Incest हाय रे ज़ालिम................

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पदमा की नज़रें ये सब देख रहें थी उसे समझते हुए देर नहीं लगती के ये लौंडिया भी कई दिनों के प्यासी है।

किरण;अरे देवा तुम इस वक़्त कुछ काम था।

देवा;हाँ वो वैध जी से दवायें लेनी थी।

किरण;बाप्पू तो पास के गांव गए हुए है कोई बीमार है वहां उन्हें तो देर लगेगी।

देवा;अच्छा तो फिर हम चलते है।

किरण;ऐसे कैसे इतनी दूर से आये हो अंदर तो आओ चाय पानी पिके जाओ और ये तुम्हारे साथ कौन है।

देवा;पदमा काकी ये किरण है वैध जी की बहु और किरण ये है हमारी पदमा काकी।

क़िरण;नमस्ते

पदमा;नमस्ते

किरण उन्हें एक कमरे में बैठा के दूसरे कमरे में चली जाती है।

देवा;पदमा का हाथ पकड़ के दबाता है।
चल अच्छा हुआ अब तो वक़्त ही वक़्त है हमारे पास।

किरण;दूसरे कमरे में से देवा को आवाज़ देती है।
देवा ज़रा यहाँ आना तो ये डब्बा नहीं खुल रहा है ज़रा खोल दोगे।

देवा;उठके उस कमरे में चला जाता है जहाँ से किरण की आवाज़ आई थी।

क़िरण;देवा के कमरे में आते ही उससे लिपट जाती है
देवा देवा कबसे तुझे याद कर रही हूँ मै और तू अब आया है और तू अकेले क्यों नहीं आया रे ।

देवा;किरण के नरम नरम कमर को दोनों हाथों से दबाने लगता है।
मै तो अकेले ही आने वाला था रास्ते में काकी मिल गई
चिंता मत कर वो किसी को कुछ नहीं कहने वाली।

किरण; अच्छा इसका मतलब उसकी भी ले चूका है तु।

देवा;हाँ।

क़िरण; मैं तो पहले दिन ही तुम्हे देखके समझ गई थी की तुम बहुत काम के चीज़ हो।
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देवा;तुम भी कहाँ कम हो। जबसे तुमने इसे हिलाया है तबसे देखो कैसे खड़ा हुआ है नीचे बैठता भी नही।

किरण;इसे तो मै अभी ठीक करती हूँ।
किरण;देवा को धक्का देके नीचे बैठा देती है और एक झटके में देवा की पेंट नीचे खिसका देती है।
हाय रे कितना मोटा और लम्बा है कल रात भर मेरे सपने में मुझे तरसाता रहा है ये। अब्ब नहीं छोड़ूँगी इसे।

किरण;देवा के लंड को हिलाते हुए अपने मुंह में ले लेती है और उसे गलप्प गलप्प हलक तक खीच के चुसने लगती है।

देवा;आहह आराम से कर किरण आह्हह्हह्हह्हह।

बाहर बैठी पदमा को कुछ शक होता है देवा को अंदर गए काफी वक़्त हो गया था। न वो बहार आया था न किरण । वो उठके उस कमरे की तरफ बढ़ती है और जैसे ही वो दरवाज़े के पास पहुँचती है उसका शक यक़ीन में बदल जाता है।



पदमा;अच्छा तभी तो मै सोचु की तुम डब्बा खोलने गए हो या इसका घाघरा खोलने।

देवा और किरण पदमा को देखकर मुस्कुरा देते है।
काकी ये भी आपके तरह बडी उदास उदास से रहती है सोचा बेचारी की थोड़े उदासी दूर कर दुं।

पदमा;कमर मटकाते हुए उन् दोनों के पास आ जाती है हाँ इस काम में तो तुम माहिर हो ज़रा मै भी तो देखु कितनी तीख़ी मिर्ची है ये वैध की बहु।



पदमा;किरण के होठो को चुम के देखती है किरण के होठो पे देवा का हल्का हल्का पानी भी लगा हुआ था जिसे पदमा चाट लेती है।

किरण;आहह काकी ।

पदमा;बडी तीखी है री तू। मेरे देवा पे क्या जादू कर दिया तूने की एक ही दिन में तेरा दिवाना हो गया।

क़िरण; काकी देवा तो नई चूत का दिवाना है आज इसे हम दोनों ऐसा मजा चखाएंगे की ये भी हमें याद रखे।

पदमा;तू इसे नहीं जानती किरण बिटिया ।बड़ा ज़ालिम है ए।

किरण;देखते है रास्ता ख़तम होता है या मुसाफिर थकता है।

दोनो औरतें नंगी होकर देवा के लंड पे टूट पडती है।
SUPERB POST
 
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दो लंड की भूखी औरतें जब देवा के लंड को चूसना शुरू करती है तो देवा के मज़े का ठिकाना नहीं था।

कभी पदमा की तो कभी किरण के मुंह में देवा का लंड घूसने लगता है।

किरण;पदमा से भी ज़्यादा चुदक्कड़ औरत थी। वो प्यासी थी भूखी थी और जवान भी थी । चूत की आग जब जिस्म पे हावी हो जाती है तो सामने को तिनका बाकी नहीं रहता सब उसकी चपेट में आ जाते है।

देवा;आज दो भूखी शेरनियों के बीच फँस गया था।

पदमा;देवा के सर के पास आ जाती है और अपनी चूत उसके मुंह के पास ला के उसके सर को अपनी चूत पे दबाती है।

देवा;ज़ुबान बाहर निकाल के पदमा की चूत चाटने लगता है गलप्प गलप्प गलप्प।

किरण की चूत पानी छोड़ रही थी पर ये वो बारिश नहीं थी जो बंजर बीयांबान में हरयाली ला दे।

देवा;के लंड की नसे मोटी हो चुकी थी।
उससे रहा नहीं जाता और वो अपना मुंह पदमा की चूत से हटा के किरण को अपने पास खीच लेता है।

देवा;किरण के कमर पे दो तीन थप्पड मारता है और पीछे से उसके चूत पे थूक लगा के लंड चूत के मुहाने पे रगडने लगता है।

किरण;हाय माँ डाल दे न आहह और कितना तड़पाएगा आह।

पदमा;किरण के मुंह के पास लेट जाती है और देवा जैसे ही पहला धक्का किरण की चूत में मारता है किरण खुद बा खुद पदमा की चूत पे झुकती चली जाती है।

इधर देवा किरण को पीछे से चोद रहा था। उधर किरण पदमा की चूत को अंदर तक चाटने लगती है।



किरण;आहह बड़े दिन के बाद किसी मरद से पाला पड़ा है आहह चोद मुझे ज़ोर से आहह निकाल दे मेरे सारी चूत की मस्ती । आह्ह्ह्ह माँ वो तेरा लंड मेरी चूत को अंदर तक चीर रहा है रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;आहह तुझे देखना था न कौन थकता है देख अब आहह आह्ह्ह्ह्ह्।

किरण;आहह बता मुझे तेरे लंड की ताकत आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पेल्ल्लल्ल मुझे आअह्हह्हह्हह।
WOW MAST HOT EROTIC UPDATE
 
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पदमा;कमर उठा उठाके देवा का साथ देने लगती है।

देवा;किरण के बाल पकड़ के उसे पदमा की चूत के पास खीचता है।
आहह्ह्ह्ह मुंह खोलललललल सालीईईईईईईईईईईई।

क़िरण;जैसे ही मुंह खोलती है देवा उसके मुंह में लंड पेल देता है कुछ देर तक वो किरण से चुसवाता रहता है उसके बाद पदमा क की गाण्ड पे थूकता है और बिना पदमा से कहे उसके गाण्ड के सुराख़ को भी खोलता चला जाता है।

पदमा;आहह नहीं ना वहां नहीं देवा।

देवा;चुप कर साली आहह तेरा हर सुराख़ मेरा है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

कभी किरण के मुंह में तो कभी पदमा के गाण्ड में थोड़े थोड़े देर से देवा दोनों में लंड डाल डाल के चुदाई का मजा लेने लगता है।



आखीर कार पदमा भी देवा के आगे हार जाती है और उसकी चूत से भी गाढा गाढा लावा बाहर बहने लगता है।

देवा;पदमा की गाण्ड में और नहीं टीक पाता और वो अपना लंड बाहर निकाल लेता है और दोनों औरतों के मुंह पे पानी की बारिश करने लगता है।

क़िरण और पदमा इस बारिश में भीग जाते है तीनो का अंग अंग मदमस्त हो चुका था।

देवा; लंड को कपडे से साफ़ करने लगता है और इधर किरण और पदमा एक दूसरे के मुंह में मुंह डाले देवा के पानी को चाटने लगती है।



रात काफी घिर चुकी थी वैध के भी आने का वक़्त हो चला था इसलिए देवा पदमा को साथ लेके गांव की तरफ चल देता है।
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अपडेट 17

जब देवा घर पहुँचता है तो उसे रत्ना के साथ शालु बात करते दिखाई देते है पास में ममता भी बैठी हुई थी।

देवा;हाथ मुंह धो के उन के पास जाके बैठ जाता है।

रत्ना के चेहरे पे परेशानी के बदल छाये हुए थे। ममता भी उदास दिखाई दे रही थी।

देवा;क्या बात है माँ आप दोनों इतने उदास क्यों दिखाई दे रही हो।

रत्ना;देवा तेरी मामा की तबियत बहुत ख़राब हो गई है।
अभी अभी उनके गांव से एक आदमी ये संदेशा दे के गया है बेटा। मेरा मन बहुत घबरा रहा है पता नहीं क्या हुआ है तेरे मामा को।

देवा;माँ आप चिंता क्यों करते हो अगर आपका मन नहीं लग रहा तो चलो मै आपको मामा के घर छोड आता हूँ।आपको उनसे मिलके अच्छा लगेगा।

शालु;हाँ रत्ना देवा बिलकुल ठीक कह रहा है तुम एक बार हो आओ अपने मायके से।

ममता; मैं भी चलुंगी।

रत्ना;तू चलेगी तो यहाँ देवा के खाने पीने का कौन ध्यान ख्याल रखेगा।

शालु;अरे मै क्या मर गई हूँ देवा हमारे घर खाना खा लिया करेगा।तुम उसकी बिलकुल चिंता मत करो।

रत्ना;आँखों ऑखों में देवा से पूछती है और देवा उसे जाने की इजाज़त दे देता है।रात के खाने के बाद देवा रत्ना और ममता को ले के मां के घर निकल जाता है।

रत्ना;देवा तू भी कुछ दिन वह रुक जा।

देवा;माँ तुम्हे तो पता है ना फसल तैयार खडी है अगर मै वहां रुक गया तो साल भर के मेंहनत मिटट्टी में मिल जाएँगी । मै फसल की कटाई के बाद तुम लोगों को लेने आ जाऊंगा और कुछ दिन वही रूकूंगा। ठिक है।

रत्ना;जैसा तुझे ठीक लगे बेटा अपने खाने पीने का ख्याल रखना।

बातों बातों में वो सभी देवा के मामा के घर पहुँच जाते है।
देवा के मामा माधव सिंह एक ४५ साल के शख्स थे ।

उनके २ बच्चे थे। एक लड़का रामु और लड़की नूतन।
रामु की शादी दो साल पहले हो चुकी थी और नूतन अभी अभी जवान हुई थी।

रामु की पत्नी का नाम था कौशल्या लेकिन सभी उसे काशी कहके बुलाते है।।उमर 19 साल।

देवा की मामी का नाम था देवकी।उमर 35 साल।एक हंसमुख मिज़ाज़ औरत
देवा का नाम उन्होंने ही अपने नाम पे रखा था देव।

वो बचपन से देवा को अपने सगे बेटे की तरह मानती थी।

देवा;रत्ना और ममता के साथ मां के घर में दाखिल होता है उन्हें देख सभी खुश हो जाते है।खास तौर पे देवकी।उसके ऑखें जैसे ही देवा से मिलती है वो खुद को नहीं रोक पाती। तेज़ कदमों से चलके आते हुए देवा को अपने सीने में छुपा लेती है।

देवकी;देवा कितना सूना लग रहा है मेरा बच्चा अपने मामी को भूल गया न । तुझे एक दिन भी यहाँ की याद नहीं आये ।

देवा;शर्मिंदा सा हो जाता है और देवकी से माफ़ी माँगते हुए घर के बाकी सभी लोगों से भी मिलता है।

रत्ना तो अपने भाई के खैर ख़ैरियत पुछने बैठ जाती है।

देवकी देवा को जाने नहीं देना चाहती थी। पर जब देवा और रत्ना उसे समझाते है और देवा फसल की कटाई के बाद वापस आने का वादा करता है तो देवकी मान जाती है और देवा वापस घर की तरफ निकल जाता है।।

देवा जब घर पहुँचता है तो काफी रात हो चुकी थी वो काफी थक भी चूका था। बिना माँ और बहन के घर उससे काटने को दौडता है वो किसी तरह बिस्तर पे सर रखता है और थकान के कारण उसे नींद भी लग जाती है।

सुबह देवा जल्दी उठके जब खेतों में जाने के तैयारी कर रहा था तो घर के दरवाज़े पे दस्तक होती है। जब वो दरवाज़ा खोलता है तो सामने शालु हाथ में नाश्ते की थाली लिए उसे खड़ी मिलती है।

देवा;अरे काकी इतनी सुबह सुबह और ये सब क्या है।

शालु;तेरी माँ ने मुझे सब बता दी थी कल रात ही की तू कब उठता है कब खेत में जाता है और तुझे कब खाना देना है चल जल्दी से बैठ मै तेरे लिए गरम गरम पराठे बनाके लाई हूँ।
देवा;मुस्कुराता हुआ नाशता करने लगता है।

अब कैसी तबियत है काका की।

शालु;ठीक है ये मुई शराब की लत पता नहीं कैसे लग गई उन्हें।
उनका घर में होना न होना एक सामान है।

देवा;क्या मतलब।

शालु;कुछ नहीं पराठे कैसे बने है।

देवा;बहुत अच्छी जिसने भी बनाये है ना दिल कर रहा है उसके हाथ चूम लूँ।

शालु;शरमाते हुए धत अपने काकी को चूमेगा।

देवा;आहहहह क्यों इसमें बुराई क्या है।
कहो तो अभी चुम लूँ।

शालु;चल हट बेशरम कही का । सब जानती हूँ तेरे करतूतों को मैं।
देवा;हाय काकी कभी मुझे भी जानने दो ना आपके बारे में।

शालु;तू चुप चाप नाश्ता करता है या नही।

और देवा हँसता हुआ नाश्ता ख़तम करने लगता है।

शालु;दोपहर का खाना तू घर आके खा लेना ठीक है।
अरे हाँ एक बात तो मै तुझे बताना भूल ही गई।
वो आज दोपहर में लड़के वाले आ रहें है।

देवा;किसलिये।

शालु;अरे बाबा रश्मि नहीं तो नीलम दोनों में से किसी एक को पसंद करने बस एक बार दोनों की अच्छे से शादी हो जाये तो समझो मैंने गंगा नहा ली।

नीलम का नाम सुनते ही देवा के चेहरे का रंग उड़ जाता है।

शालु तो बर्तन उठाके चली जाती है पर देवा वही चारपाई पे बैठ जाता है।

नीलम देवा का बचपन का प्यार।
पुरे गांव में नीलम जैसे लड़की नहीं थी । शरीफ समझदार ।
देवा को वो बचपन से पसंद थी और कही न कही नीलम भी देवा को चाहती थी पर दोनों सिर्फ आँखों के इशारो में एक दूसरे की खैर ख़ैरियत पूछा करते थे।

न देवा में हिम्मत होती उससे बात करने की ना नीलम कभी कोशिश करती।
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बचपन की मोहब्बत धीरे धीरे परवान चढ़ती रही और जब शालु ने नीलम की शादी की बात की तो देवा के दिल में बहुत ज़ोर का दर्द हुआ था।

वो फैसला कर लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये वो नीलम को किसी और की होने नहीं देगा पर सबसे पहले उसे अपने दिल की बात नीलम को बतानी थी।

वो उदास दिल से अपने खेत में चला जाता है।

उसे खेत में काम करते करते ११ बज जाते है।
उसे रानी का ख्याल आता है आज उसका दिल हवेली में जाने को नहीं कर रहा था पर वो जानता था की अगर वो नहीं गया तो हिम्मत राव कही नाराज़ न हो जाए।

वो धीमे कदमों से हवेली पहुँचता है।

हवेली में सन्नाटा पसरा हुआ था बाहर दो कार में से सिर्फ एक कार खडी थी। वो हवेली के अंदर चला जाता है।

जैसे ही वो रानी के कमरे के दरवाज़े के सामने पहुँचता है उसे अंदर से रानी की आवाज़ आती है।

रानी;अंदर आ जाओ देवा।

देवा;हैरान होके रूम के अंदर चला जाता है।
मालकिन आपको कैसे पता की मै बाहर खड़ा हूँ।।

रानी;मेरे दिल ने कहा की तू बाहर खड़ा है देवा और मेरा दिल मुझसे कभी झूठ नहीं कहता।
अरे बुधू मैंने तुझे खिडकी से देख ली थी।

अच्छा ये बता कैसी लग रही हूँ मैं।



पतली सी चोली घाघरे में रानी सचमूच क़यामत लग रही थी
कुछ पलों के लिए तो देवा नीलम को भी भूल जाता है।

देवा;बहुत खूबसूरत छोटी मालकिन।

रानी;मालकिन नहीं रानी बोलो मुझे।

देवा;मालकिन मेरा मतलब है रानी । चलिये कार सीखने चलते है।

रानी;नहीं आज नहीं वैसे भी माँ और बापू शहर गए है डॉ को माँ की तबियत दिखाने । तो हम दोनों बिलकुल अकेले है इसका मतलब समझते हो तुम।

देवा;नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मै चलता हूँ।।

रानी;जल्दी से दरवाज़ा बंद कर देती है।
जब देखो वही घर जाना । इधर आओ मेरे पास और अगर तुमने मेरी किसी भी बात से इंकार किया तो जानते हो ना मै किस से तुम्हारी शिकायत करुँगी।

देवा;बिस्तर पे बैठ जाता है।
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अपडेट 87

रुक्मणि;अपनी छोटी सी ओखली में बड़ा सा मुसल कुटवाकर कसमसा रही थी।
और उसकी कसमसाहट देवा के लंड की नसें और मोटी कर रही थी।
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रुक्मणी;को चुदवाने की आदत नहीं थी मगर आज जब बरसों बाद उसे वो मिला था जिसकी उसने खवाहिश दिल में बसा रखी थी तो वो भी दिल खोल कर अपनी चूत देवा के लंड से मरवा रही थी।
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अपने दोनों पैरों को देवा के कमर से लपेट कर अपनी कमर को हर धक्के के साथ ऊपर की तरफ उठा उठा कर वो देवा का साथ दे रही थी।

देवा;आहह रुको ऐसी चूत पूरे गांव में किसी की भी नहीं होंगी आह्ह्ह बार बार फिसलता जा रहा है आह्ह्ह।
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रुक्मणी;तुम्हारे लिए बचा कर रखी थी उन्हह
ले लो इसे अपनी बना लो हमेशा हमेशा के लिए आह्ह्ह्ह।

चूत और लंड की सरसराहट पूरे रूम में गूँजने लगती है पसीने में लथपथ दो शरीर अपनी काम वासना पूरी करने में लगे हुए थे।
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देवा;हिम्मत को पता चल गया की तुम इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो तो वो साला किसी की तरफ देखना भी भूल जायेंगा आह्ह्ह।
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रुक्मणी;उस हरामि का नाम न लो आह्ह्ह।
औरत उसकी नज़र में दिल बहलाने का सामान है देवा।
वह अपने देवा की मोहब्बत में इस कदर गिरफ्तार हो चुकी थी की हिम्मत का नाम भी सुन नहीं सकती थी।
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देवा;अपने लंड को चूत की गहराइयों में उतार देता है जिससे रुक्मणी का मुँह खुल जाता है और ज़ुबान बाहर की तरफ आ जाती है।
अपने मुँह में रुक्मणी की ज़ुबान को लेकर चुसते हुए देवा उसे चोदने लगता है।
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पास में लेटी हुए रानी सब सुन भी रही थी और समझ भी रही थी की उसकी माँ अब देवा की हो चुकी है वही देवा जिसे वो कभी अपना दुश्मन समझा करती थी।
मगर जब से उसने देवा से अपनी जवानी बाँटी थी देवा का नशा उसके भी सर चढ़ कर बोल रहा था।

रानी;उठ कर दोनों के पास आ जाती है और रुक्मणी अपनी प्यासी बेटी की तडपती हुई चूत को अपने होठो से लगा लेती है
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अपनी माँ के सर को अपनी चूत पर दबा कर रानी सिहर उठती है।
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दोनो माँ बेटी किसी धंधे वाली औरतों की तरह व्यहवहार कर रही थी । कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था की यी गांव के जागिरदार के घर की औरतें है
जीन पर नज़र उठाने वालो की ऑंखें निकाल दी जाती थी।

देवा;आज बहुत खुश था।
अपने लंड के कमाल की बदौलत ही उसने आज ये मक़ाम हासिल किया था।
लोग अपने पैसे अपने रुतबे की बदौलत बड़ी से बड़ी चीज़ हासिल कर लेते है।
मगर देवा के पास वो बेशक़ीमती चीज़ थी जिस की लालच हर तडपती हुए औरत को होती है।

यही वजह थी की गांव की हर औरत चाहे वो कुँवारी हो या शादीशुदा देवा का नाम जपती थी।

रानी;की चूत से मीठा मीठा पानी रुक्मणी के मुँह में बरसने लगता है।
चटखारे मारते हुए रुक्मणी को पहले कभी अपनी बेटी की चूत चाटने में इतना मजा नहीं आया था जितना की आज वो देवा से चुदाई करते हुए ले रही थी।

दोनो माँ बेटी की चूत एक साथ अकड जाती है और रुक्मणी देवा के लंड को अपनी चूत के पानी से नहलाने लगती है और रानी अपनी माँ के चेहरे को।

हाँफते हुई दोनों औरतें देवा की तरफ देखने लगती है उनकी ऑंखों में बस एक सवाल था देवा के लिए कि
तूम थकते नहीं क्या ।

और देवा के पास उस सवाल का एक ही जवाब था रुक्मणी की चूत में एक और ज़ोरदार धक्का जिससे रुक्मणी की चीख़ निकल पडती है और वो आखिर कर देवा को रुकने के लिए हाथ जोड देती है।

मगर जब तक देवा का पानी नहीं निकल जाता था न वो किसी की गुहार सुनता था न पुकार।

देवा;अपना लंड रुक्मणी की चूत से बाहर निकाल लेता है । रुक्मणी बस चैन की साँस लेती है की देवा उसकी दोनों टाँगें खोल कर अपना मुँह उसी जगह लगा देता है जहाँ कुछ देर पहले उसका लंड था।

अपनी चूत पर देवा के होठो की गर्मी पा कर रुक्मणी की साँसें उखड़ने लगती है।

एक रात में औरत एक या दो बार चुदाई सह सकती है और अगर मँझी हुए औरत हो तो तीन बार मगर यहाँ तो देवा था। वो आदमी जिसे दुनिया में सबसे ज़्यादा अगर कोई चीज़ पसंद थी तो वो थी अलग अलग चूत।

रुक्मणी; रुक्क जाओ जी आहह बस भी आह्ह्ह्ह न उन्हह रानी बोल न इन्हें यह यह यह यह आहह्ह्ह्ह्ह।

रानी; आँखें फाड़े सामने का नज़ारा देख रही थी और देवा था की अपनी एक ऊँगली चूत में अंदर बाहर करते हुए न जाने अंदर से क्या बाहर निकालने की कोशिश करने में लगा हुआ था।

न वो रुक रहा था न कुछ बोल रहा था आखिरकार रुक्मणी चीख पडती है।

रुक्मणी;मुझे मुतने तो दे आह्ह्ह्ह।
उसे बहुत ज़ोर से पेशाब आया था।

देवा; अपना मुँह हटा लेता है और रुक्मणी रूम में के बाथरुम में घुस जाती है।
उसकी कमर इस तरह से लचक खा रही थी जैसे मोरनी अपने मोर को रीझाने के लिए नाचती है।

मोटे मोटे हिलते हुए सफेद कमर और उन दोनों के बीच की वो लम्बी सी दरार देख देवा खड़ा हो जाता है और अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ रुक्मणी के पीछे पीछे बाथरूम में घुस जाता है।

रुक्मणी;पेशाब करने के लिए झुकती है की पीछे से देवा अपना हाथ उसकी कमर पर रख देता है।

रुक्मणी; आह्ह्ह्ह।
रुको भी थोडी देर....

देवा;अपनी दोनों उँगलियों को मुँह में लेकर गीला करता है और बिना रुक्मणी से कुछ बोले उसे सीधा उस दरार के छोटे से सुराख़ पर रख कर अंदर ठूँस देता है।

एक दर्दनाक चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है।

अपनी कुँवारी गाण्ड के सुराख़ में मोटी मोटी देवा की मरदाना उँगलियाँ घुसते ही वो तड़प उठी थी।

मगर न जाने उसे ये दर्द बहुत अच्छा भी लग रहा था
जहां तक कोई न पहुंचा हो। उस मक़ाम पर जब देवा पहली बार पहुँचता है।
तो ख़ुशी सारे दर्द और गम मिटा देती है।

देवा;अपनी दोनों उँगलियाँ आगे पीछे करने लगता है।रुकमनी की चीख सुनकर रानी भी वहां दौडी चली आती है।
और जब वो देखती है सामने का नज़ारा तो मारे हैरत के उसकी भी चीख निकल पडती है।

रानी;माँ तुम ठीक तो हो...

रुक्मणी; हाँ मै ठिक हूँ। आहह अजी अजी क्या कर रहे हो।

देवा;इशारे से रानी को रुक्मणी की चूत के पास बुलाता है और अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल लेता है।
जैसे ही रानी अपनी माँ की चूत से चिपकती है देवा का हथियार पीछे से रुक्मणी की गाण्ड पर हल्ला बोल देता है।

और लंड पहली बार कुँवारी रुक्मणी की छोटी सी गाण्ड के सुराख़ को चीरता हुआ अंदर अंदर और अंदर घुसता चला जाता है। हर अंदर जाता हुआ धक्का रुक्मणी की चीख में इजाफ़ा करता चला जाता है। वो तिलमिलाने लगती है मगर देवा तब तक नहीं रुकता जब तक किला फ़तह नहीं कर लेता है।

उसका पूरा का पूरा लंड रुक्मणी के गाण्ड में जा चुका था। दरद बहुत था मगर उस दर्द पर उत्तेजना हावी हो चुकी थी।

रुक्मणी;को अपनी ही बात याद आ जाती है की सब कुछ तुम्हारा ही है।

रुक्मणी;अपने होठो को दाँतो के नीचे दबा लेती है और देवा अपने काम में लग जाता है। खचा खच वो अपने लंड से रुक्मणी की गण्ड को दो मिनट में खोल कर रख देता है जब रुक्मणी से सहा नहीं जाता तो वो चीख़ पडती है।

रुक्मणी;अजी मार डालोगे क्या आह्ह्ह।
बस भी करो न मुतने भी नहीं देते आह्ह्ह्ह।

देवा; मुत साली किसने रोका है तुझे आहह तेरी गाण्ड के पीछे तो कब से था मै। आज मिली है तो मना कर रही है है आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी; ओह मना नहीं कर रही न आह सुनो ना मुझे बहुत ज़ोरों से सु सु आई है आह्ह्ह्ह।


रानी;देवा के लंड को रुक्मणी की गाण्ड से निकाल कर चाटने लगती है गलप्प गलप्प
और मारो मेरी माँ की गाण्ड देवा और मारो गलप्प
वो फिर से उसे रुक्मणी की गाण्ड में घुसवा देती है।

रुक्मणी;आहह छिनाल जब तेरी गाण्ड फाडेगा न तब तुझे पता आहह चलेगा।
आह्ह्ह्ह।


रानी; मैं ले चुकी हूँ इसे वहां भी माँ ....
अब ये तुम्हारी फाड़ेगा गलप्प गलप्पप्प गलप्प्प।
वो दोनों को एक साथ चाटने लगती है अंदर बाहर होते देवा के लंड को और रुक्मणी की चूत को।

काफी देर तक देवा रुक्मिणी की गांड मारता है बीच बीच में देवा अपना लंड रुक्मिणी की गांड से निकाल कर रानी के मुँह में पेलने लगता है जब लंड पूरा साफ हो जाता है तो फिर से रुक्मिणी की गांड फाड़ने लगता है।

जब देवा;के लंड की नसे रुक्मणी की गाण्ड की सुराख़ से दबने लगती है और एक दो ज़ोरदार धक्कों के बाद देवा अपना सारा पानी रुक्मणी की गाण्ड में निकाल देता है
दोनो हाँफने लगते है जैसे ही देवा अपने लंड को बाहर निकालता है रुक्मणि सिसकारियाँ भरते हुए सीधा देवा के लंड पर मुतने लगती है।


देवा;का औज़ार उस पेशाब से नहाने लगता है।
जब रुक्मणी चैन की साँस लेती है तो देवा अपने भीगे हुए लंड को पास में बैठी हुई रानी के मुँह में पेल देता है जीसे रानी बड़े प्यार से चाटने लगती है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।

रात से सुबह के पाँच बज जाते है मगर न देवा सोता है और न दोनों माँ बेटी को सोने देता है।रात भर माँ बेटी की चूत और गांड खोल के रख देता है।
सुबह सुबह देवा को दोनों पर तरस आ जाता है और वो सुबह में अपने घर चला आता है।



जब वो घर पहुँचता है तो रत्ना सोई हुई मिलती है।
वो भी अपने रूम में जाकर बिस्तर पर लेट जाता है और थकान की वजह से उसकी आँख लग जाती है।

सुबह से दोपहर हो जाती है मगर देवा की आँख नहीं खुलती आखिर कर रत्ना के जगाने पर वो नींद से जागता है।

रत्ना;आज बड़ी सजी सँवरी नज़र आ रही थी जैसे जैसे देवा का पानी उसके पेट में जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे पर निखार और चढ़ता जा रहा था।
अब वो ज़्यादातर साडी पहनने लगी थी।
टाइट सी चोली और उस पर खुले गले वाला ब्लाउज।
जीस में से आधे से ज़्यादा उसकी ब्रैस्ट बाहर को लटके हुए होते थे।

देवा;उठ कर बैठ जाता है
कितने बजे है माँ....

रत्ना;
दोपहर हो गई है कुछ खबर भी है लगता है रात भर सोया नहीं तु।

देवा;हाँ वो रखवाली कर रहा था न। खड़ी फसल है कहीं चोरी न हो जाए।

रत्ना; हाँ....
मुझे लगा कहीं तू चोरी करने गया था क्या।

देवा;क्या।

रत्ना;कुछ नहीं चल नहा ले और कुछ खा ले।

देवा;यहाँ बैठो न मेरे पास।

रत्ना;न बाबा मुझे बहुत काम है।

देवा;जब देखो काम काम... बैठो भी वो उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा देता है।

देवा;माँ ममता के जाने के बाद घर कितना खाली खाली लगता है न।

रत्ना;हम्म खूब समझती हूँ तेरी बातें
शालु की बेटी के खवाब देखने लगा है ना तु।

देवा;रत्ना की ऑंखों में झाँकते हुए बड़े प्यार से कहता है
मै तो अपनी रत्ना के खवाब देखता हूँ दिन रात।

रत्ना;बुरी तरह शर्मा जाती है और उठकर जाने लगती है मगर देवा उसे जाने नहीं देता और अपनी बाहों में जकड लेता है और कितना तडपाना चाहती है मुझे माँ...।

रत्ना;कुछ नहीं कहती बस इधर उधर देखने लगती है
उसकी साँसें फुलने लगती है उसके हावभाव से ऐसा लगने लगता है जैसे वो रात भर तड़प तड़प कर जगी हो।

देवा;अपना एक हाथ रत्ना की जांघ पर रख देता है और उसे हलके से दबा देता है।

रत्ना;आह्ह्ह बेशरम कहीं का।

देवा;मुझे भूख लगी है।

रत्ना;तू उठेंगा तो दूंगी ना।

देवा;मुझे यहाँ से चाहिए।
वो अपनी ऊँगली सीधा रत्ना की चूत की तरफ बढाता है।।

रत्ना;नही ये गलत है।

देवा;अपने बेटे का लंड मुँह में लेना सही है।

रत्ना;अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
चुत उसकी भी मचल रही थी ।पानी उसकी चूत के मुहाने तक आ चुका था।

देवा;आज तक तुम मेरा लेती थी आज मै अपनी रत्ना की चूत का मीठा मीठा शरबत पिऊँगा।

रत्ना;अह्ह्ह बहुत गन्दा हो गया है तू उन्हह।

देवा;अपनी माँ को अपनी बाहों में समेट लेता है और रत्ना भी किसी बच्चे की तरह अपने देवा की गोद में चढ़ कर बैठ जाती है और अपनी कमर को वो धीरे धीरे देवा के लंड पर घीसने लगती है।

देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की बडी बडी चुचियों को थाम लेता है और उन्हें मसलने लगता है।
माँ मुझे दे दे ना।

रत्ना;आहह नही दूंगीः कभी भी आहह नही।

देवा;अपने पयजामे का नाडा खोल देता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।
गराम लंड जैसे ही रत्ना की कमर से टकराता है वो मचल उठती है।

रत्ना;अपने हाथों में उसे पकड़ना चाहती थी मगर देवा उसे ऐसा करने नहीं देता बल्कि रत्ना को खडा करके एक झटके में उसकी साडी ब्लाउज निकाल देता है।
रत्ना उस वक़्त बिना पेंटी की थी।
अपने बेटे के सामने नंगी खड़ी रत्ना अपनी चूत पर हाथ रख कर बैठने लगती है मगर उससे पहले देवा उसे लिटा देता है और अपने लंड को उसके मुँह के पास लाकर अपने होठो को रत्ना की चूत से लगा देता है।

रत्ना;रात भी गरम थी।
अपने देवा के जवान लंड की खुशबु मजबूर कर देती है उसे अपना मुँह खोलने पर और एक माँ अपने बेटे के लंड को मुँह में ले लेती है।

देवा;अपनी माँ की मख़मली चूत पर अपने होंठ रख देता है।

दोनो प्यासे थे। मगर मजबूर थे।
एक दूसरे से इतने क़रीब थे मगर फिर भी दूर थे।
वो चाहते तो एक दूसरे में समां सकते थे मगर रत्न का वादा बार बार उन्हें अलग कर रहा था।
आपनी माँ की गुलाबी चूत की पंखडियाँ अपने मुँह में भर कर चुसते हुए देवा को बस एक बात सता रही थी काश मुझे अपने बाप के बारे में पता होता तो आज मेरी माँ मेरे लंड से पिस रही होती।
और रत्ना के मन में एक उलझन थी की देवा उस पर ज़ोर ज़बर्दस्ती क्यों नहीं करता।

दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।

रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।

देवा;रात भर दो औरतों को चोद कर आया था।
वो अपनी माँ के होठो की गर्मी का इतना आदि नहीं हुआ था ऊपर से वो इतना ज़्यादा उतेजित हो चूका था की रहा भी नहीं जा रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना का गरम मुँह चोदने लगता है लेकिन ख्वाब में वो अपनी माँ की चूत में लंड पेल रहा है।रत्ना भी अपने बेटे के लंड को पूरा मुँह में भरके चूस रही है।दोनों की रफ़्तार तेज होने लगती है।

कुछ देर बाद दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ने लगते है।

जहां एक तरफ रत्ना देवा के पूरे चेहरे को गीला कर देती है वहीँ देवा का थोड़ा सा पानी निकलता है।
क्यूं की सारा पानी वो रात में निकाल चूका था।

रत्ना;जब भी देवा का लंड चुसती थी उसका मुँह भर जाता था बल्कि बाहर छलक भी जाता था मगर आज ऐसा नहीं हुआ था।
यही बात रत्ना के दिल में घर कर जाती है
की कहीं देवा बाहर कुछ गलत तो नहीं कर रहा है न।

रत्ना;देवा।

देवा;हाँ माँ...

रत्ना;नहा कर ममता के ससुराल हो आ उसे कुछ दिनों के लिए यहाँ ले आ।

देवा;सच माँ ममता को लेकर आना है।

रत्ना;हाँ कुछ दिन यहाँ रहकर आराम कर लेंगी वो।
अगर तू चाहेगा तो....

देवा;रत्ना की बात सुनकर झेंप जाता है।
वो रत्ना के क़रीब जाने लगता है मगर रत्ना उसे धक्का देकर खड़ी हो जाती है।

रत्ना;तुझे जो चाहिए था मिल गया ज़्यादा आगे बढ़ने की ज़रूरत नहीं है मुझे बहुत काम है।
वो किचन में चलि जाती है और देवा उठकर नहाने चला जाता है मगर रत्ना परेशान हो जाती है।
 

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