Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;अपने खेत में अपने दोस्त पप्पू के साथ बैठा हुआ था।
सामने पप्पू की कुछ बकरियाँ और बैल चारा खा रहे थे।

आज देवा का मूड कुछ उदास सा था।

पप्पू;क्या बात है देवा बड़ा गुमसुम सा बैठा है।

देवा;अरे यार साली ये भी कोई ज़िन्दगी है सुबह खेत में जाओ दिन भर काम करो और रात को खाना खाके सो जाओ।
इससे अच्छा तो मै कोई बकरा होता कम से कम दिन रात किसी न किसी की बकरी को ले रहा होता।

ओ देख सामने तेरा बकरा कैसे बकरी के ऊपर चढ के घूस्सा रहा है।

पप्पू;उदास मत हो देवा हर कुत्ते का टाइम आता है
अपना भी आयेंगा।

देवा;ये बात सुनके खिलखिलाके हंसने लगता हैं।
साले तू बहुत बड़ा गांडु है।
चल ये बता वो हिम्मत राव की लौंडिया कैसी है।
सुना है कल ही शहर से पढ़ के गांव आई है।
बचपन में देखा था उसे साली बडी चिकनी दिखती थी।
एक दो बार तो छुपा छुपी के खेल में मैंने उसे कस के निचोड़ा था।

पता नहीं उसे याद भी होंगा की नही।

पप्पू;माल तो एक से एक है गांव में पर साली कोई भाव नहीं देती।

देवा;दिल ही दिल में ।
तेरी माँ कम गदराया हुआ माल है क्या।
साली एक बार दे दे बस तो मजा आ जाए।

देवा;वैसे तू क्या करेंगा किसी लड़की को पटा के।
साले तेरा तो इतना छोटा है की किनारे से घुम के वापस आ जाए।

पप्पू;अपना चेहरा इधर उधर घुमाने लगता है।
मुझे जाना है वरना माँ ढूँढ़ते ढूँढ़ते यहाँ तक आ जाएगी।

देवा;पप्पू;के कमर पे हाथ फेरने लगता है।
आज बड़ा दिल कर रहा है पप्पु।
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पप्पू घबरा जाता है उसे पता था देवा का इशारा किस तरफ है।
नही देवा दो दिन पहले तूने बड़ा दर्द दिया है मुझे अभी तक दुःखता है।

देवा;पप्पू को अपनी तरफ खिचता है।
साले नाटक तो ऐसे कर रहा है जैसे तेरी माँ की चूत मांग रहा हूँ।
चल जल्दी कर वरना कोई आ जायेंगा।

पप्पू का दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।
पिछले 1 साल पहले शुरू हुआ ये खेल अब देवा के लिए आये दिन की बात थी।
लौंडिया तो कोई हाथ नहीं चढती थी तो पप्पू से ही काम चलाना पड़ता था।

वैसे पप्पू था भी बिलकुल लड़की जैसा।
नाजुक नाज़ुक हाथ पैर पतली सी कमर गोरा चिट्टा जिस्म।

देवा की नज़र तो पप्पू की दोनों बहनो और उसकी माँ शालु पे टिकी हुई थी पर वो सबसे पहले पप्पू को अपनी ऊँगली पे नचाना चाहता था । वो जानता था ये एक बार उसके चंगुल में फँस गया तो वो सब भी नीचे एक दिन आ जाएंगी।

देवा को तो शौक चेरी का था पर अभी तक कोई उसके नीचे आके नहीं पीसी थी।
इससे लिए पप्पू का पो पो बजाता रहता था।

पप्पू की माँ शालु अपने बेटे को ढूँढ़ती ढूँढ़ती देवा के खेत तक आ पहुंची थी । वो बस पप्पु को आवाज़ देने वाली थी की उसे सामने देवा पप्पू के कमर पे हाथ फेरता हुआ और उसे अपने गोद में बैठा के उसके गाल को अपने दाँतो से काटता हुआ नज़र आता है वो वही रुक के सामने का नज़ारा देखने लगती है।

देवा;पप्पू को अपने गोद में बैठा के उसके पेंट के बटनों को खोल के अपना एक हाथ उसके कमर पे रख के हलके हलके उसके नरम कमर को दबा रहा था।

और पप्पू देवा से चिपक के ठण्डी ठण्डी साँसे ले रहा था।

पप्पू;आह जाने देना देवा । कोई देख लेगा आह।

देवा देखने दे कुछ नहीं होता मेरे खेत में कोई नहीं आता।

पप्पू;पर देवा मुझे बहुत दर्द होता है तेरा कितना बड़ा है।

देवा; साले लेते वक़्त तो गाण्ड ऐसे हिलाता है जैसे और जम के लेना है तुझे चल आजा ऊपर।

और देवा वही एक चादर पे लेट जाता है।
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पप्पू;पहले खुद के और फिर देवा के सारे कपडे निकाल देता है।

देवा;चल जल्दी कर।

पप्पू;देवा के लंड को हाथ में ले के सहलाने लगता है।
धीरे धीरे देवा का लंड खड़ा होने लगता है।

पप्पु की गाण्ड आवाज़ दे रही थी। वो भी अपना मुंह खोल देता है और देवा का लंड पप्पू के मुंह में घुस जाता है और पप्पू देवा का लंड चूसने लगता है।
गलप्प गलप्प.....




देवा अपना सर जोश में इधर उधर करने लगता है की तभी उसकी नज़र शालु पे पड़ती है जो पेड़ के पीछे छुपी ये सब देख रही थी।

देवा की गाण्ड फ़टी की फ़टी रह जाती है पर अगले ही पल उसे एहसास होता है की शालु का एक हाथ उसके चूत पे है और वो ऑंखें फाड़े पप्पू को नहीं बल्कि देवा के लंड को देख रही है जो पूरी तरह तन के 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा हो गया था।

पप्पू का पूरा मुंह भी देवा के लंड को अपने मुंह में नहीं ले पा रहा था। वो बार बार साँस लेने के लिए उसे बाहर निकाल लेता और हर बार शालु देवा के पूरे लंड का दीदार अच्छे से कर लेती।

देवा;आह बस कर साले आह।

पप्पू पे कोई असर नहीं होता वो तो बस देवा के लंड में खो चुका था।
गलप्प गलप्प गलप्प।

देवा थोड़ी ज़ोर से बोलता है।
अब्बे तेरी माँ को चोदूँ पप्पू छोड़ दे वरना दोनों माँ बेटे को एक साथ चोदुँगा आह।

ये आवाज़ शालु के कानो तक पहुँच जाती है और उसकी उँगलियों का दबाव चूत के और अंदर तक होने लगता है

देवा खड़ा हो जाता है और साथ में पप्पू भी।
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देवा; चल झुक जा।

पप्पू;आराम आराम से करना देवा तू तो एक ही बारे में खुट्टा गाड देता है।

देवा; अच्छा अच्छा बातें बंद कर।
और देवा ये कहते हुए अपने लंड को पप्पू के कमर पे मारने लगता है।

पप्पू;आह माँ।
सिसकारियां उसके मुंह से निकलती और शालु के कानो तक पहुँच जाती।

देवा;अपने लंड पे थूक लगा के धीरे धीरे लंड को पप्पू की गाण्ड में घूसाने लगता है । आह आह थोड़ा पैर चौड़े कर गांडु आह।
जैसे जैसे लन्ड पप्पू की गांड में घुस रहा है पप्पू चिल्लाने लगता है।फिर एक झटके में देवा अपना पूरा लंड पप्पू के गांड में पेल देता है।

पप्पू; आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय्य्य्य माँ मै मर जाऊँगा । आह देवा निकाल ले अह्ह्ह्हह मै हाथ से हिला देता हूँ इसे आहः।

देवा कहाँ सुनने वाला था वो तो बस अपने आँखों में शालु के गदराये हुए गाँड को सोच सोच के सटा सट लंड पप्पू के गाण्ड में पेले जा रहा था।

पप्पू की हालत ऐसी थी के कोई भी तरस खाके उसे छोड दे । पर देवा बेरहम मरद था पप्पू जानता था की जब तक देवा का पानी नहीं निकलेगा वो रुकने वाला नहीं है।

और सबसे खतरनाक बात ये थी ये देवा का पानी 20-30 मिनट तक नहीं निकलता था।



धक्कों की बरसात पीछे से शुरू थी और पप्पू की चीखें तेज़ और तेज़ होते जा रही थी।

शालु;अपनी चूत को रगडते हुए थक चुकी थी पर देवा था की पसीने में तर बतर होने के बावजूद भी बाहर निकालने को तैयार नहीं था।

20 मिनट के बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है और उसका पानी पप्पू के कमर पे गिरने लगता है और कुछ देर बाद पानी से गिला लंड पप्पू के कमर पे घीसने लगता है।

शालु तेजी से अपने घर की तरफ चल देती है
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उसे यक़ीन ही नहीं हो रहा था की उसका बेटा ऐसे काम भी कर सकता है।
पर उसका दिल देवा के लंड को सोच सोच के उछल रहा था।

पप्पू अपने पेंट को पहन के लडख़ड़ाता हुआ अपने घर की तरफ चलने लगता है।

देवा उसे देख के हंसने लगता है।
अब्बे ठीक से तो चल।

पप्पू कुछ नहीं बोलता वो बोलने की हालत में नहीं था।

तभी देवा भी अपना ट्रेक्टर लेके आ जाता है और पप्पू उसमें बैठ जाता है दोनों चुप चाप पप्पू के घर की तरफ चले जाते है।

जब दोनों पप्पू के घर पहुंचते है तो शालु उन्हें दरवाज़े पे खड़े मिलती है।
उसके चेहरे पे मुसकान थी पर वो किस चीज़ की थी ये तो सिर्फ वो खुद जानती थी।

पप्पू लंगड़ाता हुआ घर में चला जाता है।

शालू :अरे बेटा क्या हुआ कहीं दर्द हो रहा है क्या किसी ने मारा क्या तुझे।

देवा;वो काकी पप्पू नीचे गिर गया था आम के पेड़ से शायद मोच आ गई है।

शालु;हाँ बेटा अब बड़े बड़े पेड़ पे चढेगा तो लगेंगा ही। देवा तू अंदर आ ना मै कुछ नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिये।

देवा;इसकी कोई ज़रूरत नहीं काकी।

शालु;अरे थक गया होगा न कितनी मेहनत करता है तू
चल बैठ।

देवा बैठ जाता है।
काकी काका कहीं नज़र नहीं आ रहे।

शालु;वो दोनों बच्चीयों के साथ शहर गए है रात तक आ जाएंगे।

देवा;शालू के मोटे मोटे ब्रैस्ट देखने लगता है।


शालु : देखता क्या है पी ले ना।

देवा;क्या।

शालु :अरे बाबा चाय ठन्डी हो जाएंगी पी ले।

देवा; चाये की चुस्की लेते हुए काकी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।

शालु;हल्के से मुस्कूराते हुए चल हट बदमाश कही के।

देवा;चाय का कप नीचे रख देता है और जाने के लिए उठता ही है की शालु उसके एकदम सामने आ जाती है।

शालु;अरे पसीना तो पोंछ लिया कर की बस दिन रात काम काम।
ओ देवा का पसीना पोंछने लगती है और साथ ही साथ अपने ब्रैस्ट देवा की छाती से रगडने लगती है।

देवा की ऑखें बंद हो जाती है और वो दोनों हाथ पीछे ले जाके शालु के कमर को ज़ोर से मसल देता है।


शालु; उई माँ क्या करता है बदमाश।
और वो चाय का कप उठाके किचन में चली जाती है।

देवा;दिल ही दिल में मुस्कराता हुआ वहां से अपने घर की तरफ चल देता है।
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देवा;जब घर पहुंचा तो शाम के 5 बज रहे थे।

समने चारपाई पे देवा की माँ रत्ना और एक औरत जिसकी पीठ दरवाज़े के तरफ थी बैठी हुए थे।

देवा;उनके पास जाता है।
रत्ना;आ गये बेटा हाथ मुंह धो लो। मै चाय बनाके लाती हूँ।

वो औरत जो सेठ हिम्मत राव के घर की नौकरानी पदमा थी।
सर घुमा के देवा की तरफ देखती है।

गोरा चिट्टा भरा भरा बदन।
पदमा;देवा मुझे जागिरदार साहब ने भेजा है तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए । कुछ काम है सेठ को शायद तुमसे।

देवा;ठीक है काकी तुम बैठो मै अभी आता हूँ।

पदमा की नज़रें किसी एक्स रे मशीन की तरह थी वो देवा को पहली नज़र में ही पहचान गई थी के लौंडा काम का है।

देवा घर में चला जाता है।

रत्ना;उसके पीछे पीछे अंदर आ जाती है।
क्या बात है देवा जागिरदार साहब को क्या काम आ गया तुझसे।

देवा;पता नहीं माँ देख के आता हूँ तभी पता चलेंगा ना।

रत्ना;मुझे तो वो हवेली और वहां के लोगों से बड़ा डर लगता है बडी गंदी नज़र हैं उन लोगों की तू जल्दी घर आ जाना बेटा।

देवा;अपनी माँ रत्ना के तरफ देखता है ।
सफेद साडी में उसके ब्रैस्ट सामने की तरफ तने हुए थे
पेट एकदम गोरा गोरा और उसमें क़यामत मचाते हुए उसकी नाभी।

देवा;की नियत आज कल हर किसी पे इसी तरह ख़राब हो जाती थी वो ये भी नहीं सोचता की सामने उसकी माँ खडी है।
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अरे माँ डरने की क्या बात है जागिरदार मुझे खा थोड़ी जायेगा।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा। वो देवा के मुंह पे हाथ रख देती है और इस वजह से वो देवा से एकदम चिपक सी जाती है।

रत्ना;के बदन से आती भीनी भीनी पसीने की खुशबु जब देवा के नाक तक पहुँचती है तो उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है ऊपर से नरम नरम जिस्म जो उसके इतने पास होकर भी दूर था।

वो एक हाथ रत्ना के कमर पे रख के उसके पेठ को हलके से दबाता है।
और अपने मुंह पे लगा हुआ रत्ना का हाथ हटा के धीरे से कहता है।
कुछ नहीं होगा माँ डरो मत।

दोनो एक दूसरे के ऑंखों में देखने लगते है।

ये नज़रों का खेल था या जिस्म की भूख दोनों एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे।
तभी बाहर से पदमा के खाँसने की आवाज़ से दोनों होश में आते है और देवा बहार चला जाता है।

थोड़ी देर बाद रत्ना चाय का कप ले के बाहर आती है
और देवा चाय का कप ले तो लेता है पर उसकी कुछ उँगलियाँ रत्ना के हाथ से अनजाने में टकरा जाती है।

इस थोड़े से छुवन से ही रत्ना के जिस्म में सरसराहट पैदा हो जाती है।

बेचारी रत्ना कई सालो से अपने बेटे को देख देख कर आहें भर रही थी।
पर देवा उसपे कोई ध्यान नहीं देता था।
ये पिछले एक महिने से देवा के रवैये में थोड़ा बहुत बदलाव आया था।
जबसे उसने रत्ना को नहाते हुए देखा था।

देवा;चाय पीने के बाद पदमा के साथ पैदल सेठ के हवेली की तरफ निकल जाता है।

पदमा;कमर मटकाते हुए सामने चल रही थी।
रास्ता बिलकुल सुनसान था। गांव का रहन सहन ही कुछ इस तरह का होता है शाम ढले सभी अपने अपने घर को लौट जाते है और कोई गली मोहल्ले में नज़र नहीं आता।

देवा;की नज़र पदमा के हिलते कमर पे ही थी।
आगे आगे चलते हुए पदमा आज थोड़ा ज़्यादा ही कमर मटका रही थी।

कुछ देर बाद दोनों हवेली पहुँच जाते है।
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पदमा;देवा को एक कमरे में बैठा के अंदर चली जाती है।

देवा;इधर उधर देखने लगता है।
तभी वहां सेठ हिम्मत राव की पत्नी रुक्मणी आती है
और आके एक कुरसी पे बैठ जाती है।



देवा के मुंह में पानी आने लगता है।
नमस्ते मालकिन।

रुक्मणी बला की खूबसूरत तो थी नहीं पर रंग रूप ऐसा था की बूढ़े भी जवानी के दुआ मांगे।
नमस्ते देवा कैसे हो आज कल इधर आते ही नही।

देवा;वो बस मालकिन काम में उलझा रहता हूँ।

वो कुछ बोलने ही वाली थी की सेठ हिम्मत राव वहां आ जाते है।

देवा;उन्हें देख खड़ा हो जाता है।

हिम्मत राव;अरे बैठो बैठो देवा।
अच्छा हुआ तुम आ गये।

देवा;कुछ काम था मालिक।

हिम्मत राव;अरे हाँ तुम तो जानते हो हमारी बिटिया रानी शहर से पढाई करके अभी अभी गांव आई है हम उससे उसके जनम दिन पे एक कार भेंट करना चाहते है पर उससे कार चलाना नहीं आता । तुम ट्रेक्टर चला लेते हो तो हमने सोचा की क्यों न तुम रानी को कार चलाना सीखा दो।
हम तुम्हें इसके पैसे भी देंगे।

देवा;मालिक आपका हुकुम सर आँखों पर हम ज़रूर मालकिन को कार चलाना सीखा देंगे।

हिम्मत राव खुश हो जाते है और देवा को एक चाभी थमा देते है। ये लो देवा ये हमारे कार की चाभी है इसे तुम अपने पास ही रखो। कल से आ जाना मै रानी से कह दूंगा।
ये कहके हिम्मत राव बाहर निकल जाते है।

देवा जाने लगता है तभी वहां पदमा आती है और देवा से कहती है की रानी मालकिन तुम्हें बुला रही है ।

देवा अंदर की तरफ चला जाता है पदमा उसे रानी का कमरा दिखाती है और खुद रुक्मणी के पास चली जाती है।

जब देवा कमरे में पहुंचता है तो हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।

रानी;अपने बिस्तर पे लेटी हुई थी।
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रानी;अरे वहां क्यों खड़े हो अंदर आओ।
तुम्हारा नाम देवा है।

देवा: जी मालकिन।

रानी;हम्म बस मै तुम्हें देखना चाहती थी। अब तुम जाओ और कल वक़्त पे आ जाना।

देवा;जी मालकिन।

इसके जात का बैदा मारू। साली क्या देखना चाहती थी । पर कुछ भी कहो माल एकदम शीशे के बर्तन की तरह लगता है मजा आयेंगा ।
वो दिल ही दिल में सोचता हुआ बाहर आ जाता है।

पदमा; अच्छा मालकिन मै भी चलती हूँ। खाना मैंने बना दिया है ज़रा भैंस को चारा डाल आती हूँ।

रुक्मणी;देवा के जिस्म पे नज़र घुमाते हुए ठीक है जल्दी आना।

पदमा: जी मालकिन
फिर पदमा और देवा दोनों हवेली से बाहर निकल जाते है।अंधेरा हो चुका था। रास्ते में पदमा का घर भी पडता था।

पदमा;देवा की तरफ देखते है हुए कहती है।
अरे देवा ज़रा मेरे घर चलके भैंस को खुटे से ठीक से बांध दे मुझसे तो बांधी भी नहीं जाती मुई।

देवा;ठीक है और दोनों पदमा के घर की तरफ चल देते है।

पदमा का घर गांव के एक तरफ था वो अपने पति सुखी राम के साथ रहती थी।
सुखि;एक शराबी किस्म का आदमी था । हर रात शराब पीना उसका शौक था। वो घर में कम और नाली के कचरे में ज़्यादा पड़ा मिलता था।

देवा;भैंस का खुट्टा ठीक से ज़मीन में गाड के भैंस को बाँध देता है।
लो अब ये खुट्टा कभी नहीं उखडेगा।

पदमा;कितना अच्छा खुट्टा ठोंकता है देवा तु।

देवा;मुझे ठोकना ज़्यादा अच्छा लगता है

पदमा;आगे बढ़ती है और देवा के पेंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ के कहती है ये खुट्टा ठोकेगा।

देवा;की तो जैसे लौटरी निकल आई थी
वो पदमा का चेहरा देखने लगता है।

पदमा देवा का हाथ पकड़ के घर के अंदर ले जाती है।

लालटेन के रोशनी में पदमा की लाल साडी चमक रही थी वो पीछे मुड के अपनी साडी को ठीक करती है।
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देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में जकड लेता है।

पदमा;आहः के सिसकी के साथ सहम जाती है।

देवा;अपना हाथ धीरे धीरे पदमा के पेट पे फेरने लगता है।

पदमा अपने बदन को ढिला छोड देती है वो चाहती थी की हर काम देवा करे वो आज खुल के देवा से पिसना चाहती थी।

देवा की पकड़ पेट पे बढ़ने लगती है और वो अपने मुंह को पदमा के कानो में डालके उसकी कान चुमने लगता है।
धीरे धीरे पदमा की पीठ पे अपनी जुबान फेरने लगता है। उसे पसीने की खुशबु बहुत पसंद थी।


पदमा;सिर्फ सिसक रही थी और देवा अपना काम करने में लगा हुआ था।

देवा;पदमा को घुमा के अपने तरफ कर देता है और उसके गोल गोल मोटे मोटे नरम ब्रैस्ट को ब्लाउज के ऊपर से चुमने दबाने लगता है।

पदमा;आह उई माँ।



आहह जल्दी कर न देवा... मुझे वापस हवेली भी जाना है।

देवा;को आज वो चीज़ मिली थी जिसे वो बचपन से पाना चाहता था एक चूत। वो बिलकुल भी जल्द बाज़ी में नहीं था वो दोनों हाथों से पदमा के चुचे मसलने लगता है।

कड़क हाथों में आते ही पदमा के नाज़ुक चुचे किसी मखन की तरह पिघलने लगते है।

देवा;पदमा के ऑखों में देखने लगता है।
दोनो की धड़कने तेज चल रही थी।
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