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MAST MAST STORY DEARदेवा; चल झुक जा।
पप्पू;आराम आराम से करना देवा तू तो एक ही बारे में खुट्टा गाड देता है।
देवा; अच्छा अच्छा बातें बंद कर।
और देवा ये कहते हुए अपने लंड को पप्पू के कमर पे मारने लगता है।
पप्पू;आह माँ।
सिसकारियां उसके मुंह से निकलती और शालु के कानो तक पहुँच जाती।
देवा;अपने लंड पे थूक लगा के धीरे धीरे लंड को पप्पू की गाण्ड में घूसाने लगता है । आह आह थोड़ा पैर चौड़े कर गांडु आह।
जैसे जैसे लन्ड पप्पू की गांड में घुस रहा है पप्पू चिल्लाने लगता है।फिर एक झटके में देवा अपना पूरा लंड पप्पू के गांड में पेल देता है।
पप्पू; आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय्य्य्य माँ मै मर जाऊँगा । आह देवा निकाल ले अह्ह्ह्हह मै हाथ से हिला देता हूँ इसे आहः।
देवा कहाँ सुनने वाला था वो तो बस अपने आँखों में शालु के गदराये हुए गाँड को सोच सोच के सटा सट लंड पप्पू के गाण्ड में पेले जा रहा था।
पप्पू की हालत ऐसी थी के कोई भी तरस खाके उसे छोड दे । पर देवा बेरहम मरद था पप्पू जानता था की जब तक देवा का पानी नहीं निकलेगा वो रुकने वाला नहीं है।
और सबसे खतरनाक बात ये थी ये देवा का पानी 20-30 मिनट तक नहीं निकलता था।
धक्कों की बरसात पीछे से शुरू थी और पप्पू की चीखें तेज़ और तेज़ होते जा रही थी।
शालु;अपनी चूत को रगडते हुए थक चुकी थी पर देवा था की पसीने में तर बतर होने के बावजूद भी बाहर निकालने को तैयार नहीं था।
20 मिनट के बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है और उसका पानी पप्पू के कमर पे गिरने लगता है और कुछ देर बाद पानी से गिला लंड पप्पू के कमर पे घीसने लगता है।
शालु तेजी से अपने घर की तरफ चल देती है
MAST MAST STORY DEARउसे यक़ीन ही नहीं हो रहा था की उसका बेटा ऐसे काम भी कर सकता है।
पर उसका दिल देवा के लंड को सोच सोच के उछल रहा था।
पप्पू अपने पेंट को पहन के लडख़ड़ाता हुआ अपने घर की तरफ चलने लगता है।
देवा उसे देख के हंसने लगता है।
अब्बे ठीक से तो चल।
पप्पू कुछ नहीं बोलता वो बोलने की हालत में नहीं था।
तभी देवा भी अपना ट्रेक्टर लेके आ जाता है और पप्पू उसमें बैठ जाता है दोनों चुप चाप पप्पू के घर की तरफ चले जाते है।
जब दोनों पप्पू के घर पहुंचते है तो शालु उन्हें दरवाज़े पे खड़े मिलती है।
उसके चेहरे पे मुसकान थी पर वो किस चीज़ की थी ये तो सिर्फ वो खुद जानती थी।
पप्पू लंगड़ाता हुआ घर में चला जाता है।
शालू :अरे बेटा क्या हुआ कहीं दर्द हो रहा है क्या किसी ने मारा क्या तुझे।
देवा;वो काकी पप्पू नीचे गिर गया था आम के पेड़ से शायद मोच आ गई है।
शालु;हाँ बेटा अब बड़े बड़े पेड़ पे चढेगा तो लगेंगा ही। देवा तू अंदर आ ना मै कुछ नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिये।
देवा;इसकी कोई ज़रूरत नहीं काकी।
शालु;अरे थक गया होगा न कितनी मेहनत करता है तू
चल बैठ।
देवा बैठ जाता है।
काकी काका कहीं नज़र नहीं आ रहे।
शालु;वो दोनों बच्चीयों के साथ शहर गए है रात तक आ जाएंगे।
देवा;शालू के मोटे मोटे ब्रैस्ट देखने लगता है।
शालु : देखता क्या है पी ले ना।
देवा;क्या।
शालु :अरे बाबा चाय ठन्डी हो जाएंगी पी ले।
देवा; चाये की चुस्की लेते हुए काकी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।
शालु;हल्के से मुस्कूराते हुए चल हट बदमाश कही के।
देवा;चाय का कप नीचे रख देता है और जाने के लिए उठता ही है की शालु उसके एकदम सामने आ जाती है।
शालु;अरे पसीना तो पोंछ लिया कर की बस दिन रात काम काम।
ओ देवा का पसीना पोंछने लगती है और साथ ही साथ अपने ब्रैस्ट देवा की छाती से रगडने लगती है।
देवा की ऑखें बंद हो जाती है और वो दोनों हाथ पीछे ले जाके शालु के कमर को ज़ोर से मसल देता है।
शालु; उई माँ क्या करता है बदमाश।
और वो चाय का कप उठाके किचन में चली जाती है।
देवा;दिल ही दिल में मुस्कराता हुआ वहां से अपने घर की तरफ चल देता है।
MAST MAST STORY DEARअपडेट 2
देवा;जब घर पहुंचा तो शाम के 5 बज रहे थे।
समने चारपाई पे देवा की माँ रत्ना और एक औरत जिसकी पीठ दरवाज़े के तरफ थी बैठी हुए थे।
देवा;उनके पास जाता है।
रत्ना;आ गये बेटा हाथ मुंह धो लो। मै चाय बनाके लाती हूँ।
वो औरत जो सेठ हिम्मत राव के घर की नौकरानी पदमा थी।
सर घुमा के देवा की तरफ देखती है।
गोरा चिट्टा भरा भरा बदन।
पदमा;देवा मुझे जागिरदार साहब ने भेजा है तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए । कुछ काम है सेठ को शायद तुमसे।
देवा;ठीक है काकी तुम बैठो मै अभी आता हूँ।
पदमा की नज़रें किसी एक्स रे मशीन की तरह थी वो देवा को पहली नज़र में ही पहचान गई थी के लौंडा काम का है।
देवा घर में चला जाता है।
रत्ना;उसके पीछे पीछे अंदर आ जाती है।
क्या बात है देवा जागिरदार साहब को क्या काम आ गया तुझसे।
देवा;पता नहीं माँ देख के आता हूँ तभी पता चलेंगा ना।
रत्ना;मुझे तो वो हवेली और वहां के लोगों से बड़ा डर लगता है बडी गंदी नज़र हैं उन लोगों की तू जल्दी घर आ जाना बेटा।
देवा;अपनी माँ रत्ना के तरफ देखता है ।
सफेद साडी में उसके ब्रैस्ट सामने की तरफ तने हुए थे
पेट एकदम गोरा गोरा और उसमें क़यामत मचाते हुए उसकी नाभी।
देवा;की नियत आज कल हर किसी पे इसी तरह ख़राब हो जाती थी वो ये भी नहीं सोचता की सामने उसकी माँ खडी है।
MAST MAST STORY DEARअरे माँ डरने की क्या बात है जागिरदार मुझे खा थोड़ी जायेगा।
रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा। वो देवा के मुंह पे हाथ रख देती है और इस वजह से वो देवा से एकदम चिपक सी जाती है।
रत्ना;के बदन से आती भीनी भीनी पसीने की खुशबु जब देवा के नाक तक पहुँचती है तो उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है ऊपर से नरम नरम जिस्म जो उसके इतने पास होकर भी दूर था।
वो एक हाथ रत्ना के कमर पे रख के उसके पेठ को हलके से दबाता है।
और अपने मुंह पे लगा हुआ रत्ना का हाथ हटा के धीरे से कहता है।
कुछ नहीं होगा माँ डरो मत।
दोनो एक दूसरे के ऑंखों में देखने लगते है।
ये नज़रों का खेल था या जिस्म की भूख दोनों एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे।
तभी बाहर से पदमा के खाँसने की आवाज़ से दोनों होश में आते है और देवा बहार चला जाता है।
थोड़ी देर बाद रत्ना चाय का कप ले के बाहर आती है
और देवा चाय का कप ले तो लेता है पर उसकी कुछ उँगलियाँ रत्ना के हाथ से अनजाने में टकरा जाती है।
इस थोड़े से छुवन से ही रत्ना के जिस्म में सरसराहट पैदा हो जाती है।
बेचारी रत्ना कई सालो से अपने बेटे को देख देख कर आहें भर रही थी।
पर देवा उसपे कोई ध्यान नहीं देता था।
ये पिछले एक महिने से देवा के रवैये में थोड़ा बहुत बदलाव आया था।
जबसे उसने रत्ना को नहाते हुए देखा था।
देवा;चाय पीने के बाद पदमा के साथ पैदल सेठ के हवेली की तरफ निकल जाता है।
पदमा;कमर मटकाते हुए सामने चल रही थी।
रास्ता बिलकुल सुनसान था। गांव का रहन सहन ही कुछ इस तरह का होता है शाम ढले सभी अपने अपने घर को लौट जाते है और कोई गली मोहल्ले में नज़र नहीं आता।
देवा;की नज़र पदमा के हिलते कमर पे ही थी।
आगे आगे चलते हुए पदमा आज थोड़ा ज़्यादा ही कमर मटका रही थी।
कुछ देर बाद दोनों हवेली पहुँच जाते है।
MAST MAST STORY DEARपदमा;देवा को एक कमरे में बैठा के अंदर चली जाती है।
देवा;इधर उधर देखने लगता है।
तभी वहां सेठ हिम्मत राव की पत्नी रुक्मणी आती है
और आके एक कुरसी पे बैठ जाती है।
देवा के मुंह में पानी आने लगता है।
नमस्ते मालकिन।
रुक्मणी बला की खूबसूरत तो थी नहीं पर रंग रूप ऐसा था की बूढ़े भी जवानी के दुआ मांगे।
नमस्ते देवा कैसे हो आज कल इधर आते ही नही।
देवा;वो बस मालकिन काम में उलझा रहता हूँ।
वो कुछ बोलने ही वाली थी की सेठ हिम्मत राव वहां आ जाते है।
देवा;उन्हें देख खड़ा हो जाता है।
हिम्मत राव;अरे बैठो बैठो देवा।
अच्छा हुआ तुम आ गये।
देवा;कुछ काम था मालिक।
हिम्मत राव;अरे हाँ तुम तो जानते हो हमारी बिटिया रानी शहर से पढाई करके अभी अभी गांव आई है हम उससे उसके जनम दिन पे एक कार भेंट करना चाहते है पर उससे कार चलाना नहीं आता । तुम ट्रेक्टर चला लेते हो तो हमने सोचा की क्यों न तुम रानी को कार चलाना सीखा दो।
हम तुम्हें इसके पैसे भी देंगे।
देवा;मालिक आपका हुकुम सर आँखों पर हम ज़रूर मालकिन को कार चलाना सीखा देंगे।
हिम्मत राव खुश हो जाते है और देवा को एक चाभी थमा देते है। ये लो देवा ये हमारे कार की चाभी है इसे तुम अपने पास ही रखो। कल से आ जाना मै रानी से कह दूंगा।
ये कहके हिम्मत राव बाहर निकल जाते है।
देवा जाने लगता है तभी वहां पदमा आती है और देवा से कहती है की रानी मालकिन तुम्हें बुला रही है ।
देवा अंदर की तरफ चला जाता है पदमा उसे रानी का कमरा दिखाती है और खुद रुक्मणी के पास चली जाती है।
जब देवा कमरे में पहुंचता है तो हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।
रानी;अपने बिस्तर पे लेटी हुई थी।
MAST MAST STORY DEARरानी;अरे वहां क्यों खड़े हो अंदर आओ।
तुम्हारा नाम देवा है।
देवा: जी मालकिन।
रानी;हम्म बस मै तुम्हें देखना चाहती थी। अब तुम जाओ और कल वक़्त पे आ जाना।
देवा;जी मालकिन।
इसके जात का बैदा मारू। साली क्या देखना चाहती थी । पर कुछ भी कहो माल एकदम शीशे के बर्तन की तरह लगता है मजा आयेंगा ।
वो दिल ही दिल में सोचता हुआ बाहर आ जाता है।
पदमा; अच्छा मालकिन मै भी चलती हूँ। खाना मैंने बना दिया है ज़रा भैंस को चारा डाल आती हूँ।
रुक्मणी;देवा के जिस्म पे नज़र घुमाते हुए ठीक है जल्दी आना।
पदमा: जी मालकिन
फिर पदमा और देवा दोनों हवेली से बाहर निकल जाते है।अंधेरा हो चुका था। रास्ते में पदमा का घर भी पडता था।
पदमा;देवा की तरफ देखते है हुए कहती है।
अरे देवा ज़रा मेरे घर चलके भैंस को खुटे से ठीक से बांध दे मुझसे तो बांधी भी नहीं जाती मुई।
देवा;ठीक है और दोनों पदमा के घर की तरफ चल देते है।
पदमा का घर गांव के एक तरफ था वो अपने पति सुखी राम के साथ रहती थी।
सुखि;एक शराबी किस्म का आदमी था । हर रात शराब पीना उसका शौक था। वो घर में कम और नाली के कचरे में ज़्यादा पड़ा मिलता था।
देवा;भैंस का खुट्टा ठीक से ज़मीन में गाड के भैंस को बाँध देता है।
लो अब ये खुट्टा कभी नहीं उखडेगा।
पदमा;कितना अच्छा खुट्टा ठोंकता है देवा तु।
देवा;मुझे ठोकना ज़्यादा अच्छा लगता है
पदमा;आगे बढ़ती है और देवा के पेंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ के कहती है ये खुट्टा ठोकेगा।
देवा;की तो जैसे लौटरी निकल आई थी
वो पदमा का चेहरा देखने लगता है।
पदमा देवा का हाथ पकड़ के घर के अंदर ले जाती है।
लालटेन के रोशनी में पदमा की लाल साडी चमक रही थी वो पीछे मुड के अपनी साडी को ठीक करती है।
MAST MAST STORY DEARदेवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में जकड लेता है।
पदमा;आहः के सिसकी के साथ सहम जाती है।
देवा;अपना हाथ धीरे धीरे पदमा के पेट पे फेरने लगता है।
पदमा अपने बदन को ढिला छोड देती है वो चाहती थी की हर काम देवा करे वो आज खुल के देवा से पिसना चाहती थी।
देवा की पकड़ पेट पे बढ़ने लगती है और वो अपने मुंह को पदमा के कानो में डालके उसकी कान चुमने लगता है।
धीरे धीरे पदमा की पीठ पे अपनी जुबान फेरने लगता है। उसे पसीने की खुशबु बहुत पसंद थी।
पदमा;सिर्फ सिसक रही थी और देवा अपना काम करने में लगा हुआ था।
देवा;पदमा को घुमा के अपने तरफ कर देता है और उसके गोल गोल मोटे मोटे नरम ब्रैस्ट को ब्लाउज के ऊपर से चुमने दबाने लगता है।
पदमा;आह उई माँ।
आहह जल्दी कर न देवा... मुझे वापस हवेली भी जाना है।
देवा;को आज वो चीज़ मिली थी जिसे वो बचपन से पाना चाहता था एक चूत। वो बिलकुल भी जल्द बाज़ी में नहीं था वो दोनों हाथों से पदमा के चुचे मसलने लगता है।
कड़क हाथों में आते ही पदमा के नाज़ुक चुचे किसी मखन की तरह पिघलने लगते है।
देवा;पदमा के ऑखों में देखने लगता है।
दोनो की धड़कने तेज चल रही थी।
MAST MAST STORY DEARदेवा;नीचे बैठ के पदमा के गोरे गोरे पेट पे ज़ुबाँन रख देता है और उसे चूसने चाटने लगता है। गलप्प गलप्प।
पदमा तड़प के रह जाती है आज देवा ने उस जगह छुआ था जहाँ आज से पहले किसी ने नहीं छुआ। पदमा का शरीर ठण्डा पड़ चूका था और चूत आग की भट्टी के तरह तप रही थी।
पदमा;आह देवा जल्दी से ठोक दे खुट्टा आह रहा नहीं जाता रे।
उसकी आवाज़ में कंपकपाहट थी और चेहरे पे हवस।
देवा;पदमा की साडी पकड़ के खोलता चला जाता है।
जीस्म से साडी अलग होने के बाद देवा उसे बिस्तर पे बैठा देता है और दोनों चूचियों कोअपने पंजे में भर के ऐसे मसलने लगता है जैसे कोई आता गूंथ रहा हो।
पदमा;आह बस कर आहः।
पदमा;देवा को पीछे ढ़केलती है और देवा पीछे गिर जाता है।
पदमा;हँसते हुए उसकी तरफ देखने लगती है।
बस निचोड़ेंगा ही या खाएँगा भी।
देवा;पदमा पे टूट पड़ता है और उसके ऊपर चढ़ के उसके जिस्म के हर हिस्से को मसलते हुए उसके मुंह में मुंह डालके होठो को चुमने लगता है गलप्प गलप्प।
दोनो रास लीला के उस मुकाम तक आ चुके थे। जहाँ से लौटना नामुमकिन था।
देवा;पदमा के ऊपर चढ़ के उसके ब्लाउज को खोलने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ ड़ालता है।
की तभी बाहर से सुखीराम की गालियों की आवाज़ आती है आज वो शराब पिके घर आ गया था और नशे में बडबडाये जा रहा था।
पदमा;घबराके अपनी साडी ठीक करती है और देवा को पीछे के दरवाज़े से बाहर कर देती है।
MAST MAST STORY DEARदेवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।
शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।
शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।
देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।
देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।
शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।
शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।
देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।
शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।
देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।
शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।
देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।
गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।
शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
अपडेट 99
तीन महीनें बाद-
......
..........
.........
वक्त किसके लिए रुका है जो यहाँ रुकता
एक एक दिन गुज़रता चला जाता है और दिन महीनो में बदल जाते है।
देवा को अपने बापू को आग दिए हुए तीन महिने बीत चुके थे। मगर अब तक हिम्मत का कोई अता पता नहीं चला था।
देवा ने हर तरफ उसे ढूंढा।
मगर वो ऐसी जगह था जहाँ देवा का पहुंचना मुश्किल था मगर नामुमकिन नही।
रत्ना भी पहले से बेहतर थी।
ममता अपने ससुराल जा चुकी थी।
साथ में प्रिया भी अपनी चूत पर देवा का निशान साथ लिए जा चुकी थी।
गांव वाले भी धीरे धीरे करके वो बात जैसे भूल गए थे। मगर देवा के लिए एक एक दिन किसी चुनौती से कम नहीं था।
देवा;जब से अपने बाप की चिता के पास से आया था।
तब से वो खोया खोया सा रहने लगा था।
सुबह उठता खेतों में चला जाता।
रात में आता और सो जाता।
ना उसे किसी से बात करना अच्छा लगता था न किसी के साथ वक़्त गुजारना।
उसकी ये हालत देख शालु नीलम और खास कर रत्ना बहुत परेशान हो गई थी।
दिन ब दिन देवा का व्यवहार और संजीदा होने लगा था
वो रत्ना की तरफ भी नहीं देखता था।
ये सोच कर की वो अपनी माँ से कैसे नज़रें मिलाए
क्यूंकि अब तक वो अपने बाप के कातिल तक नहीं पहुँच पाया था।
शालु और नीलम रत्ना के पास बैठी थी।
शालु;रत्न मुझे बहुत डर लग रहा है।
जीस तरह देवा बदल गया है मुझे उसे देख घबड़ाहट होने लगी है। तू उसकी माँ है उसे समझा।
उसे सांसरिक बना दे रत्ना वरना मुझे डर है कहीं हम देवा को खो ना दे।
रत्ना;हाँ मुझे भी उसे देख चिंता सताने लगी है
ठीक से बात भी नहीं करता।
जब देखो अपने ख्यालों में खोया रहता है।
नीलम तू उससे बात करके देख।
नीलम;माँ मैंने एक नहीं कई बार कोशिश की मगर वो मेरी एक नहीं सुनता।
कहते है जब तक अपनी माँ को दिए वचन नहीं पूरा कर लेते तब तक ऐसे ही रहेंगे।
शालु नीलम दोनों रत्ना के पास कितनी देर बैठ कर अपने घर चले जाते है और रत्ना खुद को उस वक़्त के लिए धीरे धीरे तैयार करने लगती है।
जिस बात से वो भाग रही थी।
शालु की बात रत्ना के दिल में घर कर जाती है।
उसे सबसे ज़्यादा प्यार देवा से था।
उसे ठीक करने के लिए रत्ना कुछ भी कर सकती थी
कुछ भी.......
वो खुद से पूछती है।
क्या मै सच में देवा के लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
सब कुछ।
हर वो चीज़ जो देवा चाहता है।
जब ये ख्याल उसके दिल से टकराता है तो एक चमकदार बिजली सी लहर उसके पूरे बदन में दौड जाती है।
रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है।
और अब तक जो जो देवा उसके साथ करता आया है और जो वो करना चाहता है। सब बाते उसकी आँखों के सामने से गुज़रने लगता है।
उसके हाथ अपने आप गर्दन से होते हुए उसकी चुचियों तक पहुँच जाते है।
एक मदमस्त गठीली औरत जो पिछले कई सालों से लंड के लिए तड़प रही थी।
आज रत्ना खुद को बहुत हल्का महसूस कर रही थी।
शालु की बातें उसे अंदर ही अंदर तोड मरोड़ रही थी।
शालु कुछ देर पहले उसे कहके गई थी की देवा को सांसरिक बना दे।
रत्ना;इसका मतलब अच्छी तरह जानती थी।
वो जानती थी देवा क्या देख कर वापस इस दुनिया में आ जायेगा।
वो क्या चीज़ है जिसकी महक जब उसके नाक में जाएँगी तो उसका दिमाग सारी बातें भूल कर
बस रत्ना का दिवाना हो जायेगा।
रत्ना;अपनी आँखें खोल लेती है।
और अपने रूम में कुछ सोच कर चली जाती है।
आज उसका दिल उस दिन की तरह धड़क रहा था जिस दिन देवा के बापू ने पहली बार रत्ना को सुहागरात के वक़्त नंगा किये थे।
रत्ना खुद को आईने में देखते हुए अपनी साड़ी
अपना पेटिकट अपना ब्लाउज और पेंटी उतार कर बिस्तर पर फ़ेंक देती है।
आज उसका दिल ये सब पहनने के लिए नहीं कह रहा था।
वो एक छोटा सा बाक्स खोलती है
उस बक्से में वही मंगलसूत्र था जो कुछ महिने पहले देवा ने उसे दिया था।
रत्ना;उस मंगलसुत्र को अपने हाथ में लेती है
फिर अचानक से उसे क्या होता है की वो उसे अपनी चूत पर रख कर धीरे धीरे दबाने लगती है।
उउन्ह उन्हह आह्ह्ह्ह।यही वो चूत थी जिसे कई बार देवा चाट चूका था मगर अब तक इसकी गहराई नाप नहीं पाया था।
आज रत्ना भी चाहती थी की देवा हर उस जगह पहुँच जाये जहाँ वो हमेशा से जाना चाहता था।
उधर शालु और नीलम घर पहुँच जाते है।
पिछले दो महिने से शालु और नूतन का बुरा हाल था।
देवा ने उन की तरफ एक बार भी नहीं देखा था
और पप्पू का चप्पु कभी कभार ही चलता था।
वो भी कुछ वक़्त के लिये।
उसके लूल्ली में वो ताकत नहीं था जो औरत को चीखने पर मजबूर कर दे।
दोनो औरतें अपनी चूत की आग आपस में बुझा रही थी।
नुतन को पहले ममता की चूत चाटने में मजा आता था और अब ये आदत उसने अपनी सास को भी लगा दी थी।नीलम और पप्पू के सो जाने के बाद दोनों सास बहु
शालु के रूम में रात भर नंगी रहती और अपनी चूत में बैगन डाल डाल कर उसे ठण्डा करने की कोशिश करती। मगर लंड जैसा मज़ा किसी में नहीं आता।
नुतन पप्पू नीलम और शालु को खाना देने के बाद उनके साथ खाना खाने बैठ जाती है।
नीलम और पप्पू अपनी धुन में खाना खा रहे थे मगर शालु की नज़रें बार बार नूतन के ब्रैस्ट की तरफ जा रही थी और नूतन बार बार अपने होठो को दाँतो के नीचे दबा कर शालु से कुछ कहना चाहती थी।
पप्पू और नीलम खाना खा कर रूम में सोने चले जाते है
नुतन सारे बर्तन उठा कर उन्हें धोने चलि जाती है।
शालु भी उसका हाथ बटाने उसके साथ घर के पीछे चलि जाती है।
वो लोग वहीँ अपने कपडे और बर्तन धोया करते थे।
नुतन सलवार कमीज में थी और शालु साडी में।
दोनो आस पास बैठ कर बर्तन साफ़ कर रही थी।
दोनो चुप थी मगर आँखें सब कुछ कह रही थी।
शालु;क्यूँ री छिनाल क्या देखे जा रही है कब से मुझे।
नुतन ;तेरी चूत की महक आ रही थी मुझे
वो सूँघ रही थी।
शालु; रंडी है तू नूतन मुझे पता होता तो कभी मेरे बेटे से तेरी शादी नहीं करती।
नुतन ;तुम भी कहाँ कम हो सासु माँ। देवा से भी चुदवाती हो अपने बेटे से भी और अब अपनी बहु की चूत के पीछे पड़ी हो।
शालु;चल जल्दी जल्दी साफ़ कर छिनाल कहीं की फिर तुझे बताती हूँ ।
कुछ महिनो में ये दोनों एक दूसरे के इतनी क़रीब आ गयी थी जितनी कभी सोची भी नहीं होंगी दोनों ने।
जहां नूतन अपनी सास से गाली से तो कभी प्यार से बात करती थी अकेले में । वही शालु भी नूतन की चूत में ऊँगली डाल कर उससे खूब अपनी गाण्ड और चूत चटवाती थी।
दोनो जल्दी जल्दी अपने काम निपटाकर घर में चली आती है।
पप्पू और नीलम उस वक़्त तक सो चुके थी।
दोनो जल्दी से शालु के रूम में चली जाती है और शालू झट से नूतन का हाथ पकड़ कर उसे अपने बिस्तर पर गिरा देती है।
शालु; छिनाल रंडी अब बता तेरी चूत।
बहुत बातें कर रही थी न ।कल रात भी तुने मेरी चूत को इतने ज़ोर से काटी की अब तक दुःख रही है।
नुतन ;अपनी सलवार कमीज उतार कर नंगी हो जाती हैओर शालु की साडी के अंदर अपने हाथ डाल कर अपने हाथ को उसकी फुली हुई चूत पर रख देती है।
शालु;अंदर कुछ नहीं पहनती थी।
जब से दोनों सास बहु एक दूसरे की चूत की दिवानी हुई थी तब से दोनों अंदर कुछ नहीं पहनती थी।जब मौका मिलता शालु अपनी साडी उठा लेती औरनूतन कुतिया की तरह उसकी चूत सूँघते हुए वहां चली आती और अपनी ज़ुबान से शालु की चूत चाटने लगती।दोनो सास बहु पूरी तरह नंगी हो चुकी थी और बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर चूत से चूत और चूचि से चूचि रगड रही थी।
नुतन ;अपनी दो उँगलियाँ शालु की चूत में घुस्सा देती है।
छिनाल सासु है तू मेरीदेवा से चुदवा नहीं सकती तो मेरे पीछे पड़ी है।
आह्ह्ह।
शालु;हरामज़ादी उन्हह इतनी अंदर मत घुस्सा आह्ह्ह
दरद होता है ना।तेरी माँ ने यही सीखा कर भेजी थी तुझे की अपनी सास की चूत और गाण्ड चाटना आह्ह्ह्ह।
नुतन;हाँ मेरी माँ ने यही सीखा कर भेजी थीवो अपने होठो को शालु के होठो पर रख देती है।
और दोनों सास बहु एक दूसरे की चूत को सहलाते हुए होठो को खोल कर मुँह में ज़ुबान डाल कर एक दूसरे का थूक चाटने लगती है।गालपप गलप्प।
शालु;आहह बिटिया आहह गलप्प गलप्प
नुतन;मेरी चूचि का दूध पियो न सासु माँ....मुझे बहुत अच्छा लगता है जब तुम खीच खीच कर उसे पीटी हो आह्ह्ह्ह्ह्ह।
शालु;उठ कर बैठ जाती है।
दोनो हाथों में नूतन के बड़े बड़े संतरो को पकड़ कर पहले उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगती है औरजब वो हाथों में नहीं समाते तब अपने मुँह उन दोनों पर बारी बारी लगा कर नूतन के निप्पल्स को अपने मुँह में लेकर उसे चुसने लगती है।
नुतन; अपना एक हाथ नीचे डाल कर शालु के ब्रैस्ट को मसलने लगती है।
दोनो औरतें लंड की आस में इतनी गरम हो चुकी थी की उन्हें पता भी नहीं था की उन्हें पप्पू देख रहा है।
शालु;बिस्तर पर लेट जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
आजा मेरी छिनाल अपनी माँ की चूत में घुस जा।
नुतन ;मुस्कुराते हुए अपनी ज़ुबान से पहले ढेर सारा थूक शालु की चूत पर गिराती है और फिर उसी थूक को शालु की चूत के पानी के साथ चाटने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प।
शालु;आहह मेरी गाण्ड में भी ज़ुबान डालल आह्ह्ह्ह।
बिटिया धीरे ना।
नुतन;बहुत मीठी चूत है सासु माँ तेरी गलप्प गलप्प आअह्हह्हह्हह।वह हलके से शालु की चूत के दाने को काट लेती है जिसकी वजह से शालु की कमर ऊपर की तरफ उठती चलि जाती है
पुरा बदन ऐठने लगता हैऔर शालु की आँखों के सामने देवा का लहराता हुआ लंड घुमने लगता है।
शालु;मुझे चोद मेरी बिटिया आह्ह्ह्ह।
आह देवा को बुला ला ना।आह माँ आआआआआ।
नुतन ;अपनी ज़ुबान को नीचे लाते हुए शालु की गाण्ड भी चाटने लगती है।
शालु;इशारे से नूतन को अपनी कमर उसके मुँह की तरफ करने के लिए कहती है और जैसे ही दोनों ६९ की पोजीशन में आ जाते है।शालु भी नूतन की चूत पर टूट पडती है और पूरे रूम में सिसकारियों की आवाज़ें गूँजने लगती है।दरवाज़े पर खड़ा पप्पू ये देख अपनी लूल्ली को सहलाने लगता है।
आज पहली बार उसका लंड भी इतना बड़ा हो गया था जैसा कभी नहीं हुआ था।
शायद अपनी माँ और पत्नी को इस हालत में देख उसके लंड ने भी जवानी की करवट मारी थी।
पप्पू;बिना आवाज़ किये रूम में चला आता है।
उधर देवा खेत से घर आ चुका था।
वो रत्ना को आवाज़ देता है।
देवा;माँ कहाँ हो खाना दे दो बहुत भूख लगी है।
अचानक दरवाज़ा खुलता है।
और हुस्न की मल्लिका
अपने पूरे शबाब में बाहर निकालती है।
हाथों में हरी हरी चूडियाँ।
बदन पर सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहने हुए।
गले में देवा का दिया हुआ मंगलसुत्र।
होंठो पर मुस्कान लिए वो देवा की तरफ बढ़ती है।
देवा ने इससे पहले उसे कभी इस हाल में नहीं देखा था।
आज वो स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी।
रत्ना;अपनी जवानी के दिनों में जितनी खूबसूरत लगती थी आज वो वैसे ही लग रही थी।
देवा का मुँह खुला का खुला रह जाता है।
उसके माथे पर पसीना आने लगता है।
सबसे ज़्यादा हैरत उसे इस बात की थी की आज रत्ना ने मंगलसुत्र पहनी थी।
रत्ना;देवा के क़रीब आती है।
भूख लगी है ना।
बोल क्या लेगा।
वो अपने दोनों ब्रैस्ट को हलके से हिलाते हुए देवा की तरफ देखते हुए कहती है।
देवा;सब कुछ भूल जाता है।
रत्ना के बदन से आती हुई महक उसे दिवाना बना रही थी।
उसे पहले तो यक़ीन नहीं हो रहा था की वो रत्ना ही है और जब यक़ीन हुआ तो पैरों तले की ज़मीन खिसक गई थी।
देवा;खाना खाने बैठ जाता है।
और रत्ना उसे खाना परोस कर उसके सामने बैठ जाती है।
देवा;बार बार रत्ना की तरफ देख रहा था।
रत्ना;आज बहुत गर्मी है ना देवा।
ये कहते हुए रत्ना अपने ब्लाउज के ऊपर के तीन बूटनों में से दो खोल देती है।
बाहर आने को बेताब ब्रैस्ट आधे से ज़्यादा बाहर की तरफ आ जाते है।ब्रा नहीं होने की वजह से रात के अँधेरे में भी रत्ना के दोनों ब्रैस्ट जुगनू की तरह चमक रहे थे।
देवा;आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
माँ आआआआ.....
रत्ना;हलके से मुस्कुरा देती है।
और देवा की बात अनसुनी करके इधर उधर देखने लगती है।
देवा;तुमने मेरा मंगलसूत्र पहना है रत्ना।
रत्ना;हाँ ये पड़े पड़े ख़राब न हो जाये इसलिए मैंने सोची इसे पहन लेती हूँ।
अब जब इसे देने वाला तैयार है तो मै इसे क्यों न लूँ।
अपने गले में।
इसलिए पहन ली अच्छा लग रहा है न।
देवा;बहुत सुन्दर लग रहा है तेरे गले में।
रत्ना;देवा के सामने झुकती है।
और कुछ लेगा इतना कम क्यों खा रहा है।
ऐसे खाएगा तो जल्दी थक जायेगा।
बहुत मेंहनत करनी है तुझे देवा।
वो देवा की आँखों में झाँकते हुए कहती है।
देवा;अगर ऐसी बात है तो मुझे दूध दे दे माँ।
दूध से मुझे बहुत शक्ति मिलती है और काम में भी मन लगा रहता है।
रत्ना;दूध तो अभी कच्चा है मैंने तपाया नही।
देवा;मुझे कच्चा दूध सबसे अच्छा लगता है माँ।
रत्ना;देवा के पास आकर अपना हाथ सीधा उसके लंड पर रख कर ज़ोर से दबा देती है।
क्या बच्चे जैसा माँ माँ लगा रखा है।
बड़ा हो गया है अब तु।
तेरी रत्ना तेरे नाम का मंगलसुत्र पहन सकती है और तू अब भी बच्चा बना हुआ है।
जा मै तुझसे बात नहीं करती।
ये कहकर रत्ना बनावटी ग़ुस्सा दिखाते हुए अपने रूम में चली जाती है।
देवा;खाना ख़तम करके नहाने चला जाता है।
जब वो नहा कर अपने रूम में आता है तो उसे खुद में बहुत बदलाव नज़र आता है।
उसका जिस्म एकदम पत्थर की तरह सख्त हो चूका था और लंड था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
वो कपडे पहनने लगता है मगर फिर न जाने क्यों अपने बदन पर सिर्फ टॉवल लपेट कर रत्ना के रूम में चला जाता है।
जब वो रत्ना के रूम में पहुँचता है तो रत्ना
बिस्तर पर पड़ी नज़र आती है।
वो उसके पास जाकर बैठ जाता है।
और धीरे से उसे आवाज़ देता है।
रत्ना..........