Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;किरण की ले के घर आ जाता है उसे थोड़े थकान महसूस हो रही थी।
वो नहा लेता है और नए कपडे पहन के शालु के घर की तरफ चल देता है।
शालु घर के ऑंगन में ही बैठी हुई थी देवा को देख वो उसे अपने पास बुला लेती है।

शालु;अरे वाह देवा आज तो बड़े तैयारी की हुई है कही जा रहे हो क्या।

देवा;हाँ काकी मां के घर जा रहा हूँ खेत का सारा काम ख़तम हो गया है । सोचा कुछ दिन वही रहके माँ और ममता को साथ लेता आऊँगा।
ये लो काका की दवाई।

शालु;ये तूने बहुत अच्छा सोचा। रोज़ रोज़ एक ही काम करने से आदमी बेज़ार भी हो जाता है। जिस्म भी थका थका लगने लगता है।

देवा;अरे वाह काकी आपको मर्दो के बारे में बहुत मालूम है।

शालु;चल हट बदमाश सब जानती हूँ तेरे बारे में।

देवा;शालू के क़रीब सरक जाता है कभी मुझे भी जानने दो आपके बारे में पता तो चले क्या क्या राज़ छुपे हुए है अंदर।

शालु; इतराते हुए।
मुझ में कई राज़ है बतलाऊँ क्या।
मुद्दतो से बंद हूँ खुल जाऊँ क्या।

देवा;हाँ काकी खोल दो । मेरा मतलब है सारे राज़ खोल दो।

शालु;देवा के कान मरोड़ देती है।

देवा;भी शालु को मूड में देख अपने हाथ से शालु के निप्पल को जो ब्लाउज के अंदर दबी हुई थी मरोड़ देता है।

शालु;आहह कमीना कही का।
देवा;पप्पू को आता देख खड़ा हो जाता है और शालु को घर की चाबियाँ दे के हवेली रानी को भी बताने चला जाता है।


रानी;अपने रूम में लेटी हुए देवा के बारे में ही सोच रही थी।

देवा;अब बिना किसी से इजाज़त लिए सीधा कही भी चला जाता। उसे तो जैसे किसी की परवाह ही नहीं थी।

रानी;देवा को अपने रूम में देख के बिस्तर से खडी हो जाती है।
अरे देवा अच्छा हुआ तुम आ गये। मै तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
उसके भरे भरे सुडौल ब्रैस्ट देख देवा के लंड में हलचल होने लगती है।
रानी इतनी खूबसूरत थी की कोई भी उसे देख ले तो बस देखता रह जाये और अभी तो वो देवा के सामने सिर्फ ब्रा और नीचे शलवार में खडी थी।



देवा;वो मै ये बताने आया था की मै कुछ दिन के लिए अपने मां के यहाँ जा रहा हूँ।

रानी; दौड़ते हुए जाके देवा की छाती से चिपक जाती है नहीं नहीं तुम कही नहीं जाओंगे मै कैसे रहूँगी तुम्हारे बिना नहीं बिलकुल भी नही।

देवा;रानी बस कुछ दिनों की बात है मां की तबियत ख़राब है और माँ और बहन को भी वापस लाना है।

रानी;उदास हो जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लेती है जाओ तुम ।

देवा; उसे घुमा के अपनी तरफ कर लेता है और रानी के कान पकड़ के कहता है।
अरे बाबा इस बार माफ़ी दे दो आगे से ऐसा नहीं होगा।

रानी; ये अच्छा है गलती करो खुद और कान भी मेरे पकडो।
जाओ मै तुमसे कभी बात नहीं करुँगी।

देवा;उसके चेहरे को ऊपर उठाता है कभी बात नहीं करोगी।

रानी;कभी नही।

देवा;कभी नही।

रानी;कुछ नहीं कहती बस ऑखें बंद कर लेती है।
देवा;उसके काँपते हुए होठो को मुंह में ले के चुमने लगता है और हाथ पीछे ले जाके रानी की ब्रा का हुक खोल देता है।


रानी;देवा के मुंह में मुंह डाले मदहोशी की इन्तहा पे पहुँच रही थी की तभी देवा उसके निप्पल्स को बुरी तरह मसल देता है और इस दर्द से रानी अपना मुंह और खोल देती है। जिससे उसकी ज़ुबान भी अब देवा के कब्ज़े में आ जाती है।



रानी;आहह तुम तो चले जाओंगे फिर इनका ख्याल कौन रखेंगा ।



देवा;अभी तक मै रखता आया हूँ आगे भी मै ही रखूँगा मेरी रानी।
वो रानी के मोटे मोटे भरे भरे ब्रैस्ट को दोनों हाथों से मसलता हुआ निप्पल्स को मुंह में भर के बच्चे की। तरह चुसने लगता है गलप्प गलप्प।
गलप्प आहह गलप्प।

रानी;अपने हाथ से देवा का पेंट खोल देती है और उसे निचे गिरा देती है।

देवा;आहह नहीं रानी मुझे बहुत देर हो रही है जाने दे मुझे।

रानी;आहह गलप्प गलप्प। जाने से पहले अपनी रानी को एक बार चोदो। तरस जाऊँगी मैं तुम्हारे बिना गलप्प
आज बिना किये नहीं जाने दूंगी मै तुम्हें गलप्प गल्प।
वो निचे बैठ के देवा के लंड को मुंह में ले के चुसने लगती है।



देवा रानी के बचे हुए कपडे भी निकाल देता है।
लंड तो देवा का उसे देखते ही खड़ा हो जाता था ।
अगर वो किरण को चोदके नहीं आता तो रानी के बिना बोले उसे पलंग पे लिटा चुका होता ।

रानी अपने पैर खोल के देवा की तरफ देखने लगती है। जो हाथ में लंड पकड़ के उसे अपने थूक से गीला कर रहा था।
देख क्या रहे हो आ जाओ जल्दी से।

देवा रानी पे झुकता है और अपने लंड को उसकी चूत में घुसाता चला जाता है।
रानी दर्द और जोश में हलकी हलकी सिसकारियां भरते हुए लंड को और अंदर जाने के जगह देती जाती है। शाबाश और अंदर रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।




देवा;आहह मेरी रानी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह।

रानी;कुछ मत बोलो बस चोदते जाओ मुझे आहह हाँ ऐसे ही और अंदर तक आहह ये चूत बिना तेरे कैसे रह पायेंगी रे ज़ालिम आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा; मैं भी तुझे चोदे बिना नहीं सो पाऊँगा वहां रानी। आह्ह्ह्ह्ह्ह।

रानी; चोद न ज़ोर से आहह माँ आहह बातें मत कर मुझे चोदते हुए बेहोश कर दे । आहह ऐसे ही माँ वो मै गई।

रानी की चूत इतनी गरम हो चुकी थी की वो खुद तो १५ मिनट में झड जाती है साथ ही साथ अपने चूत की गर्मी से देवा के लंड को भी अंदर ही अंदर झडा देती है।

दोनो एक दूसरे की बाहों में सिमटे एक दूसरे के चेहरे को चुमने लगते है।



कुछ देर बाद देवा रानी को जी भर के चुमने के बाद घर आ जाता है और ट्रेक्टर लेके मां के घर निकल जाता है।

इन्सान गरीब हो या अमीर वो बच्चा हो या जवान जब भी वो अपने मां के घर जाता है एक अजीब सी ख़ुशी उसे महसूस होती है ।
देवा को भी यही ख़ुशी महसूस हो रही थी जैसे जैसे वो मां के घर के क़रीब पहुँचता जा रहा था।

आखीर वो अपने मामा माधव सिंह के घर पहुँच जाता है
उसे देख देवकी भागती हुई किचन से आती है और अपने भांजे को अपनी छाती से लगा लेती है।

मामी के नरम और गरम छाती से लग के आज देवा को नया आनन्द महसूस हो रहा था । इससे पहले भी देवकी कई बार देवा को अपने छाती से लगा चुकी थी पर इस बार देवकी के चिपकने में कुछ नयापन था।

देवा;भी देवकी को कस के बाँहों में भर लेता है जिससे देवकी के मुंह से हलकी से शह्ह्हह्ह्ह्ह आवाज़ निकल जाती है।

पास खड़ी रामु की पत्नी कौशल्या ने शायद ये आवाज़ सुन ली थी इसलिए उसके चेहरे पे एक हलकी सी मुसकान फैल जाती है।
देवा अपने भाई रामु से उसकी पत्नी कौशल्या से और रामु की बहन नूतन से भी मिलता है।


नुतन बड़े गौर से देवा को देख रही थी।
वो बेहद खूबसूरत थी । बिलकुल अपनी माँ देवकी के जैसे नयन नक्श। हालाँकि उसके ब्रैस्ट देवकी के जैसे भरे भरे नहीं थे। ना ही कमर देवकी के तरह चलते वक़्त हिलते थे। पर थी वो भी एक नमकीन चेहरे वाली लड़की।

देवा;अपनी माँ रत्ना के साथ मामा से मिलने चला जाता है।

माधव;की तबियत अब पहले से काफी बेहतर हो गई थी।

वो देवा को देख बहुत खुश होते है और देवा उनसे कितनी ही देर बातें करता रहता है।

रात के खाने का वक़्त हो गया था। वो सभी एक साथ मिलके खाना खाने लगते है।

कौशलया जिसे सब प्यार से काशी बुलाते थे। खाना परोस रही थी और नूतन भी उसका हाथ बटा रही थी।

रामु;देवा से खेती की बातें कर रहा था ।

देवकी;जो खाना कम खा रही थी और देवा के जिस्म को ज़्यादा देख रही थी।

सभी एक दूसरे से हँस बोल के बातें करते हुए खाना खाने लगते है।
देवा;चोर नज़रों से कैशलया को भी देख लेता था।
और जब भी वो कैशलया की तरफ देखता कौशल्या भी उसी समय उसकी तरफ देख एक हलकी सी मुस्कान चेहरे पे ले आती।

खाना खाने के बाद कुछ देर बातों का दौड़ चलता है और फिर धीरे धीरे करके सभी सोने चले जाते है।

नुतन ममता के साथ एक कमरे में सीफ्ट है।
एक कमरे में रामु और उसकी पत्नी कौशल्या सोने चली जाती है।
और एक कमरे में चारपाई के ऊपर माधव और उसी कमरे में निचे ज़मीन पे पहले रत्ना उसके बगल में देवा और उसके बगल में देवकी थोड़े थोड़े अंतर से लेट जाते है।

देवा रत्ना और देवकी धीमी आवाज़ में एक दूसरे से बातें करने लगते है।

की तभी माधव देवकी को डांटते है।
माधव;देवकी देवा थका मांदा घर आया है उसे आराम करने दे । कल बातें कर लेना। अभी बत्ती बुझा दो।

देवकी;अपने पती को कुछ नही कहती और जीरो लाइट लगा देती है और सभी चुप चाप लेट जाते है।

देवा;अपने ऑखों पे हाथ रखे रानी के बारे में सोचने लगता है।
एक घंटे बाद-



देवा को किसी की खुसुर पुसुर की आवाज़ सुनाई देती है । वो ऑखों पे से थोड़ा सा हाथ हटाता है। जीरो लाइट की रौशनी में वो साफ़ देख सकता था की देवकी माधव के पास बैठी उसकी धोती निचे करके उसके लंड को चूस रही है।



देवा का हाथ खुद ब खुद अपने लंड पे चला जाता है और वो चादर के अंदर लेटे लेटे लंड को सहलाने लगता है ये अनुभव उसके लिए बिलकुल नया था उसने अपने मामा मामी को कभी ऐसी हालत में नहीं देखा था।

देवकी;अपना ब्लाउज खोले हुए माधव से अपनी ब्रैस्ट मसलवा रही थी।

कच देर बाद माधव उसे अपने ऊपर आने को केहता है और देवकी बिना आवाज़ किये माधव के ऊपर चढ़ जाते है और अपने कमर को निचे ऊपर करने लगते है

उसे ऐसा करते ज़्यादा देर भी नहीं हुई थी की देवकी कमर हिलाना बंद कर देती है और माधव को गाली दे के उसके ऊपर से उतर जाती है।

माधव अपने मुरझाये लंड को वापस धोती में डाल के करवट बदल के सो जाता है और देवकी साडी निचे करके ब्लाउज ठीक करके देवा के बगल में जाके लेट जाती है।

देवकी एक करवट लेटी हुई थी की अचानक उसे अपनी कमर में कुछ चुभता हुआ महसूस होता है।

ये देवा था जो नींद का बहाना करते हुए देवकी की कमर में पीछे से अपना लंड पेंट के अंदर से उसे चुभा रहा था।

देवकी अपनी कमर को आगे करने के बजाये पीछे देवा के लंड की तरफ झुका देती है और अपनी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगती है।
देवा के लंड के एहसास से ही वो कुछ हे देर में झड जाती है ।

देवा अपना लंड देवकी की कमर से हटा के सीधा लेट जाता है जैसे उसे कुछ पता ही न हो और जो हुआ वो नींद में हुआ हो।

न देवा की आँख ठीक तरह से लग पाती है और न देवकी सो पाती है।
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देवा का हाथ खुद ब खुद अपने लंड पे चला जाता है और वो चादर के अंदर लेटे लेटे लंड को सहलाने लगता है ये अनुभव उसके लिए बिलकुल नया था उसने अपने मामा मामी को कभी ऐसी हालत में नहीं देखा था।

देवकी;अपना ब्लाउज खोले हुए माधव से अपनी ब्रैस्ट मसलवा रही थी।

कच देर बाद माधव उसे अपने ऊपर आने को केहता है और देवकी बिना आवाज़ किये माधव के ऊपर चढ़ जाते है और अपने कमर को निचे ऊपर करने लगते है
 
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वो ऐसा खुंखार शिकारी था जो अपने शिकार को कभी अधूरा नहीं छोडता था । वो अपने लंड से कौशल्या की चूत को खोलता चला जाता है और कौशल्या कुछ देर बाद कुँवारी लड़की की तरह चीखने लगती है।


आह निकाल ले बाहर मर जाऊँगी मै आअह्हह्हह्हह।

देवा;बस थोडी देर भाभी आहह बस हो गया न आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

कौशल्या रोने लगती है उसकी चूत से पानी की धार बहने लगती है कभी कभार चुदने वाली कौशल्या आज अपने ज़िन्दगी के सबसे सुखद और दर्दनाक दौर से गुज़र रही थी । एक तरफ चूत की आग उसे और और चुदने के लिए कह रही थी और एक तरफ लंड की मार उसे चुदने से रोक रही थी
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अपडेट 42


देवा गहरी नींद में सोया हुआ था।
बाहर से आते शोर शराबे से उसकी आँख खुल जाती है और वो आँख मलता हुआ बाहर आता है।

ममता और नूतन अपने नए कपडे देख के हल्ला मचा रही थी

देवा को देख नूतन एकदम खामोश हो जाती है और उसकी ऑखें झुक जाती है।

देवा;क्या शोर मचा रखा है ममता।

ममता ; भाई आज रश्मि की हल्दी है देखो न मुझे समझ नहीं आ रहा कौन सी कपडे पहनु।

देवा;नीचे से ऊपर तक ममता को देखता है और दिल में सोचता है की तू बिना कपडो के तो कितनी प्यारी लगेंगी।
कुछ भी पहन ले तुझपे तो सारे रंग अच्छे लगते है।

ममता नूतन का कन्धा हिलाती है।
तूझे क्या हुआ है भाई के आते ही तेरे सिट्टी पिट्टी क्यों गुम हो गई।

देवा उन के पास आ जाता है और नूतन के हाथ में से उसके कपडे ले के देखता है।
नुतन तू ये मत पहनना तुझपे ये रंग बिलकुल भी नहीं जँचता।
कोई गुलाबी रंग के कपडे पहन।
बहुत प्यारी लगेगी।

नुतन का चेहरा लाल पड़ जाता है और वो अपनी माँ की तरफ भाग जाती है।

ममता को कुछ समझ नहीं आता आखिर माजरा क्या है।

देवा रत्ना को पूछ के ऑंगन में चला जाता है।

उसका मुस्कराता हुआ चेहरा अचानक उदास हो जाता है सामने रत्ना के साथ शालु बैठी बातें कर रही थी।

शालु;को देख के देवा को कल का ज़ोरदार थप्पड याद आ जाता है।
और वो चुपचाप जाके रत्ना के बगल में बैठ जाता है।

रत्ना;उठ गया बेटा।
चल जल्दी तैयार हो जा बहुत काम बाकी है शालु के घर तू जायेंगा तो हाथो हाथ जल्दी हो जाएंगे सारे काम।

देवा;शालू की तरफ देख के रत्ना से कहता है।
मुझे कही नहीं जाना मुझे खेत में बहुत काम है।

रत्ना; ये तू कैसी बात कर रहा है देवा तू शालु के घर नहीं जायेगा।

देवा;बोला न नहीं जाऊँगा।
और देवा ये कहके वहां से उठके बाथरूम में घुस जाता है।

रत्ना और शालु एक दूसरे को देखते रह जाते है रत्ना तो नहीं जानती थी हाँ मगर शालु को देवा की ये बात बहुत बुरी लगी थी। उसके दिल में कही न कही दर्द ज़रूर हुआ था।

रत्ना के पास थोडी देर बैठने के बाद शालु उसे घर जल्दी आने को कहके अपने घर चली जाती है।

नुतन ;बिस्तर पे लेटी हुई थी।
उसके कानो में अभी भी देवा के वही शब्द घूम रहे थे की नूतन तू गुलाबी कपडो में बहुत अच्छी लगेगी।

रात की गर्मी अभी पूरी तरह से जिस्म से निकली नहीं थी।

देवकी उसे अपने खयालो में खोई देख उसके पास आके बैठ जाती है।

देवकी भी थोड़ा थोड़ा झिझक रही थी नूतन से बात करने में उसने और देवा ने रात जो काम की थी उसे वो शरमिंदा तो नहीं थी हाँ मगर थोडी परेशान ज़रूर थी। पता नहीं नूतन क्या कह दे।

नुतन अपनी माँ की तरफ देखती है पर कुछ नहीं कहती।

देवकी;अपने बेटी के कमर के थोड़ा ऊपर दोनों हाथों से हलके हलके मालिश करने लगती है।


तू मुझसे नाराज़ है नूतन।

नुतन ;नहीं माँ।

देवकी;सच बता तुझे मेरी कसम।

नुतन;नहीं न माँ सच मै नाराज़ नहीं हूँ।।

देवकी;मुझे पता है जो मै कर रही हूँ वो पाप है मगर ये सब मै तेरे लिए ही तो कर रही हूँ।

नुतन देवकी की तरफ देखती है।
कया मतलब माँ।

देवकी तुझे देवा कैसा लगता है।

नुतन शर्मा जाती है।

देवकी; मैं चाहती हूँ तू इस घर की बहु बने।

नुतन का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है।
उसके होंठ देवकी से कुछ कहना चाहते है मगर मारे ख़ुशी के वो कुछ बोल नहीं पाती और अपनी माँ के गले लग जाती है।

देवकी;बस तू इस घर की बहु बनके यहाँ हमेशा हमेशा के लिए आ जाये समझो मै गंगा नहा ली।

एक तरफ देवकी अपनी बेटी के सुनहरे सपने बून रही थी वहाँ शालु के घर नीलम आईने के सामने खड़ी खुद को देख रही थी।

हल्के गुलाबी चुन्नी में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।
जवानी के शबाब खूब चढा था नीलम पे । अपने आप को सिर्फ और सिर्फ देवा के लिए सँभाल के रखने वाली नीलम बहुत बेचैन थी । ये सोच सोच के की जब देवा उसे देखेगा तो क्या होगा।।

मगर देवा तो फैसला कर चुका था की वो शालु के घर नहीं जायेगा । वो नाश्ता करके अपने खेत के तरफ निकलने की तैयारी करता है।

रत्ना देवकी नूतन और ममता सभी बन संवर के तैयार थी ।
सभी एक से बढ़ के एक लग रही थी।

देवा;एक नज़र रत्ना की तरफ देखता है।
कलर के महरून साडी में रत्न बहुत हसीं लग रही थी।

मुस्कराता हुआ चेहरा ऑखों में काजल होठो पे हलकी सी लाली जो उसे ममता ने लगाई थी गोरा मख़मली पेट हुए और बड़े बड़े चूचि जिसे रत्ना ने आँचल से ढक रखी थी उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थे।

देवा इस अंदाज़ में रत्ना को घूरता है की रत्ना को शर्म से आ जाती है।

रत्ना;क्या हुआ देवा।

देवा; कुछ नहीं। तो जा रहे हो तुम सब।

रत्ना;हाँ तू भी चल ना।

देवा;कुछ नहीं कहता और बाहर निकल जाता है।

शालु के घर काफी गहमा गहमी थी।
रश्मी ऑंगन के बीच में बैठी थी और गांव की सभी औरतें उसे हल्दी लगा रही थी।

इस सब से दूर नीलम के ऑंखें रास्ते पे बीछी हुई थी ।
वो ज़ालिम अब तक नहीं आया था।
आखीर नीलम से रहा नहीं जाता और वो ममता से पूछ लेती है।

नीलम;ममता तेरा भाई नहीं आया।

नीलम;नहीं उन्हें खेत में ज़रूरी काम था फसल की कटाई होनी है ना इसलिए नहीं आए।

नीलम का चेहरा उतर जाता है उसे अपने बदन पे कपडे बिलकुल अच्छे नहीं लगते वो आज जिसके लिए इतनी सजी संवरी थी वही नहीं आया था ।

वो निराश होके घर के अंदर जाने लगती है ।
तभी उसे पप्पू की आवाज़ आती है।

पप्पू;अरे देवा कितनी देर से आ रहा है यार।

उसके कान ये सुनने के लिए तड़प गए थे। वो पीछे मुड के देखती है और सामने वही ज़ालिम खड़ा था उसका दिल किया उसके पास जा के उसके सीने पे दो चार घूँसे जड़ दे । मगर जब देवा से नीलम की ऑंखें चार हुई तो सारा ग़ुस्सा हवा हो जाता है।

देवा नीलम के पास आता है और उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।

नीलम पलकें झुकाये बस दो शब्द सुनना चाहती थी देवा के मुँह से वो दो शब्द उसकी सारी मेंहनत सफल कर देते।

देवा;अप्सरा लग रही हो आज तुम नीलम।

नीलम से ये सुनके वहां रुकना मुहाल था । वो देवा की ऑखों में देखती है और वही क़ातिलाना हंसी हँसते हुए जिससे देवा घायल हुआ था।
घर में भाग जाती है।

रश्मी के पास खड़ी शालु के चेहरे पर भी मुसकान फैल जाती है। दिल में सुकून उतर आता है की देवा उतना नाराज़ नहीं है जितना वो सोची थी।

देवा;पप्पू के साथ काम में लग जाता है
जितने भी मेहमान आये थे उनके खाने पीने का इन्तज़ाम।

सब कुछ देवा अपने हाथ में ले लेता है।

सभी मेहमानो के जाने के बाद शालु देवकी और रत्ना बातें करने लगते है।

रश्मी;नीलम और ममता के साथ कमरे में बैठी बाते कर रही थी।

रत्ना;बहुत अच्छे से हो गया सब कुछ है ना देवकी।

शालु;हाँ अगर देवा नहीं आता तो कितनी मुश्किल हो जाती।

रत्ना;मेरा बेटा ऊपर से चाहे कुछ भी है मगर मै जानती थी वो ज़रूर आएगा।

शालु;पास में बैठी नूतन को देखते हुए देवकी से कहती है। देवकी बहन एक बात कहनी थी आपसे।

देवकी;हाँ कहो न बहन।

शालु;मुझे आपकी ये बेटी बहुत भा गई है।
जब से इसे देखी हूँ बस दिल में एक इच्छा जाग गई है की इसे अपने घर की बहु बना लूँ।
अपने बेटे पप्पू की दुल्हन अगर तुम्हें कोई एतराज़ न हो तो।

रत्ना;अरे ये तो बहुत अच्छा सोचा तुमने शालु ।
पप्पू बहुत होनहार लड़का है देवकी मेरी बात मान तू हाँ कर दे।

देवकी और नूतन एक दूसरे को देखने लगते है।

नुतन वहां से उठके अंदर चली जाती है।

देवकी : मैं सोच के बताती हूँ नूतन का भाई भी तो है। उससे भी पूछ्ना पड़ेंगा इतना बड़ा फैसला मै अकेले नहीं ले सकती।

शालु; मैं समझती हूँ बहन मुझे कोई जल्दी नहीं है।

रत्ना के चेहरे पे हंसी देख देवकी एक बात तो जान गई थी की रत्ना से देवा के बारे में बात करना बेकार है बस उसे देवा पे भरोसा था।

सारे काम निपटाने के बाद जब देवा और पप्पू शालु रत्ना के पास आके बैठते हैं तो रत्ना देवा को शालु की बात सुनाती है।

पप्पू;अपनी शादी की बात सुनके लड़कियों की तरह शरमाने लगता है और देवा इस बात से बहुत खुश हो जाता है।

शालु;देवा की तरफ देखने लगती है ।
मगर देवा शालु से एक बार भी ऑंखें नहीं मिलाता।

देवा;माँ अब घर चलते है।

रत्ना; हाँ ठीक है चलो देवकी ।
अरे ममता कहाँ है चल घर चल और नूतन को भी लेते आ।

देवा;पप्पु के साथ बाहर निकल पडता है।

पप्पू;भाई माँ ने जो फैसला किया है तुम्हें कैसा लगा।

देवा;अबे बेटा भाग खुल गए तेरे बहुत अच्छी लड़की है नूतन। बहुत ख्याल रखेगी वो तेरे घर का बस देवकी मामी मान जाए।

पप्पू;भाई आपकी तो मामी है आप कुछ चक्कर चलाओ।

देवा;पप्पू की कमर पे थप्पड मारते हुए कहता है।
गांडू बडी जल्दी है तुझे शादी की क्या करेगा शादी के बाद।

पप्पू; वही जो सब करते है चुदाई।


देवा; लंड में दम है नहीं और लगा चुदाई करने।

पप्पू; ज़रा सा मुँह घुमा लेता है।

देवा;अब्बे मज़ाक़ कर रहा हूँ।

पदमा;देवा अरे ओ देवा रुक तो सही।
पीछे से आती पदमा की आवाज़ सुनके दोनों रुक जाते है।

पदमा;हाँफते हुए अरे कहाँ था तू ।

देवा;क्यूँ क्या हुआ।

पदमा;तुझे छोटी मालकिन ने बुलाई है जा हवेली जा के मिल ले उनसे।

देवा;चल पप्पू ।

पप्पू;मुझे नहीं जाना मुझे घर में बहुत काम है।

देवा;अकेले ही हवेली चल पड़ता है।

जब वो हवेली पहुँचता है तो सामने ही कुरसी पे उसे रुक्मणी बैठी हुए दिखाई देती है।

देवा;को देख वो झट से उसके पास आ जाते है।

रुक्मणी;कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ।

देवा;छोटे मालकिन ने बुलाया था मुझे कहाँ है वो
ओ सीधे मुँह बात भी नहीं कर रहा था।

रुक्मणी;मेरे साथ चल।

देवा;मुझे नहीं जाना कही छोटी मालकिन को बुला दो।

रुक्मणी;चलता है या नहीं । चल चुपचाप।
वो देवा का हाथ पकड़ के उसे अपने कमरे में ले जाती है।

देवा;मालकिन मै आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ मुझे आपसे कोई बहस नहीं करनी मुझे जाने दो।

रुक्मणी;दरवाज़ बंद करके उससे लिपट जाती है।
ऐसा ज़ुल्म क्यों कर रहा है तू मेरे साथ।

देवा उसे अपने से अलग कर देता है।
गलती मुझसे हुई थी और आपने मुझे उसकी सजा भी दे दी और कुछ भी करना हो तो कर लीजिये।

रुक्मणी;सजा सजा मुझे मिल रही है तू जिस दिन से गया है उस दिन से मैंने खाना भी नहीं खाया।
मैने कसम खाई थी की तुझे देखे बिना एक निवाला भी मुँह में नहीं डालुंगी।

देवा;हैरत से उसकी तरफ देखने लगता है।
मै आपका कुछ नहीं लगता मुझे आपसे कोई लगाव नहीं फिर क्यों आप मेरे लिए खुद को कष्ट दे रही है।

रुक्मणी;जिस दिन तूने बाजार में मेरी जान बचाई थी। उस दिन मेरा जिस्म तेरा हो गया था।
जीस दिन तूने हाथियों से मेरी जान बचाया था उस दिन मेरी आत्मा तेरी हो गई थी।

मै तो तुझे तन से मन से अपना मान चुकी हूँ और तू मुझे तड़पाये जा रहा था । मैंने तुझे इसलिए मारी थी की तू मुझे कोई खिलौना समझ बैठा था
तुझे मेरा जिस्म चाहिये ना । ले कर ले जो करना है।



देवा के होश उड़ जाते है रुक्मणी को इस तरह देख के।

वो आगे बढ़ता है और रुक्मणी के कपडे ठीक करके उसके खुले बटन लगा देता है।

देवा;ज़बरदस्ती मै करता नहीं और भीख पसंद नही।।

मै आपके क़रीब सिर्फ इसलिए आना चाहता था क्यूंकि मै आपसे जानना चाहता था की मेरे बापू इस हवेली से कैसे ग़ायब हुए थे।

रुक्मणी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।
मुझे कैसे पता होंगा तेरे बापू के बारे में।

देवा;तुम्हारे पति को पता है वो मुझे नहीं बोलने वाले इसलिये।

रुक्मणी; इसलिए तू मुझे इस्तेमाल करके अपने बापू का राज़ पता करना चाहता था।

देवा; हाँ।

रुक्मणी;अपने ऑसू पोंछ लेती है।
मुझे बड़ा दुःख हुआ ये जान के तू मुझे इस्तेमाल कर रहा था।

कोई बात नहीं मै तेरी मदद ज़रूर करुँगी।
तूझे पता करना है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था।
मै तेरे जागिरदार साहिब से किसी भी तरह ये बात पता करके रहूँगी और तुझे बता दूंगी ।बस....

देवा;रुक्मणि के पास आता है और उसका चेहरा ऊपर उठाके अपनी ऑखें उसकी ऑखों में गाड देता है।

मुझे और भी कुछ चाहिये।

रुक्मणी;क्या।

देवा;ये.....
वो अपने होंठ रुक्मणी के होठो पे रख देता है।
कुछ देर देवा का साथ देने के बाद रुक्मणी अपने होंठ उससे अलग कर देती है।

रुक्मणी;नहीं जो मुझे इस्तेमाल करता है मै उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। तूझे जो पता करवाना है मै उस में तेरी मदद कर दूंगी उसके बाद तू अपने रास्ते मै अपने रास्ते।

देवा;रुक्मणि को देखने लगता है।
उसे पता था अभी रुक्मणी ग़ुस्से में है ।
अपनी मोहब्बत का इज़हार करके उस ने देवा को ये तो बता दी थी की वो देवा के बारे में क्या राये रखती है।

मगर उसे ये नहीं पता था की कही न कही देवा भी रुक्मणी की खुबसुरती का दिवाना है।

दरवाज़े के बाहर खड़ी रानी अपने मुँह पे हाथ रख देती है। उसे तो बस इंतज़ार था हिम्मत राव के वापस आने का।

और हिम्मत राव अपनी रखेल बिंदिया की चूत में पड़ा हुआ था।
 
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कौशल्या ;अपनी सास की चुत को अपने उँगलियों से मलती हुई- माँ जी मेरा भी तो यही हाल है जब वो अंदर होता है तो दिल करता है बाहर निकाल दूँ और जब देवा पास नहीं होता तो मन करता है उसे चुदती रहूँ। कल वो चल जायेंगा तो कैसे रह पाएंगे हम माँ जी।

देवकी;अपनी बहु के मोटे मोटे निप्पल्स को अपने मुंह में भर के चुसने लगती है। आहह तू चिंता मत कर बहु मै कुछ दिन बाद तुझे वहां भेज दूंगी फिर तू अच्छे से चुदवा लेना देवा से और मै उसे बोल दूंगी की दो तीन हफ्ते में वो यहाँ आके हमारी प्यास बुझा दिया करे। आअह्हह्हह्हह।

कौशल्या ;अपनी दोनों उँगलियाँ अपने सास की चूत के अंदर तक डाल देती है और दोनों एक दूसरे को चुमते हुए झडने लगते है।
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WOW MAST MAST UPDATE
क्यूंकि साली तू बहुत चालु चीज़ है और ये बात सिर्फ मुझे पता है अगर तुझे चिल्लाना होता न तो कबका चिल्ला चुकी होती पर तू भी चाहती है। मै तुझे ऐसे ही मसलूँ तेरा रस निकालूँ। है ना बोल यही बात है न।

रश्मी;के निप्पल्स कड़क हो जाते है और साँस रुक रुक के चलने लगती है गला सुख जाने से उसकी आवाज़ भी ठीक तरह से नहीं बल्कि लडखडा के बाहर निकलने लगती है।
आह कमीना है तू। तुझे सब पता है ना देख अब मै क्या करती हूँ।
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