Incest हाय रे ज़ालिम................

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वो मोहब्बत ही क्या जो सर चढ़ कर न बोले।
देवा की लगाई हुई आग में कई बदन जल रहे थे
वो था ही ऐसा जिसे एक बार छु ले सोना हो जाए।
रत्ना की ऑखों से नींद ग़ायब हो चुकी थी।
उसके ज़ुबान पर अब भी देवा के लंड का गाढा गाढा पानी लगा हुआ था।
न वो अपना मुँह साफ़ की थी और न वो अपने दिमाग से देवा की सोच निकाल पा रही थी।

सुबह जब उसकी आँख खुली तो काफी उजाला हो चूका था।
वो अपने कपडे ठीक करके बाहर आ जाती है।
आज का दिन भी रोज़ की तरह निकला था।
मगर न जाने इस सुबह की धूप में क्यों रत्ना का बदन कांप रहा था।
पाँव थे की ज़मीन पर टिकना नहीं चाहते थे और दिल आसमान में उड़ने को चाह रहा था।

की तभी पीछे से देवा आकर रत्ना को अपनी बाहों में दबोच लेता है।

देवा;क्या बात है माँ आज बड़ी देर से उठी हो रात नींद नहीं आई क्या।
वो अपनी माँ के कानो के पास आकर धीरे से सरगोशी करते हुए कहता है।
उसकी बात को समझ रत्ना भी शर्मा जाती है।

रत्ना;चल हट मुये। जब देखो मज़ाक़ सूझता है तुझे बहुत काम पडा है छोड दे मुझे।
वो बस बोल रही थी।
मगर दिल ही दिल में वो भी देवा की गरम मज़बूत बाहों में रहना चाहती थी।

देवा; पीछे से अपनी माँ की कमर के दरार में अपने लंड को घीसने लगता है।
उसकी चुभन से ही रत्ना थरथराने लगती है।
उस ज़ालिम के हथियार को वो कल रात अपने मुँह में घुसा चुकी थी।
मगर न जाने दिल अब भी दिमाग पर हावी नहीं हो पाया था।
यही वजह थी की जिस खिलौने से वो अपने मुँह की मिठास बढा चुकी थी उसे अपनी चूत की गहराइयों में उतारने को दिल आगे पीछे कर रहा था।

माँ बेटे का रिश्ता ऐसा ही होता है।
अपनी सीमा लाँघने में वक़्त लगता है।
मगर एक बार जब वो सीमा लाँघ कर सारी मर्यादा पार कर जाता है तो दुनिया की कोई भी दिवार उनके सामने आ जाये वो उसके पार हो जाते है।

रत्ना; छोड़ न रे क्या करता है तुझे शर्म आनी चाहिए।
तेरी शादी करवा दूँ अगर तू कहे तो...

देवा;अपने दोनों हाथों से रत्ना के ब्रैस्ट को मसलने लगता है।
पहले मंगलसुत्र पहनकर लाल साडी में एक बार मेरे सामने आओ। उसके बाद मै कहुंगा की मुझे किससे शादी करनी है और कब करनी है।

रत्ना; आह्ह्ह।
मुझे दर्द हो रहा हैं रे।

देवा;कहाँ हो रहा है माँ...
वो पूरी ताकत से रत्ना की दोनों बड़ी बड़ी चूचियों को मरोडने लगता है ये जानते हुए की रत्ना को भी इस सब में मजा आ रहा है।

रत्ना की ऑखें बंद होने लगती है।
जवानी का नशा जो उसके पति ने उसकी चूत से पूरी तरह नहीं निकाला था चढ़ने लगता है।
चुत की दोनों फांको में थरथराहट सी होने लगती है।
शबनम सी छोटी छोटी पानी की बूंदें चूत के आजु बाजु जमने लगती है।

रत्ना;छोड दे रे ज़ालिम।
ऐसा मत कर ना आह्ह्ह्ह।

देवा;मुझे दूध पीना है इनका रत्ना।

देवा के मुँह से जब भी रत्ना शब्द निकलता था रत्ना को ऐसा लगता था जैसे उसका पति देवा का बाप उसे पुकार रहा हो।

रत्ना;माँ हूँ मै तेरी। तेरी पत्नी नही
आह मत कर मेरे साथ तु।

देवा;मेरी पत्नी है माँ तू। तुझे खुश देखना चाहता हूँ।
तूझे अपने पानी से नहलाना चाहता हूँ।
मेरे लंड के पानी से नहायेगी ना मेरी रत्ना तु।
बस मुझे एक बार ये दे दे।
वो अपनी माँ रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से रगडने लगता है।

रत्ना के पांव उसका साथ नहीं देते वो देवा को धक्का देकर वहां से घर के अंदर की तरफ भागने लगती है
मगर देवा उसकी साडी का पल्लू पकड़ लेता है।
और अपनी तरफ खीचता है।

रत्ना;अपनी कमर के पास से साडी को निकाल कर वही देवा के हाथों में साडी छोड़ कर लंहगे और ब्लाउज में घर के अंदर भाग जाती है और दरवाज़ा बंद कर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।
उसके कानो में देवा के एक एक शब्द की गूंज अब भी सुनाई दे रही थी।



देवा;दरवाज़ा को ढकेल देता है और रत्ना सामने पड़े बिस्तर पर जा गिरती है।

दोनो की नज़रें एक दूसरे से इस कदर मिली हुई थी जैसे शिकारी अपने शिकार पर नज़रें गड़ाये रहता है।
और उसे दबोच लेने के सही पल का इंतज़ार करता है

देवा;उस वक़्त पायजामे और बनियान में था
वो अपना बनियान उतार देता है और रत्ना के ऊपर चढ़ जाता है।
अपने ब्रैस्ट के ऊपर जब रत्ना देवा की चौडी छाती पाती है तो वो सिहर सी जाती है।
उसकी जाँघें खुल जाती है और देवा के पायजामे के अंदर खड़ा लंड सीधा रत्ना की चूत पर दस्तक देता है।

देवा को अपनी मंज़िल क़रीब दिखाई देने लगती है
वो अपने हाथों के जादू से धीरे धीरे रत्ना के ब्रैस्ट को सहलाते जाता है और अपनी माँ के नरम होठो पर अपने होंठ रख कर उसके शरबत को पीने लगता है
गलप्प गलप्प गलप्प्प।



रत्ना भी सीसकारियाँ लेकर अपने बेटे को अपने होठो का रसपान करवाने लगती है।
उसकी ऑखों के सामने फिर से वही रात का दमदार लंड जिसे उसने अपने मुँह में लेकर ढिला की थी आ जाता है।
वही फुंफकारता हुआ साँप जो उसे डसने को बेताब था।।

देवा;माँ मुझे मेरे बापू की जगह दे दे।
बस यही देवा गलती कर देता है।
वो उस वक़्त रत्ना को उसके पति की याद दिला देता है
और रत्ना को अपनी बात याद आ जाती है की जब तक देवा ये नहीं पता कर लेता की उसके बापू ज़िंदा है या नहीं और उनके साथ क्या हुआ था।
वो किसी और की नहीं हो सकती।

रत्ना;ऑंखें खोल देती है और देवा को अपने ऊपर से हटा कर खड़ी हो जाती है।
अचानक इस ब्यवहार से देवा सकते में पड़ जाता है।

देवा; माँ....
वो आगे कुछ नहीं कह पाता।

रत्ना;अपना वादा भूल गया लगता है तु।

देवा;कौन सा वादा माँ।

रत्ना;वही वादा जो तूने मुझसे किया था।
अपने बापू के बारे में पता लगाने का।

रत्ना; ये कहकर अपने रूम की तरफ बढ़ने लगती है।
देवा;चीख़ पडता है और अपने लंड को पायजामे के ऊपर से पकड़ के कराहने लगता है।

देवा; आह्ह्ह माँ माँ माँ माँ मुझे बचा ले आह्ह्ह
इस में फिर से दर्द होने लगा है।

रत्ना;घबरा कर देवा के पास आकर बैठ जाती है।
बता मुझे कहाँ दर्द हो रहा है।

देवा; वही जहाँ रात में हो रहा था।

रत्ना;इसे उतार।

देवा;अपने पायजामे को नीचे उतार देता है और
अपने लंड को हाथ में पकड़ के हिलाने लगता है।
उसका लंड सच में बहुत कड़क हो चूका था नसे फूल चुकी थी।

रत्ना की ऑखों में उसे देख नशा सा छाने लगता है
वो अपने नाज़ुक से हाथों में देवा के लंड को पकड़ लेती है।

देवा;माँ कुछ भी करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है ना।

रत्ना;क्या करूँ मैं।

देवा;वही जो रात में दर्द होने पर की थी तुमने आहह्ह्ह्
माँ मै मर जाऊँगा।

रत्ना;अपने हाथ में देवा के लंड को मज़बूती से पकड़ लेती है और अगले ही पल उसे अपने मुँह में खीच लेती है गलप्प गलप्प गलप्प।

देवा;चैन की साँस लेता है। धीरे से माँ दर्द हो रहा है ना आह्ह्ह

रत्ना;अपनी ज़ुबान को लंड के पूरे हिस्से पर घुम्मा घुम्मा कर उसे चाटने लगती है वो अपनी ऑंखें बंद कर लेती है और इसका फायदा उठाकर देवा उसकी ब्लाउज के दोनों बटन खोल देता है।

लंड चूस रही रत्ना को कोई भी परवाह नहीं थी की वो ऊपर से नंगी हो चुकी है बस वो तो अपने देवा के होने वाले लंड के दर्द को कम करने में लगी हुई थी।

देवा;झुक कर रत्ना के ब्रैस्ट को मसलने लगता है और रत्ना भी उसे दबाने देती है वो चटखारे मारते हुए किसी कुल्फ़ी की तरह देवा के लंड को चुसती जाती है गलप्प गलप्प।
हम्म उह्ह्ह गलप्प।



देवा;आहह आराम से माँ आह्ह्ह।
तेरी चूत भी इतनी नरम है रत्ना अहा हां अहा हां आह्ह आह आह आह आह आह्ह

रत्ना;हम्म गलप्प गलप्प
उह्ह्ह गलप्प।

न देवा से बर्दाश्त हो रहा था और न रत्ना से मगर दोनों अपने अपने वादे के आगे मजबूर थे।

रत्ना को महसूस होता है की देवा का पानी छुटने वाला है वो थोड़ा पानी अपने मुँह में गिरने देती है और बाकी का अपने ब्रैस्ट पर।

जब देवा का लंड अपनी बौछार कर चूका होता है तो रत्ना देवा की ऑखों में ऑखें डाल कर दोनों ब्रैस्ट पर गिरी पानी को वही उन पर मल देती है।



और चुपचाप उठ कर अपने रूम में चली जाती है।

देवा;उसे जाता देखता रह जाता है।

थोड़ी देर बाद देवा नहा कर घर से बाहर निकल जाता है
और रत्ना अपने रूम में आईने के सामने बैठी खुद पर और देवा के झूठ पर मुस्कुराने लगती है।
वो जानती थी की देवा ने उसे झूठ बोल कर
जान बूझ कर उससे लंड चुसवाया है।
मगर शायद रत्ना भी यही चाहती थी।

उसे सामने मंगलसूत्र दिखाई देता है।
वो उसे अपने गले में डाल लेती है और खुद को आईने में देख शर्मा जाती है।

उधर देवा सीधा पंचायत पहुँचता है।

जहां पहले से हिम्मत और कुछ पंच मौजूद थे।
देवा के आने के बाद वो सभी अपनी अपनी बात एक एक करके पंचो के सामने रखते है।

थोड़ी देर बहस चलती है।
मगर हिम्मत को तो रात को ही पता चल गया था की उसका क्या होने वाला है।
आखीर सभी पंचो की सहमति से हिम्मत राव को फैसला सुना दिया जाता है।

हिम्मत राव को सरपंच पद से बर्ख़ास्त कर दिया जाता है
और उसे 15 दिन के लिए गांव निकाला भी कर दिया जाता है।

हिम्मत;इस फैसले से अंदर ही अंदर टूट भी जाता है और देवा के लिए उसके दिल में नफरत सारी हदें पार कर जाती है।

हिम्मत;हाथ जोड कर सभी पंचो से कहता है की
मै अपनी गलती के लिए शरमिंदा हूँ और आइंदा ऐसी गलती नहीं होंगी वादा करता हूँ।
वो ये कहकर वहां से बाहर जाने लगता है
मगर देवा को देख रुक जाता है और उसके सामने आकर देवा की ऑखों में ऑखें डाल कर दाँत पीसते हुए धीरे से कहता है।
15 दिन बाद जब मै वापस आऊँगा देवा।
याद रखना वो दिन तेरी ज़िन्दगी का आखरी दिन होगा।

देवा;मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा हिम्मत।
WOW MAST UPDATE

वो अपना बनियान उतार देता है और रत्ना के ऊपर चढ़ जाता है।

अपने ब्रैस्ट के ऊपर जब रत्ना देवा की चौडी छाती पाती है तो वो सिहर सी जाती है।
उसकी जाँघें खुल जाती है और देवा के पायजामे के अंदर खड़ा लंड सीधा रत्ना की चूत पर दस्तक देता है।

देवा को अपनी मंज़िल क़रीब दिखाई देने लगती है
वो अपने हाथों के जादू से धीरे धीरे रत्ना के ब्रैस्ट को सहलाते जाता है और अपनी माँ के नरम होठो पर अपने होंठ रख कर उसके शरबत को पीने लगता है
गलप्प गलप्प गलप्प्प।
रत्ना भी सीसकारियाँ लेकर अपने बेटे को अपने होठो का रसपान करवाने लगती है।
उसकी ऑखों के सामने फिर से वही रात का दमदार लंड जिसे उसने अपने मुँह में लेकर ढिला की थी आ जाता है।

वही फुंफकारता हुआ साँप जो उसे डसने को बेताब था।।
 
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हिम्मत की ऑखें जहाँ आग उगल रही थी वही देवा का लहु भी अपने बापू के कातिल से बदला लेने के लिए बेताब था।

देवा;के मुँह से निकला वो शब्द।
हिम्मत को तीर की तरह चुभा था उसकी ज़िन्दगी का सिर्फ और सिर्फ एक मक़सद रह गया था।
वापस आकर देवा को इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिये उसके बाप के पास पहुंचा देना।

जैसा की गांव वालों का फैसला था।
हिम्मत को 15 दिन के लिए गांव निकाला जाना था।

हिम्मत; ये बात अपनी पत्नी और बेटी रानी को नहीं बताना चाहता था।
वो रुक्मणी से ये बहाना करके अपनी कार में बैठ कर गांव से चला जाता है की उसके दोस्त की बेटी की शादी है और उसे वहां जाना है।

मगर रुक्मणी और रानी को पता था की असली बात क्या है। वो दोनों बेहद खुश भी थी और थोडी थोडी डरी हुए भी की पता नहीं वापस आकर हिम्मत क्या करेगा।

हिम्मत के चले जाने के बाद देवा हवेली चला जाता है।

देवा;रुक्मणि और रानी के रूम में आकर उन दोनों को पंचायत में हुई सारी बात बताता है और साथ में हिम्मत के दी हुई धमकी भी।

रुक्मणी;तुम चिंता मत करो देवा जब तक मै हूँ तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता।

देवा;चिंता और मुझे बिलकुल नहीं मालकीन।
मै तो उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ जिस दिन आपका पति वापस आयेगा।
मुझे उस इंसान से बहुत ज़रूरी बात मालूम करनी है
मुझे मेरी मंज़िल तब तक नहीं मिलेगी।
जब तक हिम्मत राव अपना मुँह नहीं खोलेगा।

रानी;कौन सी बात देवा।

रुक्मणी;ओफ़ हो रानी। तू भी जा ज़रा चाये बना ला।

रानी;आँखों के ईशारे से रुक्मणी को बात करने के लिए कहती है।
रात में दोनों माँ बेटी नंगी सोई थी अपनी चूत को एक दूसरे पर रगडने से जो चिंगारियाँ फुटी थी उसकी वजह थी की सुबह से रानी रुक्मणी के पीछे पड़ी हुई थी।
देवा के साथ ये 15 दिन और रात बाँटने के लिये।

रानी के जाने के बाद रुक्मणी देवा के क़रीब आकर बैठ जाती है।
अपने इतने क़रीब रुक्मणी को पाकर देवा भी मचल उठता है।
देवा: अच्छी तरह जानता था की रुक्मणी उस गरम लोहे की तरह हो चुकी है जिसे बस एक ज़ोरदार हथोड़े की ज़रुरत है और रुक्मणी उसी रूप में ढ़ल जाएगी।
देवा के हथोड़े से बढ़िया और मज़बूत औज़ार पूरे गांव में नहीं था।

देवा;क्या बात है मालकिन पति के जाने का ज़रा भी गम नहीं तुम्हें।

रुक्मणी;देवा की ऑखों में देखते हुए कहती है।
पति गया कहाँ है।

देवा;क्या मतलब।

रुक्मणि';अपना हाथ सीधा देवा के लंड पर रख देती है
इतना भोला भी नहीं है तु।

देवा;रुक्मणि की ऑंखों में उतरी चमक को भाँप लेता है
औरत जब गरम होती है तो कुत्ते से भी चुदवा लेती है
यहाँ तो हट्टा कट्टा साँड़ बैठा हुआ था।
वो साँड़ जो अपने लंड से रुक्मणी की चूत को उधेड़ के रख देने के सपने पता नहीं कब से देख रहा था।

देवा;अपना एक हाथ रुक्मणी की गर्दन के पीछे डालकर उसे अपनी तरफ खीच लेता है और अपने होठो से रुक्मणी के सुलगते हुए होठो को ठण्डक देने लगता है

रुक्मणी;अपने मेहबूब की बाहों के लिए तो तड़प रही थी।
वो भी देवा के मुँह में मुँह डालकर अपनी ज़ुबन का मीठा मीठा रस देवा को पिलाने लगती है।
गलप्प गलप्प

दोनो की साँसें फुलने लगती है ये दोनों कई महिनो से एक दूसरे की रजामंदी से एक दूसरे की प्यास बुझाना चाहते थे।

दोनो को लगने लगता है की आज वो घडी आ गई है जब दोनों अपने प्रेम को अन्जाम तक पहुंचायेंगे।
मगर तभी बाहर से पप्पू के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है।

पप्पू;देवा भाई बाहर आओ।

देवा;पप्पू यहाँ क्यों आया है।

रुक्मणी;मत जाओ।

देवा;रात में मुझे खेत में सोने जाना है वहां नहीं जाकर यहाँ चला आऊँगा वैसे भी हिम्मत तो है नही।

रुक्मणी;उसकी बात सुनकर शर्मा जाती है
और अपनी नज़रें झुका कर बस इतना कहती है
जल्दी आना।



देवा;रुक्मणि के होठो को एक बार चुमकर बाहर चला जाता है।


बाहर पप्पू खड़ा था बहुत परेशान सा लग रहा था वो।

देवा;क्या बात है पप्पु।

पप्पू;कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा तुझे भाई।
और तुम यहाँ हो मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।।

देवा;अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करते हुए दिल में सोचने लगता है।
अगर कोई बेकार बात करेगा न ये गांडु तो सच में इसकी औरत के सामने इसकी गाण्ड मार दूंगा मै आज।।

बोल भी क्या बात है।

पप्पू;यहाँ नहीं मेरे साथ चलो पहले।

देवा;ठीक है भाई चल।
और दोनों दोस्त पप्पू के घर के तरफ चल पडते है।

पप्पू;देवा को लेकर सीधा अपने रूम में आ जाता है
और दरवाज़ा धकेल देता है।

देवा;अबे बात क्या है बोलेगा भी।

पप्पू;भाई मै बहुत मुसीबत में हूँ।
मेरी मदद कर।

देवा;क्या हुआ

पप्पू;वही जिसका मुझे डर था।

देवा;को ग़ुस्सा आ जाता है।

अब्बे गांडु सीधा सीधा बोलता क्यों नहीं बात क्या है।
अपने लंड को हाथ में पकड़ के देवा किस तरह यहां आया था वही जानता था। ऊपर से पप्पू था बात घुमा रहा था।

देवा;के मुँह से निकला शब्द गांडु नूतन के पांव दरवाज़े पर ही रोक देते है।

पप्पू;भाई शादी के दिन तक तो ठीक था नूतन भी खुश थी उस दिन।
मगर पता नहीं उसे दिन ब दिन क्या होते जा रहा है
वो बहुत चुदासी हो गई है भाई।
और तुम्हें तो पता है ना एक टिप के बाद मुझसे दूसरे का दम नहीं लगता।

देवा;पप्पू की बात सुनकर हंसने लगता है।
साले हरामी ये सुनाने के लिए तू मुझे वहां से यहाँ लाया है। पता है आज कौन चुदने वाली थी।

पप्पू;कौन भाई।

देवा;बड़ी मालकिन।

पप्पू;क्या बड़ी मालकिन।
वो बुरा सा मुँह बना लेता है।

देवा;क्या हुआ मुँह क्यों फुला रहा है।

पप्पू;तुम्हारा अच्छा है जहाँ देखो शुरु हो जाते हो और एक मै हूँ मेरी किसी को चिंता नहीं है।
तुम्हारी बहन इतनी बड़ी चुदकड़ निकलेंगी मुझे पता नहीं था।
माँ भी नाराज़ है मुझसे उसे लगता है मै दिन रात नूतन की ले रहा हूँ और इधर नूतन को लग रहा होगा मै किसी काम का नही।

देवा को सच में उस पर तरस आ जाता है और वो पप्पू को किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने पास बैठा देता है और धीरे से उसके गले को सहलाने लगता है।

पप्पू;भाई कुछ सुझाव बताओ ना।

देवा;सुझाव तो है मगर पता नहीं तुझे कैसा लगेगा।

पप्पू;बताओ न भाई।

देवा;देख जैसे हम दोनों ने मिलकर तेरी बहन रश्मि की आग बुझाई थी वैसे तेरे बीवी नूतन की भी बुझानी पडेगी।
अभी वो नई नई है इसलिए ज़्यादा तड़प रही है एक बार हम दोनों से कुचल जाएगी तो कुछ दिन बाद खुद ब खुद ठण्डी हो जाएगी बोल क्या बोलता है।

पप्पू;फटी फटी नज़रों से देवा को देखने लगता है।

और बाहर खड़ी नूतन का दिल इस बात से और ज़ोर से धड़कने लगता है की वो अपने देवा का लंड अपने पति के सामने लेगी।

देवा;सोच क्या रहा है यही एक रास्ता है।
वरना पूरे गांव में तेरे घर की बदनामी हो जाएगी।

पप्पू;अगर किसी को पता चल गया तो...

देवा;तेरी माँ बहन को हम चोदते है किसी को पता है क्या।
मै किसी से कुछ नहीं कहने वाला क्योंकि वो मेरी बहन है। हाँ मगर तेरी माँ को पता चल गया तो उसे तुझे संभालना होगा।

कुछ देर सोचने के बाद पप्पू हाँ कह देता है।

पप्पू;मगर मेरी एक बात तुम्हें भी माननी पडेगी।

देवा;क्या।

पप्पू;रोज़ रोज़ न सही हाँ मगर हफ्ते में तीन चार बार तुम्हें मेरे साथ भी....

देवा;अपने हाथ से पप्पू की छोटी सी पप्पी को दबा देता है।
गांडू का गांडु रहेगा तू सच में।

पप्पू;देवा के लंड को सहलाने लगता है।
क्या करूँ भाई तुम तो अपने गरीब दोस्त की तरफ देखते भी नहीं वरना एक वो दिन हुआ करता था जब रात रात भर हम खेतों में नंगे पड़ा रहा करते थे और तुम्हारा ये लंड मेरी गाण्ड में आराम किया करता था।

देवा;अपने पेंट को खोल कर लंड बाहर निकाल लेता है।
ले चूस ले जी भर कर तेरी माँ को चोदुं।

पप्पू;यही तो चाहता था वो देवा के लंड पर टूट पडता है और उसे झट से अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है गलप्प गलप्प गलप्पप्प।



ये देख नूतन की आँखे फटी की फटी रह जाती है उसे कुछ कुछ पप्पू की हरक़तों पर शक तो था मगर आज उसे सबूत भी मिल गया था । सब कुछ सुनकर और देख कर।

पप्पू;जहाँ एक तरफ देवा के लंड को मुँह से निकालने के लिए तैयार नहीं था वही देवा जल्द से जल्द अपनी रुक्मणी के पास जाना चाहता था।

देवा;अपनी पेंट को उतार देता है और पप्पू को बिस्तर पर खीच लेता है एक हाथ से वो पप्पू की पेंट को निकाल लेता है।

पप्पू;अहह भाई धीरे से ना।

देवा;बड़ी आग लगी है ना तेरी गाण्ड में मेरे दोस्त। आ जा बहुत दिन हुए इसे नहीं लिया मैने।

वो पप्पू को लिटा देता है और अपने लंड को सीधा पप्पू की गाण्ड पर घीसने लगता है।

पप्पू;के ऑंखें बंद हो जाती है और मुँह खुल जाता है।

पप्पू;धी से करना देवा।
आह आहह्ह्ह।



देवा;और धीरे से ऐसा हो ही नहीं सकता था।
देवा का लंड पप्पू की गांड को चीरता हुआ अंदर तक धँस जाता है और पप्पू अपनी आवाज़ छूपाने के लिए तकिये को मुँह में भर लेता है।

देवा;आहह साला बहुत छोटा हो गया है तेरा सुराख़....

पप्पू;तुम्हारी वजह से भाई। तुम बहुत दिन से नहीं कर रहे हो न।

देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है जब तेरी माँ बहन मुझे मिल रही है तो मै तेरी गाण्ड क्यो माँरुन्गा।

पप्पू;अपनी गाण्ड के मज़े लेने लगता है और देवा उसे इसलिए ठोकने लगता है की उसकी गाण्ड के भरोसे उसे नूतन की चूत चोदने का लाइसेंस मिलने वाला था वो भी हमेशा की लिये।

उधर रत्ना अपने घर में अभी अभी नहा कर बाहर निकली थी।
देवा का नशा रत्न के बदन पर चढने लगा था।
अब वो खुद का ज़्यादा ख्याल रखने लगी थी
खुद को आईने में देखते हुए वो अपनी ब्रा पहनने लगती है।

छोटा सा ब्लाउज और उस पर छोटा सा पल्लू डाले क़यामत लग रही थी रत्ना।

पप्पू की गाण्ड को 15 मिनट तक ठोकने के बाद जब देवा घर पहुँचता है तो उसे रतना घर दरवाज़े के पास उसका इंतज़ार करते मिलती है।

वो अपनी माँ को नीचे से ऊपर तक देखता है और दिल में सोचता है काश उसे उसके बापू के बारे में पता चल जाता तो ये अप्सरा आज उसके लंड के नीचे होती।

देवा;को इस तरह घूरता देख रत्ना अपनी गाण्ड मटकाते हुए घर के अंदर चलि जाती है।

रत्ना;बड़ी देर कर दिया बेटा तुने।
चल आ जा सब तैयार है।

देवा;क्या माँ...

रत्ना;खाना बेटा..
मै लगा देती हूँ तू खा ले।

देवा;की ऑंखों में सुबह से रह रह कर रुक्मणी की चूत घूम रही थी और ऊपर से घर पहुँच कर उसे रतना इस तरह दिखाई देती है।
एक मरद भला खुद को कैसे सँभाले।

रत्ना का ये व्यवहार देवा को समझ में नहीं आ रहा था
जहां एक तरफ वो देवा को अपने ऊपर चढ़ने नहीं दे रही थी वहीँ दूसरी तरफ उसे ललचा रही थी।

देवा;अपनी रत्ना के क़रीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लेता है।

रत्ना;आहह क्या कर रहा है तुम्हें मना की थी न मैंने ऐसा करने से।

देवा;माँ आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।

रत्ना; अच्छा ऐसा क्या अच्छा लग रहा है मेरे देवा को मुझ में।

देवा;अपना हाथ रत्ना के चिकने पेट पर घुमाने लगता है
ये बहुत खूबसूरत है।

रत्ना; और....

देवा;अपने हाथ को ऊपर बढाते जाता है और रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है उसकी साँसें देवा को बता रही थी की रत्ना किस हद तक गरम हो चुकी है।

देवा;अपने हाथ को सीधा रत्ना के ब्रैस्ट पर रख के उसे मसलने लगता है।
ये मुझे बहुत पसंद है माँ।
इस से निकलता दूध मुझे कब पिलाओगी।

रत्ना;आहह नही ना....

देवा;अपने होठो को रत्ना की गर्दन पर घुमाते हुए
उसकी गर्दन को चुमने लगता है।
माँ मुझे ये दे दे ना।
वह अपने हाथ की उँगलियों से रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से कुरेदने लगता है।

रत्ना;नही वो नहीं दूंगी मैं...आह्ह्ह।

देवा;रत्ना की गर्मी का फायदा उठा कर अपने पेंट को नीचे गिरा देता है और
अपने लंड को रत्ना के हाथ में थमा देता है।

हाथ में गरम चीज आते ही रत्ना की साँसें और ज़ोर से चलने लगती है।वो जान जाती है की उसके हाथ में क्या है।


रत्ना;ये दर्द कर रहा है क्या देवा।

देवा; हाँ माँ बहुत दर्द कर रहा है।

रत्ना;देवा की आँखों में देखते हुए नीचे बैठ जाती है और
हल्के से देवा के लंड को चुम लेती है।

देवा;आहह माँ।

रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
इसे आराम करने दिया कर ना। बहुत थका थका सा लग रहा है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्प।



देवा;की धडकन तेज़ हो जाती है।
तेरी चूत में आराम मिलेगा इसे रत्ना। एक बार दे दे मुझे आज।

रत्ना;इतराते हुए अपनी गाण्ड हिलाते हुए देवा के लंड को चूसती चली जाती है । लंड चूसने का रत्ना का अंदाज़ देवा को पागल बना देता है। जो मज़ा देवा को किसी औरत की चूत मार कर मिलता था उतना मज़ा तो रत्ना के लंड चुसने से ही देवा को मिल रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना के गरम मुँह को ही चूत समझकर चोदने लगता है।रत्ना देवा के लंड को पूरा अपनी थूक से गीला कर कर के देवा का लंड चूस रही है और चूसते चूसते कुछ ही देर में उसकी मलाई पूरी की पूरी खा जाती है।

रत्नाअपने होठो पर लगे देवा की मलाई को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए वो देवा के पास से अपने रूम में चलि जाती है।

देवा;हैरान परेशान से रत्ना को जाता देखता रह जाता है। उससे बिलकुल भी रत्ना का ये रूप समझ नहीं आता।

मगर रत्न एक मँझी हुए खिलाडी थी।
वो जानती थी।
मर्द को जितना तडपाया जाए चूत के लिए । वो उतनी मोहब्बत और ताकत से चोदता है।
और वो देवा का लंड लेने के बाद उसे किसी के साथ बाँटना नहीं चाहती थी...
बस ये चाहती थी की देवा का लंड उसकी चूत में आराम करे चाहे दिन हो या रात और अपने मक़सद को पूरा करने के लिए वो देवा को दिन रात तड़पा रही थी।
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देवा;अपने हाथ को ऊपर बढाते जाता है और रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है उसकी साँसें देवा को बता रही थी की रत्ना किस हद तक गरम हो चुकी है।
देवा;अपने हाथ को सीधा रत्ना के ब्रैस्ट पर रख के उसे मसलने लगता है।
ये मुझे बहुत पसंद है माँ।
इस से निकलता दूध मुझे कब पिलाओगी।
रत्ना;आहह नही ना....
देवा;अपने होठो को रत्ना की गर्दन पर घुमाते हुए
उसकी गर्दन को चुमने लगता है।
माँ मुझे ये दे दे ना।
वह अपने हाथ की उँगलियों से रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से कुरेदने लगता है।
रत्ना;नही वो नहीं दूंगी मैं...आह्ह्ह।
देवा;रत्ना की गर्मी का फायदा उठा कर अपने पेंट को नीचे गिरा देता है और
अपने लंड को रत्ना के हाथ में थमा देता है।
हाथ में गरम चीज आते ही रत्ना की साँसें और ज़ोर से चलने लगती है।वो जान जाती है की उसके हाथ में क्या है।
रत्ना;ये दर्द कर रहा है क्या देवा।
देवा; हाँ माँ बहुत दर्द कर रहा है।
रत्ना;देवा की आँखों में देखते हुए नीचे बैठ जाती है और
हल्के से देवा के लंड को चुम लेती है।
देवा;आहह माँ।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
इसे आराम करने दिया कर ना। बहुत थका थका सा लग रहा है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्प।
देवा;की धडकन तेज़ हो जाती है।
तेरी चूत में आराम मिलेगा इसे रत्ना। एक बार दे दे मुझे आज।
रत्ना;इतराते हुए अपनी गाण्ड हिलाते हुए देवा के लंड को चूसती चली जाती है । लंड चूसने का रत्ना का अंदाज़ देवा को पागल बना देता है। जो मज़ा देवा को किसी औरत की चूत मार कर मिलता था उतना मज़ा तो रत्ना के लंड चुसने से ही देवा को मिल रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना के गरम मुँह को ही चूत समझकर चोदने लगता है।रत्ना देवा के लंड को पूरा अपनी थूक से गीला कर कर के देवा का लंड चूस रही है और चूसते चूसते कुछ ही देर में उसकी मलाई पूरी की पूरी खा जाती है।


रत्नाअपने होठो पर लगे देवा की मलाई को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए वो देवा के पास से अपने रूम में चलि जाती है।
 
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देवा के खड़े लंड पर लगतार धोखा हो रहा था और ये कोई और नहीं उसकी माशूक़ा उसकी माँ रत्ना कर रही थी।
देवा अपनी माँ के जिस्म की खुशबु में अपनी रातें गुजारने को बेताब था । मगर उसकी माँ को उस ज़ालिम पर बिलकुल भी रहम नहीं आ रहा था।

रत्ना के रूम में चले जाने के बाद देवा भी अपने काम में लग जाता है।
अपने घर के काम करते करते उसे फिर से रुक्मणी का ख्याल आता है।
वो एक चोदु इंसान था जहाँ चूत की महक लगे वही अपना बसेरा बना लेता था।
मगर उसकी इस चोदूँ दिल में कहीं न कहीं मोहब्बत भी बसी थी।
एक तरफ अपने बचपन की मोहब्बत नीलम।
जीसे वो सच में प्यार करता था और उसे अब तक बुरी नज़रों से बचाता भी आया था।
जहां उसने शालु उसकी माँ और भाई की चूत से लेकर गाण्ड तक फाड़ डाला था वहीँ नीलम के मामले में उसका रवैया बिलकुल अलग था।
सच्ची मोहब्बत शायद इसी को कहते है।

रत्ना;उसकी हवस भी थी उसकी खवाहिश भी थी और उसकी ज़िन्दगी का मक़सद भी थी।
जीस औरत ने उसे अपनी छाती का दूध पीला पीला कर इतना हट्टा कट्टा की थी।
उसी औरत की चूत से वो अपना सन्तान पैदा करना चाहता था।

रुक्मणी;वो औरत थी देवा की ज़िन्दगी में जिसके ज़रिये देवा अपने बापू का पता लगाना चाहता था।
मगर उसे रुक्मणी से प्यार भी हो गया था।
और ये बात रुक्मणी भी अच्छी तरह जानती थी।

देवा;अपने खेतों में दिन भर काम करके शाम ढले घर आता है।

घर में उसे शालु और रत्ना बातें करती हुए दिखाई देती है।
देवा;भी उनके पास आकर बैठ जाता है।

देवा;क्या बात है काकी कैसी हो।

शालु;इतराते हुए ठीक हूँ बस तू बता कहा रहने लगा है दिखाई नहीं देता।

रत्ना;आज कल इसका मन कहीं भी भटकता रहता है।

शालु;इस उम्र में होता है रत्ना।
मै तो कहती हूँ कोई अच्छी सी लड़की देख इसका भी लगन करवा दे।

रत्ना;देवा की तरफ देखने लगती है।
जैसे उसकी ऑंखों में अपनी परछाई तलाश करने की कोशिश कर रही हो।

देवा भी रत्ना की ऑखों में देखते हुए शालु से कहता है
काकी लड़की मैंने देख रखी है बस माँ के हाँ कहने की देर है।
क्यूं माँ क्या कहती हो। तुम तैयार हो ना।

रत्ना;क्या मतलब...

शालु को हंसी आ जाती है
अरे जब ऐसी बात है तो मुझे बता दे मै करवा देती हूँ तेरी शादी।

देवा; मैं शादी करुँगा तो सिर्फ माँ की इच्छा से वरना नही।

रत्ना;देवा को घुरने लगती है।

शालु;मुझे नहीं बतायेगा कौन है वो।

देवा;उसे तुम बहुत अच्छे से जानती हो काकी।
और हाँ एक बात और तुम्हें ज़्यादा परेशान होने की भी ज़रूरत नहीं है
लडकी घर की ही है।
ये कहकर देवा अपने रूम में चला जाता है।

जहां एक तरफ शालु के दिल में लड्डू फुटने लगते है की देवा नीलम को ही अपने पत्नी बनाना चाहता है वहीँ रत्ना को ये सोच कर पसीना आने लगता है की देवा को ज़रा भी शर्म नहीं आ रही उसके बारे में शालु से इस तरह खुले आम बात करने में।

शालु;तो कुछ देर बाद अपने घर चली जाती है
उसके जाने के बाद रत्न देवा को ढूँढ़ते हुए उसके रूम में चली आती है।
देवा;अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था।

रत्ना; ये क्या बकवास कर रहे थे तुम बाहर।

देवा;क्या हुआ क्या गलत कहा मैंने।

रत्ना;देखो देवा मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं है समझे तुम गांव वालों का कुछ तो ख्याल रखो।

देवा; रत्ना का हाथ पकड़ कर अपने पास खीच लेता है।
और उसे अपनी बाहों में जकड लेता है।
क्या गलत कहा मैंने लड़की घर में तो है।
जीसे मै अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ।

रत्ना की साँसें फुलने लगती है।

देवा;उसे अपने शरीर के नीचे दबा देता है।
पत्नी तो मै तुझे मान चूका हूँ रत्ना
और जिस दिन तुम मुझे अपना पति मान लोगी उस दिन से रात दिन मै तुम्हारी चूत में अपने लंड को डालकर तुम्हें चोदा करुँगा। ये बात समझ लो।

रत्ना;उन्हह नही देवा ये गलत है ना।

देवा;क्या गलत और क्या सही मुझे नहीं पता।
वो रत्ना की चुचियों को मसलने लगता है।
मुझे तुझसे सब चाहिए मेरी रत्नाआआ...
बदले में तुझे मै हर ख़ुशी दूँगा।

रत्ना की ऑंखें बंद होने लगती है।
होठ काँपने लगते है जब जब वो इन बाहों में आती थी जिस्म दिमाग का साथ छोड देता था। शरीर में सनसनाहट सी होने लगती थी और चूत के पानी में उबाल आने लगता था।

रत्ना; गांव वाले.....

देवा;गांव वालों की चिंता नहीं मुझे...
रही बात हमारे संबंध की तुम चिंता मत करो। ये बात हम दोनों के सिवा किसी को भी पता नहीं चलेगी।
और हाँ शालु काकी से मै उनकी बेटी नीलम की बात कर रहा था।

रत्ना;देवा को देखने लगती है।

देवा; हाँ रत्ना नीलम बनेगी इस घर की बहु
और तुम दोनों इस देवा की पत्नी।
ये मत समझना मै झूठ कह रहा हूँ।
गांव वालो के लिए नीलम से शादी करनी पडेगी।
मगर मेरे जिस्म पर सबसे पहला अधिकार तुम्हारा होगा।

रत्ना;देवा के बालों में उँगलियाँ डालकर उसे अपने क़रीब झुकाती है और देवा भी रत्ना के होठो पर झुकता चला जाता है।
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दो प्रेमियों के बीच की दिवार धीरे धीरे कमज़ोर हो रही थी।
और वो दिन दूर नहीं था जिस दिन एक छोटा सा वार इस कच्ची दिवार को हमेशा के लिए गिरा देने वाला था।

रत्ना; मुझे इतना प्यार करते हो तुम।

देवा;सबसे ज़्यादा अगर मैंने किसी को अपना माना है तो वो तुम हो रत्ना।

देवा की मिठी बातें रत्ना के जिस्म में ऐसे घुलते है की रत्ना अपनी दोनों टाँगें खोल देती है और देवा भी इस मौके का फायदा उठाकर रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से अपने लंड से दबाने लगता है।
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जैसे ही चूत पर लंड का धक्का लगता है एक चिंगारी सी दोनों के बदन में पैदा हो जाती है और दोनों के जिस्म एक दूसरे में कस जाते है।
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देवा;दोनों हाथों से रत्ना की चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत पर लंड घिसते हुए रत्ना के रसीले होठो को चूसने लगता है।
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रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
ओह्ह बस भी करो न मुझे खाना बनाना है उन्हह।

देवा;उन हूँ गलप्प मेरी जान के होठो को ठीक से साफ़ तो कर दूँ गलप्प गलप्प.....

रत्ना;आहह छोड़ो भी आह्ह्ह्ह्ह्ह....
उसे डर लगने लगता है की कहीं जिस्म के आग में दो बदन जल न जाए । देवा के होठो की तपीश ही इतनी ज़्यादा थी की रोज़ रोज़ देवा के लंड को चूस चूस कर उसका पानी निकाल देने वाली रत्ना से आज अपने बेटे के लंड का धक्का भी सहा नहीं जाता और रत्ना ऑंखें बंद करके अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाने लगती है उसका जिस्म ऐंठ जाता है और एक चीख़ के साथ रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।
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देवा;मुस्कुरा देता है वो जान जाता है की रत्ना को क्या हुआ है।
रत्ना भी शर्मा कर देवा को अपने ऊपर से धक्का देकर
खाना पकाने चली जाती है और देवा अपने होठो पर ज़ुबान फेरते हुए दिल ही दिल में मुस्कुरा देता है।

खाना खाने के बाद देवा रत्ना को खेत में रात में रुकने का कहकर चला जाता है और रत्ना नीलम को अपने पास रात में रुकने के लिए बुला लेती है।
नीलम रत्ना को भी पसंद थी एक सुन्दर सुशील लड़की थी । नीलम रत्ना का बहुत ख्याल रखती थी।



देवा;खेत में जाता है मगर उसका दिल आज खुल कर किसी को चोदने के लिए कर रहा था।
आसमान में भी बादल घिर आये थे जिस से मौसम भी बहुत सुहाना बन गया था।

देवा;अपने लंड को सहलाने लगता है और हवेली की तरफ बढ़ जाता है।
गांव वाले जल्दी सो जाते थे इसलिए उसे कोई भी हवेली जाते नहीं देखता।
वो जैसे ही हवेली में दाखिल होता है
उसका सामना रुकमणि से होता है।

और रुक्मणी अपने देवा को देख इतना खुश हो जाती है की वो उसे अपने गले से लगा कर उसके गर्दन पर चुमने लगती है।

रुक्मणी;मुझे तो यकीन नहीं था तुम आओगे।


देवा;भी रुक्मणी की कमर को थाम कर उसे अपनी छाती से लगा लेता है।
आता कैसे नहीं तुमने दिल से जो याद किया था मुझे।

रुक्मणी की आँखों में हज़ारों दिए जलने लगते है
हमेशा लंड से दूर रही रुक्मणी के लिए ये रात उसकी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात होने वाली थी। ये बात सोच कर ही रुक्मणी बहुत गरम हो चुकी थी।

वो देवा का हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले आती है।
और उसे अपने बिस्तर पर बैठा कर खुद नीचे ज़मीन पर उसके सामने बैठ जाती है।

देवा;अरे ये क्या कर रही हो तुम वहां क्यों बैठी हो।

रुक्मणी;मेरी जगह यही है देवा तुम्हारे क़दमों में
मुझे तुम्हें जी भर कर देख लेने दो।
हमेशा से तुम्हें जी भर कर देखना चाहती थी।

देवा;रुक्मणि का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिस्तर पर बैठा देता है।
नही रुक्मणी वहां नहीं तुम दिल में हो मेरे और जो दिल में होती है उससे क़दमों में नहीं रखा जाता।

देवा भी एक मरद था और मरदों को पता होता है की औरतों की चूत लेने से पहले उनकी तारीफ करना बहुत ज़रूरी है।
चाहे फिर वो तारीफ झूठी ही क्यों न हो।

देवा की बातों का जादू हमेशा औरतों के सर चढ़ कर बोलता था और यहाँ भी रुक्मणी उसकी दीवानी हो गई थी।
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देवा;रुक्मणि की झुकी पलकें ऊपर उठाता है और उसके नाज़ुक से होठो पर अपने होंठ जैसे ही रखता है दरवाज़ा धडाम से खुलता है और दोनों चौंक जाते है।
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देवा; हाँ रत्ना नीलम बनेगी इस घर की बहु
और तुम दोनों इस देवा की पत्नी।
ये मत समझना मै झूठ कह रहा हूँ।
गांव वालो के लिए नीलम से शादी करनी पडेगी।
मगर मेरे जिस्म पर सबसे पहला अधिकार तुम्हारा होगा।
रत्ना;देवा के बालों में उँगलियाँ डालकर उसे अपने क़रीब झुकाती है और देवा भी रत्ना के होठो पर झुकता चला जाता है।दो प्रेमियों के बीच की दिवार धीरे धीरे कमज़ोर हो रही थी।
और वो दिन दूर नहीं था जिस दिन एक छोटा सा वार इस कच्ची दिवार को हमेशा के लिए गिरा देने वाला था।
रत्ना; मुझे इतना प्यार करते हो तुम।
देवा;सबसे ज़्यादा अगर मैंने किसी को अपना माना है तो वो तुम हो रत्ना।
देवा की मिठी बातें रत्ना के जिस्म में ऐसे घुलते है की रत्ना अपनी दोनों टाँगें खोल देती है और देवा भी इस मौके का फायदा उठाकर रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से अपने लंड से दबाने लगता है।
जैसे ही चूत पर लंड का धक्का लगता है एक चिंगारी सी दोनों के बदन में पैदा हो जाती है और दोनों के जिस्म एक दूसरे में कस जाते है।
देवा;दोनों हाथों से रत्ना की चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत पर लंड घिसते हुए रत्ना के रसीले होठो को चूसने लगता है।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
ओह्ह बस भी करो न मुझे खाना बनाना है उन्हह।
देवा;उन हूँ गलप्प मेरी जान के होठो को ठीक से साफ़ तो कर दूँ गलप्प गलप्प.....
रत्ना;आहह छोड़ो भी आह्ह्ह्ह्ह्ह....

उसे डर लगने लगता है की कहीं जिस्म के आग में दो बदन जल न जाए । देवा के होठो की तपीश ही इतनी ज़्यादा थी की रोज़ रोज़ देवा के लंड को चूस चूस कर उसका पानी निकाल देने वाली रत्ना से आज अपने बेटे के लंड का धक्का भी सहा नहीं जाता और रत्ना ऑंखें बंद करके अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाने लगती है उसका जिस्म ऐंठ जाता है और एक चीख़ के साथ रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।
 

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