Incest हाय रे ज़ालिम................

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रानी;अरे वहां क्यों खड़े हो अंदर आओ।
तुम्हारा नाम देवा है।

देवा: जी मालकिन।

रानी;हम्म बस मै तुम्हें देखना चाहती थी। अब तुम जाओ और कल वक़्त पे आ जाना।

देवा;जी मालकिन।

इसके जात का बैदा मारू। साली क्या देखना चाहती थी । पर कुछ भी कहो माल एकदम शीशे के बर्तन की तरह लगता है मजा आयेंगा ।
वो दिल ही दिल में सोचता हुआ बाहर आ जाता है।

पदमा; अच्छा मालकिन मै भी चलती हूँ। खाना मैंने बना दिया है ज़रा भैंस को चारा डाल आती हूँ।

रुक्मणी;देवा के जिस्म पे नज़र घुमाते हुए ठीक है जल्दी आना।

पदमा: जी मालकिन
फिर पदमा और देवा दोनों हवेली से बाहर निकल जाते है।अंधेरा हो चुका था। रास्ते में पदमा का घर भी पडता था।

पदमा;देवा की तरफ देखते है हुए कहती है।
अरे देवा ज़रा मेरे घर चलके भैंस को खुटे से ठीक से बांध दे मुझसे तो बांधी भी नहीं जाती मुई।

देवा;ठीक है और दोनों पदमा के घर की तरफ चल देते है।

पदमा का घर गांव के एक तरफ था वो अपने पति सुखी राम के साथ रहती थी।
सुखि;एक शराबी किस्म का आदमी था । हर रात शराब पीना उसका शौक था। वो घर में कम और नाली के कचरे में ज़्यादा पड़ा मिलता था।

देवा;भैंस का खुट्टा ठीक से ज़मीन में गाड के भैंस को बाँध देता है।
लो अब ये खुट्टा कभी नहीं उखडेगा।

पदमा;कितना अच्छा खुट्टा ठोंकता है देवा तु।

देवा;मुझे ठोकना ज़्यादा अच्छा लगता है

पदमा;आगे बढ़ती है और देवा के पेंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ के कहती है ये खुट्टा ठोकेगा।

देवा;की तो जैसे लौटरी निकल आई थी
वो पदमा का चेहरा देखने लगता है।

पदमा देवा का हाथ पकड़ के घर के अंदर ले जाती है।

लालटेन के रोशनी में पदमा की लाल साडी चमक रही थी वो पीछे मुड के अपनी साडी को ठीक करती है।
NICE UPDATE
 
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देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में जकड लेता है।

पदमा;आहः के सिसकी के साथ सहम जाती है।

देवा;अपना हाथ धीरे धीरे पदमा के पेट पे फेरने लगता है।

पदमा अपने बदन को ढिला छोड देती है वो चाहती थी की हर काम देवा करे वो आज खुल के देवा से पिसना चाहती थी।

देवा की पकड़ पेट पे बढ़ने लगती है और वो अपने मुंह को पदमा के कानो में डालके उसकी कान चुमने लगता है।
धीरे धीरे पदमा की पीठ पे अपनी जुबान फेरने लगता है। उसे पसीने की खुशबु बहुत पसंद थी।


पदमा;सिर्फ सिसक रही थी और देवा अपना काम करने में लगा हुआ था।

देवा;पदमा को घुमा के अपने तरफ कर देता है और उसके गोल गोल मोटे मोटे नरम ब्रैस्ट को ब्लाउज के ऊपर से चुमने दबाने लगता है।

पदमा;आह उई माँ।



आहह जल्दी कर न देवा... मुझे वापस हवेली भी जाना है।

देवा;को आज वो चीज़ मिली थी जिसे वो बचपन से पाना चाहता था एक चूत। वो बिलकुल भी जल्द बाज़ी में नहीं था वो दोनों हाथों से पदमा के चुचे मसलने लगता है।

कड़क हाथों में आते ही पदमा के नाज़ुक चुचे किसी मखन की तरह पिघलने लगते है।

देवा;पदमा के ऑखों में देखने लगता है।
दोनो की धड़कने तेज चल रही थी।
SUPERB
 
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देवा;नीचे बैठ के पदमा के गोरे गोरे पेट पे ज़ुबाँन रख देता है और उसे चूसने चाटने लगता है। गलप्प गलप्प।

पदमा तड़प के रह जाती है आज देवा ने उस जगह छुआ था जहाँ आज से पहले किसी ने नहीं छुआ। पदमा का शरीर ठण्डा पड़ चूका था और चूत आग की भट्टी के तरह तप रही थी।



पदमा;आह देवा जल्दी से ठोक दे खुट्टा आह रहा नहीं जाता रे।
उसकी आवाज़ में कंपकपाहट थी और चेहरे पे हवस।

देवा;पदमा की साडी पकड़ के खोलता चला जाता है।



जीस्म से साडी अलग होने के बाद देवा उसे बिस्तर पे बैठा देता है और दोनों चूचियों कोअपने पंजे में भर के ऐसे मसलने लगता है जैसे कोई आता गूंथ रहा हो।

पदमा;आह बस कर आहः।



पदमा;देवा को पीछे ढ़केलती है और देवा पीछे गिर जाता है।
पदमा;हँसते हुए उसकी तरफ देखने लगती है।
बस निचोड़ेंगा ही या खाएँगा भी।



देवा;पदमा पे टूट पड़ता है और उसके ऊपर चढ़ के उसके जिस्म के हर हिस्से को मसलते हुए उसके मुंह में मुंह डालके होठो को चुमने लगता है गलप्प गलप्प।

दोनो रास लीला के उस मुकाम तक आ चुके थे। जहाँ से लौटना नामुमकिन था।

देवा;पदमा के ऊपर चढ़ के उसके ब्लाउज को खोलने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ ड़ालता है।



की तभी बाहर से सुखीराम की गालियों की आवाज़ आती है आज वो शराब पिके घर आ गया था और नशे में बडबडाये जा रहा था।

पदमा;घबराके अपनी साडी ठीक करती है और देवा को पीछे के दरवाज़े से बाहर कर देती है।
WOW PADMA KI CHUCHI CHUS KE DEVA KO PEHLI BAAR CHUSAI KA MJA MILA
 
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देवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।

शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।

शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।

देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।

देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।

शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।

शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।

देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।

शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।

देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।



शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।

देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।



गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।

शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
WOW AKHIR DEVA NE SHALU KO KISS KAR HI LI
 
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WOW MAST UPDATE
भैया माँ जग जाएगी जल्दी से अंदर पेल दो ना आह्ह्ह्ह।
देवा;रुक जा ममता गलप्प गलप्प।
ममता ;हाथ निचे ले जाके देवा का लंड पकड़ लेती है और उसे मुठी में भर के सहलाने लगती है।
देवा;आहह तेरा हाथ लगते ही देख कैसे उछल रहा है तेरे भाई का लंड ममता।
ममता ;मेरी चूत का कुछ करो भइया।
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को ममता की चूत पर लगा देता है और अंदर पेल देता है।
ममता;भैया उईईईईई माँ।
जब भी लेती हूँ ऐसा लगता है पहली बार ले रही हूँ आहह।

देवा;बहुत छोटी सी चूत है बहना तेरी और छोटी सी चूत मेरे मोटे लंड को बहुत ज़ोर से जकड लेती है आअह्हह्हह्हह।
ममता ;आपके लंड ने तो इसे खोला है भइया
और चोदो न आह ज़ोर से आहहह्ह्ह।
वा निचे से कमर उठाने लगती है और देवा ऊपर से ममता की चूत में लंड उतारने लगता है।
देवा;ममता को घुमा के उल्टा लिटा देता है और पीछे से कमर पर लेट जाता है।
ममता;भैया भाभी की गाण्ड बहुत ज़ोर से मारे थे न उन्हह तुमने।
देवा;हाँ ममता तेरी भी लुँगा मगर अभी नहीं वरना तू माँ को जगा देगी।
देवा;पीछे से ममता की कमर के दरार में लंड घूस्सा के लंड को चूत की जड तक पहुंचा देता है और घच से लंड को फिर से ममता की चूत की गहराइयों में उतार देता है।

ममता; चीख़ पडती है।
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अपडेट 85




देवा के खड़े लंड पर लगतार धोखा हो रहा था और ये कोई और नहीं उसकी माशूक़ा उसकी माँ रत्ना कर रही थी।
देवा अपनी माँ के जिस्म की खुशबु में अपनी रातें गुजारने को बेताब था । मगर उसकी माँ को उस ज़ालिम पर बिलकुल भी रहम नहीं आ रहा था।

रत्ना के रूम में चले जाने के बाद देवा भी अपने काम में लग जाता है।
अपने घर के काम करते करते उसे फिर से रुक्मणी का ख्याल आता है।
वो एक चोदु इंसान था जहाँ चूत की महक लगे वही अपना बसेरा बना लेता था।
मगर उसकी इस चोदूँ दिल में कहीं न कहीं मोहब्बत भी बसी थी।
एक तरफ अपने बचपन की मोहब्बत नीलम।
जीसे वो सच में प्यार करता था और उसे अब तक बुरी नज़रों से बचाता भी आया था।
जहां उसने शालु उसकी माँ और भाई की चूत से लेकर गाण्ड तक फाड़ डाला था वहीँ नीलम के मामले में उसका रवैया बिलकुल अलग था।
सच्ची मोहब्बत शायद इसी को कहते है।

रत्ना;उसकी हवस भी थी उसकी खवाहिश भी थी और उसकी ज़िन्दगी का मक़सद भी थी।
जीस औरत ने उसे अपनी छाती का दूध पीला पीला कर इतना हट्टा कट्टा की थी।
उसी औरत की चूत से वो अपना सन्तान पैदा करना चाहता था।

रुक्मणी;वो औरत थी देवा की ज़िन्दगी में जिसके ज़रिये देवा अपने बापू का पता लगाना चाहता था।
मगर उसे रुक्मणी से प्यार भी हो गया था।
और ये बात रुक्मणी भी अच्छी तरह जानती थी।

देवा;अपने खेतों में दिन भर काम करके शाम ढले घर आता है।

घर में उसे शालु और रत्ना बातें करती हुए दिखाई देती है।
देवा;भी उनके पास आकर बैठ जाता है।

देवा;क्या बात है काकी कैसी हो।

शालु;इतराते हुए ठीक हूँ बस तू बता कहा रहने लगा है दिखाई नहीं देता।

रत्ना;आज कल इसका मन कहीं भी भटकता रहता है।

शालु;इस उम्र में होता है रत्ना।
मै तो कहती हूँ कोई अच्छी सी लड़की देख इसका भी लगन करवा दे।

रत्ना;देवा की तरफ देखने लगती है।
जैसे उसकी ऑंखों में अपनी परछाई तलाश करने की कोशिश कर रही हो।

देवा भी रत्ना की ऑखों में देखते हुए शालु से कहता है
काकी लड़की मैंने देख रखी है बस माँ के हाँ कहने की देर है।
क्यूं माँ क्या कहती हो। तुम तैयार हो ना।

रत्ना;क्या मतलब...

शालु को हंसी आ जाती है
अरे जब ऐसी बात है तो मुझे बता दे मै करवा देती हूँ तेरी शादी।

देवा; मैं शादी करुँगा तो सिर्फ माँ की इच्छा से वरना नही।

रत्ना;देवा को घुरने लगती है।

शालु;मुझे नहीं बतायेगा कौन है वो।

देवा;उसे तुम बहुत अच्छे से जानती हो काकी।
और हाँ एक बात और तुम्हें ज़्यादा परेशान होने की भी ज़रूरत नहीं है
लडकी घर की ही है।
ये कहकर देवा अपने रूम में चला जाता है।

जहां एक तरफ शालु के दिल में लड्डू फुटने लगते है की देवा नीलम को ही अपने पत्नी बनाना चाहता है वहीँ रत्ना को ये सोच कर पसीना आने लगता है की देवा को ज़रा भी शर्म नहीं आ रही उसके बारे में शालु से इस तरह खुले आम बात करने में।

शालु;तो कुछ देर बाद अपने घर चली जाती है
उसके जाने के बाद रत्न देवा को ढूँढ़ते हुए उसके रूम में चली आती है।
देवा;अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था।

रत्ना; ये क्या बकवास कर रहे थे तुम बाहर।

देवा;क्या हुआ क्या गलत कहा मैंने।

रत्ना;देखो देवा मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं है समझे तुम गांव वालों का कुछ तो ख्याल रखो।

देवा; रत्ना का हाथ पकड़ कर अपने पास खीच लेता है।
और उसे अपनी बाहों में जकड लेता है।
क्या गलत कहा मैंने लड़की घर में तो है।
जीसे मै अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ।

रत्ना की साँसें फुलने लगती है।

देवा;उसे अपने शरीर के नीचे दबा देता है।
पत्नी तो मै तुझे मान चूका हूँ रत्ना
और जिस दिन तुम मुझे अपना पति मान लोगी उस दिन से रात दिन मै तुम्हारी चूत में अपने लंड को डालकर तुम्हें चोदा करुँगा। ये बात समझ लो।

रत्ना;उन्हह नही देवा ये गलत है ना।

देवा;क्या गलत और क्या सही मुझे नहीं पता।
वो रत्ना की चुचियों को मसलने लगता है।
मुझे तुझसे सब चाहिए मेरी रत्नाआआ...
बदले में तुझे मै हर ख़ुशी दूँगा।

रत्ना की ऑंखें बंद होने लगती है।
होठ काँपने लगते है जब जब वो इन बाहों में आती थी जिस्म दिमाग का साथ छोड देता था। शरीर में सनसनाहट सी होने लगती थी और चूत के पानी में उबाल आने लगता था।

रत्ना; गांव वाले.....

देवा;गांव वालों की चिंता नहीं मुझे...
रही बात हमारे संबंध की तुम चिंता मत करो। ये बात हम दोनों के सिवा किसी को भी पता नहीं चलेगी।
और हाँ शालु काकी से मै उनकी बेटी नीलम की बात कर रहा था।

रत्ना;देवा को देखने लगती है।

देवा; हाँ रत्ना नीलम बनेगी इस घर की बहु
और तुम दोनों इस देवा की पत्नी।
ये मत समझना मै झूठ कह रहा हूँ।
गांव वालो के लिए नीलम से शादी करनी पडेगी।
मगर मेरे जिस्म पर सबसे पहला अधिकार तुम्हारा होगा।

रत्ना;देवा के बालों में उँगलियाँ डालकर उसे अपने क़रीब झुकाती है और देवा भी रत्ना के होठो पर झुकता चला जाता है।
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दो प्रेमियों के बीच की दिवार धीरे धीरे कमज़ोर हो रही थी।
और वो दिन दूर नहीं था जिस दिन एक छोटा सा वार इस कच्ची दिवार को हमेशा के लिए गिरा देने वाला था।

रत्ना; मुझे इतना प्यार करते हो तुम।

देवा;सबसे ज़्यादा अगर मैंने किसी को अपना माना है तो वो तुम हो रत्ना।

देवा की मिठी बातें रत्ना के जिस्म में ऐसे घुलते है की रत्ना अपनी दोनों टाँगें खोल देती है और देवा भी इस मौके का फायदा उठाकर रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से अपने लंड से दबाने लगता है।
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जैसे ही चूत पर लंड का धक्का लगता है एक चिंगारी सी दोनों के बदन में पैदा हो जाती है और दोनों के जिस्म एक दूसरे में कस जाते है।
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देवा;दोनों हाथों से रत्ना की चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत पर लंड घिसते हुए रत्ना के रसीले होठो को चूसने लगता है।
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रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
ओह्ह बस भी करो न मुझे खाना बनाना है उन्हह।

देवा;उन हूँ गलप्प मेरी जान के होठो को ठीक से साफ़ तो कर दूँ गलप्प गलप्प.....

रत्ना;आहह छोड़ो भी आह्ह्ह्ह्ह्ह....
उसे डर लगने लगता है की कहीं जिस्म के आग में दो बदन जल न जाए । देवा के होठो की तपीश ही इतनी ज़्यादा थी की रोज़ रोज़ देवा के लंड को चूस चूस कर उसका पानी निकाल देने वाली रत्ना से आज अपने बेटे के लंड का धक्का भी सहा नहीं जाता और रत्ना ऑंखें बंद करके अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाने लगती है उसका जिस्म ऐंठ जाता है और एक चीख़ के साथ रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।
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देवा;मुस्कुरा देता है वो जान जाता है की रत्ना को क्या हुआ है।
रत्ना भी शर्मा कर देवा को अपने ऊपर से धक्का देकर
खाना पकाने चली जाती है और देवा अपने होठो पर ज़ुबान फेरते हुए दिल ही दिल में मुस्कुरा देता है।

खाना खाने के बाद देवा रत्ना को खेत में रात में रुकने का कहकर चला जाता है और रत्ना नीलम को अपने पास रात में रुकने के लिए बुला लेती है।
नीलम रत्ना को भी पसंद थी एक सुन्दर सुशील लड़की थी । नीलम रत्ना का बहुत ख्याल रखती थी।



देवा;खेत में जाता है मगर उसका दिल आज खुल कर किसी को चोदने के लिए कर रहा था।
आसमान में भी बादल घिर आये थे जिस से मौसम भी बहुत सुहाना बन गया था।

देवा;अपने लंड को सहलाने लगता है और हवेली की तरफ बढ़ जाता है।
गांव वाले जल्दी सो जाते थे इसलिए उसे कोई भी हवेली जाते नहीं देखता।
वो जैसे ही हवेली में दाखिल होता है
उसका सामना रुकमणि से होता है।

और रुक्मणी अपने देवा को देख इतना खुश हो जाती है की वो उसे अपने गले से लगा कर उसके गर्दन पर चुमने लगती है।

रुक्मणी;मुझे तो यकीन नहीं था तुम आओगे।


देवा;भी रुक्मणी की कमर को थाम कर उसे अपनी छाती से लगा लेता है।
आता कैसे नहीं तुमने दिल से जो याद किया था मुझे।

रुक्मणी की आँखों में हज़ारों दिए जलने लगते है
हमेशा लंड से दूर रही रुक्मणी के लिए ये रात उसकी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात होने वाली थी। ये बात सोच कर ही रुक्मणी बहुत गरम हो चुकी थी।

वो देवा का हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले आती है।
और उसे अपने बिस्तर पर बैठा कर खुद नीचे ज़मीन पर उसके सामने बैठ जाती है।

देवा;अरे ये क्या कर रही हो तुम वहां क्यों बैठी हो।

रुक्मणी;मेरी जगह यही है देवा तुम्हारे क़दमों में
मुझे तुम्हें जी भर कर देख लेने दो।
हमेशा से तुम्हें जी भर कर देखना चाहती थी।

देवा;रुक्मणि का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिस्तर पर बैठा देता है।
नही रुक्मणी वहां नहीं तुम दिल में हो मेरे और जो दिल में होती है उससे क़दमों में नहीं रखा जाता।

देवा भी एक मरद था और मरदों को पता होता है की औरतों की चूत लेने से पहले उनकी तारीफ करना बहुत ज़रूरी है।
चाहे फिर वो तारीफ झूठी ही क्यों न हो।

देवा की बातों का जादू हमेशा औरतों के सर चढ़ कर बोलता था और यहाँ भी रुक्मणी उसकी दीवानी हो गई थी।
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देवा;रुक्मणि की झुकी पलकें ऊपर उठाता है और उसके नाज़ुक से होठो पर अपने होंठ जैसे ही रखता है दरवाज़ा धडाम से खुलता है और दोनों चौंक जाते है।
 
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रानी की चूत को चाट चाट के लाल कर देता है और जब पहला पानी रानी की चूत से बहने लगता है।

हिम्मत उसे भी अपने मुँह में उतारने लगता है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
पानी पीने के बाद जैसे ही हिम्मत रानी के बगल में आके लेटता है रानी हिम्मत के लंड के पास चली जाती है और उसे अपने होठो से चूम के जगाने की कोशिश करती है।

हिम्मत;ऐसे नहीं बेटी अपने गरम मुँह में ले ले इसे बहुत दिन हुए तूने नहीं चाटा मेरे लंड को।
रानी;आप देते कहाँ हो जब देखो बिंदिया के पास पड़े रहते हो।
हिम्मत;रानी का मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में लंड पेल देता है।
और रानी अपने बापू का लंड कई दिनों के बाद अपने मुँह की गहराइयों में उतारते चलि जाती है गलप्प गलप्प गलप्प.....
हिम्मत;आहह सली बहुत बडी छिनाल है तू आह्ह्ह्ह।
ऐसे लंड चुसती है जैसे कोई धंधे वाली रंडी हो।
रानी;कितने धंधे वालियों के पास जाते हो बापू गलप्प गलप्प।
हिम्मत;तेरी माँ की साली आहह धीरे बिटिया ऐसे नही ना।
रानी;अपनी पिटाई का सारा ग़ुस्सा अपने बापु के लंड पर निकाल लेती है और उसे चूस चूस के खड़ा कर देती है।
हिम्मत;चल आ जा तेरी इससे पिटाई करता हूँ ज़रा।
रानी;इससे पिटाई के लिए तो मै हमेशा तैयार हूँ बापु
हिम्मत;रानी के पैर खोल देता है और अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के
रानी के होठो को चुमते हुए लंड अपनी बेटी की चूत में सट से घुस्सा देता है।

रानी की सूखि चूत पर जैसे कोई किसान हल सा चला देता है और रानी हिम्मत के प्यार में सब कुछ भूलते हुए अपनी टाँगें उसकी कमर से लपेट लेती है।
रानी;आहह बापू अब से रोज़ चाहिए मुझे अगर नहीं दिए ना।
आह तो जान से उन्हह मार दूंगी बोल देती हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हीम्मत भी अपनी कमर को नीचे ऊपर करने लगता है हाँ बिटिया आह
रोज चोदेगा तेरा बापू तुझे। बस तू मेरे और तेरी माँ के बीच में मत आना।
रानी;नहीं आऊँगी बापू आज के बाद कभी नहीं आऊँगी आह्ह्ह्ह्ह।

एक तरफ बाप और बेटी का मिलाप हो रहा था और दूसरी तरफ बेटे के चले जाने का मातम मानाया जा रहा था
THANKS FOR YOUR VALUABLE COMMENTS
 

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