों से रश्मि की कमर को थाम लेता है।
क्या देख रही है।

रश्मी;देख रही हूँ आखिर तूने अपने दिल की मनमानी कर ही लिया।
दे दिया मुझे भी ये रोग।
अब बता शादी के बाद मुझे इसकी याद आएगी तो मै क्या करुँगी।

देवा;क्यों तेरे होने वाले पति के पास नहीं है क्या ये।

रश्मी; होगा मगर इस जैसा तो नहीं होगा न।

देवा;तुझे कैसे पता ऐसा नहीं होगा।

रश्मी; तू सवाल बहुत पूछता है।
अच्छा सुन शादी में तू मुझे क्या तोहफ़ा देने वाला है।

देवा;रश्मि के होठो को चुमते हुए।
बोल क्या चाहिए तुझे जो तू बोलेगी तुझे दूँगा।

रश्मी; पक्का वादा।

देवा अपनी एक ऊँगली पीछे से रश्मि की गाण्ड में डाल देता है।
हाँ पक्का वादा।

रश्मी;उन्हह मुझे शादी के दिन बारात विदाई होने से पहले शादी के जोड़े में चोदना होगा तुझे।

देवा;का लंड ये सुनके ही खड़ा हो जाता है।
वो रश्मि को कमर ऊपर उठाने को कहता है और जैसे ही रश्मि अपनी कमर उठाती है देवा उसकी चुत में लंड फंसा देता है और रश्मि चिकनी चूत में लंड लेते हुए बैठती चली जाती है।


रश्मी; आहह देवा । बोल न चोदेगा न मुझे दुल्हन के जोड़े में आह्ह्ह्ह्ह।

देवा;दोनों कमर को हाथ में पकड़ के सटा सट अपने लंड से उसे नीचे से चोदने लगता है।
हाँ चोदूँगा उस दिन आहह तुझे ये तोहफ़ा चाहिए मुझसे आह्ह्ह्ह्ह।

रश्मी; हाँ मै चाहती हूँ मै तेरा पानी अपनी चूत में ले के ससुराल जाऊँ। उईई माँ इतनी ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह।

ताकी जब भी मेरा पति मुझे करे मेरी चूत में तेरा पानी मुझे महसूस हो।आहह अआहह माँ वो आआआआअहः।

देवा का जोश डबल हो चुका था। एक जवान लड़की जिससे वो दूसरी मर्तबा ही चोद रहा था वो इतना सब कुछ सोच सकती है उसके बारे में। ये बात सोच सोच के उसके लंड में एक अजीब सा खिंचाव आ रहा था।


वो बार बार एक ही बात सोच रहा था जब रश्मि दो बार में इतनी चुदासी हो गई है तो नीलम कैसी होगी और उसकी माँ शालु की चूत में जब मेरा लंड जायेगा तो शालु कैसे चिल्लायेगी । बस यही सोचते हुए देवा रश्मि की चूत की धज्जिया उडाने लगता है।

रश्मी की चूत से पानी की धार बाहर बहने लगती है और देवा की जांघ को गीला करते चली जाती है।

दोनो के होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक जाते है जैसे गोन्द से चिपके हुए हो।

कमरे में दोनों के फूं फूं के और चूत में लंड जाने से फच पच फच फच की आवाज़ गूँजने लगती है।

अपने लंड से वो रश्मि के बच्चेदानी पे दस्तक देने लगता है।
और तभी रश्मि की चूत अंदर ही अंदर देवा के लंड को इतने ज़ोर से जकड लेती है की देवा का ढेर सारा पानी रश्मि की चूत में निकलने लगता है।

दोनो हाँफने लगते है और चुमते हुए एक दूसरे को मसलते हुए अपनी चढी हुई साँस ठीक करने लगते है।


कुछ देर बाद देवा कपडे पहन के रश्मि को चुमता हुआ अपने खेत में चला जाता है।

देवा को तो जैसे अब भूख लगी थी न प्यास रश्मि ने उसे सब दे दी थी।

वो खेत में अपने काम में लग जाता है उसे फिकर थी तो बस हवेली में रात गुजारने की वो जानता था की रानी उसे रात भर नहीं सोने देगी।
और वो रुक्मणी के सामने जाने से डर रहा था पता नहीं उसका ग़ुस्सा शांत हुआ भी है या नही।
यही कुछ बातें उसे परेशान कर रही थी।

बार बार उसे रानी के वो शब्द याद आ जाते की बस माँ को किसी तरह पटा लो वरना हिम्मत राव हम सब का जीना दुशवार कर देगा।

देवा;कुंवे के मुंडेर पे बैठ जाता है।

कुछ मज़दूर पास के खेत में काम कर रहे थे।।

वो उनके पास चला जाता है।
उसके खेत से लगके दीनानाथ का खेत था जिससे देवा काका कहता था ।
दीना नाथ देवा के बाप का अच्छा दोस्त था।
जब भी देवा को उसके बाप की याद आती वो दीनानाथ से मिलके अपने बाप के किस्से सुना करता ।

उसे दीनानाथ में अपना मरा हुआ बाप नज़र आता था।

दीनानाथ देवा को देख खुश हो जाता है और उसे अपने पास चारपाई पे बैठा देता है।

दीनानाथ; का रे बेटवा आज कल देख रहा हूँ तू बड़ा गुमसुम सा रहने लगा है।
पहले तो काका काका करके यहाँ घण्टो बैठा करता था अब सुरत भी नहीं दिखती तोहार।

देवा;नहीं काका बस थोड़े घर के काम में उलझा रहता हूँ।
गन्ने की फसल तो बेच दी है बस ये सूर्य फूल कट जाये तो थोड़ा आराम मिल जाए।

दीनानाथ;हाँ बेटवा तोहरा बाप जबतक ज़िंदा था तुम तो खेत में आते भी नहीं थे। जब से वो बेचारा भगवन को प्यारा हुआ है सारे घर की जिम्मेदारी तोहरे कन्धो पे ही तो आ गई है।

कुछ और बता कही बात चली की ना ही ममता बिटिया की शादी के।

देवा;हाँ काका एक दो जगह बात चल तो रही है देखते है क्या होता है।

दीनानाथ;अरे अच्छा याद आया।
मेरा बेटा बता रहा था की तू आज कल हवेली के बहुत चक्कर काट रहा है।

देवा;वो काका जागिरदार की बिटिया को कार सीखाना थी तो जागिरदार ने मुझे वो काम दिया था। छोटी मालकिन को कार सिखाने का।

दीनानाथ; धीरे से देवा के कान के पास आके बोलने लगता है।
बेटा वहां मत जाया कर तु।

देवा; क्यों काका।

दीनानाथ; तुझे तेरी माँ ने बताया नहीं क्या।
तेरा बाप भी तो वहीँ से ग़ायब हुआ था।

देवा; खड़ा हो जाता है।

क्या हवेली से बापु ग़ायब हुआ था पर कैसे।

दीनानाथ; अरे बैठ इतने ज़ोर से क्यों बोल रहा है मुझे लगा तुझे पता होंगा।
बड़ा अच्छा था तेरा बाप।
यही रोज़ बैठ के बातें किया करते थे हम।

तेरे बाप के ग़ायब होने से एक महीना पहले पता नहीं उसे हवेली में क्या काम मिल गया था। दिन रात वही रहने लगा था मैंने कितनी बार पूछा मगर कभी नहीं बताया।
और फिर एक दिन अचानक से वो ग़ायब हो गये।

देवा;का तो जैसे सर चकरा जाता है।
रत्ना ने उसे कहा था की उसके बापु की मौत दिल के रुक जाने से हुई थी।
पर आज जो बात दिनानाथ काका ने उसे सुनाई थी उसे उसका दिल बेचैन सा हो गया था।

वो बहुत छोटा था जब ये हादसा हुआ था।
देवा को तो अपने बाप की शक्ल भी ठीक से याद नहीं तकरीबन 5 साल का रहा होगा देवा उस समय।।

देवा;सीधा अपने घर की तरफ चल देता है वो बड़े बड़े कदम भरता हुआ घर पहुँच जाता है।

वो सीधा घर के अंदर माँ माँ चिल्लाता हुआ दाखिल होता है।पर उसे रत्ना और न ममता कही नज़र नहीं आती है।

वो जैसे ही अपने कमरे में दाखिल होता है हैरान रह जाता है।

उसके बिस्तर पर नूतन बैठी हुई थी और उसने देवा के कपडे पहने हुए थे।

देवा;उसे देखता ही रह जाता है। पहली बार किसी लड़की को लड़के के कपडो में देख रहा था देवा।

वो उसके पास जाके बैठ जाता है

नुतन तो देवा को अचानक कमरे में देख पहले ही घबरा गई थी न वो कुछ बोल रही थी और ना ही देवा से नज़रें मिला पा रही थी।

देवा उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।

देवा; क्या है ये नूतन । तूने मेरे कपडे क्यों पहन रखे है और माँ और ममता कहाँ है।


नुतन; वो देवा भैया वो मै वो..... तो बस ऐसे ही देख रही थी।
मेरा मतलब है मेरे कपडे मैंने धोने के लिए डाले है इस लिये

देवा;माँ कहाँ है।

नुतन ; वो और ममता शालु काकी के यहाँ गए है।

देवा; अच्छा तो तूने कपडे धोने के लिए डाले तो तू ममता के भी तो कपडे पहन सकती थी ना।

नुतन: खामोश बैठी रहती है।

देवा;सच बता.. क्यों पहने मेरे कपडे।

नूतन फिर भी कुछ नहीं बोलती।

देवा; अच्छा तो तू ऐसे नहीं बतायेगी। ठीक है
उतार । जल्दी उतार मेरे कपडे।

नुतन ; बिस्तर से उतर के बाहर जाने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है और दरवाज़ा बंद कर देता है

देवा; यही उतार।

नुतन ; भैया यहाँ कैसे उतारूँ।

देवा;जैसे पहने थी वैसे उतार भी। वरना माँ से और मामी से बोल दूंगा की तू लड़को के कपडे पहनती है।

नुतन ; नहीं नहीं भैया माँ से मत कहना वरना वो मुझे जान से मार देगी।

देवा;तो फिर उतार वरना माँ और ममता आ जाएगी।

नुतन देवा का पहना हुआ शर्ट उतार देती है।
और पेंट भी निकाल के देवा को दे देती है।


देवा; इसे भी उतार।

नुतन ; अपने ब्रा पे हाथ रखते हुए
पर ये तो मेरा है।

देवा;जितना बोल रहा हूँ उतना कर उतर इसे भी।
पता नहीं अंदर मेरी कोई चीज़ छुपा रखी होगी तुने।

नुतन ; मैं क्या आपको चोर लगती हूँ।

देवा; हाँ चोरो की तरह मेरे कपडे पहनती है। चल जल्दी कर।

नुतन ; डरते ड़रते अपने ब्रा भी खोल देती है वो सिर्फ पतली सी ममता की पेंटी पहने खड़ी थी।

देवा; ये किसकी है।


नुतन ; ममता दीदी की।
उसे इतनी शर्म आ रही थी की वो अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है।

और उसी वक़्त देवा उसके मोटे मोटे ब्रैस्ट को अपने मज़बूत हाथों में थाम लेता है।

एक बिजली का करंट नूतन के शरीर में दौड जाता है।

नुतन ; आहह भैया क्या कर रहे हो मै आपकी बहन हूँ ना।

देवा; हाँ पता है तू कौन है।
और देवा नूतन की बंद ऑखों का फायदा उठाते हुए उसकी दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए चूम लेता है।



नुतन से बर्दाश्त नहीं होता और वो वहां से किसी तरह भागने में कामयाब हो जाती है और सीधा ममता के कमरे में जा के अंदर से दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;ममता के कमरे के पास जा के दरवाज़ा खटखटाता है मगर नूतन दरवाज़ा नहीं खोलती।

देवा;नूतन मै माँ और ममता को लेने शालु काकी के यहाँ जा रहा हूँ कपडे पहन लेना और अगर ये बात माँ या ममता के कानो तक गई तो तेरी खैर नही।

नुतन कोई जवाब नहीं देती बस चुपचाप बिस्तर पे पड़ी पड़ी अभी अभी हुई घटना को सोच सोच ठन्डी आहें भरने लगती है।



देवा शालू के घर रत्ना और ममता को लेने चला जाता है।
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रश्मी;उन्हह मुझे शादी के दिन बारात विदाई होने से पहले शादी के जोड़े में चोदना होगा तुझे।

देवा;का लंड ये सुनके ही खड़ा हो जाता है।
वो रश्मि को कमर ऊपर उठाने को कहता है और जैसे ही रश्मि अपनी कमर उठाती है देवा उसकी चुत में लंड फंसा देता है और रश्मि चिकनी चूत में लंड लेते हुए बैठती चली जाती है।


रश्मी; आहह देवा । बोल न चोदेगा न मुझे दुल्हन के जोड़े में आह्ह्ह्ह्ह।

देवा;दोनों कमर को हाथ में पकड़ के सटा सट अपने लंड से उसे नीचे से चोदने लगता है।
हाँ चोदूँगा उस दिन आहह तुझे ये तोहफ़ा चाहिए मुझसे आह्ह्ह्ह्ह।

रश्मी; हाँ मै चाहती हूँ मै तेरा पानी अपनी चूत में ले के ससुराल जाऊँ। उईई माँ इतनी ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह।

ताकी जब भी मेरा पति मुझे करे मेरी चूत में तेरा पानी मुझे महसूस हो।
 
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देवा शालू के घर के सामने पहुँचता ही है की उसे रत्ना और ममता उसी की तरफ आते हुए दिखाई देते है।

रत्ना;देवा कहाँ जा रहा है बेटा।

देवा;माँ अच्छा हुआ तुम मुझे यहीं मिल गई चलो मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।

ममता ; क्या बात है भइया।

देवा; तू घर जा ममता मै और माँ अभी आते है।

रत्ना;तो घर चल के बात करते है ना ।

देवा;नहीं मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी है चलो मेरे साथ।

रत्ना;पर कहाँ देवा।

देवा; खेत में।

ममता और रत्ना दोनों देवा के इस तरह के बरताव पे हैरान रह जाते है। ममता तो देवा की सगी बहन थी देवा उसके सामने भी बात नहीं करना चाहता था। इसका मतलब कोई ज़रूरी बात होंगी।

यही सोच के रत्ना ममता को घर भेज देती है और खुद देवा के साथ खेतों की तरफ चल पडती है।

रत्ना;देवा तू भी ना ममता क्या सोचेगी।
अखीर ऐसी कौन सी बात थी जो तो ममता के सामने नहीं कर सकता था।

देवा; चुपचाप चल रहा था वो शायद अंदर ही अंदर ये सोच रहा था की अपनी माँ से कैसे बात करे।
क्यूंकि जब भी वो रत्ना से अपने बापू के बारे में पूछता था रत्ना बहुत भावुक हो जाते थी।।

दोनो खेत में पहुँच जाते है।

खेत में बने छोटे से झोंपडे में जब दोनों पहुँचते है तो रत्ना उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ घुमा देती है।

पुरे रास्ते खामोश रहा आखिर क्या बात है बोल तो सही।

देवा;अपनी माँ रत्ना की ऑखों में देखते हुए धीमी आवाज़ में पूछता है।
माँ बापू की मौत कैसे हुई थी।

रत्ना;तू ये पुछने मुझे यहाँ लाया है।
कितनी बार तुझे बता चुकी हूँ दिल के दौरे से (हार्ट अटैक)।

देवा;माँ तुम झूठ क्यों बोल रही हो मुझसे।

रातना; मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला तुझसे देवा।

देवा;अगर बापू की मौत दिल के दौरे से हुई थी तो उनकी चिता को भी अग्नि मुझे देनी चाहिए थी
पर मुझे पक्का यक़ीन है मैंने बापू का अन्तिम संस्कार नहीं किया उनकी चिता को आग नहीं दिया।।

बालो न माँ क्या हुआ था बापू के साथ।

रत्ना;के माथे पे पसीना आ जाता है वो अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेती है।
तू उस वक़्त बहुत छोटा था देवा तुझे कैसे याद रहेंगे ये सब बातें।

देवा;मुझसे नज़रें चुरा लेने से तुम्हारा झूठ सच नहीं बन जायेगा।
अगर तुम ही मुझसे सब कुछ छुपाऊँगी तो भला मै किसके पास जाऊंगा।



रत्ना की ऑखें आंसुओं से भर जाती है।
बैठ यहाँ बैठ।
वो उसे चारपाई पे अपने पास बैठा देती है।

तू जानना चाहता है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था कैसे उनकी मौत हुई।

देवा;हाँ मुझे जानना है।

रत्ना;तू उस वक़्त बहुत छोटा था
उस साल गांव में अकाल पड़ा था।
हमारे पास एक दाना भी नहीं था खाने के लिये।

तेरे बापू और हिम्मत राव बहुत अच्छे दोस्त थे।
हिम्मत राव ने उस मुश्किल के दौर में हमारी मदद किया था पैसा और अनाज देखे।।

जिसका एहसान तेरे बापू हमेशा मानते थे।
पर वो नहीं जानते थे की हिम्मत राव की नज़र कितनी गंदी है।
उस बड़े से हवेली में रहने वाला हिम्मत राव एक घटिया इंसान है।

वो तेरी माँ पे गंदी निग़ाह रखे हुए था।

मुझे भाभी भाभी कहते कहते एक दिन उसने अपनी मर्यादा पार करने की कोशिश की।

मुझे धोखे से हवेली बुलाके अपनी गंदी हवस का मुझे शिकार बनाना चाहा मगर ठीक वक़्त पे हिम्मत राव की पत्नी वहां आ गई और उसनी मेरी इज़्ज़त बचा ली।

मै तो वहां से चली आई मगर जब ये बात तेरे बापू को पता चली तो उन्होंने भरे पंचायत के सामने हिम्मत राव को थप्पड मारा था।

हिम्मत राव; ये अपमान नहीं सह पाया और उसने भरे पंचयत के सामने तेरे बापू से वो पैसे मांगे जो उसने अकाल के वक़्त तेरे बापू को दिए थे।

उस वक़्त हमारे पास उतने पैसे नहीं थे।

तो हिम्मत राव ने शर्त रखी की जब तक तेरे बापू सारा पैसा नहीं दे देते वो हवेली में और हिम्मत राव के खेतो में काम करेंगे।

तेरे बापू;बात मान गये।

ओ रोज़ हिम्मत राव के खेत में काम करने जाते थे।
और उस मनहूस दिन वो घर से निकले मगर फिर दूबारा वापस नहीं आए।
न उनकी लाश हमे कही मिली।

गांव वालो ने हिम्मत राव से पूछा तो उसने कहा की उसे कुछ नहीं पता।
तेरे बापू उसके खेत में गए ही नही।
ऐसा उसने पंचायत के सामने कहा।

मै अकेली जान क्या कर सकती थी । तू भी इतना छोटा था की कुछ नहीं कर पाता और ममता मेरी कोख में थी।।

तेरे बापू के साथ क्या हुआ मुझे सच में नहीं पता । ये राज़ सिर्फ हिम्मत राव जानता है और कोई नही।

देवा; हिम्मत राव के पैसे फिर किसने चुकाए।

रत्ना;तेरे बापू जब नहीं मिले तो हिम्मत राव ने वो पैसे माफ़ कर दिए। ये कहते हुए की जिसने लिए थे वो तो इस दुनिया में नहीं रहा उसका क़र्ज़ा उसके साथ चला गया।।

देवा;नहीं माँ हिम्मत राव को वो राज़ उगलना होगा।

रत्ना;नहीं नहीं तू ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे मै तुझे खो दूँ । कुछ नहीं करेगा तू सुन रहा है ना तुझे मेरी कसम देवा।

देवा;चिंता मत करो माँ मुझे कुछ नहीं होंगा मगर जब तक मै अपने बापू के मौत का राज़ नहीं जान लेता मुझे चैन नहीं मिलेंगा।।


रत्ना;तू कुछ नहीं करेगा न। इधर देख कुछ नहीं करेगा न किसी को भी।

देवा;रत्ना को अपने बाहों में समेट लेता है जब तूने अपने कसम दे दी मुझे तो भला मै किसी को कुछ कैसे कर सकता हूँ।।
कुछ नहीं करुँगा किसी को भी।
चल अब घर चल और हाँ ममता से ये बात मत कहना।

रत्ना;नहीं चल बहुत देर हो गई है।
दोनो माँ बेटे घर तो पहुँच जाते है।

मगर देवा मन में ये ठान लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये उसे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े वो हिम्मत राव से राज़ जान के रहेगा।

शाम घिर चुकी थी और देवा खाना खाके आँगन में आराम कर रहा था।
वो सोच रहा था की कैसे हिम्मत से बात निकल सकती है।अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आता है।

रुक्मणी;हिम्मत राव की पत्नी।
कोई भी पति अपने पत्नी से कुछ नहीं छुपाता ज़रूर हिम्मत राव ने रुक्मणी से ये बात कहा होगा। रुक्मणी सब जानती होंगी और अगर नहीं भी जानती होगी तो अगर रुक्मणी को किसी तरह पटा लिया जाए तो शायद वो बातों बातों में हिम्मत राव से बात निकाल ले।

वो उठके बैठ जाता है और पक्का निश्चय कर लेता है की रुक्मणी को अपनी उँगलियों पे नाचने पे मजबूर करके उसके ज़रिये राज़ पता करेगा।

देवा;माँ मै हवेली जा रहा हूँ सोने।

रत्ना;भागते हुए उसके पास आती है जाना ज़रुरी है क्या कोई और नहीं जा सकता बेटा।

देवा;डरो मत माँ मै सुबह जल्दी घर आ जाऊंगा।

रत्ना;पसीने में भिगे हुए बड़े बड़े कठोर ब्रैस्ट को देवा की छाती में धँसा के उससे चिपक जाती है।
मुझे बहुत डर लग रहा है देवा ।

देवा;अपनी माँ के स्पर्श से सिहर उठता है और वो भी रत्ना को अपने सीने में समां लेता है।

रत्ना;के हाथ देवा की पीठ पे घुम रहे थे और देवा अपने माँ की चिकनी पीठ को अपने हाथों से पकडे हुए था।


देवा; मैं जाऊँ माँ।

रत्ना;जैसे किसी सपने से जगी थी।
वो देवा से अलग हो जाती है।
ठीक है मगर सुबह जल्दी आ जाना।

देवा;ठीक है माँ।
और देवा हवेली चला जाता है।

हवेली में जब देवा पहूंचता है तो उसे हॉल में रुक्मणी और रानी बाते करते हुए मिलती है। पास में निचे ज़मीन पर पदमा भी बैठी हूई थी।

देवा को देख रुक्मणी उसे उनके पास बुला लेती है।

रुक्मणी; अच्छा हुआ देवा तुम आ गये ये पदमा को बडी जल्दी पडी है घर जाने की। मैंने कहा जब तक देवा नहीं आ जाता तब तक घर नहीं जा सकती।

रानी;बैठो न देवा खड़े क्यों हो खाना खाओगे।

देवा;नहीं छोटी मालकिन मै खा के आया हूँ।।

रुक्मणी;तुम देवा का बिस्तर मेरे और रानी के कमरे के सामने बने गलियारे में लगा दो।
क्यूं ठीक है ना देवा कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;नहीं मालकिन कोई दिक्कत नहीं जैसा आप ठीक समझें रात ही तो काटनी है।

पदमा;चल देवा मेरे साथ तुझे कहाँ सोना है बता देती हूँ।

देवा;पदमा के साथ चल देता है।

रुक्मणी के होते हुए रानी देवा से अकेले में बात नहीं कर सकती थी।

रानी;अपने कमरे में सोने चली जाती है और रुक्मणी अपने रूम में।

दोनो रूम के सामने एक छोटा सा गलियारा बना हुआ था वहाँ देवा भी लेट जाता है।

पदमा;जाते जाते देवा के छाती में दो तीन घूँसे जड़ देती है। पिछले कुछ दिनी से वो पदमा के पास भी नहीं फटका था जिससे पदमा की चूत और मन दोनों उदास थे।

रात अपने पूरे शबाब पर थी।


देवा के घर ममता और नूतन की ऑंखों से नींद काफी दूर थी।

ममता के कमरे में नूतन ममता के पास बैठी रश्मि की शादी के बाते कर रही थी।

ममता अपना एक हाथ नूतन की जांघ पे रख देती है जिससे बोलते हुए नूतन खामोश हो जाती है जैसे किसी ने उसका बोलने का बटन बंद कर दिया हो।

नुतन इस स्पर्श से ही सिहर उठती है और ममता की ऑंखों में मचलती मस्ती को भाँप लेती है।

ममता क्यूँ री सुबह से देख रही हूँ बड़े चुप चुप सी है कही मेरे गांव के किसी लौंडे से दिल तो नहीं लगा ली।

नुतन ;क्या दीदी कुछ भी बोलती हो।

ममता ;ज़रा देखने दे तेरी ऑखों में।
और ममता नूतन की ऑंखों में झाँकते हुए उसकी गरदन को चुमने लगती है।



नुतन ;आहह दीदी उन्हह।
नुतन ममता का हाथ पकड़ के अपनी चूचि पे रख देती है। आह इसे ज़ोर से मसलो न दीदी आहह काटो न इनको उन्हह।

ममता नूतन को बिस्तर पे गिरा देती है और उसके रसीले होठो को चुसते हुए दोनों हाथों से उसकी चूचि को मसलने लगती है।



नुतन की चूत सुबह से कई बार उल्टियाँ कर चुकी थी वजह थी देवा की उसकी चूचि को हाथ लगाना।

वो ममता पे आज की रात हावी हो जाने वाली थी क्यूंकि उसकी चुत में इतना पानी भरा पड़ा था की ममता चाह के भी उसे नहीं खाली कर पाती।

दोनो कुँवारी लड़कियां अपनी अपनी कुँवारी चूत को एक दूसरे के मुँह में डाल के रस पान करने लगती है।

उधर शालु के घर में सभी लोग सो चुके थे सिवाये रश्मि के। जिसे दिन में इतनी बुरी तरह चोदा जाए उसे रात में नींद नहीं आ सकती।


वही हाल रश्मि का था।
खुद के हाथों से अपनी चूचि को मसलते मसलते उसके हाथ दर्द करने लगे थे।



वो चुप चाप उठके पप्पू के कमरे में चली जाती है।

पप्पू उस वक़्त टॉयलेट में गया हुआ था जब वो अपने कमरे में आता है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है।



पुरी तरह नंगी रश्मि अपननी दोनों टाँगें खोल के पप्पू का इन्तज़ार कर रही थी

रश्मी;पप्पू मुझे चोदो। मुझसे रहा नहीं जा रहा
नही तो कही से देवा को बुला लाओ।

पप्पू: भाई के होते हुए बाहर वाले को क्यों याद करना वो भी इतनी रात में।

अपनी बहन को इस हालत में देख पप्पू का छोटा सा पप्पू भी झूम उठता है और पप्पू दरवाज़ा बंद करता है और खुद भी रश्मि के तरह नंगा होके अपनी बहन के ऊपर चढ़ जाता है और अपना लंड अपनी बहन की गीली चूत में पेल देता है।



रश्मी:आहह पप्पू धीरे धीरे....

पप्पू;और जोश में आके रश्मि की चूत में लंड आगे पीछे करने लगता है।

रशमी;दिल ही दिल में सोचने लगती है।
छोटा है मगर काम का है जैसा भी है चोद तो सकता है आह्ह्ह्ह।

दोनो भाई बहन एक दूसरे को चुमते हुए अपनी अपनी कमर हिलाने लगते है।

देवा;को बिस्तर पर लेटे हुए काफी वक़्त हो चुका था मगर उसके दिमाग में एक ही बात घुम रही थी किसी न किसी तरह रुक्मणी को अपना बना लेना ताकि वो उसका काम कर सके।


वो उठ के रुक्मणी के कमरे में चला जाता है
और उसके पास जाके लेट जाता है।



रुक्मणि;की अभी अभी आँख लगी थी।

इधर देवा की गाण्ड भी फटी पडी थी ये सोच सोच के की अगर रुक्मणी ने शोर मचा दी तो वो तो गया काम से।
मगर उसके इरादे बहुत मज़बूत थे। वो किसी भी कीमत पर कामयाब होना चाहता था।

ड़रते ड़रते वो अपना एक हाथ रुक्मणी के चिकने पेट पे रख देता है।

रुक्मणी; धीरे धीरे अपनी ऑखें खोलती है और फिर झट से बंद कर देती है।

देवा;अपने हाथ को रुक्मणी के पेट पे घूमाते हुए उसे ऊपर की तरफ ले जाता है।

रुक्मणी;अब भी नींद में सोने का नाटक कर रही थी।

देवा;की हिम्मत थोडी बंधती है और वो उसका पल्लू उसकी चूचि पर से अलग कर देता है।



रुक्मणी;की बड़े बड़े चूचे थोड़े ज़ोर ज़ोर से ऊपर निचे होने लगते है।

देवा;जान जाता है की रुक्मणी सोने का नाटक कर रही है।
ये जानके उसका हौसल और बढ़ जाता है की रुक्मणी जग जाने के बाद भी चुप है।

उधर रुक्मणी भी धीरे धीरे गरम होने लगती है।

देवा;अचानक ही अपने होंठों से रुक्मणी के कान को चुम लेता है।

रुक्मणी किसी तरह खुद को संभाले हुए थी।

देवा के होंठ अब रुक्मणी की गरदन तक पहुँच चुके थे और एक हाथ हलके हलके रुक्मणी की चूचि को मसलने लगता है।

रुक्मणी का सब्र का बांध किसी भी वक़्त टूट सकता था। उस दिन तो उसे अपना पति याद आ गया था मगर आज फिर से देवा के हाथों ने अपना असर दिखा दिया था।


वो और उसकी छूट बेचैन हो उठे थे।

इससे पहले की रुक्मणी ऑंखें खोल के देवा को अपने छाती से चिपका लेती देवा वहां से उठके चला जाता है।

ये झटका रुक्मणी की चूत को सीखने पे मजबूर कर देता है की आखिर इस सब में उसकी क्या गलती है क्यों उसके साथ ऐसा ज़ुल्म हो रहा है।

रुक्मणी देवा को अपने कमरे से जाता देखती रह जाती है।

देवा;मुस्कराता हुआ अपने बिस्तर पे जाके लेट जाता है।

वो जानता था की रुक्मणी किसी भी वक़्त अपना मन बदल सकती है।
वो उसे इस हद तक पागल कर देना चाहता था की वो देवा से चुदने के लिए भीख मांगे तभी वो देवा का भी काम कर सकती थी।

देवा नींद के आग़ोश में चला जाता है और रुक्मणी अपनी चूत मसलती रह जाती है।
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ममता ;ज़रा देखने दे तेरी ऑखों में।
और ममता नूतन की ऑंखों में झाँकते हुए उसकी गरदन को चुमने लगती है।



नुतन ;आहह दीदी उन्हह।
नुतन ममता का हाथ पकड़ के अपनी चूचि पे रख देती है। आह इसे ज़ोर से मसलो न दीदी आहह काटो न इनको उन्हह।

ममता नूतन को बिस्तर पे गिरा देती है और उसके रसीले होठो को चुसते हुए दोनों हाथों से उसकी चूचि को मसलने लगती है।



नुतन की चूत सुबह से कई बार उल्टियाँ कर चुकी थी वजह थी देवा की उसकी चूचि को हाथ लगाना।

वो ममता पे आज की रात हावी हो जाने वाली थी क्यूंकि उसकी चुत में इतना पानी भरा पड़ा था की ममता चाह के भी उसे नहीं खाली कर पाती।

दोनो कुँवारी लड़कियां अपनी अपनी कुँवारी चूत को एक दूसरे के मुँह में डाल के रस पान करने लगती है।

उधर शालु के घर में सभी लोग सो चुके थे सिवाये रश्मि के। जिसे दिन में इतनी बुरी तरह चोदा जाए उसे रात में नींद नहीं आ सकती।
 
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रात अपने पूरे शबाब पे थी रुक्मणी देवा को गलियां देते हुए आखिर कर अपनी ऊँगली से चूत से पानी निकाल के सो जाती है।

देवा को काफी गहरी नींद लगी हुई थी।
उसे अपने जिस्म पे किसी के हाथ घूमते हुए महसूस होता है वो घबराके उठ के बैठ जाता है और पास में किसी को बैठा देख बुरी तरह डर जाता है।

एक ख़ौफ़नाक चीख़ उसके मुँह से निकल जाती है।
कौन।

रानी;झट से अपना हाथ उसके मुँह पे रख देती है अरे मै हूँ रानी।
चिल्ला क्यों रहे हो।

देवा चैन की साँस लेता है और वापस बिस्तर पे लेट जाता है उसे सच में उस वक़्त बहुत नींद आ रही थी।

मगर रानी की चूत में से तो चिंगारियाँ निकल रही थी।

रानी;उठ ना देवा ।

देवा;सोने दो ना मालकिन।

रानी: मालकिन के बच्चे मुझे ये रोग लगा के खुद चैन से सो रहा है चल उठ जा जल्दी से।

मगर देवा नहीं उठता।

रानी;से ये ज़ुल्म देखा नहीं जाता और वो अपनी नाइटी बदन से निकाल देती है।
सिर्फ पेंटी में बैठी रानी सीधा देवा के नंगे जिस्म पे लेट जाती है।

देवा उस वक़्त सिर्फ पयजामे में सोया हुआ था।

रानी;अपने बड़े बड़े चूचि उसके छाती पे घीसने लगती है ये सोच के की इससे देवा उठ जायेंगा मगर देवा टस से मस नहीं होता।

आखीर रानी से रहा नहीं जाता और वो देवा का पैजामा खोल के उसे निचे खीच देती है।

देवा के लंड को भी उस वक़्त बहुत निंद आ रही थी वो भी मुर्झाया हुआ पड़ा था।


रानी;देवा के छाती को चुमते हुए देवा के लंड को हाथ में ले के हिलाने लगती है।

देवा;उन्हह क्या है रानी जा न मुझे सोने दे।

रानी;अपनी पेंटी भी निकाल के फ़ेंक देती है और देवा के मुँह की तरफ अपनी चूत करके 69 के पोजीशन में आ जाती है।

देवा की ऑखें अभी भी बंद थी मगर वो तब पूरी तरह खुल जाती है जब रानी देवा के अण्डकोष(टेस्टिस) को बरे तरह मसलते हुए उसके लंड को मुँह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प......

देवा के लंड में जान आने लगती है और अपने होठो के इतने पास चमकते हुए चूत को देख उसके मुँह में भी पानी आने लगता है वो अपने होंठ रानी की चूत पे लगा देता है और दोनों प्रेमियों के तरह एक दूसरे को चाटने लगते है गलप्प गलप्प..........

देवा;साली तू नहीं सुधरेगी गलप्प गलप्प....

रानी;हाँ नहीं सुधरूंगी मै गलप्प गलप्प....

कुछ देर बाद देवा रानी को कुतिया (डॉगी स्टाइल) में झुका देता है और धीरे से अपने लंड पे थूक लगा के उसे रानी की चिकनी चूत में घुसा देता है।

रानी को बड़ा सुकून मिलता है जब लंड का सुपाडा उसकी चूत के अंदर चला जाता है ।

मगर ये सुकून थोडी देर का था उसकी ऑखें उस वक़्त फटी की फटी रह जाती है जब देवा बिना कुछ बोले अपने लंड का बाकि का हिस्सा एक झटके में अंदर पेल देता है।

देवा; ले साली बहुत आग लगी है ना इसमें आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रानी अपने कमर को आगे की तरफ खीचने लगती है मगर देवा दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ के सटा सट अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घूसाने लगता है।


देवा;आहह तूने सोये हुए कामदेव को जगा के बहुत बडी गलती कर दी आहह्हह्हह्हह्हह।

रानी;आहह चोद मुझे देवा । आहह ऐसे चोदने के लिए तो जगाई हूँ तुझे मैं।

रानी अपने चरम सीमा पे पहुँच चुकी थी। किसी भी वक़्त उसकी चूत पानी की एक धार देवा के लंड पे छोड सकती थी मगर उसे उस वक़्त झटका लगता है जब देवा ठीक वक़्त पे अपने लंड को बाहर खीच के चुदाई बंद कर देता है।

रानी;आहह देवा क्या कर रहा है चोद न रुक क्यों गया। बाहर क्यों निकाल लिया रे।चोद न मै मर जाऊँगी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;नहीं चोदूँगा ।

रानी: मैं तेरे हाथ जोडती हूँ पांव पडती हूँ ऐसा ज़ुलम मत कर । दो तीन धक्के मार दे बस आहह रहम खा मुझपे आह्ह्ह्ह्ह् प्लीज्जज्जज्जज्जज्ज देवाआआआआ।

देवा;पहले बता तू मेरे बापू के बारे में क्या जानती है।

रानी;मुझे नहीं पता कुछ भी आह्ह्ह्ह्ह्हहह चोद रे चोद ना ।

देवा;बोल मेरे बापू इस हवेली में काम करते थे और एक दिन अचानक वो ग़ायब हो गये बोल क्या पता है तुझे इस बारे में।

रानी;मुझे नहीं पता सच में नहीं पता माँ जानती होगी। तुझे कितने दिनों से कह रही हूँ माँ को पटा ले। एक बार वो तेरे मुठी में आ गई तो सब कुछ बोल देगी जो तू जानना चाहता है और हमारे सम्बन्ध के बारे में भी किसी को कुछ नहीं बोलेगी।

देवा;तेरी माँ को सब पता होगा।

रानी; हाँ सब पता होगा बापू माँ से कुछ नहीं छुपाते सच कह रही हूँ मै । अब तो डाल दे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;रानी की बात पे यक़ीन करके अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाल देता है और सटा सट उसे चोदने लगता है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सालीईईईईईईई।


रानी;अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए थोडी देर बाद ही झड़ने लगती है आहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।
बड़ा ज़ालिम है तू बीच रास्ते में रोक के भला कोई ऐसा करता है क्या।

देवा भी अपना पानी रानी की चूत की गहराइयों में उंडेल के उसके पास लेट जाता है।

रानी;अपना सर देवा की छाती पे रख देती है।
मेरी बात मान माँ को जल्द से जल्द अपने हाथ में ले ले तु।

देवा;तू चिंता मत कर रानी बहुत जल्द तेरी माँ मेरे निचे होंगी और उस दिन उसे सारे राज़ उगलने होंगे।

रानी;देवा के होठो को कुछ देर चुसने के बाद अपने कमरे में चली जाती है और दिल ही दिल में हंसने लगती है।
जीस काम के लिए वो देवा को कई दिनों से बोल रही थी वही काम देवा अब खुद अपनी मर्ज़ी से करना चाहता था।

मगर रानी ये नहीं जानती थी की वो इस बाज़ी का एक मोहरा भर है असली चालबाज़ तो कोई और है जो वक़्त आने पर उसे भी रास्ते से हटा देगा।

सुबह देवा को रुक्मणी जगाती है।
दोनो की नज़रें मिलती है दोनों शर्म के मारे अपनी पलके झुका लेतें है।

रुक्मणी;चल नाश्ता कर ले।

देवा;नहीं मालकिन मै घर जा के कर लुंगा।

रुक्मणी;नहीं हमारे साथ नाश्ता कर चल जल्दी आ जा।

देवा;सुबह के काम निपटा के रुक्मणी और रानी के पास जाके बैठ जाता है।

रानी;देवा को देख आँख मार देती है
और देवा मुस्कुरा देता है।

रुक्मणी;चाय के चुस्की लेते हुए।
देवा: तुम शहर कब जाने वाले हो।

देवा;मालकिन सूर्य फूल की कटाई के बाद।

रुक्मणी; अच्छा मुझे बता देना मै भी साथ चलूँगी मुझे भी डॉ के पास से दवायें लेनी है।

देवा;ठीक है मालकिन।
देवा कुछ देर बाद अपने घर की तरफ चल देता है।

देवा के घर का रास्ता पदमा के घर के सामने से होकर गुज़रता था।


अपनी धुन में देवा को जाता देख पदमा उसे आवाज़ दे देती है।

पदमा; क्यूँ रे मुये।
कहाँ रहने लगा है आज कल दिखाई भी नहीं देता । कही उस वैध की बहु के टाँगों के बीच तो पड़ा नहीं रहने लगा है तु।

देवा का मूड पहले से बहुत ख़राब था हर तरफ से उसे नाकामी ही मिल रही थी ऊपर से पदमा के ताने उसे बर्दाश्त नहीं होते और वो पदमा को धक्का दे के दिवाल से सटा देता है।


साली दो तीन दिन तुझे नहीं किया तो मुझे ताने देने लग गई।

पदमा;उन्हहहहहहहह मुझे तेरी कोई ज़रुरत नहीं है।
ये जो तेरे बच्चा मेरे पेट में पल रहा है ना इसे अपने बापू की याद आ रही थी । मुझे बोला माँ माँ बापू कहाँ है कब आयेंगे।

अब जब बच्चा दिया है तो इसका पालन पोषण भी तुझे करना पड़ेगा । रोज़ रोज़ मुझे करेगा तभी तो हट्टा कटा गबरू तेरे जैसा बच्चा जनूँगी मै।

देवा को पदमाँ की बात पे हंसी आ जाती है और वो पदमा के होंठ चूम लेता है।
बस थोड़ा काम बढ़ गया है इसलिए नहीं आ रहा हूँ तेरे पास।

पदमा; काम काम बस काम करते रह तू तो थकता नही है क्या।

देवा;अरे हाँ काम से याद आया तू भी तो हवेली में काम करती है । तुझे पता होगा न मेरे बापू के बारे में वो कैसे ग़ायब हो गये।

पदमा: मैं तो वहां बस बर्तन और कपडे धोने जाती हूँ अंदर क्या होता है मुझे नहीं पता वैसे भी हिम्मत राव बड़ा कमीना इंसान है।
मुझे तो बहुत डर लगता है उससे।
तू भी दूर रहा कर देवा उस कमिने से।

देवा;डर तो उसे लगेगा अब मुझसे।
मै चलता हूँ रात में आऊँगा।

पदमा;रुक ज़रा।


पदमा अपने होने वाले बच्चे के बाप को एक बार और अपने होठो की सलामी देती है और फिर उसे जाने देती है।
मै इंतज़ार करुँगी।

देवा;जब घर पहुँचता है तो रत्ना उसे ऑगन में झाड़ू मारते मिलती है।


रत्ना;अरे देवा आ गया तू रुक थोडी देर अभी तुझे नाश्ता दे देती हूँ।

देवा;नहीं माँ मै नाश्ता करके आया हूँ।
ये कह के देवा अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है।
वो अपने कमरे के सामने से गुज़र ही रहा था की उसे ममता के कमरे से खुसुर पुसुर की आवाज़ सुनाई देती है।

वो दरवाज़े के झिरी में से झाक के देखता है और उसकी ऑखें अंदर का नज़ारा देख के फटी की फटी रह जाती है।

अंदर ममता और नूतन बिलकुल नंगी एक दूसरे से चिपके मुँह में मुँह डाले एक दूसरे की चूत पे चूत रगड रही थी।

देवा;को यकिन नहीं होता उसकी बहन ऐसा भी कर सकती है और वो अपने कमरे में चला जाता है।

और थोडी देर बाद जब बाहर आता है तो रत्ना अब भी झाड़ू लगा रही थी मगर अब उसकी साडी का पल्लू उसके कमर में ठुंसा हुआ था वो झुक के झाड़ू लगा रही थी जिससे उसके मोटे मोटे ख़रबूज़े आगे की तरफ झुके हुए थे।

देवा;माँ मै खेत में जा रहा हूँ।

रत्ना;उसी हालत में देवा से बातें करने लगती है।
आरे दूध पीके जा ना।

देवा;तुमने गाय का दूध निकाल लिया क्या।

रटीना;नहीं तू निचोड के निकाल ले जल्दी देती है वो तेरे हाथ से।

देवा; सोच में पड़ जाता है।
इससे पहले रत्ना ने कभी देवा से ऐसी बातें नहीं की थी।

रत्ना;अरे खड़ा क्या है चल जल्दी कर निचोड के निकाल ले जितना चाहिए तुझे।

देवा;मुझे देर हो रही है माँ मै चलता हूँ और देवा अपने सर को खुजाता हुआ खेत में चला जाता है।
आज उसके साथ वो हो रहा था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था।

एक तरफ ममता और नूतन जो कर रही थी वो देवा ने कभी नहीं देखा था।


और उसकी माँ रत्ना के ये रूप।

मगर इस सब बातों से देवा में एक बदलाब आया था उसका लंड पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।

वो अपनी माँ और बहन के बारे में सोचना बंद करके खेत के काम में लग जाता है।

इधर शालु के घर रश्मि की पहली हल्दी लगाई जा रही थी।

तीन दिन तक लड़की की माँ या बहन दुल्हन को हल्दी लगा के नहलाते थी।
यही गांव में रीवाज था।

इसलिए शालु भी रश्मि को हल्दी मल रही थी।

रश्मी;ने एक पतली सी साडी अपने जिस्म पे लपेट रखी थी और नीचे कुछ भी नहीं था।

शालु;रगड़ रगड के रश्मि को हल्दी मलने लगती है।

रश्मी;माँ रहने दो ना मै खुद कर लुंगी।
क्या ज़रूरत है इस सब की।

शालु;तेरी सास मुझे ताने देगी।
बोलेगी कैसे माँ है बिना हल्दी लगाए तेरी शादी कर दी।

रश्मी;कोई कुछ नहीं कहेगा तुम भी ना।

शालु; अच्छा अच्छा चल अब नहा ले।

रश्मी; मैं खुद नहा लुंगी।

शालु;नहीं मुझे नहलाने दे मुझसे कैसी शर्म बचपन में मै ही तुझे नहलाती थी चल आ जा ।

शालु;ज़बरदस्ती रश्मि का हाथ पकड़ के उसे घर के पीछे बने छोटे से बाथरूम में ले जाती है और उसे नीचे बैठा के उसके जिस्म पे पानी डालके उसे नहलाने लगती है।

रश्मी के उभरते हुए चूचि देख के शालु को थोड़ा बहुत शक उस पे हो गया था बस वो अपने शक को यकिन में बदलना चाहती थी।

रश्मी के लाख मना करने पर भी वो रश्मि की साडी निकाल देती है और जैसे ही उसकी नज़र रश्मि की चूत की तरफ जाती है वो सुन्न पड़ जाती है।


रश्मी की चूत जगह जगह से चीरी हुई थी साफ़ पता चल रहा था की वो बुरी तरह चूदी है।

रश्मी की ऑखें बंद हो जाती है और उसका दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगता है।

शालु;जांघ पे साबुन घिसते घिसते अपनी दो उँगलियाँ रश्मि की चूत में डाल देती है और उसका शक यक़ीन में बदल जाता है।

रश्मी की चूत में शालु के उँगलियाँ बडी आसानी से अंदर तक चली जाती है।
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रश्मी के मुह से एक हलकी सी चीख़ निकलती है।
मा

और तभी उसके मुँह पे शालु एक ज़ोरदार थप्पड जड़ देती है।
चटाककक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क
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रानी;अपनी पेंटी भी निकाल के फ़ेंक देती है और देवा के मुँह की तरफ अपनी चूत करके 69 के पोजीशन में आ जाती है।

देवा की ऑखें अभी भी बंद थी मगर वो तब पूरी तरह खुल जाती है जब रानी देवा के अण्डकोष(टेस्टिस) को बरे तरह मसलते हुए उसके लंड को मुँह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प......

देवा के लंड में जान आने लगती है और अपने होठो के इतने पास चमकते हुए चूत को देख उसके मुँह में भी पानी आने लगता है वो अपने होंठ रानी की चूत पे लगा देता है और दोनों प्रेमियों के तरह एक दूसरे को चाटने लगते है गलप्प गलप्प..........

देवा;साली तू नहीं सुधरेगी गलप्प गलप्प....

रानी;हाँ नहीं सुधरूंगी मै गलप्प गलप्प....

कुछ देर बाद देवा रानी को कुतिया (डॉगी स्टाइल) में झुका देता है और धीरे से अपने लंड पे थूक लगा के उसे रानी की चिकनी चूत में घुसा देता है।

रानी को बड़ा सुकून मिलता है जब लंड का सुपाडा उसकी चूत के अंदर चला जाता है ।

मगर ये सुकून थोडी देर का था उसकी ऑखें उस वक़्त फटी की फटी रह जाती है जब देवा बिना कुछ बोले अपने लंड का बाकि का हिस्सा एक झटके में अंदर पेल देता है।

देवा; ले साली बहुत आग लगी है ना इसमें आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रानी अपने कमर को आगे की तरफ खीचने लगती है मगर देवा दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ के सटा सट अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घूसाने लगता है।


देवा;आहह तूने सोये हुए कामदेव को जगा के बहुत बडी गलती कर दी आहह्हह्हह्हह्हह।

रानी;आहह चोद मुझे देवा । आहह ऐसे चोदने के लिए तो जगाई हूँ तुझे मैं।

रानी अपने चरम सीमा पे पहुँच चुकी थी। किसी भी वक़्त उसकी चूत पानी की एक धार देवा के लंड पे छोड सकती थी मगर उसे उस वक़्त झटका लगता है जब देवा ठीक वक़्त पे अपने लंड को बाहर खीच के चुदाई बंद कर देता है।

रानी;आहह देवा क्या कर रहा है चोद न रुक क्यों गया। बाहर क्यों निकाल लिया रे।चोद न मै मर जाऊँगी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;नहीं चोदूँगा ।

रानी: मैं तेरे हाथ जोडती हूँ पांव पडती हूँ ऐसा ज़ुलम मत कर । दो तीन धक्के मार दे बस आहह रहम खा मुझपे आह्ह्ह्ह्ह् प्लीज्जज्जज्जज्जज्ज देवाआआआआ।
 
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रश्मी के मुँह पे इतनी ज़ोर से थप्पड पड़ा था की उसके मुँह में से खून निकलने लगता है।

शालु उसके बाल पकड़ के एक और थप्पड उसके मुँह पे मारती है।
कुलटा कहाँ से मुँह काला करवा के आई है तू बोल
वर्ना जान से मार दुंगी।

कुछ दिन भी तुझसे रहा नहीं गया। किसके साथ तूने अपनी इज़्ज़त निलाम की है बोल बोलती क्यों नही।

रश्मी; बस रोये जा रही थी।

शालु;इधर देख मेरी तरफ सच सच बता मुझे रश्मि।
वर्ना तेरे बापू को बता दूंगी फिर वो तेरी चमड़ी उधेड़ के रख देंगे।

रश्मी;माँ वो मै माँ......

शालु;क्या माँ माँ लगा रखी है। बोल कौन है वो जिसके वजह से तेरा ये हाल हुआ है।

रश्मी;देवा।

शालु;क्या देवा
देवा ने तेरे साथ ये सब किया।

रश्मी; हाँ माँ देवा ने मगर इस सब में मै भी उतनी ही बडी गुनहगार हूँ जितना की देवा है।

शालू ; रश्मि का हाथ पकड़ के उसे कमरे में ले आती है और दरवाज़ा बंद करके उसके पास बैठ जाती है
मुझे सच सच बता ।

रश्मी; माँ मुझे नहीं पता सब कैसे हो गया वो जब मुझे छुता था मुझे कुछ होश नहीं रहता था।
उस दिन जब तू हमारे रिश्तेदारों के वहां गई थी उस दिन।

शालु;तेरी इसे देख के तो नहीं लगता के ये एक आदमी का काम है और कौन था देवा के साथ।

रश्मी;और कोई नहीं था माँ देवा ने हे ये सब किया है।

शालु;रश्मि को उल्टा होने के लिए कहती है उसकी चूत के साथ साथ गाण्ड भी सुजी हुई थी जगह जगह से चीर जाने से कही कही से थोड़ा थोड़ा खून भी निकला था।

शालु;हाय राम कैसे जानवर की तरह तुझे करता रहा और तू आखिर क्या पडी थी तुझे उसके साथ सब करने की एक हफ्ते बाद तेरी शादी है।


रश्मी;अपने ऑंसू पोछके शालू की तरफ देखती है ।
माँ मै अपने जिस्म के आगे मजबूर हो गई थी देवा है ही ऐसा की उसके बिना रहा भी नहीं जाता।
एक और बात थी जिसकी वजह से मैंने ये सब किया।

शालु; क्या।

रश्मी;देवा ने मेरे सर की कसम खाया था की अगर वो मुझे करने में सफल नहीं हुआ तो वो कभी शादी नहीं करेंगा।

मै नहीं चाहती थी की मेरी बहन नीलम ज़िन्दगी भर कुंवारी रह जाए।

हाँ माँ मैंने एक बार नीलम और देवा की बाते सुन ली थी वो दोनों एक दूसरे से बहूत प्यार करते है।

शालु;तूने ये सब अपनी बहन की खुशियों के लिए की।

रश्मी;नहीं मै भी देवा के साथ वो सब करना चाहती थी अगर वो नहीं करता तो मै ज़बर्दस्ती उससे करवाती।

शालु;एक और थप्पड उसके मुँह पे मारती है और इस बार रश्मि सीधा चक्कर खा के बिस्तर पे गिर जाती है।

कूतिया बोल तो ऐसे रही है जैसे बहूत पुण्य का काम कर आई है।

शालु;की नज़रें अब भी रश्मि की चुत के तरफ थी और दिल बस इस बात से और ज़ोर से धड़क रहा था की कोई इतनी बुरी तरह भी चोद सकता है की चूत फाड़ दे।

वो लंड कैसा होंगा जो हर सुराख़ में जाने के लिए उतावला होता होगा।
शालु;के मन में उठते सवालो का जवाब सिर्फ देवा के पास था।

देवा;अपने खेत में का काम निपटा के पप्पू के साथ घर वापस आ रहा था।

पप्पू;देवा रश्मि तो दिन ब दिन और मस्त होते जा रही है।

देवा; साले बहन है वो तेरी और जब उसे पहला धक्का जमके मिला है तो चूत तो अँगड़ाई लेगी ही उसकी हर वक़्त।

पप्पू;हाँ देवा रात में भी सोने नहीं देती।
बस भाई जैसे रश्मि को खोल दिया है ना तूने वैसे माँ को खोल दे उसके बाद सबके मज़े है।

देवा;को हंसी आ जाती है साला गांडु का गांडु ही रहेगा तू चल बाद में मिलते है।
देवा अपने घर में चला जाता है और पप्पू अपने घर की तरफ बढ़ जाता है।

देवा;घर में पहुँचता है तो उसे रत्ना के कमरे से रत्ना के कराहने की आवाज़ आती है।


देवा;अपनी माँ के कमरे में चला जाता है।

रत्ना;बिसतर पे लेटी हुई थी और अपने पेट को पकडे हुए दर्द से सिसक रही थी।

देवा;माँ क्या हुआ माँ।

रत्ना; बेटा पेट में बहूत दर्द हो रहा है।

देवा;माँ तुम सीधा लेट जाओ। कहाँ दर्द हो रहा है।

रत्ना;ऊँगली के इशारे से देवा को बताती है।

देवा;अपना हाथ रत्ना के पेट पे रखता है और उसे सहलाने लगता है।
यहाँ हो रही है क्या माँ दर्द।


रत्ना;हैं वही बेटा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;ममता और नूतन कहाँ है।

रत्ना;अपने कमरे में होंगी।

देवा: मैं अभी आया माँ।
वो उठके पुदिने की कुछ पत्ती तोड़ लाता है ।
और उसे पीस के पानी में मिलाके रत्ना को देता है।

रत्ना;पानी पीने के बाद फिर से लेट जाती है।

मगर देवा उसके पेट को सहलाना बंद नहीं करता।

कुछ देर बाद रत्ना को चैन मिलता है।।।

रत्ना;अब बस भी कर मुझे गुद गूदी होती है।

देवा;माँ मै अभी आया।
देवा उठके ममता के रूम की तरफ चला जाता है और ज़ोर से दरवाज़े पे हाथ मारता है।

अंदर ममता और नूतन दुनियादारी से बेखबर अपनी जवानी की आग को और हवा देने में लगी हुई थी।


वो घबरा जाती है और ममता अपना दुपट्टा ठीक करके दरवाज़ा खोलती है।

ममता; भाई क्या हुआ।

देवा;ममता को घुर के देखता है
क्या कर रहे हो तुम दोनो।

ममता; कुछ भी नहीं बस बैठी थी बातें करते हुए।

देवा; जा माँ का पेट दर्द कर रहा है उनके पास जाके बैठ।

ममता; रत्ना की तरफ चली जाती है।
नुतान अब भी कमरे के अंदर बैठी हुई थी दिल तेज़ी से धड़क रहा था और होंठ काँप रहे थे।

देवा;उसके पास जाके बैठ जाता है।
नुतन इतनी डरी हुई क्यों है।

नुतन ; कुछ नहीं भाई मै काकी के पास से आती हूँ।

देवा;उसका हाथ पकड़ के वापस उसे अपने पास बैठा देता है।
अरे कहाँ चली दिन भर तो ममता के साथ चिपकी रहती है थोडी मेरी बात तो सुन ले।

नुतन; चिपके रहने से आपका क्या मतलब है।
वो देवा को ग़ुस्से से पुछने लगती है।

देवा; अच्छा बडी ऑखें दिखा रही है ।
मैने भी सुबह अपने ऑखों से कुछ देखा है।

नुतन ; क्या देखा है आपने।

देवा;तुझे और ममता को इस कमरे में बिना कपडो के एक दूसरे के साथ।
और सुनाऊँ।

जितनी तेज़ी से नूतन को देवा की बात पे ग़ुस्सा चढा था उतने ही तेज़ी से उतर भी जाता है और अब ग़ुस्से में दिखते ऑखों में शर्म उतर आती है जो होंठ कुछ देर पहले ममता के साथ चिपके हुए थे। अब उन होठो में कंपकपाहट बढ़ने लगती है।

बस इस ख्याल से देवा ने उसे बिलकुल नंगी देखा है
कही न कही चूत की कोमल से पंखुड़िया भी थिरकने लगी थी।

नुतन ; मुझे जाने दो ।

देवा; मुझे देखना है।

नुतन ;क्या।

देवा;वो जो मुझे ठीक से दिखाई नहीं दिया।

नुतन ; कभी नहीं खवाब देखते रह जाओंगे आप भाई मैं नहीं दिखाने वाली।

देवा; अच्छा ये बात है।
वो नूतन को बिस्तर पे लिटा देता है और उसके पेट को चुमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है।

नुतन ; देवा को धक्का दे देती है।

और उठके खड़ी हो जाती है।
देवा को अपने अंघूठे से ठेंगा दिखाते हुए अपने ज़ुबान को बाहर निकाल के देवा को चिढ़ाने लगती है।

देवा;नूतन देख सांप(स्नेक)

नुतन ; कहाँ है भागते हुए देवा से आके चिपक जाती है।

देवा;नूतन को अपने सीने से चिपका लेता है।
साँप मेरे पेंट में है।

नुतन ; देवा के झाँसे में फँस चुकी थी।

देवा;मुझे ज़ुबान दिखा के चिढाती है चल अब निकाल बाहर तेरी ज़ुबान।

नुतन;मुझे जाने दो ना भाई।

देवा;मैंने कहा ज़ुबान बाहर निकाल वरना तेरी माँ को बता दूंगा जो मैंने देखा था सुबह।

नुतन डर के मारे अपनी ऑखें बंद कर लेती है और सर ऊपर उठाके के ज़ुबान बाहर निकालती है।



देवा उसी वक़्त उसके गुलाबी ज़ुबान को अपने मुँह में ले लेता है और उसे चूस चूस के पीने लगता है।
गलप्प गलप्पम।

नुतन का बदन ढिला पडने लगता है अब तक चूत से चूत को घिसके अपने शरीर को शांत करने वाली नूतन को पहली बार कोई मरद चूम रहा था।

बाहर किचन में से कुछ गिरने की आवाज़ आती है और नूतन देवा के छाती पे मुक्का मारते हुए वहां से भाग जाती है।

देवा;अपना सर खुजाता रह जाता है।

शाम ढलते ही देवा के लंड को चूत के तलब लगने लगती है जैसे कोई शराबी को अपने शराब रोज़ चाहिए ही होता है उसी तरह देवा को दिन भर में कम से कम एक बार औरत अब चाहिए ही चाहिए।

वो पदमा के घर चला जाता है।
अपने बिस्तर पे पडी पदमा देवा को देखते ही खडी हो जाती है और देवा के छाती से लग जाती है।

पदमा;आ गया तू ज़ालिम बडी देर लगा दिया।


देवा;बस कुछ देर के लिए आया हूँ माँ की तबियत ठीक नहीं है मुझे जाना पडेगा।

पदमा;जल्दी वल्दी कुछ नहीं अब आया तो। तुझे तब ही जाने दूंगी जब मेरा दिल भरेगा और चूत भी।

देवा;पदमा के नरम मुलायम ब्रैस्ट को मसलने लगता है।

पदमा;आहह बहूत कठोर हो गये है ये ज़रा ज़ोर से दबा ना आह्हह्हह्हह्हह।

देवा के हाथों में तो जादू था।
वो अपनी ताकत से पदमा की दोनों चूचि को मरोड़ के रख देता है।

पदमा की ढीली ढाली साडी उसका बदन छोड़ने लगती है और बाकी के कपडे देवा निकाल देता है।

दोनो के होंठ एक दूसरे में खो जाते है ज़ुबान से निकलता थूक देख ये बताना मुश्किल था की किसका है दोनों के मुँह एक दूसरे में इस प्रकार चिपके हुए थे की साँस लीने में भी दुश्वारी हो रही थी।

देवा;अपना एक हाथ पदमा की चूत पे रखते हुए उसके जांघ को दबाने लगता है।

पदमा;देवा की पेंट खोल देती है और लंड को बाहर निकाल के उसे मुठियाने लगती है।

खड़े खड़े अब बाकि का काम करना बहूत मुस्किल था
इसलिए पदमा नीचे बैठ के देवा के लंड पे अपना थूक गिराती है।

और फिर उसी थूक को चाटते हुए देवा के लंड को भी चाटने लगती है गलप्प गलप्प।

देवा;आहह साली धीरे किया कर आह्ह्ह्ह्ह्ह।

पदमा के गलप्प मुँह से निकलता थूक ज़मीन पे गिरने लगता है और कुछ पानी नंगी चूचि पर।

कई दिनों की प्यासी पदमा की चूत जल के राख सी हो गई थी मगर उस राख में भी कुछ चिंगारियाँ बाकि थी जो बदन को झुलसाने के लिए काफी थी।

पदमा;चुप कर साले चोदता तो है नहीं बस घूमते रहता है कुछ नहीं होता अब तुझसे । न तुझ में दम रहा है ना तेरे लंड में गलप्प आहह गलप्प।


देवा;जिसका दिमाग उस वक़्त घुटनो में चला जाता था जब कोई औरत उसे खुला चैलेंज करती थी ।

देवा पदमा को खड़ी करता है और उसका एक पैर चारपाये पे और दुसरा अपने हाथ में पकड़ के अपने लंड को उसकी चूत पे लगा के धक्का दे देता है।

पदमा;पहली बार खड़े खड़े चुदवा रही थी।
हाय रे दैया मार डाला रे।

देवा;अब मत चिल्ला बब बस चुदती रह साली आह।

देवा का लंड सीधा बच्चेदानी से ठोकर मारने लगता है।

पदमा;नही ना ऐसे नहीं चोद मुझे आहह। मै तो मज़ाक़ कर रही थी मेरे देवा। आहह देख मुझे इतने बुरी तरह मत चोद आहह। हमारे बच्चे को कुछ हो जायेगा आह्ह्ह्ह।

देवा बच्चे की बात सुनके उसे चारपाई पे लिटा देता है मगर अपने लंड की आवा जाही में कोई कमी नहीं आने देता लंड अब भी उतने ही तेज़ी से चूत में जा रहा था।

पदमा अपने दोनों पैर खोल के उसे देवा के कमर से लपेट देती है।

और दोनों पसीने में भीगते हुए चुदाई का आनंद लेने लगते है।

इधर शालु के घर में शालु रश्मि के पास बैठी हुई थी।

शालु;रश्मि चल मै तुझे मलहम लगा दूँ ।

रश्मी;नहीं मुझे नहीं लगाना।
शालु के हाथ से तीन तीन थप्पड खाने के बाद रश्मि ग़ुस्से में थी।

शालु;रश्मि को अपने छाती से लगा लेती है।
मेरी बच्ची माँ जो कहती है अपने बच्चों के भले के लिए कहती है।


मैने तुझपे हाथ उठाये इसलिए तू मुझसे नाराज़ है ऐसे नाराज़ मत रह मुझसे । कुछ दिन के बाद तो हमेशा हमेशा के लिए अपने माँ को छोड के चली जाएगी।

रश्मी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है और वो अपनी माँ शालु की छाती से चिपक के रोने लगती है।

थोड़ी देर के बाद जब दोनों माँ बेटी के ऑंसू रुक जाते है तो शालु रश्मि को लिटा देती है और वैध जी के हाथ का मलहम लेके रश्मि के कटी फटी चूत पे लगाने लगती है।


थोडा मलहम लगते ही रश्मि की चूत में कुछ होता है और उसके मुँह से एक सिसक निलकती है जिसे सुनके शालु के होठो पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

चूत से लेके गाण्ड तक मलहम लगाने के बाद भी शालु उसकी चूत पे उँगलियाँ फेरती रहती है।

अपने खयालो में डूबी शालु सोच रही थी की इसकी चूत को कैसे लगा होगा जब वो मोटा देवा का लंड इसे चिरता हुआ अंदर गया होगा।

लगातार रश्मि की चूत को देखते देखते शालु को तब होश आता है जब बाहर दरवाज़े पे नीलम खटखटाती है।

रश्मी अपनी सलवार ठीक कर लेती है और शालु अपने हाथ धोने चली जाती है।

रात का खाना खाने के बाद और पदमा को जम के चोदने के बाद देवा हवेली सोने चला जाता है।

हवेली पहुँचने पे उसे पहला झटका लगता है आज उसका बिस्तर बाहर नहीं बल्कि रुक्मणी के कमरे में लगा हुआ था।

दूसरा झटका रुक्मणी ने आज साडी या शलवार नहीं बल्कि शहर से लाये हुए नाईट पेंट पहनी हुई थी बदन से एकदम चिपका हुआ ऊपर लम्बा सा कुर्ता था।

देवा;रानी और रुक्मणी से कुछ देर बाते करने के बाद अपने बिस्तर पे लेट जाता है।
मालकिन मेरा बिस्तर बाहर क्यों नहीं लगवाई।

रुक्मणी;वो बाहर बहूत ठण्ड है तुझे कुछ हो गया तो तेरी माँ क्या सोचेंगी।

देवा;हमम।
(दिल में) तेरी चूत क्या सोच रही है मै अच्छे से जानता हूँ।

रात धीरे धीरे घिरने लगती है और पूरा गांव नींद के आग़ोश में चला जाता है।

देवा उठके रुक्मणी की तरफ देखता है वो गहरी नींद में सोई हुई थी।

वो चुप चाप उठके उसके पास जाके बैठ जाता है।

रुक्मणी के चेहरे पे आते उसके बाल उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे। एक पल के लिए तो देवा भी उसे देखता रह जाता है।

वो धीरे से रुक्मणी के नाईट पेंट को पकड़ के उसे नीचे खीचने लगता है।

रुक्मणी कोई हरकत नहीं करती मगर उसके तेज़ साँसे देवा को बता देती है की चिडीया जग चुकी है।


देवा;कमर के थोड़े निचे पेंट को कर देता है। अंदर रुक्मणी ने पेंटी पहनी हुई थी।

देवा;अपना हाथ उसके पेट पे रख के धीरे धीरे उसे अंदर सरकाने लगता है।

जैसे जैसे देवा का हाथ रुक्मणी के पेट पे घुमता हुआ पेंटी की तरफ बढ़ने लगता है वैसे वैसे रुक्मणी की साँसे ऊपर नीचे होने लगती है।

रुक्मणी अपने नीचले होंठ को अपने मुँह के अंदर लेके किसी तरह अपनी सिसकारियां रोकने की कोशिश कर रही थी

एक पतिवरता पत्नी अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी मगर वो इस वक़्त देवा को भी कुछ कहने कुछ करने से रोकने के स्तिथि में नहीं थी।

देवा का हाथ रुक्मणी की पेंटी में चला जाता है और वो उसे नीचे सरका देता है।

रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये हुई थी। शायद डर भी था और वो देखना भी चाहती थी की देवा क्या करता है।

रुक्मणी का शरीर उस वक़्त हिलने डूलना बंद कर देता है जब उसे अपनी चूत पे देवा का लंड महसूस होता है।

वो झट से अपने ऑंखें खोल के बंद कर देती है।

देवा;अपने लंड को पेंट से बाहर निकाल के उसे रुक्मणी के चूत पे घीसने लगता है।

रुक्मणी का सारा बदन उसे टाँगें खोल के देवा का स्वागत करने पे मजबूर कर रहा था । मगर अब भी थोड़ा हिम्मत राव का मान रुक्मणी के दिल में बाकी था।

रुक्मणी अपने जिस्म की बात सुनते हुए अपने पैर खोलने ही वाली थी की देवा अपने लंड को रुक्मणी की चूत से हटा के वापस उसकी पेंटी और नाईट पेंट ऊपर चढा के अपनी जगह सोने चला जाता है।

उस वक़्त रुक्मणी को जीतनी गलियां आ सकती थी वो सारी की सारी गालियां देवा को मन ही मन में देने लगती है और अपने जिस्म पे चादर डालके अपने हाथ की दो उँगलियाँ चूत में डालके उसे ज़ोर से रगडने लगती है।

चूत इतनी ज़्यादा मस्त हो चुकी थी की कुछ ही पलों में वो ढेर सारा पानी रुक्मणी के हाथों पे छोड़ देती है।

और रुक्मणी देवा को गलियां देते हुए और कल उसे बाहर सुलाने का सोच के सोने की कोशिश करती है। उसे समझ नहीं आ रहा था की देवा उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। दो दिन से चूत के पास माचिस ला के उसे बुझा देता था।

आखीर देवा चाहता क्या है इस सवाल का जवाब देवा के पास था जो अपनी जीत पे मुस्कुरा रहा था उसे यक़ीन हो चला था की वो दिन बहूत क़रीब है जब रुक्मणी ख़ुद नंगी होके देवा के पास आयेंगी।
WOW MAST AND HOT P[OST
रुक्मणी के चेहरे पे आते उसके बाल उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे। एक पल के लिए तो देवा भी उसे देखता रह जाता है।

वो धीरे से रुक्मणी के नाईट पेंट को पकड़ के उसे नीचे खीचने लगता है।

रुक्मणी कोई हरकत नहीं करती मगर उसके तेज़ साँसे देवा को बता देती है की चिडीया जग चुकी है।


देवा;कमर के थोड़े निचे पेंट को कर देता है। अंदर रुक्मणी ने पेंटी पहनी हुई थी।

देवा;अपना हाथ उसके पेट पे रख के धीरे धीरे उसे अंदर सरकाने लगता है।

जैसे जैसे देवा का हाथ रुक्मणी के पेट पे घुमता हुआ पेंटी की तरफ बढ़ने लगता है वैसे वैसे रुक्मणी की साँसे ऊपर नीचे होने लगती है।

रुक्मणी अपने नीचले होंठ को अपने मुँह के अंदर लेके किसी तरह अपनी सिसकारियां रोकने की कोशिश कर रही थी

एक पतिवरता पत्नी अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी मगर वो इस वक़्त देवा को भी कुछ कहने कुछ करने से रोकने के स्तिथि में नहीं थी।

देवा का हाथ रुक्मणी की पेंटी में चला जाता है और वो उसे नीचे सरका देता है।

रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये हुई थी। शायद डर भी था और वो देखना भी चाहती थी की देवा क्या करता है।

रुक्मणी का शरीर उस वक़्त हिलने डूलना बंद कर देता है जब उसे अपनी चूत पे देवा का लंड महसूस होता है।

वो झट से अपने ऑंखें खोल के बंद कर देती है।

देवा;अपने लंड को पेंट से बाहर निकाल के उसे रुक्मणी के चूत पे घीसने लगता है।

रुक्मणी का सारा बदन उसे टाँगें खोल के देवा का स्वागत करने पे मजबूर कर रहा था । मगर अब भी थोड़ा हिम्मत राव का मान रुक्मणी के दिल में बाकी था।

रुक्मणी अपने जिस्म की बात सुनते हुए अपने पैर खोलने ही वाली थी की देवा अपने लंड को रुक्मणी की चूत से हटा के वापस उसकी पेंटी और नाईट पेंट ऊपर चढा के अपनी जगह सोने चला जाता है।

उस वक़्त रुक्मणी को जीतनी गलियां आ सकती थी वो सारी की सारी गालियां देवा को मन ही मन में देने लगती है और अपने जिस्म पे चादर डालके अपने हाथ की दो उँगलियाँ चूत में डालके उसे ज़ोर से रगडने लगती है।

चूत इतनी ज़्यादा मस्त हो चुकी थी की कुछ ही पलों में वो ढेर सारा पानी रुक्मणी के हाथों पे छोड़ देती है।
 

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Introduction
ये कहानी है भारत के एक छोटे से गाँव अम्बेटकली की।एक छोटा मगर बेहद खूबसूरत गांव में रहता है ।

देवा
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२० साल का ये गबरू जवान।।अपने १० एकड के खेत में खूब दिल लगा के मेहनत करता है । उसे न शराब का शौक है न चरस गांजे का।
बचपन से उसे कसरत और कुश्ती का बहुत शौक रहा है पर सबसे ज़्यादा चाह है उसे चूत की हालाँकि अभी तक उसे ये मिला नहीं है।।
देवा।अपनी माँ रत्ना और छोटी बहन ममता के साथ रहता है।
बाप का साया देवा के सर से पांच साल पहले ही उठ गया था।



रत्ना
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एक गदराई हुई ४० साल की खूबसूरत औरत जो पिछले 5 साल से अपनी चूत की आग अपनी उँगलियों से तो कभी बैगन मूली से शांत करते आ रही है।।पति तो उसका रहा नहीं और बाहर वालो को वो देना नहीं चाहती।।

अपने बेटे देवा को खेती बाड़ी में हाथ बटाने वाली रत्ना बहुत हँसमुख है पर उसकी हँसी के पीछे के दर्द को कोई नहीं समझता उसका अपना बेटा देवा भी नही।

ममता
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देवा की खूबसूरत बहन।
एक 18 साल की चंचल खुबसुरत कुँवारी लड़की है जो अपना समय दिन भर अपने सहेलीयों के साथ बातें करने में गुजारती है उन बातों में सिर्फ सेक्स की बाते होती है।।जल्द से जल्द लंड लेने की उसकी चाह ने उसके दोनों आमो को वक़्त से पहले ही पका दिया है।

देवा का एक दोस्त है।।


पप्पु
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18 साल के पप्पू को बचपन में बैल ने ऐसा लात मारा की उसके पप्पू में हिलने डुलने की ताकत नहीं रही।जीस्म तो अपनी उम्र के हिसाब से बढ़ता गया पर औज़ार छोटा का छोटा रह गया।

पप्पू की माँ

शालु
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एक गरम खून वाली 38 साल की औरत है।जिसका पति तो है पर किसी काम का नहीं। चोदता तो है पर ठीक से नहीं । दिन रात नशे में पड़ा रहने वाला शालु का पति जब घर आता है तो पहले गाली देता है और फिर दो चार धक्के उसके बाद सारी रात शालू अपनी चूत मसलती रहती है या ऊँगली से अपने आप को शांत करती है।

शालु की दो और बेटियां है।
एक रश्मि
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उमर 18 साल अपनी माँ की तरह मदमस्त रहने वाली लड़की।



दूसरी बेटी
नीलम
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एक खामोश तबियत वाली। अपनी दुनिया में जीने वाली लड़की को जब भी कोई देखता है यही कहता है ये साली शालु के पति की नहीं हो सकती।

इसी गांव में एक जागिरदार की हवेली है।जिसमें रहते है।

सेठ हिम्मत राव
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हिम्मत राव इस गांव के जमींदार है उसकी गांव में बहुत चलती है। वो गांव में जो चाहे वो कर सकता है। सभी गांव वाले हिम्मत राव से डरते है। हिम्मत राव ने कुछ गुंडे भी पाल रखे है और उसके पास बंदूके भी है।




उनकी पत्नी - रुक्मणि
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रंग तो इसका जानदार है पर चूत बड़ी नमकीन है।।
ये सेठ हिम्मत राव की दूसरी पत्नी है पहली वाली इस दुनिया में नहीं रही।
रुक्मणी के शादी को 3 साल हो चुके है पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है।

सेठ हिम्मत राव को पहली वीवी से एक बेटी है।

रानी-
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उम्र 19 साल है पर नखरे और अदायें किसी तरह भी 19 वाली के नहीं लगते।घर के लोग इसे परी भी बुलाते है यानि इसका घर का नाम परी भी है। बाप के पैसों को पानी की तरह बहाना इसका शौक है।।घमन्डी नकचढी जो कहना है इसे कह सकते है। बस एक ही चीज़ इस में अच्छी है वो छुपी है बेचारी की जांघों के बीच में।




इस हवेली में एक नौकरानी काम करती है।

पदमा
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रुक्मणी की जायज़ और नाजायज़ हर काम पदमा ही करती है।

और भी लोग है इस गांव में धीरे धीरे वो सभी आपके सामने आयेंगे।
MAST INTRO DEAR KEEP IT UP
 

Bur

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अपडेट 1


देवा;अपने खेत में अपने दोस्त पप्पू के साथ बैठा हुआ था।
सामने पप्पू की कुछ बकरियाँ और बैल चारा खा रहे थे।

आज देवा का मूड कुछ उदास सा था।

पप्पू;क्या बात है देवा बड़ा गुमसुम सा बैठा है।

देवा;अरे यार साली ये भी कोई ज़िन्दगी है सुबह खेत में जाओ दिन भर काम करो और रात को खाना खाके सो जाओ।
इससे अच्छा तो मै कोई बकरा होता कम से कम दिन रात किसी न किसी की बकरी को ले रहा होता।

ओ देख सामने तेरा बकरा कैसे बकरी के ऊपर चढ के घूस्सा रहा है।

पप्पू;उदास मत हो देवा हर कुत्ते का टाइम आता है
अपना भी आयेंगा।

देवा;ये बात सुनके खिलखिलाके हंसने लगता हैं।
साले तू बहुत बड़ा गांडु है।
चल ये बता वो हिम्मत राव की लौंडिया कैसी है।
सुना है कल ही शहर से पढ़ के गांव आई है।
बचपन में देखा था उसे साली बडी चिकनी दिखती थी।
एक दो बार तो छुपा छुपी के खेल में मैंने उसे कस के निचोड़ा था।

पता नहीं उसे याद भी होंगा की नही।

पप्पू;माल तो एक से एक है गांव में पर साली कोई भाव नहीं देती।

देवा;दिल ही दिल में ।
तेरी माँ कम गदराया हुआ माल है क्या।
साली एक बार दे दे बस तो मजा आ जाए।

देवा;वैसे तू क्या करेंगा किसी लड़की को पटा के।
साले तेरा तो इतना छोटा है की किनारे से घुम के वापस आ जाए।

पप्पू;अपना चेहरा इधर उधर घुमाने लगता है।
मुझे जाना है वरना माँ ढूँढ़ते ढूँढ़ते यहाँ तक आ जाएगी।

देवा;पप्पू;के कमर पे हाथ फेरने लगता है।
आज बड़ा दिल कर रहा है पप्पु।
MAST UPDATE
 

Bur

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पप्पू घबरा जाता है उसे पता था देवा का इशारा किस तरफ है।
नही देवा दो दिन पहले तूने बड़ा दर्द दिया है मुझे अभी तक दुःखता है।

देवा;पप्पू को अपनी तरफ खिचता है।
साले नाटक तो ऐसे कर रहा है जैसे तेरी माँ की चूत मांग रहा हूँ।
चल जल्दी कर वरना कोई आ जायेंगा।

पप्पू का दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।
पिछले 1 साल पहले शुरू हुआ ये खेल अब देवा के लिए आये दिन की बात थी।
लौंडिया तो कोई हाथ नहीं चढती थी तो पप्पू से ही काम चलाना पड़ता था।

वैसे पप्पू था भी बिलकुल लड़की जैसा।
नाजुक नाज़ुक हाथ पैर पतली सी कमर गोरा चिट्टा जिस्म।

देवा की नज़र तो पप्पू की दोनों बहनो और उसकी माँ शालु पे टिकी हुई थी पर वो सबसे पहले पप्पू को अपनी ऊँगली पे नचाना चाहता था । वो जानता था ये एक बार उसके चंगुल में फँस गया तो वो सब भी नीचे एक दिन आ जाएंगी।

देवा को तो शौक चेरी का था पर अभी तक कोई उसके नीचे आके नहीं पीसी थी।
इससे लिए पप्पू का पो पो बजाता रहता था।

पप्पू की माँ शालु अपने बेटे को ढूँढ़ती ढूँढ़ती देवा के खेत तक आ पहुंची थी । वो बस पप्पु को आवाज़ देने वाली थी की उसे सामने देवा पप्पू के कमर पे हाथ फेरता हुआ और उसे अपने गोद में बैठा के उसके गाल को अपने दाँतो से काटता हुआ नज़र आता है वो वही रुक के सामने का नज़ारा देखने लगती है।

देवा;पप्पू को अपने गोद में बैठा के उसके पेंट के बटनों को खोल के अपना एक हाथ उसके कमर पे रख के हलके हलके उसके नरम कमर को दबा रहा था।

और पप्पू देवा से चिपक के ठण्डी ठण्डी साँसे ले रहा था।

पप्पू;आह जाने देना देवा । कोई देख लेगा आह।

देवा देखने दे कुछ नहीं होता मेरे खेत में कोई नहीं आता।

पप्पू;पर देवा मुझे बहुत दर्द होता है तेरा कितना बड़ा है।

देवा; साले लेते वक़्त तो गाण्ड ऐसे हिलाता है जैसे और जम के लेना है तुझे चल आजा ऊपर।

और देवा वही एक चादर पे लेट जाता है।
WOW NICE POST
 

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पप्पू;पहले खुद के और फिर देवा के सारे कपडे निकाल देता है।

देवा;चल जल्दी कर।

पप्पू;देवा के लंड को हाथ में ले के सहलाने लगता है।
धीरे धीरे देवा का लंड खड़ा होने लगता है।

पप्पु की गाण्ड आवाज़ दे रही थी। वो भी अपना मुंह खोल देता है और देवा का लंड पप्पू के मुंह में घुस जाता है और पप्पू देवा का लंड चूसने लगता है।
गलप्प गलप्प.....




देवा अपना सर जोश में इधर उधर करने लगता है की तभी उसकी नज़र शालु पे पड़ती है जो पेड़ के पीछे छुपी ये सब देख रही थी।

देवा की गाण्ड फ़टी की फ़टी रह जाती है पर अगले ही पल उसे एहसास होता है की शालु का एक हाथ उसके चूत पे है और वो ऑंखें फाड़े पप्पू को नहीं बल्कि देवा के लंड को देख रही है जो पूरी तरह तन के 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा हो गया था।

पप्पू का पूरा मुंह भी देवा के लंड को अपने मुंह में नहीं ले पा रहा था। वो बार बार साँस लेने के लिए उसे बाहर निकाल लेता और हर बार शालु देवा के पूरे लंड का दीदार अच्छे से कर लेती।

देवा;आह बस कर साले आह।

पप्पू पे कोई असर नहीं होता वो तो बस देवा के लंड में खो चुका था।
गलप्प गलप्प गलप्प।

देवा थोड़ी ज़ोर से बोलता है।
अब्बे तेरी माँ को चोदूँ पप्पू छोड़ दे वरना दोनों माँ बेटे को एक साथ चोदुँगा आह।

ये आवाज़ शालु के कानो तक पहुँच जाती है और उसकी उँगलियों का दबाव चूत के और अंदर तक होने लगता है

देवा खड़ा हो जाता है और साथ में पप्पू भी।
MAST PAPPU KI GAND CHUDAI PAPPU KI MUMMY KI AANKHO DEKHI
 

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देवा; चल झुक जा।

पप्पू;आराम आराम से करना देवा तू तो एक ही बारे में खुट्टा गाड देता है।

देवा; अच्छा अच्छा बातें बंद कर।
और देवा ये कहते हुए अपने लंड को पप्पू के कमर पे मारने लगता है।

पप्पू;आह माँ।
सिसकारियां उसके मुंह से निकलती और शालु के कानो तक पहुँच जाती।

देवा;अपने लंड पे थूक लगा के धीरे धीरे लंड को पप्पू की गाण्ड में घूसाने लगता है । आह आह थोड़ा पैर चौड़े कर गांडु आह।
जैसे जैसे लन्ड पप्पू की गांड में घुस रहा है पप्पू चिल्लाने लगता है।फिर एक झटके में देवा अपना पूरा लंड पप्पू के गांड में पेल देता है।

पप्पू; आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय्य्य्य माँ मै मर जाऊँगा । आह देवा निकाल ले अह्ह्ह्हह मै हाथ से हिला देता हूँ इसे आहः।

देवा कहाँ सुनने वाला था वो तो बस अपने आँखों में शालु के गदराये हुए गाँड को सोच सोच के सटा सट लंड पप्पू के गाण्ड में पेले जा रहा था।

पप्पू की हालत ऐसी थी के कोई भी तरस खाके उसे छोड दे । पर देवा बेरहम मरद था पप्पू जानता था की जब तक देवा का पानी नहीं निकलेगा वो रुकने वाला नहीं है।

और सबसे खतरनाक बात ये थी ये देवा का पानी 20-30 मिनट तक नहीं निकलता था।



धक्कों की बरसात पीछे से शुरू थी और पप्पू की चीखें तेज़ और तेज़ होते जा रही थी।

शालु;अपनी चूत को रगडते हुए थक चुकी थी पर देवा था की पसीने में तर बतर होने के बावजूद भी बाहर निकालने को तैयार नहीं था।

20 मिनट के बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है और उसका पानी पप्पू के कमर पे गिरने लगता है और कुछ देर बाद पानी से गिला लंड पप्पू के कमर पे घीसने लगता है।

शालु तेजी से अपने घर की तरफ चल देती है
MAST GAND CHODU UPDATE
 

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