अपडेट 101
सूरज सर पे आ चूका था जब रत्ना की नींद खुलती है तो वह खुद को एकदम नंगी देवा की बाँहों में पाती है।
देवा का लंड अब भी उसकी चूत में था लेकिन मुर्झाया हुआ था।
रत्ना के उठने से देवा का लंड उसकी चूत से बाहर आ जाता है। रत्ना जब देवा का लौडा देखती है तो उससे रहा नही जाता वह तुरंत उसे चुम लेती है।
फिर रत्ना अपने कपडे उठा के पहनने लगती है तभी वह देवा की तरफ देखती है जो अभी सो रहा था लेकिन नंगा था। रत्ना तब यह फैसला लेती है की वह कपडे तब तक नहीं पहनेगी जब तक उसका देवा उससे नहीं कहता।
और वह नंगी ही रसोई में जाके काम करने लगती है।
देवा की नीन्द खुली तो रत्ना उसे वहाँ नहीं दीखी लेकिन उसके कपडे जमीन पे पड़े थे।
देवा अपने बदन पे लुंगी डाल के रूम से निकल जाता है
वह किचन की तरफ जाता है।
वहाँ उसे रत्ना पूरी नंगी दिखाई देती है।
देवा तुरंत अपनी लुंगी खोल देता है।
रत्ना जब उसके लंड को एकदम खड़ा हुआ देखती है उसकी नज़रें झुक जाती है।
दोनो एक दूसरे के सामने खड़े थे।
देवा धीरे धीरे रत्ना के तरफ बढ़ता है।
और रत्ना के सामने जा के खड़ा हो जाता है।
दोनो अपने पूरे जोश में थे।
देवा रत्ना से चिपक जाता है चिपकने के वजह से देवा का खड़ा लंड रत्ना की जांघ में चला जाता है और रत्ना के चुचे देवा की चौडी छाती में धँस जाते है।
रत्ना: आहह .....रत्ना अपने पति देवा को अपनी बाँहों में भर लेती है।
देवा रत्ना को अपनी बाँहों में समेट लेता है।
देवा रत्ना को अपनी गोद में उठा लेता है और उसे अपने कमरे में ले जाता है और उसके सामने जाके खड़ा हो जाता है।
देवा:रत्ना अपने पति के लौडे को चूम चाट और गीला कर ताकि तुझे रगड के चोदूँ मैं।
और रत्ना के सर को पकड़ के अपने लंड पे झुकाता है।
रत्ना तो पहले से ही बेचैन थी। आह गलप्प गलप्प गप्प गलप्प आह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह गलप्प।
वो तेजी से देवा के लंड को चूस रही थी। उसका थूक उसकी चूत पे गिर रहा था । गलप्प गलपप
देवा; आह्ह्ह्ह रत्ना आहह आहह। देवा अपनी कमर हिलाने लगता है जैसे रत्ना का मुँह चोद रहा हो। आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह रत्ना आह्ह्ह्ह।
देवा रत्ना के चुचे मुँह में लेते हुए चूसने लगता है।
रत्ना; उन्हहह
देवा;इनमे दूध कब आयेगा मेरी रानी।
रत्ना;उन्हह देवा जब तू मुझे दिन रात चोदेगा और मुझे पेट से कर देगा आह्ह्ह मै तेरे बच्चे को पैदा करूँगी तब.....
देवा;चुचक को काटते हुए। तब मुझे दूध पिलायेगी।
रत्ना;तू पीयेगा देवा?
देवा;हाँ हर रात।
रत्ना;कैसे आह्ह्ह्ह।
देवा;तेरी चूत में लौडा डाल के तेरे ऊपर चढ़के तेरे चुचे को अपने मुँह में लेके जब मै तुझे चोदूँगा तब.....
रत्ना;ये सुनके पागल होने लगती है ।देवा मै पिलाऊंगी अपने पति को अपना दूध आह्ह्ह्ह देवा मै तुझे ताजा गरम दूध। मेरे चुचे से पिलाऊँगी आह्ह्ह आह्ह्ह।
अब देवा के लंड में और रत्ना के चूत में फिर से सरसराहट होने लगी थी।
देवा रत्ना को अपने ऊपर खीच लेता है।
तेरी चूत बहुत टाइट है माँ।
देवा रत्न के होठो को चुमते हुए सुन माँ।
मै तुझे और शालु को एक साथ चोदना चाहता हूँ।
और देवा रत्ना की गाण्ड को सहलाने लगता है।
रत्ना; हाँ देवा जो चाहोगे वैसे होगा उन्हहहह मै अब कही भी लुंगी अपने बेटे का लौडा मेरे बेटे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा का लंड तन चूका था वो रत्ना के पैर चौड़े करके अपने लंड पे उसको बैठाने लगता है अह्ह्ह्ह माँ............
रत्ना- ओह्ह देवा मै अंदर तक चीर गयी हूँ।
और रत्ना अपनी कमर हिलाने लगती है।ओहह्ह्ह्ह मेरे देवा तेरा लौडा कितना मोटा है। आह्ह्ह्ह मेरे बच्चेदानी तक जा रहा है आअह्हह्हह्हह।
देवा: हाँ माँ ये तेरे चूत के लिए ही बना है आह्ह्ह्हह दोनों लगातार एक दूसरे में समाते जा रहे थे। देवा नीचे से रत्ना को चोदे जा रहा था और रत्ना ऊपर से अपनी गाण्ड हिलाने लगती है ।
देवा रत्ना की गाण्ड में ऊँगली डालते हुए आह्ह्ह्ह
आह तेरी गाण्ड भी मारनी है मुझे.....
रत्ना-उन्हह आह्ह्ह्ह ले लो न देवा मेरी गाण्ड।
मुझसे पुछो मत बस मारो मेरी गाण्ड ओहह आह।
रत्ना थकने लगी थे उन्हह सुन उठ सुन न देवा
देवा बोल माँ.....
रत्ना;अपने नीचे लो न आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;उसे पलटते हुए नीचे कर लेता है और लौडा जड़ तक पेलने लगता है अहह आह्ह्ह्हह।
रत्ना; हाँ आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;रत्ना की चूत से लंड निकाल लेता है।
रत्ना:आह्ह्ह क्या हुआ वो जल्दी से देवा के लंड को पकड़ लेती है और अपनी चूत पे घीसने लगती है।
देवा:वहां नहीं तेरी गाण्ड में माँ।
रत्ना:देवा का मतलब समझ गई थी। वो अपने हाथ पे थूकती है और देवा के लंड पे मलती है फिर देवा के लंड को अपनी चूत के पानी से गिला करते हुये।
अपनी गाण्ड के छेद पे लगा देती है।
आह्ह्ह डाल देवा।
देवा : आहह माँ थोड़ा पैर खोल आहह और देवा पक की आवाज़ से अपना लंड अंदर ड़ालने लगता है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा का पूरा 9 इंच का लंड रत्ना की तपती हुई गाण्ड में जा चुका था।
देवा रत्ना के चुचे मुंह में ले के चुसने लगता है।
वो बच्चे की तरह उसकी चुचियों को चुसे जा रहा था।
रत्ना: उन्हह देवा मेरी गाँड आह्ह्ह्ह।
देवा: धीरे धीरे रत्ना की गाण्ड मारने लगता है अभी वो आराम से मार रहा था।
रत्ना:ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह करर न इससे भी चौड़ा अपनी माँ की गाण्ड को आहह आह्ह्ह।
अब दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। देवा रत्ना के पैर अपने काँधे पे रख देता है जिससे रत्ना की गांड और फ़ैल चुकी थी और देवा का लंड थोड़ा आसानी से अंदर तक जा रहा था।
देवा: “हाय माँ... तेरी गाण्ड तो 18 साल की कुंवारी छोकरी के चूत जैसे कसी हुई है। देखो कितने प्यार से मैंने पूरा लौड़ा तुम्हारी गाण्ड में पेल दिया बताओ तुम्हें दर्द हुआ?” देवा रत्ना की लटकती चूची दबाते हुए बोला। अब देवा रत्ना की गाण्ड से आधा के करीब लण्ड बाहर करके धीरे-धीरे फिर भीतर पेलने लगा था।
रत्ना:“रात को पहली बार जब तेरा लंड मेरी गाँड के अंदर घुसा था तो एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी। लेकिन अब जब अंदर जाता है तो गाण्ड में एक मीठी-मीठी सुरसुरी सी होती है। मारो मेरे राजा। आज फिर से तुमने मुझे एक नया मजा दिया है, एक नये स्वाद से अवगत कराया है...” रत्ना ने देवा की चूची दबाते हाथ को पकड़कर अपनी चूत पर रखते हुए कहा।
अब देवा ने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। नीचे से रत्ना भी गाण्ड उछालने लगी थी। देवा समझ गया की रत्ना पूरी मस्ती में है, और गाण्ड मरवाने का मजा लूट रही है। अगले 5 मिनट तक देवा ने अपनी माँ रत्ना की गाण्ड खुब कस के मारी। देवा पूरा लौड़ा गाण्ड से बाहर खींचकर एक ही धक्के में जड़ तक पेल रहा था। तेल से पूरी चिकनी गाण्ड में लण्ड ‘पक-पक’ करता अंदर-बाहर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद रत्ना की गाण्ड से लौड़ा निकाल लिया, फिर रत्ना को कुतिया बनाकर पीछे से चढ़कर अपनी माँ रत्ना की चूत में एक ही शाट में पूरा लण्ड पेल दिया और रत्ना को बेतहाशा चोदने लगा।
रत्ना गाण्ड पीछे ठेल-ठेलकर चुदवा रही थी। तभी देवा ने अपना लंड रत्ना की चूत से निकालकर उसकी गदराई गांड में पेल दिया।रत्ना भी गांड पीछे धकेल कर देवा से अपनी गांड मरवा रही थी।
देवा:आह साली रंडी एक ही दिन में तू गांड मरवाने में एक्सपर्ट हो गई है साली।एक तेरी बेटी है साली खाली बोलती है भैया कैसे भी करो लेकिन गांड आज तक नहीं मरवाई साली रंडी। जिस दिन उसकी गांड मिलेगी साली को ऐसे पेलूँगा की सुबह चल नहीं पायेगी।
रत्ना:अरे बेटा मेरी गांड है ना। तुझे जितना मन करे अपनी माँ की गांड मार ले बेटा।तुझे जैसे मन करे मुझे चोद।मैं तुझे सेक्स का हर वो सुख दूंगी जो तुझे कोई नहीं दे पायेगा।
देवा: हाँ माँ तू ही मेरी पहली बीबी है और मैं हमेशा तुझसे प्यार करता रहूंगा।
रत्ना: हाय बेटे और जोर जोर से मार मेरी गांड।मेरी गांड मारने में तुझे बहुत मज़ा आ रहा है न।
देवा: हाँ माँ तेरी गांड दुनिया की सबसे अच्छी गांड है अब तो मैं इसे रोज चोदुंगा।
और देवा जोर जोर से रत्ना की गांड मारने लगता है।
देवा: आह तेरी माँ के चूत आहह ।वो इतनी ज़ोर से गाण्ड मार रहा था जैसे कोई रंडी को पैसे दे के चोदता है जितना चोदो उतना पैसे वसूल आह्ह्ह्ह।
रत्ना;साँस लेती उससे पहले देवा उसे झटका मारता जिससे उसकी साँसे रुक रुक के निकल रही थी। मुंह खोलती तो देवा अपनी जीभ रत्ना के मुंह में डाल देता उहह्ह्ह।
रत्ना; की चूत पानी छोडने लगती है । आह्ह्ह्ह देवा और जोर से आह्ह्ह ऐसे मेरे बेटे आहहह जोर से मार मेरी गांड।
देवा: भी जोश मे था उसका लंड भी पानी छोड़ने वाला था। वो रत्ना का पानी निकलने के बाद अपना लंड रत्ना की गाण्ड से बाहर निकाल देता है और रत्ना के बाल पकड़ के बैठा देता है और अपना लंड उसके मुँह में पेल देता है आह्ह्ह्ह।
पी माँ तेरे बेटे का पानी और अपना गाढा गाढा पानी रत्ना के मुँह में गिराने लगता है आह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह।
रत्ना; उह्ह्हहं गलप्प्प गलप्प गलप्प किसी प्यासे की तरह पानी पीने लगती है उहँन गलप्प गलप्प।
10 मिनट बाद दोनों निढाल होके एक दूसरे के पास पास लेट जाते है।
देवा;एक ऐसा इंसान एक ऐसा मरद था जिसके जिस्म में खून नहीं गरम गरम लोहा दौड़ता था। अपने जिस्म की तपीश को उसने कई साल तक बर्दाश्त किया मगर जब इन्तहा हो गई तो वो जिस्म का जवाला मुखी फट पड़ा और उस आग की लपटों में जो कोई भी आया वो खुद को बचा न सका ।
कहते है जवान खून को औरतें सूँघ लेती है।
और देवा तो ऐसा जवान था जिसकी जवानी उसके बस में नहीं थी और शायद यही वजह थी की एक माँ भी अपने सारे रिश्ते ताक पर रख कर अपने सगे बेटे को अपना सब कुछ सौंप चुकी थी।
रत्ना और देवा बेसुध से एक दूसरे से लिपटे पड़े थे। रात भर और सुबह की चुदाई ने दोनों को जिस्मानी तौर पर थका ज़रूर दिया था मगर आत्मा अब भी प्यासी थी।
दूसरी तरफ नीलम ने सारी रात जाग कर निकाली थी ।
वो जब भी आँखें बंद करने की कोशिश करती उसे अपनी माँ और भाई चुदाई करते नज़र आते।
वो बेचैन थी।
उसके मन में कई सवाल थे मगर जबाब एक भी न था। वो जानती थी की इस मुश्किल वक़्त में देवा ही है जो उसकी उलझन को सुलझा सकता है।
वो सुबह होते ही देवा के घर की तरफ चल पडती है।
उधर रत्ना अभी अभी फिर से जागी थी।
वो अपने ऊपर देवा को देख पहले तो शर्मा जाती है
फिर मुस्कुरा कर देवा को देखने लगती है।
देवा का ढीला ढाला लंड अब भी रत्ना की चूत के किनारों को छु रहा था।
सुबह की ठण्डी ठण्डी हवा जब जिस्म से होकर गुज़रती तो रत्ना के तन बदन में कंपकंपी सी होने लगती।
देवा की रात की सारे बातें उसका चुमना उसका चोदना उसका चाटना सब कुछ रत्ना की आँखों से सामने घुमने लगता है।
और उसके हाथ खुद ब खुद नीचे सरकते जाते है और देवा के लंड पर आकर रुक जाते है।
वो उसे बाहर निकाल कर अपने मुठी में भर लेती है।
वो ढिला पड़ चूका था मगर रत्ना जानती थी की उसे कैसे खड़ा करना है।
रत्ना;अपने होठो को देवा के कान के क़रीब लाकर धीरे से सरगोशी करती है।
अब जग भी जा मेरे लाल रात की चांदनी में तो माँ को चोद चूका अब सुबह की रौशनी में भी भोग लगा दे ।।
देवा;को जैसे करंट सा लगता है और वो एक झटके में अपना सर उठा कर रत्ना की तरफ देखने लगता है।
शर्म ओ हया का दूर दूर तक कोई निशान नहीं था ।
एक जूनून था एक जोश था ।
रत्ना;अपना मुँह खोल कर अपनी जूबान बाहर निकाल कर देवा की आँखों में देखने लगती है।
अपनी माँ की बात को समझ कर देवा भी अपना मुँह खोल देता है और अपनी माँ की मीठी मिठी रस से भरी हुई ज़बान को अपने मुँह में खीच लेता है।
गलप्प गलप्प गलप्प ऊँह याह आहा गलप्प गलप्प
देवा;अपने मुँह का थूक रत्ना के मुँह में गिराने लगता है जिसे अमृत समझ कर रत्ना भी पीने लगती है।
एक हाथ से देवा रत्ना की चूत को सहलाने लगता है।
चुत पर गरम हाथ लगते ही रत्ना देवा से और चिपक जाती है और अपने दोनों हाथों में देवा के सर को थाम कर देवा को चुमने लगती है।
आह उई अहह ओह्ह।
देवा;की उँगलियाँ काम करने लगती है वो धीरे धीरे अंदर घूसने लगती है और रत्ना अपनी आँखे बंद कर लेती है।
रत्ना;बेटा ऐसा ना कर आहह ना।
एक चीख़ रत्ना के मुँह से निकलती है और उसी वक़्त नीलम दरवाज़े पर पहुँचती है उसके पैर वो आवाज़ सुनकर वही थम जाते है।
ये वैसी ही चीखें थी जैसे नीलम ने रात में अपनी माँ शालु के मुँह से सुनी थी।
उसका सर घुमने लगता है और माथे पर पसीने आने लगता है।
वो धीरे से दरवाज़ा अंदर की तरफ ढ़केलती है।
और अंदर का नज़ारा देख उसकी ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे अतक सी जाती है।
देवा और रत्ना 69 की पोजीशन में थे देवा की ज़ुबान अपनी माँ की चूत को चाट रही थी और रत्ना अपने बेटे के लंड को अपने मुँह में लिए चुसे जा रही थी।
गालप्प गलप्पप्प
गलप्प आअह्हह्हह्हहहह गलप्प
देवा
आह्ह्ह्ह गलप्प गलप्पप्प।
देवा;माँ मुझे रोज़ चाहिए तेरी चूत गलप्प गलप्प्प।
रत्ना;तेरी ही हूँ। बेटा चाट न बहुत अच्छा चाटता है रे आहह माँ आह्ह।
नीलम के आने के बाद माँ को भूल तो नहीं जायेंगा न रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;माँ तो आखिर माँ होती है।
गलप्प गलप्प गलप्पप्पप्प।
देवा;अपनी सबसे बड़ी ऊँगली को रत्ना की चूत की गहराइयों में घुसा देता है।
जितना ज़ोर का झटका रत्ना को लगता है उतना ही तेज़ धक्का नीलम को अपनी चूत में महसूस होता है।
एक अजीब सा अहसास नीलम महसूस करने लगती है।जिस चीज़ को देख कल रात उससे ग़ुस्सा आ रहा था आज वही सब फिर से देख उससे अच्छा लग रहा था।
मगर वो अब भी परेशान थी।
रत्ना;इस सब से अन्जान अपने देवा के लंड को अपने मुँह में लेकर चुसने लगती है।
गलप्प गलप्प गलप्प्प।
ये मेरा है ये मुझे रोज़ना चाहिए मेरे लाल गल्लप मेरा सिर्फ मेरा गलप्प गलप्प गप्पप्प आह्ह्ह्ह।
दोनो गरम हो चुके थे। एक बेटे का लंड जब माँ चुसे तो उसे खड़ा होने में बस पल भर की देरी लगती है।
देवा;अपनी माँ को लिटा देता है और दोनों टाँगें खोल देता है।
रत्ना;को लगता है जैसे अब देवा अंदर डाल देगा मगर देवा अपनी माँ की चूत पर झुकता है और अपने होठो से रत्ना की चूत को खोल कर अपनी ज़बान अंदर डाल देता है गलप्प गलप्प्प।
रत्ना;चीख पड़ती है उसकी चीख सुनकर नीलम फिर से होश में आ जाती है।
उससे किसी के क़दमों की आवाज़ सुनाई देती है जो बाहर से आ रही थी।
नीलाम झट से दूसरे रूम में घुस जाती है।
थोड़ी देर बाद नीलम को ढूँढ़ती हुए शालु वहां आ पहुँचती है।
वो जैसे ही रत्ना को आवाज़ देने के लिए दरवाज़े के सामने पहुँच कर मुँह खोलती है सामने माँ बेटे को ऐसी हालत में देख झट से एक तरफ हो जाती है।
शालु;की साँसे फुलने लगती है।
वो मन में सोचने लगती है।
दैया रे दैया देवा अपनी माँ को भी चोदता है।
तभी तो मै सोचूँ रत्ना दिन ब दिन इतनी जवान कैसे होती जा रही है।
शालु;फिर से एक कोने से अंदर झाँक कर देखने लगती है।
रत्ना; बेटा अब घुसा भी दे चूत से आग फूट रही है रे.......
देवा;माँ मुझे तेरी गाण्ड मारनी है।
रत्ना;नहीं नहीं वहां नहीं बहुत बड़ा है तेरा.... मुझे और भी दर्द देंगा क्या।
देवा;बेटे का तो काम ही होता है माँ को दर्द देना।
पहले जब तू मुझे जनि थी तब तुझे दर्द दिया था अब जब तुझ में फिर से जाऊँगा तब भी दर्द दूँगा।
देवा;की बात सुनकर रत्ना को हंसी आ जाती है और वो पास में पड़ी तेल की बोतल उठा कर अपने चूचि पर उंडेल देती है।
ले पहले इसकी धार तो बना ले उसके बाद मैदान में उतरना।
रत्ना;अपने हाथो में देवा का लंड थाम कर उसे अपने दोनों चूचियों के बीच में घीसने लगती है।।
देवा;का लंड फुंफकारने लगता है।
एक तो खड़ा लंड ऊपर से तेल में सना हुआ।
देवा;के मुँह से किसी जोश में आये हुए सांड की तरह आवाज़ें निकलने लगती है।
वो अजीब आवाज़ें करने लगता है।
उसके जोश को और ज़्यादा रत्ना बढाने लगती है और कभी अपने मुँह में लेकर तो कभी अपने चूचि पर घिस कर देवा की आँखों में देखने लगती है।
देवा;से अब रहा नहीं जाता और वो अपनी माँ की कमर पकड़ कर उसे घुमा कर कुतिया बना देता है और पीछे आकर पहले लंड को चूत और गाण्ड दोनों पर घीसने लगता है।
जिस काम से रत्ना देवा को तड़पा रही थी अब वही काम देवा रत्ना के साथ कर रहा था।
रत्ना;सिसकने लगती है डाल दे हरामी आहह ज़ालिम मत तड़पा अपनी माँ को आह्ह पेल दे कमीने....
देवा; लंड की टोपी को गाण्ड के सुराख़ पर टीका देता है और एक झटके में पूरी सामने का हिस्सा अंदर घूसा देता है।
गांड थी छोटी लंड था बड़ा होना क्या था रत्ना चीख़ पड़ती है और उसकी चीख़ सुनकर नीलम वहां से शालु के सामने से बाहर भाग जाती है।
शालु हक्की बक्की सी खड़ी देखती रह जाती है।
इस सब से अनजान देवा अपने काम में लगा रहता है और जैसे कोई साँप अपने बिल में घुसता है वैसे ही देवा अपनी माँ की गाण्ड में घुसता चला जाता है।
चींखें सिसकारियों में तब्दील हो जाती है।
तेल में सना हुआ लंड रत्ना की गाण्ड को पच फच आवाज़ के साथ खोलता चला जाता है।
रत्ना;बहुत मजा आ रहा है रे बेटा मारते रह ऐसे ही आह्ह्ह्ह माँ।
शालु;मज़ा तो मुझे भी बहुत आ रहा है माँ बेटे की मस्त चुदाई देख कर।
देवा और रत्ना अपना सर उठा कर दरवाज़े में खड़ी शालु की तरफ देख कर हैरान रह जाते है।