Incest हाय रे ज़ालिम................

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रानी;रूम के अंदर आती है और दरवाज़ा अंदर से बंद कर देती है।
वो नाइटी पहनी हुई थी।
अपनी कमर को मटकाते हुए वो दोनों के पास आकर बैठ जाती है।

रानी;माँ मै न कहती थी देवा अपनी ज़बान का पक्का है।

रुक्मणी;आया तो है मगर मुझे नहीं लगता सुबह तक ये खड़ा भी हो पायेगा।

देवा;क्यूँ।

रुक्मणी;हंसने लगती है और उसका मतलब समझ कर रानी भी खिलखिला कर हंसने लगती है।

रानी;वो इसलिए देवा की माँ को लगता है की तुम हम दोनों को सँभाल नहीं पाओगे।

देवा;अपने लंड को पेंट के ऊपर से सहलाते हुए रुक्मणी की तरफ देखता है
वो तो सुबह पता चलेंगा की कौन चल पायेगा और कौन नही।

रुक्मणी;अपने नरम हाथ को देवा के लंड पर रख देती है
देखें आखिर ये है कैसा।



वो जैसे जैसे पेंट नीचे सरकाते जाती है उसकी ऑंखें वैसे वैसे बड़ी होती जाती है।
वो शुरु तो हो गया था मगर ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था।
चुदाने की जुस्तजू और चोदने की ख्वाहिश आज रात भरपूर होने वाली थी।
अपनी चूत को या तो अपने उँगलियों से बहलाने वाली या अपनी बेटी रानी के होठो से चुसवानी वाली रुक्मणी आज मरद से दिए जाने वाले दर्द का अनुभव करने वाली थी।

वो दर्द जो औरत को एक बार होता है मगर उस दर्द की याद ज़िन्दगी भर जिस्म में बाकी रहती है।
रुक्मणी लगभग कुँवारी ही थी।
हिम्मत ने उसे ऐसे हाल में रखा था जहाँ उसकी चूत
अपनी अखिरी साँसें गिन रही थी मगर जैसे सुखी ज़मीन पर बारिश की चंद छीटे पड़ जाने से मिट्टी की महक चारों तरफ फैल जाती है।

उसी तरह देवा के लंड को अपने मुठी में थाम कर रुक्मणी की चूत भी महक उठी थी।

देवा;क्या हुआ रुक्मणी डर गई क्या।
वो अपने हाथ से रुक्मणी के सर को पकड़ कर उसे अपने लंड की तरफ झुकाता है।

रुक्मणी;रानी की तरफ देखती है और फिर देवा के मुसल लंड को चुम लेती है मुआह्ह्ह्हह।
वो चुमना घडी भर का था। बस उसे अपने मुँह में लेकर चुसना असल मक़सद था दोनों का।

जहां रानी अपने जिस्म पर के कपडे निकाल कर फ़ेंक देती है वहीँ रुक्मणी अपना मुँह खोल कर देवा के लंड को अपने हलक में डाल लेती है।
गलप्प गलप्प गलप्पप्प गप्पप्प।

देवा;का मोटा चिकना लंड रुक्मणी के गुलाबी होठो पर से घिसता हुआ मुँह के अंदर बाहर होने लगता है।
देवा के मुँह से मोहब्बत भरी सिसकारियां निकलने लगती है।
आह रुक्मणि
आह्ह्ह्ह।



रानी;भी नीचे बैठ कर देवा के टेस्टीस को अपने मुँह में ले लेती है।
दोनो माँ बेटी आज रात क़यामत ढाने वाली थी देवा के लंड पर मगर वो ये नहीं जानती थी की ये सामने कौन खड़ा है।

देवा;भी अपनी कमर को आगे पीछे करने लगता है जिससे रुक्मणी के मुँह में पच पच के साथ लंड आगे पीछे होने लगता है।
रुक्मणी;के मुँह से गिरती राल सीधा रानी के मुँह पर गिरने लगती है।
और वही थूक रानी देवा के लंड के साथ चाटने लगती है।

रानी;देवा के कमर की तरफ से आ जाती है और अपनी ज़ुबान से पीछे से देवा के गाण्ड का सुराख़ चाटने लगती है।
इससे पहले किसी ने भी देवा की गाण्ड नहीं छुइ थी।
देवा को अजीब सा लगता है उसकी कमर पीछे की तरफ होने लगती है मगर सामने से रुक्मणी लंड को मुँह में लेकर खीच रही थी जिसकी वजह से देवा दोनों रंडियों के बीच में फँस सा गया था।

रानी;की ज़ुबान देवा की गाण्ड के सुराख़ के अंदर जाने लगती है।
देवा;को जैसे नशा सा आने लगता है।
वो शराब नहीं पीता था मगर जो नशा उसे आज चढा था वो जल्दी उतरने वाला नहीं थी।

रुक्मणी;अपने दो उँगलियाँ पास में बैठी रानी की चूत में डाल देती है और रानी उतने ही ज़ोर से अपनी ज़ुबान को देवा के गाण्ड में डाल देती है।

तीनो अपनी अपनी दुनिया में खो जाते है।

रुक्मणी;की चूत आग उगलने को तैयार थी।
तीनो उस वक़्त तक पसीने में नहा चुके थे।

देवा;अपने लंड को बाहर निकाल कर रुक्मणी के गाल पर घीसने लगता है।

रुक्मणी;की आँखें लाल हो चुकी थी।
तीनो एक दूसरे से बातें नहीं कर रहे थे मगर दिल की बात हर कोई सुन सकता था।

देवा;रुक्मणि;को बिस्तर पर लिटा देता है।
चिकना शफाफ मख़मली बदन की मालकिन रुक्मणी आज पहली बार देवा के सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी।




चूत पर एक भी बाल नहीं था रुक्मणी के।
वो अपनी दोनों बाहें खोल कर देवा को अपने ऊपर चढ़ने के लिए बुलाती है।

रानी;भी अपनी माँ की चूत में कई बार अपनी ज़ुबान डाल चुकी थी मगर एक लंड से अपनी माँ को चुदते हुए वो कभी नहीं देखी थी।

वो अपनी माँ की चुचियों के पास आकर बैठ जाती है और देवा रुक्मणी के ऊपर चढ़ जाता है।

देवा;अपने लंड को रुक्मणी की चूत पर घीसने लगता है।

रुक्मणी;आहह घिस मत अंदर डाल दे आह्हह्हह्हह्हह।
और कितना तड़पाओंगे जी।

देवा;दर्द ज़्यादा होगा रुक्मनी।
उसने रुक्मणी की चूत को देख लिया था किसी कमसीन लौंडिया की तरह छोटी सी चूत थी रुक्मणी की और ये ज़ालिम का लंड बहुत बड़ा था।
वो जानता था एक बार अंदर गया तो रुक्मणी की चीखें ही निकलेगी।

मगर आज वो रात नहीं थी जब सोचा जाये आज कुछ कर गुज़रने की रात थी अपना सब कुछ दे कर देवा को अपना बना लेने की रात थी।

रुक्मणी;अपने दोनों हाथों की उँगलियों से चूत के दोनों लिप्स को खोल कर देवा को दिखाती है जैसे कह रही हो।
अंदर डाल दे मै नहीं चीखुंगी।

और वही करता भी है देवा वो अपने लंड पर थूक लगा कर उसे रुक्मणी की चूत के मुहाने पर लगा देता है और एक ज़ोरदार झटका जैसे कुँवारी चूत को खोलने के लिए लगाया जाता है।
मार देता है।

रुक्मणी;चीख़ पड़ती है उईईईईई माँ....
रुक्क जाओ बस रूक जा ना आह्ह्ह्ह।
मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वो साँप अपने बिल में घुस चूका था।

देवा;का लंड जब वापस बाहर की तरफ निकलता है तो उस पर खून लगा होता है।



अपनी माँ की चीखें दबाने के लिए रानी अपने मुँह को रुक्मणी के मुँह से लगा देती है और दोनों माँ बेटी एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले उसकी ज़ुबान चूसने लगती है।

रुक्मणी को दर्द भी हो रहा था मगर
वो एहसास उस दर्द पर हावी हो चूका था की आज वो उस लंड से चुदवा रही है वो भी अपने देवा के जिससे वो तन से मन से और धन से अपना पति मान चुकी थी।

पच पच की आवाज़ें रूम में गूँजने लगती है और देवा सटा सट सटा सट सट अपने लंड को रुक्मणी की चूत में आगे पीछे घुसाता चला जाता है।

रुक्मणी;आहह आहह उहँन उन्हह
आह सशस नाई आह्ह्ह्ह।
धीरे ना आह्ह्ह्ह



रानी;की आँखों के सामने उसकी माँ अपनी दोनों टाँगें खोल कर चुदवा रही थी।
और रानी अपनी चूत में उबलते लावे को दबाने के लिए फिर से देवा की गाण्ड को चाटने लगती है।

पीछे से रानी का मुँह जैसे ही देवा की गाण्ड से टकराता है देवा के धक्कों की रफ़्तार अचानक से बढ़ जाती है और रुक्मणी की चीखें भी बढ़ जाती है ।


रुक्मणी;आह्ह्हजी आःह्ह्हजी क्या कर रहे हो आह्ह्ह्ह्ह।
रुक जाओ न बस।अब बस भी करो आहह मुझे दर्द हो रहा है ना आहह आहह माँ।

मगर देवा आज शराब से भी ज़्यादा नशे में था ।

रानी; चोदो देवा मेरी माँ को और ज़ोर से चोदो। बहुत तडपी है मेरी माँ इसी रात के लिए और चोदो इसे।



रुक्मणी;आहह रानी इससे धीरे करने को बोल न आह्ह्ह।
मुझे मार देगा ये ज़ालिम अहा हां यह यह यह यह यह आह आह
मेरी चूत आहह।
वो बहुत दिन बाद चुद रही थी इसलिए बहुत कम टीक पाती है और देवा के लंड पर जैसे पेशाब कर रही हो इतना ढेर सारा चूत का पानी निकाल कर देवा से चिपक जाती है।

रानी;देवा के लंड को रुक्मणी की चूत से निकाल कर अपने मुँह में ले लेती है।
माँ की चूत के पानी की महक उसे देवा के लंड पर महसूस होने लगती है और वो पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में लेकर उसे चाटने लगती है।

देवा;रानी को खड़ा कर देता है और एक हाथ से रुक्मणी को भी अपने पास खड़ा कर कर दोनों को बारी बारी चुमने लगता है।

रानी की चूत देवा के लंड से टकरा रही थी
देवा इशारा समझ जाता है और रानी को एक बच्ची की तरह अपनी गोद में उठा लेता है।

रानी की दोनों टाँगें हवा में लटकने लगती है और चूत सीधा देवा के लंड से जा मिलती है।

रुक्मणी;देवा के लंड को हाथ में पकड़ कर एक ऊँगली रानी की गाण्ड में डाल कर लंड को सीधा चूत के मुँह पर लगा देती है और देवा आगे की तरफ धक्का मार देता है।

रानी; माँ आह्ह्ह।

देवा;का लंड माँ की चूत को चोद कर अब बेटी की चूत में चला जाता है और देवा खड़े खड़े रानी को चोदने लगता है।
उसके धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज़ थी।

मगर रानी भी चुदक्कड़ लड़की बन चुकी थी हिम्मत और देवा से चुदवा कर।
वो भी हवा में लटके अपनी कमर को आगे पीछे करने लगती है।



रानी; चोद मेरे सैया मेरी माँ की चूत चोद के मेरी माँ के सामने उसकी बेटी को भी आहह चोद....
हम दोनों माँ बेटी की चूत के मालिक आहह चोद न आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी;नीचे बैठ कर देवा के लटकते हुए टेस्टीस को और अपनी बेटी रानी के गाण्ड को चाटने लगती है।

एक तरफ से देवा का लंड दूसरी तरफ से माँ के ज़ुबान रानी के तन बदन में चींटियां रेंगने लगती है और चूत से पानी रिसने लगता है।
जो नीचे बहता हुआ रुक्मणी के होठो को गीला करने लगता है।

दोनो माँ बेटी जैसे सोच कर बैठी थी की देवा को एक पल के लिए भी आराम नहीं करने देंगे।



रुक्मणी;रानी की चूत से लंड बाहर निकालती उसे मुँह में लेकर चुसती और फिर से अपनी बेटी की चूत में ठूँस देती।

उन्हें लग रहा था जैसे देवा बस कुछ देर और चलेगा मगर जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था देवा के धक्कों से रानी की कमर काँप रही थी।

वो रानी को बिना नीचे उतारे खचा खच अपने लंड से उसकी चूत को अंदर तक खोदता चला जाता है और रानी अपने देवा के गले में बाहें डाले चीखते हुए चुदती चलि जाती है । 15 मिनट तक देवा रानी को बिना रुके चोदता है और रानी की चूत से पानी का एक एक कतरा बाहर निकाल देता है।

देवा की गोद से रानी जैसे ही नीचे उतरती है।
निचे ज़मीन पर लेट जाती है और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

देवा;भी अपनी साँसें धीमी करने के लिए बिस्तर पर लेट जाता है।

रुक्मणी;अपनी चूत को सहलाते हुए देवा के पास आकर लेट जाती है।

दोनो एक दूसरे को देखते है और बिना बोले दोनों के होंठ एक हो जाते है।

रुक्मणी;आज मुझे वो मिला है देवा जिसके लिए औरत अपना सब कुछ दे सकती है।
वो अपने नाज़ुक से हाथों में देवा का लंड पकड़ लेती है।



रुक्मणी;देवा क्या तुम इससे मुझे आज रात भर बिना थके चोद सकते हो।

देवा;हाँ चोद सकता हूँ रुक्मणि
सच कहूं तो मै भी तेरी लेने के लिए कई दिन से बेक़रार था।

रुक्मणी;तो फिर लिया क्यों नही।

देवा;डरता था। हिम्मत से नहीं तुम्हारी नाराज़गी से।

रुक्मणी;अपने देवा के सीने पर अपना सर रख देती है
मुझे अपना बना लिया है तूने। मै तुझे अपना सब कुछ मान चुकी हूँ।
आज की रात मेरे लिए सुहागरात से कम नहीं है।
मेरी ये रात बस यादगार बना दे देवा मुझे अपना बिता हुआ कल भुला दे।

देवा; मुँह में ले इसे।

रुक्मणी;देवा के लंड पर झुक जाती है और एक बार फिर से देवा के लंड को चुसने लगती है।
मगर इस बार देवा भी रुक्मणी की कमर को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर देता है और दोनों चूत और लंड चाटने लगते है गलप्प गलप्प गलप्प.....

देवा;गलप्प आज तो सब कुछ भूल जाएँगी रुकू गलप्प
आज से तेरे तीनो सुराखों में मै अपना लंड डाल कर तुझे चोदा करुँगा।

रुक्मणी;हर रात।

देवा;हाँ हर रात रात भर।

रुक्मणी;कहाँ कहाँ।

देवा;तेरे मुँह में...
तेरी चूत में....

रुक्मणी;और...

देवा;और तेरी गाण्ड में भी गलप्प.....

रुक्मणी;ये सुनकर देवा के लंड को हल्के से काटती है।

देवा;तेरी माँ की चूत साली आह्ह्ह्ह।


रुक्मणी;मेरा है मै कुछ भी करूँ गलप्प
गलप्प.....

देवा;रुक्मणि को अपने ऊपर खीच लेता है और अपनी दोनों टाँगें खोल कर रुक्मणी भी देवा के लंड पर सवार हो जाती है।


वो अपनी चूत को देवा के लंड पर घिसते हुए देवा की आँखों में देखने लगती है।

देवा;क्या देख रही है।

रुक्मणी;देवा के कान में धीरे से कहती है।
मुझे माँ बना दे...

और देवा रुक्मणी की इच्छा पूरी करने के लिए अपना लंड सीधा उसकी चूत में पेल कर उसे जंगली जानवर की तरह चोदने लगता है।

रुक्मणी;हर साँस के साथ सिसक उठती है
आह
आह आय हाय
उइइइइइ आ माँ आह्ह्ह्ह
आह आह्ह्ह्ह
उसकी चूत की चिकनाहट लंड को और आसानी से चूत में आगे पीछे होने में मदद करती है।



देवा;मुझे आज रात तेरी गाण्ड मारनी है रुकु....

रुक्मणी;जो करना है करो पुछो मत अपनी पत्नी से आह्ह्ह्ह्ह्
बस करते जाओ लेकिन अपना माल मेरी चूत में ही गिराना।जल्दी से जल्दी मुझे गाभिन कर दे देवा।
वो दोनों जानती थी की ये रात तो अभी शुरू हुई है।
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रुक्मणी;देवा के कान में धीरे से कहती है।

मुझे माँ बना दे...

और देवा रुक्मणी की इच्छा पूरी करने के लिए अपना लंड सीधा उसकी चूत में पेल कर उसे जंगली जानवर की तरह चोदने लगता है।

रुक्मणी;हर साँस के साथ सिसक उठती है
आह
आह आय हाय
उइइइइइ आ माँ आह्ह्ह्ह
आह आह्ह्ह्ह
उसकी चूत की चिकनाहट लंड को और आसानी से चूत में आगे पीछे होने में मदद करती है।

देवा;मुझे आज रात तेरी गाण्ड मारनी है रुकु....

रुक्मणी;जो करना है करो पुछो मत अपनी पत्नी से आह्ह्ह्ह्ह्
बस करते जाओ लेकिन अपना माल मेरी चूत में ही गिराना।जल्दी से जल्दी मुझे गाभिन कर दे देवा।

वो दोनों जानती थी की ये रात तो अभी शुरू हुई है।
 
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रुक्मणि;अपनी छोटी सी ओखली में बड़ा सा मुसल कुटवाकर कसमसा रही थी।
और उसकी कसमसाहट देवा के लंड की नसें और मोटी कर रही थी।
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रुक्मणी;को चुदवाने की आदत नहीं थी मगर आज जब बरसों बाद उसे वो मिला था जिसकी उसने खवाहिश दिल में बसा रखी थी तो वो भी दिल खोल कर अपनी चूत देवा के लंड से मरवा रही थी।
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अपने दोनों पैरों को देवा के कमर से लपेट कर अपनी कमर को हर धक्के के साथ ऊपर की तरफ उठा उठा कर वो देवा का साथ दे रही थी।

देवा;आहह रुको ऐसी चूत पूरे गांव में किसी की भी नहीं होंगी आह्ह्ह बार बार फिसलता जा रहा है आह्ह्ह।
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रुक्मणी;तुम्हारे लिए बचा कर रखी थी उन्हह
ले लो इसे अपनी बना लो हमेशा हमेशा के लिए आह्ह्ह्ह।

चूत और लंड की सरसराहट पूरे रूम में गूँजने लगती है पसीने में लथपथ दो शरीर अपनी काम वासना पूरी करने में लगे हुए थे।
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देवा;हिम्मत को पता चल गया की तुम इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो तो वो साला किसी की तरफ देखना भी भूल जायेंगा आह्ह्ह।
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रुक्मणी;उस हरामि का नाम न लो आह्ह्ह।
औरत उसकी नज़र में दिल बहलाने का सामान है देवा।
वह अपने देवा की मोहब्बत में इस कदर गिरफ्तार हो चुकी थी की हिम्मत का नाम भी सुन नहीं सकती थी।
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देवा;अपने लंड को चूत की गहराइयों में उतार देता है जिससे रुक्मणी का मुँह खुल जाता है और ज़ुबान बाहर की तरफ आ जाती है।
अपने मुँह में रुक्मणी की ज़ुबान को लेकर चुसते हुए देवा उसे चोदने लगता है।
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पास में लेटी हुए रानी सब सुन भी रही थी और समझ भी रही थी की उसकी माँ अब देवा की हो चुकी है वही देवा जिसे वो कभी अपना दुश्मन समझा करती थी।
मगर जब से उसने देवा से अपनी जवानी बाँटी थी देवा का नशा उसके भी सर चढ़ कर बोल रहा था।

रानी;उठ कर दोनों के पास आ जाती है और रुक्मणी अपनी प्यासी बेटी की तडपती हुई चूत को अपने होठो से लगा लेती है
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अपनी माँ के सर को अपनी चूत पर दबा कर रानी सिहर उठती है।
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दोनो माँ बेटी किसी धंधे वाली औरतों की तरह व्यहवहार कर रही थी । कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था की यी गांव के जागिरदार के घर की औरतें है
जीन पर नज़र उठाने वालो की ऑंखें निकाल दी जाती थी।

देवा;आज बहुत खुश था।
अपने लंड के कमाल की बदौलत ही उसने आज ये मक़ाम हासिल किया था।
लोग अपने पैसे अपने रुतबे की बदौलत बड़ी से बड़ी चीज़ हासिल कर लेते है।
मगर देवा के पास वो बेशक़ीमती चीज़ थी जिस की लालच हर तडपती हुए औरत को होती है।

यही वजह थी की गांव की हर औरत चाहे वो कुँवारी हो या शादीशुदा देवा का नाम जपती थी।

रानी;की चूत से मीठा मीठा पानी रुक्मणी के मुँह में बरसने लगता है।
चटखारे मारते हुए रुक्मणी को पहले कभी अपनी बेटी की चूत चाटने में इतना मजा नहीं आया था जितना की आज वो देवा से चुदाई करते हुए ले रही थी।

दोनो माँ बेटी की चूत एक साथ अकड जाती है और रुक्मणी देवा के लंड को अपनी चूत के पानी से नहलाने लगती है और रानी अपनी माँ के चेहरे को।

हाँफते हुई दोनों औरतें देवा की तरफ देखने लगती है उनकी ऑंखों में बस एक सवाल था देवा के लिए कि
तूम थकते नहीं क्या ।

और देवा के पास उस सवाल का एक ही जवाब था रुक्मणी की चूत में एक और ज़ोरदार धक्का जिससे रुक्मणी की चीख़ निकल पडती है और वो आखिर कर देवा को रुकने के लिए हाथ जोड देती है।

मगर जब तक देवा का पानी नहीं निकल जाता था न वो किसी की गुहार सुनता था न पुकार।

देवा;अपना लंड रुक्मणी की चूत से बाहर निकाल लेता है । रुक्मणी बस चैन की साँस लेती है की देवा उसकी दोनों टाँगें खोल कर अपना मुँह उसी जगह लगा देता है जहाँ कुछ देर पहले उसका लंड था।

अपनी चूत पर देवा के होठो की गर्मी पा कर रुक्मणी की साँसें उखड़ने लगती है।

एक रात में औरत एक या दो बार चुदाई सह सकती है और अगर मँझी हुए औरत हो तो तीन बार मगर यहाँ तो देवा था। वो आदमी जिसे दुनिया में सबसे ज़्यादा अगर कोई चीज़ पसंद थी तो वो थी अलग अलग चूत।

रुक्मणी; रुक्क जाओ जी आहह बस भी आह्ह्ह्ह न उन्हह रानी बोल न इन्हें यह यह यह यह आहह्ह्ह्ह्ह।

रानी; आँखें फाड़े सामने का नज़ारा देख रही थी और देवा था की अपनी एक ऊँगली चूत में अंदर बाहर करते हुए न जाने अंदर से क्या बाहर निकालने की कोशिश करने में लगा हुआ था।

न वो रुक रहा था न कुछ बोल रहा था आखिरकार रुक्मणी चीख पडती है।

रुक्मणी;मुझे मुतने तो दे आह्ह्ह्ह।
उसे बहुत ज़ोर से पेशाब आया था।

देवा; अपना मुँह हटा लेता है और रुक्मणी रूम में के बाथरुम में घुस जाती है।
उसकी कमर इस तरह से लचक खा रही थी जैसे मोरनी अपने मोर को रीझाने के लिए नाचती है।

मोटे मोटे हिलते हुए सफेद कमर और उन दोनों के बीच की वो लम्बी सी दरार देख देवा खड़ा हो जाता है और अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ रुक्मणी के पीछे पीछे बाथरूम में घुस जाता है।

रुक्मणी;पेशाब करने के लिए झुकती है की पीछे से देवा अपना हाथ उसकी कमर पर रख देता है।

रुक्मणी; आह्ह्ह्ह।
रुको भी थोडी देर....

देवा;अपनी दोनों उँगलियों को मुँह में लेकर गीला करता है और बिना रुक्मणी से कुछ बोले उसे सीधा उस दरार के छोटे से सुराख़ पर रख कर अंदर ठूँस देता है।

एक दर्दनाक चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है।

अपनी कुँवारी गाण्ड के सुराख़ में मोटी मोटी देवा की मरदाना उँगलियाँ घुसते ही वो तड़प उठी थी।

मगर न जाने उसे ये दर्द बहुत अच्छा भी लग रहा था
जहां तक कोई न पहुंचा हो। उस मक़ाम पर जब देवा पहली बार पहुँचता है।
तो ख़ुशी सारे दर्द और गम मिटा देती है।

देवा;अपनी दोनों उँगलियाँ आगे पीछे करने लगता है।रुकमनी की चीख सुनकर रानी भी वहां दौडी चली आती है।
और जब वो देखती है सामने का नज़ारा तो मारे हैरत के उसकी भी चीख निकल पडती है।

रानी;माँ तुम ठीक तो हो...

रुक्मणी; हाँ मै ठिक हूँ। आहह अजी अजी क्या कर रहे हो।

देवा;इशारे से रानी को रुक्मणी की चूत के पास बुलाता है और अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल लेता है।
जैसे ही रानी अपनी माँ की चूत से चिपकती है देवा का हथियार पीछे से रुक्मणी की गाण्ड पर हल्ला बोल देता है।

और लंड पहली बार कुँवारी रुक्मणी की छोटी सी गाण्ड के सुराख़ को चीरता हुआ अंदर अंदर और अंदर घुसता चला जाता है। हर अंदर जाता हुआ धक्का रुक्मणी की चीख में इजाफ़ा करता चला जाता है। वो तिलमिलाने लगती है मगर देवा तब तक नहीं रुकता जब तक किला फ़तह नहीं कर लेता है।

उसका पूरा का पूरा लंड रुक्मणी के गाण्ड में जा चुका था। दरद बहुत था मगर उस दर्द पर उत्तेजना हावी हो चुकी थी।

रुक्मणी;को अपनी ही बात याद आ जाती है की सब कुछ तुम्हारा ही है।

रुक्मणी;अपने होठो को दाँतो के नीचे दबा लेती है और देवा अपने काम में लग जाता है। खचा खच वो अपने लंड से रुक्मणी की गण्ड को दो मिनट में खोल कर रख देता है जब रुक्मणी से सहा नहीं जाता तो वो चीख़ पडती है।

रुक्मणी;अजी मार डालोगे क्या आह्ह्ह।
बस भी करो न मुतने भी नहीं देते आह्ह्ह्ह।

देवा; मुत साली किसने रोका है तुझे आहह तेरी गाण्ड के पीछे तो कब से था मै। आज मिली है तो मना कर रही है है आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी; ओह मना नहीं कर रही न आह सुनो ना मुझे बहुत ज़ोरों से सु सु आई है आह्ह्ह्ह।


रानी;देवा के लंड को रुक्मणी की गाण्ड से निकाल कर चाटने लगती है गलप्प गलप्प
और मारो मेरी माँ की गाण्ड देवा और मारो गलप्प
वो फिर से उसे रुक्मणी की गाण्ड में घुसवा देती है।

रुक्मणी;आहह छिनाल जब तेरी गाण्ड फाडेगा न तब तुझे पता आहह चलेगा।
आह्ह्ह्ह।


रानी; मैं ले चुकी हूँ इसे वहां भी माँ ....
अब ये तुम्हारी फाड़ेगा गलप्प गलप्पप्प गलप्प्प।
वो दोनों को एक साथ चाटने लगती है अंदर बाहर होते देवा के लंड को और रुक्मणी की चूत को।

काफी देर तक देवा रुक्मिणी की गांड मारता है बीच बीच में देवा अपना लंड रुक्मिणी की गांड से निकाल कर रानी के मुँह में पेलने लगता है जब लंड पूरा साफ हो जाता है तो फिर से रुक्मिणी की गांड फाड़ने लगता है।

जब देवा;के लंड की नसे रुक्मणी की गाण्ड की सुराख़ से दबने लगती है और एक दो ज़ोरदार धक्कों के बाद देवा अपना सारा पानी रुक्मणी की गाण्ड में निकाल देता है
दोनो हाँफने लगते है जैसे ही देवा अपने लंड को बाहर निकालता है रुक्मणि सिसकारियाँ भरते हुए सीधा देवा के लंड पर मुतने लगती है।


देवा;का औज़ार उस पेशाब से नहाने लगता है।
जब रुक्मणी चैन की साँस लेती है तो देवा अपने भीगे हुए लंड को पास में बैठी हुई रानी के मुँह में पेल देता है जीसे रानी बड़े प्यार से चाटने लगती है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।

रात से सुबह के पाँच बज जाते है मगर न देवा सोता है और न दोनों माँ बेटी को सोने देता है।रात भर माँ बेटी की चूत और गांड खोल के रख देता है।
सुबह सुबह देवा को दोनों पर तरस आ जाता है और वो सुबह में अपने घर चला आता है।



जब वो घर पहुँचता है तो रत्ना सोई हुई मिलती है।
वो भी अपने रूम में जाकर बिस्तर पर लेट जाता है और थकान की वजह से उसकी आँख लग जाती है।

सुबह से दोपहर हो जाती है मगर देवा की आँख नहीं खुलती आखिर कर रत्ना के जगाने पर वो नींद से जागता है।

रत्ना;आज बड़ी सजी सँवरी नज़र आ रही थी जैसे जैसे देवा का पानी उसके पेट में जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे पर निखार और चढ़ता जा रहा था।
अब वो ज़्यादातर साडी पहनने लगी थी।
टाइट सी चोली और उस पर खुले गले वाला ब्लाउज।
जीस में से आधे से ज़्यादा उसकी ब्रैस्ट बाहर को लटके हुए होते थे।

देवा;उठ कर बैठ जाता है
कितने बजे है माँ....

रत्ना;
दोपहर हो गई है कुछ खबर भी है लगता है रात भर सोया नहीं तु।

देवा;हाँ वो रखवाली कर रहा था न। खड़ी फसल है कहीं चोरी न हो जाए।

रत्ना; हाँ....
मुझे लगा कहीं तू चोरी करने गया था क्या।

देवा;क्या।

रत्ना;कुछ नहीं चल नहा ले और कुछ खा ले।

देवा;यहाँ बैठो न मेरे पास।

रत्ना;न बाबा मुझे बहुत काम है।

देवा;जब देखो काम काम... बैठो भी वो उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा देता है।

देवा;माँ ममता के जाने के बाद घर कितना खाली खाली लगता है न।

रत्ना;हम्म खूब समझती हूँ तेरी बातें
शालु की बेटी के खवाब देखने लगा है ना तु।

देवा;रत्ना की ऑंखों में झाँकते हुए बड़े प्यार से कहता है
मै तो अपनी रत्ना के खवाब देखता हूँ दिन रात।

रत्ना;बुरी तरह शर्मा जाती है और उठकर जाने लगती है मगर देवा उसे जाने नहीं देता और अपनी बाहों में जकड लेता है और कितना तडपाना चाहती है मुझे माँ...।

रत्ना;कुछ नहीं कहती बस इधर उधर देखने लगती है
उसकी साँसें फुलने लगती है उसके हावभाव से ऐसा लगने लगता है जैसे वो रात भर तड़प तड़प कर जगी हो।

देवा;अपना एक हाथ रत्ना की जांघ पर रख देता है और उसे हलके से दबा देता है।

रत्ना;आह्ह्ह बेशरम कहीं का।

देवा;मुझे भूख लगी है।

रत्ना;तू उठेंगा तो दूंगी ना।

देवा;मुझे यहाँ से चाहिए।
वो अपनी ऊँगली सीधा रत्ना की चूत की तरफ बढाता है।।

रत्ना;नही ये गलत है।

देवा;अपने बेटे का लंड मुँह में लेना सही है।

रत्ना;अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
चुत उसकी भी मचल रही थी ।पानी उसकी चूत के मुहाने तक आ चुका था।

देवा;आज तक तुम मेरा लेती थी आज मै अपनी रत्ना की चूत का मीठा मीठा शरबत पिऊँगा।

रत्ना;अह्ह्ह बहुत गन्दा हो गया है तू उन्हह।

देवा;अपनी माँ को अपनी बाहों में समेट लेता है और रत्ना भी किसी बच्चे की तरह अपने देवा की गोद में चढ़ कर बैठ जाती है और अपनी कमर को वो धीरे धीरे देवा के लंड पर घीसने लगती है।

देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की बडी बडी चुचियों को थाम लेता है और उन्हें मसलने लगता है।
माँ मुझे दे दे ना।

रत्ना;आहह नही दूंगीः कभी भी आहह नही।

देवा;अपने पयजामे का नाडा खोल देता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।
गराम लंड जैसे ही रत्ना की कमर से टकराता है वो मचल उठती है।

रत्ना;अपने हाथों में उसे पकड़ना चाहती थी मगर देवा उसे ऐसा करने नहीं देता बल्कि रत्ना को खडा करके एक झटके में उसकी साडी ब्लाउज निकाल देता है।
रत्ना उस वक़्त बिना पेंटी की थी।
अपने बेटे के सामने नंगी खड़ी रत्ना अपनी चूत पर हाथ रख कर बैठने लगती है मगर उससे पहले देवा उसे लिटा देता है और अपने लंड को उसके मुँह के पास लाकर अपने होठो को रत्ना की चूत से लगा देता है।

रत्ना;रात भी गरम थी।
अपने देवा के जवान लंड की खुशबु मजबूर कर देती है उसे अपना मुँह खोलने पर और एक माँ अपने बेटे के लंड को मुँह में ले लेती है।

देवा;अपनी माँ की मख़मली चूत पर अपने होंठ रख देता है।

दोनो प्यासे थे। मगर मजबूर थे।
एक दूसरे से इतने क़रीब थे मगर फिर भी दूर थे।
वो चाहते तो एक दूसरे में समां सकते थे मगर रत्न का वादा बार बार उन्हें अलग कर रहा था।
आपनी माँ की गुलाबी चूत की पंखडियाँ अपने मुँह में भर कर चुसते हुए देवा को बस एक बात सता रही थी काश मुझे अपने बाप के बारे में पता होता तो आज मेरी माँ मेरे लंड से पिस रही होती।
और रत्ना के मन में एक उलझन थी की देवा उस पर ज़ोर ज़बर्दस्ती क्यों नहीं करता।

दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।

रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।

देवा;रात भर दो औरतों को चोद कर आया था।
वो अपनी माँ के होठो की गर्मी का इतना आदि नहीं हुआ था ऊपर से वो इतना ज़्यादा उतेजित हो चूका था की रहा भी नहीं जा रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना का गरम मुँह चोदने लगता है लेकिन ख्वाब में वो अपनी माँ की चूत में लंड पेल रहा है।रत्ना भी अपने बेटे के लंड को पूरा मुँह में भरके चूस रही है।दोनों की रफ़्तार तेज होने लगती है।

कुछ देर बाद दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ने लगते है।

जहां एक तरफ रत्ना देवा के पूरे चेहरे को गीला कर देती है वहीँ देवा का थोड़ा सा पानी निकलता है।
क्यूं की सारा पानी वो रात में निकाल चूका था।

रत्ना;जब भी देवा का लंड चुसती थी उसका मुँह भर जाता था बल्कि बाहर छलक भी जाता था मगर आज ऐसा नहीं हुआ था।
यही बात रत्ना के दिल में घर कर जाती है
की कहीं देवा बाहर कुछ गलत तो नहीं कर रहा है न।

रत्ना;देवा।

देवा;हाँ माँ...

रत्ना;नहा कर ममता के ससुराल हो आ उसे कुछ दिनों के लिए यहाँ ले आ।

देवा;सच माँ ममता को लेकर आना है।

रत्ना;हाँ कुछ दिन यहाँ रहकर आराम कर लेंगी वो।
अगर तू चाहेगा तो....

देवा;रत्ना की बात सुनकर झेंप जाता है।
वो रत्ना के क़रीब जाने लगता है मगर रत्ना उसे धक्का देकर खड़ी हो जाती है।

रत्ना;तुझे जो चाहिए था मिल गया ज़्यादा आगे बढ़ने की ज़रूरत नहीं है मुझे बहुत काम है।
वो किचन में चलि जाती है और देवा उठकर नहाने चला जाता है मगर रत्ना परेशान हो जाती है।
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आपनी माँ की गुलाबी चूत की पंखडियाँ अपने मुँह में भर कर चुसते हुए देवा को बस एक बात सता रही थी काश मुझे अपने बाप के बारे में पता होता तो आज मेरी माँ मेरे लंड से पिस रही होती।
और रत्ना के मन में एक उलझन थी की देवा उस पर ज़ोर ज़बर्दस्ती क्यों नहीं करता।

दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।

रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।

देवा;रात भर दो औरतों को चोद कर आया था।
वो अपनी माँ के होठो की गर्मी का इतना आदि नहीं हुआ था ऊपर से वो इतना ज़्यादा उतेजित हो चूका था की रहा भी नहीं जा रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना का गरम मुँह चोदने लगता है लेकिन ख्वाब में वो अपनी माँ की चूत में लंड पेल रहा है।रत्ना भी अपने बेटे के लंड को पूरा मुँह में भरके चूस रही है।दोनों की रफ़्तार तेज होने लगती है।


कुछ देर बाद दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ने लगते है।
 
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देवा;नहाने चला जाता है और रत्ना परेशान हो जाती है...........

रत्ना;का ध्यान बार बार भटक रहा था एक तो वो खुद के रवैये को लेकर परेशान थी की उसे हो क्या गया है। वो जो नहीं चाहती थी वो खुद अपनी मर्ज़ी से कर रही है।
और देवा को उसकी मर्ज़ी भी करने दे रही है।
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नही नहीं अब मै देवा को अपने क़रीब नहीं आने दूंगी।
वो कुछ सोच कर ये बात अपने मन में ठान लेती है।
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देवा;नहाकर बाथरूम से बाहर आता है और आते ही अपनी माँ के कमर में पीछे से चिपक जाता है।
वो सिर्फ टॉवल लपेटे हुए था।
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और उस टॉवल के पीछे का शैतान अपनी जगह की तलाश में रत्ना की चूतड़ पर ठोकर मारने लगता है।

अपने जज़बातों को एक तरफ रख कर रत्ना देवा की तरफ घुम जाती है।
उसकी आँखें कुछ और बता रही थी और वो कुछ और ठान चुकी थी।
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देवा;क्या बात है मेरी जान।

देवा;पूरा भी नहीं कह पाता की रत्ना एक थप्पड देवा के गाल पर जड़ देती है।

देवा;की सिट्टी पिट्टी गूंज उठती है।
वो अपने गाल को सहलाते हुए रत्ना को देखने लगता है
कुछ देर पहले जो औरत अपनी चूत का मीठा पानी पीला रही थी उसे अचानक क्या हो गया है।

रत्ना;अपनी हद में रह लड़के।
आइन्दा मेरे क़रीब भी मत आया।
तो मुझसे बुरा कोई न होगा।

रत्ना की ऑंखों में उठा वो ज्वाला देवा देख लेता है और बिना कुछ बोले वापस अपने रूम में जाकर कपडे पहनने लगता है।

रत्ना;देवा के लिए खाना बनाने लगती है
उसके दिल में फिर से हलचल शुरू हो जाती है
क्या मैंने सही किया।
मुझे देवा को नहीं मारना चाहिए था।
वो मुझसे नाराज़ न हो जाए।
कही वो फिर से घर छोड कर न चला जाए।

कई सारे सवाल रत्ना को परेशान करने लगते है मगर उन् सब सवालों की वजह खुद देवा था।वो अपनी माँ रत्ना से प्यार की बात भी करता था और बाहर की औरतों की लेने को भी पीछे नहीं हटता था।

रत्ना; जानती थी आज मारे गए थप्पड देवा को सही रास्ती पर ले आयेगी।
और वो सिर्फ उसके और उसकी होने वाली पत्नी नीलम के बारे में सोचेगा।

देवा;कपडे पहनकर बाहर जाने लगता है।

रत्ना;अरे कहाँ जा रहा है । खाना तो खा ले।
मगर जिसके गाल पर थप्पड़ पडा हो उसे खाना भी अच्छा नहीं लगता।
देवा;सीधा अपने खेतों की तरफ बिना रत्ना को जवाब दिए निकल जाता है।

खेत में जाने के बाद अपने खेत के कुँवें पर जाकर देवा बैठ जाता है।
उसे उस वक़्त रत्न पर बहुत ग़ुस्सा आ रहा था।
आखीर उसने उसे मारा क्यों । यही बात देवा को परेशान कर रही थी।

मै माँ को इतना प्यार करता हूँ मगर माँ मुझे हमेशा परेशान करती है।
ठीक है अब माँ को बताऊंगा की मुझे उसकी नहीं उसे मेरी ज़रूरत है।
माँ नहीं चाहती न मै उसके क़रीब जाऊँ।
मै नहीं जाऊँगा।
जब तक वो खुद चल कर मेरे पास नहीं आती।
देवा;खुद से बातें करने लगता है।

इधर रत्ना की देवा की सोच से बिलकुल उलटी सोच हो रही थी।
वो देवा को नाराज़ नहीं करना चाहती थी। बस वो ये चाहती थी की देवा अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझे। इस तरह गांव में खुले सांड की तरह न घुमता रहे।

रत्ना;अपनी सोचों में ही गुम थी की कोई उसे आवाज़ देता है।
जने पहचानी आवाज़ सुनकर रत्ना चौंक जाती है और दरवाज़े की तरफ देखने लगती है।

दरवाज़े पर तीन औरतें खड़ी थी।

ममता ;माँ......

रत्ना;ममता मेरी बच्ची आ गई तू। मै तुझे लाने के लिए देवा को आज भेज ही रही थी।रत्ना अपनी ममता को अपने ममता के आँचल में समेट लेती है।

कोमल;अरे समधन जी आप सोच रही थी लो हम अपनी बेटी को उसकी माँ से मिलाने ले भी आए।

रत्ना;कोमल और साथ में आये प्रिया को भी अंदर ले आती है।
उन्हें नाश्ता पानी देने के बाद वो उन्ही के पास बैठ जाती है।

रत्ना;सच में मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा अभी भी।
की मेरी ममता मेरी ऑंखों के सामने है।

कोमल;देख लो समधन।
आपकी अपनी ममता ही है।
और हाँ ये आपकी बेटी थी अब मेरी दूसरी बेटी है।
मै ममता को प्रिया से कम थोड़े प्यार करती हूँ।
मुझे कह रही थी माँ से मिल कर आती हूँ।
मैने कहा चल मै ही तुझे वहां छोड़ आती हूँ।
एक दो दिन मै रहूँगी तुझे जितना रहना है रह लेना।
प्रिया को भी साथ ले आए।
दोनो साथ में वापस आ जाएंगी।

रत्ना;ये तो अपने बहुत अच्छा सोचा समधन।
सच में ममता को आप मुझसे ज़्यादा चाहती है। ये बात तो साबित हो गई।

रत्ना;अरे प्रिया बिटिया बड़ी गुमसुम से बैठी हो।
मगर एक बात कहूँगी बड़ी सुन्दर लग रही हो इन कपडो में। शादी में तो ठीक से मिल भी नहीं पाई थी तुम से। अब एक दो हफ्ते यही रहो मेरे पास।

प्रिया;मुस्कुरा देति है।

ममता;माँ भैया कहीं दिखाई नहीं दे रहे।

रत्ना;देवा वो अभी अभी बाहर गया है आ जायेगा।
देवा;का नाम सुनकर तीन चुतों में जैसे पानी सा आ जाता है।
अपने भाई की छिनाल बहन ममता बेक़रार थी अपने भैया यानी सैयां से मिलने को।
वही कोमल की गाण्ड भी खुल बंद हो रही थी।
उसके नीचे पिस जाने को
और जो सबसे चुपचाप बैठी थी प्रिया उसकी चूत का पर्दा सबसे ज़्यादा उतेजित था देवा को देखने के लिये।

रत्ना;समधन जी आप लोग थक गए होगे।
आराम कर लो तब तक मै खाना बना लेती हूँ।।

ममता;माँ मै तुम्हारी मदद करती हूँ।

कोमल;चल प्रिया तू भी थोड़ा आराम कर ले।

कोमल और प्रिया रूम में आराम करने चलि जाती है और ममता अपनी माँ से ससुराल की बातें करने बैठ जाती है।

दोनो माँ बेटी धीमी आवाज़ में खाना पकाते हुए बातें करने लगती है।

देखते ही देखते सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है मगर देवा का न ग़ुस्सा कम होता है और न वो घर जाता है।

रत्ना; जानती थी देवा इतनी देर नहीं लगाता। आज उसके चाँटे की वजह से देवा घर नहीं आया है उसकी चिंता और बढ़ने लगती है की तभी देवा की आवाज़ सुनकर उसकी जान में जान आती है।

देवा;जैसे ही घर में दाखिल होता है उसे बीच के रूम में प्रिया बैठे हुए नज़र आती है।

एक पल के लिए देवा ठिठक सा जाता है
ओ प्रिया को पहचान ही नहीं पाता।
सलवार कमीज में रहने वाली प्रिया आज चोली घाघरे में उसके सामने बैठी हुई थी।


उसके बाजु में कोमल और उसके पास ममता को देख देवा खुश हो जाता है । उसका सारा ग़ुस्सा जैसे उड्डन छु हो जाता है।

ममता; भइया....
वह भागते हुए आकर अपने देवा से लिपट जाती है
कोमल और प्रिया के लिए ये एक भाई बहन की मोहब्बत थी मगर देवा और ममता के लिए ये बिछड़े हुए प्रेमियों का मिलन था।

देवा;भी अपनी बहन को अपनी बाहों में समेट लेता है
कैसी है मेरी गुडिया।

ममता ;ठीक हूँ भइया।

देवा;कोमल और प्रिया के सामने अपना कोई भी राज़ नहीं खोलना चाहता था क्यूंकि उसकी कोई भी गलती ममता की आने वाली ज़िन्दगी ख़राब कर सकती थी।

देवा;ममता से अलग होकर कोमल और प्रिया से मिलता है।

कोमल के साथ साथ प्रिया की ऑंखें भी चमक उठती है। थोड़ी देर बातें करने के बाद देवा अपने रूम में चला जाता है।

रत्ना;देवा के लिए चाय बनाकर उसके रूम में जाने लगती है मगर ममता उसे पीछे से आवाज़ देकर रोक लेती है।

ममता;लाओ माँ भइआ को मै चाय दे आती हूँ तुम अम्मा और प्रिया के पास बैठो।

रत्ना;देवा से बात करके उसे मना लेना चाहती थी मगर जो वो चाह रही थी वो वैसे नहीं हो पा रहा था।

ममता;चाय लेकर देवा के रूम में चलि जाती है और कप टेबल पर रख कर देवा से लिपट जाती है अपने भाई के पूरे चेहरे को ममता चुमती चलि जाती है और ममता और देवा भी अपनी बहन के हर एक अंग अंग को अपने हाथों से मसलने लगता है।

ममता;भैया मेरे देवा कितनी याद आई मुझे तुम्हारी मुआहहहह मुआह....

देवा;मुझे भी तू बहुत याद आती है ममता मेरी जान।
दोनो एक दूसरे के होठो को चुमने लगते है।
ममता ;अपने भाई की मज़बूत बाहों में खुद को ढिला छोड देती है और देवा उसे बड़ी आसानी से सँभाल लेता है।

देवा; ये बता तेरी सास और ननद यहाँ कैसे।

ममता ;अम्मा तो मुझे यहाँ छोडने आई है वो दो दिन बाद चलि जाएगी।
प्रिया यहीं रुकेंगी और मेरे साथ बाद में जाएंगी।

देवा;और सुना सब कैसे चल रहा है वहाँ।

ममता; तुम्हारे बिना कैसे चल सकता है भइया।
सब है वहां मगर जहाँ तुम नहीं वहां मुझे अधूरापन लगता है।

देवा;फिर से अपनी बहन को अपनी बाहों में जकड लेता है ।कोई बात नहीं आज तुझे जम कर पुरानी बातें याद दिला दूँगा।

ममता;नहीं नहीं अभी नहीं। अम्मा के जाने के बाद
वरना मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा वहां....

अम्मा के जाने के बाद जो करना है करो जैसे करना है करो।
बस दो दिन और.....

देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है चलो अच्छा हुआ तूने खुद कह दिया वैसे भी दो दिन देवा का पूरा ध्यान कोमल की मोटी गाण्ड और चूत मारने पर था ।

ममता ;क्या सोच रहे हो।

देवा;कुछ नहीं तू जा। मै आता हूँ।

ममता बहार चलि जाती है और देवा अपने लंड को सहलाते हुए कुछ सोचने लगता है।

कुछ देर बाद देवा बाहर आकर कोमल और प्रिया के पास बैठ जाता है और उनसे हँस हँस के बातें करने लगता है । वो रत्ना को ऐसे बता रहा था जैसे उसे रत्ना की कोई परवाह ही नहीं है और ममता के आ जाने से उसे सारी खुशियाँ मिल गई है।



रत्ना;दूर से ये सब देख अंदर ही अंदर जल भून रही थी। जब से देवा घर आया था उसने रत्ना की तरफ एक बार भी नहीं देखा था न उससे कोई बात किया था।
बस ममता और कोमल में खोया हुआ था देवा।

औरत चाहे कोई भी हो जब वो किसी से प्रेम करने लगती है तो वो बस ये चाहती है की उसका प्रेमी सिर्फ उसे देखे उससे बात करे और किसी भी दूसरी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी न देखे मगर देवा वो सब कर रहा था जिस चीज़ से औरतों को नफरत होती है।

रत्ना;खाना खाने का मन नहीं है क्या।

ममता ;अरे हाँ देखो न माँ । भैया की बातों में कुछ याद नहीं रहा।
चलिये खाना खा लेते है।
प्रिया आओ।
ममता अपनी सास और प्रिया को खाना खाने ले जाती है। उनके जाने के बाद रत्ना देवा के पास आकर बैठ जाती है।

देवा;उठकर जाने लगता है मगर रत्ना उसका हाथ पकड़ लेती है।
मुझे तुमसे बात करनी है।

देवा;कुछ नहीं कहता।

रत्ना;सुन रहे हो न तुम।

देवा;नहीं मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
दूर रहना चाहती हो ना तुम मुझे। ठीक है दूर रहूँगा मै भी।
देवा ये केहकर कोमल और ममता की तरफ चल देता है और रत्ना की ऑंखों में हज़ारों दिए टिमटिमा जाते है।

कहते है मोहब्बत इम्तहान लेती है।
कभि कभी मोहब्बत करने वालों की जान भी लेती है।
यहाँ सवाल जान का नहीं था।
मगर देवा की हरकतें रत्ना को तिल तिल मार ज़रूर रही थी।
मेहमान घर में थे। इसलिए रत्ना कुछ कह भी नहीं सकती थी।
मगर देवा की बेरुख़ी उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। उसे एक और डर सताने लगा था की ममता के आ जाने से देवा उसे सच में भूल न जाए।

मगर देवा के दिल का हाल सिर्फ देवा जानता था और कोई नही।

रात के खाने के बाद ममता अपनी माँ के रूम में सोने चली जाती है। देवा अपने रूम में और कोमल प्रिया के साथ एक रूम में सोने।
WOW SUPERB UPDATE
कहते है मोहब्बत इम्तहान लेती है।
कभि कभी मोहब्बत करने वालों की जान भी लेती है।
यहाँ सवाल जान का नहीं था।

मगर देवा की हरकतें रत्ना को तिल तिल मार ज़रूर रही थी।
 
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सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते है।
सफर की थकान काफी थी ममता को इसलिए वो थोड़े देर अपनी माँ से बातें करने के बाद नींद के आग़ोश में चलि जाती है।
मगर रत्ना की आँखों से नींद ग़ायब हो चुकी थी।
वो औरत जिसका सब कुछ देवा था उसका अपना बेटा
आज वही देवा उस से नाराज़ हो चूका था।
और ऐसा भी नाराज़ की अपनी रत्ना की तरफ एक नज़र देखने को भी तैयार नहीं था वो ज़ालिम।

रत्ना;अपने बिस्तर से खडे हो जाती है और किचन में आकर एक गिलास में दूध लेकर देवा के रूम की तरफ चलि जाती है।
दरवज़ा अंदर से बंद नहीं था वो थोड़ा सा धक्का देती है जिससे दरवाज़ा थोड़ा सा खुल जाता है।

रत्ना;अंदर देखती है कहीं देवा सो तो नहीं गया।
मगर जो उससे दिखाई देता है वो देख उसका जिस्म थरथरा जाता है। उसके हाथ में मौजूद दूध का गिलास छलक जाता है।

अंदर देवा बिलकुल नंगा लेटा हुआ था अपने लंड को सहलाते हुए।
मोटा लम्बा काला पूरी तरह खड़ा
अपना पूरा फन फ़ैलाये अपने शिकार को डँस लेने के लिए बेक़रार।
देवा का वो जवान फौलादी लंड उसके हाथ में से बाहर निकल कर फुंफकार रहा था।

रत्ना; चूत की मारी थी पति का लंड बहुत कम दिन मिल पाया था उसे और अब जब अपनी जवानी के वही दिनों में लौटने लगी थी तो देवा उससे नाराज़ हो गया था।
अपने धड़कते हुए दिल को क़ाबू में रख कर रत्ना ज़ोर से खंखारती है जिससे देवा चौंक जाता है और अपने लंड पर कंबल डाल देता है।

देवा;कौंन...

रत्ना;कांपते पैरों से अंदर चली आती है।

हुश्न की मल्लीका अपने पूरे शबाब में देवा के सामने मौजूद थी।
रत्ना का बदन थोडा भी ढिला नहीं था।
जिस औरत को बहुत दिन से लंड न मिला हो वो कस जाती है।
उसकी चूत भी आपस में चिपक सी जाती है।
मखमली सफेद बदन उस पर सामने की तरफ लटकते हुए वो खूबसूरत रेश्मी चूचियां देख एक पल के लिए देवा के अंदर का जानवर उससे कहता है।

देख क्या रहा है मादरचोद चल खीच ले उसे बिस्तर पर और मसल दे।
मगर देवा जानता था जितनी दूरियां वो बढ़ायेंगे उतनी ही क़रीब रत्ना आती चलि जाएगी।

देवा;कुछ नहीं कहता।

रत्ना;आगे बढ़ती है और अपने हाथ में का गिलास उसके पास की टेबल पर रख देती है।
तूमने खाना बहुत काम खाया था। दूध पी लेना और कुछ चाहिए क्या।

देवा;ख़ामोश रहता है और उसकी ख़ामोशी रत्ना को बता देती है की रूम के बहार चलि जाओ।
कुछ देर और देवा के शब्द सुनने के लालच में रत्ना वही खड़ी रहती है मगर देवा कोई जवाब नहीं देता।
आखीरकार रत्ना उलटे पांव अपने रूम में चलि जाती है।

रात घिरने लगती है चारों तरफ सन्नाटा पसर जाता है। उसी सन्नाटे में चोदु लंड खड़ा हुआ करते हैं।
देवा;अपने बिस्तर से खड़ा हो जाता है और चुपचाप दबे पांव कोमल के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
ठंढ काफी बढ़ चुकी थी इसलिए कोमल और प्रिया अपने अपने रज़ाई में दूबक कर सोई हुई थी।

देवा; धीरे से कोमल के पास जाकर बैठ जाता है।
कहते है चूदी हुई चूत जल्दी सो जाती है और जवान कुँवारी चूत हो या लंड रात में बहुत देर से सोते है।

प्रिया का भी यही हाल था अपनी चूत खुलने के दिन गिनते प्रिया को नींद नहीं आ रही थी मगर जैसे ही देवा के क़दमों की आवाज़ उसे सुनाई देती है वो अपनी आँखें बंद कर लेती है।

कोमल;इतनी दूर से यहाँ सोने नहीं आई थी
बल्कि अपने देवा से चुदने आई थी।

देवा;अपना हाथ कोमल की कमर पर रख कर उसे दबाने लगता है।
ठंडी के दिनों में अपने नरम कमर पर गरम हाथ पडते ही कोमल सिहर उठती है।
वो गर्दन घुमा कर देवा की तरफ देखती है।
उसकी आँखें रात के अंधरे में भी चमक रही थी।और उन नशीली आँखों में बस एक इल्तिजा थी की ज़ालिम
चोद दे मुझे रात भर।

कोमल;अपनी कोमल बाहें खोल देती है और देवा उस से लिपटता चला जाता है।

देवा;बड़ी याद आती है मुझे तेरी।
कोमल; शी शी धीरे बेटा प्रिया जग जाएगी ना।

देवा;अपने हाथों से कोमल की साडी ऊपर चढाने लगता है और उसे कमर के ऊपर तक चढा कर अपना हाथ उसकी पेंटी में डाल देता है।

कोमल;आहह आते ही शुरु हो गया । बड़ा ज़ालिम है तू उहननन।

देवा;तेरी कमर इतनी प्यारी है ना काकी मेरा लंड कब से खड़ा हुआ है तुझे देख कर। बस घर वालों के सोने का इंतज़ार कर रहा था की कब सब सोते है और कब मै तेरी चूत और गाण्ड में लंड अटकाए तुझे चोदता रहूँ।

कोमल;आहह मै भी तो कब से रास्ता आहह देख रही हूँ बेटा तेरा उन्हह।
देख न तेरी काकी इतनी दूर से तेरे लिए आई है। आ
मिटा दे जन्मों की प्यास मेरी आह्ह्ह्ह।

दोनो की आवाज़ सुनकर प्रिया के कान खड़े हो जाते है और जोश के मारे उसकी साँस भी फुलने लगती है।
जिसकी वजह से उसे ठसका लग जाता है।
वो खाँसते हुए उठ कर बैठ जाती है।

कोमल अपने और देवा के ऊपर कंबल खीच लेती है
क्या हुआ बिटिया।

प्रिया; उहहू हु
कुछ नहीं माँ.....
वो फिर से दोनों की तरफ मुँह कर के लेट जाती है।
राजाई के अंदर भी देवा एक मिनट के लिए चैन से नहीं रहता वो अपना लंड पायजामे में से बाहर निकाल लेता है और उसे कोमल के हाथों में थमा देता है।
गरम लोहे के रॉड की तरह तना हुआ देवा का लंड हाथ में तो कोमल के आ जाता है मगर बिटिया न जग जाए ये डर भी सताने लगता है । क्यूंकि जब देवा चोदता था तो औरत कितनी भी बड़ी रंडी क्यों न हो उसकी चीखें निकल ही जाती थी।

कोमल;धीरे से देवा के कान में लंड को सहलाते हुए कहती है।
अभी नही ना प्रिया जग सकती है।
मगर देवा किस की सुनता था वो अपने होठो को कोमल के होठो पर रखकर दोनों हाथों से उसकी चुचियों को मसलने लगता है।

कोमल डर भी रही थी और चूत गरम भी हो रही थी एक तरफ चूत की आग थी दूसरी तरफ बेटी के जग जाने का डर था।
देवा के हाथ अपना जादू दिखाने लगते है और ठण्डा पड़ चूका शोला फिर से भड़क उठता है कोमल की चूत में भी आग के शोले जल उठते है और वो भी अपने ज़ुबान देवा के मुँह के अंदर तक डालकर उसका मुँह गीला करने लगती है गलप्प गलप्प
गलप्प उहन गप्पप्प गलप्पप्प।

देवा;अपना पैजामा उतार देता है
और कोमल अपनी साडी को जिस्म से अलग कर देती है
देखते ही देखते दोनों जोश में आकर पूरे नंगे हो जाते है।
अब कोमल को न प्रिया की मौजूदगी की चिंता थी और न अपने बहु के घर में चुदवाने का डर।
वो नंगी हो चुकी थी और जब औरत खुद से पूरी नंगी होती है उसका मतलब एक ही होता है की वो रात भर खुलकर अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने प्रेमी से चुदवाना चाहती है।

कोमल;देवा के लंड की तरफ झुकती है और देवा दोनों हाथों में कोमल की कमर को थाम कर अपना मुँह उसकी बडी सी गाण्ड के पीछे छुपी चुत पर लगा देता है
दोनो एक दूसरे को चाटने लगते है।
जहां देवा का लंड कोमल के मुँह में और मोटा होने लगता है वहीँ कोमल की चूत भी सुलगती जाती है और देवा अपनी ज़ुबान को अंदर डाल कर उस आग में घी का काम करने लगता है गलप्प गलप्प्प।

कोमल;गलप्प आज नहीं सोने दूंगी बेटा गलप्प
इस लंड ने तो मुझे वहां से यहाँ लाया है गलप्प
आज नहीं गलप्प गलप्प्प।



देवा; थपाक करके एक ज़ोरदार थप्पड कोमल की गाँड पर जड़ देता है।
साली बहुत बड़ी छिनाल है तू कोमल।

कोमल ;हाँ छिनाल हूँ मै मगर बस तेरी गलप्प गलप्प।
तेरे लंड की दिवानी हूँ मै गलप्प
रंडी हूँ मै अपने देवा की गलप्प गलप्प।

पास में चुप चाप लेटी हुई प्रिया की ऑंखों में नशा ही नशा चढ़ने लगता है । उसके हाथ खुद ब खुद अपनी चुचियाँ और चूत की तरफ बढ़ने लगते है जवान चूत के सामने चुदाई हो और वो खामोश रहे ऐसा हो ही नहीं सकता।

न देवा का लंड बर्दाश्त कर पा रहा था और न कोमल की चूत दोनों बेक़रार थे जल्द से जल्द एक दूसरे में घुस जाने को।

देवा ;कोमल को चित लिटा देता है उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धे पर रख कर अपने लंड को कोमल के क्लाइटोरिस जिसे गांव वाले छूट का दाना कहते थे। उस पर घीसने लगता है।
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पहले ही गरम हो चुकी उस चूत में ऐसी सरसराहट सी होती है की कोमल अपने बाल खीचने लगती है।
कोमल कमर को लंड तक मिलाने के लिए ऊपर की तरफ उठाने लगती है मगर वो ज़ालिम अभी ज़ुल्म करने को तैयार नहीं था और मज़लूम जो था वो चाहता था की उस पर जबरन ज़ुल्म किया जाए।
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उस पर उसकी चूत पर वो कहर बरपा किया जाए जिस से उसकी चूत कई दिन तक लंड का नाम न ले।

कोमल;आहह।
चोद ना बेटा।
इतनी दूर से चुदवाने आई है तेरी कोमल तुझसे आहह
तू है की ड़ालता नही।

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देवा;अपने लंड को ठीक कोमल की चूत पर लगा देता है कोमल अगले पल का इंतज़ार करने लगती है की कब वो अंदर जाए और उसे चैन आए।

देवा;गर्दन घुमा कर प्रिया की तरफ देखता है प्रिया के आँखें भी उस वक़्त उसी जगह टीकी हुई थी जहाँ देवा का लंड रुका हुआ था।

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देवा;सट करके एक धक्के में आधे से भी ज़्यादा लंड कोमल की गीली चूत में उतार देता है।
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पक्क की आवाज़ से कोमल की चूत खुलती है और लंड चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाता है इधर चूत और लंड का मिलाप होता है उधर एक
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दबी दबी सी चीख प्रिया के मुँह से निकल जाती है।
बस उसी पल देवा और प्रिया की आँखें टकराती है।
एक बेशरम सी हंसी देवा के चेहरे पर देख प्रिया बुरी तरह शरमा जाती है।
और उसकी नज़रें झुकती चली जाती है।



कोमल;आहह मेरी चूत में से रात भर मत आहह निकालना देवा।
बस ऐसे ही ऐसे ही उई माँ ड़ालता जा रे
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अंदर तक आहह आह्ह्ह्ह।

देवा;देखती जा मेरी जान।
देवा रात भर तेरे साथ क्या करता है।
तेरा यहाँ आना बेकार नहीं जाने दूंगा।
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चुदाई की तो अभी शुरुवात हुई थी।
रात भी अभी जवान हुई थी।
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लंड का चूत से अभी मिलाप हुआ था।
एक माँ अपने जवान बेटी की आँखों के सामने कमर उठा उठा कर चुदवाना चाहती थी।
मगर इस सब का नतीजा कुछ और निकलने वाला था।
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जिसका थोड़ा थोड़ा अनुमान सभी को था।
WOW VERY EROTIC UPDATE

देवा ;कोमल को चित लिटा देता है उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धे पर रख कर अपने लंड को कोमल के क्लाइटोरिस जिसे गांव वाले छूट का दाना कहते थे। उस पर घीसने लगता है।
पहले ही गरम हो चुकी उस चूत में ऐसी सरसराहट सी होती है की कोमल अपने बाल खीचने लगती है।
कोमल कमर को लंड तक मिलाने के लिए ऊपर की तरफ उठाने लगती है मगर वो ज़ालिम अभी ज़ुल्म करने को तैयार नहीं था और मज़लूम जो था वो चाहता था की उस पर जबरन ज़ुल्म किया जाए।
उस पर उसकी चूत पर वो कहर बरपा किया जाए जिस से उसकी चूत कई दिन तक लंड का नाम न ले।

कोमल;आहह।
चोद ना बेटा।
इतनी दूर से चुदवाने आई है तेरी कोमल तुझसे आहह
तू है की ड़ालता नही।

देवा;अपने लंड को ठीक कोमल की चूत पर लगा देता है कोमल अगले पल का इंतज़ार करने लगती है की कब वो अंदर जाए और उसे चैन आए।

देवा;गर्दन घुमा कर प्रिया की तरफ देखता है प्रिया के आँखें भी उस वक़्त उसी जगह टीकी हुई थी जहाँ देवा का लंड रुका हुआ था।

देवा;सट करके एक धक्के में आधे से भी ज़्यादा लंड कोमल की गीली चूत में उतार देता है।
पक्क की आवाज़ से कोमल की चूत खुलती है और लंड चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाता है इधर चूत और लंड का मिलाप होता है उधर एक

दबी दबी सी चीख प्रिया के मुँह से निकल जाती है।
 
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ज़ालिम अपने ज़ुल्म से बाज़ नहीं आ रहा था वो लगातार अपने लंड को कोमल के चूत की गहराईयों में उतारता चला जाता है।
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हर धक्का किसी हथोड़े की तरह कोमल की चूत पर बरसाने लगता है।
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कोमल;आहह बस आह्ह्ह आज लगता है मार देगा मुझे तू । आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;आह्ह्ह्ह साली अपने सांड से चुदवाने आई है ना तो इतनी जोर से अब क्यों चिल्ला रही है।
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वो दोनों ये भूल गए थे की रूम में एक जवान लड़की भी मौजूद है।
जो आँखें बंद करके सब सुन रही है और जितना अंदर देवा का लंड जा रहा था कोमल की चूत में। उससे भी ज़्यादा तेजी से प्रिया अपनी चूत को रगडने में लगी हुई थी।
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एक बेटी के सामने उसकी माँ चुद रही थी वो भी अपनी कमर उछाल उछाल कर।
ये नज़ारा बहुत कम देखने सुनने को मिलता है मगर प्रिया वो लड़की थी जो ये सब देख रही थी।
उसे अपनी माँ पर आज ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो जलन महसूस करने लग गई थी अपनी माँ से की काश वो कोमल की जगह लेटी होती और वो मुस्सल उसके ओखली में अंदर बाहर जा रहा होता।
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कमल;उईइइइइ माँ।
रूक़ भी जा ना बेटा
दूख़ता है ना इतने अंदर तक मत पेल उसे आह्ह्ह्ह्ह्
ओह्ह्ह्ह्ह।

देवा;दोनों टाँगें खोल देता है कोमल की और अपने लंड को उसकी बच्चेदानी तक पेलने लगता है।
पच पच खच खच की आवाज़ें रूम में गूँजने लगती है।
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कोमल;अपने मुँह में अपनी पेंटी ठूँस लेती है।
वो जानती थी की ये नहीं रुकने वाला और इस पर किसी के बात का भी कोई असर नहीं होगा।
वो गुं गुं की आवाज़ के साथ झरने लगती है।
चुत से पानी का फव्वारा बहने लगता है और उस पानी से देवा का लंड नहाने लगता है।
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देवा;हरामज़ादी थक गई अब क्या तेरी बेटी को चोदूँ मैं....

कोमल;अपनी चूत से लंड निकाल कर उठ कर बैठ जाती है और हांफ्ते हुए वो देवा का लंड मुठी में पकड़ लेती है।

कोमल;हाँ हाँ...
रुक जा मुझे मूत कर आने दे उसके बाद रात भर कर

देवा;हरामज़ादी जल्दी से आ...

कोमल;वैसे ही नंगी टॉयलेट में घुस जाती है मुतने के लिये।

देवा;अपने लंड को हिलाने लगता है।
वो अपनी गर्दन घुमा कर प्रिया की तरफ देखता है।

प्रिया;झट से अपनी आँखें बंद कर लेती है।

देवा;दिल में प्रिया को गाली देता है।
एक तो उसकी माँ कोमल ने बीच रास्ते में उसे अपनी गाण्ड दिखा कर मुतने चलि गई थी।
देवा की सबसे बड़ी मुश्कील था। जब कोई औरत चुदाई रोक देती थी
या उसे चोदने नहीं देती थी तब उसके लंड में खतरनाक तरह का दर्द होने लगता था।
लंड की नसे फुलने लगती थी और दिल बस एक सुराख़ तलाश करने लगता था की कहाँ कोई सुराख़ मिले और देवा उस में अपना लंड फँसा कर आगे पीछे कर सके।

देवा;प्रिया के क़रीब जाकर बैठ जाता है।
वो प्रिया के ऊपर झुकता है।
प्रिया;की साँसें तेज़ थी अभी अभी कुछ देर पहले वो जो नज़ारा देख रही थी उसकी वजह से उसकी चूत से ढेर सारा पानी बाहर निकला था।
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जिसकी वजह से उसकी सलवार गीली हो गई थी।

देवा;को एक अजीब सी महक आती है और वो प्रिया को सर से लेकर पाँव तक सुंघने लगता है।
और उसकी नाक प्रिया के शलवार पर जाकर रुक जाती है।
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ये महक और कुछ नहीं बल्कि जवान कुँवारी चूत से निकले पानी की थी।

देवा;अपना हाथ सीधा प्रिया के चूत पर रख देता है
चिपचिपा सा रस उसकी उँगलियों पर लग जाता है
जैसे ही देवा का हाथ प्रिया की चूत पर पडता है।
प्रिया;झटके से अपनी कमर को थोड़ा सा अनजाने में ऊपर की तरफ उठाती है।
एक सिसकी उसके मुँह से निकल पडती है।

देवा;समझ जाता है लौंडिया बहुत गरम है।
मगर उस वक़्त प्रिया के साथ कुछ करना मतलब बिल्ली के गले में घंटी बाँधने जैसा था।

देवा;धीरे से प्रिया के कान के पास जाकर कहता है
तेरी चूत की महक बहुत अच्छी है।
ज़रा तेरी माँ की चूत की महक कैसी है बता मुझे।

ये कहकर देवा अपने लंड को प्रिया के होठो के क़रीब ले जाता है और उसे प्रिया के होठो पर घीसने लगता है।
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चूत घिस घिस कर प्रिया की आधी शर्म तो चलि गई थी और आधी अपनी माँ और देवा की चुदाई देख कर।
वो आँखें नहीं खोलती मगर जो खोलना होता है वो ज़रूर खोल देती है।
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हल्के से वो अपना थोड़ा सा मुँह खोल देती है और उस छोटे से सुराख़ को बड़ा करना देवा जानता था।
वो अपने लंड को प्रिया के मुँह के अंदर सरकाता चला जाता है।
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नमकीन सा पानी जैसे ही प्रिया की ज़बान से लगता है प्रिया का तन बदन फडक उठता है और उसकी आँखों में वही नज़ारा फिर से आ जाता है जब उसकी माँ पैर पसारे देवा से चुद रही थी।
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वो सब भूल जाती है और पहली बार किसी मरद के लंड पर अपनी ज़ुबान फेरती है।
वो देवा के लंड को चाटना चाहती थी । उससे मुँह में भर कर चुसना चाहती थी मगर तभी दोनों को कोमल के क़दमों के आवाज़ सुनाई देती है और देवा अपना लंड बाहर निकाल लेता है और प्रिया से अलग हो जाता है।

कोमल;कमर मटकते हुए देवा के क़रीब आ जाती है।
तब तक प्रिया अपने सर के ऊपर कंबल ओढ़ चुकी थी।

कोमल;देवा का हाथ पकड़ के उसे बिस्तर पर चलने की लिए कहती है मगर देवा उसे वहीँ प्रिया के बगल में लिटा देता है।

कोमल;धीमी आवाज़ में
प्रिया जाग जायेगी ।

देवा;मुझे नहीं पता।
वो कोमल को लिटा देता है और झट से अपना मुँह उसकी चूत से लगा कर अपनी ज़ुबान को उसकी चूत में डालकर चाटने लगता है।
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कोमल; हाय मर गई मैं।तू ही
मेरा असली मरद है ।आह्ह्ह्ह्ह्ह
चाट रे.....
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देवा;यही तो चाहता था की कोमल उसकी बेटी के पास में लेट कर चुदे।
जीससे प्रिया की चूत में और ज़्यादा चिंगारियाँ पैदा हो जाएँ और होता भी वही है थोडी देर की चूत चटाई से ही कोमल की चूत का दाना भी मोटा होकर देवा के लंड को अपने अंदर बुलाने लगता है मगर देवा उसकी चूत की तरफ देखता भी नहीं बल्कि कोमल को कुतिया बना देता है और सटा सट दो तीन थप्पड कोमल की गाण्ड पर जड़ देता है।

आंखों में आँसू लिए कोमल देवा के तरफ गर्दन घुमा कर देखने लगती है।

देवा;अभी कहाँ रो रही है मेरी जान अभी तो मैंने तुझे वो दर्द दिया भी नही।
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कोमल;इशारे से ना कहती है मगर अगले ही पल उसे देवा की बात सच होते हुए लगती है।
देवा का लंड उसकी चूत की बजाये गाण्ड के सुराख़ पर घीसने लगता है और कोमल समझ जाती है । ये ज़ालिम क्या चाहता है।
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मगर देवा भी कोमल की कोमलता से अन्जान था।

जैसे जैसे देवा अपने लंड को कोमल की गाण्ड पर रगडने लगता है वैसे वैसे कोमल भी अपनी कमर पीछे की तरफ झुकाते चलि जाती है और दोनों टाँगें इतनी चौडी कर देती है की देवा के मोटे लंड से गाण्ड का सुराख़ आसानी से खुल जाए।
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कोमल;आजा मेरे कुत्ते मार अपनी कुतिया की गाण्ड ज़रा दबा कर।आह्ह्ह्ह्ह्ह।


देवा;सच में उसी पल अपने लंड को कोमल की गाण्ड में उतार देता है दोनों हाथों में बड़ी सी कोमल की कमर को पकड़ कर वो अपने लंड को मोटी गाण्ड के छोटे से सुराख़ में उतार देता है।
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और खचा खच सटा सट की आवाज़ें फिर से रूम में गूँजने लगती है मगर इस बार कोमल ज़्यादा चिल्ला नहीं रही थी बल्कि अपनी कमर को पीछे की तरफ धकेल कर देवा के लंड से अपनी गाँड मरवाने का आनन्द ले रही थी।
जीससे देवा समझ जाता है की इस कुतिया को गाण्ड मरवाना ज़्यादा अच्छा लगता है अगर इसकी बेटी भी इसके जैसी होगी तो मजा आ जाये। ये सोच सोच कर ही उसका लंड फुलने लगता है और वह कुतिया बनी कोमल की गांड को खोलता चला जाता है।
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देवा प्रिया को दिखा दिखा कर उसकी माँ कोमल को किसी रंडी की तरह चोदने लगता है कभी गांड तो कभी चूत तो कभी मुँह।जब अगली बार देवा अपना लंड कोमल की गांड में पेलता है तो कुतिया बनी कोमल झड़ने लगती है और बेसुध हो जाती है और इधर देवा कोमल की गांड मारते हुए उसकी बेटी प्रिया की चूचियों को मसलने लगता है।जिससे देवा का लंड और आक्रामक हो जाता है।
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कोमल की गाण्ड उस लंड को अपने फँदे में फँसा लेती है और ऐसे फँसाती है की सुबह होने से कुछ देर पहले कोमल और देवा एक दूसरे से अलग होते है।

उस वक़्त तक कोमल कितनी बार झड चुकी थी वो भी नहीं जानती थी और न उसकी बेटी ये जानती थी की उसकी सलवार पूरी तरह भीग चुकी है।
थकी मांदी कोमल अपने कपडे पहनकर लेट जाती है और देवा भी अपने रूम में सोने चला जाता है।

सुरज सर पर चढ़ चूका था मगर देवा अभी तक सो रहा था। बाहर से आते अवाज़ों से उसकी आँख खुलती है।

वो ऑंखें मलता हुआ आँगन में चला आता है।

कोमल;अपने गांव वापस जा रही थी।
देवा को देख वो नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा जाती है।

देवा;अरे काकी तुम इतनी सुबह सुबह जा रही हो।

कोमल;हाँ जिस काम से आई थी वो तो हो गया।
मतलब यहाँ तुम लोगों से मिलना हो गया अब मुझे जाना होंगा घर पर । हरी और प्रिया के बापू अकेले हैं न।

रत्ना;क्या समधन जी कल आई और आज चली।
आप कुछ दिन रुक जती।

कोमल;नहीं समधन जी फिर कभी ज़रुर रुकुंगी।

वो मुस्कुराते हुए देवा की तरफ देखती है जैसे कल रात को हसीन बनाने पर दिल से देवा का शुक्रिया कह रही हो।

अपनी बेटी प्रिया और बहु ममता से मिलने के बाद कोमल अपने घर लौट जाती है और पीछे छोड जाती है प्रिया को।

कोमल;के जाने के बाद प्रिया खुद को आज़ाद महसूस करती है।

रत्ना और ममता घर के अंदर लौट जाते है और देवा मौके का फायदा उठा कर प्रिया के कान में कहता है
तेरी माँ बहुत खुश होकर गई है प्रिया।

प्रिया बुरी तरह शर्मा जाती है और भागते हुए घर के अंदर चलि जाती है।

देवा;नहाने चला जाता है और जब वो बाहर आता है तो उसे ममता और प्रिया कहीं जाते हुए नज़र आते है।

देवा;कहाँ जा रही हो तुम दोनो।

ममता ;ओफ़ हो भाई नूतन से मिलने जा रही है और कहाँ जाएंगी।

देवा;ठीक है जा।

ममता और प्रिया चली जाती है।
देवा;सोचने लगता है की उसे भी तो नूतन से मिलना था।
वो जल्दी जल्दी अपने कपडे पहनने लगता है और जब वो तैयार होकर बाहर आता है तो रत्ना उसके सामने आ जाती है। वो बाजु से जाने लगता है मगर रत्ना उसे जाने नहीं देती।

देवा रत्ना को घुरने लगता है।
देवा रत्ना से नाराज़ था और उससे बात नहीं कर रहा था मगर रत्न देवा को किसी भी कीमत में मनाना चाहती थी।

रत्ना;की आँखों में आये आँसू देवा देख चुका था।

रत्ना;ऐसा मत कर मेरे साथ। तू जानता है तेरे सिवा मुझे कोई नहीं भाता देवा। मुझसे बात बंद करके तुझे क्या मिलेगा।

देवा;तुम भी खुश रहोगी और मै भी।

रत्ना;मुझसे बात न करके तू खुश है।

देवा;हाँ खुश हूँ मै । कम से कम कोई अपने जवान औलाद को तमाचा तो नहीं मारता न।
जाने दो मुझे हटो सामने से।

रत्ना;नहीं। नहीं जाने दूंगी आज अगर तू नहीं माना तो मै अपने आप को कुछ कर लुंगी।

देवा;क्या करोगी।

रत्ना; कुछ भी ....देख मै सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ मगर तेरी बेरुख़ी नही।

देवा :क्यूँ क्यों नहीं बर्दाश्त कर सकती।

रत्ना;क्यूंकि मैं.....
क्यूंकि मैं......
मै तेरी माँ हूँ।
वो दिल की बात नहीं कह पाती और देवा को इस बात पर और ग़ुस्सा आ जाता है।
वो रत्ना का हाथ पकड़ के उसे अपने सामने से हटा देता है।

रत्ना; इतनी बेरुखी देख अपनी आँसू नहीं रोक पाती और फूट फूट कर रोने लगती है।

देवा भी एक इंसान था अपनी रत्ना से वो सबसे ज़्यादा प्यार करता था मगर थोड़ा नाराज़ था।

वो भी सब देख सकता था मगर अपनी माँ की आँखों में आँसू नहीं ।

देवा;रत्ना के पीछे से क़रीब आ जाता है । अपने आप को पूरी तरह रत्ना की कमर से लगा कर धीरे से वो रत्ना से कहता है।

चूत न चुदाने का बड़ा शौक है तुझे।।

रत्ना;क्या....

देवा;अपने हाथों से रत्ना के आँसू पोछता है।
कुछ नहीं देख बात कर रहा हूँ तुझसे अब रोना बंद कर दे।

रत्ना;तूने सच में मुझे माफ़ कर दिया न देवा।

देवा;हाँ माफ़ किया।
मगर आईन्दा अगर मुझ पर हाथ उठाई न माँ तूने तो...... याद रखना हमेशा के लिए घर छोड कर चला जाऊँगा मैं....।

रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
नही वो दिन मेरी भी ज़िन्दगी का अखरी दिन होगा जब तू ऐसा करेगा।
बस एक बात मान ले मेरी।

देवा;क्या।

रत्ना;जब तक ममता और प्रिया यहाँ है। तू अपनी हरक़तों से बाज़ आ जा और मेरे साथ कोई भी उलटी सीधी हरकत करना मत।

देवा;और उनके जाने का बाद.....

रत्ना;अपनी बाहें देवा के गले में डाल देती है और बिना कुछ कहे अपने होंठो को देवा के होठो से मिला देती है।
देवा अपनी रत्ना को माफ़ करके उसे अपनी बाहों में भर लेता है और दोनों एक दूसरे को चुमने लगते है।
BAHUT NAYAB CHITRAN KIYA GYA HAI

देवा;धीरे से प्रिया के कान के पास जाकर कहता है
तेरी चूत की महक बहुत अच्छी है।
ज़रा तेरी माँ की चूत की महक कैसी है बता मुझे।

ये कहकर देवा अपने लंड को प्रिया के होठो के क़रीब ले जाता है और उसे प्रिया के होठो पर घीसने लगता है।
चूत घिस घिस कर प्रिया की आधी शर्म तो चलि गई थी और आधी अपनी माँ और देवा की चुदाई देख कर।
वो आँखें नहीं खोलती मगर जो खोलना होता है वो ज़रूर खोल देती है।हल्के से वो अपना थोड़ा सा मुँह खोल देती है और उस छोटे से सुराख़ को बड़ा करना देवा जानता था।
वो अपने लंड को प्रिया के मुँह के अंदर सरकाता चला जाता है।

नमकीन सा पानी जैसे ही प्रिया की ज़बान से लगता है प्रिया का तन बदन फडक उठता है और उसकी आँखों में वही नज़ारा फिर से आ जाता है जब उसकी माँ पैर पसारे देवा से चुद रही थी।
वो सब भूल जाती है और पहली बार किसी मरद के लंड पर अपनी ज़ुबान फेरती है।

वो देवा के लंड को चाटना चाहती थी । उससे मुँह में भर कर चुसना चाहती थी मगर तभी दोनों को कोमल के क़दमों के आवाज़ सुनाई देती है और देवा अपना लंड बाहर निकाल लेता है और प्रिया से अलग हो जाता है।
 
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और सन्दूक ख़ुलते ही..........

रत्ना रुक्मणी रानी और देवा के होश उड़ जाते है।
जो सामने था वो देख बड़े से बड़े कलेजे वाला आदमी भी चक्कर खा कर ज़मीन पर गिर जाए।

रत्ना को चक्कर आने लगता है वो बस गिरने वाली थी की देवा उसे सँभाल लेता है।

सन्दूक में तीन कंकाल थे।
कुछ कपडे और उन कंकालो के हाथों पैरों के हड्डियों में कुछ गहने।
वक्त की मार ने बदन पर से सारा माँस तो निकाल दिया था बस हड्ड़ियाँ रह गई थी।

ऐसे नज़ारा उन चारों की ऑंखों ने न कभी देखा था न कभी सुना था।

रुक्मणी; जोर से चीख़ पड़ती है माँ आआआआआआआआ।

रानी;माँ क्या हुआ संभालो अपने आप को।

रुक्मणी;ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
ये मेरी माँ के कंगन है और ये मेरी माँ का बाज़ू बंद है
मारने वाले ने हाथों पैरों में से कंगन नहीं उतारे थे
शायद वो जल्दी में रहा होगा।

अगर उन तीनो में से एक कंकाल रुक्मणी के माँ का था तो बाकि के दो कंकाल किसके थे।

देवा;बड़ी हिम्मत करके एक एक करके तीनो कंकालो को बाहर ज़मीन पर लिटा देता है।

सन्दूक लोहे का होने की वजह से हाड़ियाँ अब तक सही सलामत थी और चीख चीख कर अपनी दास्तान सुना रही थी।

रुक्मणी;की चीखें सुनकर आस पास के खेतों से लोग भी वहां जमा होने लगते है और देखते ही देखते सारा गांव वहां जमा हो जाता है।

जब देवा सन्दूक के अंदर से बाकी के कपडे और कुछ चाँदी के गहने बाहर निकालता है तो रत्ना की आँखें फटी की फटी रह जाती है।

वो भाग कर उन गहनो में से एक हाथ में पहनने का कड़ा उठा लेती है।

देवा;का बाप इसी तरह का कड़ा अपने हाथ में पहनता था।
रत्ना;समझ चुकी थी के वो दुसरा कंकाल किसका है।

देवा;अपनी माँ को देख रहा था और रत्ना की आँखों से आँसू की लड़ी बहने लगती है।
वो फूट फूट कर रोने लगती है।

दोनो औरतें इतनी बिखर चुकी थी की उन्हें सँभालना बेहद मुश्किल था।

देवा;माँ बस भी करो रो क्यों रही है।

रत्ना;देवा मेरे बच्चे ये कड़ा तेरे बापू पहना करते थे।
ये तेरे बापू है तेरे बापु।
आह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह माँ आआआआआ...
ये सब देखने से पहले मै मर क्यों नहीं गई।
वो जो अब तक अपने आप को सुहागन समझ कर हाथों में चूडियां पहना करती थी मांग में कभी कभी अपने पति का सिन्दूर लगाया करती थी।
अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर पटकने लगती है और हाथों में की कांच की चूडियों को पटक पटक कर तोड़ देती है।

हर कोई खुसुर पुसुर करने लगता है वहां सरपंच भी आ जाते है।
उन गांव वालों में से एक बूढा आदमी तीनो कंकालो को देख कर बताता है की इन में से एक औरत है और दो मरद है।

पुरा गांव वहां उमड जाता है।

रुक्मणी समझ जाती है के अगर उन में से एक उसकी माँ है तो दुसरा उसके पिता जी का कंकाल है।
वो दोनों एक साथ तीर्थ यात्रा पर गए थे मगर वापस लौट कर नहीं आये थे।
मगर उन दोनों को देवा के बाप के साथ किसी ने यहाँ मार कर उनकी लाशें दबा दिया था।

पुरे गांव में मातम सा छा जाता है।

जब ये खबर देवा के मामा मामी के घर पहुँचती है की देवा के बापू की लाश मिली है तो कोमल और देवकी का परिवार भी देवा के गांव भागे चले आते है।

हर कोई रत्ना और उसके परिवार को इस मुश्किल घडी में सहारा देने उनके घर पहुँच जाता है।

सरपँच और गांव वाले जल्द से जल्द तीनो लाशों का अन्तिम संस्कार की तैयारियों में लग जाते है।
दूसरी तरफ रुक्मणी का भी बुरा हाल था।
वो ये समझ रही थी की उसके माँ और बापू तीर्थ यात्रा के दौरान मारे जा चुके है मगर इस तरह उनकी लाशें मिलेंगी उसने कभी सोची नहीं थी।

रात शुरू होने लगती है और गांव वाले अन्तिम संस्कार की सभी तैयारी करके देवा के घर पहुँचते है।

देवा;अपने घर में ज़मीन पर बैठा था।
उसका दिमाग बिलकुल खाली था।
उसे अपने बापू की शक्ल भी ठीक तरह से याद नहीं थी।
मगर आज जो उसने देखा था वो देख वो अंदर ही अंदर टूट चूका था।

ममता और रत्ना का रो रो कर बुरा हाल था।
शालु नीलम दोनों माँ बेटी रत्ना और ममता को सँभाल रही थी मगर उन्हें सँभालते सँभलते वो दोनों भी रो पडती थी।

सरपँच;देवा बेटा तुम बहुत बहादुर बच्चे हो बेटा।
तुम्हे इस मुश्किल घडी में खुद को भी और अपनी माँ बहन को भी संभालना होगा।
अगर तुम इस तरह सदमें में चले जाओंगे तो कैसे चलेगा बेटा।
देखो मेरी तरफ।
अपने बापू की आत्मा को परमात्मा के पास जाने दो बेटा उन का अन्तिम संस्कार कर दो।
चलो शाबाश।
सरपँच एक भला आदमी था।
वो देवा को दिलासा देकर उसे सँभालते हुए शमशान भूमि तक ले जाता है।
पुरे रास्ते देवा एक ज़िंदा लाश की तरह लड़खड़ाते हुए चलता है।

वो बस एक बार अपने बापू से मिलना चाहता था।
एक बार अपने बाप के गले लगना चाहता था।
एक बार जी भर कर अपने बापू से लिपट कर रो लेना चाहता था।

मगर आज जब उसकी अपने बापू से मुलाकात हुई तो ऐसे की दिल के सारे अरमाँ आंसुओं में बह निकले थे।

सभी गांव वाले शमशान भूमि में जमा थे।
हर की आँख में आँसू थे।
हर किसी के दिल में उनकी मौत का सच जानने की तड़प थी।
मगर जिसके दिल में ये तड़प सबसे ज़्यादा थी वो चुपचाप खड़ा था।

रत्ना;अपने आँसू पोंछ कर देवा के पास आती है।

देवा;अपनी माँ के तरफ देखता है।

रत्ना;जा देवा अपने बापू को आग दे।
मगर एक बात की कसम खा ले अभी की जिस किसी ने भी तेरे बापू के साथ ये किया है तू उसे भी एक दिन इसी तरह अर्थी पर लिटा के दम लेगा।

रत्ना की आवाज़ में दर्द था। गुस्सा था।
एक जूनून था और इन्साफ की गुहार थी अपने बेटे से की अगर तूने अपने बाप के कातिल को सजा नहीं दिया तो तू मेरी औलाद नही।

देवा;अपनी माँ के सर पर हाथ रख देता है।
मै कसम खाता हूँ माँ तेरे सर की।
आज मै अपने पिता को आग दे रहा हूँ।
बहुत जल्द उनका कातिल भी यहाँ इसी तरह अर्थी पर लेटा होगा।

एक बेटे ने अपने माँ के सर पर
अपने बाप की लाश के सामने कसम खाया था।

जैसे जैसे आग उस चिता से लिपटी चलि जाती है वैसे वैसे देवा के अंदर की आग भी सुलगती चली जाती है।
गुस्सा और जूनून अपने चरम पर पहुँच जाता है।
रुक्मणी देवा और रत्ना तीनो जानते थी की इस के पीछे कौन है।

सभी गांव वाले चिता को आग देकर धीरे-धीरे लौट जाते हैं लेकिन देवा वहीं से बैठा रहता है। तब उसकी मां रत्ना बाद में उसे घर चलने के लिए बोलती है।

रत्ना: कब तक बैठा रहेगा बेटा चल हम लोग घर चलते हैं।
देवा: तुम घर जाओ मैं थोड़ी देर रुक के आता हूं कुछ देर मै अकेले रहना चाहता हूं।

यह सुनकर रत्ना अपने घर लौट आती है ।

तभी देवा को फिर से वो तीनों लोग दिखने लगते है अब देवा को समझ में आने लगा कि वो तीनों कौन है।चूँकि पहली बार सिर्फ एक अधेड़ आदमी मिला था उसने भी अपना चेहरा ढक रखा था और उस दिन वे तीनो एक साथ रात में ही मिले थे और देवा उनका चेहरा ठीक से नहीं देख पाया था। आज भी रात हो चुकी है इसलिए देवा को साफ़ नही दिख रहे है और पिछली बार की तरह तीनों ने अपना चेहरा भी ढका हुआ है।

देवा:आप लोग अपना चेहरा क्यों हमेशा मुझसे छुपाये रहते है और सिर्फ मुझे दिखाई देते है क्यों।
देवा का बाप:बेटे हमारे पास अब इंसानो की तरह शरीर
नही है इसलिए हम सभी को दिखाई नहीं देते है । हमारा चेहरा भी सड़ गल चूका है तुम देख नहीं पाओगे।

तुम्हारे साथ हमारा गहरा रिश्ता है इसलिए तुम सिर्फ हमारी परछाई देख रहे हो।

एक देवा का बाप था और बाकि दोनों रुक्मिणी के माता पिता थे।
देवा के पिता बोलते हैं बेटे हमारी आत्मा बहुत दिन से भटक रही थी। आज हमें इस योनि से मुक्ति मिल गई है।
अब हमें ईश्वर के पास जाना ही होगा क्योंकि हमारा बुलावा आ चुका है बड़ी मुश्किल से हमने इतनी देर तक सिर्फ इसलिए इंतजार किया ताकि हम तुमसे अकेले में मिल सके।

देवा: बापू मैं जानना चाहता हूं कि आप लोगों का यह हाल किसने और कैसे किया था क्या हमें बता सकते हैं
आप लोग।

देवा का बाप: बेटे हम ज्यादा कुछ तो नहीं बता सकते लेकिन हमको जिस आदमी ने मारा उसका नाम है हिम्मत राव क्योंकि इससे ज्यादा हम नहीं बता सकते हमें यहाँ ज्यादा देर रुकने का इजाजत नहीं है। हमें जल्द से जल्द जाना होगा।

देवा: मैं आप तीनों से ये वादा करता हूँ की हिम्मत राव की उसके किये की सजा जरूर मिलेगी।

फिर तीनों देवा से आंसू भरी बिदाई लेते हैं और धीरे-धीरे आकाश की तरफ जाकर अदृश्य हो जाते है।

थोड़ी देर के बाद देवा उदास मन से घर लौट आता है।
रत्ना उसका इंतज़ार कर रही थी।

हिम्मत राव को भी यी बात पता लग गई थी की देवा ने अपने बाप की लाश ढूंढ़ लिया है और साथ में रुक्मणी को भी अपने माँ बाप की बारे में पता चल गया है।

वो जिस बिल में छुप कर बैठा था अब उसका वहां छुपना खतरे से खाली नहीं था क्यूंकि बहुत जल्द देवा उसे ढूँढ़ते हुए वहां पहुंचने वाला था।

इससे पहले की देवा उस तक पहुंचे हिम्मत वहां से निकल जाता है।

हिम्मत भी देवा का सामना करना चाहता था मगर इस बार आर पार की लड़ाई के लिये।

एक तरफ बाप के कातिल की तलाश थी तो दूसरी तरफ बेटे को भी बाप के पास भेजने की सोच।

सुबह तक अस्थियाँ भी ठण्डी हो जाती है मगर जो आग अंदर जल रही थी वो इतनी आसानी से नहीं बुझने वाली थी।
Nice update
 

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