Incest हाय रे ज़ालिम................

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10 मिनट तक रश्मि बिना कुछ कहे देवा के लंड को सहलाते रहती है और फिर अचानक देवा के लंड से एक तेज़ धार सीधा रश्मि के चेहरे पे गिरने लगता है।

रश्मी की ऑंखें बंद हो जाती है और देवा वही धडाम से गिर जाता है उसके लंड का सारा पानी निकल चुका था जिस्म ढिला हो गया था और उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।
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प्पू देवा के जिस्म पे लिपटे टॉवल हटा देता है और उसके लंड को चुमते हुए अपने मुंह में खिंच लेता है।गलपप गलप्प गलप्प।


देवा;आहह साले आराम से आहः।

पप्पू;बिना कोई अलफ़ाज़ मुंह से निकाले बस मुंह में चुसता चला जाता है गलप्प गलप्प।

कुछ देर बाद देवा पप्पु को अपने नीचे लिटा देता है उसका लंड तो पप्पू के पकड़ने से ही खड़ा हो चुका था और ऊपर से आज पप्पू ने खुद ही उसे अपने मुंह में ले के गीला कर चुका था।

देवा;दोनों हाथों से पप्पू के कमर को पकड़ के फैलाता है और अपने लंड को उसके गाण्ड में पेलने लगता है अहह आहः
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वो पेलता रहा और पप्पू सहता रहा । इस गाण्ड मराई में जितना मजा देवा को आता था उससे कही ज़्यादा पप्पू को आता था। वो खुद अब देवा के लंड का गुलाम बन चूका था । उसे हर दूसरे दिन देवा के लंड के खवाब आते थे। इसी लिए वो नखरे करता हुआ किसी न किसी तरह बहाने ढूंढता था देवा के नीचे पीसने के लिए।

20 मिनट के बाद देवा अपना लावा पप्पू के गाण्ड में उंडेल देता है।
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देवा गहरी नींद में सोया हुआ था।
बाहर से आते शोर शराबे से उसकी आँख खुल जाती है और वो आँख मलता हुआ बाहर आता है।

ममता और नूतन अपने नए कपडे देख के हल्ला मचा रही थी

देवा को देख नूतन एकदम खामोश हो जाती है और उसकी ऑखें झुक जाती है।

देवा;क्या शोर मचा रखा है ममता।

ममता ; भाई आज रश्मि की हल्दी है देखो न मुझे समझ नहीं आ रहा कौन सी कपडे पहनु।

देवा;नीचे से ऊपर तक ममता को देखता है और दिल में सोचता है की तू बिना कपडो के तो कितनी प्यारी लगेंगी।
कुछ भी पहन ले तुझपे तो सारे रंग अच्छे लगते है।

ममता नूतन का कन्धा हिलाती है।
तूझे क्या हुआ है भाई के आते ही तेरे सिट्टी पिट्टी क्यों गुम हो गई।

देवा उन के पास आ जाता है और नूतन के हाथ में से उसके कपडे ले के देखता है।
नुतन तू ये मत पहनना तुझपे ये रंग बिलकुल भी नहीं जँचता।
कोई गुलाबी रंग के कपडे पहन।
बहुत प्यारी लगेगी।

नुतन का चेहरा लाल पड़ जाता है और वो अपनी माँ की तरफ भाग जाती है।

ममता को कुछ समझ नहीं आता आखिर माजरा क्या है।

देवा रत्ना को पूछ के ऑंगन में चला जाता है।

उसका मुस्कराता हुआ चेहरा अचानक उदास हो जाता है सामने रत्ना के साथ शालु बैठी बातें कर रही थी।

शालु;को देख के देवा को कल का ज़ोरदार थप्पड याद आ जाता है।
और वो चुपचाप जाके रत्ना के बगल में बैठ जाता है।

रत्ना;उठ गया बेटा।

चल जल्दी तैयार हो जा बहुत काम बाकी है शालु के घर तू जायेंगा तो हाथो हाथ जल्दी हो जाएंगे सारे काम।

देवा;शालू की तरफ देख के रत्ना से कहता है।
मुझे कही नहीं जाना मुझे खेत में बहुत काम है।

रत्ना; ये तू कैसी बात कर रहा है देवा तू शालु के घर नहीं जायेगा।

देवा;बोला न नहीं जाऊँगा।
और देवा ये कहके वहां से उठके बाथरूम में घुस जाता है।

रत्ना और शालु एक दूसरे को देखते रह जाते है रत्ना तो नहीं जानती थी हाँ मगर शालु को देवा की ये बात बहुत बुरी लगी थी। उसके दिल में कही न कही दर्द ज़रूर हुआ था।

रत्ना के पास थोडी देर बैठने के बाद शालु उसे घर जल्दी आने को कहके अपने घर चली जाती है।

नुतन ;बिस्तर पे लेटी हुई थी।
उसके कानो में अभी भी देवा के वही शब्द घूम रहे थे की नूतन तू गुलाबी कपडो में बहुत अच्छी लगेगी।

रात की गर्मी अभी पूरी तरह से जिस्म से निकली नहीं थी।

देवकी उसे अपने खयालो में खोई देख उसके पास आके बैठ जाती है।

देवकी भी थोड़ा थोड़ा झिझक रही थी नूतन से बात करने में उसने और देवा ने रात जो काम की थी उसे वो शरमिंदा तो नहीं थी हाँ मगर थोडी परेशान ज़रूर थी। पता नहीं नूतन क्या कह दे।

नुतन अपनी माँ की तरफ देखती है पर कुछ नहीं कहती।

देवकी;अपने बेटी के कमर के थोड़ा ऊपर दोनों हाथों से हलके हलके मालिश करने लगती है।


तू मुझसे नाराज़ है नूतन।

नुतन ;नहीं माँ।

देवकी;सच बता तुझे मेरी कसम।

नुतन;नहीं न माँ सच मै नाराज़ नहीं हूँ।।

देवकी;मुझे पता है जो मै कर रही हूँ वो पाप है मगर ये सब मै तेरे लिए ही तो कर रही हूँ।

नुतन देवकी की तरफ देखती है।
कया मतलब माँ।

देवकी तुझे देवा कैसा लगता है।

नुतन शर्मा जाती है।

देवकी; मैं चाहती हूँ तू इस घर की बहु बने।

नुतन का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है।
उसके होंठ देवकी से कुछ कहना चाहते है मगर मारे ख़ुशी के वो कुछ बोल नहीं पाती और अपनी माँ के गले लग जाती है।

देवकी;बस तू इस घर की बहु बनके यहाँ हमेशा हमेशा के लिए आ जाये समझो मै गंगा नहा ली।


एक तरफ देवकी अपनी बेटी के सुनहरे सपने बून रही थी वहाँ शालु के घर नीलम आईने के सामने खड़ी खुद को देख रही थी।

हल्के गुलाबी चुन्नी में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।
जवानी के शबाब खूब चढा था नीलम पे । अपने आप को सिर्फ और सिर्फ देवा के लिए सँभाल के रखने वाली नीलम बहुत बेचैन थी । ये सोच सोच के की जब देवा उसे देखेगा तो क्या होगा।।

मगर देवा तो फैसला कर चुका था की वो शालु के घर नहीं जायेगा । वो नाश्ता करके अपने खेत के तरफ निकलने की तैयारी करता है।

रत्ना देवकी नूतन और ममता सभी बन संवर के तैयार थी ।
सभी एक से बढ़ के एक लग रही थी।

देवा;एक नज़र रत्ना की तरफ देखता है।
कलर के महरून साडी में रत्न बहुत हसीं लग रही थी।

मुस्कराता हुआ चेहरा ऑखों में काजल होठो पे हलकी सी लाली जो उसे ममता ने लगाई थी गोरा मख़मली पेट हुए और बड़े बड़े चूचि जिसे रत्ना ने आँचल से ढक रखी थी उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थे।

देवा इस अंदाज़ में रत्ना को घूरता है की रत्ना को शर्म से आ जाती है।

रत्ना;क्या हुआ देवा।

देवा; कुछ नहीं। तो जा रहे हो तुम सब।

रत्ना;हाँ तू भी चल ना।

देवा;कुछ नहीं कहता और बाहर निकल जाता है।

शालु के घर काफी गहमा गहमी थी।
रश्मी ऑंगन के बीच में बैठी थी और गांव की सभी औरतें उसे हल्दी लगा रही थी।

इस सब से दूर नीलम के ऑंखें रास्ते पे बीछी हुई थी ।

वो ज़ालिम अब तक नहीं आया था।
आखीर नीलम से रहा नहीं जाता और वो ममता से पूछ लेती है।

नीलम;ममता तेरा भाई नहीं आया।

नीलम;नहीं उन्हें खेत में ज़रूरी काम था फसल की कटाई होनी है ना इसलिए नहीं आए।

नीलम का चेहरा उतर जाता है उसे अपने बदन पे कपडे बिलकुल अच्छे नहीं लगते वो आज जिसके लिए इतनी सजी संवरी थी वही नहीं आया था ।

वो निराश होके घर के अंदर जाने लगती है ।
तभी उसे पप्पू की आवाज़ आती है।

पप्पू;अरे देवा कितनी देर से आ रहा है यार।

उसके कान ये सुनने के लिए तड़प गए थे। वो पीछे मुड के देखती है और सामने वही ज़ालिम खड़ा था उसका दिल किया उसके पास जा के उसके सीने पे दो चार घूँसे जड़ दे । मगर जब देवा से नीलम की ऑंखें चार हुई तो सारा ग़ुस्सा हवा हो जाता है।

देवा नीलम के पास आता है और उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।

नीलम पलकें झुकाये बस दो शब्द सुनना चाहती थी देवा के मुँह से वो दो शब्द उसकी सारी मेंहनत सफल कर देते।

देवा;अप्सरा लग रही हो आज तुम नीलम।

नीलम से ये सुनके वहां रुकना मुहाल था । वो देवा की ऑखों में देखती है और वही क़ातिलाना हंसी हँसते हुए जिससे देवा घायल हुआ था।
घर में भाग जाती है।

रश्मी के पास खड़ी शालु के चेहरे पर भी मुसकान फैल जाती है। दिल में सुकून उतर आता है की देवा उतना नाराज़ नहीं है जितना वो सोची थी।

देवा;पप्पू के साथ काम में लग जाता है
जितने भी मेहमान आये थे उनके खाने पीने का इन्तज़ाम।

सब कुछ देवा अपने हाथ में ले लेता है।

सभी मेहमानो के जाने के बाद शालु देवकी और रत्ना बातें करने लगते है।


रश्मी;नीलम और ममता के साथ कमरे में बैठी बाते कर रही थी।

रत्ना;बहुत अच्छे से हो गया सब कुछ है ना देवकी।

शालु;हाँ अगर देवा नहीं आता तो कितनी मुश्किल हो जाती।

रत्ना;मेरा बेटा ऊपर से चाहे कुछ भी है मगर मै जानती थी वो ज़रूर आएगा।

शालु;पास में बैठी नूतन को देखते हुए देवकी से कहती है। देवकी बहन एक बात कहनी थी आपसे।

देवकी;हाँ कहो न बहन।

शालु;मुझे आपकी ये बेटी बहुत भा गई है।
जब से इसे देखी हूँ बस दिल में एक इच्छा जाग गई है की इसे अपने घर की बहु बना लूँ।
अपने बेटे पप्पू की दुल्हन अगर तुम्हें कोई एतराज़ न हो तो।

रत्ना;अरे ये तो बहुत अच्छा सोचा तुमने शालु ।
पप्पू बहुत होनहार लड़का है देवकी मेरी बात मान तू हाँ कर दे।

देवकी और नूतन एक दूसरे को देखने लगते है।

नुतन वहां से उठके अंदर चली जाती है।

देवकी : मैं सोच के बताती हूँ नूतन का भाई भी तो है। उससे भी पूछ्ना पड़ेंगा इतना बड़ा फैसला मै अकेले नहीं ले सकती।

शालु; मैं समझती हूँ बहन मुझे कोई जल्दी नहीं है।

रत्ना के चेहरे पे हंसी देख देवकी एक बात तो जान गई थी की रत्ना से देवा के बारे में बात करना बेकार है बस उसे देवा पे भरोसा था।

सारे काम निपटाने के बाद जब देवा और पप्पू शालु रत्ना के पास आके बैठते हैं तो रत्ना देवा को शालु की बात सुनाती है।

पप्पू;अपनी शादी की बात सुनके लड़कियों की तरह शरमाने लगता है और देवा इस बात से बहुत खुश हो जाता है।

शालु;देवा की तरफ देखने लगती है ।
मगर देवा शालु से एक बार भी ऑंखें नहीं मिलाता।

देवा;माँ अब घर चलते है।

रत्ना; हाँ ठीक है चलो देवकी ।

अरे ममता कहाँ है चल घर चल और नूतन को भी लेते आ।

देवा;पप्पु के साथ बाहर निकल पडता है।

पप्पू;भाई माँ ने जो फैसला किया है तुम्हें कैसा लगा।

देवा;अबे बेटा भाग खुल गए तेरे बहुत अच्छी लड़की है नूतन। बहुत ख्याल रखेगी वो तेरे घर का बस देवकी मामी मान जाए।

पप्पू;भाई आपकी तो मामी है आप कुछ चक्कर चलाओ।

देवा;पप्पू की कमर पे थप्पड मारते हुए कहता है।
गांडू बडी जल्दी है तुझे शादी की क्या करेगा शादी के बाद।

पप्पू; वही जो सब करते है चुदाई।


देवा; लंड में दम है नहीं और लगा चुदाई करने।

पप्पू; ज़रा सा मुँह घुमा लेता है।

देवा;अब्बे मज़ाक़ कर रहा हूँ।

पदमा;देवा अरे ओ देवा रुक तो सही।
पीछे से आती पदमा की आवाज़ सुनके दोनों रुक जाते है।

पदमा;हाँफते हुए अरे कहाँ था तू ।

देवा;क्यूँ क्या हुआ।

पदमा;तुझे छोटी मालकिन ने बुलाई है जा हवेली जा के मिल ले उनसे।

देवा;चल पप्पू ।

पप्पू;मुझे नहीं जाना मुझे घर में बहुत काम है।

देवा;अकेले ही हवेली चल पड़ता है।

जब वो हवेली पहुँचता है तो सामने ही कुरसी पे उसे रुक्मणी बैठी हुए दिखाई देती है।


देवा;को देख वो झट से उसके पास आ जाते है।

रुक्मणी;कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ।

देवा;छोटे मालकिन ने बुलाया था मुझे कहाँ है वो
ओ सीधे मुँह बात भी नहीं कर रहा था।

रुक्मणी;मेरे साथ चल।

देवा;मुझे नहीं जाना कही छोटी मालकिन को बुला दो।

रुक्मणी;चलता है या नहीं । चल चुपचाप।
वो देवा का हाथ पकड़ के उसे अपने कमरे में ले जाती है।

देवा;मालकिन मै आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ मुझे आपसे कोई बहस नहीं करनी मुझे जाने दो।

रुक्मणी;दरवाज़ बंद करके उससे लिपट जाती है।
ऐसा ज़ुल्म क्यों कर रहा है तू मेरे साथ।

देवा उसे अपने से अलग कर देता है।
गलती मुझसे हुई थी और आपने मुझे उसकी सजा भी दे दी और कुछ भी करना हो तो कर लीजिये।

रुक्मणी;सजा सजा मुझे मिल रही है तू जिस दिन से गया है उस दिन से मैंने खाना भी नहीं खाया।
मैने कसम खाई थी की तुझे देखे बिना एक निवाला भी मुँह में नहीं डालुंगी।

देवा;हैरत से उसकी तरफ देखने लगता है।
मै आपका कुछ नहीं लगता मुझे आपसे कोई लगाव नहीं फिर क्यों आप मेरे लिए खुद को कष्ट दे रही है।

रुक्मणी;जिस दिन तूने बाजार में मेरी जान बचाई थी। उस दिन मेरा जिस्म तेरा हो गया था।
जीस दिन तूने हाथियों से मेरी जान बचाया था उस दिन मेरी आत्मा तेरी हो गई थी।

मै तो तुझे तन से मन से अपना मान चुकी हूँ और तू मुझे तड़पाये जा रहा था । मैंने तुझे इसलिए मारी थी की तू मुझे कोई खिलौना समझ बैठा था
तुझे मेरा जिस्म चाहिये ना । ले कर ले जो करना है।



देवा के होश उड़ जाते है रुक्मणी को इस तरह देख के।

वो आगे बढ़ता है और रुक्मणी के कपडे ठीक करके उसके खुले बटन लगा देता है।

देवा;ज़बरदस्ती मै करता नहीं और भीख पसंद नही।।

मै आपके क़रीब सिर्फ इसलिए आना चाहता था क्यूंकि मै आपसे जानना चाहता था की मेरे बापू इस हवेली से कैसे ग़ायब हुए थे।

रुक्मणी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।
मुझे कैसे पता होंगा तेरे बापू के बारे में।

देवा;तुम्हारे पति को पता है वो मुझे नहीं बोलने वाले इसलिये।

रुक्मणी; इसलिए तू मुझे इस्तेमाल करके अपने बापू का राज़ पता करना चाहता था।

देवा; हाँ।

रुक्मणी;अपने ऑसू पोंछ लेती है।
मुझे बड़ा दुःख हुआ ये जान के तू मुझे इस्तेमाल कर रहा था।

कोई बात नहीं मै तेरी मदद ज़रूर करुँगी।
तूझे पता करना है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था।
मै तेरे जागिरदार साहिब से किसी भी तरह ये बात पता करके रहूँगी और तुझे बता दूंगी ।बस....

देवा;रुक्मणि के पास आता है और उसका चेहरा ऊपर उठाके अपनी ऑखें उसकी ऑखों में गाड देता है।

मुझे और भी कुछ चाहिये।

रुक्मणी;क्या।

देवा;ये.....
वो अपने होंठ रुक्मणी के होठो पे रख देता है।
कुछ देर देवा का साथ देने के बाद रुक्मणी अपने होंठ उससे अलग कर देती है।

रुक्मणी;नहीं जो मुझे इस्तेमाल करता है मै उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। तूझे जो पता करवाना है मै उस में तेरी मदद कर दूंगी उसके बाद तू अपने रास्ते मै अपने रास्ते।

देवा;रुक्मणि को देखने लगता है।
उसे पता था अभी रुक्मणी ग़ुस्से में है ।
अपनी मोहब्बत का इज़हार करके उस ने देवा को ये तो बता दी थी की वो देवा के बारे में क्या राये रखती है।

मगर उसे ये नहीं पता था की कही न कही देवा भी रुक्मणी की खुबसुरती का दिवाना है।

दरवाज़े के बाहर खड़ी रानी अपने मुँह पे हाथ रख देती है। उसे तो बस इंतज़ार था हिम्मत राव के वापस आने का।

और हिम्मत राव अपनी रखेल बिंदिया की चूत में पड़ा हुआ था।
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देवा;अप्सरा लग रही हो आज तुम नीलम।

नीलम से ये सुनके वहां रुकना मुहाल था । वो देवा की ऑखों में देखती है और वही क़ातिलाना हंसी हँसते हुए जिससे देवा घायल हुआ था।
घर में भाग जाती है।
 
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रुक्मणी के रूम के बाहर खड़ी रानी अपने रूम में चली जाती है।
रुक्मणी का दिल तो देवा ने तोड़ दिया था मगर उसकी ऑखों में अब भी कुछ सवाल बाकी थे। जिसके जवाब वो देवा से सुनना चाहती थी।
देवा; मैं चलता हूँ मालकिन।
रुक्मणी;रुको मुझे कुछ पूछ्ना है तुमसे।
देवा;पलट के रुक्मणी की तरफ देखता है।
रुक्मणी;देवा के ऑंखों में ऑखें डाल के पूछती है।
तूमने मेरी जान क्यों बचाई।क्या वो भी तुम्हारा कोई नाटक था मेरे क़रीब आने का?
देवा;मुस्कुरा देता है।
मालकिन आपकी जगह कोई भी होता तो मै उसकी भी जान बचाता।
मै आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ।मुझे आपसे कोई बैर नहीं है।
रुक्मणी;नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी हमदर्दी को।
वो अपने अलमारी में से पैसो की एक गड्डी निकाल के देवा के हाथ में रख देती है।
देवा; ये क्या है।
रुक्मणी;तुमने मेरी जान बचाई थी। ये उसकी किमत है।
देवा;तुम मेरी एहसान की कीमत लगा रही हो।
रुक्मणी;मैंने कहा न नहीं चाहिये मुझे तुम्हारा एहसान पैसे लो और निकल जाओ यहाँ से।
देवा;कुछ दिन पहले रुक्मणी के हाथों थप्पड खा चुका था।
वो बात उस ने इसलिए बर्दाश्त कर लिया था क्योंकी उस में उसकी गलती थी मगर आज रुक्मणी ने पैसे दे के देवा का अपमान की थी और देवा एक जवान खून वाला था जो गलती पर अपना सर कटवाना पसंद करता मगर अपना अपमान कभी सहन नहीं कर सकता था।
रुक्मणी;अभी भी देवा के सामने खड़ी थी।

देवा; ये लो आपके पैसे मुझे नहीं चाहिए।
रुक्मणी;देवा के ठुकराये जाने से बुरी तरह अंदर ही अंदर जल रही थी।
उसे देवा का इस तरह उसे ठुकरा देना अपमान लग रहा था।
पैसे लो और दफ़ा हो जाओ तुम गंदे नाली के कीड़े हो जो हर काम के पैसे लेते है । मेरी जान बचाने में भी तुम्हारा कोई मक़सद होगा । अगर कम है तो बोलो और दे दूंगी।
देवा;के हाथ कड़क हो जाते है और वो रुक्मणी को घुर के देखने लगता है।
रुक्मणी;देख क्या रहा है।
देवा का हाथ कड़क हो जाता है और पत्थर के तरह सख्त हाथ से वो रुक्मणी के कनपट्टी पे एक थप्पड जड़ देता है।
रुक्मणी;घूमते हुए बिस्तर पर जाके गिर पडती है।
उसे ऐसे महसूस होता है जैसे किसी ने हथोड़ा उसके मुँह पे मार दिया हो।

देवा;उसके बाल खीच के उसकी गरदन दबा देता है।

मेरी कीमत लगाएगी तू। मैंने तेरी जो जान बचाया उसकी कीमत मुझे देगी।
मुझे तो दुःख हो रहा है की मैंने तेरी जान बचाया।
वो रुक्मणी के बाल छोड देता है।
रुक्मणी;ग़ुस्से में खड़ी हो जाते है और
देवा के बदन से चिपक के उसके होठो को चूमने लगती है।
देवा को झटका सा लगता है उसे रुक्मणी से इस तरह के ब्यवहार की उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
कुछ देर बाद रुक्मणी देवा से अलग हो जाती है।
रुक्मणी; मैं यही सुनना चाहती थी और तेरे हाथ से थप्पड भी मुझे चाहिए था।
उस दिन से मै खुद को कोस रही थी की मैंने तुझे थप्पड क्यों मारा।
आज तूने मुझे मार के मेरे दिल का बोझ हल्का कर दिया।
चल फिकर मत कर तेरे मालिक के आने के बाद मै तेरा काम करने की पूरी पूरी कोशिश करुँगी।
देवा;रुक्मणि के गाल की तरफ देखता है उसके गाल पे देवा की उँगलियों के निशान साफ़ देखे जा सकते थे।
मलकिन आपका गाल तो....
रुक्मणी;अपने गाल पे हाथ फेरते हुए देवा को कहती है।
तूझे मारने के बाद मै इसी की हक़दार थी।
अब तू जा।
देवा;हवेली से चला जाता है और रुक्मणी देवा की दी हुए निशानी पे हाथ मलते हुए मुस्कुरा देती है।
घर लौटते हुए उसे पप्पू दिखाई देता है।
देवा;क्यों बे मुझे बोल रहा था घर में बहुत काम है कहाँ जा रहा है।
पप्पू;माँ ने कुछ सामान लेने को कहा है दुकान से वही लेन जा रहा था।
देवा;भी पप्पू के साथ दुकान की तरफ चलने लगता है
पप्पू गाण्ड मटकाता हुआ देवा के साथ चल रहा था।
देवा;पप्पू बहुत दिन हुए तेरी लिए हुए।
पप्पू;देवा की तरफ देख मुस्कुरा देता है।
देवा;अपना एक हाथ पप्पू के कमर पे लगाके उसके नरम गाण्ड को दबा देता है।
पप्पू; आह्ह्ह्ह उन्हह।
अब तुम्हने रोज़ रोज़ चूत मिलेगी तो इस गरीब की कहाँ याद आयेंगी।
देवा; चूत तो तुझे भी मिल रही है रश्मि की।
पप्पू;अरे चूत से याद आया रश्मि तुझसे मिलना चाहती थी। अकेले में....
देवा;पप्पू की तरफ देख के मुस्कुरा देता है।
कहाँ पर........
पप्पू;हमारे घर के पीछे जो हमने नया रूम बनाया है ना मेरे शादी के लिए वहाँ।
देवा;तेरी माँ...
पप्पू;आधे घंटे के लिए मै माँ को सँभाल लुंगा।
देवा;बेटा अगर तेरी माँ को पता चल गया न तो मुझे जान से मार देगी।
पप्पू;यही बात मैंने रश्मि से भी कहा मगर वो तुझसे मिलने की ज़िद पकड़ बैठी है।
देवा;तेरे बहन है ना जैसे तुझे गाण्ड में चाहिये वैसे उसे भी चूत में चाहिए।
पप्पू;मेरे तो दिन ही ख़राब चल रही है।
देवा;एक थपड पप्पू के गाण्ड पर मार देता है।
कल सुबह खेत में आ जाना।
सूरज फूल की फसल के बीच में तेरी ऐसे लुँगा की तू भी खुश हो जायेंगा।
पप्पू;बुरी तरह शरमा जाता है।
और दोनों दुकान पे पहुँच जाते है।

समान लेने के बाद पप्पू देवा को 7 बजे घर के पीछे मिलने के लिए कहता है।

क्यूंकि उस वक़्त शालु घर के काम में बिजी रहती है और नीलम भी आज कल घरकी रसोई के काम सीख रही थी इसलिए कोई रश्मि की तरफ ध्यान नहीं देने वाला था।
देवा;उससे हाँ बोलके अपने घर चला जाता है।।
शालु के घर काम करने से देवा बहुत थक गया था वो अपने कमरे में जाके लेट जाता है।
रत्ना और ममता भी सोई हुई थी।
देवकी नूतन के साथ शालु की कही गई बात पे चर्चा कर रही थी।
देवा को अपने कमरे में जाता देख देवकी भी उसके पास चली जाती है।
देवा;देवकी को अपने कमरे में आता देख बिस्तर पर से उठने लगता है मगर देवकी उसे लिटा के उसके ऊपर झुक जाती है।

देवा;मामी आज दिन में मस्ती चढ़ रही है क्या।
देवकी;मस्तो तो दिन भर चढी रहती है मुझे।
देवा;अपने मुँह के सामने लटकते हुए आधे से ज़्यादा बाहर को आते देवकी के चूचि पे हाथ रख के उसे दबाने लगता है।
बहुत नरम होते जा रही है मामी।
देवकी;सब तूने तो किया है।
देवा;दिल तो कर रहा है अभी तुझे नंगी करके पेल दुं।
देवकी;अपने होठो से देवा के होंठ गीले करने लगती है। गलप्प गलप्प।
रात होने दे सब कुछ दूँगी।
देवा;देवकी की कमर को पकड़ के अपने ऊपर खीच लेता है।
उसने रत्ना और ममता को सोये हुए देख लिया था। इसलिए वो बेफिक्र था।
अपने हाथों में देवकी की कमर को दबाते हुए वो उसके होठो को चुसे जा रहा था।
तभी वहां नूतन आ जाती है।
नुतन दरवाज़े के पास से देवकी को आवाज़ देती है
माँ।
देवकी;पलट के नूतन की तरफ देखती है मगर बिना जवाब दिए फिर से देवा के मुँह में मुँह डाल देती है। गलप्प गलप्प......
देवा;को सामने खड़ी नूतन साफ़ दिखाई दे रही थी।
वो अपने हाथ से देवकी की साडी को कमर के ऊपर चढ़ा देता है।
देवकी पुरी तरह मस्ती में आ चुकी थी।
उसे कोई परवाह नहीं थी की नूतन पीछे खड़ी सब देख रही है।
देवकी ने लंहगे के नीचे कुछ नहीं पहनी थी जैसे ही देवा उसकी साडी और लंहगा कमर के ऊपर तक उठा लेता है।
नुतन को देवकी की चूत और गाण्ड दिखाई देने लगते है। उसके पेशानी पे पसीने के क़तरे आ जाते है उसके पैर तो जैसे ज़मीन में गड गए थे।
देवा;अपनी एक ऊँगली नूतन को दिखाते हुए देवकी की चूत में डाल देता है।
नुतन को ऐसे लगता है जैसे देवा की ऊँगली उसकी माँ की नहीं बल्कि उसकी चूत में घुस गई हो।

देवकी अपने कमर को हिलाके के चूत के अंदर ऊँगली एडजस्ट कर लेती है और देवा देवकी के होठो को चूसते हुए अपनी ऊँगली सटा सट अंदर बाहर करने लगता है।

देवकी;उन्ह आंह देवा आहह सिसकारियां भरने लगती है।
देवा;कभी कमर पे मारता तो कभी उँगलियों की रफ़्तार तेज़ कर देता । देखते ही देखते देवकी झड़ने लगती है और साथ में नूतन भी अपनी सलवार गीली कर देती है।
नुतन वहां से भाग जाती है।
देवकी;तेरे उँगलियाँ भी कमाल की है मुझे तो लगता था की सिर्फ लंड तेरा कमाल का है।
देवा;नूतन ने सब देख लिया।
देवकी;देखने दे।
अच्छा वो शालु के बेटे के बारे में तुझे जो सुबह पूछी थी।
देवा;पप्पू अरे बहुत अच्छा लड़का है बहुत खुश रखेगा वो अपनी नूतन को।
देवकी; मैं उसे इस घर की बहु बनाना चाहती थी।
देवा; खामोश हो जाता है।
मामी नूतन को मैंने कभी उस नज़र से नहीं देखा उसे तो मै हमेशा अपनी बहन समझता हूँ।
देवकी;और बहन को चोदने के ख्याल से तेरे लंड में खिंचाव भी बहुत आता है।
देवा;ये सब तुम्हारे वजह से। तुम मुझे अपनी चूत नहीं देती तो मै ऐसा कभी नहीं सोचता।
देवकी;चल ठीक है तू कहता है तो मै इस रिशते के लिए तैयार हूँ बस एक बार रामु हाँ कह दे।
देवा;अरे मामी तुम नूतन की फिकर बिलकुल छोड़ दो। वो शालु के घर रहे या इस घर में रहे एक ही बात है। तुम ऐसा समझो की उसकी शादी इसी घर में हो रही है
देवकी; हंस देती है।
मुझे तो पता है शादी पप्पू से होंगी और सुहागरात तू मानाया करेगा नूतन के साथ।
देवा;खुश होके देवकी के होंठ फिर से चूम लेता है।
बाहर से किसी के कदमों की आवाज़ से दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते है।
रत्ना;देवा के कमरे में आती है।
अरे मामी भांजे क्या खीचडी पका रहे है।
देवकी;वही शालु के बेटे के बारे में देवा से पूछ रही थी।
रत्ना;देवकी तुम फिकर क्यों करती हो पप्पू देखाभाला लड़का है।
क्यूं देवा तू तो अच्छी तरह से जानता है ना पप्पू को।
देवा;अपने दिल में सोचने लगता है।
बहुत अच्छी तरह से लंड छोटा गाण्ड बडा।
मै तो मामी को कब से समझा रहा हूँ।
देवकी;ठीक है तुम दोनों कहते हो तो मेरी तरफ से हाँ है।
रत्ना के साथ साथ बाहर खड़ी नूतन के दिल में भी लड्डू फूटने लगते है अब उसे भी जल्द ही लंड का स्वाद मिलने वाला था पप्पू से।
मगर क्या सच में पप्पू से। ये तो सिर्फ वक़्त बता सकता था।

शाम के 7 बजे-

देवा;पप्पू से मिलने का बोलके घर से निकल जाता है।
वो ठीक शालु के घर के पीछे बने कमरे के पास जाके खड़ा हो जाता है।
रात के अँधेरे में उसे कोई देख नहीं सकता था।
कुछ देर बाद उसे दो साये उसकी तरफ आते दिखाई देते है।
वो जब पास आते है तो देवा के चेहरे पे मुसकान आ जाती है।
रश्मी;देवा को देख उससे लिपट जाती है।
बड़ा कमीना है तू मुझसे मिलके भी नहीं गया।
देवा;उसे लेके रूम के अंदर चला जाता है।
तेरी माँ मुझपे नज़र रखे हुए थी इसलिये।
पप्पू;बाहर से दरवाज़ा बंद कर देता है और चौकीदारी करने लगता है।
शालु खाना बना रही थी अचानक उसे याद आता है की रश्मि को दूध पीला दे।ससुराल जाने के बाद पता नहीं उसका कैसे नसीब होगा।
वो नीलम को रोटी पकाने का बोल के रश्मि के रूम में चली जाती है मगर उसे वहां रश्मि नज़र नहीं आती वो नीलम से पूछती है।
नीलम : मुझे वो भाई के साथ जाते हुए देख मैंने पूछी तो बोले नए कमरे में सफाये करने जा रही है मेहमान आयेंगे तो उन्हें वहां रुकायेंगे।
शालु का माथा ठनकता है क्यूंकि कुछ दिन पहले ही उसने और रश्मि ने कमरा साफ़ की थी वो अपने घर के पीछे बने कमरे की तरफ चल देती है।
उसे दरवाज़े पर पप्पू खड़ा दिखाई देता है।
शालु;तू क्या कर रहा है यहाँ और रश्मि कहाँ है।
पप्पू की तो गाण्ड ही फट जाती है शालु को वहां देख के।
माँ वो मै तो रश्मि को मेरा मतलब है मै ऐसे ही आया था।
मुझे नहीं पता रश्मि कहाँ है।
अचानक अंदर से उसे रश्मि की सिसकारियों की आवाज़ सुनाई देती है।
वो पप्पू की तरफ देखती है और उसे घर जाने के लिए कहती है।
पप्पू फ़ौरन वहां से भाग जाता है।
शालु खिडकी में से अंदर झाक के देखती है उसे यक़ीन था की अंदर देवा ही हो सकता है और उसका यक़ीन बिलकुल सही साबित हुआ।
रश्मी अपनी टाँगें खोल के नंगी पड़ी थी और देवा उसकी चूत चाट रहा था।
रश्मी;उन्हह कितना अच्छा चाटता है रे तू देवा आहह पता नहीं मेरा पति ऐसे करेंगे भी की नहीं माँ.....
देवा;अपना मुँह हटा के। वो नहीं करेंगे तो यहाँ आ जाना मेरे पास गलप्प गलप्प......
रश्मी;जल्दी कर कही माँ को पता न चल जाए।
देवा;अपने लंड को रश्मि के मुँह में डाल के गीला करता है। देवा का लंड खड़ा तो उसी वक़्त हो गया था जब रश्मि नंगी हुई थी।
रश्मी अपनी चूत को सहलाने लगती है।
एक बार जो तेरा लंड ले ले उसे बस रोज़ ये चाहिए ही ।
बाहर खड़ी शालु के कानों में उन दोनों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी और शालु का हाथ अपने आप अपनी चूत पे चला जाता है।

देवा; पीछे से रश्मि की कमर को पकड़ के अपने लंड को उसकी चूत पे लगा देता है।

रश्मी;देवा के लंड का सुपाडा अपनी चूत के मुँह में अटका देती है आहह कस के चोद। मुझे बहुत तड़प रही है मेरी चूत।
देवा;एक टाँग पकड़ के अपना लंड रश्मि की चूत में घूस्सा देता है आह्ह्ह्ह्ह।
रश्मी; उईईईईईई माँ वो तेरा लौडा है या मुसल आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;अपने लंड को अंदर तक घूसा घूसा के रश्मि को चोदने लगता है । जवान चिकनी चूत उसे भी बहुत पसंद थी।
शालु की ऑखें उस जग़ह टीक जाती है जहाँ देवा का लंड अंदर बाहर हो रहा था । देवा का लंड अंदर जाने से रश्मि की चीख़ निकल पडती जिससे देवा के लंड की ताकत का अंदाज़ा शालु लगा सकती थी।
रश्मी चीखती रही और देवा उसे चोदता रहा। दोनों बातें नहीं कर रहे थे। बस चुदाई का आनंद ले रहे थे। मगर बाहर खड़ी शालु की चूत की झड़ने लगती है।कितने दिन बाद शालू की चूत की बारिश हुई थी । उसका पति अब उसे चोदने के क़ाबिल नहीं था और उसे समभोग किये बहुत दिन हो गये थे।

रश्मी और देवा दोनों पसीने पसीने हो चुके थे और साथ में शालु भी नहा चुकी थी अपनी ही चूत के पानी में।
उसे यक़ीन नहीं हो रहा था की उसकी अपनी बेटी रश्मि इतनी बडी चूदक्कड निकलेगी।
देवा रश्मि की चूत में से लंड बाहर निकाल देता है और रश्मि को मुँह खोलने के लिए कहता है जैसे ही रश्मि मुँह खोलती है देवा अपने लंड का पानी उसके मुँह में छोड़ने लगता है।
शालु कुछ सोचते हुए वहां से चली जाती है।
WOW VERY HOT & EROTIC UPDATE
रश्मी;देवा के लंड का सुपाडा अपनी चूत के मुँह में अटका देती है आहह कस के चोद। मुझे बहुत तड़प रही है मेरी चूत।
देवा;एक टाँग पकड़ के अपना लंड रश्मि की चूत में घूस्सा देता है आह्ह्ह्ह्ह।
रश्मी; उईईईईईई माँ वो तेरा लौडा है या मुसल आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;अपने लंड को अंदर तक घूसा घूसा के रश्मि को चोदने लगता है । जवान चिकनी चूत उसे भी बहुत पसंद थी।
 

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