Incest हाय रे ज़ालिम................

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रानी; लंगड़ाते हुए बिस्तर से खडी होती है आज पहली बार लंड खाने के बाद उसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। वो नहाने चली जाती है और जब नहा के बाहर निकलती है तो हिम्मत राव उसे बैडरूम में बिस्तर पे बैठा मिलता है।

रानी;अरे बाप्पू तुम कब आए।

हिम्मत राव; रानी के क़रीब आता है और उसे ऊपर से निचे तक देखने लगता है।
लगता है मछली चारा निगल गई।

रानी;मुस्कुराते हुए हाँ बाप्पु।
पर ज़ालिम ने वो दर्द दिया है के चला भी नही जा रहा।

हिम्मत राव;रानी के जिस्म पे लिपटी टॉवल निकाल देता है और नीचे बैठ के रानी की चूत देखने लगता है।
ये क्या ये तो जगह जगह से चीर गई है और सूज भी गई है
वो हाथ लगा के चूत को देखता है।

रानी;आहह बाप्पू अभी मत छुओ बहुत जलन हो रही है
कुछ मत करो मुझे सोने दो।

हिम्मत राव;अपने मुंह में का थूक उसकी चूत पे लगा देता है ।
चल आराम कर और हाँ कल वो तेरे जनम दिन पे ज़रूर आएंगा मैंने पदमा से कह दिया है देवा को भी साथ ले आने के लिये।

अब बस अपना जादू उसपे कल ऐसे चला की वो तेरे इशारों पे नाचने लगे।

रानी;कुछ नहीं कहती और चुप चाप लेट जाती है।

देवा;को बहुत अफ़सोस हो रहा था की उसने ग़ुस्से में आके ये क्या अनर्थ कर दिया।
वो रानी से माफ़ी माँगने का सोच लेता है और खेत में चला जाता है।
वो रानी से मिलके उसे माफ़ी भी माँगना चाहता था पर अब् उसका दिल रानी का सोच सोच के डर भी रहा था पता नहीं वो रानी का सामना कैसे कर पायेगा।
दिन शाम में बदला और शाम रात में देवा वैध जी के घर जाने की बात भी भूल गया उसे रह रह के बस रानी और उसके साथ हुई घटना याद आ रही थी।

दिल में डर भी था कही हिम्मत राव उसे बन्दूक से उड़ा न दे।

रात में पदमा उसे मिलती है।
उसका दिल देवा के साथ रात गुजारने का था पर देवा का लंड तो ऐसे खामोश बैठा हुआ था जैसे मर गया हो।

देवा;पदमा को थकान का बहाना बनाके खेतों में सोने चला जाता है।

पदमा उसे हिम्मत राव का फरमान सुना गए थी।
रात बस ऑखों ऑखों में गुज़र जाती है।

सुबह का सूरज देवा के ज़िन्दगी में किसी अमावस के रात की तरह आया था।
वो धड़कते दिल के साथ पदमा के साथ हवेली जाता है।

हवेली में बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था देवा का दिल और ज़ोर से धड़कने लगता है।
पर जैसे ही वो दोनों अंदर जाते है।
शोर गुल और हंगामे की आवाज़ चारो तरफ सुनाई देने लगती है।

सामने रानी अपनी तमाम खुबसुरती के साथ देवा का इंतज़ार करते खडी थी।

हिम्मत रव और उसके कुछ दोस्त उनके बीवियाँ उनके बीच रानी के कुछ सहेलियां भी वहां मौजूद थी

पर रानी सब को छोड के सीधा देवा के पास आती है।

देवा रानी से आँख नहीं मिला रहा था । वो झिझकते हुए रानी को देखता है।
जनम दिन बहुत बहुत मुबारक हो मालकिन।

रानी उसके इतनी क़रीब आ जाती है की रानी की साँस की आवाज़ भी देवा को सुनाये दे रही थी।
अब मै तुम्हारी मालकिन नहीं रही देवा तुम्हारी दासी बन गई हूँ।

देवा;फटी फटी नज़रों से रानी को देखने लगता है।

हिम्मत राव वहां उनके पास आता है।
अरे देवा तुम आ गये। भाई बहुत देर कर दी तुमने। ये हमारी रानी बिटिया ज़िद कर बैठी थी की जिसके वजह से उसे नई कार मिली है वो उसके आने के बाद ही सबका मुंह मीठा करवाएंगी।
अब तुम आ गये हो तो शायद हम कुछ खा पी सके।


रानी; बापू आप भी न । देवा है ही इतना खास की कोई भी उसके लिए इंतज़ार कर बैठे। क्यों देवा।

देवा;झुकी झुकी नज़रों से । पता नहीं मलकिन।

कुछ देर बाद खाने पीने का दौड़ शुरू होता है ।
देवा एक तरफ बैठा सब को हँसते बोलते देख रहा था।

रुक्मणी काफी देर से देवा को ही देख रही थी।
वो उसके पास आती है रुक्मणी को देख देवा खड़ा हो जाता है

रुक्मणी;अरे बैठो बैठो देवा।
कैसे हो भाई एक शिकायत है हमे तुमसे।
तूम तो बस रानी और अपने काम में ऐसे खोये रहते हो की हमे देखते भी नही।

देवा;नहीं नहीं मालकिन आपको कुछ काम था मुझसे।

रुक्मणी;क्या मै सिर्फ काम के वक़्त तुमसे बात कर सकती हूँ।
बात ये है की मै तुम्हें शुक्रिया कहना चाहती थी । उस दिन जो तुमने मेरी जान बचाई थी।

देवा;मालकिन आप कई बार मुझे शुक्रिया कह चुकी है
शायद आप भूल गई और मैंने तो सिर्फ अपना फ़र्ज़ निभाया था और कुछ नही।

रुक्मणी;दिल में हाँ तुमने तो अपना फ़र्ज़ निभा लिया और बदले में मेरा दिल चुरा लिया।

दोनो हँस हँस के बातें करने लगते है।

दूर खड़े हिम्मत राव और रानी की नज़रें इन दोनों पे ही टीकी हुई थी।

हिम्मत राव;लगता है तुम्हें ज़्यादा मेंहनत नहीं करनी पडेगी बेटी।
हमारा काँटा लगता है खुद निकलना चाहता है हमारी ज़िन्दगी से।

रानी;मुझे भी यही लगता है बापु।

दो तीन घंटे बाद सारा हंगमा ख़तम हो जाता है और रानी देवा को अपने साथ कमरे में कुछ बात करने के बहाने से ले जाती है।

देवा;चुप चाप एक तरफ रूम में खड़ा हुआ था।
उसे पता था रानी उस पे ग़ुस्सा होंगी हो सकता है वो चिल्लाना भी शुरू कर दे ।
रानी देवा के क़रीब आती है और अचानक उसके गले लगके उसे चुमना शुरू कर देती है।

देवा देवा मेरे देवा मै तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करू तुमने मेरा दिल मुझसे छीन लिया है देवा मुझे तुमने ये क्या कर दिया है।
मुझे हमेशा के लिए अपना बना लो मेरे देवा।

देवा;मालकिन होश में आइये कल जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ। मै आपसे माफ़ी माँगना चाहता हूँ।

रानी;अरे बुधू माफ़ी किस बात की जिससे प्यार करते है ना। उसके साथ ये सब कर सकते है तुमने कुछ गलत नहीं किया। उल्टा मुझे तुमसे माफ़ी माँगनी है। मैंने कल ग़ुस्से में पता नहीं तुम्हें क्या कुछ कहा था।

अच्छा ये बताओ मेरे लिए क्या तोहफ़ा लाये हो।

देवा;वो मै क्या चाहिए आपको।

रानी; जो माँगूँगी दोगे।

देवा;जी दूँगा।

रानी;आज रात पीछे के दरवाज़े से हवेली में आ जाना और सीधा मेरे कमरे में आ जाना। मै दरवाज़ा खुला रखुंगी।
तब मै तुमसे तोहफ़ा माँगूगी और तुम्हें देना होगा।

देवा ऐसा फँसा था की उसे भागने का कोई दरवाज़ा दिखाई नहीं दे रहा था । वो हाँ कर देता है और कुछ देर बाद हवेली से चला जाता है।

दिन भर उसे बस एक बात सताती है की आखिर रानी उससे क्या माँगेंगी।

उसका किसी चीज़ में दिल नहीं लगता वो शालु के घर खाना खाने जाता है और चुप चाप खाना खाके वापस अपने घर लौट आता है उसके इस रवैये से सभी को हैरानी भी होती है ।

रात का अँधेरा घिर जाता है । गांव में सन्नाटा छा जाता है सभी अपने अपने बीवीयों के लहंगे में सो जाते है और देवा हवेली की तरफ चल पड़ता है । वो पीछे के दरवाज़े से हवेली के अंदर चला जाता है और दबे पांव रानी के कमरे में दाखिल हो जाता है।
जैसे ही वो कमरे के अंदर पहुँचता है रानी पीछे से दरवाज़ा बंद कर देती है और देवा से चिपक जाती है।


रानी;मुझे पता था तुम ज़रूर आओगे।

देवा;मालकिन बोलिये क्या चाहिए आपको।

रानी;तुम तुम्हारा जिस्म तुम्हारा प्यार तुम्हारा साथ हमेशा के लिए मुझे चाहिए देवा ।

देवा;नहीं नहीं मालकिन आप जोश में आके ये सब कह रही है।

रानी;देवा का लंड पेंट के ऊपर से सहलाने लगती है।
इधर देखो मेरे ऑखों में।
कल तुमने जो किया वो तुम्हें अच्छा लगा सच सच बताओ।

देवा;मालकिन वो।

रानी;सच बोलो।

देवा;हाँ मालकिन।

रानी; मैं तुम्हें अच्छी लगने लगी हूँ ना।

देवा;हाँ मालकिन पर।

रानी;मेरा जिस्म तुम्हें कैसा लगता है।

देवा;आप आईने की तरह साफ़ हो दूध की तरह गोरी हो आपका जिस्म संगमरमर की तरह है मालकिन।

रानी;देवा मै तुमसे प्यार करती हूँ सच्चा प्यार मै चाहती हूँ तुम भी मुझे प्यार करो बाप्पू की चिंता मत करो । गांव वालो से मत डरो बस मेरे बन के रहो। ये राज़ हम दोनों तक रहेगा बस तुम मुझसे दिन रात प्यार करो देवा।

देवा का लंड रानी के सहलाने से खड़ा हो चुका था। उसके दिल का डर भी रानी ने लगभग ख़तम कर दी थी।
सच बात तो ये थी की देवा भी रानी की मदमस्त जवानी और साफ़ खूबसूरत जिस्म को देख उसका दिवाना सा हो गया था।पहली बार उसने बिना बाल वाली चूत देखा था और हर नए चीज़ इंसान को अपनी तरफ खिचती है देवा का भी कुछ ऐसा ही हाल था।

दोनो के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
रानी;गलप्प देवा ये कपडे अब जिस्म पे बोझ से लग रहें है उतार दो न इन्हें।

वो देवा के कपडे उतारने लगती है और देवा रानी के।

रानी;देवा के जवान लंड को देख दिल ही दिल में खुश हो जाती है । भले ही उसे देवा से प्यार न हो पर वो देवा के लंड की दिवानी तो उसी दिन बन गई थी जिस दिन कार में उसने देवा के लंड को पहली बार हिलाई थी।

उसके होठो से राल टपकने लगती है और वो निचे बैठके देवा के लंड को चुमते हुए चाटने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प्प।

देवा;आहह मालकिन धीरे धीरे आह वरना पानी न निकल जाये मेंरा।

रानी;निकलने दो मै फिर से खड़ा कर दूंगी आज की रात ये मेरे और मेरी चूत के लिए है गलप्प गलप्प।

लंड तो देवा का बहुत पहले खड़ा हो चुका था। वो रानी को और चुसने नहीं देता और उसे अपनी गोद में उठाके चुमते हुए बिस्तर पे लिटा देता है।

देवा;रानी कल इस चूत पे बहुत ज़ुल्म किया है मैंने आज इसे मरहम लगाके ठीक कर दूंगा गलप्प गलप्प।



रानी; हाँ ठीक कर दो आहह मेरे देवा तुम्हारे लंड की तरह तुम्हारी ज़ुबान भी आहह कमाल की है।चाटो मेरे राजा आह्ह्ह।

देवा चूत को अंदर बाहर से चाटने लगता है जिस तरह रानी को देवा का लंड पसंद आ गया था उसी तरह देवा को भी रानी की चिकनी चूत भा गई थी। वो चूत को अंदर तक ज़ुबान डालके चाटने लगता है गलप्प गलप्प्प।

रानी;आहह मेरा पानी निकल जायेंगा आहह रुक जा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था वो बस रानी की चूत को खा जाना चाहता था।



रानी;रुक जाओ देवा आहह पहले मेरी चूत में एक बार डालके चोदो। मुझे उसके बाद रात भर चाटते रहना आहह बहुत खुजली हो रही है अंदर तक आह्ह्ह्ह्ह।

देवा;रानी के होठो को चुम के उसे भी चूत के पानी का स्वाद चखा देता है और अपने लंड को रानी की चूत पे टीका के रानी से पूछता है।

रानी : डाल दुं अंदर.

रानी;आहह पूछते क्यों हो अबसे मेरे जिस्म पे सिर्फ तुम्हारा अधिकार है डाल दो आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रानी का बस इतना बोलना था की देवा का लंड सनसनाते हुए रानी की चूत में घुसता चला जाता है।

आज देवा रानी को हलके हलके धक्के मार रहा था कल की तरह नही।
रानी; चूत के अंदर एक एक इंच पे देवा को महसूस कर सकती थी लंड तो उसने बहुत बार खाए थे पर असली लंड का मज़ा उसे देवा से मिला था।

रानी;आहह तू बड़ा वो है देवा कल जानवर की तरह चोद रहा था । आज इतने धीमे धीमे क्यों कर रहा है रे ज़ोर से मार ना।

देवा;रानी आह्ह्ह।
कल ऐसे चाहिए न तुझे । आहह इतने ज़ोर से क्या इससे भी ऐसे ज़ोर से वो धीरे धीरे अपने रफ़्तार बढा बढा के रानी को चोदते हुए पुछने लगता है और रानी हाँ हाँ चिल्लाती चली जाती है।

देवा;रानी को अपने ऊपर ले लेता है और नीचे से अपना लंड उसके चूत में घुसा के अंदर तक बच्चेदानी को टक्कर मारते हुए उसे चोदने लगता है।

रानी की चूत अंदर तक खुल जाती है और आज पहली बार उसे अपने जिस्म में बच्चेदानी होने का एहसास भी होने लगता है।
आह ये लंड है या हथोड़ा आहह माँ ।



देवा;तुझे ऐसे ही चाहिए न रानी आहहह्ह्ह्ह।
वो अब रानी को मालकिन कहके नहीं बल्कि रानी कहके बुलाने लगता है।
देवा समझ बैठा था की रानी उसके लंड की दिवानी हो गई है जैसे पदमा और वैध की बहुए है।
उसे इस सब में बहुत मजा भी आ रहा था ।
पर वो नहीं जानता था की रानी अपने पीछे पीछे तूफान भी ले के आ रही है।

वो रानी की चूत के नशे में उसे सुबह तक चोदता रहा। उसने रानी की चूत के साथ साथ गाण्ड को भी काफी हद तक खोल दिया था।

दोनो एक दूसरे के बाँहों में लेटे हुए आने वाले वक़्त की बातें कर रहे थे।

देवा;रानी तेरे बाप्पू को ये बात अगर पता चल गई तो वो तो मुझे जान से मार देंगे।
रानी; बापू के बन्दूक के सामने मै आ जाऊँगी

मेरे बापू तुम्हें कुछ नहीं करेंगे पर .....

देवा;पर क्या रानी।

रानी;तुम तो जानते हो मेरी माँ ....
वो मेरी सगी माँ नहीं है सौतेली माँ है वो मुझसे नफरत करती है।
अगर उन्हें पता चल गया तो वो सारे गांव वालो को बता देगी और हम सब की क़ितनी बदनामी होंगी तुम्हें गांव छोड के जाना भी पड़ सकता है।

देवा;नहीं नहीं मै अपना घर खेत छोड के कही नहीं जाना चाहता।

रानी; माँ बहुत ख़राब औरत है देवा। वो मुझपे बदचलन का इलज़ाम लगाके कही कुंवे में न ढकेल दे ।
इस सब का बस एक उपाए है।
जीससे गांव वालों तक ये बात नहीं पहुँच सकेंगी

देवा;वो क्या।

रानी; तुम मेरी माँ के दिल में जगह बना लो।
उनके बहुत क़रीबी हो जाओ।
फिर अगर कभी उन्हें हमारे बारे में पता चल भी गया तो वो किसी को कुछ नहीं कहने वाली।

देवा;हाँ बात तो सही है।
पर मुझे उनसे बहुत डर लगता है।

रानी;मर्द होके ड़रते हो मैंने तो सुनी थी की तुम किसी से भी नहीं ड़रते अरे अगर तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते तो जान से मार दो मुझे।

देवा;नहीं नहीं रानी। मै मालकिन के दिल में जगह बनाऊँगा।

रानी;ना सिर्फ जगह बल्कि तुम्हें उनके साथ वो सब भी करना पड़ेंगा जो हम करते है।

देवा;क्या नहीं नही.....

रानी; बुधू बस एक बार वो अपना मुंह न खोल सके। तुम्हारे जैसे जवान के लिए ये कौंन सी बडी बात है अरे जब तुम मुझ जैसे कुँवारे को अपने लंड की गुलाम बना सकते हो तो माँ तो तुम्हारे सामने कुछ भी नही।

देवा;कुछ देर बाद रानी की बात मान लेता है।
रानी देवा को चुमने लगती है।

कुछ देर बाद वो पीछे के दरवाज़े से देवा को घर भेज देती है और दिल ही दिल में अपनी जीत की खुशियाँ मनाने लगती है।
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अपडेट 21


सुबह देवा जल्दी उठ जाता है । उसे शहर जाना था अपने गन्ने की फसल को बेचने वो सुबह से खेत में लगा हुआ था मज़दूरो की मदद से वो ट्रेक्टर में गन्ने रखवा देता है।

वो बस शहर की तरफ निकलने ही वाला था की हवेली का एक नौकर जो हिम्मत राव के खेतों में काम करता था देवा के पास आता है।
और देवा को संदेश देता है की हिम्मत राव ने उसे अभी हवेली बुलाया है।

देवा; ट्रेक्टर लेके हवेली चला जाता है।
और ट्रेक्टर हवेली के बाहर खड़ा करके अंदर जाता है। सामने उसे हिम्मत राव रुक्मणी और रानी से बातें करते हुए दिखाई देते है वो सभी को नमस्ते करता है और रानी को देख उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

रानी;अरे बैठो देवा।

देवा;मालिक आपने मुझे बुलाया कुछ काम था।

हिम्मत राव; हाँ वो रुक्मणी को शहर जाना है अगर तुम्हें कोई काम नहीं होगा तो कार ले के चले जाओ।

देवा;मालिक मै शहर ही जा रहा था गन्ने बेचने।

रानी; ये तो अच्छी बात है माँ को भी ले जाओ जब तक माँ को डॉक्टर देखे तुम गन्ने बेच लेना और आते हुए माँ को दवाख़ाने से भी लेते आना।

रुक्मणी;उसे तकलीफ हो जाएंगी।

हिम्मत राव;क्या कहतो हो देवा तुम्हें कुछ दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;मालिक मुझे क्या दिकत हो सकती है पर मै तो ट्रेक्टर ले आया हूँ । मालकिन कहाँ उस में बैठेंगी।

हिम्मत राव;रुक्मणी की तरफ देखता है और फिर देवा की तरफ।
तूम रुको रुक्मणी अभी आती है कपडे बदल के और उसे कोई दिक्कत नहीं ट्रेक्टर में बैठने में क्यों रुक्मणी।

रुक्मणी;मुस्कुराते हुए नहीं मै अभी आती हूँ।
वो अंदर कपडे बदलने चली जाती है और देवा वही हिम्मत राव के पैरों के पास निचे ज़मीन पे बैठ जाता है। कुछ देर बाद रुक्मणी गुलाबी कलर की साडी पहनके बाहर आती है।
किसी स्वर्ग की अप्सरा की तरह अपने रंगों में लिपटी हुई रुक्मणी बहुत खूबसूरत लग रही थी।


देवा;एक उचटती सी निगाह रुक्मणी पे ड़ालता है और ट्रेक्टर की तरफ चल देता है पीछे पीछे रुक्मणी भी चली आती है।

दोनो ट्रेक्टर में बैठके शहर की तरफ निकल जाते है
उनके निकलने के बाद हिम्मत राव और रानी अपनी रास लीला शुरू करने रानी के रूम में घुस जाते है।

रुक्मणी;अपने साडी ठीक करते हुए
क्या बात है देवा इतने चुप क्यों बैठे हो क्या मेरा साथ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा।

देवा;अरे नहीं नहीं मालकिन मै कुछ और सोच रहा था।

रुक्मणी;हम्म मुझे भी बताओ क्या सोच रहे थे।

देवा; मैं सोच रहा था की जल्दी से गन्ने बेच बाच के मां के गांव चला जाऊँ।
माँ को वापस भी लाना है और पता नहीं मां की तबियत कैसी है।

रुक्मणी;क्या हुआ मां को तुम्हारी......

देवा ने ठीक नहर के ऊपर इतनी ज़ोर से ब्रेक मारा की रुक्मणी गिरते गिरते बचती है।
समने से मदमस्त हाथियों की एक टोली गुज़र रही थी
ये हाथी जब बेकाबू हो जाते थे तो सामने के हर एक चीज़ को तहस नहस कर देते थे।

देवा;ट्रेक्टर बंद कर देता है और ख़ामोशी से हथियों के जाने के प्रतीक्षा करता है।

पर गन्ने की खुशबु हथियों को १०० मील से भी आ जाती है ।
देवा का ट्रेक्टर तो गन्नो से भरा पड़ा था।
एक बड़ा सा हाथी देवा की तरफ बढ़ता है और चिंघाड़ता हुआ अपने सूंढ़ और दांत ट्रेक्टर पे मारता है।

रुक्मणी और देवा बुरी तरह घबरा जाते है और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगते है।

उनकी आवाज़ से गांव वाला तो कोई नहीं आता बल्कि बाकि के हाथी भी उस हाथी का साथ देने वहां आ जाते है।
देवा और रुक्मणी तीन तरफ से हथियों से घिर जाते है। रुक्मणी घबराके देवा से चिपक जाती है उसकी साडी कहाँ थी ब्लाउज कहाँ उसे कुछ होश नहीं था बस डर था तो हथियों से जो किसी भी वक़्त बड़े बड़े दाँत इन दोनों के बदन में घूस्सा के दोनों का काम तमाम कर सकते थे।

देवा;रुक्मणि का हाथ पकड़ लेता है।
मालकिन हमें नहर में कुदना होगा।

रुक्मणी;नहीं मुझे तैरना नहीं आता।

देवा;मुझपे भरोसा रखो जल्दी से कूदो वरना ये हमें मार देंगे।

रुक्मणी;ऑंखें बंद कर देती है और देवा रुक्मणी को अपनी गोद में उठाके नहर में कुद जाता है।

नहर में गिरते ही देवा हाथ पैर मारने लगता है और रुक्मणी को पकड़ के किनारे की तरफ तैरने लगता है।

रुक्मणी; बुरी तरह काँप रही थी उसका जिस्म ठण्डा हो चुका था और वो देवा से किसी बच्चे की तरह चिपकी हुई थी।

जैसे तैसे देवा उसे किनारे पे ले आता है।

रुक्मणी का ब्लाउज उसके गोरी गोरी ब्रैस्ट से चिपक जाता है अंदर ब्रा न होने के कारण साफ़ सफेद मोटे मोटे थन देवा को साफ़ दिखाई दे रहे थे।

डर के मारे रुक्मणी के होंठ थर थर काँप रहे थे।
एक पल के किये तो देवा का मन किया की उन काँपते गुलाबी होठो को चुम ले।

देवा;मालकिन आँखें खोलो।

रुक्मणी;वो चले गए ना।

देवा;हाँ मालकिन वो यहाँ नहीं है डरो मत कुछ नहीं होगा।

रुक्मणी;अपनी ऑखें खोलती है और अगले ही पल दूबारा बंद करके देवा से बुरी तरह चिपक जाती है।

गीली साडी और उसपे नाज़ुक बदन दोनों के जिस्म गीले थे।

देवा;के हाथ खुद बखुद रुक्मणी के कमर पे चले जाते है और वो उन नरम नरम कमर को दोनों हाथों में दबोच लेता है। रुक्मणी;ऑखें खोल के देवा की ऑंखों में देखती है और फिर दूबारा बंद करके देवा के छाती में सर छुपा लेती है।

रुक्मणी;आहह देवा मेरी जान बचाने के लिए मै तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ।

देवा के हाथ धीरे धीरे रुक्मणी के कमर पे अभी भी घूम रहे थे।
मलकिन मै आपको पहले भी कह चुका हूँ आपकी जान मेरे लिए अपनी जान से भी ज़्यादा क़ीमती है।

रुक्मणी; ये सुनके देवा के जांघ में अपनी जांघ दबाने लगती है जिससे देवा का लंड रुक्मणी के ठीक चूत के ऊपर रगड जाता है।

रुक्मणी; आहह ऐसा क्यों देवा।

देवा;अपना हाथ रुक्मणी के गरदन पे घुमाते हुए उसका सर ऊपर की तरफ करता है।रुक्मणी की ऑखें अभी भी बंद थी और होंठ थोड़े खुले हुए थे। साँस धीमी मगर गहरी चल रही थी।

देवा;उसके कान को चुमता है और धीरे से उसे कुछ कहना चाहता है की तभी....

देवा के कान में हथियों की आवाज़ सुनाई देती है वो अभी भी उसके ट्रेक्टर के पास खड़े थे। देवा रुक्मणी को छोड़ के नहर पे बनी पुलिया की तरफ देखता है जिसपे वो ट्रेक्टर खड़ा था। कुछ गांव वाले भी वहां पहुँच चुके थे और इतने सारे लोगों की आवाज़ से वो हाथी वहां से भाग जाते है।




रुक्मणी;कुछ देर बाद ट्रेक्टर के पास पहुंचती है।
उसकी ऑखें लाल हो चुकी थी ।
वो चुप चाप ट्रेक्टर में बैठ जाती है और देवा भी रुक्मणी से कुछ कहे बिना शहर की तरफ ट्रेक्टर चला देता है।।

शहर में देवा रुक्मणी को दवाखाने में छोड मन्डी में गन्ने नीलाम करने चला जाता है।

और कुछ घण्टो के बाद खाली ट्रेक्टर ले के वापस दवाख़ाने आ जाता है। रुक्मणी;उसका इंतज़ार कर रही थी। वापसी का सफ़र ख़ामोशी में कट जाता है दोनों के दिल एक दूसरे से बातें कर रहे थे पर होंठ खामोश थे।
जहां रुक्मणी के दिल के जज़्बात देवा को ले के बदल चुके थे
वही देवा भी रुक्मणी की तरफ काफी झुकाव महसूस कर रहा था ।
मोहब्बत तो वो नीलम से करता था पर आज जब रुक्मणी उसकी बाहों में थी तो उसे ऐसा लगा जैसे वो नीलम है।
हवस के बजाये रुक्मणी के लिए उसके दिल में प्यार जग चुका था।
वो खुद को समझाता मनाता गालियां देता किसी तरह हवेली पहुँचता है।

जैसे ही उसकी नज़र रानी पे पडती है वो ट्रेक्टर ले के अपने घर की तरफ निकल जाता है।
रह रह के रानी से किया हुआ वादा सताने लगता है।
वो रुक्मणी को बिना ज़्यादा मेंहनत किये अपने नीचे सुला सकता था पर ना जाने क्यों उसका दिल इस चीज़ के लिए उसे इजाज़त नहीं दे रहा था । वो रुक्मणी को धोखा देने की सोच के ही काँप उठता था।

अपनी यादों में खोया वो घर जा ही रहा था की रास्ते में उसे शालु मिलती है और वो उसे वैध जी के यहाँ जाने की याद दिलाती है।

देवा बिना घर गये ट्रेक्टर वैध जी के घर की तरफ घुमा देता है।

वैध के घर का दरवाज़ा खुला हुआ था इसलिए देवा सीधा घर के अंदर चला जाता है घर एकदम खाली था। देवा सोचता है शायद किरण या वैध पिछवाडे होंगे वो जैसे ही उठके बाहर जाता है किरण अपना बदन टॉवल से पोछते हुए बाथरूम से बाहर निकलती है।

किरण देवा को देख चौंक भी जाती है और खुश भी हो जाती है।
तूम कब आए।

देवा;बस अभी आया मुझे कोई बाहर दिखाई नहीं दिया तो अंदर चला आया। वैध जी से काका की दवायें लेनी थी।

किरण;बाप्पू घर पे तो थे। पता नहीं कहाँ चले गये।
वो अपने टॉवल अपने बदन से अलग करके सर पे बांध देती है।
यहाँ आओ। देवा जब किरण के क़रीब पहुँचता है तो लंड तो उसका सुबह से चिल्ला रहा था चूत के लिए और अब सामने किरण ऐसे चूत और चूचियों के दर्शन करा रही थी की पुछो मत।

किरण;देवा के कान को पकड़ के खीचती है और उसके कान में कहती है।
चोदेगा नही।

देवा;मुस्कुरा देता है।
साली तेरा ससुर आ गया तो।

किरण;तू डरता भी है मुझे आज पता चला।


देवा;डरता तो मै किसी के बाप से भी नहीं हूँ।
चल जो होगा देखा जायेगा।
वह किरण को गोद में उठा लेता है।
और अपने कपडे निकाल के किरण को बुरी तरह मसलने लगता है।



किरण;आहह देवा पता नहीं क्या बात है तुझ में दिल तेरे बिना लगता ही नहीं आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा अपने लंड को किरण की चूत पे घीसने लगता है।

किरण;अरे रुक जा ज़रा पहले मुंह से तो गीला करने दो मुझे।
वो निचे बैठ के देवा के लंड को मुंह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प गप्पप्प।
गलप्प।
आह बहुत मीठा है रे ये आह्ह्ह्ह्ह् गलप्प गप्प्प।



देवा; किरण के मुँह के अंदर झटके मारने लगता है उसकी ऑखें बंद थी और दिल में रुक्मणी की सुबह की गीली साडी वाले छवि। वो सटा सट अपने लंड को किरण के मुंह में ऐसे पेलने लगता है जैसे रुक्मणी को चोद रहा हो।

किरण; गुं गुं गुं आहह आराम से चूत नहीं है वो आह्ह्ह गलप्प गलप्प्प।

देवा;चल आजा और देवा किरण को अपने लंड पे खीच लेता है।

किरण;आहह धीरे बाबा ।
वो अपनी दोनों टाँगें देवा की कमर के पास लटका के निचे ऊपर हो के लंड चूत के अंदर तक लेने लगती है
आह रोज़ चुदुँगी मै तो अब आहह तुझसे आह्ह्ह्ह्ह् मेरे देवा आआह्ह्ह।

देवा;साली बहुत गरम है तेरी चूत कही मेरा लंड न जला दे आह्ह्ह्ह्ह।

किरण; नहीं जलने दूंगी आहह अपना नुकसान कैसे करुँगी मै आह्ह्ह्ह्ह्हह माँ।

वो अपने धुन में मगन थे की तभी वहां वैध आ जाता है और किरण को देवा के लंड पे कूदता देख उसके तन बदन में आग लग जाती है। बैध जी; ये क्या हो रहा है किरण।

किरण के साथ साथ देवा भी घबराके वैध की तरफ देखती है।

किरण; लंड पर से उठना चाहती है पर देवा उसे उठने नहीं देता।
और अपना लंड उसकी चूत में पेलते रहता है।

देवा;वैध जी देख नहीं रहे तुम्हारी बहु को चोद रहा हूँ।

बैध जी: मैं अभी सारे गांव वालो को बुलाकर बताता हूँ।

देवा; हाँ जा मै भी तेरे और तेरी बहु के बारे में सबको बोलूँगा और किरण सबके सामने पूरे गांव वालो को कहेंगी की तू इसका रोज़ बलात्कार करता है।
क्यूं बोलेंगी ना किरण।

करण; हाँ बोलूँगी आहह ।

बैध जी;के पैर जम जाते है।

देवा; चुप चाप यहाँ बैठ जा और हमें हमारा काम करने दे ।
अगर तूने अपना मुंह खोला तो इस लंड से तेरी गाण्ड चीर दूंगा बैठ जा चुप चाप।

बैध जी;अपनी इज़्ज़त बचाने के डर से वही बैठ जाते है।

और सामने देवा किरण को अपने ऊपर लेके वैध जी को देखाते हुए किरण के चूत में दना दन लंड पेलने लगता है।

किरण; आहह ऐसे ही ज़ोर से आहह मुझे ऐसे लंड चाहिये देवा । आहह चोद मुझे अपने ससुर के सामने आह्ह।



किरण की चूत बहुत जोश में आ चुकी थी। ससुर का डर दिल से निकल जाने से वो खुल के देवा के लंड को अपनी चूत में ले सकती थी।
अपने ससुर के सामने बाहर वाले से चुदना। ये सोच सोच के किरण की चूत से पानी की धार बहने लगती है। दोनो पसीने में तर बतर हो चुके थे। पर दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे।

सामने बैठा वैध अपने लंड को धोती के ऊपर से सहलाने लगता है।

और देवा किरण को अपने निचे झुका के लंड को उसकी बच्चेदानी तक डालके चोदने लगता है ।



किरण;आहह माँ आहह चोदो न आह्ह्ह्ह्ह्ह।
मेरी चूत आहह रोज़ चोदने आ जाया करो देवा आअह्हह्हह्हह।

देवा :पूरी ताकत से लंड को किरण की चूत के जड में पहुंचा के कुछ देर बाद उस्की चूत को अपने पानी से भर देता है और खड़ा होके वैध के सामने किरण को गोद में ले के चुमने लगता है।

कुछ देर दोनों के होंठ एक दूसरे से अलग नहीं होते और जब होते है तो किरण की ज़ुबान देवा के लंड पे झुक जाती है और अपनी चूत और देवा के लंड के पानी को चाट चाट देवा के लंड को साफ़ करने लगती है।

थोड़ी देर बाद देवा तो कपडे पहनके घर दवायें लेके चला जाता है।
पर किरण को एक काम और करना पडता है। उसे वैध जी के लंड को हिला हिला के ठण्डा करना पडता है।



वैध जी;आहह हिला बिटिया आह्ह्ह मुंह में लेके चुस ना।


किरण;नहीं अब इस मुंह में सिर्फ देवा का लंड जायेगा। और किसी का नही।
WOW MAST AND LONG UPDATE DEVA NE KIRAN KI CHUDAI KARKE USKE SASUR KE LUND KA PTA HI SAAF KAR DIYA
 
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देवा;किरण की ले के घर आ जाता है उसे थोड़े थकान महसूस हो रही थी।
वो नहा लेता है और नए कपडे पहन के शालु के घर की तरफ चल देता है।
शालु घर के ऑंगन में ही बैठी हुई थी देवा को देख वो उसे अपने पास बुला लेती है।

शालु;अरे वाह देवा आज तो बड़े तैयारी की हुई है कही जा रहे हो क्या।

देवा;हाँ काकी मां के घर जा रहा हूँ खेत का सारा काम ख़तम हो गया है । सोचा कुछ दिन वही रहके माँ और ममता को साथ लेता आऊँगा।
ये लो काका की दवाई।

शालु;ये तूने बहुत अच्छा सोचा। रोज़ रोज़ एक ही काम करने से आदमी बेज़ार भी हो जाता है। जिस्म भी थका थका लगने लगता है।

देवा;अरे वाह काकी आपको मर्दो के बारे में बहुत मालूम है।

शालु;चल हट बदमाश सब जानती हूँ तेरे बारे में।

देवा;शालू के क़रीब सरक जाता है कभी मुझे भी जानने दो आपके बारे में पता तो चले क्या क्या राज़ छुपे हुए है अंदर।

शालु; इतराते हुए।
मुझ में कई राज़ है बतलाऊँ क्या।
मुद्दतो से बंद हूँ खुल जाऊँ क्या।

देवा;हाँ काकी खोल दो । मेरा मतलब है सारे राज़ खोल दो।

शालु;देवा के कान मरोड़ देती है।

देवा;भी शालु को मूड में देख अपने हाथ से शालु के निप्पल को जो ब्लाउज के अंदर दबी हुई थी मरोड़ देता है।

शालु;आहह कमीना कही का।
देवा;पप्पू को आता देख खड़ा हो जाता है और शालु को घर की चाबियाँ दे के हवेली रानी को भी बताने चला जाता है।


रानी;अपने रूम में लेटी हुए देवा के बारे में ही सोच रही थी।

देवा;अब बिना किसी से इजाज़त लिए सीधा कही भी चला जाता। उसे तो जैसे किसी की परवाह ही नहीं थी।

रानी;देवा को अपने रूम में देख के बिस्तर से खडी हो जाती है।
अरे देवा अच्छा हुआ तुम आ गये। मै तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
उसके भरे भरे सुडौल ब्रैस्ट देख देवा के लंड में हलचल होने लगती है।
रानी इतनी खूबसूरत थी की कोई भी उसे देख ले तो बस देखता रह जाये और अभी तो वो देवा के सामने सिर्फ ब्रा और नीचे शलवार में खडी थी।



देवा;वो मै ये बताने आया था की मै कुछ दिन के लिए अपने मां के यहाँ जा रहा हूँ।

रानी; दौड़ते हुए जाके देवा की छाती से चिपक जाती है नहीं नहीं तुम कही नहीं जाओंगे मै कैसे रहूँगी तुम्हारे बिना नहीं बिलकुल भी नही।

देवा;रानी बस कुछ दिनों की बात है मां की तबियत ख़राब है और माँ और बहन को भी वापस लाना है।

रानी;उदास हो जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लेती है जाओ तुम ।

देवा; उसे घुमा के अपनी तरफ कर लेता है और रानी के कान पकड़ के कहता है।
अरे बाबा इस बार माफ़ी दे दो आगे से ऐसा नहीं होगा।

रानी; ये अच्छा है गलती करो खुद और कान भी मेरे पकडो।
जाओ मै तुमसे कभी बात नहीं करुँगी।

देवा;उसके चेहरे को ऊपर उठाता है कभी बात नहीं करोगी।

रानी;कभी नही।

देवा;कभी नही।

रानी;कुछ नहीं कहती बस ऑखें बंद कर लेती है।
देवा;उसके काँपते हुए होठो को मुंह में ले के चुमने लगता है और हाथ पीछे ले जाके रानी की ब्रा का हुक खोल देता है।


रानी;देवा के मुंह में मुंह डाले मदहोशी की इन्तहा पे पहुँच रही थी की तभी देवा उसके निप्पल्स को बुरी तरह मसल देता है और इस दर्द से रानी अपना मुंह और खोल देती है। जिससे उसकी ज़ुबान भी अब देवा के कब्ज़े में आ जाती है।



रानी;आहह तुम तो चले जाओंगे फिर इनका ख्याल कौन रखेंगा ।



देवा;अभी तक मै रखता आया हूँ आगे भी मै ही रखूँगा मेरी रानी।
वो रानी के मोटे मोटे भरे भरे ब्रैस्ट को दोनों हाथों से मसलता हुआ निप्पल्स को मुंह में भर के बच्चे की। तरह चुसने लगता है गलप्प गलप्प।
गलप्प आहह गलप्प।

रानी;अपने हाथ से देवा का पेंट खोल देती है और उसे निचे गिरा देती है।

देवा;आहह नहीं रानी मुझे बहुत देर हो रही है जाने दे मुझे।

रानी;आहह गलप्प गलप्प। जाने से पहले अपनी रानी को एक बार चोदो। तरस जाऊँगी मैं तुम्हारे बिना गलप्प
आज बिना किये नहीं जाने दूंगी मै तुम्हें गलप्प गल्प।
वो निचे बैठ के देवा के लंड को मुंह में ले के चुसने लगती है।



देवा रानी के बचे हुए कपडे भी निकाल देता है।
लंड तो देवा का उसे देखते ही खड़ा हो जाता था ।
अगर वो किरण को चोदके नहीं आता तो रानी के बिना बोले उसे पलंग पे लिटा चुका होता ।

रानी अपने पैर खोल के देवा की तरफ देखने लगती है। जो हाथ में लंड पकड़ के उसे अपने थूक से गीला कर रहा था।
देख क्या रहे हो आ जाओ जल्दी से।

देवा रानी पे झुकता है और अपने लंड को उसकी चूत में घुसाता चला जाता है।
रानी दर्द और जोश में हलकी हलकी सिसकारियां भरते हुए लंड को और अंदर जाने के जगह देती जाती है। शाबाश और अंदर रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।




देवा;आहह मेरी रानी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह।

रानी;कुछ मत बोलो बस चोदते जाओ मुझे आहह हाँ ऐसे ही और अंदर तक आहह ये चूत बिना तेरे कैसे रह पायेंगी रे ज़ालिम आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा; मैं भी तुझे चोदे बिना नहीं सो पाऊँगा वहां रानी। आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रानी; चोद न ज़ोर से आहह माँ आहह बातें मत कर मुझे चोदते हुए बेहोश कर दे । आहह ऐसे ही माँ वो मै गई।

रानी की चूत इतनी गरम हो चुकी थी की वो खुद तो १५ मिनट में झड जाती है साथ ही साथ अपने चूत की गर्मी से देवा के लंड को भी अंदर ही अंदर झडा देती है।

दोनो एक दूसरे की बाहों में सिमटे एक दूसरे के चेहरे को चुमने लगते है।



कुछ देर बाद देवा रानी को जी भर के चुमने के बाद घर आ जाता है और ट्रेक्टर लेके मां के घर निकल जाता है।

इन्सान गरीब हो या अमीर वो बच्चा हो या जवान जब भी वो अपने मां के घर जाता है एक अजीब सी ख़ुशी उसे महसूस होती है ।
देवा को भी यही ख़ुशी महसूस हो रही थी जैसे जैसे वो मां के घर के क़रीब पहुँचता जा रहा था।

आखीर वो अपने मामा माधव सिंह के घर पहुँच जाता है
उसे देख देवकी भागती हुई किचन से आती है और अपने भांजे को अपनी छाती से लगा लेती है।

मामी के नरम और गरम छाती से लग के आज देवा को नया आनन्द महसूस हो रहा था । इससे पहले भी देवकी कई बार देवा को अपने छाती से लगा चुकी थी पर इस बार देवकी के चिपकने में कुछ नयापन था।

देवा;भी देवकी को कस के बाँहों में भर लेता है जिससे देवकी के मुंह से हलकी से शह्ह्हह्ह्ह्ह आवाज़ निकल जाती है।

पास खड़ी रामु की पत्नी कौशल्या ने शायद ये आवाज़ सुन ली थी इसलिए उसके चेहरे पे एक हलकी सी मुसकान फैल जाती है।
देवा अपने भाई रामु से उसकी पत्नी कौशल्या से और रामु की बहन नूतन से भी मिलता है।


नुतन बड़े गौर से देवा को देख रही थी।
वो बेहद खूबसूरत थी । बिलकुल अपनी माँ देवकी के जैसे नयन नक्श। हालाँकि उसके ब्रैस्ट देवकी के जैसे भरे भरे नहीं थे। ना ही कमर देवकी के तरह चलते वक़्त हिलते थे। पर थी वो भी एक नमकीन चेहरे वाली लड़की।

देवा;अपनी माँ रत्ना के साथ मामा से मिलने चला जाता है।

माधव;की तबियत अब पहले से काफी बेहतर हो गई थी।

वो देवा को देख बहुत खुश होते है और देवा उनसे कितनी ही देर बातें करता रहता है।

रात के खाने का वक़्त हो गया था। वो सभी एक साथ मिलके खाना खाने लगते है।

कौशलया जिसे सब प्यार से काशी बुलाते थे। खाना परोस रही थी और नूतन भी उसका हाथ बटा रही थी।

रामु;देवा से खेती की बातें कर रहा था ।

देवकी;जो खाना कम खा रही थी और देवा के जिस्म को ज़्यादा देख रही थी।

सभी एक दूसरे से हँस बोल के बातें करते हुए खाना खाने लगते है।
देवा;चोर नज़रों से कैशलया को भी देख लेता था।
और जब भी वो कैशलया की तरफ देखता कौशल्या भी उसी समय उसकी तरफ देख एक हलकी सी मुस्कान चेहरे पे ले आती।

खाना खाने के बाद कुछ देर बातों का दौड़ चलता है और फिर धीरे धीरे करके सभी सोने चले जाते है।

नुतन ममता के साथ एक कमरे में सीफ्ट है।
एक कमरे में रामु और उसकी पत्नी कौशल्या सोने चली जाती है।
और एक कमरे में चारपाई के ऊपर माधव और उसी कमरे में निचे ज़मीन पे पहले रत्ना उसके बगल में देवा और उसके बगल में देवकी थोड़े थोड़े अंतर से लेट जाते है।

देवा रत्ना और देवकी धीमी आवाज़ में एक दूसरे से बातें करने लगते है।

की तभी माधव देवकी को डांटते है।
माधव;देवकी देवा थका मांदा घर आया है उसे आराम करने दे । कल बातें कर लेना। अभी बत्ती बुझा दो।

देवकी;अपने पती को कुछ नही कहती और जीरो लाइट लगा देती है और सभी चुप चाप लेट जाते है।

देवा;अपने ऑखों पे हाथ रखे रानी के बारे में सोचने लगता है।
एक घंटे बाद-



देवा को किसी की खुसुर पुसुर की आवाज़ सुनाई देती है । वो ऑखों पे से थोड़ा सा हाथ हटाता है। जीरो लाइट की रौशनी में वो साफ़ देख सकता था की देवकी माधव के पास बैठी उसकी धोती निचे करके उसके लंड को चूस रही है।



देवा का हाथ खुद ब खुद अपने लंड पे चला जाता है और वो चादर के अंदर लेटे लेटे लंड को सहलाने लगता है ये अनुभव उसके लिए बिलकुल नया था उसने अपने मामा मामी को कभी ऐसी हालत में नहीं देखा था।

देवकी;अपना ब्लाउज खोले हुए माधव से अपनी ब्रैस्ट मसलवा रही थी।

कच देर बाद माधव उसे अपने ऊपर आने को केहता है और देवकी बिना आवाज़ किये माधव के ऊपर चढ़ जाते है और अपने कमर को निचे ऊपर करने लगते है

उसे ऐसा करते ज़्यादा देर भी नहीं हुई थी की देवकी कमर हिलाना बंद कर देती है और माधव को गाली दे के उसके ऊपर से उतर जाती है।

माधव अपने मुरझाये लंड को वापस धोती में डाल के करवट बदल के सो जाता है और देवकी साडी निचे करके ब्लाउज ठीक करके देवा के बगल में जाके लेट जाती है।

देवकी एक करवट लेटी हुई थी की अचानक उसे अपनी कमर में कुछ चुभता हुआ महसूस होता है।

ये देवा था जो नींद का बहाना करते हुए देवकी की कमर में पीछे से अपना लंड पेंट के अंदर से उसे चुभा रहा था।

देवकी अपनी कमर को आगे करने के बजाये पीछे देवा के लंड की तरफ झुका देती है और अपनी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगती है।
देवा के लंड के एहसास से ही वो कुछ हे देर में झड जाती है ।

देवा अपना लंड देवकी की कमर से हटा के सीधा लेट जाता है जैसे उसे कुछ पता ही न हो और जो हुआ वो नींद में हुआ हो।

न देवा की आँख ठीक तरह से लग पाती है और न देवकी सो पाती है।
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सुबह जब देवा की आँख खुली तो उसके पास कोई नहीं था।
न रत्ना और न देवकी वो सबसे पहले फ्रेश होने चला जाता है।
बाथरूम से नहा के जब वो जिस्म पे सिर्फ टॉवल लपेट के बाहर निकलता है ।
तो सामने कुरसी पे कौशल्या बैठी मिलती है।

कौशलया;देवा को ऐसे देख शरमा के अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है।

देवा;झट से अपनी क़मीज़ पहन लेता है।
भाभी कुछ काम था क्या।

कौशल्या;नहीं मै तो वो नाश्ते का पुछने के लिए आई थी
यहाँ ले आऊँ या बाहर लगा दुं।

देवा;माँ कहाँ है।

कौशल्या;वो ममता दीदी के साथ पास के सुषमा काकी के यहाँ गई है।

देवा; अच्छा ऐसा करो आप यही ले आओ नाशता।

कौशल्या;मुस्कुराते हुए नाश्ता लाने चली जाती है।
घर में सन्नाटा पसरा हुआ था।
आम तौर पे गांव के सभी लोग सुबह सुबह ही खेत में काम करने चले जाते थे और शाम ढले वापस आ जाते थे।

देवा;नाश्ता करते करते कौशल्या से पूछता है।
मामी और रामु भाई कही नज़र नहीं आ रहे।

कौशल्या;वो हमारे नए खेत में गए है वहां कुंवे की खुदाई का काम शुरू है।

देवा;अरे वाह मुझे भी खेत में कुंवा खुदवाना है।
आप मुझे खेत ले चलिये न मुझे आपका नया खेत पता नहीं है।

कौशल्या;नहीं मै नहीं आ सकती।

देवा;पर क्यूँ ।

कौशल्या;मुझे घर में बहुत काम है आप पूछते पूछते चले जाना।

देवा;अरे भाभी आप मुझे खेत दिखा के वापस आ जाना।

कौशल्या;कुछ देर खामोश रहती है फिर कुछ सोचते हुए कहती है।
ठीक है पर आप उनसे या माँ से ये मत कहना की मै आपके साथ खेत तक आई थी।

देवा;कुछ हैरान होता है पर कहता कुछ नही।
ठीक है नहीं कहूँगा।

नाशते के बाद कौशल्या और देवा खेत की तरफ चल देते है।
देवा;भाभी एक बात पुछु।


कौशल्या;हाँ पुछो ना।

देवा;नहीं जाने दो आप बुरा मान जाएगी।

कौशल्या; ओफ़ हो देवरजी पूछ भी लो नहीं मानूगी बुरा।

देवा;वो मै ये पूछ्ना चाहता था की जबसे मै यहाँ आया हूँ तबसे मै गौर कर रहा हूँ की आप मुझे अजीब नज़रें से क्यों देख रही है।

कौशल्या;मुस्कुरा देती है।
बात ये है की आपकी सुरत मेरे भैया से बहुत मिलती जुलती है ।
जब भी आपको देखती हूँ मुझे ये महसूस होता है की मै भैया को देख रही हूँ।

देवा;ओह्ह तो ये बात है।
मै भी ना।

कौशल्या;क्या।

देवा;नहीं कुछ भी तो नही।
आपके भैया आपसे मिलने आते है।

कौशल्या;खेत आ गया अब मै चलती हूँ।

देवा;अरे रुको न ।
वैसे यहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रहा कहाँ है मामी और भाई।

कौशल्या;घबराये हुए आवाज़ में चलो घर चलते है। शायद वो घर चले गए होंगे।

देवा: मैं ज़रा झोंपडी में देख लेता हूँ।

कौशल्या;नहीं नहीं देवरजी वहां मत जाओ।

देवा;अजीब नज़रों से कौशल्या को देखता है और चुपचाप झोपडे के पास चला जाता है वो बस झोपडे का दरवाज़ा खोलने ही वाला था की अंदर से आती आवाज़ सुनके उसके हाथ दरवाज़े पर ही रुक जाते है।

कौशल्या;भागते हुए देवा के पास आ जाती है
और धीमे आवाज़ में कहती है । चलो यहाँ से।

देवा;कौशल्या का हाथ पकड़ के उसे झोंपडे में बनी खिड़की के पास ले जाता है वो समझ रहा था की अंदर गांव के कोई लैला मजनु अपने रास लीला में मगन है।

जैसे ही वो खिड़की के पास पहुँच के अंदर झाँकता है उसके हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।
झोंपडी के अंदर देवकी और रामु थे।

रामु;चारपाई पे लेटा हुआ था और उसके पास देवकी बैठी उसके पैर दबा रही थी।

ये देख देवा को कुछ अजीब सा लगता है क्यूंकि देवकी के हाथ रामु के जांघ के पास थे और वो जांघ को दबाते दबाते लंड को भी छु रही थी।

देवा और कौशल्या ऑखें फाड़े ये देख रहे थे।

रामु;माँ आज रहने दो न बदन बहुत दर्द कर रहा है।

देवकी; इसीलिए तो तेरे बदन की मालिश कर रही हूँ जानती हूँ न मै वो तेरी पत्नी कौशल्या तुझे रात भर सोने नहीं देती है ना और दिन में मेरे पास आने के बाद तेरा जिस्म दर्द करने लगता है।

रामु;अरे माँ ऐसी बात नहीं है।

देवकी;बस बस रहने दे सब जानती हूँ मै वैसे भी बूढी औरत किसे अच्छी लगती है।
तेरा बापु तो किसी काम के अब रहे नहीं। दो तीन धक्कों में सो जाते है।
बेटा है पर वो भी अब अपने जवान बीवी की ओखली में मुंह डाले पड़ा रहता है।

रामु; चुप कर साली 18 साल की उम्र से तुझे पेल रहा हूँ अभी तक तेरी चूत की आग नहीं बुझी।

देवकी; बेटा ये आग मरने के बाद ही बुझती है।

देख न मेरी चूचि भी कैसे सुख गई है बिना पानी के ।

रामु;देवकी को निचे गिरा देता है और देवकी के लटके हुए ब्रैस्ट को अपने मुंह में भर के चुसने लगता है । गलप्प गलप्प गप्प्पप्पलपल्लल्लल्ल
आह्ह्ह्ह।

देवकी;आहह चूस ले बेटा रोज़ बस एक बार ही तो माँगती हूँ तुझसे ।
उसमेँ भी तो आना कानी करने लगा है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रामु;माँ तू बहुत गलप्प कमिनी है रोज़ रोज़ करने के बाद भी रोती रोती रहती है। वो देख कौशल्या को कई कई हफ्ते उसे हाथ तक नहीं लगाता फिर भी मुंह से एक लफ़्ज़ भी नहीं कहती। गलप्प गलप्प्पप्पप्प।

देवकी;कहाँ से बोलेगी बोलके तो देखे फिर देख क्या करती हूँ मै उसका आह्हह्हह्हह्हह।सालीईईईईईईई
रंडीईईईईईईईईईईई।

रामु;अपनी ज़ुबान देवकी के मुंह में डालके उसके ज़ुबान चुसने लगता है गलप्प गलप्प।
देवकी;आहह श बेटा मुंह में डाल ना अपना लंड। बड़ा मीठा है तेरा लंड आःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।।


रामु;खड़ा हो के अपनी पेंट निचे सरका देता है और देवकी के काँधे को पकड़ के उसे थोड़ा ऊपर उठाता है।

देवकी;अपना मुंह जैसे ही खोलती है रामु अपने लंड को उसके मुंह में पेल देता है और देवकी भी बड़े चाव से रामु के लंड को चुसने लगती है। गलप्प अहह गलप्प....

रामु;आहह माँ इतने ज़ोर से मत खीचो न आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवकी;रामु की बातों की तरफ ध्यान दिए बिना रामु के लंड को चूस चूस के खड़ा कर देती है।

और झट से अपनी दोनों टाँगे खोल के लेट जाती है।
चल आजा रात भर से तड़प रही हूँ लंड के लिये।

रामु;पहले थोड़ा रस पान तो करने दो माँ।

वो देवकी की पेंटी निकालने लगता है और देवकी दोनों हाथों से सिसकारियां भरते हुए अपनी ब्रैस्ट मसलने लगती है आह्हह्हह्हह्हह।

रामु;अपनी माँ की चूत पे झुकता है और उसी वक़्त देवा भी अपनी मामी की चूत के दर्शन कर लेता है। ये सब देख के उसका लंड भी तम्बू बन चुका था । कौशल्या की साँसे तेज़ चल रही थी उसके ब्रैस्ट बार बार देवा की पीठ को छुने लगते है।

अंदर रामु अपनी माँ देवकी की चूत पे जूबान घुमाने लगता है और देवकी कमर उछालते हुए रामु के सर को अपनी चूत पे दबाने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
उपर ऊपर की मलाई क्या खा रहा है असली माल तो अंदर है । घुसा दे ज़ुबान अंदर आह्ह्ह्ह्ह्ह बेटे।

रामु अपनी माँ की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी ज़ुबान देवकी की चूत के अंदर तक पेल देता है।

देवकी; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवकी;आहह बेटा तू मुझे एक दिन इस तरह से मार देंगा आअह्हह्हह्हह।
बस भी कर देखता नहीं माँ की चूत क्या चाहती है।

रामु;देवकी की ऑंखों में देखते हुए।
क्या चाहती है माँ की चूत।

देवकी; अपने बेटे रामु का लंड चाहती है मेरी चूत। आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह दाल दे ना रे।

रामु देवकी के दोनों पैर खोल देता है और अपने लंड पे थोड़ा सा देवकी की चूत से निकला पानी लगाता है और देवकी की ऑखों में देखते हुए
ले माँ आअह्हह्हह्हह।

देवकी; हाय मर गई रामू।
रामु का लंड देवा के लंड की तरह नहीं था पर इतना बड़ा था की किसी भी औरत को संतुष्ट कर सके।

वो देवकी की चूत के अंदर तक लंड डालके उसे चोदने लगता है।
और देवकी अपने बेटे से चिपक के निचे से कमर उछालने लगती है।

देवकी;आहह काश मुझे एक और बेटा होता तो दोनों बेटो को एक साथ आगे पीछे से लेती आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रामु;क्यूँ मेरा कम पड़ता है क्या माँ आहह तुझे।

देवकी;नहीं रे तू नहीं समझेगा। आह्ह्ह्ह्ह्ह।

कौशल्या की चूत खड़े खड़े पानी छोड़ने लगती है और वो देवा का हाथ पकड़ के उसे खेत से बाहर ले आती है।

वो दोनों कुछ दूर चलके एक कुंवे के पास जाके बैठ जाते है।
दोनो एक दूसरे को नहीं देख रहे थे और न कुछ बोल रहे थे।

कुछ देर बाद कौशल्या मौन व्रत तोड़ती है।
इसलिए मै तुम्हें यहाँ नहीं ला रही थी।

देवा; तो क्या आपको पहले से सब पता था।

कौशल्या;हाँ जब मै शादी करके नई नई इस घर में आई थी उसके चार दिन बाद ही मुझे माँ ने उनके और तुम्हारे भैया के रिश्ते के बारे में सब कुछ बता दी थी।

देवा;आप फिर भी यहाँ रही। अपने माँ बाप के घर नहीं गई।

कौशल्या;शादी के बाद लड़की का ससुराल ही उसका सब कुछ होता है देवा। वो मर के ही वहाँ से निकलती है।

देवा;मुझे तो अभी तक विश्वास नहीं हो रहा की एक बेटा अपनी माँ के साथ ये सब भी कर सकता है।

कौशल्या;दुनिया में हर प्रकार के लोग रहते है देवा ।

देवा; कैसा लगता होंगा जब एक बेटा अपनी माँ के साथ ये सब करे। मुझे तो सोच के ही अजीब सा लग रहा है।

कौशल्या; अच्छा ही लगता होगा वरना एक आदमी अपनी बीवी को छोड के माँ के ऊपर नहीं चढ़ता।

देवा; कौशल्या की ऑखों में आये ऑसू देख लेता है।
देवा;भाभी आपको कैसा लगता है।


कौशल्या; हाँ चलो बहुत देर हो रही है तुम्हारी माँ भी वापस आ गई होंगी।

देवा;खड़ा हो जाता है और चलने लगता है।

कौशल्या; एक मिनट तुम ज़रा अपना मुंह उस तरफ करो।

देवा; क्यूं।

कौशल्या; करो भी मुझे पिशाब ज़ोर से लगी है।

देवा;अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है और कुछ देर बाद फिर से सर घुमा के उस तरफ देखता है जहाँ कौशल्या खड़ी थी।

कौशल्या;मुस्कुराते हुए देवा को देखती है और फिर अचानक अपनी सलवार का नाडा खोल के निचे बैठ के देवा की तरफ देख के मुतने लगती है।

वो फिर से देवा को दूसरी तरफ देखने के लिए नहीं कहती।

पेशाब करने के बाद वो खडी होती है और अपना नाडा भी देवा को देखते हुए बाँधने लगती है।

कौशल्या; चलो।
एक बात बताओ तुम्हें अपनी माँ कैसी लगती है।

देवा; मतलब अच्छी है।

कौशल्या;देखो बुरा मत मानना। अब हमने इतना सब कुछ देख लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो। मै वादा करती हूँ किसी को कुछ नहीं कहूँगी।

देवा;ठीक है।

कौशल्या;तो बताओ तुम्हें तुम्हारी माँ कैसी लगती है।

देवा;सच कहूं तो मुझे माँ साडी में बहुत अच्छी लगती है।
मा का पेट। हिलते हुए कमर मुझे हमेशा से अच्छे लगते है।

कौशल्यक; हम्म इसका मतलब।

देवा;इसका कोई मतलब नहीं निकलता भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसे वैसे बातों में मत लगाओ चलो वैसे भी घर आ गया है। मै कुछ काम निपटाके आता हूँ।।

कौशल्या;कमर हिलाते हुए घर में चली जाती है।
रात का खाना खाने के बाद रामु और देवा बाहर घुमने निकल जाते है।


देवा; चुपचाप चल रहा था।

रामु;अरे देवा बड़ा गुमसुम है कुछ बोल भी।

देवा;क्या बोलूं भाई आपसे कुछ छुपा तो है नही।
साला इतना बड़ा जिस्म हो गया है पर अभी तक कोई लौंडिया हाथ नहीं आई।

रामु हंसने लगता है और देवा को पास के एक शराब के दुकान पे ले जाता है।

देवा;शराब नहीं पीता था पर रामु जी भर के पीता था और वो पीता चला जाता है।

जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो देवा उसे अपने काँधे के सहारे से घर वापस लाने लगता है।

रामु;शराब के नशे में बड़बड़ाने लगता है।
अरे तू साले बच्चा का बच्चा ही रहेगा तुझे कभी चूत नहीं मिलने वाली । मुझे देख एक से बढ़कर एक माल है मेरे पास।

देवा;हाँ शादी कर ली है ना आपने कम उम्र में । आप तो यही कहोंगे।

रामु;कौन तेरी भाभी अरे वो छिनाल तो जूठन है अपने भाई की।

देवा;क्या मतलब।

रामु;मतलब ये की वो अपने भाई के साथ लगी हुई थी उसके माँ बाप ने जूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदती थी हरामज़ादी।

देवा के दिमाग की नसे फड़फडाने लगती है।
कौशल्या भाभी अपने सगे भाई के साथ ।
उसे यक़ीन नहीं होता।

देवा;भाई आप झूठ बोल रहे हो ना।

रामु;अरे देवा अगर मेरी बात झूठी निकले ना तो मूत देना मेरे मुंह पे।

देवा;रामु को उसके कमरे में ले जाता है।

कौशल्या;कमरे में साडी पहन रही थी।
रामु को नशे में देख कौशल्या उसे सहारा देने आगे बढ़ती है पर रामु उसका हाथ झटक देता है और धडाम से बिस्तर पे गिर जाता है और कुछ ही पलों में घर्राटे भरने लगता है।


कौशल्या;अभी भी ऐसे ही पल्लु निचे गिरा हुआ नरम नरम रसदार ब्रैस्ट दीखाते खड़ी थी।

देवा;एक नज़र कौशल्या पे ड़ालता है और जाने लगता है।

कौशल्या;देवर जी आप सोने जा रहे हो ना।

देवा;हाँ ।

कौशल्या;कुछ चाहिए।
मेरा मतलब है भूख तो नहीं लगी है न।

देवा; कौशल्या की ब्रैस्ट को घुरते हुए कहता है नहीं अभी नहीं लगी।

कौशल्या;अपना पल्लू ठीक करती है और देवा को जाते देखती है।

देवा;पलट के एक मर्तबा फिर से कौशल्या की तरफ देखता है।

और कौशल्या अपनी कातिल नज़रों से देवा को फिर से घायल कर देती है।
WOW MAST MAA BETE KI CHUDAI NICE UPDATE KOSHALYA KA BHI DIL DEVA SE CHUDANE KO KAR RAHA HAI SHAYAD
 
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देवा;कौशल्या के रूम से निकल के अपने मामा मामी के रूम में जाता है जहाँ देवकी और रत्ना बातें करने बैठी थी।

रत्ना;देवा को अपने पास बैठा देती है।

देवा;क्या बाते हो रही है माँ।

देवकी;देख न देवा तेरी माँ घर वापस जाने के लिए के कह रही है।
भला तुम्हें आये दिन ही कितने हुए है कुछ दिन हमारे साथ रुक जाते तो कितना अच्छा होता।

रत्ना;तुम्हारी बात सही है मन तो मेरा भी यहाँ रुकने का है पर क्या करूँ। देवकी घर को भी तो देखना पडता है ना।
शालु बेचारी कैसे उसके और मेरे घर की देख भाल कर रही होगी।
जानवरों के चारे पानी भी देखना पडता है।
और अब भैया की तबियत भी ठीक हो गई है मै बाद में एक चक्कर लगा लुंगी।

देवकी;ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी पर देवा कुछ दिन हमारे साथ ही रहेगा बोल देती हूँ ।

रत्ना;ठीक है वैसे भी खेती बाडी में हमेशा उलझा रहता है देवा कुछ दिन यहाँ रहेगा तो इसे भी थोड़ा आराम मिल जायेंगा।

देवा;पर माँ तुम जाओगी कैसे।

देवकी;अरे कल रामु कुंवे की मशीन लेने शहर जाने वाला है मुझे सुबह ही कह रहा था रास्ते में तुम्हारा गांव भी पडता है ना छोड आयेगा वो।

रत्ना; मैं सोच रही थी की नूतन को अपने साथ ले जाऊं।


देवकी;अरे वो भी तो तुम्हारे बेटी है इस में सोचने वाली क्या बात है।

रत्ना;ठीक है मै ममता और नूतन को बोल देती हूँ और वही सो जाऊँगी उनके पास । यहाँ जगह भी कम है एक करवट सोने से सारी पीठ अकड गई है।
रत्ना उठके नूतन और ममता के कमरे में चली जाती है और देवकी मुस्कुराते हुए देवा के लिए बिस्तर बिछा देती है।


देवा चुपचाप लेट जाता है देवकी उसके पास लेटी हुई थी। सर्दी ज़्यादा थी इसलिए उसने दरवाज़ा पहले ही बंद कर दिया था।

देवा को लेटे हुए एक घण्टा बीत चुका था पर दिमाग में रामु की बात घुम रही थी वो यही सोच रहा था के ये कैसा परिवार है। एक तरफ माँ अपने बेटे से चुदवाती है वही घर की बहु अपने भाई के निचे सो चुकी है।
उसे रामु की बात पे विश्वास नहीं था वो सोच लेता है की कल कौशल्या से पूछ ही लेगा की असल बात क्या है वैसे भी कौशल्या अब देवा से काफी घूल मिल गई थी।

देवकी और देवा एक ही रज़ाई में सोये हुए थे।

कुछ देर बाद देवकी की आँख खुलती है और वो देवा को जगता देख उसे पूछ लेती है।

देवकी;धीमे आवाज़ में क्या बात है बेटा नींद नहीं आ रही।

देवा; मामी सर्दी बहुत है।

देवकी देवा के क़रीब खिसक जाती है।
यहाँ आजा और देवकी ये कहते हुए देवा को अपने से चिपका लेती है।
देवकी का गठीला बदन जब देवा के जिस्म को छुता है तो देवा के सारे सोच गूम हो जाते है और उसे सुबह का वो नज़ारा याद आ जाता है जब रामु अपने लंड से देवकी की चूत की कुटाई कर रहा था।

देवकी; चुपचाप लेटी हुई थी और देवा का मुंह ठीक उसके ब्रैस्ट के सामने था।

देवा अपनी ऑखें बंद करके अपने मुंह को थोड़ा और आगे की तरफ बढा देता है जिससे उसके होंठ देवकी के ब्लाउज को टच होने लगते है।

देवकी ऑखें खोल लेती है और फिर दूबारा बंद कर लेती है।

कुछ देर शांत रहने के बाद देवा अपने होंठ से देवकी के ब्रैस्ट को चुम लेता है।

देवकी के मुंह से एक हल्की से शःह्ह्हह्ह्ह्ह सिसकी बाहर निकलती है जिसे देवा सुन लेता है।
उसने अपने मामी के साथ ये सब करने का कभी सोचा भी नहीं था पर जो उसने देखा था उसके बाद उसका मन कुछ और कह रहा था और दिमाग कुछ और।

देवा कुछ देर अपने जगह से हिलता भी नहीं पर देवकी की चूत जग चुकी थी मरद का स्पर्श पाके कोई भी औरत भला कैसे चुप चाप सो सकती थी।
इस बार देवकी अपने ब्रैस्ट को देवा के मुंह पे घीसने लगती है।
पसीने से भिगे हुए ब्लाउज की खुशबु देवा के दिमाग में चढने लगती है।
वो ज़रा सा मुंह खोल के देवकी के ब्रैस्ट को मुंह में ले लेता है।
देवकी अपने हाथों से देवा के बाल पकड़ लेती है।

दोनो कुछ नहीं बोल रहे थे। बस रात के सन्नाटे में मामी भांजे का खेल शुरू था।

अचानक देवकी देवा का सर अपने ब्रैस्ट से हटा देती है और जब कुछ पलों बाद दूबारा देवा का मुंह उस जगह आता है तो उसके होश उड़ जाते है।

देवकी अपनी ब्लाउज उतार चुकी थी और ब्रा निचे करके अपने मोटे मोटे निप्पल्स देवा के मुंह में ड़ालने की कोशिश करने लगती है।

देवा अपना मुंह खोल देता है और गलप्प गलपप
निप्पल्स उसके मुंह में चले जाते है।

देवा अब अपने आप में नहीं था वो निप्पल चुसते हुए अपना एक हाथ निचे करके देवकी की सलवार का नाडा खोल देता है और बिना देरी किये अपना हाथ उसकी गीली पेंटी में डाल देता है।

देवकी;आहह बेटा।
पहली बार देवकी के मुंह से कुछ शब्द निकलते है और वो देवा के सर को अपने ब्रैस्ट में दबा देती है।

देवा के हाथ की दो उँगलियाँ देवकी की चूत को सहलाते हुए अंदर चली जाती है।

दोनो पसीना पसीना होजाते है
एक तरफ देवा बुरी तरह देवकी के निप्पल्स को चूस रहा था और निचे अपने उँगलियों से देवकी की चूत को अंदर तक चीर रहा था ।
वो जीतने ज़ोर से अपनी उँगलियाँ देवकी की चूत में डालके हिलाता उतनी ज़ोर से देवकी देवा के सर को दबा देती।

इससे पहले देवा आगे बढ़ता देवकी के पति और देवा की मामा की आवाज़ आती है।

माधव;धीमे आवाज़ में देवकी को पुकार रहा था।

देवकी देवा से अलग हो जाती है और अपने कपडे ठीक कर लेती है और उठके माधव के पास चली जाती है।
क्या है।

माधव;देवा सो गया क्या?
देवकी देवा की तरफ देखती है जो उसे ही देख रहा था।

हाँ वो तो कब का सो गया।

माधव;देवकी के ब्रा के ऊपर से उसके ब्रैस्ट मसल देता है
चल ।आ जा।

देवकी खड़ी हो जाती है और देवा की ऑखों में देखते हुए अपने सारे कपडे भी निकाल देती है । वो बहुत कम पूरी नंगी हुआ करती थी खास तौर पे माधव के लिए तो बिलकुल नहीं पर आज जिस्म की आग कपडे तक को जला देती इसलिए वो अपने शरीर पे कुछ नहीं रखती और माधव के लंड को अपने हाथ में लेके हिलाने लगती है।

माधव;आहह क्या बात है आज तो बडी गरम लग रही है।

देवकी;बस कुछ मत बोलो जो करना है जल्दी करो।

माधव;पहले चूस तो ले।

देवकी देवा की ऑखों में ऑखें डाले माधव के लंड को मुंह में ले लेती है और इतराते हुए उसे चुसने लगती है। गलपप।गलप्प्प आह्ह्ह्ह्हज गप्प्पप्प।

पल भर में वो माधव के लंड को खड़ा कर देती है और झट से उसके ऊपर चढ़ के लंड चूत में लेके ऊपर नीचे कुदने लगती है।

माधव;अहह देवकी चिल्ला मत देवा उठ न जाए।

देवकी एक नहीं सुनती और अपने काम में लगी रहती है।
वो माधव को बहुत देर तक सोने नहीं देती और उसके लंड को चूस चूस के खड़ा करते जाती है और चूत में लेके चुदती जाती है।

देवा के लंड का हाल बेहाल हो चुका था वो रज़ाई को अपने लंड के ऊपर से हटा देता है और जैसे ही देवकी की नज़र उसके लंड पे पडती है वो माधव के लंड पे कुदना बंद कर देती है और एक टक देवा के लंड को देखने लगती है।

देवा ठीक से दर्शन कराने के बाद रज़ाई ओढ़ के एक करवट सो जाता है।

उसके बाद देवकी और उसकी चूत के सामने सिर्फ एक चीज़ घूमती है और वो उसे चाह के भी भुला नहीं पाती।।

सुबह रामु रत्ना ममता और नूतन को ले के देवा के गांव की तरफ चला जाता है।
देवकी भी खेत में कुंवे की खुदाई का काम देखने चली जाती है।

और जाते जाते कौशल्या को घर के काम सौंप जाती है।

कौशल्या अपने काम निपटाके जब कमरे में जाती है तो देवा उसे बिस्तर पे बैठा हुआ मिलता है।

कौशल्या;क्या बात है देवर जी आज हमारे कमरे में सोने की चाहत है क्या।

देवा;बिस्तर पे से खड़ा हो जाता है । नहीं भाभी बस ऐसे ही आया था।

कौशल्या; नहीं कुछ तो बात है सुबह से देख रही हूँ बार बार मुझे देखते हो और जब मै नज़रें मिलाती हूँ तो नज़रें चुरा लेते हो।बात क्या है बताओ।

देवा;वो भाभी मेरा दिल बहुत विचलित है आज।

कौशल्या;क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हें।

देवा;हाँ ।

कौशल्या;किसने और क्या कहा।

देवा; रहने दो भाभी मै चलता हूँ।

कौशल्या; देवा का हाथ पकड़ लेती है यहाँ बैठो और मुझे बताओ आखिर बात क्या है।

देवा;वो भाभी कल मै भैया के साथ बाहर घुमने गया था तो...

कौशल्या; हाँ तो तुम्हारे भैया ने कुछ कहा तुमसे।

देवा;हाँ वो अब मै आपको कैसे बताऊँ।

कौशल्या;देवा का हाथ पकड़ के अपने सर पे रख देती है बोलो तुम्हें मेरी कसम है।

देवा;वो भाभी कल रात नशे की हालत में भाई ने मुझसे कहा की तुम अपने भाई की जूठन हो।

कौशल्या; ये सुनके सर झुका देती है।

देवा;मुझे उनके बात पे बिलकुल भरोसा नहीं है भाभी।

कौशल्या; उन्होंने तुमसे सच कहा है देवा मै अपने भाई की जुठन हूँ।।
अपने भाई के साथ सो चुकी हूँ अपने भाई के साथ वो सब कर चुकी हूँ जो एक भाई बहन कभी सोच भी नहीं सकते।
देवा;पर भाभी आप इतनी समझदार औरत हो के आपसे ये सब हुआ कैसे।


कौशल्या; अपनी ज़िन्दगी की किताब को देवा के सामने खोल देती है।
ये बात आज से 5 साल पहले की है मै उस वक़्त 18 साल की थी और मेरे बड़े भैया मनोज २२ साल के।
मेरे बापु की मौत मेरे बचपन में ही हो गई थी। माँ से अकेला रहा नहीं गया इसलिए हमारे परवरिश के लिए उसने दूसरी शादी कर ली ।
मेरे सौतेले बाप किशोरचंद एक जुवारी आदमी है।
दीन रात जुंआ खेलना शराब पीना उसकी आदत है।
माँ उसका हर सितम सहते रही। दोनों रोज़ लडते थे और दूसरे दिन मिल भी जाते थे।

एक दिन मै पानी पीने उठी तो मुझे माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी। मै जब उनके कमरे के पास गई तो मैंने माँ को चीखते सुना। बापु उन्हें मार रहा था पता नहीं किस बात पे । मैंने दरवाज़ा खट खटाये तो कुछ देर बाद माँ बाहर आई मैंने उसे पूछे की बापु तुम्हें क्यों मार रहें है।
पर माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा और मुझे सोने को कहके वापस कमरे में चले गई।

मै कुछ देर वही खड़ी रही कुछ देर बाद माँ की चीखों और सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी मै डर के मारे भैया को उठाने गई।
जब भैया मेरे साथ माँ के कमरे के पास आये तो माँ के रोने की आवाज़ बंद हो चुकी थी और हलके हलके सिसकने की आवाज़ सुनाये दे रही थी । मै और मेरा भाई मनोज हम खिडके में से झाकने लगे हम बहुत डर गए थे। मुझे लगा की बापु नशे में माँ को जान से ना मार दे।

जब मै और भैया खिडकी के पास पहुंचे तो अंदर का नज़ारा देख दोनों की नज़रें झुक गई।

वो दोनों सम्भोग कर रहे थे माँ उलटी लेटी हुई थी और बापु उनके कमर पे थप्पड मारते हुए उन्हें पीछे से कर रहे थे।

हमे वहां से है जाना चाहिए था पर हम दोनों वहां से नहीं हटे।
वो दोनों तो कुछ देर बाद सो गये पर हमारे जवान जिस्म जग चुके थे।
मै भाई से नज़रें चुराके अपने कमरे में जाके लेट गई।

कुछ देर बाद मनोज भाई मेरे कमरे में आये और उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया। मै उन्हें देखते रह गई दोनों की साँसे एक रफ़्तार में चल रही थी।
वो बिना कुछ बोले मेरे ऊपर आकर मुझ से चिपक गये।
वो कुछ भी नहीं बोल रहे थे। बस एक एक करके उन्होंने पहले खुद के फिर मेरे सारे कपडे निकाल दिए। मै उस वक़्त तक सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और सितम तो तब हुआ जब भाई ने अपनी ज़ुबान उस जगह लगाई जिसे आज तक मेरे सिवा किसी ने नहीं देखा था।




वो मुझे सर से ले के पेशानी तक चुमते रहे चाटते रहे मै मचल रही थी भाई के जिस्म को अपने नाख़ून से नोच रही थी।
पर नहीं जानती थी की भाई क्या क्या करेंगे मेरे साथ।

उन्होने बस एक बार मेरे कानो को अपने मुंह में लेके धीरे से मुझसे पूछा।


कौशल्या मै तुझे अपना बना लूँ।
और मै हवस की आग में जलते हुए उनसे कह बैठी हाँ भैया मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो।

उसके बाद उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं किया बस उनका वो हिस्सा मेरे अंदर घुसता चला गया और मै भाई के मुंह में चीख़ती चली गई क्योंकि उन्होंने मेरे होंठो को अपने होंठो में भर लिया था।



मै अपने मनोज भैया से बहुत प्यार करती थी और ये प्यार दिन ब दिन परवान चढ़ता रहा उस रात के बाद हमने कई रातें एक साथ पति पत्नी की तरह गुज़ारी।

एक दिन माँ और बापु बाहर गए हुए थे। तभी भाई ने मुझसे पीछे से पकड़ के अपने कमरे में ले गए और हम अपने प्यार को और मज़बूत करने में लग गए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था।

जब हम भाई बहन एक दुसरे में खोये हुए थे तभी बापु वहां आ गये और उन्होंने एक लकड़ी से भाई और मेरी खूब पिटाई कर दी। भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया।

मै मार और दर्द से चीख रही थी मुझे नहीं पता था की बापु की नियत मुझपे भी ख़राब है।

उनहोने अपने सारे कपडे निकाल दिए। मै बहुत डर गई थी । मै जानती थी की सारी गलती मेरी है और अगर मै चिल्लाई तो मै ही क़सूर वॉर कहलाऊँगी। बापु के इरादे मै जान चुकी थी वो मुझे जो करने के लिए कहते गए मै करती गई। उनके जिस्म के हर हिस्से को मैंने चुमा उन्होंने जिसे कहा मैंने अपने मुंह में लिया अपने लंड को उन्होंने कितनी देर तक मुझसे चुसवाया और फिर उन्होंने अपने बाप होने का फ़र्ज़ भी निभा दिया।
मै चीख़ते रही चिल्लाती रही पर ना माँ को रहम आया न बापु को कोई रहम आया।।


कुछ महिने ऐसे ही गुज़रते रहे माँ और मै रोज़ बापु के सामने पेश होते माँ मुझे मारती भी और प्यार भी करती मै एक तरह से ज़िंदा लाश बन चुकी थी जिसका सिर्फ एक काम था अपने बापु की इच्छा का पालन करना।

उन्होंने हर गंदे तरीके से मुझे भोगा उन्होंने मेरे साथ कितनी बार बिना मेरी मर्जी के संभोग किया । मुझे जैसा बोलते थे मैं वैसा करती थी। उन्होंने सोतेला बाप होने का फर्ज अच्छी तरह से निभाया और मुझे जब जहां चाहा वैसे चोदा।




उस दौरान तुम्हारे भाई का रिशता हमारे घर आया। माँ तो मुझसे परेशान थी ही उसने जल्दी से मेरी शादी करवा दी और मै यहाँ आ गई। उसने शादी के तोहफे के रूप में मुझे एक बहुत क़ीमती तोहफ़ा भी दिया। तुम्हारे भैया को सारी बात बता दी बस ये नहीं बताया की उनका पति भी वो सब कर चूका है।

उस दिन से लेके आज तक मुझे न पति का सुख मिल पाया न एक औरत होने का।

कौशल्या बोलते बोलते रो पडती है।

देवा ये सब सुनके उसे अपने से चिपका लेता है।



देवा;बस बस चुप हो जाओ भाभी । मै भी तो आपके भाई जैसा हूँ न आप ने ही तो कहा था की मै बिलकुल आपके भाई जैसा देखता हूँ।

कौशल्या;हंस पडती है तो क्या।
WOW MAMI KI MAST CHUSAI KI DEVA NE OR MAMI KO LUND KE DARSHAN BHI KARWA DIYE NICE EROTIC UPDATE
 

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