Incest हाय रे ज़ालिम................

Well-known member
2,067
4,950
143


Res
 
Last edited:
LEGEND NEVER DIES................................
Moderator
17,457
29,376
173
अपडेट 61

ममता को देवा से बात करनी थी मगर कोई न कोई उनके बीच में आ रहा था।
वो बेचैन सी हो गई थी मगर कर भी क्या सकती थी ममता चुपचाप बैठ जाती है।
थोड़ी देर बाद देवा मिठाई ले के घर पहुँचता है।
उनके साथ साथ घर में कुछ और लोग भी आ जाते है।
रत्ना;दौड के उन लोगों के पास पहुँचती है।
अरे आप लोग आ गये।
देवा;हाँ माँ मै दुकान पर था तभी इन पर नज़र पडी।
चार लोग ममता को देखने आये थे।
एक तो हरी था २५ साल का हट्टा कटा जवान।
दूसरी थी उसकी माँ कोमल एक ४५ साल की गदराई हुए औरत उसे देख के लगता था की उसकी चूत हमेशा पानी छोड़ती होंगी। देवा उसे देख कर ही समझ गया था के ये एक चूद्दकड औरत है। बड़े बड़े ब्रैस्ट और बाहर को निकलते हुए कमर लिए कोमल खड़ी थी।


कोमल के पति आनन्द राव एक 55 साल के आदमी थे
और एक 18 साल की साँवली मगर बेहद आकर्षक लड़की थी प्रिया। कोमल के एकलौती बेटी।
रत्ना;सभी को बैठाती है और देवा उन्हें पानी वग़ैरा पिलाता है।
कोमल;आपका घर तो बहुत सुन्दर है और कौन कौन रहता है यहाँ।
रत्ना;बस हम तीन लोग रहते है मै ये मेरा बेटा देवा और मेरी बेटी ममता।
देवा के बापु को कई साल पहले ही देहांत हो गया है।
कोमल;ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह।
देवा क्या करते हो तुम।
देवा;खेती बाडी
आनन्द राव;हाँ भाई आज के दौड़ में ज़िन्दगी गुज़ारना बहुत मुश्किल हो गया है।
देवा;ऐसी बात नहीं है काका। इंसान को अपने आप पर विशवास होना चाहिए।
कोई भी चीज़ मुश्किल नहीं रहती फिर।
रत्ना; ये कौन है आपके साथ।
कोमल;ये मेरी बेटी है प्रिया।
रत्ना;बहुत सुन्दर है।
प्रिया;रत्न और देवा को देख मुस्कुरा देती है।
कोमल;देवा से हरी को मिलाती है।
सभी आपस में बैठ के बातें करने लगते है।
रत्ना;देवा बेटा जा ज़रा देख तो ममता तैयार हुई की नही।
देवा;अंदर चला जाता है।
ममता;देवा को देखने लगती है।
देवा मुस्कुरा कर उसके पास आता है।
शालु;देवा तू यही रुक मै ज़रा मेहमानो की खातिरदारी करके आती हूँ थोडी देर बाद ममता को बाहर ले आना है।
शालु; मिठाई ले के बाहर चली जाती है।

शालू के बाहर जाते ही-
ममता; देवा से चिपक जाती है।
मुझे नहीं करनी शादी भैया। आपसे अलग नहीं रहना मुझे।
देवा;चुप हो जा पगली शादी तो हर लड़की को करनी पडती है।
बस बस देख रो रो के चेहरा बिगाड लेगी तु।
रत्ना; बाहर से देवा को आवाज़ देती है।
देवा ममता को ले आ।
देवा;ममता का हाथ पकड़ के उसे बहार ली आता है।
सभी बडी बडी ऑखों से ममता को देखने लगते है।
ममता के लिए ये पहला अनुभव था जब वो सज धज के किसी पराए लोगों के सामने पेश हो रही थी।
कोमल;ममता को अपने पास बैठा लेती है।
क्या नाम है बेटी तुम्हारा।
ममता;जी वो ममता।
कोमल;बड़ा प्यारा नाम है
क्या क्या आता है।
रत्ना; अजी ये पुछिये की क्या नहीं आता।
सिलाई बुनाई कटाई सब कर लेती है हमारी ममता। खाना तो ऐसे बनाती है की पुछो मत।



कोमल;अरे वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है।
ये देखो ये है हमारा बेटा हरी।
ममता शर्माने लगती है और ऊपर सर उठाके नहीं देखती।
कोमल;अरे बाबा डरो मत ऊपर देखो कल को ये हमे कहेंगा की अंधी लड़की गले बांध दी हमारे।
सभी हंसने लगते है और ममता सर उठाके हरी की तरफ देखती है वो देखना भर काम कर जाता है और हरी वही चारो खाने चित हो जाता है।
लडके वालों को ममता बहुत पसंद आई थी वो रिश्ते की बात आगे बढाने के लिए कहते है।
रत्ना;आप लोगों ने तो हमे देख लिया है।
मगर हमे भी आप के बारे में जानना है इस लिए मेरा बेटा देवा आपके यहाँ जायेंगा उसके बाद ही बात आगे बढ़ायेंगे ठीक है न।
कोमल;बिलकुल ठीक बात कही आपने।
बेटी का मामला है सब कुछ सोच समझ के ही करना चाहिए।
मै भी मेरी बेटी के शादी जल्दबाज़ी में नहीं करुँगी।
शालु; ये लिजीये इसी बात पर मुँह मीठा कीजिये।
सभी लोग एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है।
इन सब से दूर ममता का दिल सुलग रहा था वो अंदर ही अंदर रो रही थी । वो अपने घर को देवा को छोड के किसी पराए घर नहीं जाना चाहती थी।
सभी लोग खाना खाने बैठ जाते है।

कोमल बाहर रत्ना और देवा के साथ बातें कर रही थी। रत्ना बातों बातों में कोमल के बारे में सब कुछ जान लेना चाहती थी आखिर कोमल ममता की होने वाली सास थी और सास सबसे अहम होती है किसी भी घर में।
कोमल;एक खुश मिज़ाज़ औरत थी जैसे वो बाहर से थी वैसे ही अंदर से भी खुशमिजाज़ हँसमुख।
देवा;और रत्ना को बहुत शांति मिलती है। उससे बातें करके एक सुकून सा महसूस होता है।
शालु;अंदर से रत्ना को आवाज़ देती है और रत्ना उठके अंदर चलि जाती है।
कोमल;देवा तुम बहुत सुन्दर हो । कोई लड़की देखी है की नहीं तुम्हारी माँ ने शादी के लिये।
देवा;जी वो....
अभी ममता की शादी हो जाये उसके बाद सोचेंगे मुझे भी कोई जल्दी नहीं है।
कोमल; हाँ तुम्हारे जैसे गबरू जवान को तो रोज़ बाहर दिवाली होती होगी।
देवा;ऑंखें फाड़े कोमल की तरफ देखने लगता है और कोमल कमर मटकाते हुए खाना खाने अंदर चलि जाती है।
खाना खाके मेहमान अपने गांव चले जाते है और जाते जाते देवा को घर आने का बोल जाते है।
शालु रत्ना और देवा घर के ऑगन में बैठे मेहमानो के गुन गा रहे थे और अंदर ममता ऑसू बहा रही थी।
रत्ना; बड़े नसीबो वाली है हमारी ममता जो इतना अच्छा रिश्ता चल के आया है।
शालु;हाँ बात तो सही है अब देखो न रश्मि की शादी भी ऐसे ही जल्द बाज़ी में हुई थी। मगर बहुत खुश है मेरी रश्मि भी अपने ससुराल में।
देवा;काकी रश्मि कब आ रही है मायके।
शालु;देवा को घुरते हुए कहती है । आ जायेगी लगता है भाई को अपनी बहन की याद सता रही है।
रत्ना;हाँ मेरा देवा है ही ऐसा अपनी सभी बहनो का बड़ा ख्याल रखता है।
देवा;माँ मै तो काकी से भी कहता हूँ कुछ भी मत सोचा करो निसंकोच बोल दिया करो मै ख़ुशी ख़ुशी कर दूंगा तुम्हारा काम।
शालु को खांसी आ जाती है और रत्ना उसके लिए पानी लेने अंदर चली जाती है।
उसके जाते ही शालु देवा के कान खिचती है।
क्यूं रे क्या बोल रहा था।
देवा;शालू के जांघ पर हाथ रख के चूत के पास के नरम हिस्से को सहला देता है।
इस काम के बारे में काकी।
शालु;खवाब देखता रह जा बेटा। तुझे बस कुछ नहीं मिलने वाला।

रत्ना; ये लो पानी शालू।
शालु;रत्ना के हाथ से पानी ले के पीने लगती है और नज़रों से देवा को घुरने लगती है।
शालु; अच्छा रत्ना मै चलती हूँ घर में बहुत काम है रात भी होने को आई है।
रत्ना;हाँ मुझे भी बहुत नींद आ रही है। आज बहुत काम करना पडा हमे।
शालु;घर जाने के लिए खड़ी होती है।
देवा: काकी मै छोड दूँ घर तक।
शालु;नहीं मै चलि जाऊँगी।
छोटी छोटी बातों के लिए तुझे परेशान नहीं करुँगी मै बेटा।
देवा;क्या काकी तुम भी न। चलो मै आता हूँ रास्ते में बहुत अँधेरा है।
देवा भी शालु के साथ घर से बाहर निकल जाता है और रत्ना बिस्तर लगा देती है।
ममता;भी ऑखें छुपाते हुए रत्ना के पास जाके लेट जाती है।
रास्ते में अँधेरा बहुत था गांव के सभी लोग सो चुके थे।
शालु;आगे आगे चल रही थी और देवा पीछे पीछे।
देवा;रुक ज़रा।
शालु;रुक जाती है गली में अँधेरा के वजह से कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था ।
देवा ;शालू के करीब जाता है और उसे पीछे से जकड लेता है।
शालु;आहह क्या करता है इसके लिए आया था ना तू उन्हह।
देवा;शालू के ब्रैस्ट मसलने लगता है और उसके मुँह से मुँह लगा देता है।
आज तो बहुत सुन्दर लग रही थी शालु। बहुत देर से तेरे होठो को चुमने को दिल कर रहा है मेरा गलप्प गलप्प।
शालु;बदन ढीला छोड देती है और देवा के बालों में उँगलियाँ फँसा देती है।
मत कर गलप्प गलप्प।
देवा;उसे बोलने नहीं देता और उसके नरम नरम ब्रैस्ट को मसलते हुए होठो को चुमने लगता है।
शालु की चूत में पानी के क़तरे आने लगते है मगर कुत्ते के भोकने से देवा शालु को छोड देता है और शालु अपनी गरम चूत पर हाथ रख कर घर चलि आती है।
देवा;घर आता है तब तक ममता और रत्ना रूम में बैठे बातें कर रही थी । देवा उनके पास नहीं बैठा बल्कि अपने रूम में चला जाता है।
रात के 2 बजे देवा के पेट पर ममता अपने हाथ फेरते उसे जगा देती है।
देवा आँख खोल देता है।
अरे ममता तू। माँ ने देख ली तो मुसीबत आ जाएगी।
ममता ;माँ की फिकर है और मेरी नहीं। मुझे नहीं करने शादी भैया आप माँ से बोलो न मुझे नहीं करनी शादी।
रात के अँधेरे में ममता बहुत प्यारी लग रही थी वो देवा से एकदम चिपक के बैठी थी।
देवा;अपनी बहन को अपने बाहों में जकड लेता है।
ममता;उन्हह भैया कुछ करो न । शादी नहीं करुँगी मै किसी से भी।
देवा;चुप कर साली जब से देख रहा हूँ वही रट लगा रखी है।
अरे पगली तू शादी कर ले उसके बाद कौन तुझे कह रहा है हमेशा वहां रहने को। जब दिल करे आ जाना यहाँ मेरे लंड के निचे सोने के लिये।

ममता;भैया मुझे बहुत याद आएंगी ना आपकी।
देवा;याद आयेंगी तू मुझे भी। मगर किया भी क्या जा सकता है।
गांव वालो को क्या कहुंगा मै की बहन की शादी नहीं कर रहा हूँ क्यूंकि वो नहीं चाहती।
ममता को देवा की बात समझ आ गई थी वो अपनी बाहें खोल देती है और देवा उसकी सलवार का नाडा खोल देता है और दोनों भाई बहें एक दूसरे से चिपक जाते है।

ममता ;भैया आह्ह्ह्ह।
देवा;ममता की सलवार निकाल देता है और उसे लिटा देता है।
तेरी चूत बहुत मीठी है मेरी बहन गलप्प गलप्प गलप्प।
ममता ;आहह चाट लो भैया । शादी के बाद नहीं मिलेगी ना रोज़ रोज़ आह्ह्ह्ह।
देवा;अपनी ज़ुबान से ममता की चिकनी चूत को चाटने लगता है गलप्प गलप्प्प।



ममता ;भैया माँ जग जाएगी जल्दी से अंदर पेल दो ना आह्ह्ह्ह।
देवा;रुक जा ममता गलप्प गलप्प।
ममता ;हाथ निचे ले जाके देवा का लंड पकड़ लेती है और उसे मुठी में भर के सहलाने लगती है।
देवा;आहह तेरा हाथ लगते ही देख कैसे उछल रहा है तेरे भाई का लंड ममता।
ममता ;मेरी चूत का कुछ करो भइया।
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को ममता की चूत पर लगा देता है और अंदर पेल देता है।
ममता;भैया उईईईईई माँ।
जब भी लेती हूँ ऐसा लगता है पहली बार ले रही हूँ आहह।

देवा;बहुत छोटी सी चूत है बहना तेरी और छोटी सी चूत मेरे मोटे लंड को बहुत ज़ोर से जकड लेती है आअह्हह्हह्हह।
ममता ;आपके लंड ने तो इसे खोला है भइया
और चोदो न आह ज़ोर से आहहह्ह्ह।
वा निचे से कमर उठाने लगती है और देवा ऊपर से ममता की चूत में लंड उतारने लगता है।
देवा;ममता को घुमा के उल्टा लिटा देता है और पीछे से कमर पर लेट जाता है।
ममता;भैया भाभी की गाण्ड बहुत ज़ोर से मारे थे न उन्हह तुमने।
देवा;हाँ ममता तेरी भी लुँगा मगर अभी नहीं वरना तू माँ को जगा देगी।
देवा;पीछे से ममता की कमर के दरार में लंड घूस्सा के लंड को चूत की जड तक पहुंचा देता है और घच से लंड को फिर से ममता की चूत की गहराइयों में उतार देता है।
ममता; चीख़ पडती है।
माँआआआआआआआआ...........

ममता की चीख़ रत्ना के कान तक पहुँच जाती है और वो जग जाती है ममता को अपने पास ना पा के वो उठके देवा के रूम में चली जाती है और सामने का नज़ारा देख उसके पांव तले की ज़मीन खिसक जाती है।

रत्ना; चीखते हुए।
हमारखोरों।
क्या कर रहे हो तुम दोनो।
देवा;और ममता चौंकते हुए उठ के बैठ जाते है।
देवा का लंड ममता की चूत से आवाज़ के साथ बाहर निकल जाता है।
रत्ना;पास में पड़ी हुई लकड़ी ले के दोनों की पिटाई शुरू कर देती है।
कुते कमिने हरामज़ादे अपनी बहन के साथ ये सब करते तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आती।
देवा;और ममता की पीठ पर हर जगह रत्ना लकड़ी से मारना शुरू कर देती है।
देवा रत्ना का हाथ नहीं पकडता मगर ममता देवा को बचाने के चक्कर में खुद भी पिटती चली जाती है।
रत्ना;देवा के पास आती है और उसके बाल खीच के सटा सट सटा सट थप्पड की बौछार उसके मुँह पर कर देती है। पास में बैठी ममता भी ज़्यादा देर बच नहीं पाती और रत्ना ममता का मुँह भी लाल कर देती है।
रत्ना;कपडे पहनो तुम दोनों हरामखोरों।
देवा;अपने कपडे पहनता है और रत्ना उसे मारते मारते घर के बाहर ले आते है।
निकल जा मेरे घर से कुत्ते और आज के बाद तेरे शक्ल भी मुझे मत दिखाना समझा।
ममता; ऐसे मत करो न माँ।
वो रोने लगती है।
रत्ना;तुझे भी जाना है तो तू भी निकल जा कुतिया।
रत्ना एक ज़ोर से लकड़ी ममता के पैर पर मारती है और ममता वही रोते रोते बैठ जाती है।
देवा;अपने घर रत्ना और ममता को देखता हुआ घर से बाहर निकल जाता है।
रत्ना;ज़ोर से चीखते हुए उससे कहती है वापस मत आना कुत्ते।
रत्ना पलट के ममता के बाल खीचते हुए उसके मुँह पर चपत मारते हुए उसे घसिटते हुए घर के अंदर ले जाती है।
WOW MAST UPDATE
भैया माँ जग जाएगी जल्दी से अंदर पेल दो ना आह्ह्ह्ह।
देवा;रुक जा ममता गलप्प गलप्प।
ममता ;हाथ निचे ले जाके देवा का लंड पकड़ लेती है और उसे मुठी में भर के सहलाने लगती है।
देवा;आहह तेरा हाथ लगते ही देख कैसे उछल रहा है तेरे भाई का लंड ममता।
ममता ;मेरी चूत का कुछ करो भइया।
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को ममता की चूत पर लगा देता है और अंदर पेल देता है।
ममता;भैया उईईईईई माँ।
जब भी लेती हूँ ऐसा लगता है पहली बार ले रही हूँ आहह।

देवा;बहुत छोटी सी चूत है बहना तेरी और छोटी सी चूत मेरे मोटे लंड को बहुत ज़ोर से जकड लेती है आअह्हह्हह्हह।
ममता ;आपके लंड ने तो इसे खोला है भइया
और चोदो न आह ज़ोर से आहहह्ह्ह।
वा निचे से कमर उठाने लगती है और देवा ऊपर से ममता की चूत में लंड उतारने लगता है।
देवा;ममता को घुमा के उल्टा लिटा देता है और पीछे से कमर पर लेट जाता है।
ममता;भैया भाभी की गाण्ड बहुत ज़ोर से मारे थे न उन्हह तुमने।
देवा;हाँ ममता तेरी भी लुँगा मगर अभी नहीं वरना तू माँ को जगा देगी।
देवा;पीछे से ममता की कमर के दरार में लंड घूस्सा के लंड को चूत की जड तक पहुंचा देता है और घच से लंड को फिर से ममता की चूत की गहराइयों में उतार देता है।

ममता; चीख़ पडती है।
 
LEGEND NEVER DIES................................
Moderator
17,457
29,376
173
अपडेट 62

रत्ना;ममता के बाल खीचते हुए घर के अंदर ले आती है।
बोल कब से चल रहा है ये सब। बोल कुतिया बोल।
ओ मुँह से भी बोल रही थी और हाथों का भी इस्तेमाल कर रही थी।
ममता थी की रोये जा रही थी उसे अपनी माँ की पिटाई से रोना नहीं आ रहा था वो तो अपने देवा के लिए परेशानी में रोये जा रही थी।
जीस तरह से देवा ने ममता की तरफ देखा था घर से निकलने से पहले वो सोच सोच के ममता का दिल घबरा रहा था।
की कही देवा कुछ उल्टा सीधा न कर दे कही कोई अनहोनी न हो जाए।
रत्ना;अरे बोलती क्यों नही।
ममता; आखिर कर रत्ना का हाथ पकड़ लेती है।
बस माँ बस...
रत्ना;साली मेरा हाथ पकड़ती है क्या यही शिक्षा दी है मैंने तुझे।
कामिनी तुझसे कुछ दिन भी नहीं रहा गया अपने भाई को अपने ऊपर चढाने में तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई।
ममता;जब एक माँ अपने बेटे को अपने ऊपर चढ़ा सकती है तो बहन क्यों नही।
रत्ना;क्या। क्या बोली तू... वो ममता के बाल खीचते हुए दो तीन थप्पड और उसके गाल पर जड़ देती है।
ममता;तुम्हारी ननद देवकी मामी।
रत्ना;तू कहना क्या चाहती है।
ममता;हाँ हाँ तुम्हारी देवकी।
वो अपने बेटे रामु से चुदती है दिन रात।
तुम्हारे खानदान में होता है ये सब और तुम मुझे बोल रही हो।
हाँ मुझे शर्म नहीं आई क्यूंकि मै सच्चा प्रेम करती हूँ भैया से।

और अगर तुमने मुझे और भैया को अलग करने के बारे में सोचा भी ना माँ तो मैं कुँवें में कूद के जान दे दूंगी बोल देती हूँ।
जवान खून एक वक़्त तक ज़ुल्म सहता है मगर जब कोई भी चीज़ चाहे वो नाजायज़ प्रेम ही क्यों न हो
जब इन्तहा पर आता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता।
रत्ना;ऑंखें फाड़े अपनी बेटी ममता को देखने लगती है। उसके कहे गए वो चंद शब्द उसके कानो में गूँजने लगते है।
रत्ना;सर पकड़ के बैठ जाती है।
रत्ना अभी जब अपने भाई के घर गई थी तब उसने ऐसा कुछ देखी थी जिस पर उसे यक़ीन नहीं हुआ था।
उसने रामु को और देवकी को एक दूसरे के गले लगते हुए देखी थी और रामु देवकी की कमर दबाते हुए उसे चुम रहा था।
रात का अँधेरा था मगर रत्ना को लगा था की वो कौशल्या नहीं बल्कि सुडौल जिस्म वाली देवकी ही होगी।
उस बात को वो भूलना चाहती थी मगर आज जब ममता के मुँह से उसने ये बात सुनी तो उसके पांव तले की ज़मीन निकल गई थी।
वो रात न ममता सोई और न रत्ना।

जहां एक तरफ रत्ना, देवा और ममता के रिश्ते को लेके परेशान थी की कही गांव में ये बात पता चल गई की एक भाई अपनी बहन को चोदता है।
तो क्या होंगा।
ये बात उससे परेशान तो कर रही थी मगर एक और चीज़ उसके जिस्म में हलचल मचा रही थी।
ममता के कही हुई वो बात की जब एक बेटा अपनी माँ को चोद सकता है तो एक भाई क्यों नही।


रामु;देवकी को चोदता है।
यही एक बात उसके तन बदन में आग लगा रही थी।
वो अपने बिस्तर पर सोई हुई थी।
बाहर मौसम ठण्डा था हलकी हलकी बरसात ने मौसम को ख़ुशगवार बना दिया था मगर रत्ना का जिस्म भट्टी के तरह जल रहा था।
आंखे बंद करते ही उसे देवा और ममता चुदाई करते हुए नज़र आ जाते।
वो बेचैन भी थी और परेशान भी दूसरी तरफ ममता का पूरा ध्यान देवा की तरफ था।
वो दिल हि दिल में अपने भगवान से दुआ मांग रही थी की बस उसके भाई को सही सलामत घर भेज दे चाहे तो उसकी जान ले ले।
रात का वो ख़ौफ़नाक सन्नाटा तो किसी तरह कट गया मगर सुबह का सूरज भी नए उम्मीद ले के नहीं आया था।
सुरज सर पर आ गया था मगर देवा का कोई अता पता नहीं था।
ममता ;रत्न के पास जाके बैठ जाती है।
माँ....
रत्ना की ऑखें सूजी हुई थी वो शायद रात भर रोई थी
वो ममता की तरफ नहीं देखती।
ममता; माँ मेरी बात तो सुनो....
माँ तुम मुझे जान से मार दो मगर भैया को देखो न कहाँ गए है। कितनी देर हो गई है।
उन्होने कुछ खाया भी नहीं माँ किसी को खेत में भेज के पता लगाओ ना माँ की भैया कहाँ है।
रत्ना; ममता की तरफ ज़हरीली नज़रों से देखती है।
ममता;माँ मै जानती हूँ तुम मुझसे नफरत करती तो मै ये भी नहीं चाहती की तुम मुझे माफ़ करो।
मगर भैया को कुछ हो गया ना माँ तो मै तुम्हें कभी माफ़ नहीं करुँगी।
रत्ना; अच्छा मुझे माफ़ नहीं करेगी कलमुँही जा मर जा तू भी अपने भाई के साथ जा के । मेरा पीछा छोड़ो तुम दोनो ।मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी।
ममता; रोती बिलखती वहां से उठके अपने रूम में चली जाती है।

इधर हवेली में भी सब कुछ उथल पुथल होने के क़रीब था।
हिम्मत राव की बेरुख़ी जहाँ रुक्मणी को परेशान किये हुए थी । वही रानी भी बहुत ग़ुस्से में था।
रुक्मणी;हिम्मत राव के पास जाके बैठ जाती है। वो उस वक़्त हुक्का पी रहा था।
हिम्मत;एक नज़र उठाके रुक्मणी की तरफ देखता है।
रुक्मणी; मैं पूछती हूँ आखिर कब तक आपके दोस्त की बीवी यहाँ रहेंगी।
हिम्मत;क्यूँ तुझे क्या तकलीफ हो गई है बिंदिया से।
रुक्मणी;देखिये मै चुप हूँ इसका मतलब ये नहीं की मै कुछ नहीं कर सकती।
हिम्मत;हुक्का एक तरफ रख के खड़ा हो जाता है।
क्या मतलब है तेरे कहने का।
रानी भी वहां आ जाती है।
बापु माँ बिलकुल ठीक कह रही है।
रानी;जब से वो आई है आप बहुत बदल गए हैं आखिर मै आपकी बेटी हूँ।
और आप मुझसे भी ठीक से बात नहीं कर रहे । जब देखो उस कलमुँही बिंदिया के रूम में पड़े रहते हो।
हिम्मत;खामोश लडकी।
रुक्मणी;उसे खामोश करने से सचाई चुप नहीं जाएगी।
हिम्मत;रुक्मणि की तरफ पलटता है और एक ज़ोरदार थप्पड पहली बार रुक्मणी के मुँह पर जड़ देता है।
साली मुझसे ऊँची आवाज़ में बात करती है।
रुक्मणी नीचे गिर पडती है और फूट फूट के रोने लगती है।

हिम्मत;तुम दोनों माँ बेटी मुझे क्या अपनी गुलाम समझते हो।
मेरी मर्ज़ी है जिसके साथ रहूँ जहाँ चाहे वहां रहूँ । तुम दोनों मुझे बोलने वाली होती कौन हो।
रुक्मणी; मैं आपकी पत्नी हूँ।
हिम्मत; पत्नी है तो घर के अंदर एक कोने में पडी रह। मेरे सर पर सवार होने की कोशिश मत कर।
अगर अपने हद से आगे जाएगी तो अच्छा नहीं होगा।
रुक्मणी; क्या करेंगे आप।
हिम्मत;ये सुनके पास में पड़े हुए लकड़े से सटा सट सटा सट रुक्मणी की पिटाई शुरू कर देता है।
रुक्मणी;चिखने चिल्लाने लगती है।
पास में खड़ी रानी ये देख के बुरी तरह डर जाती है।
हिम्मत;मेरी जुठन खाने वाली तुझे कहाँ से इतना बोलना आ गया साली ले ये ले....
रुक्मणी;आहह आहः
रानी हिम्मत का हाथ पकड़ लेती है।
बस बापू बस जानवर की तरह मार रहे हो तुम माँ को।
हिम्मत;हाथ छोड।
रानी;नहीं छोडूंगी।
हिम्मत;नहीं छोड़ेगी।
ले तू भी ले....
हिम्मत राव को लगने लगा था की उसके अस्तित्व पर आंच आने वाली है।

वो औरतें जो उसके हुक्म के बिना खाना भी नहीं खाती थी आज उन दोनों ने किसी नागिन की तरह अपना फन उठाया था।
और हिम्मत राव अच्छी तरह जानता था साँप हो या औरत किस तरह उसे कुचला जाता है।
पुरे गांव में वो अपने इसी रवैये की वजह से बदनाम था।
रानी और रुक्मणी दोनों सिसक सिसक के रोने लगती है।
तभी वहां बिंदिया आती है।
बिंदिया;बस भी कीजिये ना।
नादान है ये दोनो।
हिम्मत; अच्छी तरह से समझा देना दोनों को मेरे सामने ऊँची आवाज़ में बात करने के बारे में सोचना भी मत।
वरना वहां पहुंचा दूंगा जहाँ से कभी लौट के नहीं आयेंगे समझी।
वो हाथ में की लकड़ी फेंक के अपने रूम में चला जाता है।


रुक्मणी और रानी को बिंदिया सहारा देने लगती है मगर दोनों उसका हाथ तक नहीं थामती।खुद अपने रूम में चलि जाती है।
बिंदिया; उन दोनों के जाने के बाद खुद से कहती है।
रुक्मणी आज तुम्हें अपने पति की असली औक़ात पता चली है साली हरामी।


सुबह से दोपहर हो गई थी और दोपहर से रात मगर देवा का कोई अता पता नहीं था।
अब रत्ना को भी उसकी चिंता सताने लगी थी वो शालु के घर जाती है और उससे देवा के बारे में पूछती है।
शालु;नहीं देवा तो सुबह से यहाँ नहीं आया।
क्यूं सब ठीक तो है ना रत्ना।
रत्ना;नहीं न शालु देख न कल रात से ग़ायब है पता नहीं कहाँ चला गया।
ये सुनके शालु भी बेचैन हो उठती है और वो पप्पू को और गांव के जवान लड़कों को देवा की तलाश में दौड़ा देती है।
हर कोई देवा की तलाश करने लगता है।
छोटा सा गांव था अम्बेटकली।
हर जगह उसे तलाश करते है मगर देवा कही भी नज़र नहीं आता।
रत्ना की हालत ख़राब होने लगती है शालु उसे ख़ोद खोद के देवा के घर से जाने के वजह पूछती है।
मगर रत्ना बस रोये जाती है और कुछ नहीं कहती। क्या कहती वो की बहन को चोदते देख मैंने उसे और उसकी बहन की पिटाई की तो वो घर छोड के चला गया।
पप्पू और गाँव के कई लोग जब वापस थक हार के रत्ना के घर आते है तो रत्ना एक एक से पूछती है मगर हर कोई बस एक जवाब देता है।
की उन्हें देवा कही नज़र नहीं आया।
ये सुनके घर में बैठी ममता ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
सब बस यही सोचने लगते हैं की आखिर देवा गया तो गया कहाँ।
WOW NICE UPDATE
 
LEGEND NEVER DIES................................
Moderator
17,457
29,376
173
अपडेट 63

रत्ना के आँसू थे की रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
उसे बार बार यही सोच आ रही थी की कही उसका एकलौता बेटा देवा भी अपने बापू की तरह तो हमेशा हमेशा के लिए नहीं चला गया।
अगर ऐसा हुआ तो वो किसके लिए ज़िंदा रहेंगी उसके खानदान का एकलौता चिराग कही वक़्त की आंधी उसे भी तो अपने साथ उड़ा के नहीं ले गई।
वो खुद को ही कोसने लगती है की आखिर उसने देवा को इतनी बुरी तरह क्यों मारा और आखिरी वक़्त में उसे घर वापस न आने के लिए क्यों कहा।
पप्पू;भी रत्ना को दिलासा दे रहा था। शालु भी पास में बैठी रत्ना के ऑसू पोंछ रही थी मगर घर में जैसे मातम सा छ गया था।
पुरा गांव सकते में था की आखिर देवा अचानक से कहाँ चला गया।
सभी ये जानना चाहते थे की आखिर वो क्या बात हुई की सबसे हँसके बोलने वाला देवा ख़ामोशी से कही चला गया।
रत्ना के घर के बाहर गांव के कुछ लोगों में खुसुर फुसुर शुरू हो गई थी।
कोई कहता की उसका बाप भी ऐसे ही चला गया था और फिर कभी नहीं आया।
कोई ये बोल रहा था की किसी दूसरे गांव वाली लड़की के चक्कर में घर से भाग गया। अपनी माँ और बहन की ज़रा भी चिंता नहीं है।
पदमा;को जब देवा के ग़ायब होने की बात पता चली तो वो भागते हुए रत्ना के पास आ पहुंची उससे जानने के लिए की बात क्या है।
मगर रत्न और ममता कुछ भी बताने के स्थिति में नहीं थी।
देवा के ग़ायब होने की बात आग के चिंगारी की तरह पूरे गांव में पता चल चुकी थी। भला हवेली तक ये चिंगारी कैसे नहीं पहुंचती।
हिम्मत राव के एक नौकर ने हिम्मत को देवा के ग़ायब होने के बारे में जब बताता है तो हिम्मत के चेहरे पर एक चमक सी आ जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है।
वो दिल ही दिल में सोचने लगता है की उसके रास्ते का कांटा हमेशा हमेशा के लिए चला गया।
हिम्मत की बुरी नज़र न सिर्फ रत्ना पर थी बल्कि देवा के वो बाग वाली ज़मीन पर भी।
हिम्मत राव की गन्दी नज़र थी। पूरे गांव में एक हिम्मत के पास और देवा के पास सब से उपजाऊँ ज़मीन थी।
और हिम्मत राव हमेशा से चाहता था की वो ज़मीन भी उसे मिल जाए।
और अब देवा के चले जाने की बात सुन कर उसे अपना वो खवाब पूरा होते हुए नज़र आ रहा था।

पप्पू; रत्ना से कहता है
काकी हमने गांव के हर घर वालों से पूछ लिया है मगर देवा का किसी को कोई पता नहीं बस एक घर रह गया है।
रत्ना; किसका।
पप्पू;वैध जी का कही वहां तो नहीं गया देवा।
रत्ना;उठ के बैठ जाती है।
हाँ हाँ वही गया होगा चल मै भी साथ चलती हूँ।
पप्पू;नहीं काकी मै और मेरे दोस्त देख आते है।
रत्ना;नहीं नहीं मुझे भी साथ ली चल बेटा।
पप्पू;ठीक है चलो फिर।
और रत्ना ;पप्पू और उसके दोस्तो के साथ वैध जी के घर की तरफ चल पडते है।
जब वो सभी वहां पहुँचते है तो उन्हें वैध और उसकी बहु किरण ऑंगन में दिखाई देते है।
इतने सारे गांव वालों को एक साथ देख वो थोड़े घबरा से जाते है।
रत्ना;किरण के पास जाती है।
किरण;क्या बात है माँ जी।ये सब लोग यहाँ क्या कर रहे है।
किरण;रत्ना को जानती थी। देवा की माँ होने के कारन किरण उसकी बहुत इज्जत भी करती थी।
मगर रत्न को देवा और किरण के रिश्ते के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।
रत्ना;किरण बिटिया मेरा देवा यहाँ आया है क्या।
किरण;हाँ आया था।
रत्ना;कब कहाँ है वो मुझे उसके पास ली चलो।


किरण;माँ जी देवा कल रात में यहाँ आया था किसी ने उसे बहुत बुरी तरह से पीटा था।
उसके सर में से खून भी निकल रहा था मैंने और बापु ने उसकी मरहम पट्टी की उसके बाद उसे यही सोने के लिए ऑगन में चारपाई लगा दी।
मगर जब सुबह देखा तो वो यहाँ नहीं था पता नहीं कहाँ चला गया।
बैध जी;हाँ बिटिया उसकी तबियत बहुत ख़राब थी। तेज़ बुखार भी था कुछ जड़ी बुटियों का खुराक़ दिया था
मैने उसे। मगर उसे आराम की बहुत ज़रुरत थी सुबह वो नहीं दिखा तो हमने सोचा की शायद वो घर चला गया होगा।



मै तुमसे पुछने आने ही वाला था उसके बारे में।
ये सुन के रत्ना वही बैठ जाती है।
उसे रात की घटना फिर से याद आ जाती है किस बुरी तरह उसने लकड़ी से देवा की पिटाई की थी।
देवा का खून भी निकल रहा था ये सोच सोच के रत्ना का दिल दहलने लगता है।
पप्पू और उसके दोस्त मिलकर रत्ना को समझा बुझा के घर ले आते है।

दूसरी रात घिर आई थी मगर सिर्फ देवा के बारे में इतना पता चला था की उसे सर पर चोट लगी थी।
और वो ज़ख़्मी है मगर उसे किसने मारा यही बात गांव के हर आदमी के दिल ओ दिमाग में उलझन पैदा कर रही थी।
पदमा;हवेली में जाके रुक्मणी को देवा के ग़ायब होने की खबर सुनाती है। वो सुनके रुक्मणी बेचैन सी हो उठती है।
सुबह की मार से उसे इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी देवा की खबर सुनकर हुई।



रुक्मणी;पदमा तू उसके घर जा न और पता कर न की वो घर आया है के नही।
पदमा;मालकिन उसकी माँ का रो रो के बुरा हाल है।
बैध के घर गया था वो कहते हैं उसके सर पर मार भी लगी हुई थी और तेज़ बुखार भी था।
पता नहीं किस हाल में पड़ा होंगा बेचारा सोच सोच के तो मेरा दिल बैठा जा रहा है।
रुक्मणी; तू जा घर जा और मुझे सुबह जल्दी से आके अच्छी खबर सुना की वो घर आ गया है। जा ना जल्दी।
पदमा; वापस रत्ना के घर की तरफ चली आती है और रुक्मणी की ऑखों से नींद ग़ायब हो जाती है।
वो अपनी पिटाई जैसे कुछ पल के लिए भूल गई थी।
रात के १० बज गए थे। एक एक करके गांव वाले अपने अपने घर लौटने लगते है । शालु भी घर आ जाती है।
मगर नीलम वही ममता का हाथ पकडे दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए बैठी हुई थी।
दोनो के दिल की हालत उस वक़्त वही समझ सकता था जिस ने कभी न कभी किसी न किसी से सच्ची मोहब्बत किया हो।
इधर हवेली में रुक्मणी बिस्तर पर देवा की याद में करवटे बदल रही थी। उधर रानी बाथरूम से नहा कर बाहर निकलती है।
और अपने रूम में हिम्मत राव को देख कर उसका खून खौल उठता है।
मगर वो कुछ नहीं कहती और चुपचाप आकर बेड पर बैठ के अपने बाल सुखाने लगती है उसने सिर्फ टॉवल बांध रखी थी।

उसे अब तक देवा के बारे में पता नहीं था । उसे तो इस बात पर गुस्सा आ रहा था की हिम्मत राव ने रुक्मणी के साथ साथ उसकी भी पिटाई कर दिया था और शायद हिम्मत भी अपनी इसी गलती को सुधारने उस वक़्त वहां मौजूद था।

हिम्मत; क्या बिटिया नाराज़ है हमसे।
रानी;सर उठाके उसके तरफ देखती है मगर कुछ नहीं कहती।
हिम्मत; अच्छा बाबा देख अब हँस भी दे। अरे मेरी जान तू बीच में नहीं आती तो मै तेरे साथ ऐसा कुछ करता क्या। हाँ इधर आजा मेरी बाहों में।
रानी; हटो भी बापू सब जानती हूँ मै आपके बारे में। सुबह मार पिटाई और रात में घिसाई।
हिम्मत;रानी की टॉवल खीच देता है इससे पहले की रानी उसे पकड़ पाती वो जिस्म से अलग हो जाता है और नंगी रानी हिम्मत के सामने आ जाती है।
रानी के जिस्म पर हिम्मत की मार के ज़्यादा निशान नहीं थे। क्यूंकि सबसे ज़्यादा मार तो रुक्मणी को पड़ी थी।

हिम्मत;अपनी धोती कुर्ता उतार के फ़ेंक देता है और रानी की तरफ बढ़ता है मगर रानी पीछे सरकती चली जाती है।
रानी;मेरे पास मत आइये मै बोल देती हूँ बापु।
हिम्मत;क्यूँ मेरी जायदाद है तू जो चाहे वो मै करूँ चुप चाप यहाँ आजा।
रानी;नहीं आऊँगी और अगर ज़ोर ज़बर्दस्ती करेंगे तो मै चिल्लाऊँगी।
हिम्मत;चिल्ला।
हिम्मत रानी का हाथ पकड़ के उसे बेड पर अपने साथ गिरा देता है वो झटपटाने लगती है।
मगर हिम्मत की मज़बूत बाहों से रानी निकल नहीं पाती और थोडी देर हाथ पैर मारने के बाद वो निढाल सी हो जाती है।
हिम्मत;कहाँ लगा है मेरी बिटिया को।
रानी;इतनी बुरी तरह से मारा है आपने बापू जैसे जानवर को मारते है।
हिम्मत;ज़रा देखने दे मुझे भी।
ये कहके हिम्मत रानी के जिस्म पर सवार हो जाता है और सर से चुमता हुआ नीचे चूत तक पहुँच जाता है।
जैसे ही हिम्मत के होंठ रानी की चूत से टकराते हैं रानी अपनी ऑंखें बंद कर लेती है। प्यासी चूत में फिर से पानी आने लगता है।
रानी;आहह बापू वहां नही ना उन्हह ......

हिम्मत;बहुत सूखि सूखि लग रही है बिटिया।
रानी;हैं सूखि है वो। उसे ढेर सारा मीठा मीठा पानी चाहिए अपने बापू के लंड का आहह बाप्पु।
चूत की आग ने रानी को ये भुला दिया था की सुबह वो अपने बापू से बहुत नाराज़ थी।
हिम्मत;रानी की चूत को चाट चाट के लाल कर देता है और जब पहला पानी रानी की चूत से बहने लगता है।
हिम्मत उसे भी अपने मुँह में उतारने लगता है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
पानी पीने के बाद जैसे ही हिम्मत रानी के बगल में आके लेटता है रानी हिम्मत के लंड के पास चली जाती है और उसे अपने होठो से चूम के जगाने की कोशिश करती है।

हिम्मत;ऐसे नहीं बेटी अपने गरम मुँह में ले ले इसे बहुत दिन हुए तूने नहीं चाटा मेरे लंड को।

रानी;आप देते कहाँ हो जब देखो बिंदिया के पास पड़े रहते हो।
हिम्मत;रानी का मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में लंड पेल देता है।
और रानी अपने बापू का लंड कई दिनों के बाद अपने मुँह की गहराइयों में उतारते चलि जाती है गलप्प गलप्प गलप्प.....
हिम्मत;आहह सली बहुत बडी छिनाल है तू आह्ह्ह्ह।
ऐसे लंड चुसती है जैसे कोई धंधे वाली रंडी हो।
रानी;कितने धंधे वालियों के पास जाते हो बापू गलप्प गलप्प।
हिम्मत;तेरी माँ की साली आहह धीरे बिटिया ऐसे नही ना।
रानी;अपनी पिटाई का सारा ग़ुस्सा अपने बापु के लंड पर निकाल लेती है और उसे चूस चूस के खड़ा कर देती है।
हिम्मत;चल आ जा तेरी इससे पिटाई करता हूँ ज़रा।
रानी;इससे पिटाई के लिए तो मै हमेशा तैयार हूँ बापु
हिम्मत;रानी के पैर खोल देता है और अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के
रानी के होठो को चुमते हुए लंड अपनी बेटी की चूत में सट से घुस्सा देता है।

रानी की सूखि चूत पर जैसे कोई किसान हल सा चला देता है और रानी हिम्मत के प्यार में सब कुछ भूलते हुए अपनी टाँगें उसकी कमर से लपेट लेती है।
रानी;आहह बापू अब से रोज़ चाहिए मुझे अगर नहीं दिए ना।
आह तो जान से उन्हह मार दूंगी बोल देती हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हीम्मत भी अपनी कमर को नीचे ऊपर करने लगता है हाँ बिटिया आह
रोज चोदेगा तेरा बापू तुझे। बस तू मेरे और तेरी माँ के बीच में मत आना।
रानी;नहीं आऊँगी बापू आज के बाद कभी नहीं आऊँगी आह्ह्ह्ह्ह।
एक तरफ बाप और बेटी का मिलाप हो रहा था और दूसरी तरफ बेटे के चले जाने का मातम मानाया जा रहा था।
WOW HOT POST
रानी की चूत को चाट चाट के लाल कर देता है और जब पहला पानी रानी की चूत से बहने लगता है।

हिम्मत उसे भी अपने मुँह में उतारने लगता है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
पानी पीने के बाद जैसे ही हिम्मत रानी के बगल में आके लेटता है रानी हिम्मत के लंड के पास चली जाती है और उसे अपने होठो से चूम के जगाने की कोशिश करती है।

हिम्मत;ऐसे नहीं बेटी अपने गरम मुँह में ले ले इसे बहुत दिन हुए तूने नहीं चाटा मेरे लंड को।
रानी;आप देते कहाँ हो जब देखो बिंदिया के पास पड़े रहते हो।
हिम्मत;रानी का मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में लंड पेल देता है।
और रानी अपने बापू का लंड कई दिनों के बाद अपने मुँह की गहराइयों में उतारते चलि जाती है गलप्प गलप्प गलप्प.....
हिम्मत;आहह सली बहुत बडी छिनाल है तू आह्ह्ह्ह।
ऐसे लंड चुसती है जैसे कोई धंधे वाली रंडी हो।
रानी;कितने धंधे वालियों के पास जाते हो बापू गलप्प गलप्प।
हिम्मत;तेरी माँ की साली आहह धीरे बिटिया ऐसे नही ना।
रानी;अपनी पिटाई का सारा ग़ुस्सा अपने बापु के लंड पर निकाल लेती है और उसे चूस चूस के खड़ा कर देती है।
हिम्मत;चल आ जा तेरी इससे पिटाई करता हूँ ज़रा।
रानी;इससे पिटाई के लिए तो मै हमेशा तैयार हूँ बापु
हिम्मत;रानी के पैर खोल देता है और अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के
रानी के होठो को चुमते हुए लंड अपनी बेटी की चूत में सट से घुस्सा देता है।

रानी की सूखि चूत पर जैसे कोई किसान हल सा चला देता है और रानी हिम्मत के प्यार में सब कुछ भूलते हुए अपनी टाँगें उसकी कमर से लपेट लेती है।
रानी;आहह बापू अब से रोज़ चाहिए मुझे अगर नहीं दिए ना।
आह तो जान से उन्हह मार दूंगी बोल देती हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हीम्मत भी अपनी कमर को नीचे ऊपर करने लगता है हाँ बिटिया आह
रोज चोदेगा तेरा बापू तुझे। बस तू मेरे और तेरी माँ के बीच में मत आना।
रानी;नहीं आऊँगी बापू आज के बाद कभी नहीं आऊँगी आह्ह्ह्ह्ह।

एक तरफ बाप और बेटी का मिलाप हो रहा था और दूसरी तरफ बेटे के चले जाने का मातम मानाया जा रहा था
 
Member
134
250
43
पदमा;आहह चूत में डालना था तूने तो गाण्ड में ठोक दिया आहह माँ बहुत दर्द हो रहा है देवा। आहह निकाल ले बेटा आहह चूत में दे ना मुझे आह।

देवा;चुप कर छिनाल आहह थोडी देर तो मारने दे आह।

पदमा;आहह बाद मे मार ले । पहले चूत में डाल ना रे।

देवा;गांड में से लंड निकाल के चूत के मुंह पे रख देता है और पदमा उसका मुंह थोड़ा सा चूत के अंदर डाल देती है।
देवा का धक्का सीधा पदमा के चूत को चीर देता है और दोनों का मिलन हो जाता है आअह्हह्हह्हह।

देवा;ऐसे चाहिए न तुझे पदमा। है न।



पदमा; हाँ ऐसे ही आह।

वो कमर उछाल उछाल के लंड लेने लगती है और देवा गपा गप लंड को पदमा के चूत में घुसा के पेलने लगता है ।

दोनो अपने चुदाई में मस्त थे और बाहर खड़ी रश्मि का बुरा हाल था।



वो शलवार नीचे करके अपनी चूत को सहलाने लगती है।

कुछ देर बाद तीनो का पानी एक साथ निकलने लगता है देवा का पानी पदमा के चूत में और रश्मि का पानी पेंटी पे।
PADMA KO CHODTE HUE RASHMI KO BHI GARMA DIYA
 
Member
134
250
43
देवा जैसे ही सुपाडा पदमा की गाण्ड पे लगाता है पदमा को पिछली चुदाई याद आ जाती है ।

पदमा;आहह आराम से घुसाना देवा।

देवा;हाँ काकी बिलकुल धीरे से पेलूँगा।

वो पदमा के दोनों पैरों को ऊपर उठाके अपने लंड को पदमा की गांड के सुराख़ पे रख देता है और धीरे से लंड का सामने का हिस्सा अंदर डाल देता है।
उसका सुपाडा ही इतना मोटा था की पच की आवाज़ के साथ गाण्ड का सुराख़ खुल जाता है और पदमा का बदन थरथरा जाता है।

देवा का दुसरा धक्का इतनी ज़ोर से अंदर पड़ता है की पदमा पूरी तरह हिल जाती है।

पदमा;आहह तू कभी तो मेरी सुना कर आहह धीरे कर आह्ह्ह्ह्ह्हहः

देवा;तीसरे झटके में पूरा का पूरा लंड पदमा काकी की गाण्ड में उतार देता है कुछ पल रुकने के बाद वो अपनी अवकात पे आ जाता है और सटा सट कमर पकड़ के पदमा की गाण्ड को अंदर तक खोलते चला जाता है।

पदमा;चिल्लाने लगती है गीड गिडाने लगती है आहह ज़ालिम आहह मत कर इतने ज़ोर आहह सी माँ।

देवा;आहह देख पदमा तेरी गाण्ड कैसी खुल गई है आहह उसे भी पूरा लंड चाहिए आह साली कितनी गरम और टाइट गांड है तेरी....

पदमा;माँ को पुकारने लगती है पर उस वक़्त सिवाये रश्मि के कोई वहां नहीं था।

रश्मी;की चूत का पानी लगतार बहने लगता है वो अपनी चूत को सहलाना छोड देती हैम बिना सहलाये ही उसकी कुँवारी चूत के दोनों लिप्स फड़ फड़ा रहे थे।
उसकी चूत का पानी जांघ से बहता हुआ अब पैर के पंजे तक पहुँच चूका था। रश्मि की चूत पहली मर्तबा इतनी बुरी तरह किसी की चूत और गाण्ड की चुदाई होते देख रही थी।

पदमा;आहह पानी छोड दे गाण्ड में देवा अहह और उसे मत फाड़ माँ वाह क्या लंड है आहः

देवा;थोडी देर पदमा आहह बस थोडी देर और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

वो थोडी देर और 20 मिनट तक चलते रही पदमा का पूरा जिस्म निढाल हो चुका था। गाण्ड एकदम सुन्न पड़ चुकी थी। पर देवा था की पदमा की गण्ड से लंड निकालने को तैयार नहीं था।
WAH GARAM RASHMI KI CHOOT SE NIKALTE PANI KO KITNI ACHHI TARAH SE LIKHA HAI
 
Member
134
250
43
पदमा;आहह मार देगा आज तो मुझे आहः

देवा;ज़ोर दार झटके मारने लगता है और कुछ पलो बाद पदमा के गाण्ड को भी अपने पानी से भर देता है।

पदमा बेसुध ऑखें बंद किये अपनी गाण्ड की जलन को कम होने का इंतज़ार करने लगती है और देवा उठके कपडे पहनने लगता है
ताभी उसके नज़र खिडके के तरफ जाते है और उससे वहां रश्मि खड़ी नज़र आती है।

रश्मी भी देवा को देख लेती है और वो अपनी शलवार ऊपर चढा के वहां से भागना चाहती है पर देवा बिजली की रफ़्तार से उसका हाथ पकड़ लेता है।

रश्मी;छोड मेरा हाथ वो नज़रें नीचे करके अपना हाथ छुड़ाने लगती है।

देवा;अभी भी नंगा था उसका लंड लटक रहा था जिसपे रश्मि की नज़र टिकी हुई थी।

देवा;रश्मि को अपने छाती से चिपका लेता है।
ईधर देख मेरी तरफ।

रश्मी;आहह छोड दे मुझे वरना मै चिल्लाऊँगी।

देवा;उसे और अपनी बाहों में कस लेता है।
इसका मतलब तूने सब देख लिया है ना । बोल...

रश्मी;हाँ देख लिया है मैंने और मै जाके तेरी माँ को भी बता दूंगी की तू .....

देवा;माँ को बतायेगी क्या बतायेगी।
वो अपने मज़बूत हाथों से रश्मि के नरम ब्रैस्ट मसलने लगता है।

रश्मी; चुदाई देख के इतनी गरम हो चुकी थी की वो देवा को ऐसा करने से मना भी नहीं कर पाई। बस देवा की बाँहों में मचलने लगती है।

देवा;मुझे पता है तू माँ को कुछ नहीं बतायेगी। पता है क्यूं।

रश्मी;सवालियां नज़रों से देवा के चेहरे को देखने लगती है।

देवा;क्यूँकि तू खुद मेरा हिला चुकी है और आज जो कुछ तूने देखा वो सब करने का तेरा भी दिल कर रहा है।

रश्मी;नहीं मेरा कुछ दिल नहीं कर रहा । छोड दे मुझे कमीने मै कभी नहीं करुँगी तेरे साथ।
WOW RASHMI KI BREAST MASALNE SE USKE ARMAN BHI JAAG RAHE HAIN
 
Member
134
250
43
देवा;रश्मि की चूत के पास हाथ लगा के देखता है उसकी शलवार गीली थी। चूत का चिप चिपा पानी जब देवा के हाथ को लगता है तो देवा समझ जाता है की रश्मि झूठ बोल रही है।

शर्म के मारे रश्मि की ऑखें बंद हो जाती है।

देवा;उसके कान में धीरे से कहता है झूठी तेरी चूत तो कुछ और ही कह रही है।

रश्मी;आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;उसके इतने क़रीब था और इस हालत में था की उससे रहा नहीं जाता और वो रश्मि के नीचले होंठ को मुंह में लेके चुसने लगता है गलप्प गल्प।

रश्मी;देवा के छाती पे मुक्के बरसाती जाती है।
पर देवा पूरा रस पी जाने के बाद ही रश्मी को छोडता है।

देवा;जा अब जाके माँ को ये भी बता देना की मैंने तेरे साथ क्या किया।

रश्मी;देवा के टेस्टीस पे ज़ोर से हाथ मार के हँसते हुए वहां से भाग जाती है।
मै माँ को बता दूंगी देवा की तू बड़ा कमीना है।

देवा; लंड को हाथ में पकड़ के बैठ जाता है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

उधर हवेली में सन्नाटा पसरा हुआ था।

हिम्मत राव अपनी कार लेके पास के गांव गया हुआ था जहाँ रहती थी बिंदिया।



बिंदिया; एक बहुत ही खूबसूरत औरत थी माँ बाप उसके इस दुनिया में थे नहीं जिसकी वजह से उसकी शादी नहीं हुई थी।गरीब होने की वजह से कोई रिश्तेदार उसे सहारा देने को तैयार नहीं था।

हिम्मत राव; का दिल बिंदिया पे कई साल पहले आ गया था ।
उसने बिंदिया को न सिर्फ सहारा दिया बल्कि उसे दुनिया के हर ऐशो आराम की चीज़ ला के दिया था बदले में बिंदिया ने हिम्मत राव को अपना जिस्म दिया था।

पिछले कई सालो से वो हिम्मत राव के रखेल के रूप में ज़िन्दगी गुज़ार रही थी पर उसका असल मक़सद हवेली की मालकिन बनने का था। हिम्मत राव बिंदिया की मोहब्बत में इस कदर गिरफ्तार हो चुका था की वो बिंदिया के हर जायज़ नजायज़ माँग पूरी करता था।
WAH DEVA NE CHUMMI LE LI
 
Member
134
250
43
हफ्ते में चार पांच दिन हिम्मत राव बिंदिया के साथ गुजारता था।

आज भी वो इसी के लिए यहाँ आया हुआ था।

बिंदिया ; हिम्मत राव को देख दरवाज़ा खोल के उसे अंदर ले लेती है।

रोज पहले शराब का दौर चलता और उसके बाद शबाब का।

बिंदिया नखरे करने में माहिर थी।

वो हिम्मत राव को अपने छाती से लगा लेती है और उसके होठो को अपने मुंह में लेके चुसने लगती है।

हिम्मत राव;बिस्तर पे बैठ जाता है।
आज पीलाओगी नहीं जानेमन।

बिंदिया;पिलाऊंगी भी और लुंगी भी सरकार।

हिम्मत राव; बिंदिया के हाथों से शराब के जाम पे जाम खाली करता चला जाता है और कुछ ही देर में पूरी बोतल खाली कर देता है।

बिंदिया; हिम्मत राव की क़मीज़ उतार के उसके छाती पे अपना सर रख देती है।

हिम्मत राव;नशे में बात बढाये जा रहा था।

बिंदिया;मालिक आप मुझे दुल्हन बनाके हवेली कब ले जा रहे है।

हिम्मत राव;बस कुछ दिन की बात है बिंदिया। हमारे बीच का कांटा हटने ही वाला है।

बिंदिया; और आपकी बेटी......

हिम्मत राव :रानी अगर उसकी माँ अपनी सारी जायदाद उसके नाम करके ना गई होती तो कब का उसे भी उसके माँ के पास पहुंचा देता।
पर तू फिकर मत कर एक बार रुक्मणी का काम होने दे उसके बाद रानी भी मरेगी।

बिंदिया; मुस्कुराते हुए हिम्मत का पजामा उतार देती है और दोनों की रास लीला शुरू हो जाती है।
WOW NEW INTRO BINDIYA :shag:
 

Top