Incest हाय रे ज़ालिम................

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WOW SUPER HOT AND EROTIC UPDATE
कौशल्या धीमी आवाज़ में ममता से कहती है अपने भाई का तिलक कर दे ममता।

ममता ;कैसे भाभी।
कौशल्या;अपने मुँह में ले के। ममता;नहीं ना भाभी....
कौशल्या;अरे शरमाती क्यों है तू ही तो कह रही थी मुझसे की तू अपने भाई से प्रेम करती है।
और अब शर्मा रही है।
कौशल्या;चल ले मुँह मे।
कौशल्या; इस पर राखी नहीं बांधेंगी ममता।

ममता; हाँ बांधूंगी ना।
ममता थाली में से राखी उठाके देवा के खड़े लंड पर बांध देती है।
राखी से बँधा लंड चमक रहा था । पास में बैठी ममता जैसे ही खड़ी होती है उसकी सलवार खुली होने की वजह से निचे उतर जाती है और वो सिर्फ अपने पेंटी में रह जाती है।

अपनी चूत पर दोनों हाथ रखे उसे बहुत शर्म आ रही थी।
कौशल्या पीछे से ममता को पकड़ के उसके ब्रैस्ट मसलने लगती है और देवा अपने हाथ से ममता की पेंटी उतार देता है।
कौशल्या; देवा देर मत कर लगा दे भोग अपनी बहन को।चोद डाल इस कच्ची कलि को और बना ले इसे अपनी रांड।

देवा;ममता के दोनों पैर खोल देता है और अपना मोटा लंड अपनी बहन की चूत पर घीसने लगता है जैसे कोई कसाई बकरा काटने से पहले छुरी तेज़ करता हो।
देवा;डाल दूँ ममता तेरी चूत मे।
ममता;हाँ भैया डाल दो । बना दो मुझे लड़की से औरत। लगा दो मुझपर अपनी मोहर खोल दो मेरी चूत को।

तभी देवा अपने लंड को अपनी बहन ममता की फूली हुई कुँवारी चूत के छेद पर अपने लंड को रखकर एक जोर का झटका मारता है।देवा का लंड उसकी बहन की कुँवारी फूली हुई चूत को चिड़ता फाड़ता हुआ देवा का लंड ममता की चूत में फँस जाता है।
माँ ओह्ह्ह आह्ह्ह्ह आहह मर गई मर गई उह ओह माँ भइया बाहर निकाल लो ना उन्हह......
देवा पुरी ताक़त से अपना लंड अपनी बहन की चूत में घुसा देता है और उस दर्द से ममता बुरी तरह चीख़ पडती है।
चुत का पर्दा फट जाता है । ममता की चूत से ढेर सारा खून बहने लगता है।
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WOW MAST UPDATE
कौशल्या देवा की तरफ देखती है और बिना कुछ बोले अपनी चूत को ममता के होठो के पास ले जाती है।

ले चाट इसे।
ममता;अपने होठो के क़रीब इतनी चिकनी चूत देख के और ज़्यादा चुदासी होने लगती है। नूतन की चूत कई बार चाट चुकी थी ममता । आज भाभी की चूत कैसे छोड सकती थी।
ममता; एक हलकी से थपकी कौशल्या के चूत पर मारके झट से अपने होंठ उसकी चूत पर लगा देती है और काशी का जिस्म अकड़ता चला जाता है । नीचे से देवा के लंड के जबरदस्त धक्के और ऊपर से कौशल्या की चूत दोनों सुराख़ ममता के जैसे बंद हो गये थे।
देवा;एक थप्पड कौशल्या की कमर पर मारता है।
कौशल्या;आहह अपने जिस्म को ढीली छोड़ते हुए देवा को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगती है।
कौशल्या दोनों हाथों से ममता के सर को पकड़ लेती है और फिर सुर्र की आवाज़ से उसकी चूत से पेशाब सीधा ममता के मुँह में गिरने लगता है। अचानक से अपने मुँह में खारा खारा पानी आने से पहले तो ममता कुछ समझ नहीं पाती और जब उसे समझ में आता है तो वो और अंदर तक अपनी ज़ुबान डाल के कौशल्या का पेशाब पीने लगती है।
इस तरह कौशल्या की चूत से पेशाब पीता देख देवा के लंड में खतरनाक तौर पर जोश आ जाता है और वो अपनी बहन की दोनों टांगों को हवा में उठाके ममता को चोदने लगता है।
ममता कुछ नहीं कर सकती थी। उसके मुँह में कौशल्या का पेशाब गिर रहा था और चूत में देवा का लंड उधम मचा रहा था।

जैसे ही कौशल्या अपनी चूत ममता के मुँह से हटाती है। देवा ममता के सर को पकड़ के उसे बैठा देता है और अपने लंड को उसकी चूत से निकाल के उसके मुँह के सामने ले आता है।
देवा;आहह पेशाब तो पी ली अब भाई के लंड का शहद भी पी जा मेरी प्यारी बहना।
ये कहते हुए वो अपने लंड का गाढा गाढा सफेद पानी ममता के मुँह में निकालने लगता है।
देवा जानता था की चूत में पानी निकालना खतरनाक हो सकता है उसकी पानी से औरत बहुत जल्द माँ बन सकती है इतनी ज़्यादा पानी में ढेर सारे बच्चा पैदा करने वाले जीव होते है।
देवा उस रात इतने जोश में था की वो कौशल्या को एक और बार चोदता है जिससे झड़कर कौशल्या सो जाती है और ममता को अपनी बाँहो में भर लेता है।

दोनों एक दूसरे को चूसने लगते है।कौशल्या की चुदाई देखकर ममता फिर से गरम हो चुकी थी। वह देवा के लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगती है।जल्दी ही देवा का लंड फिर से फ़ुफ़कारने लगता है और देवा ममता को अपनी गोद में उठा लेता है और अपना मोटा लंड ममता की चूत में पेल देता है।देवा खड़े खड़े ममता को चोदने लगता है।
गोद में उठाके खड़े खड़े कितनी देर चोदता रहता है।काफी देर तक चोदने के बाद देवा ममता को कुतिया बना देता है और पीछे से उसकी चूत में लंड पेलकर चोदने लगता है।जब लंड ममता की बच्चेदानी तक पहुचंने है तो ममता फिर से झड़ने लगती है।देवा भी अब झड़ने वाला था।वह अपना लंड ममता की चूत से निकाल कर उसके मुँह में पेल देता है और झड़ने लगता है।देवा का सारा माल चाट चाट के ममता पी जाती है।
इस चुदाई से ममता की झिझक ख़तम हो गई थी और उसकी उत्सुकता और बढ़ गई थी।
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रत्ना के आँसू थे की रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
उसे बार बार यही सोच आ रही थी की कही उसका एकलौता बेटा देवा भी अपने बापू की तरह तो हमेशा हमेशा के लिए नहीं चला गया।
अगर ऐसा हुआ तो वो किसके लिए ज़िंदा रहेंगी उसके खानदान का एकलौता चिराग कही वक़्त की आंधी उसे भी तो अपने साथ उड़ा के नहीं ले गई।
वो खुद को ही कोसने लगती है की आखिर उसने देवा को इतनी बुरी तरह क्यों मारा और आखिरी वक़्त में उसे घर वापस न आने के लिए क्यों कहा।
पप्पू;भी रत्ना को दिलासा दे रहा था। शालु भी पास में बैठी रत्ना के ऑसू पोंछ रही थी मगर घर में जैसे मातम सा छ गया था।
पुरा गांव सकते में था की आखिर देवा अचानक से कहाँ चला गया।
सभी ये जानना चाहते थे की आखिर वो क्या बात हुई की सबसे हँसके बोलने वाला देवा ख़ामोशी से कही चला गया।
रत्ना के घर के बाहर गांव के कुछ लोगों में खुसुर फुसुर शुरू हो गई थी।
कोई कहता की उसका बाप भी ऐसे ही चला गया था और फिर कभी नहीं आया।
कोई ये बोल रहा था की किसी दूसरे गांव वाली लड़की के चक्कर में घर से भाग गया। अपनी माँ और बहन की ज़रा भी चिंता नहीं है।
पदमा;को जब देवा के ग़ायब होने की बात पता चली तो वो भागते हुए रत्ना के पास आ पहुंची उससे जानने के लिए की बात क्या है।
मगर रत्न और ममता कुछ भी बताने के स्थिति में नहीं थी।
देवा के ग़ायब होने की बात आग के चिंगारी की तरह पूरे गांव में पता चल चुकी थी। भला हवेली तक ये चिंगारी कैसे नहीं पहुंचती।
हिम्मत राव के एक नौकर ने हिम्मत को देवा के ग़ायब होने के बारे में जब बताता है तो हिम्मत के चेहरे पर एक चमक सी आ जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है।
वो दिल ही दिल में सोचने लगता है की उसके रास्ते का कांटा हमेशा हमेशा के लिए चला गया।
हिम्मत की बुरी नज़र न सिर्फ रत्ना पर थी बल्कि देवा के वो बाग वाली ज़मीन पर भी।
हिम्मत राव की गन्दी नज़र थी। पूरे गांव में एक हिम्मत के पास और देवा के पास सब से उपजाऊँ ज़मीन थी।
और हिम्मत राव हमेशा से चाहता था की वो ज़मीन भी उसे मिल जाए।
और अब देवा के चले जाने की बात सुन कर उसे अपना वो खवाब पूरा होते हुए नज़र आ रहा था।

पप्पू; रत्ना से कहता है
काकी हमने गांव के हर घर वालों से पूछ लिया है मगर देवा का किसी को कोई पता नहीं बस एक घर रह गया है।
रत्ना; किसका।
पप्पू;वैध जी का कही वहां तो नहीं गया देवा।
रत्ना;उठ के बैठ जाती है।
हाँ हाँ वही गया होगा चल मै भी साथ चलती हूँ।
पप्पू;नहीं काकी मै और मेरे दोस्त देख आते है।
रत्ना;नहीं नहीं मुझे भी साथ ली चल बेटा।
पप्पू;ठीक है चलो फिर।
और रत्ना ;पप्पू और उसके दोस्तो के साथ वैध जी के घर की तरफ चल पडते है।
जब वो सभी वहां पहुँचते है तो उन्हें वैध और उसकी बहु किरण ऑंगन में दिखाई देते है।
इतने सारे गांव वालों को एक साथ देख वो थोड़े घबरा से जाते है।
रत्ना;किरण के पास जाती है।
किरण;क्या बात है माँ जी।ये सब लोग यहाँ क्या कर रहे है।
किरण;रत्ना को जानती थी। देवा की माँ होने के कारन किरण उसकी बहुत इज्जत भी करती थी।
मगर रत्न को देवा और किरण के रिश्ते के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।
रत्ना;किरण बिटिया मेरा देवा यहाँ आया है क्या।
किरण;हाँ आया था।
रत्ना;कब कहाँ है वो मुझे उसके पास ली चलो।


किरण;माँ जी देवा कल रात में यहाँ आया था किसी ने उसे बहुत बुरी तरह से पीटा था।
उसके सर में से खून भी निकल रहा था मैंने और बापु ने उसकी मरहम पट्टी की उसके बाद उसे यही सोने के लिए ऑगन में चारपाई लगा दी।
मगर जब सुबह देखा तो वो यहाँ नहीं था पता नहीं कहाँ चला गया।
बैध जी;हाँ बिटिया उसकी तबियत बहुत ख़राब थी। तेज़ बुखार भी था कुछ जड़ी बुटियों का खुराक़ दिया था
मैने उसे। मगर उसे आराम की बहुत ज़रुरत थी सुबह वो नहीं दिखा तो हमने सोचा की शायद वो घर चला गया होगा।



मै तुमसे पुछने आने ही वाला था उसके बारे में।
ये सुन के रत्ना वही बैठ जाती है।
उसे रात की घटना फिर से याद आ जाती है किस बुरी तरह उसने लकड़ी से देवा की पिटाई की थी।
देवा का खून भी निकल रहा था ये सोच सोच के रत्ना का दिल दहलने लगता है।
पप्पू और उसके दोस्त मिलकर रत्ना को समझा बुझा के घर ले आते है।

दूसरी रात घिर आई थी मगर सिर्फ देवा के बारे में इतना पता चला था की उसे सर पर चोट लगी थी।
और वो ज़ख़्मी है मगर उसे किसने मारा यही बात गांव के हर आदमी के दिल ओ दिमाग में उलझन पैदा कर रही थी।
पदमा;हवेली में जाके रुक्मणी को देवा के ग़ायब होने की खबर सुनाती है। वो सुनके रुक्मणी बेचैन सी हो उठती है।
सुबह की मार से उसे इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी देवा की खबर सुनकर हुई।



रुक्मणी;पदमा तू उसके घर जा न और पता कर न की वो घर आया है के नही।
पदमा;मालकिन उसकी माँ का रो रो के बुरा हाल है।
बैध के घर गया था वो कहते हैं उसके सर पर मार भी लगी हुई थी और तेज़ बुखार भी था।
पता नहीं किस हाल में पड़ा होंगा बेचारा सोच सोच के तो मेरा दिल बैठा जा रहा है।
रुक्मणी; तू जा घर जा और मुझे सुबह जल्दी से आके अच्छी खबर सुना की वो घर आ गया है। जा ना जल्दी।
पदमा; वापस रत्ना के घर की तरफ चली आती है और रुक्मणी की ऑखों से नींद ग़ायब हो जाती है।
वो अपनी पिटाई जैसे कुछ पल के लिए भूल गई थी।
रात के १० बज गए थे। एक एक करके गांव वाले अपने अपने घर लौटने लगते है । शालु भी घर आ जाती है।
मगर नीलम वही ममता का हाथ पकडे दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए बैठी हुई थी।
दोनो के दिल की हालत उस वक़्त वही समझ सकता था जिस ने कभी न कभी किसी न किसी से सच्ची मोहब्बत किया हो।
इधर हवेली में रुक्मणी बिस्तर पर देवा की याद में करवटे बदल रही थी। उधर रानी बाथरूम से नहा कर बाहर निकलती है।
और अपने रूम में हिम्मत राव को देख कर उसका खून खौल उठता है।
मगर वो कुछ नहीं कहती और चुपचाप आकर बेड पर बैठ के अपने बाल सुखाने लगती है उसने सिर्फ टॉवल बांध रखी थी।

उसे अब तक देवा के बारे में पता नहीं था । उसे तो इस बात पर गुस्सा आ रहा था की हिम्मत राव ने रुक्मणी के साथ साथ उसकी भी पिटाई कर दिया था और शायद हिम्मत भी अपनी इसी गलती को सुधारने उस वक़्त वहां मौजूद था।

हिम्मत; क्या बिटिया नाराज़ है हमसे।
रानी;सर उठाके उसके तरफ देखती है मगर कुछ नहीं कहती।
हिम्मत; अच्छा बाबा देख अब हँस भी दे। अरे मेरी जान तू बीच में नहीं आती तो मै तेरे साथ ऐसा कुछ करता क्या। हाँ इधर आजा मेरी बाहों में।
रानी; हटो भी बापू सब जानती हूँ मै आपके बारे में। सुबह मार पिटाई और रात में घिसाई।
हिम्मत;रानी की टॉवल खीच देता है इससे पहले की रानी उसे पकड़ पाती वो जिस्म से अलग हो जाता है और नंगी रानी हिम्मत के सामने आ जाती है।
रानी के जिस्म पर हिम्मत की मार के ज़्यादा निशान नहीं थे। क्यूंकि सबसे ज़्यादा मार तो रुक्मणी को पड़ी थी।

हिम्मत;अपनी धोती कुर्ता उतार के फ़ेंक देता है और रानी की तरफ बढ़ता है मगर रानी पीछे सरकती चली जाती है।
रानी;मेरे पास मत आइये मै बोल देती हूँ बापु।
हिम्मत;क्यूँ मेरी जायदाद है तू जो चाहे वो मै करूँ चुप चाप यहाँ आजा।
रानी;नहीं आऊँगी और अगर ज़ोर ज़बर्दस्ती करेंगे तो मै चिल्लाऊँगी।
हिम्मत;चिल्ला।
हिम्मत रानी का हाथ पकड़ के उसे बेड पर अपने साथ गिरा देता है वो झटपटाने लगती है।
मगर हिम्मत की मज़बूत बाहों से रानी निकल नहीं पाती और थोडी देर हाथ पैर मारने के बाद वो निढाल सी हो जाती है।
हिम्मत;कहाँ लगा है मेरी बिटिया को।
रानी;इतनी बुरी तरह से मारा है आपने बापू जैसे जानवर को मारते है।
हिम्मत;ज़रा देखने दे मुझे भी।
ये कहके हिम्मत रानी के जिस्म पर सवार हो जाता है और सर से चुमता हुआ नीचे चूत तक पहुँच जाता है।
जैसे ही हिम्मत के होंठ रानी की चूत से टकराते हैं रानी अपनी ऑंखें बंद कर लेती है। प्यासी चूत में फिर से पानी आने लगता है।
रानी;आहह बापू वहां नही ना उन्हह ......

हिम्मत;बहुत सूखि सूखि लग रही है बिटिया।
रानी;हैं सूखि है वो। उसे ढेर सारा मीठा मीठा पानी चाहिए अपने बापू के लंड का आहह बाप्पु।
चूत की आग ने रानी को ये भुला दिया था की सुबह वो अपने बापू से बहुत नाराज़ थी।
हिम्मत;रानी की चूत को चाट चाट के लाल कर देता है और जब पहला पानी रानी की चूत से बहने लगता है।
हिम्मत उसे भी अपने मुँह में उतारने लगता है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
पानी पीने के बाद जैसे ही हिम्मत रानी के बगल में आके लेटता है रानी हिम्मत के लंड के पास चली जाती है और उसे अपने होठो से चूम के जगाने की कोशिश करती है।

हिम्मत;ऐसे नहीं बेटी अपने गरम मुँह में ले ले इसे बहुत दिन हुए तूने नहीं चाटा मेरे लंड को।

रानी;आप देते कहाँ हो जब देखो बिंदिया के पास पड़े रहते हो।
हिम्मत;रानी का मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में लंड पेल देता है।
और रानी अपने बापू का लंड कई दिनों के बाद अपने मुँह की गहराइयों में उतारते चलि जाती है गलप्प गलप्प गलप्प.....
हिम्मत;आहह सली बहुत बडी छिनाल है तू आह्ह्ह्ह।
ऐसे लंड चुसती है जैसे कोई धंधे वाली रंडी हो।
रानी;कितने धंधे वालियों के पास जाते हो बापू गलप्प गलप्प।
हिम्मत;तेरी माँ की साली आहह धीरे बिटिया ऐसे नही ना।
रानी;अपनी पिटाई का सारा ग़ुस्सा अपने बापु के लंड पर निकाल लेती है और उसे चूस चूस के खड़ा कर देती है।
हिम्मत;चल आ जा तेरी इससे पिटाई करता हूँ ज़रा।
रानी;इससे पिटाई के लिए तो मै हमेशा तैयार हूँ बापु
हिम्मत;रानी के पैर खोल देता है और अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के
रानी के होठो को चुमते हुए लंड अपनी बेटी की चूत में सट से घुस्सा देता है।

रानी की सूखि चूत पर जैसे कोई किसान हल सा चला देता है और रानी हिम्मत के प्यार में सब कुछ भूलते हुए अपनी टाँगें उसकी कमर से लपेट लेती है।
रानी;आहह बापू अब से रोज़ चाहिए मुझे अगर नहीं दिए ना।
आह तो जान से उन्हह मार दूंगी बोल देती हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हीम्मत भी अपनी कमर को नीचे ऊपर करने लगता है हाँ बिटिया आह
रोज चोदेगा तेरा बापू तुझे। बस तू मेरे और तेरी माँ के बीच में मत आना।
रानी;नहीं आऊँगी बापू आज के बाद कभी नहीं आऊँगी आह्ह्ह्ह्ह।
एक तरफ बाप और बेटी का मिलाप हो रहा था और दूसरी तरफ बेटे के चले जाने का मातम मानाया जा रहा था।
 

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